Business Desk – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Mon, 30 Jun 2025 16:53:37 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png Business Desk – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 Mango and Litchi Harvests: जलवायु परिवर्तन कैसे बंगाल के आम और लीची की फसलों को नष्ट कर रहा है https://ekolkata24.com/business/how-rising-temperatures-are-ruining-bengals-iconic-mango-and-litchi-harvests Mon, 30 Jun 2025 16:53:37 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52103 Mango and Litchi Harvests: पश्चिम बंगाल के आम और लीची, जो न केवल स्थानीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी प्रसिद्ध हैं, जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों के कारण गंभीर खतरे का सामना कर रहे हैं। ये फल न केवल स्वाद के लिए बल्कि राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, असामान्य मौसम, बढ़ता तापमान, अनियमित वर्षा और बार-बार होने वाली प्राकृतिक आपदाओं ने इन फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। यह स्थिति न केवल किसानों की आजीविका को प्रभावित कर रही है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर डाल रही है।

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**जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
पिछले कुछ दशकों में पश्चिम बंगाल में औसत तापमान में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। आम और लीची की फसलों के लिए विशिष्ट तापमान और आर्द्रता की आवश्यकता होती है। लेकिन अत्यधिक गर्मी और शुष्क मौसम ने फल उत्पादन को कम कर दिया है। उदाहरण के लिए, मालदा, जिसे “भारत की आम की राजधानी” कहा जाता है, वहां पिछले एक दशक में आम का उत्पादन लगभग 30% तक कम हो गया है। इसी तरह, उत्तर बंगाल के लीची किसान बताते हैं कि असमय बारिश और तीव्र गर्मी के कारण फलों की गुणवत्ता और मात्रा में कमी आई है।

अनियमित वर्षा ने इस समस्या को और जटिल कर दिया है। आम और लीची की फसलों को निश्चित समय पर संतुलित वर्षा की आवश्यकता होती है। लेकिन अप्रत्याशित या अत्यधिक बारिश के कारण फल गिर रहे हैं और उनकी मिठास कम हो रही है। 2024 में, मालदा और मुर्शिदाबाद में असमय बारिश के कारण आम का उत्पादन लगभग 20% कम हुआ। इसके अलावा, बार-बार आने वाले तूफान और चक्रवात फल के पेड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है।

**किसानों पर प्रभाव
यह स्थिति किसानों के लिए एक बुरे सपने की तरह है। मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तर दिनाजपुर जैसे जिलों में हजारों किसान परिवार, जो आम और लीची की खेती पर निर्भर हैं, अपनी आजीविका खो रहे हैं। कम उत्पादन और बाजार की मांग को पूरा न कर पाने के कारण किसान कर्ज के बोझ तले दब रहे हैं। कई किसान अपनी जमीन बेचने को मजबूर हो रहे हैं या अन्य व्यवसायों की ओर रुख कर रहे हैं।

मालदा के एक किसान, रमेश मंडल, कहते हैं, “हर साल हम अच्छी फसल की उम्मीद करते हैं, लेकिन गर्मी और बारिश की कमी ने हमारे सपनों को तोड़ दिया है। अब बाजार में आम बेचकर भी लागत नहीं निकल रही।” यह स्थिति न केवल किसानों के लिए, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी हानिकारक है। आम और लीची के निर्यात पर निर्भर व्यापारी भी नुकसान झेल रहे हैं।

**समाधान के उपाय
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए विशेषज्ञों ने कुछ उपाय सुझाए हैं। सबसे पहले, जलवायु-सहिष्णु आम और लीची की किस्मों को विकसित करने की आवश्यकता है, जो उच्च तापमान और अनियमित वर्षा को सहन कर सकें। दूसरा, किसानों के लिए आधुनिक सिंचाई विधियों और जल संरक्षण तकनीकों को लागू करना चाहिए। तीसरा, किसानों को जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूक करने और उन्हें प्रशिक्षण देने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी पहल की आवश्यकता है।

सरकार को किसानों के लिए वित्तीय सहायता और फसल बीमा योजनाओं को बढ़ावा देना चाहिए। इसके अलावा, अनुसंधान संस्थानों के साथ सहयोग करके जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए नई रणनीतियों का आविष्कार किया जा सकता है।

पश्चिम बंगाल में आम और लीची की खेती जलवायु परिवर्तन के कारण गंभीर संकट का सामना कर रही है। यह समस्या न केवल किसानों के लिए, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक विरासत के लिए भी खतरा है। इसलिए, तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। किसानों, सरकार और शोधकर्ताओं के संयुक्त प्रयासों से इस संकट से निपटा जा सकता है। बंगाल के गौरव, आम और लीची, को बचाने के लिए जलवायु परिवर्तन के खिलाफ समन्वित कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है।

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8th Pay Commission: मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए बड़ा अवसर या निराशा? https://ekolkata24.com/business/big-pay-hike-or-modest-gain-8th-pay-commissions-impact-on-middle-income-households Mon, 30 Jun 2025 14:43:50 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52097 केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए आठवां वेतन आयोग (8th Pay Commission) एक महत्वपूर्ण खबर बनकर उभरा है। 16 जनवरी, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस आयोग के गठन को मंजूरी दी, जिसके 1 जनवरी, 2026 से लागू होने की संभावना है। यह आयोग लगभग 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों के लिए वेतन, भत्ते और पेंशन संरचना में बड़े बदलाव ला सकता है। लेकिन क्या यह आयोग मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए वास्तव में लाभकारी होगा, या यह निराशा का कारण बनेगा? आइए इसके संभावित प्रभावों का विश्लेषण करें।

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आठवें वेतन आयोग का उद्देश्य
आठवां वेतन आयोग का मुख्य उद्देश्य केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों को वर्तमान आर्थिक स्थिति और मुद्रास्फीति के अनुरूप करना है। सातवां वेतन आयोग 2016 में लागू हुआ था, जिसने न्यूनतम मूल वेतन को 7,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये किया था। इस बार आठवें आयोग का फिटमेंट फैक्टर 2.28 से 2.86 के बीच रहने की उम्मीद है। इससे न्यूनतम मूल वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर 41,000 से 51,480 रुपये हो सकता है। पेंशन के मामले में भी न्यूनतम राशि 9,000 रुपये से बढ़कर लगभग 25,740 रुपये हो सकती है। इसके अलावा, डियरनेस अलाउंस (डीए), हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) और ट्रांसपोर्ट अलाउंस (टीए) में भी समायोजन की उम्मीद है।

मध्यमवर्गीय परिवारों पर प्रभाव
भारत की अर्थव्यवस्था में मध्यमवर्गीय परिवार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे उपभोग-आधारित अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, क्योंकि भारत के जीडीपी का 55-60% उपभोग पर निर्भर है। आठवें वेतन आयोग के कारण सरकारी कर्मचारियों के हाथ में अतिरिक्त आय होगी, जो उनकी खर्च करने की क्षमता को बढ़ाएगी। इससे खुदरा व्यापार, आवास, ऑटोमोबाइल और उपभोक्ता वस्तुओं की मांग बढ़ सकती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी का मूल वेतन 40,000 रुपये से बढ़कर 91,200 रुपये (2.28 फिटमेंट फैक्टर के आधार पर) हो जाता है, तो डीए (70%) और एचआरए (24%) सहित कुल वेतन लगभग 1,76,000 रुपये हो सकता है। यह मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए जीवन स्तर में सुधार का एक बड़ा अवसर है।

हालांकि, इस वेतन वृद्धि के कुछ नकारात्मक पहलू भी हो सकते हैं। पहला, डीए को वेतन में मिला दिया जाएगा, जिसके बाद नया डीए शून्य से शुरू होगा, जो अल्पकाल में वेतन वृद्धि के प्रभाव को कम कर सकता है। दूसरा, एनपीएस योगदान और सीजीएचएस जैसे कटौती में वृद्धि हो सकती है, जिससे हाथ में आने वाला वेतन कुछ कम हो सकता है। इसके अलावा, विशेषज्ञों का मानना है कि यह वेतन वृद्धि मुद्रास्फीति को बढ़ावा दे सकती है, क्योंकि बढ़ी हुई खर्च क्षमता से वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ेगी। यह उन मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए जीवनयापन की लागत बढ़ा सकता है, जो सरकारी नौकरी में नहीं हैं।

निजी क्षेत्र के साथ असमानता
आठवें वेतन आयोग की घोषणा के बाद निजी क्षेत्र के कर्मचारियों में आयकर राहत की मांग बढ़ी है। भारत के मध्यमवर्ग का बड़ा हिस्सा निजी क्षेत्र में काम करता है और उनका मानना है कि सरकारी कर्मचारियों की वेतन वृद्धि की तुलना में उनके लिए पर्याप्त कर राहत नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि बजट 2025-26 में आयकर स्लैब में बदलाव या छूट की सीमा बढ़ाने से मध्यमवर्गीय परिवारों पर कर का बोझ कम हो सकता है, जिससे उनकी खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी।

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
आठवां वेतन आयोग सरकारी कर्मचारियों की आर्थिक स्थिरता को बढ़ाएगा, जो उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाएगा। यह शिक्षा, स्वास्थ्य और भविष्य के निवेश पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। हालांकि, सरकार पर वित्तीय दबाव बढ़ेगा, क्योंकि वेतन और पेंशन वृद्धि के लिए लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च हो सकता है। इस खर्च को पूरा करने के लिए सरकार कर बढ़ा सकती है या अन्य क्षेत्रों में बजट कम कर सकती है, जो परोक्ष रूप से मध्यमवर्गीय परिवारों को प्रभावित कर सकता है।

आठवां वेतन आयोग मध्यमवर्गीय सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ा अवसर हो सकता है, क्योंकि यह उनकी आय बढ़ाएगा और आर्थिक स्थिरता लाएगा। हालांकि, मुद्रास्फीति, बढ़ी हुई कटौती और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए सुविधाओं की कमी इस आयोग के लाभ को कुछ हद तक कम कर सकती है। सरकार को ऐसी नीतियां अपनानी चाहिए जो सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए समान लाभ सुनिश्चित करें।[

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8th Pay Commission: बड़ी राहत या मामूली वृद्धि? विशेषज्ञों की भविष्यवाणी https://ekolkata24.com/business/experts-decode-8th-pay-commission-salary-hike-predictions-and-economic-impact Mon, 23 Jun 2025 07:24:04 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52056 केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए आठवां वेतन आयोग (8th Pay Commission) चर्चा का केंद्र बना हुआ है। 16 जनवरी 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी थी। इसके बाद से लगभग 50 लाख कर्मचारी और 65 लाख पेंशनभोगी इसकी सिफारिशों का इंतजार कर रहे हैं। यह आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत लाएगा या वेतन वृद्धि मामूली होगी? विशेषज्ञों ने इस पर अपने विचार व्यक्त किए हैं।

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फिटमेंट फैक्टर: वेतन वृद्धि की कुंजी
आठवें वेतन आयोग में ‘फिटमेंट फैक्टर’ वेतन वृद्धि का मुख्य आधार होगा। यह वर्तमान मूल वेतन पर लागू होने वाला एक गुणक है। सातवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जिसने न्यूनतम मूल वेतन को 7,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये किया। विशेषज्ञों का मानना है कि आठवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.28 से 2.86 के बीच हो सकता है। यदि फिटमेंट फैक्टर 2.86 होता है, तो न्यूनतम मूल वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर 51,480 रुपये हो सकता है, जो लगभग 186% की वृद्धि है। हालांकि, पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का अनुमान है कि फिटमेंट फैक्टर 1.92 के आसपास हो सकता है, जिससे न्यूनतम वेतन 34,560 रुपये तक पहुंच सकता है।

