Kolkata24x7 Desk – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Mon, 23 Jun 2025 15:02:39 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png Kolkata24x7 Desk – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 स्कूल पुस्तकालयों में मुख्यमंत्री की लिखी किताबें अनिवार्य, प्रत्येक स्कूल को 1 लाख रुपये का अनुदान https://ekolkata24.com/top-story/mamata-banerjee-books-made-compulsory-in-west-bengal-school-libraries-with-%e2%82%b91-lakh-funding Mon, 23 Jun 2025 15:00:32 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52079 पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के स्कूलों में पुस्तकालय व्यवस्था को और सशक्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब से राज्य के प्रत्येक स्कूल के पुस्तकालय में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) द्वारा लिखी गई किताबें रखना अनिवार्य कर दिया गया है। इस पहल को लागू करने के लिए राज्य सरकार प्रत्येक स्कूल को पुस्तकालय अनुदान के रूप में 1 लाख रुपये प्रदान कर रही है। इस राशि का उपयोग स्कूलों को निर्धारित किताबों के सेट खरीदने के लिए करना होगा, जिनमें मुख्यमंत्री की लिखी किताबें शामिल हैं।

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राज्य शिक्षा विभाग के दिशानिर्देशों के अनुसार, पुस्तकालयों के लिए किताबें खरीदने की सूची तैयार की गई है। इस सूची में पांच अलग-अलग सेट शामिल हैं, जिनमें ममता बनर्जी की लिखी 18 से 19 किताबें शामिल हैं। इन किताबों में प्रमुख हैं—दुआरे सरकार, शिशु मन, कलम, हमारा संविधान और कुछ बातें, कोलकाता का दुर्गा उत्सव, जागरण का बंगाल, और आमी। ये किताबें मुख्यमंत्री के राजनीतिक दर्शन, सामाजिक दृष्टिकोण, शिक्षा और संस्कृति से संबंधित विचारों राज्य के विभिन्न विकासात्मक योजनाओं का विवरण प्रस्तुत करती हैं।

राज्य सरकार का इस पहल का मुख्य उद्देश्य छात्रों में पठन संस्कृति को बढ़ावा देना और उन्हें राज्य की शासन व्यवस्था, संस्कृति और सरकारी योजनाओं के बारे में गहरी जानकारी प्रदान करना है। हालांकि, इस निर्णय को लेकर शिक्षकों, अभिभावकों और शिक्षाविदों के बीच मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोगों ने इस पहल का स्वागत किया है, उनका मानना है कि इससे छात्रों को राज्य के नेतृत्व के दृष्टिकोण और सरकारी योजनाओं की जानकारी मिलेगी। उदाहरण के लिए, दुआरे सरकार किताब में राज्य की जनकल्याणकारी योजनाओं का विस्तृत विवरण है, जो छात्रों के लिए शिक्षाप्रद हो सकता है।

दूसरी ओर, कुछ शिक्षाविदों और आलोचकों ने इस निर्णय की आलोचना की है। उनका कहना है कि पुस्तकालय में किताबों के चयन में और विविधता होनी चाहिए थी। केवल एक व्यक्ति की लिखी किताबों पर इतना जोर देना छात्रों के ज्ञान के दायरे को सीमित कर सकता है। उन्होंने सवाल उठाया है कि विश्व साहित्य, विज्ञान, इतिहास या अन्य विषयों की किताबों के बजाय मुख्यमंत्री की किताबों पर इतना ध्यान देना कितना उचित है।

राज्य के दिशानिर्देशों में यह भी उल्लेख किया गया है कि किताबें किन प्रकाशन संस्थानों से खरीदनी होंगी, यह भी निर्दिष्ट कर दिया गया है। इन प्रकाशकों में कुछ प्रसिद्ध संस्थान शामिल हैं, जो मुख्यमंत्री की किताबें प्रकाशित करते हैं। सरकार का दावा है कि इस नियम से खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहेगी। हालांकि, कुछ शिक्षक और स्कूल प्रबंधन का मानना है कि विशिष्ट प्रकाशकों से किताबें खरीदने की बाध्यता स्कूलों की स्वतंत्रता को कुछ हद तक सीमित करती है।

अनुदान राशि के उपयोग के लिए भी विस्तृत दिशानिर्देश दिए गए हैं। प्रत्येक स्कूल को 1 लाख रुपये में किताबें खरीदनी होंगी और शेष राशि का उपयोग पुस्तकालय की अन्य जरूरतों, जैसे—शेल्फ, अलमारी या पढ़ने की मेज खरीदने के लिए किया जा सकता है। इस राशि का हिसाब रखना होगा और इसे शिक्षा विभाग में जमा करना होगा।
इस पहल के माध्यम से राज्य सरकार छात्रों में पठन संस्कृति को बढ़ावा देना चाहती है। हालांकि, यह पहल कितनी सफल होगी और इसका छात्रों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह समय ही बताएगा।

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Black Money वापसी का वादा अतीत! मोदी युग में स्विस बैंकों में भारतीयों का भारी जमा https://ekolkata24.com/business/modis-black-money-recovery-promise-fades-as-swiss-bank-deposits-soar-in-2024 Fri, 20 Jun 2025 07:02:35 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51873 सत्ता में आने पर विदेश में जमा काले धन (Black Money ) को वापस लाएंगे—यह वादा लेकर 2014 में नरेंद्र मोदी सत्ता में आए। उस समय दावा किया गया था कि वापस लाए गए धन से हर भारतीय के बैंक खाते में 15 लाख रुपये जमा होंगे और देश के विकास में इसका उपयोग होगा। लेकिन यह वादा केवल एक चुनावी नारा बनकर रह गया। काले धन की वापसी का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में उठाया गया, फिर भी केंद्र सरकार चतुराई से अपनी जिम्मेदारी से बच निकली। आज भी विपक्षी दल 15 लाख रुपये के वादे को लेकर सरकार पर तंज कसते हैं। ऐसे में एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है—काला धन वापसी तो दूर, भारत से भारी मात्रा में पैसा स्विस बैंकों में जमा हो रहा है।

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स्विस नेशनल बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2024 में भारतीयों के स्विस बैंकों में जमा राशि तीन गुना बढ़कर 3.54 बिलियन स्विस फ्रैंक (लगभग 37,600 करोड़ रुपये) पहुंच गई है। यह 2021 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। आश्चर्यजनक बात यह है कि इस राशि का केवल 10% ही ग्राहकों के सीधे जमा से आया है; बाकी का हिस्सा बैंक चैनलों और अन्य वित्तीय संस्थानों के माध्यम से प्रवाहित हुआ है। यह तथ्य कई सवाल खड़े करता है—आखिर इतनी बड़ी राशि विदेश कैसे पहुंच रही है और यह पैसा देश के विकास में क्यों नहीं लगाया जा रहा?

भारत का काला धन लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि भारतीयों ने स्विस बैंकों में 1.06 से 1.40 ट्रिलियन डॉलर की अवैध राशि जमा की है। हालांकि, स्विस प्राधिकरण और स्विस बैंकर्स एसोसिएशन ने इन आंकड़ों को गलत और मनगढ़ंत बताया है। उनका कहना है कि भारतीयों का स्विस बैंकों में कुल जमा केवल 2 बिलियन डॉलर है। इन विरोधाभासी आंकड़ों के बावजूद, 2024 में हुई यह तीन गुना वृद्धि सरकार की काले धन नियंत्रण नीतियों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाती है।

2016 में नोटबंदी के जरिए काले धन पर लगाम लगाने की कोशिश की गई थी, लेकिन इसके परिणामों को लेकर अलग-अलग राय हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि नोटबंदी ने काले धन को पूरी तरह खत्म नहीं किया; बल्कि यह विदेश भेजने का नया रास्ता खोल दिया। स्विस बैंक के आंकड़े इस धारणा का समर्थन करते प्रतीत होते हैं। इसके अलावा, भारत सरकार ने 2010 से स्विट्जरलैंड के साथ डबल टैक्सेशन से बचने के समझौते को संशोधित कर काले धन की जांच की सुविधा बढ़ाई, फिर भी इसके परिणाम उत्साहजनक नहीं रहे।

इस स्थिति में जनता में चिंता बढ़ रही है। सोशल मीडिया पर यूजर्स सरकार की चुप्पी पर सवाल उठा रहे हैं। कुछ लोग मजाक में कह रहे हैं, “15 लाख रुपये देश में आने की बजाय, स्विस बैंकों में 37,600 करोड़ रुपये चले गए!” अन्य लोग सरकार की पारदर्शिता पर चर्चा कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस धन प्रवाह को रोकने के लिए सख्त कानूनी कदम और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की ईमानदार कोशिशें जरूरी हैं।

सरकार की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है। काला धन वापसी का वादा अब अतीत की बात बनता जा रहा है, और स्विस बैंकों में पैसा जमा होने की यह वृद्धि भारत की आर्थिक नीतियों और भ्रष्टाचार नियंत्रण की प्रभावशीलता पर नए सवाल खड़े करती है। जनता अब इंतजार कर रही है कि सरकार इस चुनौती का सामना कैसे करती है।

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सनी देओल का Jaat: क्या यह एक्शन थ्रिलर नेटफ्लिक्स पर रिकॉर्ड तोड़ेगा? https://ekolkata24.com/entertainment/sunny-deols-jaat-can-this-action-thriller-smash-netflix-streaming-records Sat, 14 Jun 2025 21:06:22 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51645 बॉलीवुड के एक्शन हीरो सनी देओल की नई फिल्म जाट (Jaat) 5 जून, 2025 को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो चुकी है और यह पहले ही दर्शकों के बीच जबरदस्त उत्साह पैदा कर चुकी है। गोपीचंद मालिनेनी के निर्देशन में बनी इस हाई-ऑक्टेन एक्शन थ्रिलर को हिंदी और तेलुगु में स्ट्रीम किया जा रहा है। सनी देओल के साथ रणदीप हुड्डा, रेजिना कैसेंड्रा, सायमि खेर, विनीत कुमार सिंह, रम्या कृष्णन, जगपति बाबू और अन्य कलाकारों ने इस फिल्म में अभिनय किया है। माइथ्री मूवी मेकर्स और पीपल मीडिया फैक्ट्री द्वारा निर्मित इस फिल्म ने थिएटर में रिलीज के बाद वैश्विक बॉक्स ऑफिस पर 118.78 करोड़ रुपये की कमाई की है। अब नेटफ्लिक्स पर इसकी रिलीज ने दर्शकों में नई उमंग भरी है।

जाट की कहानी एक काल्पनिक गांव के इर्द-गिर्द घूमती है, जहां रणतुंगा (रणदीप हुड्डा) नाम का एक क्रूर अपराधी राज करता है। सनी देओल का किरदार, एक रहस्यमयी अकेला व्यक्ति, इस गांव में प्रवेश करता है और अत्याचार के खिलाफ प्रतिरोध शुरू करता है। कहानी का केंद्र है सनी का “सॉरी बोल” डायलॉग, जो दर्शकों के बीच पहले ही वायरल हो चुका है। उनका आइकॉनिक “ढाई किलो का हाथ” डायलॉग—“इस ढाई किलो के हाथ की ताकत पूरा उत्तर भारत देख चुका है, अब दक्षिण देखेगा”—थिएटर में तालियां बटोर चुका है। थमन एस का बैकग्राउंड स्कोर और रिशी पंजाबी की सिनेमाटोग्राफी ने इस फिल्म के एक्शन सीन्स को और जीवंत बनाया है।

थिएटर में रिलीज के समय जाट को मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिलीं। कुछ ने सनी देओल के शानदार अभिनय और एक्शन सीन्स की तारीफ की, जबकि कुछ ने कहानी में गहराई की कमी और लंबे रनटाइम की आलोचना की। बॉलीवुड हंगामा ने इसे 3.5/5 रेटिंग दी और लिखा, “जाट एक विस्फोटक पैसे वसूल मनोरंजन है, जो सनी देओल की बिजली जैसी मौजूदगी और शक्तिशाली एक्शन दृश्यों के लिए दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेगा।” हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस ने इसे 1.5/5 रेटिंग दी और कहा, “अत्यधिक हिंसा और कहानी में सुसंगतता की कमी ने इस फिल्म को कमजोर किया है।” नेटफ्लिक्स पर रिलीज के बाद यह भारत में नंबर 1 ट्रेंडिंग फिल्म बन चुकी है, जो इसकी लोकप्रियता का संकेत देता है।

नेटफ्लिक्स पर जाट ने पहले सप्ताह में 4.1 मिलियन व्यू और 10.3 मिलियन घंटे का वॉच टाइम दर्ज किया, जिसने इसे ग्लोबल टॉप 10 चार्ट में 4 नंबर पर पहुंचा दिया। यह हिट द थर्ड केस जैसे हाल के ओटीटी हिट्स से थोड़ा पीछे रहा, लेकिन सनी देओल के प्रशंसक इसे सलमान खान की सिकंदर से बेहतर मान रहे हैं। एक्स पर प्रशंसकों ने उत्साह जताते हुए लिखा, “जाट 90 के दशक के सनी देओल की वापसी है। यह एक शुद्ध मास एंटरटेनर है, जो दर्शकों को भावुक कर देता है।” एक अन्य ने लिखा, “रणदीप हुड्डा का खलनायक किरदार और सनी का एक्शन इस फिल्म को जरूर देखने योग्य बनाता है।” हालांकि, कुछ दर्शकों ने शिकायत की कि फिल्म की कहानी अत्यधिक सरल है और संवाद अति-नाटकीय हैं।

जाट की सफलता ने सनी देओल के गदर 2 के बाद उनके कमबैक की निरंतरता को बनाए रखा है। गदर 2 की अपार सफलता के बाद, जाट ने प्रशंसकों में उच्च उम्मीदें जगाई थीं। यह फिल्म सिंगल-स्क्रीन दर्शकों के बीच खास तौर पर लोकप्रिय रही, जो सनी के बड़े व्यक्तित्व और एक्शन सीन्स का आनंद ले रहे हैं। हालांकि, मल्टीप्लेक्स दर्शकों में यह उतना आकर्षण नहीं पैदा कर सकी। नेटफ्लिक्स पर इसकी रिलीज ने इस फिल्म को व्यापक दर्शकों तक पहुंचाया, खासकर तेलुगु दर्शकों तक, जिन्हें थिएटर में इसे देखने का मौका नहीं मिला।

प्रशंसक अब जाट 2 की घोषणा से उत्साहित हैं। सनी देओल ने खुद कहा है कि अगर दर्शक इस किरदार को पसंद करते हैं, तो सीक्वल बनाया जाएगा। एक्स पर एक प्रशंसक ने लिखा, “जाट ने नेटफ्लिक्स पर तूफान मचा दिया है। सनी पाजी अपनी पुरानी फॉर्म में लौट आए हैं।” क्या जाट नेटफ्लिक्स के रिकॉर्ड तोड़ेगा? यह अब समय पर निर्भर करता है। लेकिन, सनी देओल का एक्शन और गोपीचंद मालिनेनी का मास एंटरटेनर फॉर्मूला इस फिल्म को एक अवश्य देखने योग्य बनाता है।

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Jaigaon एमजी रोड की मरम्मत का जिम्मा राज्य पीडब्ल्यूडी ने लिया, जल्द शुरू होगा काम https://ekolkata24.com/west-bengal/west-bengal-pwd-takes-over-jaigaon-mg-road-repair-work-to-begin-soon Wed, 11 Jun 2025 18:20:15 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51368 अयान दे, अलीपुरद्वार: जयगांव (Jaigaon) शहर की महत्वपूर्ण एमजी रोड की मरम्मत का जिम्मा अब आधिकारिक रूप से राज्य लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने ले लिया है। हाल ही में इस सड़क की खराब स्थिति को लेकर स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने चिंता जताई थी। स्थिति का जायजा लेने के लिए शिलिगुड़ी और अलीपुरद्वार डिवीजन के पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने इस दिन एमजी रोड का दौरा किया। सड़क की मापजोख की गई, और जल्द ही मरम्मत कार्य शुरू होने का आश्वासन दिया गया है।

हाल ही में इस सड़क की समस्याओं को उठाने के दौरान जयगांव विकास प्राधिकरण (जेडीए) के चेयरमैन गंगा प्रसाद शर्मा को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कड़ी फटकार सुननी पड़ी थी। इसके बाद सड़क के काम को लेकर स्थानीय लोगों और व्यापारियों के मन में कई आशंकाएं थीं। दिन-ब-दिन सड़क की समस्याएं और जटिल होती जा रही थीं। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए गंगा प्रसाद शर्मा ने कोलकाता में पीडब्ल्यूडी मंत्री से बातचीत की। इसके बाद सड़क की मरम्मत के लिए आवश्यक मंजूरी प्राप्त हुई।

इस साल की शुरुआत में जयगांव विकास प्राधिकरण ने इस सड़क की मरम्मत का जिम्मा लिया था। लगभग 4 करोड़ रुपये की लागत से इस सड़क के पुनर्निर्माण की योजना बनाई गई थी। टूटी-फूटी सड़क से निजात पाने की उम्मीद में जयगांव के निवासी उत्साहित थे। लेकिन पिछले तीन सालों से एमजी रोड की स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है। एमजी रोड से बाउबाजार भूटान गेट तक लगभग 700 मीटर की सड़क में असंख्य गड्ढे हैं। छोटे-बड़े गड्ढों से भरी यह सड़क अब मौत का जाल बन चुकी है।