वेतन और भत्तों पर प्रभाव
केवल मूल वेतन ही नहीं, महंगाई भत्ता (DA), मकान किराया भत्ता (HRA), और परिवहन भत्ता (TA) सहित अन्य भत्ते भी संशोधित होंगे। वर्तमान में DA मूल वेतन का 55% है, और जनवरी 2026 तक इसके 70% तक पहुंचने की संभावना है। नए मूल वेतन पर इन भत्तों की गणना से कर्मचारियों का कुल वेतन काफी बढ़ेगा। उदाहरण के लिए, लेवल 1 के कर्मचारी का वेतन (DA, HRA, TA सहित) वर्तमान में 36,020 रुपये है। यदि फिटमेंट फैक्टर 2.86 होता है, तो यह बढ़कर 79,540 रुपये तक हो सकता है।

पेंशनभोगियों के लिए राहत
पेंशनभोगी भी इस आयोग से लाभान्वित होंगे। सातवें वेतन आयोग में न्यूनतम पेंशन 3,500 रुपये से बढ़कर 9,000 रुपये हुई थी।। आठवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.86 होने पर न्यूनतम पेंशन 25,740 रुपये तक पहुंच सकती है। इसके अलावा, ग्रेच्यु, ईपीएफएफ, और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ भी बढ़ेंगे, जो पेंशनभो, गियों की आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करेंगे।‍

आर्थिक प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि आठवां वेतन आयोग कर्मचारियों की क्रय शक्ति बढ़ाएगा, जो भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा। सातवें वेतन आयोग के पहले साल में सरकार पर 1 लाख करोड़ रुपये का खर्च आया था। आठवें वेतन आयोग के लिए 1.75 से 2.25 लाख करोड़ रुपये के बजट की आवश्यकता हो सकती है। इससे खुदरा, रियल एस्टेट, और ऑटोमोटिव क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी।

चुनौतियां और अपेक्षाएं
कर्मचारी यूनियन फिटमेंट फैक्टर 3.0 से 3.5 की मांग कर रही हैं, जो न्यूनतम वेतन को 54,000 रुपये के करीब ले जा सकता है। हालांकि, आर्थिक बाध्यताओं के कारण सरकार इस मांग को स्वीकार न करे। इसके अलावा, आयोग की रिपोर्ट तैयार करने और अनुमोदन में कम से कम एक साल लग सकता है, जिससे 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में लागू होने की संभावना है।

आठवां वेतन आयोग केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह उनकी आर्थिक स्थिरता बढ़ाने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को गति देगा। हालांकि, वेतन वृद्धि बड़ी राहत लाएगी या मामूली रहेगी, यह फिटमेंट फैक्टर और सरकार के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा।

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RBI सितंबर 2025 से ATM से ₹500 के नोट बंद करने जा रहा है! https://ekolkata24.com/business/rs-500-notes-safe-rbi-refutes-atm-ban-claims-for-2025 Sun, 22 Jun 2025 18:55:29 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52019 भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सितंबर 2025 से देशभर के ATM से ₹500 के नोट निकालने की योजना बना रहा है, ऐसी एक खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस खबर ने रविवार की शाम से ही देश भर में हलचल मचा दी है। कुछ लोग इसे डिजिटल पेमेंट की ओर बढ़ते कदम के रूप में देख रहे हैं, तो कई लोग इसे बैंकिंग व्यवस्था के लिए संकट की संभावना मान रहे हैं। इस खबर की सत्यता पर अभी तक RBI या केंद्र सरकार की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यह मुद्दा चर्चा का केंद्र बन गया है।

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खबर का स्रोत और पृष्ठभूमि
यह जानकारी सबसे पहले एक X पोस्ट के माध्यम से सामने आई, जिसमें एक यूजर ने दावा किया कि RBI ATM से ₹500 के नोट हटाने की योजना बना रहा है। इस पोस्ट को सैकड़ों लोगों की प्रतिक्रियाएं मिली हैं। कुछ लोग इस कदम का स्वागत कर रहे हैं, जबकि कई इसे अफवाह और गलत जानकारी करार दे रहे हैं। हालाँकि, RBI के हालिया निर्देशों में बैंकों को ₹100 और ₹200 के नोटों की आपूर्ति बढ़ाने की सलाह दी गई है, लेकिन ₹500 के नोट बंद करने का कोई स्पष्ट आदेश नहीं दिया गया है।

डिजिटल पेमेंट की ओर बढ़ता भारत
भारत की आर्थिक स्थिति पर नजर डालें, तो इस तरह के कदम के पीछे डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने की कोशिश हो सकती है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में UPI ने डिजिटल लेनदेन का 70% हिस्सा कवर किया, और दिसंबर 2024 में 16.73 बिलियन ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड किए गए। सरकार का ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान कैशलेस ट्रांजेक्शन को प्रोत्साहित कर रहा है, जो कालेधन और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मददगार हो सकता है। लेकिन ₹500 के नोट हटाने से यह लक्ष्य कितना हासिल होगा, इस पर अलग-अलग राय हैं।

जनता की प्रतिक्रिया
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे शहरों में शुरुआती प्रतिक्रियाओं से पता चलता है कि कई लोग इस बदलाव से परेशानी महसूस कर रहे हैं। एक व्यापारी ने कहा, “₹500 के नोट के बिना छोटे-मोटे लेनदेन में दिक्कत होगी। बाजार में ₹100 या ₹200 के नोट की उपलब्धता कम होती है, इसलिए यह हमारे लिए समस्या बन सकता है।” दूसरी ओर, युवा वर्ग का एक हिस्सा डिजिटल पेमेंट को स्वीकार्य मान रहा है। एक IT विशेषज्ञ ने कहा, “अगर ₹500 के नोट हटते हैं, तो हम UPI और अन्य डिजिटल तरीकों पर ज्यादा निर्भर होंगे, जो तेज और सुरक्षित हैं।”

इतिहास पर नजर
₹500 के नोट हटाने की बात सुनकर 2016 का नोटबंदी कांड याद आता है। उस समय सरकार ने ₹500 और ₹1000 के पुराने नोट बंद कर नए नोट जारी किए थे, जिसका उद्देश्य कालाधन और नकली मुद्रा पर लगाम लगाना था। लेकिन RBI की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, बंद नोटों का 99.3% बैंक में वापस आ गया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह कदम कालेधन को नियंत्रित करने में विफल रहा। इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में, क्या ATM से ₹500 के नोट हटाना सफल होगा, इस पर सवाल उठ रहे हैं।

आर्थिक प्रभाव
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर यह कदम सही है, तो इसके व्यापक प्रभाव पड़ सकते हैं। भारत की छाया अर्थव्यवस्था (shadow economy) अभी भी GDP का 23-26% है, जहाँ नकदी की भूमिका महत्वपूर्ण है। ₹500 के नोट हटने से छोटे व्यापारियों पर दबाव पड़ सकता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ डिजिटल पेमेंट का दायरा अभी सीमित है। हालाँकि, अगर सरकार डिजिटल पेमेंट पर सब्सिडी या मुफ्त सेवाएं शुरू करती है, तो यह बदलाव स्वीकार्य हो सकता है।

सावधानी और सलाह
RBI या सरकार की ओर से अभी तक इस खबर की पुष्टि नहीं हुई है। इसलिए विशेषज्ञ सोशल मीडिया की अपुष्ट खबरों से भ्रम से बचने की सलाह दे रहे हैं। नागरिकों से अनुरोध है कि वे आधिकारिक स्रोतों से जानकारी जाँचकर ही कोई कदम उठाएँ।

सितंबर 2025 से ATM से ₹500 के नोट हटाने की बात अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन यह अफवाह देशव्यापी चर्चा का विषय बन गई है। चाहे यह डिजिटल भारत की ओर बढ़ते कदम हो या आर्थिक सुधार का हिस्सा, सरकार का अगला कदम नागरिकों की जिंदगी पर गहरा असर डालेगा। आने वाले दिनों में RBI की आधिकारिक घोषणा का इंतजार ही एकमात्र विकल्प है।

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8th Pay Commission: सरकारी कर्मचारी यूनियनों की शीर्ष 5 मांगें उजागर https://ekolkata24.com/business/revealed-key-demands-of-govt-employee-unions-for-8th-pay-commission-in-2025 Sun, 22 Jun 2025 02:30:38 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51953 केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और भत्तों में संशोधन के लिए हर दस साल में गठित वेतन आयोग भारत के आर्थिक और प्रशासनिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जनवरी 2025 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन को मंजूरी दी है, जो 1 जनवरी 2026 से लागू होगा। यह आयोग लगभग 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों के लिए वेतन, भत्तों और पेंशन ढांचे की समीक्षा करेगा। इस संदर्भ में, सरकारी कर्मचारी यूनियनें अपनी मांगों को लेकर मुखर हो रही हैं। नेशनल काउंसिल-जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (NC-JCM) और अन्य यूनियनों ने एक “सामान्य मेमोरेंडम” तैयार किया है, जिसमें उनकी प्रमुख मांगों को उजागर किया गया है। इस लेख में 8वें वेतन आयोग के लिए सरकारी कर्मचारी यूनियनों की शीर्ष 5 मांगों पर चर्चा की गई है।

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1. फिटमेंट फैक्टर में वृद्धि
कर्मचारी यूनियनें 8वें वेतन आयोग के लिए फिटमेंट फैक्टर को 3.68 गुना करने की मांग कर रही हैं। फिटमेंट फैक्टर एक गुणक है, जिसे मौजूदा मूल वेतन पर लागू करके नया वेतन निर्धारित किया जाता है। 7वें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 था, जो यूनियनों की 3.68 की मांग से कम था। उदाहरण के लिए, वर्तमान में 18,000 रुपये मूल वेतन वाले कर्मचारी का वेतन 2.86 फिटमेंट फैक्टर के साथ 51,480 रुपये तक बढ़ सकता है। यूनियनें मानती हैं कि मुद्रास्फीति और जीवनयापन की लागत में वृद्धि के कारण यह वृद्धि आवश्यक है।

2. न्यूनतम मूल वेतन में वृद्धि
यूनियनें न्यूनतम मूल वेतन को 18,000 रुपये से बढ़ाकर 26,000 से 30,000 रुपये करने की मांग कर रही हैं। मुद्रास्फीति, बाजार की लागत और निजी क्षेत्र के साथ तालमेल रखने के लिए यह वृद्धि अत्यंत आवश्यक मानी जा रही है। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा, “एक दशक पहले की तुलना में आवश्यक वस्तुओं की कीमतें काफी बढ़ गई हैं।” यह मांग 8वें वेतन आयोग का एक प्रमुख चर्चा बिंदु होगी।

3. महंगाई भत्ता (DA) और अंतरिम राहत
कर्मचारी यूनियनें महंगाई भत्ते (DA) के नियमित संशोधन और 8वें वेतन आयोग के लागू होने से पहले 20% अंतरिम राहत (Interim Relief) देने की मांग कर रही हैं। 2020 के कोविड-19 महामारी के दौरान 18 महीनों के लिए DA और DR (Dearness Relief) को स्थगित कर दिया गया था, जिसका बकाया अभी तक भुगतान नहीं किया गया है। यूनियनें इस बकाए के भुगतान के लिए दबाव बना रही हैं। इसके अलावा, नए वेतन ढांचे के साथ DA को शून्य पर रीसेट करने का प्रस्ताव भी है।

4. पेंशन लाभों में संशोधन
पेंशनभोगियों के लिए न्यूनतम पेंशन को 9,000 रुपये से बढ़ाकर 22,500 से 25,200 रुपये करने की मांग उठ रही है। यूनियनें पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने की भी मांग कर रही हैं, जिसे 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के लिए बंद कर दिया गया था। NC-JCM के सदस्य सी. श्रीकुमार ने कहा, “लिविंग पेंशन की अवधारणा को स्पष्ट करना चाहिए।” पेंशन संशोधन की यह मांग पेंशनभोगियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।

5. मॉडिफाइड अस्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (MACP) में सुधार
यूनियनें मॉडिफाइड अस्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (MACP) योजना में सुधार की मांग कर रही हैं, ताकि कर्मचारियों को उनके करियर में कम से कम पांच प्रोमोशन सुनिश्चित किए जा सकें। वर्तमान में, MACP के तहत 10, 20 और 30 वर्षों में तीन वित्तीय उन्नति प्रदान की जाती हैं। यूनियनें इस योजना को और अधिक लचीला और कर्मचारी-अनुकूल बनाने के लिए संशोधन की मांग कर रही हैं।

अन्य मांगें और प्रभाव
इन शीर्ष मांगों के अलावा, यूनियनें संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण, सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग बंद करने, और दयालु नियुक्ति पर 5% की सीमा हटाने की मांग कर रही हैं। 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने पर इसका अर्थव्यवस्था पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा। विशेषज्ञ डी.के. श्रीवास्तव ने कहा, “वेतन और पेंशन संशोधन आमतौर पर राजस्व व्यय में बड़ी वृद्धि लाता है।” 2016-17 में 7वें वेतन आयोग के कारण राजस्व व्यय में 9.9% की वृद्धि हुई थी।

8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 2025 के अंत तक घोषित हो सकती हैं। यह आयोग केंद्र और राज्य सरकारों के साथ चर्चा के माध्यम से अंतिम निर्णय लेगा। कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए यह आयोग आर्थिक स्थिरता और जीवन स्तर को बेहतर बनाने का एक बड़ा अवसर है।

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टियर-2 शहरों में जीरो डाउन पेमेंट लोन: कैसे प्राप्त करें? https://ekolkata24.com/business/unlock-homeownership-in-tier-2-cities-with-zero-down-payment-loan-options Sat, 21 Jun 2025 19:37:39 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51946 भारत के टियर-2 शहर, जैसे कानपुर, लखनऊ, नागपुर, कोयंबटूर, इंदौर और विशाखापट्टनम, रियल एस्टेट बाजार में तेजी से उभर रहे हैं। बेहतर बुनियादी ढांचा, किफायती आवास और रोजगार के अवसरों के कारण कई लोग इन शहरों में घर खरीदने का सपना देख रहे हैं। हालांकि, घर खरीदने के लिए डाउन पेमेंट की राशि जुटाना कई लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती है। इस स्थिति में, जीरो डाउन पेमेंट लोन (Zero Down Payment Loans) या न्यूनतम डाउन पेमेंट वाले होम लोन एक आकर्षक विकल्प बन रहे हैं। लेकिन, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, 100% फाइनेंसिंग आमतौर पर संभव नहीं है। फिर भी, कुछ रणनीतियों और सरकारी योजनाओं के माध्यम से टियर-2 शहरों में जीरो या न्यूनतम डाउन पेमेंट के साथ होम लोन प्राप्त करना संभव है।

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जीरो डाउन पेमेंट लोन क्या है?
जीरो डाउन पेमेंट लोन एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें घर खरीदने वाले को संपत्ति के मूल्य का एक निश्चित प्रतिशत (आमतौर पर 10-25%) अग्रिम भुगतान नहीं करना पड़ता। हालांकि, भारत में बैंक और वित्तीय संस्थान आमतौर पर संपत्ति के मूल्य का 75-90% तक लोन देते हैं, और शेष राशि को खरीदार को डाउन पेमेंट के रूप में देना पड़ता है। जीरो डाउन पेमेंट लोन आमतौर पर केवल विशेष मामलों में उपलब्ध होते हैं, जैसे सरकारी कर्मचारी, रक्षा कर्मी, या उच्च क्रेडिट स्कोर वाले व्यक्ति। टियर-2 शहरों में इस प्रकार के लोन प्राप्त करने के लिए कुछ रणनीतियां और योजनाएं उपयोग की जा सकती हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY)
प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) एक ऐसी सरकारी योजना है, जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS), निम्न आय वर्ग (LIG) और मध्यम आय वर्ग (MIG) के लिए किफायती आवास प्रदान करती है। इस योजना के तहत, योग्य खरीदार होम लोन के ब्याज पर 6.5% तक की सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं। यह सब्सिडी डाउन पेमेंट के वित्तीय बोझ को कम करने में मदद करती है। टियर-2 शहरों में, जहां संपत्ति की कीमत तुलनात्मक रूप से कम है, यह योजना विशेष रूप से प्रभावी है। उदाहरण के लिए, यदि आपकी वार्षिक आय 6 लाख रुपये से कम है, तो आप PMAY के तहत क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (CLSS) का उपयोग करके होम लोन के ब्याज पर छूट प्राप्त कर सकते हैं। यह आपको डाउन पेमेंट के लिए धन जुटाने में सहायता करता है।

जीरो डाउन पेमेंट लोन प्राप्त करने के लिए कुछ अन्य रणनीतियां हैं:
नियोक्ता से लोन: कई कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए सामान्य उद्देश्य के लिए लोन प्रदान करती हैं। ये लोन आमतौर पर कम ब्याज दरों पर उपलब्ध होते हैं और न्यूनतम दस्तावेजीकरण की आवश्यकता होती है। आप अपनी कंपनी के एचआर विभाग से संपर्क करके इस सुविधा के बारे में जान सकते हैं।

निवेश से धन: यदि आपके पास फिक्स्ड डिपॉजिट, म्यूचुअल फंड या अन्य निवेश हैं, तो आप इन्हें जमानत के रूप में उपयोग करके कम ब्याज पर लोन प्राप्त कर सकते हैं। यह डाउन पेमेंट के लिए धन जुटाने में मदद करता है।

असुरक्षित लोन: यदि आपके पास पर्याप्त धन नहीं है, तो बैंक या वित्तीय संस्थान से असुरक्षित लोन लिया जा सकता है। हालांकि, इस प्रकार के लोन की ब्याज दरें अधिक हो सकती हैं, इसलिए इसे सावधानी से विचार करना चाहिए।

सह-ऋणी के साथ आवेदन: यदि कोई सह-ऋणी, जैसे आपका जीवनसाथी या परिवार का सदस्य, उच्च क्रेडिट स्कोर या स्थिर आय वाला है, तो उनके साथ संयुक्त रूप से लोन के लिए आवेदन किया जा सकता है। यह लोन की शर्तों को बेहतर करने और डाउन पेमेंट के दबाव को कम करने में मदद करता है।

टियर-2 शहरों में लाभ
टियर-2 शहरों में संपत्ति की कीमत टियर-1 शहरों, जैसे मुंबई या दिल्ली, की तुलना में कम है। इसलिए, डाउन पेमेंट की राशि भी तुलनात्मक रूप से कम होती है। उदाहरण के लिए, कानपुर या इंदौर में 30 लाख रुपये की संपत्ति के लिए 10% डाउन पेमेंट का मतलब 3 लाख रुपये है, जिसे PMAY जैसी योजनाओं के माध्यम से आसानी से जुटाया जा सकता है। इसके अलावा, इन शहरों में रियल एस्टेट बाजार स्थिर मूल्य वृद्धि और उच्च रिटर्न की संभावना प्रदान करता है, जो निवेशकों के लिए आकर्षक है।

सावधानियां
जीरो डाउन पेमेंट लोन के लिए आवेदन करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले, इस प्रकार के लोन की ब्याज दरें अधिक हो सकती हैं, और मासिक किश्त (EMI) अधिक होने के कारण वित्तीय दबाव बढ़ सकता है। दूसरा, एक अच्छा क्रेडिट स्कोर (700 या उससे अधिक) होना बहुत जरूरी है। तीसरा, अतिरिक्त लोन लेना वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए, लोन लेने से पहले अपनी आय, खर्च और बचत की योजना अच्छी तरह से बनाएं।

टियर-2 शहरों में जीरो या न्यूनतम डाउन पेमेंट लोन प्राप्त करने के लिए HDFC बैंक, ICICI बैंक, और PNB हाउसिंग फाइनेंस जैसे संस्थानों से संपर्क किया जा सकता है। ये बैंक कम ब्याज दरों और लचीली शर्तों के साथ लोन प्रदान करते हैं।

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केंद्र सरकार के कर्मचारियों की बड़ी उम्मीद: 8th Pay Commission कब लागू होगा? https://ekolkata24.com/business/central-govt-employees-await-8th-pay-commission-implementation-timeline Sat, 21 Jun 2025 18:33:17 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51938 केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए आठवां वेतन आयोग (8th Pay Commission) चर्चा का एक प्रमुख विषय बन गया है। लगभग 50 लाख कर्मचारी और 65 लाख पेंशनभोगी इस आयोग की सिफारिशों का इंतजार कर रहे हैं, जो उनके वेतन, भत्तों और पेंशन संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। 16 जनवरी, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी थी। हालांकि, इस आयोग के लागू होने की समयसीमा और सिफारिशों के बारे में अभी तक स्पष्टता नहीं है, जिससे कर्मचारियों में उत्साह के साथ-साथ अनिश्चितता भी बनी हुई है।

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आठवां वेतन आयोग कब लागू होगा?
सरकारी घोषणा के अनुसार, आठवां वेतन आयोग 1 जनवरी, 2026 से लागू होने की उम्मीद है। लेकिन, विभिन्न स्रोतों से मिली जानकारी के अनुसार, आयोग के गठन और इसकी सिफारिशों को अंतिम रूप देने में समय लग सकता है, जिसके चलते वेतन वृद्धि और पेंशन संशोधन 2027 की शुरुआत तक टल सकता है। वित्त मंत्रालय के व्यय सचिव मनोज गोविल ने कहा है कि आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत करने में 15 से 18 महीने लग सकते हैं। इसका मतलब है कि अगर आयोग अप्रैल 2025 में अपना काम शुरू करता है, तो अंतिम रिपोर्ट 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में आ सकती है। हालांकि, सरकार चाहे तो जनवरी 2026 से पूर्वव्यापी प्रभाव के साथ सिफारिशें लागू कर सकती है और कर्मचारियों को 12 महीने का बकाया दे सकती है।

फिटमेंट फैक्टर और वेतन वृद्धि की उम्मीदें
आठवें वेतन आयोग का एक महत्वपूर्ण पहलू फिटमेंट फैक्टर है, जो वेतन और पेंशन वृद्धि के लिए गुणक के रूप में काम करता है। सातवें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 था, जिसके परिणामस्वरूप न्यूनतम वेतन 7,000 रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये हो गया था। आठवें वेतन आयोग के लिए फिटमेंट फैक्टर 2.28 से 2.86 के बीच रहने की संभावना है। यदि फिटमेंट फैक्टर 2.86 तय होता है, तो न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर लगभग 51,480 रुपये तक पहुंच सकता है। इससे कर्मचारियों का वेतन 25-35% तक बढ़ सकता है। पेंशनभोगियों के लिए भी पेंशन 9,000 रुपये से बढ़कर लगभग 25,740 रुपये हो सकती है।

महंगाई भत्ता और अन्य लाभ
वर्तमान में महंगाई भत्ता (डीए) मूल वेतन का 55% है। आठवां वेतन आयोग लागू होने पर डीए शून्य हो सकता है और इसे नए वेतन ढांचे के साथ फिर से गणना की जाएगी। इसके अलावा, हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) और ट्रांसपोर्ट अलाउंस (टीए) में संशोधन की संभावना है। सातवें वेतन आयोग में एचआरए को 30% से घटाकर 24% किया गया था, जो निम्न-स्तरीय कर्मचारियों के लिए निराशाजनक था। आठवें वेतन आयोग में एचआरए बढ़ाने की मांग उठ रही है।

आयोग के गठन में देरी और चुनौतियां
हालांकि आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी गई है, लेकिन इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति अभी बाकी है। टर्म्स ऑफ रेफरेंस (टीओआर) को अंतिम रूप देने के लिए नेशनल काउंसिल-जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (एनसी-जेसीएम) से सुझाव लिए जा रहे हैं। इस प्रक्रिया में कुछ और महीने लग सकते हैं। इसके अलावा, 2025-26 के केंद्रीय बजट में आठवें वेतन आयोग के लिए कोई धनराशि आवंटित नहीं की गई है, जिससे कार्यान्वयन की समयसीमा को लेकर संदेह पैदा हो रहा है।