एमजी रोड एक टू-वे सड़क है, जो सीधे बाउबाजार भूटान गेट की ओर जाती है और दाहिनी ओर मुड़ने पर लिंक रोड की ओर। भूटान गेट के कारण यह सड़क जयगांव शहर की सबसे महत्वपूर्ण सड़कों में से एक है। स्थानीय लोगों और व्यापारियों का कहना है कि सर्दियों में इस सड़क पर धूल उड़ती है, और बरसात में गड्ढों में जमा पानी तालाब का रूप ले लेता है। इन पानी से भरे गड्ढों में अगर किसी वाहन का पहिया फंस जाए, तो आसपास के व्यापारियों और गैरेज कर्मियों की मदद लेनी पड़ती है। व्यापारियों ने एक-दो बार छोटे पत्थर और रेत डालकर गड्ढों को भरने की कोशिश की, लेकिन भारी बारिश में यह भी बह जाता है। हाल ही में इस सड़क पर एक के बाद एक दुर्घटनाएं हो रही हैं, जो स्थानीय लोगों के लिए गंभीर चिंता का कारण बन गई हैं।

निरीक्षण के बाद जेडीए चेयरमैन गंगा प्रसाद शर्मा ने कहा, “जेडीए के लिए इतना बड़ा काम संभव नहीं था। लेकिन यह काम बहुत जरूरी था। राज्य सरकार ने हमारी बात सुनी है। अब काम शुरू होगा, और स्थानीय लोगों को सुविधा मिलेगी। यही हमारा लक्ष्य है।”

इस पहल से जयगांव के निवासियों में उम्मीद जगी है। लंबे इंतजार के बाद एमजी रोड की मरम्मत शुरू होने से क्षेत्र की यातायात व्यवस्था और व्यावसायिक गतिविधियों में उल्लेखनीय सुधार की उम्मीद है।

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आमिर खान ला सकते हैं ओटीटी पर बड़ा धमाका https://ekolkata24.com/entertainment/aamir-khans-next-move-big-budget-period-drama-or-political-thriller-for-netflix-or-amazon Sun, 08 Jun 2025 22:00:14 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51185 बॉलीवुड के ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ आमिर खान (Aamir Khan) हमेशा अपने अप्रत्याशित और साहसिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में, उन्होंने बॉलीवुड के मौजूदा बिजनेस मॉडल पर चिंता जताई, जिसमें थिएटर में रिलीज होने वाली फिल्में कुछ ही हफ्तों में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हो जाती हैं। उनका मानना है कि यह तेजी से होने वाली ओटीटी रिलीज थिएटर में दर्शकों की उपस्थिति को प्रभावित कर रही है। इस पृष्ठभूमि में, इंडस्ट्री में चर्चा है कि आमिर अपने अगले प्रोजेक्ट के रूप में एक हाई-बजट ओटीटी सीरीज पर काम कर सकते हैं, संभवतः नेटफ्लिक्स या अमेजन प्राइम वीडियो के लिए। अफवाहें हैं कि यह एक पीरियड ड्रामा या सामाजिक-राजनीतिक थ्रिलर हो सकता है, जो उनकी विशिष्ट शैली में गहरे संदेश और उच्च-स्तरीय कहानी कहने का मिश्रण होगा।

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आमिर का विजन: थिएटर बनाम ओटीटी
आमिर खान ने हाल ही में अपनी आगामी फिल्म सितारे जमीं पर का जिक्र करते हुए कहा कि यह केवल थिएटर में रिलीज होगी, न कि ओटीटी या यूट्यूब पे-पर-व्यू पर। उन्होंने कहा, “मैं थिएटर के अनुभव को जिंदा रखना चाहता हूं।” उन्होंने आगे बताया कि वर्तमान में ओटीटी प्लेटफॉर्म फिल्मों को रिलीज के कुछ हफ्तों बाद ही उपलब्ध करा रहे हैं, जिससे दर्शक थिएटर जाने की प्रेरणा खो रहे हैं। हालांकि, इंडस्ट्री विशेषज्ञों का मानना है कि आमिर ओटीटी की संभावनाओं को पूरी तरह नजरअंदाज नहीं कर रहे हैं। खबर है कि वह एक ऐसे प्रोजेक्ट की योजना बना रहे हैं, जो ओटीटी की वैश्विक पहुंच का लाभ उठाकर अंतरराष्ट्रीय दर्शकों तक पहुंचेगा।

इंडस्ट्री विशेषज्ञों के अनुसार, आमिर का यह दोहरा दृष्टिकोण—थिएटर की परंपरा को बनाए रखना और ओटीटी की संभावनाओं का उपयोग करना—बॉलीवुड के भविष्य के बिजनेस मॉडल के लिए एक नई दिशा निर्धारित कर सकता है। फिल्ममेकर राकेश शर्मा कहते हैं, “आमिर हमेशा जोखिम लेने से नहीं डरते। अगर वह एक ओटीटी सीरीज पर काम करते हैं, तो यह निश्चित रूप से कहानी कहने के क्षेत्र में नए मानदंड स्थापित करेगा।”

संभावित ओटीटी प्रोजेक्ट: पीरियड ड्रामा या सामाजिक थ्रिलर?
इंडस्ट्री में चर्चा है कि आमिर खान एक बड़े बजट की ओटीटी सीरीज पर काम कर रहे हैं, जो एक ऐतिहासिक पीरियड ड्रामा या सामाजिक-राजनीतिक थ्रिलर हो सकता है। इस तरह के प्रोजेक्ट आमिर की शैली के साथ पूरी तरह मेल खाते हैं, क्योंकि वह हमेशा सामाजिक मुद्दों और मजबूत कहानियों के मिश्रण में माहिर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, उनके पिछले काम जैसे लगान, रंग दे बसंती और दंगल दिखाते हैं कि वह ऐतिहासिक और समाज-केंद्रित कहानियों को बखूबी पेश कर सकते हैं।

खबर है कि आमिर की टीम पहले से ही नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम वीडियो के साथ चर्चा शुरू कर चुकी है। एक सूत्र ने बताया, “आमिर ऐसा प्रोजेक्ट चाहते हैं जो न केवल भारतीय दर्शकों को, बल्कि अंतरराष्ट्रीय दर्शकों को भी आकर्षित करे। वह महाभारत जैसे महाकाव्यिक कथानक या एक समकालीन राजनीतिक थ्रिलर पर काम कर सकते हैं।” हालांकि, ये प्रोजेक्ट अभी प्रारंभिक चरण में हैं और आधिकारिक घोषणा का इंतजार करना होगा।

थिएटर और ओटीटी का संतुलन
आमिर के हालिया बयानों से स्पष्ट है कि वह थिएटर के महत्व पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने कहा, “अगर थिएटर का बिजनेस खत्म हो गया, तो हमें भविष्य के बारे में सोचना होगा।” लेकिन, वह ओटीटी की संभावनाओं को पूरी तरह खारिज नहीं कर रहे हैं। इंडस्ट्री विशेषज्ञों का मानना है कि आमिर संभवतः एक ऐसे मॉडल की ओर बढ़ रहे हैं, जिसमें थिएटर में लंबे रन के बाद फिल्म या सीरीज ओटीटी पर रिलीज होगी। इससे दर्शकों को थिएटर जाने की प्रेरणा मिलेगी और ओटीटी के माध्यम से व्यापक दर्शकों तक पहुंचना संभव होगा।

बॉलीवुड के मौजूदा परिदृश्य में, जहां दक्षिण भारतीय फिल्में और हॉलीवुड कंटेंट बॉलीवुड को चुनौती दे रहे हैं, आमिर का यह कदम महत्वपूर्ण है। अगर वह एक ओटीटी सीरीज पर काम करते हैं, तो यह बॉलीवुड के लिए नए दरवाजे खोल सकता है। इंडस्ट्री एनालिस्ट सुजीत वर्मन कहते हैं, “आमिर के प्रोजेक्ट हमेशा इंडस्ट्री में नए ट्रेंड सेट करते हैं। अगर उनकी ओटीटी सीरीज सफल होती है, तो अन्य निर्माता भी इस रास्ते पर चल सकते हैं।”

आमिर खान के अगले कदम को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। क्या वह एक महाकाव्यिक पीरियड ड्रामा या सामाजिक-राजनीतिक थ्रिलर के साथ ओटीटी पर डेब्यू करेंगे? या फिर वह थिएटर पर ही फोकस करेंगे? जो भी हो, आमिर के प्रोजेक्ट हमेशा दर्शकों के लिए एक अनुभव होते हैं। उनका अगला कदम निस्संदेह बॉलीवुड के भविष्य को आकार देगा।

 

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बंगाली दादी माँ के नुस्खे आज भी कमाल करते हैं https://ekolkata24.com/lifestyle/bengali-grandmothers-kitchen-secrets-west-bengals-best-cooking-hacks Sun, 08 Jun 2025 21:02:17 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51178 Grandmothers’ Kitchen Secrets: बंगाली रसोई केवल खाना बनाने की जगह नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी विरासत का केंद्र है, जहां पीढ़ी-दर-पीढ़ी खाना पकाने की तकनीक और गुप्त रेसिपी हस्तांतरित की जाती हैं। पश्चिम बंगाल की रसोई में बंगाली दादी-नानी ने अपने अनुभव और ज्ञान से ऐसी तकनीकें छोड़ी हैं, जो आज भी आधुनिक रसोई में उपयोगी हैं। ये तकनीकें न केवल समय और मेहनत बचाती हैं, बल्कि खाने के स्वाद और पोषण मूल्य को भी बढ़ाती हैं। आइए, बंगाली दादी-नानी से मिली पांच प्रभावी रसोई तकनीकों के बारे में जानें, जो आज भी प्रासंगिक हैं।

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1. सरसों के तेल का सही उपयोग
बंगाली खाने में सरसों का तेल एक अनिवार्य सामग्री है। दादी-नानी ने सिखाया कि सरसों के तेल की तीखी गंध को कम करने और खाने में इसका स्वाद उभारने के लिए तेल को अच्छी तरह गर्म करके धुआं निकलने तक इंतजार करना चाहिए। इसके बाद तेल को ठंडा करके उसमें तड़का लगाया जाता है। यह तकनीक इलाइश मछली के झोल या शाक भजिया जैसे व्यंजनों में अद्भुत स्वाद लाती है। इसके अलावा, दादी-नानी तेल में एक प्याज का टुकड़ा डालकर तेल का तापमान जांचती थीं। यदि प्याज जल्दी भूरा हो जाए, तो तेल तलने के लिए तैयार है। यह तेल की बर्बादी रोकता है और खाने की गुणवत्ता बनाए रखता है।

2. पंचफोरन का जादू
बंगाली खाने में पंचफोरन (पांच मसालों का मिश्रण: जीरा, सौंफ, मेथी, कलौंजी, और राधुनी) का विशेष स्थान है। दादी-नानी ने सिखाया कि पंचफोरन को सूखा भूनकर या तेल में तड़का देकर इस्तेमाल करने से इसकी सुगंध सबसे अधिक उभरती है। उदाहरण के लिए, शुक्तो या चचोड़ी जैसे व्यंजनों में पंचफोरन का तड़का लगाने से पहले मसालों को हल्का भून लेने से स्वाद दोगुना हो जाता है। इसके अलावा, दादी-नानी घर पर ही पंचफोरन तैयार करती थीं, ताकि मसालों की ताजगी बनी रहे। यह तकनीक आज भी कई बंगाली रसोई में उपयोग की जाती है।

3. सिलनोड़ा का उपयोग
आधुनिक मिक्सर-ग्राइंडर के युग में सिलनोड़ा का उपयोग कम हुआ है, लेकिन दादी-नानी ने इसके महत्व को सिखाया। सिलनोड़ा पर प्याज, अदरक, लहसुन, या मसाले पीसने से मसालों का असली स्वाद और सुगंध बरकरार रहता है। उदाहरण के लिए, मछली के झोल या मांस के कोषा में सिलनोड़ा पर पीसे मसाले इस्तेमाल करने से खाने का स्वाद अनोखा होता है। दादी-नानी कहती थीं, “सिलनोड़ा पर पीसा मसाला रसोई में जान डालता है।” इसके अलावा, सिलनोड़ा में थोड़ा पानी मिलाकर मसाले पीसने से वे आसानी से घुल जाते हैं और खाना पकाने का समय कम होता है।

4. बासी खाने का पुनः उपयोग
बंगाली दादी-नानी बासी खाने को बर्बाद न करके उसे नए रूप में पकाने की तकनीक जानती थीं। उदाहरण के लिए, बासी चावल से वे पांता भात बनाती थीं, जो गर्मी में शरीर को ठंडा रखता है। बासी चावल में प्याज, हरी मिर्च, सरसों का तेल, और नींबू का रस मिलाकर एक स्वादिष्ट व्यंजन तैयार होता है। इसके अलावा, बासी दाल से दालना या खट्टा दाल बनाया जाता था। यह तकनीक न केवल खाने की बर्बादी रोकती है, बल्कि बजट के भीतर स्वादिष्ट खाना बनाने का रास्ता दिखाती है।

5. पीठे-पुली की विरासत
बंगाली रसोई में पीठे-पुली का विशेष स्थान है। दादी-नानी सर्दियों में चावल का आटा, नारियल, और गुड़ से पाटीशाप्टा या चितई पीठे बनाती थीं। यह तकनीक न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि पौष्टिक भी है। दादी-नानी ने सिखाया कि चावल के आटे में थोड़ा गर्म पानी मिलाकर पीठे का बैटर बनाने से यह नरम और पतला होता है। इसके अलावा, नारियल का भरावन बनाते समय गुड़ की जगह चीनी इस्तेमाल करने से पीठे लंबे समय तक ताजा रहता है। यह तकनीक आज भी पीठे बनाने में उपयोग की जाती है।

सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व
ये तकनीकें केवल रसोई की सुविधा के लिए नहीं हैं, बल्कि बंगाली संस्कृति का हिस्सा हैं। दादी-नानी अपनी रसोई में परिवार के सदस्यों को एकजुट करती थीं और खाने के माध्यम से प्यार जताती थीं। ये तकनीकें आर्थिक रूप से भी किफायती हैं, क्योंकि ये स्थानीय सामग्री और साधारण खाना पकाने की विधियों पर निर्भर करती हैं। उदाहरण के लिए, गीरा शाक या सलूक जैसे स्थानीय सामग्री का उपयोग करके खाना बनाया जाता था, जो 1943 के बंगाल अकाल के दौरान जीवन रक्षक साबित हुआ।

बंगाली दादी-नानी से मिली ये रसोई तकनीकें आज भी पश्चिम बंगाल की रसोई में जीवंत हैं। सरसों के तेल का सही उपयोग, पंचफोरन का जादू, सिलनोड़ा का उपयोग, बासी खाने का पुनः उपयोग, और पीठे-पुली की विरासत बंगाली खाने की विशिष्टता को बनाए रखती हैं। ये तकनीकें न केवल खाने का स्वाद बढ़ाती हैं, बल्कि परिवार के सदस्यों को एकजुट करती हैं और पर्यावरण व अर्थव्यवस्था के प्रति जागरूकता पैदा करती हैं। इसलिए, आधुनिक रसोई में इन पारंपरिक तकनीकों को अपनाकर हम अपनी दादी-नानी के प्रति सम्मान व्यक्त कर सकते हैं।

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गूगल सर्च ट्रेंड्स: 8th Pay Commission अब भारतीयों का शीर्ष सवाल https://ekolkata24.com/business/why-the-8th-pay-commission-is-now-a-top-google-query-in-india Sun, 08 Jun 2025 20:38:24 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51175 कोलकाता, 9 जून 2025: भारतीय केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के बीच आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को लेकर उत्साह चरम पर है। गूगल सर्च ट्रेंड्स के हालिया आंकड़ों के अनुसार, ‘आठवां वेतन आयोग’ अब भारतीयों के बीच सबसे लोकप्रिय खोजों में से एक है। जनवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा इस आयोग के गठन को मंजूरी देने के बाद से, लगभग 49 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारी और 68 लाख पेंशनभोगी इसके लाभों का इंतजार कर रहे हैं। इस आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना है, और यह वेतन, भत्तों और पेंशन ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा। आइए, इस विषय पर विस्तार से जानें।

Read Bengali : গুগল সার্চ ট্রেন্ডসে অষ্টম বেতন কমিশন এখন ভারতীয়দের শীর্ষ প্রশ্ন

आठवां वेतन आयोग क्यों महत्वपूर्ण है?
हर दस साल में गठित वेतन आयोग केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों की समीक्षा करता है। सातवां वेतन आयोग 2016 में लागू हुआ था, जिसने न्यूनतम मासिक वेतन को 7,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये किया था। इस आयोग का फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जो वेतन वृद्धि के लिए एक गुणक के रूप में काम करता है। आठवें वेतन आयोग के लिए फिटमेंट फैक्टर 2.28 से 2.86 के बीच होने की अटकलें हैं। यदि फिटमेंट फैक्टर 2.86 होता है, तो न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर लगभग 51,480 रुपये हो सकता है। पेंशनभोगियों के लिए न्यूनतम पेंशन 9,000 रुपये से बढ़कर 25,740 रुपये हो सकती है।