आर्थिक प्रभाव और उम्मीदें
आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने पर इसका अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। सातवें वेतन आयोग के लागू होने से 2016-17 में सरकारी खर्च में 1 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई थी। आठवें वेतन आयोग से कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की क्रय शक्ति बढ़ेगी, जो उपभोग और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी। हालांकि, इससे सरकारी राजस्व व्यय भी बढ़ेगा, जो पूंजीगत व्यय के लिए बजट पर दबाव डाल सकता है।

कर्मचारियों की मांगें और अपेक्षाएं
कर्मचारी यूनियनों ने पांच सदस्यों के परिवार के आधार पर न्यूनतम वेतन निर्धारण, पेंशन पुनर्स्थापना अवधि को 15 से घटाकर 12 वर्ष करने, और 50% महंगाई भत्ते को मूल वेतन में शामिल करने की मांग की है। इसके अलावा, मॉडिफाइड अश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (एमएसीपी) स्कीम में सुधार की मांग भी उठ रही है। इन मांगों का कितना हिस्सा आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों में शामिल होगा, यह सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति और आर्थिक स्थिति पर निर्भर करेगा।

आठवां वेतन आयोग केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक बड़ी उम्मीद की किरण है। हालांकि, कार्यान्वयन की समयसीमा और सिफारिशों के बारे में अनिश्चितता बनी हुई है। जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना है, लेकिन देरी की आशंका को नकारा नहीं जा सकता। कर्मचारी और पेंशनभोगी अब सरकार के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं।

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ईएमआई से मेडिकल बिल तक: परिवार 8th Pay Commission पर क्यों निर्भर हैं https://ekolkata24.com/business/families-await-8th-cpc-salary-hike-to-ease-emis-healthcare-costs Mon, 16 Jun 2025 16:34:55 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51783 केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए 8वां वेतन आयोग (8th Pay Commission) उम्मीद की किरण बनकर उभरा है। ईएमआई, मेडिकल बिल और रोजमर्रा की बढ़ती लागत के दबाव से जूझ रहे परिवार इस आयोग की वेतन वृद्धि की सिफारिशों का इंतजार कर रहे हैं। जनवरी 2025 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस आयोग के गठन को मंजूरी दी थी, लेकिन अभी तक इसका औपचारिक गठन और संदर्भ शर्तें (ToR) अंतिम रूप से तय नहीं हुई हैं। नतीजतन, लगभग 50 लाख कर्मचारी और 65 लाख पेंशनभोगी प्रतीक्षा में हैं।

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कोलकाता के निवासी सुनील दास (छद्म नाम), एक केंद्रीय सरकारी कर्मचारी, कहते हैं, “मेरे घर की ईएमआई, बेटी की शिक्षा का खर्च और पिता के इलाज का बिल मेरी तनख्वाह का आधा से ज्यादा हिस्सा ले लेता है। 8वां वेतन आयोग की वेतन वृद्धि हमारी एकमात्र आशा है।” सुनील जैसे लाखों परिवार वेतन वृद्धि से आर्थिक राहत की उम्मीद कर रहे हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस आयोग का फिटमेंट फैक्टर 2.5 से 2.86 के बीच हो सकता है, जिससे न्यूनतम बेसिक वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर 34,560 से 51,000 रुपये तक हो सकता है।

महंगाई भत्ता (DA), जो वर्तमान में 55% है (जनवरी 2025 से प्रभावी), बेसिक वेतन में विलय होने की संभावना है। इससे कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी और पेंशनभोगियों की पेंशन में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इसके अलावा, सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (CGHS) में सुधार की चर्चा भी चल रही है, जो कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए किफायती चिकित्सा सेवाएं प्रदान करती है।

हालांकि, आयोग के गठन और सिफारिश प्रक्रिया में देरी की संभावना चिंता बढ़ा रही है। कुछ स्रोतों के अनुसार, सिफारिशें जनवरी 2026 के बजाय 2027 या 2028 में लागू हो सकती हैं। इस देरी से परिवारों की वित्तीय योजनाओं पर असर पड़ सकता है। सुनील कहते हैं, “मेरे पिता के हृदय रोग के इलाज के लिए मैंने पहले ही कर्ज लिया है। वेतन वृद्धि नहीं हुई तो इस कर्ज को चुकाना असंभव हो जाएगा।”

कर्मचारी संगठन जल्द से जल्द आयोग गठन और पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं। वे न्यूनतम वेतन को पांच सदस्यीय परिवार के आधार पर निर्धारित करने, पेंशन पुनरीक्षण अवधि को पांच साल तक कम करने और कम्यूटेड पेंशन को 12 साल में बहाल करने की मांग उठा रहे हैं। ये मांगें मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो बढ़ती मुद्रास्फीति और जीवनयापन की लागत से जूझ रहे हैं।

8वां वेतन आयोग न केवल वेतन वृद्धि के माध्यम से, बल्कि भत्तों और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के जरिए भी केंद्रीय कर्मचारियों के जीवन स्तर को बेहतर कर सकता है। हालांकि, समय पर कार्यान्वयन नहीं होने पर सुनील जैसे अनगिनत परिवारों का आर्थिक संकट और गहरा सकता है।

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सब्जी, मछली और मांस के बढ़ते दामों से उपभोक्ताओं में बढ़ी चिंता https://ekolkata24.com/business/kolkata-market-prices-soar-vegetables-fish-meat-costs-worry-consumers Mon, 16 Jun 2025 07:29:10 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51753 Kolkata Market Price: आजकल बाजार में सब्जी, मछली और मांस की कीमतों को लेकर उपभोक्ताओं के बीच एक चिंता का माहौल बन चुका है। विशेष रूप से दक्षिण और उत्तर कोलकाता समेत शहर के अन्य हिस्सों में खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। इस समय बाजार में विभिन्न वस्तुओं और मछलियों के दाम में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। चलिए, एक नजर डालते हैं कि वर्तमान में कौन-कौन सी वस्तुएं और मछलियां कितने दाम में मिल रही हैं।

सब्जी
वर्तमान में बाजार में ज्योति आलू की कीमत २२ रुपये प्रति किलो है, जो अधिकांश उपभोक्ताओं के लिए ज्यादा है। इसके अलावा, चंद्रमुखी आलू की कीमत २८ रुपये प्रति किलो है। पपीता की कीमत भी तुलनात्मक रूप से कम है, जो १५ से २० रुपये प्रति किलो के बीच बिक रहा है। हालांकि, कद्दू की कीमत थोड़ी अधिक है, जो ३० रुपये प्रति किलो है।

ढेंढरश, उच्‍चे और बैंगन की कीमत भी ४० रुपये प्रति किलो है। कच्ची मिर्च की कीमत १२ से १३ रुपये प्रति १०० ग्राम है, और टमाटर की कीमत ५० से ६० रुपये प्रति किलो है। इस प्रकार, सब्जियों के दाम में निरंतर वृद्धि हो रही है, जिससे खासकर मध्यम वर्गीय परिवारों पर दबाव बढ़ रहा है।

मछली का बाजार
अगर मछली के बाजार की बात करें, तो कातला मछली की कीमत ३६० से ४०० रुपये प्रति किलो से शुरू हो रही है। वेटकी मछली की कीमत ५०० रुपये प्रति किलो से शुरू हो रही है। लेकिन सबसे महंगी मछली हिलसा (इलिश मछली) है, जो ५००-६०० ग्राम वज़न के हिसाब से ९०० से १००० रुपये प्रति किलो बिक रही है। छोटे हिलसा की कीमत भी ६०० रुपये प्रति किलो (३५० ग्राम) है।

इसके अलावा, पाबड़ा मछली की कीमत ३०० रुपये प्रति किलो है। वोला मछली की कीमत ३०० से ३५० रुपये प्रति किलो है, और गलदा झींगा ७०० रुपये प्रति किलो बिक रहा है। बागड़ा झींगा ४५० रुपये प्रति किलो बिक रहा है। छोटे झींगे की कीमत १०० ग्राम ३० से ३५ रुपये है।

मांस का बाजार
मांस की कीमतें भी काफी ज्यादा हो गई हैं। चिकन १९० से २१० रुपये प्रति किलो बिक रहा है, जबकि देशी मुर्गी की कीमत ४८० से ५०० रुपये प्रति किलो है। मटन की कीमत ७६० से ८०० रुपये प्रति किलो है, जो सबसे महंगा मांस है।
इस प्रकार, सब्जियों, मछलियों और मांस की कीमतों में वृद्धि के कारण लोगों के लिए रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करना मुश्किल हो गया है। खासकर निम्न और मध्य वर्ग के परिवारों के लिए इन उच्च कीमतों के चलते जीवनयापन की समस्या और भी गंभीर हो गई है। ऐसे में, सरकार और संबंधित अधिकारियों को इस मुद्दे पर त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि आम आदमी की जीवनशैली सामान्य बनी रहे।

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Gold Price: नए सप्ताह में सोने के दाम में गिरावट, देखें सूची https://ekolkata24.com/business/gold-prices-drop-in-kolkata-latest-rates-for-18k-22k-24k Mon, 16 Jun 2025 07:05:08 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51744 आज की खबर यह है कि सोने की कीमत (Gold Price) में एक हल्की गिरावट आई है। पिछले कुछ दिनों से सोने की कीमतें एकदम तेजी से बढ़ी थीं, लेकिन आज सप्ताह की शुरुआत में सोने की कीमत में कुछ कमी आई है। खासकर शादी के मौसम के दौरान जब सोने की कीमतें लगातार बढ़ रही थीं, तब लोग थोड़े चिंतित थे। हालांकि, आज सोने की कीमत में थोड़ी गिरावट आने से उपभोक्ताओं को राहत मिली है। फिर भी, सोने की कीमत लाखों में पहुंच गई है, लेकिन थोड़ी कमी आई है, जिसे बाजार में एक अच्छे संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

अब, आइए जानते हैं कि कोलकाता समेत देश के बड़े शहरों में सोने की कीमतें क्या बदलाव आया है।

कोलकाता में आज सोने की कीमत
कोलकाता में सोने की कीमत में आज थोड़ी गिरावट आई है। पिछले कल के मुकाबले विभिन्न कैरेट के सोने की कीमत में गिरावट आई है। 18 कैरेट, 22 कैरेट और 24 कैरेट सोने की कीमत क्या स्थिति में है, यह जानने से उपभोक्ता सही निर्णय ले सकते हैं। आइए, कोलकाता में आज के सोने के दाम जानें।

18 कैरेट सोने की कीमत
1 ग्राम सोने की कीमत ₹7614 है, जो पिछले कल से ₹12 कम है। 10 ग्राम सोने की कीमत ₹76140 है, जो पिछले कल से ₹120 कम है। 100 ग्राम सोने की कीमत ₹761400 है, जो पिछले कल से ₹1200 कम है। 18 कैरेट सोना कम मान का होता है, और यह आम तौर पर बजट में सस्ता होता है। हालांकि, अगर कीमत घटती है, तो यह खरीदारों के लिए एक अच्छा अवसर हो सकता है।

22 कैरेट सोने की कीमत
22 कैरेट सोने की कीमत 1 ग्राम ₹9305 है, जो पिछले कल से ₹15 कम है। 10 ग्राम सोने की कीमत ₹93050 है, जो पिछले कल से ₹150 कम है। 100 ग्राम सोने की कीमत ₹930500 है, जो पिछले कल से ₹1500 कम है। 22 कैरेट सोना थोड़े उच्च गुणवत्ता का होता है और यह गहनों के लिए बहुत लोकप्रिय होता है। यदि इसकी कीमत कम होती है, तो यह और भी आकर्षक बन सकता है।

24 कैरेट सोने की कीमत
आज 24 कैरेट सोने की कीमत में भी गिरावट आई है। 1 ग्राम सोने की कीमत ₹10151 है, जो पिछले कल से ₹17 कम है। 10 ग्राम सोने की कीमत ₹101510 है, जो पिछले कल से ₹170 कम है। 100 ग्राम सोने की कीमत ₹1015100 है, जो पिछले कल से ₹1700 कम है। 24 कैरेट सोना सबसे शुद्ध सोना होता है और इसकी मांग हमेशा अधिक रहती है। हालांकि इसकी कीमत ज्यादा होती है, लेकिन यह शुद्धता के कारण बहुत पसंद किया जाता है।