गूगल सर्च में बढ़ती रुचि
गूगल सर्च ट्रेंड्स इंगित करता है कि आठवें वेतन आयोग से संबंधित सवाल, जैसे “आठवें वेतन आयोग की वेतन वृद्धि”, “फिटमेंट फैक्टर” और “लागू होने की तारीख”, भारतीयों के बीच व्यापक रुचि का विषय बन गए हैं। जनवरी 2025 में इस आयोग की घोषणा के बाद से, विशेष रूप से दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में इस विषय पर सर्च की मात्रा बढ़ी है। कर्मचारी यूनियनों की मांगों और सरकार की घोषणाओं के बाद से यह विषय सोशल मीडिया पर, खासकर एक्स प्लेटफॉर्म पर, व्यापक रूप से चर्चा में है।

संभावित वेतन वृद्धि और भत्ते
विशेषज्ञों के अनुसार, आठवें वेतन आयोग के माध्यम से वेतन में 20% से 35% तक की वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, महंगाई भत्ता (डीए), मकान किराया भत्ता (एचआरए), और परिवहन भत्ता (टीए) की समीक्षा की जाएगी। हाल ही में, केंद्र सरकार ने महंगाई भत्ते को 53% से बढ़ाकर 55% किया है, जो कर्मचारियों के वेतन का एक हिस्सा है। आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों से ये भत्ते और बढ़ सकते हैं, जो कर्मचारियों को बढ़ती जीवन-यापन लागत से निपटने में मदद करेंगे।

पेंशनभोगियों के लिए लाभ
आठवां वेतन आयोग केवल कार्यरत कर्मचारियों के लिए ही नहीं, बल्कि पेंशनभोगियों के लिए भी महत्वपूर्ण है। लगभग 68 लाख पेंशनभोगी इस आयोग की सिफारिशों से लाभान्वित होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि पेंशन में 30% तक की वृद्धि हो सकती है, जो सेवानिवृत्त कर्मचारियों को आर्थिक स्थिरता प्रदान करेगा। एकीकृत पेंशन योजना के तहत पेंशन गणना की प्रक्रिया भी बदल सकती है।

आर्थिक प्रभाव
आठवें वेतन आयोग का कार्यान्वयन देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “यह आयोग कर्मचारियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाएगा और उपभोग को बढ़ावा देगा।” अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वेतन वृद्धि से कर्मचारियों की क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे उपभोक्ता वस्तुओं की मांग और आर्थिक विकास में तेजी आएगी। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि वेतन वृद्धि से सरकारी वित्तीय बोझ बढ़ सकता है, जिसके लिए सरकार को सावधानीपूर्वक बजट नियोजन करना होगा।

चुनौतियां और अपेक्षाएं
आठवें वेतन आयोग के गठन को लेकर कुछ चुनौतियां भी हैं। कर्मचारी यूनियनों ने उच्च फिटमेंट फैक्टर और 18 महीने के बकाया महंगाई भत्ते की मांग की है। राष्ट्रीय परामर्शदात्री तंत्र परिषद (एनसी-जेसीएम) एक सामान्य ज्ञापन तैयार कर रहा है, जिसमें फिटमेंट फैक्टर, न्यूनतम मजदूरी, और पेंशन लाभों की मांग शामिल है। हालांकि, पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा है कि 2.86 जैसे उच्च फिटमेंट फैक्टर को लागू करना “असंभव” हो सकता है। उनका मानना है कि फिटमेंट फैक्टर 1.92 से 2.08 के बीच हो सकता है, जिससे न्यूनतम वेतन 34,560 से 37,440 रुपये तक बढ़ सकता है।

आठवां वेतन आयोग भारतीय केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए नई आशा की किरण लेकर आया है। गूगल सर्च ट्रेंड्स में इसकी लोकप्रियता यह साबित करती है कि यह न केवल कर्मचारियों के लिए, बल्कि आम जनता के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है। वेतन वृद्धि, भत्तों की समीक्षा, और पेंशन लाभों के माध्यम से यह आयोग अर्थव्यवस्था में गति लाएगा। हालांकि, सरकार को कर्मचारियों की मांगों और वित्तीय सीमाओं के बीच संतुलन बनाना होगा। जनवरी 2026 एक नए आर्थिक युग की शुरुआत का इंतजार कर रहा है।

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कोलकाता के जोड़े 2025 में शहरी रिश्तों को कैसे नया रूप दे रहे हैं https://ekolkata24.com/lifestyle/urban-love-redefined-how-kolkata-couples-are-changing-relationships-in-2025 Sun, 08 Jun 2025 18:43:39 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51155 कोलकाता (Kolkata)! जिसे ‘जॉय ऑफ सिटी’ के नाम से जाना जाता है, न केवल अपनी विरासत और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि रिश्तों के नए आयाम स्थापित करने के लिए भी चर्चा में है। 2025 में कोलकाता के जोड़े शहरी रिश्तों की परिभाषा को फिर से लिख रहे हैं। पारंपरिक विवाह, लिव-इन रिलेशनशिप, पॉलीएमरी, और तकनीक की सहायता से रिश्तों में नई गहराई—इस शहर के युवा जोड़े सामाजिक मानदंडों को तोड़कर अपना रास्ता बना रहे हैं। इस बदलाव के पीछे सामाजिक उदारता, तकनीक का प्रभाव, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर बढ़ता जोर है।

तकनीक की भूमिका: रिश्तों का नया साथी
कोलकाता के जोड़े डिजिटल युग में अपने रिश्तों को और गहरा करने के लिए तकनीक पर निर्भर हो रहे हैं। 2025 में भारत का पहला रिलेशनशिप-केंद्रित ऐप ‘सुपरकपल’ लॉन्च हुआ है, जो जोड़ों के बीच संचार को बेहतर करने और भावनात्मक बंधन को मजबूत करने में मदद कर रहा है। यह ऐप कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग करके जोड़ों के लिए निजी चैट, गेमिफाइड टास्क, और वॉयस जर्नलिंग जैसे फीचर्स प्रदान करता है। यह कोई थेरेपी ऐप नहीं है, बल्कि एक लाइफस्टाइल प्लेटफॉर्म है, जो जोड़ों को रोजमर्रा की जिंदगी में मजेदार और अर्थपूर्ण पल बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। सुपरकपल के संस्थापक शंकर कहते हैं, “हम थेरेपी को प्रतिस्थापित नहीं कर रहे, बल्कि रिश्तों में भावनात्मक दूरी को कम करने में मदद कर रहे हैं।” इंडियन जर्नल ऑफ साइकियाट्री के अनुसार, शहर के 35% जोड़े भावनात्मक दूरी की समस्या से जूझ रहे हैं, और पिछले पांच वर्षों में रिलेशनशिप-संबंधी सहायता के लिए गूगल सर्च में 200% की वृद्धि हुई है।

लिव-इन रिलेशनशिप: नई स्वतंत्रता का प्रतीक
कोलकाता में लिव-इन रिलेशनशिप की स्वीकार्यता बढ़ रही है। हालांकि यह अभी भी रूढ़िवादी समाज में कुछ हद तक वर्जित है, युवा पीढ़ी पारंपरिक विवाह की अवधारणा के बजाय लिव-इन रिलेशनशिप को चुन रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में कहा था कि लंबे समय तक एक साथ रहने वाले जोड़ों को कानूनी रूप से विवाहित माना जा सकता है, और उन्हें घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत संरक्षण दिया जा सकता है। कोलकाता के न्यूटाउन, राजारहाट, और साल्टलेक जैसे क्षेत्रों में लिव-इन जोड़े अपने लिए उपयुक्त आवास ढूंढ रहे हैं, हालांकि कुछ को-ऑपरेटिव अपार्टमेंट अभी भी रूढ़िवादी नीतियों का पालन करते हैं। उदाहरण के लिए, सॉफ्टवेयर इंजीनियर रश्मि (छद्मनाम) कहती हैं, “हम विवाह के बाहर रिश्ते में रहना चाहते हैं, लेकिन हमारा प्यार और आपसी सम्मान अटूट है।”

पॉलीएमरी: रिश्तों का नया आयाम
कोलकाता में पॉलीएमरी या एक से अधिक रोमांटिक रिश्तों की अवधारणा भी धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है। जादवपुर विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के प्रोफेसर अमितेश मुखोपाध्याय कहते हैं, “पॉलीएमरी सामाजिक मानदंडों के खिलाफ जाकर व्यक्तिगत स्वतंत्रता का प्रतिनिधित्व करता है।” 2012 में कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित ‘थ्री ऑन ए बेड’ नामक शॉर्ट फिल्म ने इस विषय पर नया दृष्टिकोण पेश किया था। यह दिखाता है कि कोलकाता के युवा जोड़े अपने रिश्तों में खुलापन और पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

रोमांटिक स्थान: प्यार का नया कैनवास
कोलकाता के जोड़े अपने रिश्तों को जीवंत रखने के लिए शहर के रोमांटिक स्थानों को चुन रहे हैं। प्रिंसेप घाट, इको पार्क, रवींद्र सरोवर, और मिलेनियम पार्क जैसे स्थान जोड़ों के लिए पसंदीदा गंतव्य हैं। प्रिंसेप घाट पर हुगली नदी के किनारे नाव की सैर या सूर्यास्त देखना, इको पार्क में प्रकृति के बीच टहलना, या बॉटैनिकल गार्डन में पेड़ों की छांव में शांत पल बिताना—ये सभी जोड़ों के बीच रोमांस को जगाने में मदद कर रहे हैं। इसके अलावा, गंगा पर हेरिटेज क्रूज या गब्बार्स बार एंड किचन जैसे रेस्तरां में बॉलीवुड की छटा के साथ रोमांटिक डिनर जोड़ों के लिए नया अनुभव है।

समाज का दृष्टिकोण और चुनौतियां
हालांकि कोलकाता के युवा जोड़े रिश्तों की नई अवधारणाओं को अपना रहे हैं, समाज का रूढ़िवादी हिस्सा अभी भी इन बदलावों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। 2025 में ओयो होटलों ने अविवाहित जोड़ों के लिए नई नीति लागू की है, जिसमें रिश्ते का वैध प्रमाण दिखाना होगा। फिर भी, युवा इन प्रतिबंधों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे हैं।

कोलकाता के जोड़े 2025 में शहरी रिश्तों को नया रूप दे रहे हैं। तकनीक का उपयोग, लिव-इन रिलेशनशिप, और पॉलीएमरी जैसी नई अवधारणाओं के माध्यम से वे सामाजिक सीमाओं को तोड़ रहे हैं। शहर के रोमांटिक स्थान उनके प्यार को और रंगीन बना रहे हैं। हालांकि समाज का एक हिस्सा अभी भी इन बदलावों को स्वीकार करने में हिचक रहा है, कोलकाता की युवा पीढ़ी अपनी स्वतंत्रता और प्यार के अधिकार के लिए अडिग है। इस शहर में प्यार अब केवल दिल की बात नहीं है, यह स्वतंत्रता, पारदर्शिता, और आधुनिकता का प्रतीक है।

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৫০১ পরিবার কর্মহীন! ভরা মরশুমে তালা পড়ল তুরতুরি চা বাগানে https://ekolkata24.com/business/%e0%a7%ab%e0%a7%a6%e0%a7%a7-%e0%a6%aa%e0%a6%b0%e0%a6%bf%e0%a6%ac%e0%a6%be%e0%a6%b0-%e0%a6%95%e0%a6%b0%e0%a7%8d%e0%a6%ae%e0%a6%b9%e0%a7%80%e0%a6%a8-%e0%a6%ad%e0%a6%b0%e0%a6%be-%e0%a6%ae%e0%a6%b0 Sat, 07 Jun 2025 08:35:44 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51124 অয়ন দে, আলিপুরদুয়ার: ভরা চা মরশুমে হঠাৎ বন্ধ হয়ে গেছে আলিপুরদুয়ার জেলার তুরতুরি চা বাগান (Turuturi Tea Estate Shuts Down)। শুক্রবার গভীর রাতে কোনো পূর্ব ঘোষণা ছাড়াই বাগানের মালিকপক্ষ প্রতিষ্ঠান ত্যাগ করে চলে যায়, যা ৫০১ শ্রমিক পরিবারের জন্য একটি মর্মান্তিক ধাক্কা হয়ে দাঁড়িয়েছে। শনিবার সকালে নিয়মমাফিক কাজে যোগ দিতে এসে শ্রমিকরা বাগানের প্রধান দরজায় ঝোলানো “Suspension of Work” নোটিশ দেখে হতবাক হয়ে পড়েন। এই অপ্রত্যাশিত ঘটনায় বাগান চত্বরে এখন হতাশা, ক্ষোভ এবং অনিশ্চয়তার ছায়া। চা পাতা তোলার মৌসুমের শীর্ষে এই বন্ধের ঘোষণা শ্রমিকদের জীবিকার উপর গভীর প্রভাব ফেলেছে।

ঘটনার পটভূমি
তুরতুরি চা বাগান আলিপুরদুয়ার ২ নম্বর ব্লকে অবস্থিত এবং এখানে ৫০১ জন শ্রমিক কাজ করেন। স্থানীয় সূত্রে জানা গেছে, গত কয়েক সপ্তাহ ধরে শ্রমিকদের মজুরি প্রদানে বিলম্বের সমস্যা চলছিল। দুই পাক্ষিকের মজুরি বকেয়া থাকা সত্ত্বেও মালিকপক্ষ এই বিষয়ে কোনো সমাধানের উদ্যোগ নেয়নি। শ্রমিকরা জানান, মালিকপক্ষের কাছে বারবার মজুরি পরিশোধের দাবি জানানো হলেও কোনো সাড়া মেলেনি। ফলে, শ্রমিকদের মধ্যে ক্ষোভ বাড়ছিল। এই পরিস্থিতিতে শুক্রবার রাতে মালিকপক্ষ নীরবে বাগান ত্যাগ করে, এবং পরদিন সকালে নোটিশ টাঙিয়ে কাজ বন্ধের ঘোষণা দেয়।

শ্রমিকদের প্রতিক্রিয়া
চা মরশুমের মাঝে এমন সিদ্ধান্তে শ্রমিকরা হতাশ এবং ক্ষুব্ধ। এক শ্রমিক বলেন, “আমরা প্রতিদিন কঠোর পরিশ্রম করে চা পাতা তুলছি। কিন্তু মজুরি না পাওয়ায় আমাদের পরিবার চালানো কঠিন হয়ে পড়েছে। এখন বাগান বন্ধ হওয়ায় আমাদের ভবিষ্যৎ অন্ধকার।” তৃণমূল চা শ্রমিক ইউনিয়নের সভাপতি বীরেন্দ্র বারা জানান, শ্রমিকরা তাদের প্রাপ্য মজুরির দাবিতে কাজে যোগ দিতে অনীহা প্রকাশ করেছিলেন। তিনি বলেন, “শ্রমিকদের দাবি ন্যায্য। আমরা মালিকপক্ষের সঙ্গে আলোচনার চেষ্টা করেছি, কিন্তু তারা কোনো সমাধান না করে বাগান বন্ধ করে দিয়েছে।” তিনি আরও বলেন, এই মৌসুমে কাজ বন্ধ হওয়া বাগানের জন্যও ক্ষতিকর।

মালিকপক্ষের বক্তব্য
তুরতুরি চা বাগানের ডেপুটি ম্যানেজার প্রান্তিক সরকার দাবি করেছেন, শুধুমাত্র এক পাক্ষিকের মজুরি বকেয়া রয়েছে। তিনি বলেন, “আমরা শীঘ্রই বকেয়া মজুরি পরিশোধের চেষ্টা করছি। শ্রমিকদের উচিত এই সময়ে সহযোগিতা করা, কারণ মরশুমের শুরুতে কাজ বন্ধ হলে বাগানের ক্ষতি হবে।” তবে, শ্রমিকরা এই দাবি মানতে নারাজ, তাঁদের বক্তব্য, দুই পাক্ষিকের মজুরি এখনও বকেয়া।

চা শিল্পের সংকট
উত্তরবঙ্গের চা শিল্প দীর্ঘদিন ধরে আর্থিক সংকটের মধ্যে রয়েছে। ইন্ডিয়ান টি অ্যাসোসিয়েশনের (আইটিএ) তথ্য অনুযায়ী, গত এক দশকে চায়ের দাম বছরে গড়ে ৪ শতাংশ হারে বৃদ্ধি পেয়েছে, যেখানে উৎপাদন খরচ, যেমন কয়লা, গ্যাস, সার এবং কীটনাশকের দাম ৯ থেকে ১৫ শতাংশ হারে বেড়েছে। এছাড়া, শ্রমিকদের দৈনিক মজুরি গত পাঁচ বছরে উল্লেখযোগ্যভাবে বৃদ্ধি পেয়েছে। এই আর্থিক চাপের কারণে অনেক চা বাগান বন্ধ হয়ে যাচ্ছে বা পরিচালনা ব্যয় মেটাতে অক্ষম হচ্ছে। তুরতুরি চা বাগানের ঘটনা এই সংকটের একটি প্রতিফলন।

প্রশাসনের ভূমিকা
ঘটনার পর জেলা প্রশাসন এবং শ্রম দপ্তর বাগানে পৌঁছে পরিস্থিতি খতিয়ে দেখেছে। তবে, বাগান পুনরায় চালু করা বা শ্রমিকদের মজুরি পরিশোধের বিষয়ে এখনও কোনো স্পষ্ট সমাধান দেওয়া হয়নি। শ্রম দপ্তরের এক কর্মকর্তা জানান, “আমরা মালিকপক্ষের সঙ্গে যোগাযোগের চেষ্টা করছি। শীঘ্রই একটি ত্রিপাক্ষিক বৈঠকের মাধ্যমে সমস্যা সমাধানের উদ্যোগ নেওয়া হবে।” তবে, শ্রমিকরা বলছেন, এই ধরনের বৈঠকে মালিকপক্ষ প্রায়ই অনুপস্থিত থাকে, যা সমস্যাকে আরও জটিল করে।