शादी के मौसम में सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव
शादी के मौसम में सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा जाता है। सोने की कीमत जो पहले धीरे-धीरे बढ़ रही थी, वह अब कुछ कम हो गई है, जिससे उपभोक्ताओं में खुशी का माहौल है। खासकर जो लोग शादी या अन्य आयोजनों के लिए सोना खरीदने का सोच रहे हैं, उनके लिए यह एक अच्छा अवसर हो सकता है।

सावधान रहें
हालांकि सोने की कीमत में गिरावट आई है, लेकिन सोने का बाजार हमेशा बदलता रहता है। इसलिए, यदि आप सोना खरीदने की सोच रहे हैं, तो स्थानीय बाजार के रुझानों के अनुसार ही निर्णय लें, क्योंकि कीमतें कभी भी और बढ़ सकती हैं।

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8th Pay Commission: क्या डीए मूल वेतन में विलय होगा? विशेषज्ञों की राय https://ekolkata24.com/business/will-da-merge-with-basic-pay-in-2025-experts-share-insights-on-8th-pay-commission Mon, 16 Jun 2025 02:30:19 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51729 केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के बीच एक महत्वपूर्ण सवाल चर्चा में है—क्या महंगाई भत्ता (डीए) मूल वेतन में विलय होगा? हाल ही में डीए 55% तक पहुंच गया है, जो जनवरी 2025 से प्रभावी है। इस वृद्धि के बाद से डीए को मूल वेतन में विलय करने की संभावना को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। इस लेख में हम विशेषज्ञों की राय, सरकार के रुख, और आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के संदर्भ में इस मुद्दे का विश्लेषण करेंगे।

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डीए विलय का इतिहास
महंगाई भत्ते को मूल वेतन में विलय करने की प्रथा पांचवें वेतन आयोग (1996-2006) के दौरान प्रचलित थी। 2004 में, जब डीए मूल वेतन का 50% पार कर गया था, तब इसे मूल वेतन में विलय किया गया था। यह कदम मुद्रास्फीति के प्रभाव को कम करने और वेतन ढांचे को सरल बनाने के लिए उठाया गया था। हालांकि, छठे और सातवें वेतन आयोगों में इस प्रथा को बंद कर दिया गया। छठे वेतन आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा कि डीए को मूल वेतन में विलय नहीं करना चाहिए, और सातवें वेतन आयोग ने भी इस सिफारिश का समर्थन नहीं किया।

वर्तमान स्थिति
जुलाई 2024 से डीए 50% से बढ़कर 53% हो गया, और जनवरी 2025 से यह 55% हो गया है। इस वृद्धि ने लगभग 50 लाख कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों को प्रभावित किया है। डीए के 50% से अधिक होने के कारण, कई कर्मचारी संगठन, विशेष रूप से नेशनल काउंसिल ऑफ जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (एनसी-जेसीएम), डीए को मूल वेतन में विलय करने की मांग कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह विलय वेतन ढांचे को स्थिर करेगा और पेंशन, ग्रेच्युटी, और अन्य भत्तों की राशि बढ़ाएगा।

विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों के बीच इस मुद्दे पर मिश्रित राय है। विशाल गेहराना, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और करंजावाला एंड कंपनी के प्रिंसिपल एसोसिएट, ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया, “पांचवें वेतन आयोग में जब डीए 50% से अधिक हुआ, तो इसे मूल वेतन में विलय किया गया था। इससे वेतन ढांचा सरल हुआ और मुद्रास्फीति का सामना करना आसान हुआ। हालांकि, छठे और सातवें आयोगों में इस प्रथा को बंद कर दिया गया।”

दूसरी ओर, देबजानी ऐच, इंडसला के पार्टनर, ने कहा, “वर्तमान में डीए मूल वेतन में विलय नहीं होगा। सातवें वेतन आयोग ने इस तरह की कोई सिफारिश नहीं की है।” संजीव कुमार, लूथरा एंड लूथरा लॉ ऑफिसेस के पार्टनर, ने भी यही राय व्यक्त की, “सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट में डीए विलय का कोई प्रस्ताव नहीं है।”

आलय राजवी, अकॉर्ड जुरिस के मैनेजिंग पार्टनर, ने कहा, “इस समय डीए विलय के बारे में कोई सरकारी पुष्टि नहीं है। हालांकि, आठवें वेतन आयोग से पहले इस पर फैसला लिया जा सकता है।”

सरकार का रुख
मार्च 2025 में राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में डीए को मूल वेतन में विलय करने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा, “आठवें वेतन आयोग की रिपोर्ट तैयार और स्वीकार होने से पहले डीए विलय का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।”

हालांकि, कुछ सूत्रों के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज नहीं किया है। एनडीटीवी प्रॉफिट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि डीए मूल वेतन में विलय होता है, तो न्यूनतम मूल वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर 27,540 रुपये हो सकता है। हालांकि, यह आठवें वेतन आयोग के फिटमेंट फैक्टर पर निर्भर करेगा।

आठवें वेतन आयोग की भूमिका
जनवरी 2025 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी, जो जनवरी 2026 से प्रभावी होगा। एनसी-जेसीएम के स्टाफ साइड ने डीए विलय की मांग की है और इसे आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है।

कुछ सूत्रों के अनुसार, यदि डीए विलय होता है, तो फिटमेंट फैक्टर 2.57 से 2.86 के बीच रह सकता है। इससे वेतन वृद्धि की मात्रा कम हो सकती है, क्योंकि मूल वेतन पहले ही बढ़ जाएगा।

संभावित प्रभाव
यदि डीए मूल वेतन में विलय होता है, तो निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:
• वेतन ढांचे में स्थिरता: डीए के उतार-चढ़ाव से उत्पन्न जटिलताएं कम होंगी।
• भत्तों में वृद्धि: मकान किराया भत्ता (एचआरए), परिवहन भत्ता (टीए), और अन्य भत्ते मूल वेतन के आधार पर बढ़ेंगे।
• पेंशन और ग्रेच्युटी: पेंशन और ग्रेच्युटी की राशि में वृद्धि होगी।
• रिटायरमेंट कॉर्पस: नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में योगदान बढ़ेगा।
हालांकि, कुछ चुनौतियां भी हो सकती हैं। उच्च मूल वेतन आयकर का बोझ बढ़ा सकता है, विशेष रूप से नई कर व्यवस्था में।

वर्तमान में डीए के मूल वेतन में विलय की संभावना कम है, क्योंकि सरकार और सातवां वेतन आयोग इस मामले में नकारात्मक रुख अपनाए हुए हैं। हालांकि, आठवां वेतन आयोग इस मांग पर विचार कर सकता है, खासकर कर्मचारी संगठनों के दबाव के कारण। कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को वित्त मंत्रालय और डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) की आधिकारिक घोषणाओं पर नजर रखनी चाहिए।

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सिर्फ 5000 रुपये से डिजिटल बिजनेस शुरू करें – शुरुआती गाइड https://ekolkata24.com/business/start-a-digital-business-with-rs-5000-beginners-guide-for-2025 Mon, 16 Jun 2025 01:30:43 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51725 आज के डिजिटल युग में कम पूंजी के साथ भी एक सफल बिजनेस शुरू करना संभव है। मात्र 5000 रुपये के निवेश से आप एक डिजिटल बिजनेस (Digital Business) शुरू कर सकते हैं, जो आपको वित्तीय स्वतंत्रता की ओर ले जाएगा। इस लेख में हम शुरुआती लोगों के लिए एक स्टेप-बाय-स्टेप गाइड प्रदान करेंगे, ताकि आप कम लागत में डिजिटल बिजनेस शुरू कर सकें और सफल हो सकें।

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डिजिटल बिजनेस क्यों?
डिजिटल बिजनेस का सबसे बड़ा लाभ है इसकी कम प्रारंभिक लागत और विशाल बाजार तक पहुंचने की संभावना। भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है, और 2025 तक इसके 90 करोड़ से अधिक होने की उम्मीद है। इस विशाल बाजार में अपने उत्पाद या सेवा को पेश करने के लिए बड़े स्टोर या ऑफिस की जरूरत नहीं है। सिर्फ एक स्मार्टफोन, इंटरनेट कनेक्शन, और 5000 रुपये का निवेश ही काफी है।

5000 रुपये में कौन से बिजनेस शुरू किए जा सकते हैं?
• एफिलिएट मार्केटिंग:
अमेजन, फ्लिपकार्ट, या मिंत्रा जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के एफिलिएट प्रोग्राम में शामिल होकर उत्पादों का प्रचार करें। आपके लिंक के माध्यम से कोई खरीदारी करने पर आपको कमीशन मिलेगा।
• लागत: वेबसाइट या ब्लॉग के लिए डोमेन और होस्टिंग (2000-3000 रुपये), सोशल मीडिया प्रचार (1000 रुपये)।
• लाभ: कोई उत्पाद बनाने या स्टॉक करने की जरूरत नहीं।

• कंटेंट क्रिएशन (यूट्यूब/ब्लॉगिंग):
यूट्यूब पर वीडियो बनाकर या ब्लॉग लिखकर कमाई करें। अपनी स्किल या शौक के आधार पर कंटेंट बनाएं, जैसे खाना पकाना, शिक्षा, या ट्रैवल।
• लागत: माइक्रोफोन (1000 रुपये), डोमेन/होस्टिंग (2000 रुपये), मार्केटिंग (1000 रुपये)।
• आय स्रोत: गूगल ऐडसेंस, स्पॉन्सरशिप, और एफिलिएट मार्केटिंग।

• ड्रॉपशिपिंग:
ड्रॉपशिपिंग में आप उत्पाद बेचते हैं, लेकिन स्टॉक नहीं रखते। ऑर्डर मिलने पर सप्लायर सीधे ग्राहक को उत्पाद भेजता है।
• लागत: शॉपिफाई या विक्स पर वेबसाइट (2500 रुपये), फेसबुक विज्ञापन (2000 रुपये)।
• लाभ: कम जोखिम, क्योंकि कोई इन्वेंट्री नहीं चाहिए।

• फ्रीलांसिंग:
लेखन, ग्राफिक डिजाइन, या डिजिटल मार्केटिंग जैसी स्किल्स हों तो फ्रीलांसर, अपवर्क, या फाइवर पर काम शुरू करें।
• लागत: पोर्टफोलियो वेबसाइट (2000 रुपये), प्रचार (1500 रुपये), टूल्स (1500 रुपये)।
• लाभ: घर से काम और लचीला समय।

शुरूआत कैसे करें? (चरण-दर-चरण गाइड)
• आइडिया चुनें: अपनी रुचि और स्किल्स के आधार पर एक बिजनेस चुनें। उदाहरण के लिए, अगर आपको खाना बनाना पसंद है, तो रेसिपी वीडियो या ब्लॉग शुरू करें।
• बाजार अनुसंधान: अपने लक्षित ग्राहक कौन हैं, उनकी जरूरतें क्या हैं, और प्रतिस्पर्धा कैसी है, यह समझें। गूगल ट्रेंड्स या एक्स प्लेटफॉर्म पर ट्रेंडिंग टॉपिक्स खोजें।
• डिजिटल उपस्थिति बनाएं: एक फेसबुक पेज, इंस्टाग्राम अकाउंट, या वेबसाइट बनाएं। फ्री टूल्स जैसे कैनवा या वर्डप्रेस का उपयोग करें।
• प्रचार: फेसबुक, इंस्टाग्राम, या व्हाट्सएप पर कम लागत वाले विज्ञापन चलाएं। सोशल मीडिया पर नियमित पोस्ट करें और ग्राहकों से संपर्क बनाए रखें।
• ट्रैकिंग और सुधार: गूगल एनालिटिक्स या फेसबुक इनसाइट्स का उपयोग करके अपने बिजनेस के प्रदर्शन को ट्रैक करें और सुधार करें।