শ্রমিকদের দাবি
শ্রমিকরা তাদের বকেয়া মজুরি এবং বাগানের পুনরায় চালুর দাবি জানিয়েছেন। তাঁরা বলছেন, চা মরশুমে এই বন্ধ তাঁদের পরিবারের জীবিকার উপর গভীর প্রভাব ফেলবে। এক শ্রমিক, সুমিত্রা ওঁরাও, বলেন, “আমাদের পরিবার চা বাগানের উপর নির্ভরশীল। এখন কাজ বন্ধ হলে আমরা খাব কী?” তৃণমূল চা শ্রমিক ইউনিয়নের নেতারা বলছেন, শ্রম দপ্তরের উচিত মালিকপক্ষের বিরুদ্ধে কঠোর পদক্ষেপ নেওয়া এবং শ্রমিকদের ন্যায্য অধিকার নিশ্চিত করা।

তুরতুরি চা বাগানের এই অপ্রত্যাশিত বন্ধ উত্তরবঙ্গের চা শিল্পের চলমান সংকটকে আরও স্পষ্ট করেছে। ৫০১ শ্রমিক পরিবার এখন অন্ধকারে দিন গুনছে। মালিকপক্ষের গা-ঢাকা দেওয়া এবং মজুরি বকেয়ার সমস্যা শ্রমিকদের জীবনে অনিশ্চয়তা এনেছে। প্রশাসন এবং শ্রম দপ্তরের দ্রুত হস্তক্ষেপ এখন সময়ের দাবি। তুরতুরি চা বাগানের এই ঘটনা শুধু শ্রমিকদের জীবিকার সংকটই নয়, বরং উত্তরবঙ্গের চা শিল্পের ভবিষ্যৎ নিয়ে গভীর প্রশ্ন তুলেছে।

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স্বস্তিতে Infosys! ৩২,৪০৩ কোটি টাকার জিএসটি মামলা বন্ধ https://ekolkata24.com/business/%e0%a6%b8%e0%a7%8d%e0%a6%ac%e0%a6%b8%e0%a7%8d%e0%a6%a4%e0%a6%bf%e0%a6%a4%e0%a7%87-infosys-%e0%a7%a9%e0%a7%a8%e0%a7%aa%e0%a7%a6%e0%a7%a9-%e0%a6%95%e0%a7%8b%e0%a6%9f%e0%a6%bf-%e0%a6%9f%e0%a6%be Sat, 07 Jun 2025 08:17:51 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51125 ভারতের দ্বিতীয় বৃহত্তম তথ্যপ্রযুক্তি সংস্থা ইনফোসিস (Infosys) সম্প্রতি কেন্দ্রীয় পরোক্ষ কর গোয়েন্দা দফতর (DGGI) থেকে একটি বড় ধরনের স্বস্তি পেল। সংস্থার বিরুদ্ধে দায়ের হওয়া ৩২,৪০৩ কোটি টাকার জিএসটি দাবিকে আনুষ্ঠানিকভাবে বন্ধ ঘোষণা করেছে DGGI। এই কর দাবি ছিল ২০১৭ সাল থেকে ২০২২ সালের মধ্যে সংস্থার বিদেশি শাখা থেকে পরিষেবা গ্রহণের ক্ষেত্রে রিভার্স চার্জ মেকানিজম অনুযায়ী আইজিএসটি (IGST) পরিশোধ না করার অভিযোগে।

কর-বিবাদের অবসান
ইনফোসিস জানিয়েছে, তারা সংশ্লিষ্ট সময়সীমার জন্য জিএসটি গোয়েন্দা দফতর (DGGI) থেকে একটি প্রি-শোকজ নোটিশ পেয়েছিল ২০২৪ সালের জুলাই মাসে। ওই নোটিশে জুলাই ২০১৭ থেকে মার্চ ২০২২ পর্যন্ত সময়কালে সম্ভাব্য ৩২,৪০৩ কোটি টাকার কর ফাঁকি ও অনুপালনের অভিযোগ আনা হয়েছিল।

সংস্থা একটি নিয়মিত দাখিলকৃত স্টক এক্সচেঞ্জ ফাইলিং-এ জানায়, “DGGI থেকে আজ প্রাপ্ত চিঠির মাধ্যমে এই বিষয়টি চূড়ান্তভাবে বন্ধ হয়েছে।” অর্থাৎ, এই কর বিবাদ আর আইনগত বা প্রশাসনিক স্তরে এগোবে না।

ইনফোসিস আরও জানিয়েছে, ২০১৭–১৮ আর্থিক বছরের জন্য তারা আগেই ২০২৪ সালের আগস্টে বন্ধ সংক্রান্ত যোগাযোগ পেয়েছিল। এবার জুলাই ২০১৭ থেকে মার্চ ২০২২ পর্যন্ত বাকি আর্থিক বছরগুলোর জন্যও পুরো বিষয়টি নিষ্পত্তি হল।

এই কর-বিতর্ক দীর্ঘদিন ধরে Infosys-এর উপর এক ধরনের চাপ তৈরি করেছিল, বিশেষ করে বিদেশি পরিষেবার ক্ষেত্রে জটিল রিভার্স চার্জ কাঠামোর প্রয়োগ ও ব্যাখ্যার কারণে। এই দাবির নিষ্পত্তি সংস্থার ব্যবসা পরিচালনায় স্বচ্ছতা আনবে বলে মনে করছেন বিশেষজ্ঞরা।

সিইও-র বেতনে নজরকাড়া বৃদ্ধি
কর-বিতর্কের নিষ্পত্তির পাশাপাশি সংস্থার বার্ষিক রিপোর্টেও উঠে এসেছে এক উল্লেখযোগ্য দিক—সিইও সলিল পাড়েখের (Salil Parekh) বেতনে ২২ শতাংশের বিশাল বৃদ্ধি। গত আর্থিক বছরে তাঁর মোট বার্ষিক পারিশ্রমিক দাঁড়িয়েছে ৮০.৬ কোটি টাকা, যা আগের বছরের ৬৬.২ কোটি টাকার তুলনায় অনেকটাই বেশি।

এই বেতনের মধ্যে মূল বেতন ছিল ৭.৪৫ কোটি টাকা, পারফরম্যান্স বোনাস ছিল ২৩.১ কোটি টাকা এবং স্টক-লিঙ্কড পার্কুইজিট ছিল ৪৯.৫ কোটি টাকা। সংস্থার পক্ষ থেকে জানানো হয়েছে, FY25-এ অধিক পরিমাণে Restricted Stock Units (RSUs) রিডিম করায় এই বেতনের অংক অনেকটাই বেড়ে গেছে।
এই বেতন বৃদ্ধির ফলে এখন সলিল পাড়েখ ভারতের আইটি ইন্ডাস্ট্রির সর্বোচ্চ বেতনপ্রাপ্ত সিইও-দের মধ্যে শীর্ষে অবস্থান করছেন।

তুলনামূলক বিশ্লেষণ:
ভারতের তিন প্রধান আইটি সংস্থার সিইওদের মধ্যে পারিশ্রমিক তুলনা করলে দেখা যায়—

  • TCS-এর সিইও কে কৃত্বিবাসান FY25-এ মোট ২৬.৫ কোটি টাকা বেতন পেয়েছেন, যা আগের বছরের তুলনায় মাত্র ৪.৬ শতাংশ বৃদ্ধি।
  • Wipro-র সিইও শ্রীনি পালিয়া পেয়েছেন ৫৩.৬ কোটি টাকা, যা ১০ শতাংশ বৃদ্ধির প্রতিফলন।

এই তুলনায় ইনফোসিসের সিইও-র ২২% বেতনবৃদ্ধি এক দৃষ্টান্তমূলক পদক্ষেপ। যদিও বিভিন্ন বোনাস, শেয়ার বেনিফিট এবং পারফরম্যান্স ইনসেন্টিভ বিবেচনায় রেখে এই পারিশ্রমিক নির্ধারণ হয়েছে, তথাপি এতে শেয়ারহোল্ডার ও বিশ্লেষকদের মধ্যে কিছু প্রশ্নও উঠে আসছে, বিশেষত যখন তথ্যপ্রযুক্তি শিল্পে চ্যালেঞ্জ এবং কর্মী ছাঁটাই নিয়ে বিতর্ক চলছে।

শিল্প মহলের প্রতিক্রিয়া
বিশ্লেষকরা মনে করছেন, এই কর-মুক্তি সংস্থার জন্য একটি বড় ইতিবাচক সঙ্কেত। দীর্ঘদিন ধরে ঝুলে থাকা কর দাবি বন্ধ হওয়ায় সংস্থা এখন ভবিষ্যৎ বিনিয়োগ ও সম্প্রসারণ পরিকল্পনায় আরও মনোনিবেশ করতে পারবে।

অন্যদিকে সিইও-র বেতন বৃদ্ধিকে কেউ কেউ সফল নেতৃত্বের পুরস্কার বলে মনে করলেও, আবার কেউ কেউ বলছেন যে সাধারণ কর্মীদের তুলনায় এই বেতন ব্যবধান প্রশ্ন তুলছে কর্পোরেট ভারসাম্যের বিষয়ে।

Infosys-এর জন্য এই সপ্তাহটি বিশেষভাবে গুরুত্বপূর্ণ ও ইতিবাচক হিসেবে ধরা যেতে পারে। একদিকে কর-বিবাদ থেকে চূড়ান্ত স্বস্তি, অন্যদিকে নেতৃত্বের পুরস্কারস্বরূপ সিইও-র বেতনবৃদ্ধি, সব মিলিয়ে সংস্থার ভাবমূর্তি ও ভবিষ্যৎ কর্মপন্থা দুটোই আরও মজবুত হয়েছে বলেই মনে করছেন পর্যবেক্ষকরা।

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ফর্ম ১৬/১৬এ পেলে কী করবেন? জেনে নিন রিটার্ন জমার সঠিক প্রক্রিয়া https://ekolkata24.com/business/%e0%a6%ab%e0%a6%b0%e0%a7%8d%e0%a6%ae-%e0%a7%a7%e0%a7%ac-%e0%a7%a7%e0%a7%ac%e0%a6%8f-%e0%a6%aa%e0%a7%87%e0%a6%b2%e0%a7%87-%e0%a6%95%e0%a7%80-%e0%a6%95%e0%a6%b0%e0%a6%ac%e0%a7%87%e0%a6%a8-%e0%a6%9c Sat, 07 Jun 2025 06:29:56 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51126 বর্তমানে দেশজুড়ে শুরু হয়ে গেছে ২০২৪-২৫ অর্থবছরের ইনকাম ট্যাক্স রিটার্ন (ITR) দাখিলের মরসুম। এই সময় করদাতারা প্রস্তুতি নিচ্ছেন তাদের আয় বিবরণী জমা দেওয়ার জন্য। এরই মধ্যে ইনকাম ট্যাক্স বিভাগ পুনরায় চালু করেছে ITR ফর্ম ইউটিলিটি, যার ফলে অনলাইনে রিটার্ন দাখিল করা আরও সহজ হয়েছে। তবে বিশেষত চাকুরিজীবীদের ক্ষেত্রে, রিটার্ন জমা দেওয়ার আগে অবশ্যই ফর্ম ১৬ বা ফর্ম ১৬এ সংগ্রহ করা অত্যন্ত জরুরি। এই ফর্ম দুটি হলো তাদের টিডিএস (TDS – Tax Deducted at Source) সার্টিফিকেট, যা মূলত ন্যায্য ট্যাক্স হিসাব কষতে সহায়তা করে।

কী এই ফর্ম ১৬ ও ফর্ম ১৬এ?
ফর্ম ১৬ মূলত সেই সমস্ত কর্মীদের জন্য, যাদের আয় বেতনের মাধ্যমে হয়। এটি কর্মস্থল অর্থাৎ নিয়োগকর্তার পক্ষ থেকে দেওয়া হয় এবং এতে কর কর্তনের বিবরণ থাকে। অন্যদিকে, ফর্ম ১৬এ হলো অবেতন আয়ের ক্ষেত্রে প্রযোজ্য যেমন ফ্রিল্যান্স আয়, ইন্টারেস্ট ইনকাম, কমিশন ইত্যাদি। উভয় ক্ষেত্রেই এই সার্টিফিকেটগুলি TRACES (TDS Reconciliation Analysis and Correction Enabling System) পোর্টাল থেকে জেনারেট হওয়া বাধ্যতামূলক।

করদাতাদের জন্য করনীয়: ITR জমা দেওয়ার আগে কী করবেন?

১. বৈধ ফর্ম সংগ্রহ করুন
সবচেয়ে আগে যা করতে হবে তা হলো ফর্ম ১৬ বা ১৬এ সংগ্রহ করা। এটি অবশ্যই TRACES পোর্টাল থেকে জেনারেট করা হওয়া উচিত। কোনও ম্যানুয়ালি তৈরি করা ফর্ম গ্রহণযোগ্য নয়।

২. তথ্য যাচাই করুন
ফর্ম ২৬AS বা AIS (Annual Information Statement)-এর সঙ্গে ফর্ম ১৬/১৬এ-র তুলনা করে দেখুন টিডিএস সংক্রান্ত সমস্ত তথ্য মিলছে কি না। কোনও গরমিল থাকলে অবিলম্বে সংশ্লিষ্ট কর্তৃপক্ষকে জানাতে হবে।

৩. ভুল এড়িয়ে চলুন
ভুল তথ্য বা অসম্পূর্ণ ফর্মের মাধ্যমে ITR জমা দিলে তা পরবর্তীতে ইনকাম ট্যাক্স বিভাগের কাছ থেকে নোটিশ পাওয়ার কারণ হতে পারে। একই সঙ্গে কর রিফান্ডও বিলম্বিত হতে পারে।

কর্তনকারীদের (Deductors) জন্য নির্দেশিকা: আইন মেনে চলা জরুরি

১. সঠিক PAN রিপোর্টিং
সকল কর্মীর বা প্রাপক ব্যক্তির PAN (Permanent Account Number) সঠিকভাবে রিপোর্ট করা অত্যন্ত গুরুত্বপূর্ণ। ভুল PAN বা গরমিল থাকলে করদাতাদের কর রিফান্ড প্রক্রিয়া ব্যাহত হতে পারে এবং জরিমানাও হতে পারে।

২. PAN গণনা মেলানো
গত বছরের রিপোর্টের সঙ্গে বর্তমান বছরের PAN গণনা মিলিয়ে দেখুন। যদি কোনও তারতম্য দেখা যায় তবে তা সংশোধনের জন্য সংশ্লিষ্ট ফর্ম (TDS correction statement) জমা দিন।

৩. নির্ভুল রিপোর্টিং
প্রত্যেক কর কর্তনের তথ্য নির্ভুলভাবে TRACES পোর্টালে রিপোর্ট করতে হবে। ভুল বা অসম্পূর্ণ রিপোর্টের কারণে করদাতারা সঠিক ট্যাক্স ক্রেডিট পান না, যার ফলে তাঁদের রিটার্নে সমস্যা হতে পারে।

৪. TRACES ছাড়া কিছু নয়
ফর্ম ১৬ এবং ১৬এ কেবলমাত্র TRACES পোর্টাল থেকে জেনারেট করুন। অন্য কোথাও থেকে জেনারেট করা ফর্ম গ্রহণযোগ্য নয় এবং আইনি সমস্যায় পড়তে পারেন।

ভুল রিপোর্টিং-এর ফলাফল কী হতে পারে?
টিডিএস সংক্রান্ত ভুল রিপোর্টিং হলে নিচের সমস্যাগুলি দেখা দিতে পারে:

  • করদাতার TDS ও রিটার্নে মিল না থাকার কারণে রিটার্ন প্রক্রিয়া বিলম্বিত হয়।
  • ইনকাম ট্যাক্স বিভাগ থেকে নোটিশ পাওয়ার সম্ভাবনা বেড়ে যায়।
  • নির্ধারিত সময়ে কর রিফান্ড না পাওয়ার ঝুঁকি থাকে।
  • কর্মীদের আস্থা হ্রাস পায় এবং প্রতিষ্ঠান বিশ্বাসযোগ্যতা হারায়।

করদাতাদের জন্য শেষমেশ পরামর্শ

  • সময়মতো ফর্ম সংগ্রহ ও যাচাই করুন।
  • TRACES থেকে জেনারেট হওয়া ছাড়া কোনও ফর্ম গ্রহণ করবেন না।
  • ফর্ম ২৬AS, AIS ও ফর্ম ১৬/১৬এ – এই তিনটির মধ্যে তথ্য মিলিয়ে নিন।
  • আত্মবিশ্বাসের সঙ্গে ও নির্ভুলভাবে রিটার্ন জমা দিন।

২০২৫ সালের ইনকাম ট্যাক্স রিটার্ন দাখিল প্রক্রিয়ার গুরুত্বপূর্ণ একটি ধাপ হলো সঠিকভাবে ফর্ম ১৬ ও ১৬এ সংগ্রহ ও যাচাই করা। করদাতা ও কর্তনকারী উভয়পক্ষেরই উচিত TRACES-এর নির্দিষ্ট নির্দেশিকা মেনে চলা, যাতে কোনও ভুল না হয় এবং ই-ফাইলিং প্রক্রিয়া স্বচ্ছ, নির্ভুল ও সহজসাধ্য হয়। কর ব্যবস্থা যতই ডিজিটাল হোক না কেন, মানবিক ভুল এড়ানোর দায়িত্ব কিন্তু আমাদের সকলেরই। তাই সতর্ক থাকুন, আইন মেনে চলুন এবং নির্ধারিত সময়ের মধ্যেই রিটার্ন জমা দিন।