आवश्यक उपकरण
• स्मार्टफोन: कंटेंट बनाने और प्रचार के लिए।
• इंटरनेट कनेक्शन: निर्बाध काम के लिए।
• बैंक अकाउंट: भुगतान प्राप्त करने और निवेश के लिए।
• फ्री टूल्स: कैनवा (ग्राफिक्स), गूगल डॉक्स (लेखन), और हूटसुइट (पोस्ट शेड्यूलिंग)।

सफलता के टिप्स
• धैर्य रखें: डिजिटल बिजनेस में मुनाफा आने में समय लगता है। पहले कुछ महीनों में लगातार काम करें।
• सीखें: यूट्यूब या गूगल से डिजिटल मार्केटिंग, एसईओ, और कंटेंट क्रिएशन के फ्री कोर्स करें।
• नेटवर्किंग: अन्य उद्यमियों से संपर्क करें और एक्स प्लेटफॉर्म पर कम्युनिटी में शामिल हों।
• ग्राहक फीडबैक: ग्राहकों की राय लेकर अपने उत्पाद या सेवा में सुधार करें।

चुनौतियां और समाधान
• चुनौती: उच्च प्रतिस्पर्धा।
समाधान: अनोखा कंटेंट या उत्पाद ऑफर करें और विशिष्ट ग्राहक समूह को टारगेट करें।
• चुनौती: कम बजट।
समाधान: फ्री टूल्स का उपयोग करें और सोशल मीडिया पर ऑर्गेनिक प्रचार करें।

उदाहरण
कोलकाता के सुजय दास, एक कॉलेज छात्र, ने 5000 रुपये के निवेश से एफिलिएट मार्केटिंग शुरू की। उन्होंने फेसबुक पर ट्रेंडी कपड़ों का प्रचार किया और अमेजन के लिंक शेयर किए। तीन महीनों में वह मासिक 15,000 रुपये कमा रहे हैं। ऐसी कहानियां साबित करती हैं कि कम पूंजी में भी सफलता संभव है।

मात्र 5000 रुपये से डिजिटल बिजनेस शुरू करना न केवल संभव है, बल्कि यह वित्तीय स्वतंत्रता की ओर एक बड़ा कदम है। सही योजना, धैर्य, और निरंतर सीखने के साथ आप इस यात्रा में सफल हो सकते हैं। तो आज ही शुरू करें और अपने सपनों का बिजनेस बनाएं।

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8th Pay Commission FAQs: आपके सवालों के सरल जवाब https://ekolkata24.com/business/your-guide-to-8th-pay-commission-key-faqs-on-salary-pension-and-more Sun, 15 Jun 2025 19:21:05 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51719 केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए 8वां वेतन आयोग (8th Pay Commission) एक चर्चित विषय है। जनवरी 2025 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस आयोग के गठन को मंजूरी दी, जो 1 जनवरी 2026 से लागू होगा। यह आयोग लगभग 50 लाख कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों के वेतन, भत्तों और पेंशन ढांचे में संशोधन करेगा। इस लेख में 8वें वेतन आयोग से संबंधित कुछ सामान्य सवालों के सरल जवाब दिए गए हैं।

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8वां वेतन आयोग क्या है?
8वां वेतन आयोग भारत सरकार द्वारा गठित एक पैनल है, जो केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन, भत्तों और पेंशन की समीक्षा और संशोधन के लिए सिफारिशें करता है। यह मुद्रास्फीति, जीवन-यापन की लागत और आर्थिक स्थिति के आधार पर वेतन ढांचे को समायोजित करता है। यह 2016 में लागू 7वें वेतन आयोग का स्थान लेगा।

इसका लाभ किसे मिलेगा?
सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारी, रक्षा कर्मी, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSU) कर्मचारी और पेंशनभोगी इस आयोग के लाभ प्राप्त करेंगे। यह लगभग 1.15 करोड़ लोगों की वित्तीय सुरक्षा बढ़ाएगा।

वेतन में कितनी वृद्धि होगी?
विशेषज्ञों के अनुसार, वेतन में 20% से 35% की वृद्धि हो सकती है। फिटमेंट फैक्टर, जो वेतन संशोधन का मुख्य निर्धारक है, 2.28 से 2.86 के बीच हो सकता है। उदाहरण के लिए, वर्तमान न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये 2.86 फिटमेंट फैक्टर के साथ 51,480 रुपये तक बढ़ सकता है। पेंशन भी आनुपातिक रूप से बढ़ेगी, न्यूनतम पेंशन 9,000 रुपये से 25,740 रुपये तक हो सकती है।

भत्ते और अन्य लाभों में क्या बदलाव होंगे?
महंगाई भत्ता (DA), मकान किराया भत्ता (HRA), और परिवहन भत्ता (TA) नए वेतन के आधार पर पुनर्गणना किए जाएंगे। वर्तमान में DA 55% है और यह नए वेतन के साथ मर्ज हो सकता है। इसके अलावा, मॉडिफाइड अश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (MACP) स्कीम में सुधार प्रस्तावित है, जो करियर में कम से कम पांच प्रोमोशन सुनिश्चित करेगा।

कब से लागू होगा?
8वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू होगा। आयोग के गठन के लिए चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।

अपडेट कहां मिलेंगे?
कर्मचारी डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (DoPT) और वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर (DoE) की वेबसाइट्स पर आधिकारिक अपडेट पा सकते हैं।

8वां वेतन आयोग सरकारी कर्मचारियों की वित्तीय स्थिरता और कार्य उत्साह को बढ़ाएगा, साथ ही अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा।

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बिना सिबिल चेक के ₹1 लाख Personal Loan – तुरंत आवेदन कैसे करें https://ekolkata24.com/business/rs1-lakh-personal-loan-without-cibil-check-apply-instantly-in-2025 Sun, 15 Jun 2025 18:05:55 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51713 वित्तीय आपातकाल में तत्काल नकदी की आवश्यकता होने पर पर्सनल लोन (Personal Loan) एक लोकप्रिय विकल्प है। हालांकि, कई लोगों के लिए कम सिबिल स्कोर (CIBIL Score) या क्रेडिट इतिहास न होने के कारण लोन प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है। अच्छी खबर यह है कि 2025 में भारत में अब बिना सिबिल चेक के ₹1 लाख का पर्सनल लोन प्राप्त करना संभव है। फिनटेक कंपनियां और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां (NBFC) ऐसे लोन प्रदान कर रही हैं, जहां आपके क्रेडिट स्कोर के बजाय आय, नौकरी की स्थिरता, और बैंक लेनदेन पर ध्यान दिया जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि आप बिना सिबिल चेक के तुरंत ₹1 लाख के लोन के लिए कैसे आवेदन कर सकते हैं और इसके लाभ व शर्तें क्या हैं।

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बिना सिबिल चेक के लोन कैसे संभव है?
सिबिल स्कोर एक तीन अंकों की संख्या (300-900) है, जो किसी व्यक्ति की क्रेडिट योग्यता को दर्शाता है। आमतौर पर 750 से ऊपर का स्कोर अच्छा माना जाता है। लेकिन जिनका क्रेडिट इतिहास नहीं है या स्कोर कम है, उनके लिए लोन प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण होता है। फिनटेक प्लेटफॉर्म ने वैकल्पिक मूल्यांकन विधियों के माध्यम से इस समस्या का समाधान किया है। वे निम्नलिखित कारकों पर विचार करते हैं:
• आय का प्रमाण: नियमित और पर्याप्त आय लेंडर के लिए महत्वपूर्ण है।
• नौकरी की स्थिरता: स्थायी नौकरी या व्यवसाय की दीर्घकालिकता लोन स्वीकृति की संभावना बढ़ाती है।
• बैंक स्टेटमेंट: पिछले 3-6 महीनों का बैंक लेनदेन वित्तीय स्थिरता का प्रमाण देता है।
इस विधि से बिना सिबिल स्कोर के भी लोन देना संभव होता है, हालांकि ब्याज दरें थोड़ी अधिक हो सकती हैं।

तुरंत आवेदन के चरण
बिना सिबिल चेक के ₹1 लाख के पर्सनल लोन के लिए आवेदन प्रक्रिया आसान और डिजिटल है। निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
• ऑनलाइन प्लेटफॉर्म चुनें: फिनकवर, क्रेडिटबी, फिनेबल, या मनीव्यू जैसे विश्वसनीय फिनटेक प्लेटफॉर्म चुनें।
• ऐप या वेबसाइट पर जाएं: चुने हुए प्लेटफॉर्म की वेबसाइट पर जाकर “पर्सनल लोन” सेक्शन पर क्लिक करें।
• व्यक्तिगत जानकारी भरें: नाम, जन्म तिथि, फोन नंबर, और नौकरी का विवरण भरें।
• आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें: आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक स्टेटमेंट, और आय का प्रमाण (जैसे सैलरी स्लिप या ITR) अपलोड करें।
• आवेदन जमा करें: सभी जानकारी भरने के बाद आवेदन सबमिट करें। लेंडर आपके वैकल्पिक पात्रता की जांच करेगा।
• स्वीकृति और वितरण: सत्यापन के बाद, 24-48 घंटों में लोन की राशि आपके बैंक खाते में जमा हो जाएगी।

आवश्यक दस्तावेज
बिना सिबिल चेक के लोन के लिए भी कुछ दस्तावेज जरूरी हैं। आमतौर पर निम्नलिखित दस्तावेज जमा करने होते हैं:
• पहचान प्रमाण: आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी, या ड्राइविंग लाइसेंस।
• पता प्रमाण: यूटिलिटी बिल, किराये का समझौता, या आधार कार्ड।
• आय का प्रमाण: पिछले 3 महीनों की सैलरी स्लिप, 6 महीनों का बैंक स्टेटमेंट, या स्व-नियोजित लोगों के लिए ITR।
• नौकरी का प्रमाण: नियुक्ति पत्र या व्यवसायिक दस्तावेज।

लाभ और सावधानियां
बिना सिबिल चेक के लोन के कुछ उल्लेखनीय लाभ हैं:
• तेजी से वितरण: 24-48 घंटों में धनराशि प्राप्त होती है।
• न्यूनतम दस्तावेज: कागजी कार्रवाई कम होती है।
• कोई जमानत नहीं: ये लोन आमतौर पर अनसिक्योर्ड होते हैं, यानी कोई संपत्ति गिरवी रखने की जरूरत नहीं।
हालांकि, कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं:
• उच्च ब्याज दरें: सिबिल चेक न होने के कारण लेंडर जोखिम कम करने के लिए अधिक ब्याज लेते हैं।
• शर्तें पढ़ें: लोन समझौते को ध्यान से पढ़ें, क्योंकि छिपी हुई फीस हो सकती हैं।
• लेंडर की विश्वसनीयता: केवल RBI-पंजीकृत लेंडर से लोन लें।

लोकप्रिय प्लेटफॉर्म
कुछ विश्वसनीय प्लेटफॉर्म जो बिना सिबिल चेक के लोन प्रदान करते हैं:
• फिनकवर: आसान आवेदन प्रक्रिया और तेजी से वितरण।
• क्रेडिटबी: 10 मिनट में स्वीकृति और न्यूनतम दस्तावेज।
• फिनेबल: कम सिबिल स्कोर के लिए उपयुक्त।
• मनीव्यू: 650 सिबिल स्कोर पर भी लोन देता है।

ईएमआई गणना
₹1 लाख के लोन की ईएमआई ब्याज दर और अवधि पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, 16% वार्षिक ब्याज पर 3 साल की अवधि के लिए ईएमआई लगभग ₹3,500 होगी। मनीव्यू या फिनकवर के ईएमआई कैलकुलेटर का उपयोग करके सटीक गणना कर सकते हैं।
बिना सिबिल चेक के ₹1 लाख का पर्सनल लोन आपातकालीन वित्तीय जरूरतों को पूरा करने का एक प्रभावी समाधान है। हालांकि, उच्च ब्याज दरों और लेंडर की शर्तों के बारे में जागरूक रहना जरूरी है। सही प्लेटफॉर्म चुनकर और दस्तावेज तैयार रखकर आप तेजी से और परेशानी मुक्त लोन प्राप्त कर सकते हैं।

 

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8th Pay Commission के बाद वेतन: वास्तविक बनाम अपेक्षित प्रक्षेपण https://ekolkata24.com/business/will-8th-pay-commission-meet-salary-hike-expectations-by-2026 Sun, 15 Jun 2025 17:14:51 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51705 8वां वेतन आयोग (8th Pay Commission) केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक बड़ी खबर लेकर आया है। जनवरी 2024 में इस आयोग के गठन की घोषणा के बाद से ही 50 लाख से अधिक कर्मचारी और 65 लाख पेंशनभोगी अपनी सैलरी और पेंशन में बढ़ोतरी की संभावनाओं को लेकर उत्साहित हैं। सरकार ने संकेत दिया है कि 8वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकता है। हालांकि, आयोग की सिफारिशें अभी अंतिम नहीं हुई हैं, जिसके कारण वेतन वृद्धि की वास्तविक राशि और अपेक्षाओं को लेकर चर्चा जोरों पर है।

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वेतन वृद्धि की अपेक्षाएं
8वें वेतन आयोग का फिटमेंट फैक्टर 1.92 से 2.86 के बीच रहने की उम्मीद है। 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जिसके कारण न्यूनतम मूल वेतन 7,000 रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये हो गया था। इस बार भी कर्मचारी ऐसी ही बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि फिटमेंट फैक्टर 2.50 हो, तो न्यूनतम मूल वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर 45,000 रुपये हो सकता है। वहीं, अगर फिटमेंट फैक्टर 2.86 हो, तो यह 51,480 रुपये तक जा सकता है। यह वृद्धि न केवल मूल वेतन पर, बल्कि महंगाई भत्ता (DA), मकान किराया भत्ता (HRA), और यात्रा भत्ता (TA) पर भी प्रभाव डालेगी।

कर्मचारी संगठनों ने 2.86 या इससे अधिक फिटमेंट फैक्टर की मांग की है, क्योंकि मुद्रास्फीति और जीवन-यापन की लागत में वृद्धि के कारण मौजूदा वेतन संरचना अपर्याप्त हो गई है। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि सरकार 2.50 के आसपास फिटमेंट फैक्टर तय कर सकती है, जो वित्तीय संतुलन बनाए रखने में मददगार होगा।

वास्तविक वेतन वृद्धि की संभावना
हालांकि अपेक्षाएं बड़ी हैं, लेकिन वास्तविक वेतन वृद्धि कुछ कम हो सकती है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों में न्यूनतम मूल वेतन 40,000 से 45,000 रुपये के बीच रह सकता है। इसके अलावा, महंगाई भत्ता शून्य हो सकता है, क्योंकि नई वेतन संरचना में इसे मूल वेतन में समाहित किया जा सकता है। मकान किराया भत्ता और अन्य भत्तों की राशि में भी कुछ कमी हो सकती है, जिसके कारण समग्र वेतन वृद्धि 25-30% तक सीमित रह सकती है।

उदाहरण के लिए, लेवल-1 में नियुक्त एक कर्मचारी का वर्तमान मूल वेतन 18,000 रुपये है। यदि फिटमेंट फैक्टर 2.57 हो, तो उनकी सैलरी बढ़कर 46,260 रुपये हो सकती है। लेकिन भत्तों के समायोजन के बाद कुल वेतन 35,000 से 40,000 रुपये के बीच रह सकता है। यह अंतर अपेक्षित और वास्तविक वेतन वृद्धि के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर पैदा कर रहा है।

आयोग का गठन और समयसीमा
सरकार ने जनवरी 2025 में 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी है, लेकिन अभी तक इसके सदस्यों का चयन नहीं हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि आयोग की सिफारिशें अंतिम होने और लागू होने में दो साल तक का समय लग सकता है। इससे जनवरी 2026 से वेतन वृद्धि लागू होने की संभावना कम हो रही है। कुछ सूत्रों के अनुसार, यह 2027 की शुरुआत में लागू हो सकता है।

आर्थिक प्रभाव
8वें वेतन आयोग की वेतन वृद्धि से देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है, “यह आयोग सरकारी कर्मचारियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाएगा और उपभोग बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को गति देगा।” हालांकि, वेतन वृद्धि से सरकार पर लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ पड़ सकता है।

कर्मचारियों की अपेक्षाएं और वास्तविकता
कर्मचारी संगठन अधिक फिटमेंट फैक्टर और पेंशन वृद्धि की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकारी वित्तीय सीमाओं के कारण वास्तविक वेतन वृद्धि अपेक्षाओं से कम हो सकती है। खासकर, निचले स्तर के कर्मचारियों के लिए वेतन वृद्धि तुलनात्मक रूप से अधिक होने की उम्मीद है।

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समंदर में मिला कुबेर का खजाना! भारत की बदलेगी आर्थिक तस्वीर https://ekolkata24.com/business/indias-20-trillion-economic-leap-hinges-on-massive-andaman-sea-oil-find Sun, 15 Jun 2025 15:47:42 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51702 केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक इंटरव्यू में जो संकेत दिए हैं, वह भारत की ऊर्जा नीति और अर्थव्यवस्था के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता है। उनका दावा—“अब बहुत जल्द हम अंडमान सागर (Andaman Sea Oil) में ‘गयाना’ की तरह एक बड़ा ऑयल फील्ड खोज निकालेंगे।”

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पुराना ढांचा टूटा, नई ऊर्जा नीति का आगाज़:
पुरी ने बताया कि 2016 से पहले तेल और गैस खोज का काम ठप था। लेकिन उसके बाद सरकार ने प्रोडक्शन शेयरिंग से हटकर रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल अपनाया और Open Acreage Licensing Policy (OALP) के तहत अब तक का सबसे बड़ा टेंडर लॉन्च किया है।

ONGC का रिकॉर्ड:
ONGC ने वित्त वर्ष 2023-24 में 541 कुएं खोदे, जिसमें 103 एक्सप्लोरेशन और 438 डेवलपमेंट वेल थे। ₹37,000 करोड़ से अधिक निवेश के साथ यह कंपनी का अब तक का सबसे सक्रिय साल रहा।

तेल खोजना आसान नहीं:
पुरी ने कहा, “गयाना में 44 कुएं खुदने के बाद सफलता मिली। हर कुएं की लागत 100 मिलियन डॉलर थी। हमें भी धैर्य रखना होगा, लेकिन अब हम सही दिशा में हैं।”

नया कानून, निजी क्षेत्र को राहत:
पुराने 1948 के कानून को संशोधित कर नया बिल लाया गया है जो पेट्रोलियम को लेकर अस्पष्टताओं को खत्म करता है। इससे निजी कंपनियों को NOC जैसी प्रक्रियाओं में राहत मिलेगी और नियामक प्रक्रिया भी पारदर्शी होगी।

20 ट्रिलियन डॉलर का सपना:
मंत्री का मानना है कि अगर ये बड़े ऑयल फील्ड मिलते हैं, तो भारत की अर्थव्यवस्था 3.7 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 20 ट्रिलियन डॉलर तक जा सकती है।

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Jammu & Kashmir के पर्यटन केंद्र फिर से खुलेगा, उपराज्यपाल ने किया ऐलान https://ekolkata24.com/business/jammu-kashmir-tourism-reopens-lt-governor-announces-phased-revival-of-key-destinations Sun, 15 Jun 2025 05:12:55 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51664 पर्यटकों के लिए खुशखबरी! जम्मू और कश्मीर (Jammu & Kashmir) के विभिन्न पर्यटन केंद्रों को फिर से खोला जा रहा है। पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा कारणों से ये पर्यटन स्थल अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए थे। अब जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आदेश दिया है कि आगामी मंगलवार से पर्यटक इन केंद्रों का दौरा कर सकेंगे। जम्मू और कश्मीर प्रशासन की ओर से यह घोषणा की गई है, जो पर्यटकों के लिए बड़ी राहत की खबर है।

Red Bengali: জম্মু-কাশ্মীরের পর্যটনকেন্দ্রগুলি ফের খুলছে, লেফটেন্যান্ট গভর্নরের নতুন নির্দেশ

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 25 पर्यटकों सहित कुल 26 लोगों की जान चली गई थी। इस घटना के बाद से इलाके में सुरक्षा की स्थिति बिगड़ गई थी, और प्रशासन ने पर्यटकों की सुरक्षा के मद्देनजर कई पर्यटन स्थलों को बंद कर दिया था। हमले के बाद पर्यटकों के बीच डर का माहौल बन गया था। कई पर्यटकों ने अपनी यात्रा रद्द कर दी थी और कुछ पर्यटक बीच रास्ते में वापस लौट आए थे। इसके कारण स्थानीय पर्यटन उद्योग पर भी नकारात्मक असर पड़ा था।

लेकिन अब धीरे-धीरे हालात सामान्य हो रहे हैं और जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने विभिन्न पर्यटन केंद्रों को खोलने का फैसला लिया है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बताया कि आगामी मंगलवार से श्रीनगर के बादामवारी पार्क, डाक पार्क, कटुआर के सारथल धाग्गर, रायसीर के देवी पिंडी, डोडा के जॉय वैली, उधमपुर के पंचेरी सहित 16 प्रमुख पर्यटन स्थलों को खोलने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा, सुरक्षा इंतजामों का आकलन करने के बाद अन्य पर्यटन स्थल भी धीरे-धीरे खोले जाएंगे।

शनिवार को उपराज्यपाल ने जम्मू और कश्मीर के विभिन्न टूर ऑपरेटरों, विधायकों और पर्यटन व्यापारियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि इस पहल से जम्मू और कश्मीर के पर्यटन उद्योग को फिर से प्रोत्साहन मिलेगा और पर्यटकों में विश्वास भी वापस आएगा।

जम्मू और कश्मीर का पर्यटन उद्योग कभी देश के सबसे महत्वपूर्ण उद्योगों में से एक था। लेकिन सुरक्षा स्थिति के बिगड़ने और आतंकी हमलों के कारण इस उद्योग को काफी नुकसान हुआ था। अब प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के बाद पर्यटन केंद्रों को फिर से खोलने का निर्णय लिया है, जिससे देश-विदेश के पर्यटकों को एक नया अवसर मिलेगा।

अभी जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि पर्यटकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी और कोई भी कठिनाई न हो, इसके लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। पर्यटन केंद्रों की सुरक्षा को और मजबूत किया जाएगा, ताकि पर्यटक आराम से अपनी यात्रा का आनंद ले सकें।

अब केवल जरूरत है समय के साथ-साथ स्थिति और सुरक्षा की समीक्षा कर पर्यटकों को फिर से आकर्षित करने की। आशा है कि जम्मू और कश्मीर के पर्यटन स्थल फिर से खुलने के बाद देशभर और विदेश से पर्यटक वहां यात्रा करने आएंगे और यह पहल सफल होगी।

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Petrol price: पेट्रोल की कीमत कम, छुट्टी के दिन कोलकाता में नया दाम जानें! https://ekolkata24.com/business/petrol-price-drops-in-kolkata-check-new-rates-for-sunday-june-15-2025 Sun, 15 Jun 2025 04:37:06 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51657 कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में पेट्रोल की कीमत (Petrol Price ) वर्तमान में प्रति लीटर १०५.४१ रुपये है। खासकर जब विभिन्न उत्पादों की कीमतों में वृद्धि हो रही है, तो पेट्रोल की कीमतों का स्थिर रहना लोगों के लिए कुछ हद तक फायदेमंद साबित हुआ है।

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पेट्रोल की कीमत का स्थिर रहना क्यों महत्वपूर्ण है?
पेट्रोल की कीमतों का स्थिर रहना विभिन्न वर्गों के लोगों के लिए काफी अहम होता है। खासकर, जो लोग रोजाना पेट्रोल का उपयोग करते हैं, जैसे वाहन मालिक, व्यवसायी या सामान्य नागरिक, उनके लिए इस बदलावहीन मूल्य से कुछ न कुछ राहत मिलती है।