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বিদেশি আম চাষে লাখ টাকা আয়ের ‘স্বপ্নপূরণ’ কোচবিহারের স্বপনের https://ekolkata24.com/business/%e0%a6%ac%e0%a6%bf%e0%a6%a6%e0%a7%87%e0%a6%b6%e0%a6%bf-%e0%a6%86%e0%a6%ae-%e0%a6%9a%e0%a6%be%e0%a6%b7%e0%a7%87-%e0%a6%b2%e0%a6%be%e0%a6%96-%e0%a6%9f%e0%a6%be%e0%a6%95%e0%a6%be-%e0%a6%86%e0%a6%af Sat, 07 Jun 2025 04:41:20 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51127 অয়ন দে, কোচবিহার: কোচবিহারের কৃষি জগতে এক নতুন দিগন্ত উন্মোচন করেছেন নার্সারি ব্যবসায়ী স্বপন কুমার দে। তাঁর ‘দে নার্সারি’ এখন উত্তরবঙ্গের কৃষকদের কাছে একটি আলোচিত নাম। বিশেষ করে বিদেশি আমের (Miyazaki Mango) চাষে তিনি যে সাফল্য অর্জন করেছেন, তা কৃষক সম্প্রদায়ের জন্য একটি নতুন সম্ভাবনার দ্বার খুলে দিয়েছে। মাত্র দুই বছর আগে তিনি তাঁর নার্সারিতে প্রায় হাজার খানেক আমের চারা বিক্রির জন্য এনেছিলেন, যার মধ্যে ৩০ শতাংশ ছিল বিদেশি জাতের এবং ৭০ শতাংশ দেশি জাতের। সব চারা বিক্রি হয়ে গেলেও, তিনি কয়েকটি উন্নতমানের বিদেশি আমের চারা নিজের বাড়িতে রোপণ করেছিলেন। এর মধ্যে একটি হল বিশ্বের সবচেয়ে দামি আম হিসেবে পরিচিত মিয়াজাকি আম, যার দাম লাখ টাকারও বেশি। স্বপনবাবুর এই উদ্যোগ এবং সাফল্য কৃষি জগতে এক নতুন পথ দেখাচ্ছে।

উত্তরবঙ্গে আম চাষের চ্যালেঞ্জ
উত্তরবঙ্গের মাটি ও আবহাওয়া আম চাষের জন্য সবসময়ই প্রতিকূল বলে বিবেচিত হয়েছে। কোচবিহার, আলিপুরদুয়ার, জলপাইগুড়ি এবং দার্জিলিংয়ের মতো জেলাগুলোতে দেশি আমের চাষে অনেক কৃষক ব্যর্থ হয়েছেন। স্বপন কুমার দে জানান, উত্তরবঙ্গের আবহাওয়া এবং মাটির গুণাগুণ দেশি আমের চাষের জন্য উপযুক্ত নয়। অতিরিক্ত আর্দ্রতা, ঠান্ডা আবহাওয়া এবং মাটির অম্লত্ব আমের গাছের ফলন এবং গুণগত মানের উপর বিরূপ প্রভাব ফেলে। এছাড়া, দেশি আমের গাছ রোগ এবং পোকামাকড়ের আক্রমণে বেশি ক্ষতিগ্রস্ত হয়। এই সমস্যাগুলোর সমাধান খুঁজতে গিয়ে স্বপনবাবু বিদেশি জাতের আমের চারা নিয়ে পরীক্ষামূলক চাষ শুরু করেন। তাঁর এই সিদ্ধান্ত এখন ফল দিচ্ছে।

বিদেশি আমের চাষে সাফল্য
স্বপন কুমার দে তাঁর নার্সারিতে থাইল্যান্ড, জাপান এবং অন্যান্য দেশ থেকে আমের চারা আমদানি করেছেন। এর মধ্যে সবচেয়ে উল্লেখযোগ্য হল মিয়াজাকি আম, যা ‘লাল আম’ বা ‘সূর্যের ডিম’ নামে আন্তর্জাতিক বাজারে বিখ্যাত। এই আমের ওজন প্রায় ৩৫০ গ্রাম এবং এর রঙ বেগুনি। এর স্বাদ, সুগন্ধ এবং গুণগত মান এটিকে বিশ্বের শীর্ষ আমের তালিকায় স্থান করে দিয়েছে। স্বপনবাবু জানান, মিয়াজাকি আমের একটি ফলের দাম আন্তর্জাতিক বাজারে লাখ টাকারও বেশি হতে পারে। তিনি নিজের বাড়িতে এই আমের গাছ রোপণ করেছেন এবং ফলন পেয়ে অত্যন্ত খুশি।

তিনি আরও বলেন, বিদেশি জাতের আমের চাষে রোগ এবং পোকামাকড়ের আক্রমণ অনেকটাই কম। উত্তরবঙ্গের মাটিতে এই আমগুলো ভালো ফলন দিচ্ছে। বিশেষ করে থাইল্যান্ড থেকে আনা জাতগুলো, যেমন নাম ডক মাই, চুকানন এবং থাই কাঁচামিঠা, এই অঞ্চলের জলবায়ুর সঙ্গে খাপ খাইয়ে নিয়েছে। এই আমগুলো কাঁচা এবং পাকা উভয় অবস্থাতেই খাওয়া যায়, যা বাজারে ব্যাপক চাহিদা তৈরি করেছে।

আর্থিক লাভের সম্ভাবনা
দেশি আমের চারার দাম যেখানে ২৫০-৩০০ টাকা, সেখানে বিদেশি আমের চারা, বিশেষ করে থাইল্যান্ডের চারার দাম ৩,০০০ থেকে ৪,০০০ টাকা। এই উচ্চ দাম সত্ত্বেও, স্বপনবাবুর নার্সারিতে চারার চাহিদা ছিল প্রচুর। তিনি জানান, বিদেশি আমের চাষে প্রাথমিক বিনিয়োগ বেশি হলেও দীর্ঘমেয়াদে এর লাভ অনেক বেশি। মিয়াজাকি আমের মতো জাতের ফল বাজারে বিক্রি করলে কৃষকরা লাখ টাকার লাভ করতে পারেন। তিনি কৃষকদের উদ্দেশে বলেন, “উত্তরবঙ্গের মাটিতে দেশি আমের চাষের পরিবর্তে বিদেশি জাতের আম চাষ করলে কৃষকরা বেশি লাভবান হবেন। এই জাতগুলোর ফলন ভালো এবং বাজারে এদের চাহিদা প্রচুর।”

কৃষি পদ্ধতি ও পরামর্শ
স্বপনবাবু জানান, বিদেশি আমের চাষে সফলতা পেতে সঠিক পদ্ধতি অবলম্বন করা জরুরি। তিনি থাইল্যান্ডের নাম ডক মাই জাতের চাষের পদ্ধতি সম্পর্কে বলেন, চারা রোপণের জন্য ৪ থেকে ৬ মিটার দূরত্ব রাখতে হয়। হেক্টরপ্রতি ১৮৫ থেকে ২৭৮টি চারা লাগানো যায়। চারা তৈরির জন্য পাকা ফল থেকে আঁটি সংগ্রহ করে বীজতলায় রোপণ করতে হয়। জ্যৈষ্ঠ থেকে আষাঢ় মাস এই কাজের জন্য উপযুক্ত। তিনি আরও পরামর্শ দেন, গাছের যত্নে পর্যাপ্ত সার এবং কীটনাশক প্রয়োগ করতে হবে। এই পদ্ধতি অনুসরণ করলে গাছগুলো দ্রুত ফল দিতে শুরু করে।

উত্তরবঙ্গে কৃষির নতুন সম্ভাবনা
স্বপন কুমার দের এই উদ্যোগ উত্তরবঙ্গের কৃষকদের জন্য একটি নতুন সম্ভাবনার পথ দেখাচ্ছে। তিনি বলেন, “আমি চাই কৃষকরা ঐতিহ্যবাহী চাষের বাইরে গিয়ে নতুন জাতের ফসল চাষে আগ্রহী হোক। বিদেশি আমের চাষ শুধু লাভজনকই নয়, এটি আমাদের অঞ্চলের কৃষি অর্থনীতিকে শক্তিশালী করতে পারে।” তাঁর নার্সারি এখন অনেক কৃষকের জন্য প্রেরণার উৎস হয়ে উঠেছে।

সমাজে প্রভাব
স্বপনবাবুর সাফল্য শুধু তাঁর ব্যক্তিগত অর্জন নয়, এটি কোচবিহারের কৃষক সম্প্রদায়ের জন্য একটি পথপ্রদর্শক হয়ে উঠেছে। তাঁর নার্সারি থেকে চারা কিনে অনেক কৃষক বিদেশি আমের চাষ শুরু করেছেন। এই চাষ বাণিজ্যিকভাবে সফল হলে উত্তরবঙ্গের কৃষি অর্থনীতি নতুন মাত্রা পাবে। তাছাড়া, মিয়াজাকি আমের মতো দামি ফসলের চাষ স্থানীয় বাজারে নতুন চাহিদা তৈরি করছে, যা কৃষকদের আয় বাড়াতে সাহায্য করবে।

স্বপন কুমার দের দে নার্সারি এখন উত্তরবঙ্গে কৃষি উদ্ভাবনের একটি উজ্জ্বল উদাহরণ। বিদেশি আমের চাষে তাঁর সাফল্য, বিশেষ করে মিয়াজাকি আমের ফলন, প্রমাণ করে যে সঠিক পরিকল্পনা এবং উদ্যোগের মাধ্যমে প্রতিকূল পরিবেশেও লাভজনক কৃষি সম্ভব। তাঁর এই প্রচেষ্টা কৃষকদের মধ্যে নতুন আশা জাগিয়েছে এবং উত্তরবঙ্গের কৃষি খাতে একটি নতুন অধ্যায়ের সূচনা করেছে। কৃষকদের প্রতি তাঁর পরামর্শ—বিদেশি জাতের আমের চাষে মনোযোগ দিন, কারণ এটি শুধু লাভজনকই নয়, বরং কৃষির ভবিষ্যৎ গড়তেও সাহায্য করবে।

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পেট্রোলের দাম স্থিতিশীল, কলকাতার জনগণ কিছুটা স্বস্তিতে https://ekolkata24.com/business/%e0%a6%aa%e0%a7%87%e0%a6%9f%e0%a7%8d%e0%a6%b0%e0%a7%8b%e0%a6%b2%e0%a7%87%e0%a6%b0-%e0%a6%a6%e0%a6%be%e0%a6%ae-%e0%a6%b8%e0%a7%8d%e0%a6%a5%e0%a6%bf%e0%a6%a4%e0%a6%bf%e0%a6%b6%e0%a7%80%e0%a6%b2 Sat, 07 Jun 2025 04:07:53 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51128 Kolkata Petrol Price Today: কলকাতায় আজ, ৭ জুন ২০২৫, পেট্রোলের দাম প্রতি লিটারে ১০৫.৪১ টাকায় স্থিতিশীল রয়েছে। গতকালের তুলনায় কোনো মূল্য পরিবর্তন হয়নি। গত এক মাসে কলকাতায় পেট্রোলের দাম ১০৫.০১ টাকা থেকে ১০৫.৪১ টাকার মধ্যে ওঠানামা করেছে। এই স্থিতিশীলতা সাধারণ মানুষের জন্য কিছুটা স্বস্তি এনেছে, বিশেষ করে যখন বিশ্ববাজারে অপরিশোধিত তেলের দাম ওঠানামা করছে। পশ্চিমবঙ্গের অন্যান্য জেলার পেট্রোলের দামও এই হারের কাছাকাছি রয়েছে, যা রাজ্যের কর সহ মূল্য নির্ধারণ করা হয়। এই প্রতিবেদনে আমরা কলকাতায় পেট্রোলের দামের প্রতিদিনের পরিবর্তন, এর পেছনের কারণ এবং কীভাবে আপনি প্রতিদিনের দাম জানতে পারেন তা নিয়ে বিস্তারিত আলোচনা করব।

কলকাতায় পেট্রোলের দাম: বর্তমান চিত্র
আজ, ৭ জুন ২০২৫, কলকাতায় পেট্রোলের দাম প্রতি লিটার ১০৫.৪১ টাকা। গত ১০ দিন ধরে এই দাম অপরিবর্তিত রয়েছে, যা গত ২৮ মে থেকে ৬ জুন পর্যন্ত স্থিতিশীল ছিল। গত মাসে (মে ২০২৫) পেট্রোলের দাম ১০৫.০১ টাকা থেকে ১০৫.৪১ টাকার মধ্যে ওঠানামা করেছে, যা ০.৩৮% পরিবর্তন নির্দেশ করে। এই স্থিতিশীলতা বিশ্ববাজারে অপরিশোধিত তেলের দামের সাম্প্রতিক গতিবিধি এবং স্থানীয় কর নীতির স্থিতিশীলতার ফলাফল। তবে, পেট্রোলের দাম প্রতিদিন পরিবর্তিত হয়, যা ২০১৭ সালের ১৫ জুন থেকে চালু হওয়া গতিশীল জ্বালানি মূল্য নির্ধারণ পদ্ধতির (Dynamic Fuel Pricing) অংশ।

পেট্রোলের দাম প্রতিদিন পরিবর্তনের কারণ
কলকাতায় পেট্রোলের দাম প্রতিদিন পরিবর্তিত হওয়ার পেছনে প্রধান কারণ হল আন্তর্জাতিক বাজারে অপরিশোধিত তেলের দাম। যখন বিশ্ববাজারে অপরিশোধিত তেলের দাম বৃদ্ধি পায়, তখন ভারতের মতো দেশে, যেখানে ৮০% তেল আমদানি করা হয়, পেট্রোলের দামও বাড়ে। গত কয়েক দিনে বিশ্ববাজারে তেলের দাম কিছুটা বেড়েছে, বিশেষ করে যুক্তরাষ্ট্রে জ্বালানির চাহিদা বৃদ্ধি এবং OPEC+ এর উৎপআন্তর্জাতিক বাজারে অপরিশোধিত তেলের দামের গতিবিধি ছাড়াও, ভারতীয় রুপির বিপরীতে মার্কিন ডলারের বিনিময় হারও পেট্রোলের দামের উপর প্রভাব ফেলে। যখন রুপি দুর্বল হয়, তখন আমদানি করা তেলের খরচ বাড়ে, যা পেট্রোলের দাম বৃদ্ধির দিকে নিয়ে যায়। এছাড়া, কেন্দ্রীয় সরকারের এক্সাইজ ডিউটি এবং পশ্চিমবঙ্গ সরকারের মূল্য সংযোজন কর (VAT) পেট্রোলের দাম নির্ধারণে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে। পশ্চিমবঙ্গে পেট্রোলের উপর ২৫% বা প্রতি লিটারে ১৩.১২ টাকা (যেটি বেশি) VAT ধার্য করা হয়, যা পূর্ব ভারতের অন্যান্য রাজ্যের তুলনায় দ্বিতীয় সর্বোচ্চ।

গতিশীল জ্বালানি মূল্য নির্ধারণ পদ্ধতি
২০১৭ সালের জুন থেকে ভারতে পেট্রোল ও ডিজেলের দাম প্রতিদিন সকাল ৬টায় সংশোধন করা হয়। এই গতিশীল জ্বালানি মূল্য নির্ধারণ পদ্ধতি পুরনো পাক্ষিক মূল্য সংশোধন পদ্ধতির তুলনায় আরও স্বচ্ছতা এনেছে। এই পদ্ধতির মাধ্যমে তেল বিপণন সংস্থাগুলো (IOCL, BPCL, HPCL) প্রতিদিনের বাজার পরিস্থিতির ভিত্তিতে দাম নির্ধারণ করে। এটি তেল কোম্পানিগুলোর জন্য ক্ষতি পুষিয়ে নেওয়ার পাশাপাশি গ্রাহকদের জন্য দামের দ্রুত পরিবর্তনের সুবিধা প্রদান করে। কলকাতায় এই পদ্ধতি কার্যকর হওয়ার পর থেকে পেট্রোলের দাম প্রতিদিন সংশোধন করা হয়, এবং এই তথ্য পেট্রোল পাম্প, তেল কোম্পানির ওয়েবসাইট এবং মোবাইল অ্যাপে প্রকাশ করা হয়।

কীভাবে প্রতিদিনের পেট্রোলের দাম জানবেন?
কলকাতায় প্রতিদিনের পেট্রোলের দাম জানার জন্য গ্রাহকরা বিভিন্ন সুবিধাজনক পদ্ধতি ব্যবহার করতে পারেন:

  • এসএমএস সুবিধা: ইন্ডিয়ান অয়েলের জন্য গ্রাহকরা RSPDEALER CODE টাইপ করে ৯২২৪৯৯২২৪৯ নম্বরে এসএমএস পাঠাতে পারেন।
  • টোল-ফ্রি নম্বর: ইন্ডিয়ান অয়েল (১৮০০ ২৩৩ ৩৫৫৫), ভারত পেট্রোলিয়াম (১৮০০ ২২ ৪৩৪৪), এবং হিন্দুস্তান পেট্রোলিয়াম (১৮০০ ২৩৩ ৩৫৫৫) এর টোল-ফ্রি নম্বরে কল করে দাম জানা যায়।
  • ওয়েবসাইট ও অ্যাপ: তেল কোম্পানিগুলোর অফিসিয়াল ওয়েবসাইট এবং মোবাইল অ্যাপে প্রতিদিনের দাম আপডেট করা হয়। 
  • পেট্রোল পাম্প: কলকাতার পেট্রোল পাম্পগুলোতে প্রতিদিন সকাল ৬টায় নতুন দাম প্রদর্শিত হয়।

পেট্রোলের দাম বৃদ্ধির কারণ
কলকাতায় পেট্রোলের দাম সাম্প্রতিক সময়ে কিছুটা বেশি হওয়ার পেছনে আন্তর্জাতিক বাজারে অপরিশোধিত তেলের দাম বৃদ্ধি একটি প্রধান কারণ। যুক্তরাষ্ট্রে জ্বালানির চাহিদা বৃদ্ধি এবং OPEC+ এর উৎপাদন বৃদ্ধির সিদ্ধান্ত (জুলাই ২০২৫-এর জন্য ৪,১১,০০০ ব্যারেল প্রতিদিন) সরবরাহ-চাহিদার ভারসাম্য বজায় রাখলেও দামের উপর চাপ সৃষ্টি করেছে। এছাড়া, কলকাতায় অটোমোবাইল শিল্পের প্রসার এবং দুই চাকার ও চার চাকার যানবাহনের চাহিদা বৃদ্ধি পেট্রোলের খরচ ২০১৭ সালের তুলনায় ৬% বৃদ্ধি পেয়েছে। এই চাহিদা বৃদ্ধি এবং আন্তর্জাতিক বাজারের প্রভাব পেট্রোলের দামের ওপর প্রভাব ফেলছে।

ভবিষ্যতের সম্ভাবনা
বিশেষজ্ঞদের মতে, অপরিশোধিত তেলের দাম যদি $৪০-এর নিচে নেমে যায়, তাহলে কলকাতায় পেট্রোলের দাম আরও কমতে পারে। তবে, বর্তমানে তেলের দাম $৬০-এর উপরে থাকায় এবং ভারতীয় রুপির দুর্বলতার কারণে দাম কমার সম্ভাবনা কম। কেন্দ্রীয় সরকার এবং রাজ্য সরকারের কর নীতি এবং ভোটের মরসুমের আগে জ্বালানির দাম কমানোর প্রচেষ্টা (যেমন সাম্প্রতিক ২ টাকা/লিটার কমানো) ভবিষ্যতে দামের উপর প্রভাব ফেলতে পারে।

কলকাতায় পেট্রোলের দাম স্থিতিশীল থাকলেও, এটি আন্তর্জাতিক ও স্থানীয় কারণের উপর নির্ভরশীল। গতিশীল জ্বালানি মূল্য নির্ধারণ পদ্ধতি গ্রাহকদের জন্য স্বচ্ছতা এনেছে এবং প্রতিদিনের দাম জানার সুবিধা দিয়েছে। গ্রাহকরা তেল কোম্পানির অ্যাপ, ওয়েবসাইট বা এসএমএস সুবিধা ব্যবহার করে সহজেই দাম জানতে পারেন। কলকাতার মতো মেট্রো শহরে, যেখানে যানবাহনের সংখ্যা ক্রমশ বাড়ছে, পেট্রোলের দামের স্থিতিশীলতা গ্রাহকদের জন্য স্বস্তির বিষয়। তবে, বিশ্ববাজারের অস্থিরতা এবং কর নীতির পরিবর্তন ভবিষ্যতে দামের উপর প্রভাব ফেলতে পারে।

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উচ্চ হারে FD লক করার শেষ সুযোগ! বিনিয়োগকারীদের জন্য জরুরি বার্তা https://ekolkata24.com/business/%e0%a6%89%e0%a6%9a%e0%a7%8d%e0%a6%9a-%e0%a6%b9%e0%a6%be%e0%a6%b0%e0%a7%87-fd-%e0%a6%b2%e0%a6%95-%e0%a6%95%e0%a6%b0%e0%a6%be%e0%a6%b0-%e0%a6%b6%e0%a7%87%e0%a6%b7-%e0%a6%b8%e0%a7%81%e0%a6%af%e0%a7%8b Fri, 06 Jun 2025 09:19:31 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51119 শুক্রবার রিজার্ভ ব্যাংক অব ইন্ডিয়া (RBI) টানা তৃতীয়বারের মতো রেপো রেট কমাল, এবার একধাক্কায় ৫০ বেসিস পয়েন্ট কমিয়ে ৫.৫ শতাংশে নিয়ে এলো। এর ফলে ঋণগ্রহীতারা যেমন স্বস্তি পাচ্ছেন, তেমনি ফিক্সড ডিপোজিটে (FD) বিনিয়োগকারীদের জন্য এটি খারাপ খবরও বটে। কারণ, এর ফলে শীঘ্রই ব্যাঙ্কগুলি তাদের এফডি সুদের হার কমিয়ে দিতে পারে।

এফডি বিনিয়োগকারীদের জন্য শেষ সুযোগ?
রেপো রেট কমার পর সাধারণত ব্যাঙ্কগুলি তাদের ঋণ এবং আমানতের সুদের হার সংশোধন করে। তবে এই পরিবর্তন তাৎক্ষণিক হয় না—কিছুটা সময় নেয়। আর এই সময়টাই হলো বিনিয়োগকারীদের জন্য একটি “সুবর্ণ সুযোগ”, যেখানে তারা আগের তুলনায় উচ্চ হারে এফডি করে নিতে পারেন।

এর আগের দুইবারের রেট কমানোর সিদ্ধান্তেও, ফেব্রুয়ারি এবং এপ্রিল মাসে ২৫ বেসিস পয়েন্ট করে রেপো রেট কাটা হয়েছিল। সেই সময় ব্যাঙ্কগুলি তাদের সুদের হার কিছুটা কমিয়েছে। যদিও এখনো অনেক শীর্ষস্থানীয় ব্যাঙ্ক ৫ বছরের বেশি মেয়াদের এফডিতে ৬.৫%-৭.২৫% হারে সুদ দিচ্ছে।

তবে বর্তমান রেট কমানোর সিদ্ধান্তের পর এটি হয়তো বেশিদিন টিকবে না। একবার রেট কমানোর ধারা শুরু হলে, নতুন এফডি-তে সুদ কমে যায়, এমনকি রিনভেস্ট করা এফডিতেও আগের মতো রিটার্ন পাওয়া যায় না।
একজন শীর্ষস্থানীয় ব্যাঙ্ক কর্মকর্তা নাম প্রকাশ না করে বলেন, “২০২৫ সালের মধ্যে এটিই হতে পারে সর্বশেষ সুযোগ উচ্চ হারে এফডি করার।”

এখন কী করবেন বিনিয়োগকারীরা?

দীর্ঘমেয়াদি এফডিতে লগ্নি করুন
যদি আপনার ব্যাঙ্ক এখনো ৭% বা তার বেশি হারে ৩ থেকে ৫ বছরের জন্য সুদ দিচ্ছে, তাহলে এখনই কিছু অংশের অর্থ লক করে ফেলুন। রেট আরেকটু কমে গেলে এমন অফার সহজে পাওয়া যাবে না।

এফডি ল্যাডারিং কৌশল ব্যবহার করুন
সার্বিক স্থিতিস্থাপকতা বজায় রাখতে আপনার বিনিয়োগকে বিভিন্ন মেয়াদে ভাগ করুন—যেমন ১ বছর, ২ বছর, ৩ বছর ও ৫ বছরের জন্য। এর ফলে ভবিষ্যতে রেট বাড়লে আপনি কিছু অংশ ভালো রেটে রিনভেস্ট করতে পারবেন।

বয়স্ক নাগরিকদের জন্য অতিরিক্ত সুযোগ
সিনিয়র সিটিজেনরা এখনো অতিরিক্ত ০.৫০% হারে সুদ পান। এই বেনিফিট ব্যবহার করে আপনি স্থিতিশীল ইনকাম নিশ্চিত করতে পারেন, রিটার্ন কমার আগে।

কীভাবে ৫০ বেসিস পয়েন্টের CRR কাটের সুবিধা নেবেন?
শুধু রেপো রেট নয়, RBI এদিন হঠাৎ করেই ৫০ বেসিস পয়েন্ট কমিয়ে Cash Reserve Ratio (CRR) ৩.৫% করেছে। এর আগে ২০২৪ সালের ডিসেম্বরে CRR কমিয়ে ৪% করা হয়েছিল। এবার চার ধাপে ২৫ বেসিস পয়েন্ট করে কাট করে CRR সেপ্টেম্বর ২০২৫-এর মধ্যে ৩% হবে।

এটি ব্যাংকিং ব্যবস্থায় আগামী মাসগুলোতে প্রায় ₹২.৫ লাখ কোটি টাকার অতিরিক্ত তরলতা আনবে বলে অনুমান করা হচ্ছে। ফলে স্বল্পমেয়াদি বন্ডের ফলন (yield) কমবে এবং এতে বিনিয়োগকারীদের সুযোগ বাড়বে।

LIC মিউচুয়াল ফান্ডের ফিক্সড ইনকাম বিভাগের CIO মার্জবান ইরানি বলেন,

“CRR কমলে স্বল্পমেয়াদি বন্ডের ইল্ড অনেকটাই কমে যাবে। RBI মূল্য স্থিতিশীলতা এবং প্রবৃদ্ধি বজায় রাখার উপর জোর দিচ্ছে। তাই ৩ মাস থেকে ৩ বছরের মধ্যে মেয়াদি বন্ড স্কিমে বিনিয়োগ এখন বুদ্ধিমানের কাজ হবে।”

কী করবেন এখন
কম মেয়াদে যেমন ৩ মাস, ৬ মাস, ১ বছর ও ৩ বছরের বন্ড বা ডেট ফান্ডে বিনিয়োগ করুন।
কম রিস্ক এবং স্থিতিশীল রিটার্নের জন্য শর্ট টার্ম ডেট ফান্ড, ক্রেডিট রিস্ক ফান্ড অথবা ব্যাংকিং ও PSU বন্ড ফান্ড বিবেচনা করুন।
তরলতা বজায় রাখতে এবং ভবিষ্যতের সুযোগ ধরতে চাইলে staggered বা SIP মডেলে বিনিয়োগ করুন।

রেপো রেট ৩ বছরে সর্বনিম্ন স্তরে
RBI গভর্নর সঞ্জয় মালহোত্রা জানান, MPC-র এই সিদ্ধান্তের ফলে রেপো রেট এখন ৫.৫%, যা গত তিন বছরের মধ্যে সর্বনিম্ন। মুদ্রাস্ফীতি নিয়ন্ত্রণ এবং অর্থনৈতিক প্রবৃদ্ধিকে সহায়তা করাই এই পদক্ষেপের মূল উদ্দেশ্য।

বর্তমান অর্থনৈতিক প্রেক্ষাপটে RBI-র এই পদক্ষেপ ভোক্তা ঋণগ্রহীতাদের স্বস্তি দিলেও, সঞ্চয় বিনিয়োগকারীদের জন্য কিছুটা চাপ সৃষ্টি করছে। তাই যাঁরা এফডি বা ডেট ফান্ডে বিনিয়োগ করছেন, তাঁদের এখনই সিদ্ধান্ত নেওয়ার সময়।

RBI-র রেপো রেট ও CRR কাট অর্থনীতির জন্য ইতিবাচক হলেও সঞ্চয় বিনিয়োগকারীদের জন্য এটি হতে পারে শেষ সুযোগ উচ্চ হারে এফডি করার। একইসাথে বন্ড মার্কেটে কম মেয়াদি স্কিমে বিনিয়োগ করলে ভালো লাভের সুযোগ রয়েছে। সঠিক পরিকল্পনা, FD ল্যাডারিং ও ডেট ফান্ড মিশ্রণে বিনিয়োগ করে আপনি সামনের আর্থিক পরিবেশে নিজেকে সুরক্ষিত রাখতে পারবেন।

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WhatsApp-এর নতুন ফিচার, এবার নম্বর শেয়ার না করেই হবে চ্যাট https://ekolkata24.com/business/whatsapp-%e0%a6%8f%e0%a6%b0-%e0%a6%a8%e0%a6%a4%e0%a7%81%e0%a6%a8-%e0%a6%ab%e0%a6%bf%e0%a6%9a%e0%a6%be%e0%a6%b0-%e0%a6%8f%e0%a6%ac%e0%a6%be%e0%a6%b0-%e0%a6%a8%e0%a6%ae%e0%a7%8d%e0%a6%ac%e0%a6%b0 Fri, 06 Jun 2025 09:07:43 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51120 WhatsApp তার ইউজারদের জন্য এক দারুণ প্রাইভেসি-ভিত্তিক ফিচার নিয়ে আসছে, যা অ্যাপ ব্যবহারের ধরণকেই আমূল বদলে দিতে পারে। এতদিন ধরে হোয়াটসঅ্যাপে নতুন কাউকে মেসেজ পাঠাতে গেলে, বা কোনো গ্রুপে অজানা কারো সঙ্গে কথা বলার সময় নিজের মোবাইল নম্বর অন্যকে দিতেই হতো। তবে নতুন আপডেটের পর আর মোবাইল নম্বর শেয়ার করতে হবে না। মেটা-র (Meta) মালিকানাধীন সংস্থা জানিয়েছে, এবার হোয়াটসঅ্যাপ-এও Telegram এবং Signal-এর মতো ইউজারনেম-ভিত্তিক চ্যাটিং সাপোর্ট করবে।

এই ফিচার চালু হলে, ব্যবহারকারীরা নিজেদের জন্য একটি ইউনিক ইউজারনেম তৈরি করতে পারবেন, যা তাদের পরিচয় হিসেবে কাজ করবে। নতুন কোনো কনট্যাক্টের সঙ্গে কথা বলার সময় বা কোনো গ্রুপে অজানা কারোর সঙ্গে যোগাযোগ করার সময়, সামনের ব্যক্তি শুধুমাত্র ইউজারনেমটাই দেখতে পাবে, মোবাইল নম্বর নয়। এর ফলে ব্যবহারকারীদের ব্যক্তিগত তথ্য আরও সুরক্ষিত থাকবে।

WhatsApp বিটা ভার্সনে মিলেছে নতুন ফিচারের ইঙ্গিত

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WABetaInfo-এর রিপোর্ট অনুযায়ী, এই নতুন ফিচারটির পরীক্ষামূলক কার্যক্রম ইতিমধ্যেই শুরু হয়েছে WhatsApp-এর iOS বিটা ভার্সন 25.17.10.70-এ। এই বিটা ভার্সনে ইউজারদের একটি পছন্দসই ইউজারনেম সেট করার অপশন দেওয়া হয়েছে। ইউজারনেমটি ৩ থেকে ৩০টি ক্যারেক্টারের মধ্যে হতে পারবে এবং এতে ছোট হাতের অক্ষর, সংখ্যা, আন্ডারস্কোর ও ডট ব্যবহারের সুযোগ থাকবে।

কেন গুরুত্বপূর্ণ এই ফিচার

হোয়াটসঅ্যাপ মূলত এই ফিচারটি প্রাইভেসি বৃদ্ধির লক্ষ্যেই আনছে। এটি বিশেষ করে তাদের জন্য উপযোগী হবে যারা প্রফেশনাল বা পাবলিক গ্রুপে নিয়মিত অ্যাকটিভ থাকেন এবং প্রত্যেকের সঙ্গে নিজের ফোন নম্বর শেয়ার করতে চান না। এই ফিচারের ফলে হোয়াটসঅ্যাপে চ্যাটিং হবে আরও নিরাপদ এবং ব্যক্তিগত। কোনো অপরিচিত ইউজারকে মেসেজ করতে গেলেও এখন আর নিজের ফোন নম্বর প্রকাশ করতে হবে না।

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বর্তমানে এই ফিচারটি কেবলমাত্র বিটা ইউজারদের জন্য উপলব্ধ। তবে আশা করা হচ্ছে, সফল পরীক্ষার পর WhatsApp এই ইউজারনেম-ভিত্তিক ফিচারটি Android এবং iOS – দুই প্ল্যাটফর্মেই রোলআউট করবে। রিপোর্ট অনুযায়ী, চলতি বছরের দ্বিতীয়ার্ধেই এই আপডেট সাধারণ ইউজারদের জন্য উন্মুক্ত করা হতে পারে। এটি হোয়াটসঅ্যাপের ইতিহাসে অন্যতম বড় পরিবর্তন হতে চলেছে বলে মনে করা হচ্ছে।

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HDFC ও ICICI ক্রেডিট কার্ডে খরচের ধরনে আসছে পরিবর্তন, জানুন নতুন নিয়ম https://ekolkata24.com/business/hdfc-%e0%a6%93-icici-%e0%a6%95%e0%a7%8d%e0%a6%b0%e0%a7%87%e0%a6%a1%e0%a6%bf%e0%a6%9f-%e0%a6%95%e0%a6%be%e0%a6%b0%e0%a7%8d%e0%a6%a1%e0%a7%87-%e0%a6%96%e0%a6%b0%e0%a6%9a%e0%a7%87%e0%a6%b0-%e0%a6%a7 Fri, 06 Jun 2025 08:56:12 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51121 যদি আপনি এইচডিএফসি (HDFC) অথবা আইসিআইসিআই (ICICI) ব্যাংকের ক্রেডিট কার্ড ব্যবহার করে থাকেন, তাহলে আপনার জন্য গুরুত্বপূর্ণ খবর রয়েছে। আগামী ১ জুলাই ২০২৫ থেকে এই দুটি ব্যাংক তাদের ক্রেডিট কার্ড সংক্রান্ত চার্জ ও নিয়মাবলিতে বড়সড় পরিবর্তন আনছে, যা সরাসরি আপনার মাসিক খরচে প্রভাব ফেলতে পারে।