सबसे पहले, वाहन मालिकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण बात है। क्योंकि उनका व्यापार या कार्यक्षेत्र पेट्रोल पर निर्भर करता है, तो पेट्रोल की कीमत का स्थिर रहना उनके मासिक खर्च में संतुलन बनाए रखता है। इसके परिणामस्वरूप वे अपनी व्यावसायिक योजनाओं को पहले से तय कर सकते हैं। परिवहन क्षेत्र में पेट्रोल की कीमत का अपरिवर्तित रहना भी बहुत मायने रखता है। क्योंकि यदि परिवहन लागत में वृद्धि हो, तो इसका सीधा असर आम नागरिकों की जेब पर पड़ता है।

इसके अलावा, पेट्रोल की कीमतों का स्थिर रहना राज्य और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। जब पेट्रोल की कीमत नहीं बढ़ती, तो उत्पादों की कीमतें और यातायात लागत नियंत्रण में रहती हैं, जिससे अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

राज्य और केंद्रीय सरकार की नीतियां
कोलकाता में पेट्रोल की कीमत मुख्य रूप से राज्य सरकार की नीतियों और केंद्रीय सरकार के फैसलों पर निर्भर करती है। केंद्रीय सरकार द्वारा पेट्रोल पर टैक्स बढ़ाने या घटाने का निर्णय तथा राज्य सरकार द्वारा पेट्रोल पर वैट या टैक्स की दरें इन कीमतों को प्रभावित करती हैं।

अगर पेट्रोल की कीमत बढ़ती है, तो यह ना केवल परिवहन, बल्कि अन्य उत्पादों की कीमतों को भी प्रभावित कर सकती है, जिससे आम आदमी की जीवनशैली पर असर पड़ता है। इसलिए पेट्रोल की कीमतों का स्थिर रहना एक लाभकारी स्थिति है।

आम जनता की स्थिति
पिछले एक महीने से पेट्रोल की कीमत स्थिर रहने के कारण, आम जनता को थोड़ी राहत मिली है। अब जब लगभग हर चीज़ की कीमतें बढ़ रही हैं, तो पेट्रोल की कीमतों का न बढ़ना लोगों के लिए एक बड़ी राहत है। खासकर वे लोग जिनकी रोजाना यात्रा पेट्रोल पर निर्भर करती है, वे इस स्थिरता का फायदा उठा रहे हैं।

यदि पेट्रोल की कीमत स्थिर रहती है, तो यह न केवल जनता के लिए, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी एक अच्छा संकेत है। हालांकि, बाजार में अनावश्यक बदलाव की संभावना हमेशा बनी रहती है, लेकिन वर्तमान में पेट्रोल की कीमतों का स्थिर रहना कोलकाता के आम जनता के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

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Gold Price: कोलकाता में सोने की कीमत बढ़ी, हल्दी धातु ने नया शिखर छुआ! https://ekolkata24.com/business/gold-prices-surge-in-kolkata-24-carat-hits-new-high-at-%e2%82%b910168-per-gram Sun, 15 Jun 2025 04:25:00 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51654 सोने की कीमतों (Gold Price) में फिर से आग लग गई है। एक झटके में सोने के दाम में और इजाफा हुआ है। पिछले कुछ दिनों से सोने की कीमतों में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही थी, लेकिन आज सोने के बाजार में एक बड़ा उछाल देखा गया है। खासकर शादी के सीजन के नजदीक आने से सोने की मांग और बढ़ गई है। इस कारण सोने की कीमतें फिर से एक लाख के पार पहुंच गई हैं। तो सवाल यह है कि आज सोने की कीमत कितनी बढ़ी है?

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कोलकाता में सोने की कीमत आज फिर से कुछ बढ़ी है। 24 कैरेट सोने की प्रति ग्राम कीमत आज 10168 रुपये हो गई है। कल की तुलना में प्रति ग्राम में 28 रुपये का इजाफा हुआ है। वहीं, 10 ग्राम सोने की कीमत 101680 रुपये हो गई है, जो कल 101600 रुपये थी। 100 ग्राम सोने की कीमत 1016800 रुपये हो गई है, जबकि कल यह 1016000 रुपये थी।

शादी का मौसम नजदीक आ रहा है, और इस दौरान सोने के बाजार में उतार-चढ़ाव होना कोई नई बात नहीं है। सोना एक ऐसी वस्तु है, जिसकी मांग हमेशा बनी रहती है। लेकिन खासकर शादी के सीजन में सोने की कीमतों में थोड़ी वृद्धि हो जाती है, क्योंकि इस समय सोने की खरीदारी में बढ़ोतरी होती है।

वहीं, मुंबई में 22 कैरेट सोने की कीमत प्रति 10 ग्राम 93200 रुपये हो गई है, जो कल की तुलना में 250 रुपये अधिक है। 24 कैरेट सोने की कीमत मुंबई में 101680 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई है, जो कल की तुलना में 280 रुपये ज्यादा है।

देश के बड़े शहरों में सोने की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। कोलकाता से लेकर मुंबई, दिल्ली, चेन्नई तक, हर जगह सोने की कीमतों में वृद्धि हो रही है। खासकर शादी के सीजन में ये कीमतें और बढ़ने की संभावना है, यह विशेषज्ञों का मानना है।

वैश्विक बाजार में सोने की कीमत बढ़ने से इसका सीधा असर घरेलू बाजार पर पड़ता है। इसके अलावा देश की अर्थव्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय राजनीति, डॉलर की कीमत जैसे तत्व भी सोने की कीमतों के बढ़ने के कारण हो सकते हैं। एक बार सोने की कीमत अगर इस स्तर तक पहुंच जाती है, तो यह कुछ समय तक स्थिर रह सकती है।

इस समय सोने की खरीदारी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जो लोग सोना खरीदने का सोच रहे थे, वे अब थोड़ा विचार कर सकते हैं, लेकिन चूंकि कीमतें फिर से बढ़ी हैं, यह सोने को बेचने के लिए भी एक अच्छा समय हो सकता है। सोने की गहनों या बार की खरीदारी से पहले बाजार की स्थिति पर ध्यान दें।

साथ ही, सोने की गहनों की खरीदारी करते समय अतिरिक्त भुगतान पर ध्यान देना जरूरी है। क्योंकि कुछ दुकानदार बढ़ी हुई कीमतों के साथ अतिरिक्त चार्ज भी ले सकते हैं, खासकर जब मूल्य वृद्धि हो रही हो। ऐसे में विश्वसनीय स्थान से ही खरीदारी करना समझदारी का कदम होगा।

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8th Pay Commission: राज्य-वार प्रभाव, कौन होगा सबसे ज्यादा लाभान्वित? https://ekolkata24.com/business/state-wise-impact-of-8th-pay-commission-which-states-benefit-most-from-salary-hikes Sat, 14 Jun 2025 21:25:09 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51649 8वां केंद्रीय वेतन आयोग (8th Pay Commission) 1 जनवरी 2026 से लागू होगा, जो लगभग 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों के लिए वेतन और पेंशन में वृद्धि की नई संभावनाएं लाएगा। इस आयोग की घोषणा का राज्यों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा, खासकर उन राज्यों में जहां केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की संख्या अधिक है। नेशनल काउंसिल–जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (एनसी-जेसीएम) ने पहले ही फिटमेंट फैक्टर, न्यूनतम मजदूरी, भत्तों और पेंशन सुविधाओं पर एक सामान्य ज्ञापन तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। इस रिपोर्ट में हम देखेंगे कि कौन से राज्य इस वेतन वृद्धि से सबसे ज्यादा लाभान्वित होंगे।

8वें वेतन आयोग का फिटमेंट फैक्टर 2.28 से 2.86 के बीच होने की संभावना है। 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जिसके परिणामस्वरूप न्यूनतम मूल वेतन 7,000 रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये हो गया था। 8वें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम मूल वेतन 41,000 से 51,480 रुपये तक बढ़ सकता है। यह वृद्धि महंगाई भत्ता (डीए), मकान किराया भत्ता (एचआरए), और परिवहन भत्ता सहित कुल वेतन को काफी हद तक बढ़ाएगी। पेंशनभोगियों के लिए भी न्यूनतम पेंशन 9,000 रुपये से बढ़कर 25,740 रुपये तक हो सकती है।

राज्य-वार प्रभाव की बात करें तो दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य सबसे ज्यादा लाभान्वित होंगे। दिल्ली में लगभग 4 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारी हैं, जो इस वेतन वृद्धि से लाभान्वित होंगे। उत्तर प्रदेश में, जहां बड़ी संख्या में केंद्रीय सरकारी कार्यालय, रेलवे और रक्षा कर्मचारी हैं, वहां लगभग 8 लाख कर्मचारी और पेंशनभोगी इस सुविधा का लाभ उठाएंगे। महाराष्ट्र में, खासकर मुंबई और पुणे में, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) और बैंकिंग क्षेत्र के कर्मचारी वेतन संशोधन से लाभान्वित होंगे। पश्चिम बंगाल में, कोलकाता और आसपास के क्षेत्रों में लगभग 5 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारी और पेंशनभोगी हैं, जो इस वेतन वृद्धि के परिणामस्वरूप अपने जीवन स्तर को बेहतर बना सकेंगे।

अन्य राज्य जैसे तमिलनाडु, कर्नाटक और गुजरात भी काफी हद तक लाभान्वित होंगे। तमिलनाडु के चेन्नई और कर्नाटक के बेंगलुरु में केंद्रीय सरकारी कार्यालयों और पीएसयू की बड़ी उपस्थिति के कारण इन राज्यों में वेतन वृद्धि का प्रभाव व्यापक होगा। पूर्वोत्तर राज्यों, जैसे असम और मेघालय, जहां केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की संख्या तुलनात्मक रूप से कम है, वहां भी वेतन वृद्धि अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी। उदाहरण के लिए, असम में लगभग 2 लाख कर्मचारी और पेंशनभोगी इस सुविधा का लाभ उठाएंगे।

8वां वेतन आयोग केवल वेतन वृद्धि तक सीमित नहीं है। यह भत्तों में संशोधन, पेंशन सुविधाओं में वृद्धि और कर्मचारियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लक्ष्य के साथ काम करेगा। वर्तमान में महंगाई भत्ता (डीए) मूल वेतन का 55% है। 8वां वेतन आयोग लागू होने पर डीए शून्य हो जाएगा और नए वेतन के साथ समायोजित किया जाएगा। मकान किराया भत्ता और परिवहन भत्ता भी नए वेतन के आधार पर पुनर्निर्धारित होंगे। इसके अलावा, मॉडिफाइड अश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (एमएसीपी) स्कीम में प्रस्तावित सुधार कर्मचारियों के करियर में कम से कम पांच प्रोमोशन सुनिश्चित करेंगे।

यह वेतन वृद्धि अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी। कर्मचारियों की खर्च करने की क्षमता बढ़ने से उपभोक्ता वस्तुओं की मांग बढ़ेगी, जो स्थानीय बाजार और खुदरा क्षेत्र को प्रोत्साहित करेगा। दिल्ली, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में यह प्रभाव सबसे अधिक दिखाई देगा। हालांकि, कुछ चुनौतियां भी हैं। उदाहरण के लिए, बजट में 8वें वेतन आयोग के लिए कोई विशिष्ट आवंटन नहीं होने से कार्यान्वयन में देरी हो सकती है। फिर भी, सरकार आमतौर पर देरी के मामले में बकाया प्रदान करती है, जो कर्मचारियों के वित्तीय नुकसान की भरपाई करती है।

कोच बिहार में काम करने वाले निम्न श्रेणी के क्लर्क जैसे श्यामल दास इस वेतन वृद्धि के परिणामस्वरूप अपने जीवन स्तर को बेहतर बना सकेंगे। श्यामल कहते हैं, “यह वेतन वृद्धि मेरे परिवार के लिए एक सुरक्षित भविष्य बनाने में मदद करेगी।” 8वां वेतन आयोग न केवल वित्तीय लाभ लाएगा, बल्कि सरकारी कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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