HDFC ব্যাংকের ক্রেডিট কার্ডের নতুন নিয়মাবলি
HDFC ব্যাংক তাদের ক্রেডিট কার্ডের মাধ্যমে নির্দিষ্ট কিছু খাতে লেনদেনের ওপর নতুন ফি আরোপ করেছে এবং কিছু ক্ষেত্রে পুরনো নিয়ম বজায় রেখেছে। বিশেষ করে অনলাইন গেমিং, থার্ড-পার্টি ওয়ালেট লোড, ইউটিলিটি বিল এবং ইনস্যুরেন্স সংক্রান্ত লেনদেনে এই পরিবর্তন প্রযোজ্য হবে।

অনলাইন গেমিং খরচের ওপর চার্জ
যদি আপনি প্রতি মাসে ₹১০,০০০-এর বেশি অনলাইন গেমিং প্ল্যাটফর্মে খরচ করেন, তাহলে সেই পরিমাণের ওপর ১% অতিরিক্ত চার্জ আরোপ করা হবে। তবে এটি সর্বোচ্চ ₹৪,৯৯৯ পর্যন্ত সীমাবদ্ধ থাকবে।

থার্ড-পার্টি ওয়ালেট লোড
যদি আপনি এক মাসে ₹১০,০০০-এর বেশি অর্থ যেমন Paytm, MobiKwik, FreeCharge অথবা Ola Money-র মতো থার্ড-পার্টি ওয়ালেটে অ্যাড করেন, তাহলে পুরো লেনদেনের ওপর ১% ফি ধার্য হবে।

ইউটিলিটি বিল পেমেন্ট
যদি আপনার ইউটিলিটি বিল পেমেন্ট এক মাসে ₹৫০,০০০ ছাড়িয়ে যায়, তাহলে অতিরিক্ত ১% চার্জ আরোপ করা হবে। তবে ইনস্যুরেন্স সংক্রান্ত লেনদেনের ক্ষেত্রে এই চার্জ প্রযোজ্য হবে না, অর্থাৎ বিমার ক্ষেত্রে আপনি বাড়তি চার্জ থেকে রেহাই পাবেন।

অন্যান্য হালনাগাদ
HDFC ব্যাংক আরও কিছু খাতে চার্জের পরিবর্তন করেছে—
ভাড়া (Rent) পেমেন্ট: আগের মতোই ১% চার্জ প্রযোজ্য থাকবে।
জ্বালানি (Fuel) খরচ: যদি প্রতি মাসে ₹১৫,০০০-এর বেশি জ্বালানির পেছনে খরচ হয়, তাহলে ১% চার্জ লাগবে। তবে এখানেও সর্বোচ্চ ফি ₹৪,৯৯৯ পর্যন্ত সীমিত।
শিক্ষা (Education)-সংক্রান্ত লেনদেন: এর ওপরও সংশোধিত ফি লাগু হবে, তবে বিস্তারিত হার নির্দিষ্টভাবে উল্লেখ করা হয়নি।

ICICI ব্যাংকের ক্রেডিট কার্ড পরিবর্তন
ICICI ব্যাংকও তাদের সার্ভিস চার্জ ও ব্যবহারের শর্তাবলিতে গুরুত্বপূর্ণ পরিবর্তন এনেছে, যা ক্রেডিট কার্ড হোল্ডারদের খরচের ধরনকে প্রভাবিত করবে।

নগদ জমা, চেক ও ড্রাফট সংক্রান্ত ফি
নতুন নিয়ম অনুযায়ী, নগদ অর্থ, চেক, ডিমান্ড ড্রাফট অথবা পে অর্ডার জমার ক্ষেত্রে প্রতি ₹১,০০০-এর জন্য ₹২ চার্জ প্রযোজ্য হবে।
ন্যূনতম চার্জ: ₹৫০
সর্বোচ্চ চার্জ: ₹১৫,০০০

আগে যেখানে ₹১০,০০০ পর্যন্ত ডিপোজিটে ₹৫০ ফি ধার্য ছিল, এখন সেখানে প্রতিটি ₹১,০০০-এ চার্জ আরোপ করা হচ্ছে। ফলে বড় অংকের জমায় গ্রাহকদের অতিরিক্ত অর্থ গুণতে হবে।

ATM ব্যবহারে নতুন নিয়ম
অন্যান্য ব্যাংকের এটিএমে তিনটি ফ্রি লেনদেনের পর:

আর্থিক লেনদেন: ₹২৩ ফি
অআর্থিক লেনদেন (Non-financial): ₹৮.৫০ ফি
এই পরিবর্তনের ফলে যারা ঘনঘন এটিএম ব্যবহার করেন, তাদের জন্য এটি উল্লেখযোগ্য খরচে পরিণত হবে।

লাউঞ্জ অ্যাক্সেসে পরিবর্তন
আগে কিছু নির্দিষ্ট ICICI ক্রেডিট কার্ডে বিনামূল্যে ডোমেস্টিক এয়ারপোর্ট লাউঞ্জ অ্যাক্সেস দেওয়া হত। এখন থেকে শুধুমাত্র সেই কার্ডহোল্ডাররাই এই সুবিধা পাবেন, যারা পূর্ববর্তী কোয়ার্টারে কমপক্ষে ₹৭৫,০০০ খরচ করেছেন।

অর্থাৎ, যদি আপনি এক ত্রৈমাসিকে এই পরিমাণ খরচ না করেন, তাহলে আগামী তিন মাসের জন্য বিনামূল্যে লাউঞ্জ ব্যবহার করতে পারবেন না।

এই পরিবর্তনগুলি সাধারণ গ্রাহকদের উপরে সরাসরি প্রভাব ফেলবে। বিশেষ করে যারা অনলাইন গেমিং, ওয়ালেট লোড, বা উচ্চ পরিমাণে ইউটিলিটি বিল পেমেন্ট করেন, তাদের জন্য এই নতুন চার্জ একটি বড় ধাক্কা হতে পারে। একইভাবে, ICICI ব্যাংকের ATM ও লাউঞ্জ অ্যাক্সেস সংক্রান্ত পরিবর্তনও রোজকার ব্যাংকিং ব্যবহারে অসুবিধা সৃষ্টি করতে পারে।

তাই আপনার যদি HDFC বা ICICI ব্যাংকের ক্রেডিট কার্ড থাকে, তবে এখনই এই নতুন নিয়মগুলি ভালো করে বুঝে নেওয়া জরুরি, যাতে আপনি অপ্রত্যাশিত চার্জ থেকে নিজেকে রক্ষা করতে পারেন এবং খরচের পরিকল্পনায় সচেতন থাকতে পারেন।

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লোন নেওয়া এখন আরও সহজ, আরবিআইয়ের সিদ্ধান্তে কমবে সুদের হার https://ekolkata24.com/business/%e0%a6%b2%e0%a7%8b%e0%a6%a8-%e0%a6%a8%e0%a7%87%e0%a6%93%e0%a6%af%e0%a6%bc%e0%a6%be-%e0%a6%8f%e0%a6%96%e0%a6%a8-%e0%a6%86%e0%a6%b0%e0%a6%93-%e0%a6%b8%e0%a6%b9%e0%a6%9c-%e0%a6%86%e0%a6%b0%e0%a6%ac Fri, 06 Jun 2025 08:06:48 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51122 রিজার্ভ ব্যাংক অফ ইন্ডিয়া (RBI) আবারও রেপো রেট কমিয়ে ৫০ বেসিস পয়েন্ট কমিয়েছে, যা দেশের কোটি কোটি ঋণগ্রহীতার জন্য অত্যন্ত স্বস্তিদায়ক খবর। এই সিদ্ধান্তের ফলে হোম লোন, অটো লোন এবং পার্সোনাল লোন নেওয়া আরও সস্তা হবে। একইসঙ্গে, যারা ইতিমধ্যেই ঋণ নিয়েছেন, তাদের মাসিক EMI-ও কিছুটা হ্রাস পাবে।

বর্তমানে, এই নতুন রেপো রেট কেটে ৬ শতাংশ থেকে কমে হয়েছে ৫.৫০ শতাংশ। এটি COVID-19 মহামারির পর RBI-র তৃতীয়বারের মতো সুদের হার হ্রাস করার সিদ্ধান্ত। ২০২০ সালের মে মাস থেকে ২০২২ সালের এপ্রিল পর্যন্ত রেপো রেট ছিল ৪ শতাংশ। এরপর ধাপে ধাপে ২০২২-এর এপ্রিল থেকে ২০২৩-এর ফেব্রুয়ারি পর্যন্ত এই হার বাড়িয়ে ৬.৫ শতাংশে পৌঁছে যায়। গত দুই বছর এই হার অপরিবর্তিত রাখার পর এবার আবার তা কমানো হল।

হোম লোন EMI-তে সরাসরি প্রভাব
রেপো রেট কমানোর সরাসরি প্রভাব দেখা যাবে হোম লোন EMI-তে। ধরুন, আপনি HDFC ব্যাংক থেকে ৫০ লক্ষ টাকার হোম লোন নিয়েছেন ৩০ বছরের জন্য, ৮.৭০ শতাংশ সুদে।

  • বর্তমান EMI: ₹৩৯,১৩৬
  • নতুন সুদের হার (৮.২০%) অনুযায়ী EMI: ₹৩৭,৩৪৬
  • প্রতি মাসে সাশ্রয়: ₹১,৭৯০
  • বার্ষিক সাশ্রয়: ₹২১,৪৮০

যদিও মাসে ₹৯০০ থেকে ₹১৮০০-এর মতো সাশ্রয় শুনতে সামান্য মনে হতে পারে, তবে দীর্ঘমেয়াদে অর্থাৎ ৩০ বছরের ঋণ মেয়াদে এই ছোট ছোট সাশ্রয় কয়েক লক্ষ টাকায় পৌঁছে যায়। এটি একটি বাস্তবিক এবং গুরুত্বপূর্ণ আর্থিক স্বস্তি।

পার্সোনাল লোন EMI-তেও সাশ্রয়:
একই প্রভাব দেখা যাবে পার্সোনাল লোন EMI-তেও। ধরুন, ৫ লক্ষ টাকার একটি পার্সোনাল লোন নেওয়া হয়েছে ১২ শতাংশ সুদে ৫ বছরের জন্য।

  • বর্তমান EMI: ₹১১,১২২
  • নতুন সুদের হার (১১.৫০%) অনুযায়ী EMI: ₹১০,৯৬৩
  • প্রতি মাসে সাশ্রয়: ₹১৫৯
  • বার্ষিক সাশ্রয়: ₹১,৯০৮

যদিও পার্সোনাল লোনে EMI সাশ্রয় হোম লোনের তুলনায় তুলনামূলকভাবে কম, তবুও এটি ঋণগ্রহীতার সামগ্রিক বাজেট ব্যবস্থাপনায় ইতিবাচক প্রভাব ফেলবে।

ব্যাংক কীভাবে রেপো রেট কাটকে কার্যকর করবে?
এই EMI সাশ্রয় কিন্তু পুরোপুরি নিশ্চিত নয়, কারণ প্রতিটি ব্যাংক তাদের নিজস্ব প্রক্রিয়ায় রেপো রেট কমানোর প্রভাব গ্রাহকের ওপর প্রয়োগ করে। ঋণের সুদের হার মূলত দুটি অংশে বিভক্ত— MCLR (Marginal Cost of Funds based Lending Rate) এবং স্প্রেড।

RBI যখন রেপো রেট কমায়, তখন ব্যাংকগুলোর MCLR কমার সম্ভাবনা থাকে, কারণ তারা কেন্দ্রীয় ব্যাংক থেকে কম হারে ঋণ নিতে পারে। তবে স্প্রেড বা মার্জিনটি প্রত্যেক ব্যাংকের নিজস্ব নীতি অনুসারে নির্ধারিত হয়, এবং এখানেই ভিন্নতা দেখা দিতে পারে। কিছু ব্যাংক সম্পূর্ণ রেপো রেট কাটের সুবিধা গ্রাহকদের দেয়, আবার কিছু ব্যাংক সীমিত পরিমাণে ছাড় দেয়।

নতুন ঋণগ্রহীতাদের জন্য সুখবর
যারা বর্তমানে হোম, অটো বা পার্সোনাল লোন নেওয়ার পরিকল্পনা করছেন, তাদের জন্য এই রেপো রেট হ্রাস একটি সুবর্ণ সুযোগ। সুদের হার কম হওয়ায় তাদের ঋণের EMI তুলনামূলকভাবে কম থাকবে, যা তাদের ঋণ গ্রহণের সিদ্ধান্তকে আরও সহজতর করে তুলবে। এর ফলে রিয়েল এস্টেট, অটোমোবাইল এবং কনজিউমার ডিউরেবল পণ্য খাতে চাহিদা বাড়তে পারে।

কী বলছেন বিশেষজ্ঞরা?
অর্থনীতিবিদদের মতে, RBI-র এই পদক্ষেপ ভারতের অর্থনীতিকে চাঙ্গা করার একটি প্রয়াস। ঋণের খরচ কমলে ভোক্তারা আরও বেশি খরচ করতে পারবেন, যার ফলে বাজারে লেনদেন বাড়বে এবং সামগ্রিক অর্থনৈতিক গতি ফিরে আসবে।

তবে বিশেষজ্ঞরা এটাও বলছেন, EMI-তে সুবিধা পেতে হলে গ্রাহকদের তাদের ব্যাংকের সঙ্গে যোগাযোগ করে জানতে হবে তারা কতটা রেপো রেট কাটের সুবিধা পেয়েছেন। অনেক সময় ব্যাংকগুলো স্বয়ংক্রিয়ভাবে সুদের হার হ্রাস করে না, গ্রাহকদের আবেদন করতে হতে পারে।

RBI-র সাম্প্রতিক রেপো রেট কমানোর সিদ্ধান্ত দেশের ঋণগ্রহীতাদের জন্য এক বড় স্বস্তির নিঃশ্বাস। হোম ও পার্সোনাল লোনের ক্ষেত্রে EMI কমে যাওয়া মধ্যবিত্ত ও নিম্ন-মধ্যবিত্ত পরিবারের মাসিক বাজেট পরিচালনায় সাহায্য করবে। যদিও চূড়ান্ত EMI সাশ্রয় নির্ভর করবে সংশ্লিষ্ট ব্যাংকের সিদ্ধান্তের ওপর, তবুও সামগ্রিকভাবে এটি দেশের অর্থনীতিকে চাঙ্গা করতে সহায়ক হবে বলে মনে করছেন বিশ্লেষকেরা।

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আজ Realme C73 5G-এর প্রথম সেল, 6000mAh ব্যাটারির ফোন কিনুন মাত্র 9,999 টাকায় https://ekolkata24.com/business/%e0%a6%86%e0%a6%9c-realme-c73-5g-%e0%a6%8f%e0%a6%b0-%e0%a6%aa%e0%a7%8d%e0%a6%b0%e0%a6%a5%e0%a6%ae-%e0%a6%b8%e0%a7%87%e0%a6%b2-6000mah-%e0%a6%ac%e0%a7%8d%e0%a6%af%e0%a6%be%e0%a6%9f%e0%a6%be%e0%a6%b0 Fri, 06 Jun 2025 07:33:53 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51123 Realme C73 5G সম্প্রতি ভারতের বাজারে লঞ্চ হয়েছে। এই মডেলটিকে “১০,০০০-এর কমে ভারতের ব্যাটারি চ্যাম্পিয়ান” হিসাবে আখ্যায়িত করা হয়েছে। উল্লেখযোগ্য বিষয়, আজ থেকেই ফোনটি Flipkart-এ প্রথমবারের মতো সেলের জন্য উপলব্ধ হয়েছে। শক্তিশালী ব্যাটারি, উচ্চ রিফ্রেশ রেট ডিসপ্লে ও আকর্ষণীয় দামে আসা এই ফোন বাজেট ইউজারদের জন্য বেশ লাভজনক একটি বিকল্প হতে চলেছে।

Realme C73 5G দাম ও অফার

ভারতে Realme C73 5G দুটি ভ্যারিয়েন্টে লঞ্চ হয়েছে। এর 4GB RAM + 64GB স্টোরেজ ভ্যারিয়েন্টের দাম রাখা হয়েছে ১০,৪৯৯ টাকা এবং 4GB RAM + 128GB স্টোরেজ ভ্যারিয়েন্টের দাম ১১,৯৯৯ টাকা। তবে ফার্স্ট সেল অফারের অধীনে ৫০০ টাকার ইনস্ট্যান্ট ব্যাঙ্ক ডিসকাউন্ট পাওয়া যাচ্ছে, যার ফলে ফোনটি মাত্র ৯,৯৯৯ টাকায় উপলব্ধ হয়েছে।

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পারফরম্যান্স ও ডিসপ্লে

C73 5G-তে রয়েছে MediaTek Dimensity 6300 5G চিপসেট, যা এই দামে একটি শক্তিশালী এবং স্থিতিশীল 5G অভিজ্ঞতা প্রদান করে। ফোনটিতে দেওয়া হয়েছে 120Hz রিফ্রেশ রেটযুক্ত Eye-Care ডিসপ্লে, যা দীর্ঘ সময় ব্যবহারের পরও চোখে চাপ কম পড়তে সাহায্য করে। এই ফোনটি তিনটি রঙে পাওয়া যাচ্ছে – জেড গ্রিন, ক্রিস্টাল পার্পল এবং অনিক্স ব্ল্যাক।

ফোনটির অন্যতম আকর্ষণ হল ৬০০০mAh ব্যাটারি, যা ১৫ ওয়াট ফাস্ট চার্জিং সাপোর্ট করে। দৈনন্দিন ব্যবহারে বা বিনোদনের জন্য এটি একটি দীর্ঘস্থায়ী ব্যাটারি ব্যাকআপ প্রদান করে। কোম্পানির দাবি অনুযায়ী, ফোনটি একবার চার্জে ৪৬.৬ ঘণ্টা পর্যন্ত কলিং, ১৭.৯ ঘণ্টা ইনস্টাগ্রাম ব্রাউজিং এবং ১৩.৩ ঘণ্টা পর্যন্ত গেম খেলার সুযোগ দেয়।

ছবির জন্য, C73 5G-তে ৫০ মেগাপিক্সেল প্রাইমারি ক্যামেরা দেওয়া হয়েছে, যা এই দামের মধ্যে ভালো মানের ছবি তুলতে সক্ষম। সেলফি এবং ভিডিও কলের জন্য ১৬ মেগাপিক্সেল ফ্রন্ট ক্যামেরা দেওয়া হয়েছে। যদিও এতে আলাদা করে আল্ট্রা-ওয়াইড বা ম্যাক্রো লেন্স নেই, তবে মূল ক্যামেরাটিই যথেষ্ট ভালো পারফরম্যান্স দিচ্ছে।

6GB ব়্যাম ও 200MP ক্যামেরা সহ আসছে নতুন ফোল্ডেবল ফোন

প্রসঙ্গত, Realme C73 5G বাজেটের মধ্যে একটি সম্পূর্ণ প্যাকেজ অফার করছে। বিশাল ব্যাটারি, 5G সাপোর্ট, 120Hz ডিসপ্লে এবং উন্নত ক্যামেরা – সব মিলিয়ে এটি যারা কম দামে একটি ভাল পারফরম্যান্স ফোন খুঁজছেন তাদের জন্য একটি আদর্শ পছন্দ হতে পারে। আজ থেকেই Flipkart-এ এই ফোনটি বিশেষ অফারে কেনা যাচ্ছে।

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নতুন প্রজন্মের Mahindra Bolero-র টেস্টিং শুরু, এদেশে প্রথমবার ধরা পড়ল ক্যামেরায় https://ekolkata24.com/business/%e0%a6%a8%e0%a6%a4%e0%a7%81%e0%a6%a8-%e0%a6%aa%e0%a7%8d%e0%a6%b0%e0%a6%9c%e0%a6%a8%e0%a7%8d%e0%a6%ae%e0%a7%87%e0%a6%b0-mahindra-bolero-%e0%a6%b0-%e0%a6%9f%e0%a7%87%e0%a6%b8%e0%a7%8d%e0%a6%9f%e0%a6%bf Thu, 05 Jun 2025 08:52:05 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51114 নতুন প্রজন্মের Mahindra Bolero-র টেস্টিং চলছে জোরকদমে। সম্প্রতি ভারতেরে রাস্তায় এই জনপ্রিয় এসইউভি-র (SUV) দেখা গিয়েছে। তবে মডেলটি আপাদমস্তক ক্যামোফ্লেজে মোড়ানো অবস্থায় ধরা দিয়েছে। টেস্ট মিউলের ছবি ইতিমধ্যেই অনলাইনে ছড়িয়ে পড়েছে। জানা যাচ্ছে, এই নতুন SUV-টি পুরনো বোলেরোর ক্লাসিক রেট্রো ডিজাইনকে বজায় রেখেই আরও আধুনিক নকশার সঙ্গে বাজারে আনবে মাহিন্দ্রা।

এই নতুন প্রজন্মের বোলেরো (Mahindra Bolero) গড়ে উঠবে একেবারে নতুন প্ল্যাটফর্মের উপর ভিত্তি করে। যেটির বিস্তারিত মাহিন্দ্রা প্রকাশ করতে পারে ১৫ আগস্ট, স্বাধীনতা দিবসের। সেই সঙ্গে একটি নতুন মডিউলার মনোকক চ্যাসিসের সম্ভাবনাও রয়েছে, যেটি ভবিষ্যতের অন্যান্য গাড়িতেও ব্যবহার করা যেতে পারে।

Mahindra Bolero-র নকশায় থাকছে আধুনিকতা ও রেট্রোর সমন্বয়

যদিও SUV-টি পুরোপুরি ক্যামোফ্লাজ করা ছিল, তবুও কিছু গুরুত্বপূর্ণ ডিজাইন উপাদান নজরে এসেছে। সামনের দিকে দেখা গেছে নতুন স্টাইলের মাহিন্দ্রা গ্রিল, যেখানে রয়েছে ভার্টিক্যাল স্ল্যাটস এবং তার দুই পাশে রয়েছে হেডল্যাম্প ইউনিট। হেডল্যাম্প গুলি রেক্ট্যাঙ্গুলার ইউনিটই থাকবে বলে মনে করা হচ্ছে, যদিও ক্যামোফ্লাজে রাউন্ড কাটআউট দেখা গেছে। এছাড়াও SUV-টির ফ্ল্যাট বনেট এবং কিছুটা কোণাকুণি আকৃতির বাম্পার ডিজাইনও নজর কেড়েছে।

গাড়ির সাইড প্রোফাইলে আগের চেয়ে অনেকটা পরিপাটি ডিজাইন দেখা গেছে। স্কোয়্যার্ড-অফ ফ্লেয়ার্ড হুইল আর্চ, ফ্লাশ-সিটিং ডোর হ্যান্ডল এবং প্রোমিনেন্ট রিয়ার হাঞ্চ SUV-টির নতুন চেহারাকে আরও আকর্ষণীয় করেছে। পিছনের দিকে আগের মতোই সাইড-ওপেনিং টেইলগেট থাকছে বলে মনে করা হচ্ছে এবং সেখানে স্পেয়ার হুইলের জায়গা থাকলেও এই মডেলে সম্ভবত কোনো সেন্সর মডিউল বসানো হয়েছে।

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যদিও নতুন প্রজন্মের প্ল্যাটফর্ম সম্পর্কে এখনও বিস্তারিত কিছু জানা যায়নি, তবে শোনা যাচ্ছে এটি একটি মডুলার মনোকক প্ল্যাটফর্ম হতে পারে যা ভবিষ্যতে হাইব্রিড প্রযুক্তিকে সাপোর্ট করতে সক্ষম হবে। মাহিন্দ্রা আগামী দিনে তাদের গাড়িতে হাইব্রিড টেকনোলজি প্রয়োগ করতে আগ্রহী বলে বিভিন্ন রিপোর্টে জানানো হয়েছে।

মাহিন্দ্রা তাদের পুরনো বোলেরো মডেলকে স্করপিও ক্লাসিকের মতোই রেটেইন করতে পারে, যেটি মূলত গ্রামীণ বাজারের জন্য খরচ-সাশ্রয়ী অপশন হিসেবে থাকবে। অপরদিকে নতুন প্রজন্মের বোলেরো মডেলটি বোলেরো নিও-র জায়গা নিয়ে আরও প্রিমিয়াম এবং আপমার্কেট SUV হিসেবে বাজারে আত্মপ্রকাশ করতে পারে। নতুন এই SUV-টির কনসেপ্ট ভার্সনের প্রথম ঝলক আমরা পেতে পারি আগামী ১৫ আগস্টে, যেখানে মাহিন্দ্রা তাদের নতুন প্ল্যাটফর্ম এবং ভবিষ্যতের প্রোডাক্ট লাইনআপ সম্পর্কে দিকনির্দেশ দিতে পারে।

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প্রসঙ্গত, নতুন প্রজন্মের মাহিন্দ্রা বোলেরো (Mahindra Bolero) শুধুমাত্র ডিজাইন বা প্রযুক্তির দিক থেকেই নয়, ব্র্যান্ড স্ট্র্যাটেজির ক্ষেত্রেও এক গুরুত্বপূর্ণ পদক্ষেপ হতে চলেছে। গ্রামীণ ও শহুরে উভয় বাজারেই আলাদা করে টার্গেট করে মাহিন্দ্রা তাদের বোলেরো ব্র্যান্ডকে আরও শক্তিশালী করে তুলতে চাইছে। নতুন প্ল্যাটফর্মের ওপর তৈরি এই SUV কেমন হয় এবং এতে ঠিক কী কী ফিচার থাকে, তা জানার জন্য আগ্রহে অপেক্ষা করছে গাড়িপ্রেমীরা।

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আগামীকাল RBI-র রেট কাট ঘোষণা, বিনিয়োগকারীদের জন্য কী বার্তা? https://ekolkata24.com/business/%e0%a6%86%e0%a6%97%e0%a6%be%e0%a6%ae%e0%a7%80%e0%a6%95%e0%a6%be%e0%a6%b2-rbi-%e0%a6%b0-%e0%a6%b0%e0%a7%87%e0%a6%9f-%e0%a6%95%e0%a6%be%e0%a6%9f-%e0%a6%98%e0%a7%8b%e0%a6%b7%e0%a6%a3%e0%a6%be-%e0%a6%ac Thu, 05 Jun 2025 08:37:38 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51115 রিজার্ভ ব্যাংক অব ইন্ডিয়ার (RBI) মনিটারি পলিসি কমিটির (MPC) বৈঠক শুক্রবার, ৬ জুন শেষ হতে চলেছে। তার আগেই বিভিন্ন শিল্পমহলে তৈরি হয়েছে তীব্র উত্তেজনা ও প্রত্যাশা। বাজার বিশেষজ্ঞ ও বিশ্লেষকদের মতে, রিজার্ভ ব্যাংক এবার রেপো রেট ২৫ বেসিস পয়েন্ট কমিয়ে ৬ শতাংশ থেকে ৫.৭৫ শতাংশে নামিয়ে আনতে পারে। তবে স্টেট ব্যাংক অফ ইন্ডিয়া (SBI)-র মতে, এই অনিশ্চয়তার আবহে RBI একটি ‘জাম্বো রেট কাট’ অর্থাৎ ৫০ বেসিস পয়েন্ট পর্যন্ত কমানোর কথা ভাবতে পারে, যাতে ঋণচক্রে গতি আনা যায়।

মুদ্রানীতির সিদ্ধান্তের আগে অর্থনীতির অবস্থা
বর্তমান দেশের আর্থিক পরিস্থিতি যথেষ্ট স্থিতিশীল। মূল্যস্ফীতি নিয়ন্ত্রণে রয়েছে, এবং প্রবৃদ্ধির গতি বজায় আছে। এই অবস্থায় রিজার্ভ ব্যাংকের সামনে একটি সুস্পষ্ট সুযোগ তৈরি হয়েছে, যাতে তারা ঋণ নেওয়ার খরচ কিছুটা কমিয়ে অর্থনৈতিক গতি আরও বাড়াতে পারেন।

রেট কাটের প্রত্যাশায় ঋণদাতারা
Bondbazaar-এর প্রতিষ্ঠাতা সুরেশ দারক বলেছেন, “২৫ বেসিস পয়েন্ট রেট কাট খুবই সম্ভব। এর মাধ্যমে অর্থনৈতিক প্রবৃদ্ধিতে সহায়তা হবে, এবং মূল্যস্ফীতিও নিয়ন্ত্রণে থাকবে। রিজার্ভ ব্যাংক হয়তো তাদের ‘accommodative stance’ বজায় রাখবে।” তিনি আরও বলেন, রেট কাটের ফলে বন্ড মার্কেটে ইতিবাচক প্রতিক্রিয়া দেখা যাবে, কারণ সুদের হার কমলে বন্ডের দাম বাড়ে এবং বিনিয়োগকারীদের রিটার্নও বেড়ে যায়।

MSME, আবাসন ও স্বাস্থ্যখাতে সুবিধা
ব্যাংক অফ বরোদার মুখ্য অর্থনীতিবিদ মদন সাবনাভিসও বলেন, “মুদ্রানীতির স্বস্তিদায়ক অবস্থান ও চলমান আর্থিক তরলতার ভিত্তিতে ২৫ বেসিস পয়েন্ট কমানোর সম্ভাবনা প্রবল।” এর ফলে সবচেয়ে বেশি সুবিধা পাবে MSME সেক্টর, গ্রামীণ এলাকা ও স্বল্প আয়ভিত্তিক সংস্থা ও গ্রাহকরা।

Moneyboxx Finance-এর সহ-প্রতিষ্ঠাতা দীপক আগরওয়াল মনে করেন, “রেট কাট ছোট উদ্যোগগুলির জন্য অত্যন্ত ইতিবাচক হবে। এতে কর্মসংস্থান ও অন্তর্ভুক্তিমূলক প্রবৃদ্ধির পথে একধাপ এগিয়ে যাবে দেশ।”

আবাসন ও হেলথকেয়ার খাতে উদ্দীপনা
আবাসন শিল্পের জন্য এই রেট কাট অত্যন্ত গুরুত্বপূর্ণ হতে পারে। Colliers India-এর গবেষণা প্রধান বিমল নাদার বলেন, “তৃতীয়বারের মতো যদি রেট কাট হয়, তাহলে মধ্যবিত্ত ও সাশ্রয়ী হাউজিং সেগমেন্টে চাহিদা বাড়বে। ডেভেলপারদেরও কম সুদের হার সুবিধা দেবে।”

CarePal Money-এর চিফ বিজনেস অফিসার সাহিল লক্ষ্মণন বলেন, “স্বাস্থ্যখাতে অর্থায়নের ব্যয় কমে গেলে সাধারণ মানুষের পক্ষে চিকিৎসা খাতে ঋণ গ্রহণ সহজতর হবে, যা স্বাস্থ্যখাতের আর্থিক অন্তর্ভুক্তিকে উৎসাহিত করবে।”

ভোক্তা ও ঋণগ্রহীতাদের জন্য স্বস্তির খবর
AUM Wealth-এর প্রতিষ্ঠাতা অমিত সুরি বলেন, “বর্তমানে যারা পার্সোনাল লোন কিংবা ক্রেডিট কার্ড ঋণের বোঝা বইছেন, তাদের উচিত এই পরিস্থিতিতে প্রিপেমেন্ট কিংবা কনসলিডেশনের দিক ভাবা। ফ্লোটিং রেট হোম লোন যাঁদের আছে, তাঁদের মাসিক EMI ধীরে ধীরে কমবে।”

বিনিয়োগকারীদের জন্য পরামর্শ
Centricity WealthTech-এর প্রতিষ্ঠাতা দলের সদস্য বিনায়ক মাগোত্রা বলেন, “RBI-এর রেট কাটের ফলে সবচেয়ে আগে লাভবান হবে NBFC ও ব্যাঙ্কিং সেক্টর। এর পর পর্যায়ক্রমে উপকৃত হবে কনজাম্পশন সেক্টরের বিভিন্ন অংশ, যেমন: কনজ্যুমার ডিউরেবল, ডিসক্রিশনারি, রিটেইল, হোটেল, এয়ারলাইন্স, ই-কমার্স ও অটো।”

তিনি আরও যোগ করেন, “বিনিয়োগের ক্ষেত্রে বড় নামগুলোর দিকে ঝোঁকানো উচিৎ, কারণ ছোট কোম্পানিগুলির ভ্যালুয়েশন এখন অনেকটাই চড়া। ICICI, HDFC-এর মতো বড় প্রাইভেট ব্যাঙ্ক, Bajaj Finance-এর মতো মানসম্পন্ন NBFC, Voltas, Mahindra & Mahindra, InterGlobe Aviation, Ventive Hospitality, এবং নেতৃস্থানীয় রিটেইল ব্র্যান্ড — এই সংস্থাগুলিতে বিনিয়োগ করা নিরাপদ।”

বিনিয়োগকারীদের জন্য Dos & Don’ts

Do’s:

  • নিয়মিত SIP চালিয়ে যাওয়া
  • বড় নামগুলিতে ফোকাস করা
  • টপ-ডাউন ও বটম-আপ দুই দিক থেকে সংস্থার বিশ্লেষণ

Don’ts:

  • ক্যাশ ফ্লো দুর্বল এমন সেক্টরে বিনিয়োগ এড়ানো
  • বাজার হঠাৎ পড়লে লাম্প সাম বিনিয়োগ না করা
  • অ্যাসেট অ্যালোকেশন অবহেলা না করা

দেশের সামগ্রিক আর্থিক চিত্র বর্তমানে যথেষ্ট ইতিবাচক। RBI যদি আগামীকাল ৬ জুন একটি রেট কাটের সিদ্ধান্ত নেয়, তাহলে তা কেবলমাত্র ব্যবসায়িক পরিবেশকেই চাঙা করবে না, পাশাপাশি মধ্যবিত্ত ও নিম্নআয়ের জনগণের আর্থিক ভারসাম্যেও স্বস্তি এনে দেবে। এখন সমস্ত নজর কেন্দ্রীভূত RBI গভর্নর সঞ্জয় মালহোত্রা ও MPC-র চূড়ান্ত সিদ্ধান্তের দিকে।

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