कोलकाता से होगी भारत दौरे की शुरुआत
मेसी का भारत दौरा कोलकाता से शुरू होगा, जो फुटबॉल के प्रति अपने जुनून के लिए जाना जाता है। कोलकाता मेसी के लिए भी खास है—2011 में यहीं सॉल्टलेक स्टेडियम में उन्होंने अर्जेंटीना की कप्तानी में पहला मैच खेला था। अब 14 साल बाद, एक बार फिर कोलकाता की ज़मीन पर कदम रखने जा रहे हैं।
इस बार मेसी को कोलकाता के ऐतिहासिक ईडन गार्डेन्स में विशेष सम्मान दिया जाएगा। इस समारोह में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सांसद अभिषेक बनर्जी के शामिल होने की संभावना है।
ईडन गार्डेन्स में ही एक खास “GOAT Cup” (Greatest of All Time) नामक सात-सदस्यीय फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन होगा, जो मेसी को समर्पित रहेगा।
इसके अलावा, मेसी कोलकाता में बच्चों और किशोरों के लिए एक फुटबॉल वर्कशॉप और ‘फुटबॉल क्लिनिक’ भी लॉन्च करेंगे, जिससे युवा फुटबॉलरों को प्रेरणा और प्रशिक्षण मिलेगा।
दिल्ली में प्रधानमंत्री से मुलाकात की संभावना
कोलकाता के बाद मेसी दिल्ली जाएंगे, जहां उनकी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की संभावना है। दिल्ली में उनके सम्मान में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जा सकता है—संभावित स्थल हैं जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम या फिरोज शाह कोटला मैदान।
यहां भी युवाओं के लिए फुटबॉल वर्कशॉप आयोजित की जाएगी, जिसमें उभरते खिलाड़ी मेसी से सीधे मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे।
मुंबई में क्रिकेट और फुटबॉल का संगम
मेसी का दौरे का अंतिम पड़ाव होगा मुंबई, जहां ब्रैबोर्न स्टेडियम में एक विशेष कार्यक्रम में वह भारतीय क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर से मुलाकात करेंगे। यह लम्हा भारतीय खेल प्रेमियों के लिए एक यादगार क्षण बन जाएगा—दो महान खिलाड़ियों की ऐतिहासिक भेंट।
मुंबई में भी बच्चों और युवाओं के लिए फुटबॉल-आधारित वर्कशॉप और ग्रासरूट कार्यक्रमों का आयोजन होगा।
इससे पहले, केरल में होगा अर्जेंटीना का मैच
मेसी के भारत दौरे से पहले अक्टूबर महीने में केरल में एक अंतरराष्ट्रीय फ्रेंडली मैच आयोजित होगा, जिसमें अर्जेंटीना टीम मैदान में उतरेगी और मेसी टीम की अगुवाई करेंगे। हालांकि प्रतिद्वंद्वी टीम और स्थान की घोषणा अभी नहीं हुई है, लेकिन यह मैच भी ऐतिहासिक होने वाला है।
भारत में फुटबॉल को देगा नई ऊर्जा
लियोनेल मेसी का यह भारत दौरा सिर्फ एक महान खिलाड़ी की यात्रा नहीं है, बल्कि यह भारतीय फुटबॉल के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है। इससे बच्चों और युवाओं में फुटबॉल के प्रति उत्साह बढ़ेगा, भारत की वैश्विक छवि मजबूत होगी और खेल संस्कृति को मिलेगा नया आयाम।
कोलकाता, दिल्ली और मुंबई में दिसंबर का महीना एक फुटबॉल महोत्सव के रूप में मनाया जाएगा। और जब खुद मेसी भारतीय ज़मीन पर होंगे, तब जोश और उत्साह अपने चरम पर होगा।
]]>इतिहास दोहराने का सपना
2007 में भारत ने राहुल द्रविड़ की अगुआई में 1-0 से इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज जीती थी। तब से भारत कई बार कोशिश कर चुका है, लेकिन वह सफलता दोहरा नहीं सका। 2021-22 की सीरीज 2-2 से ड्रॉ रही, लेकिन पूर्ण जीत भारत के लिए मायावी रही। इस बार शुभमन गिल के नेतृत्व में युवा भारतीय टीम के पास इतिहास रचने का मौका है। 20 जून से लीड्स में शुरू होने वाले पहले टेस्ट के साथ इस सीरीज का आगाज होगा।
इंग्लैंड की चुनौती
इंग्लैंड इस बार कमजोर स्थिति में है। उनके प्रमुख तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चर पहले टेस्ट में नहीं खेलेंगे, मार्क वुड की पूरी सीरीज में भागीदारी संदिग्ध है, और गस एटकिंसन की चोट अभी ठीक नहीं हुई है। ऐसे में क्रिस वोक्स के नेतृत्व में युवा गेंदबाजों पर निर्भरता बढ़ेगी। हालांकि, इंग्लैंड के कोच ब्रेंडन मैकुलम आत्मविश्वास से भरे हैं। उन्होंने कहा, “हमारे गेंदबाजी आक्रमण में विविधता है। क्रिस वोक्स, सैम कुक, ब्रायडन कार्स, जेमी ओवरटॉन और जोश टंग जैसे तेज गेंदबाज हैं। इसके अलावा युवा स्पिनर शोएब बशीर हर टेस्ट में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।” मैकुलम का मानना है कि भारत के खिलाफ यह सीरीज एक कठिन परीक्षा होगी, लेकिन उनकी टीम तैयार है।
शुभमन गिल की कप्तानी
शुभमन गिल के लिए यह सिर्फ एक सीरीज नहीं, बल्कि खुद को साबित करने का बड़ा मंच है। बल्लेबाज के रूप में वह पहले ही अपनी प्रतिभा दिखा चुके हैं। आईपीएल और घरेलू क्रिकेट में उनकी कप्तानी का अनुभव उन्हें इस जिम्मेदारी के लिए तैयार करता है। हालांकि, इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज की कप्तानी उनके करियर की सबसे बड़ी चुनौती है। उनकी टीम में अनुभव की कमी है, लेकिन यशस्वी जायसवाल और रियान पराग जैसे युवा खिलाड़ी आक्रामक खेल से प्रभाव डाल सकते हैं।
इंग्लैंड की युवा प्रतिभा
इंग्लैंड के पास भी युवा प्रतिभाओं की कमी नहीं है। मैकुलम ने 21 वर्षीय जैकब बेथेल की खास तारीफ की है। आईपीएल में खेलकर अनुभव बटोरने वाले बेथेल ड्रेसिंग रूम में नेतृत्व की भूमिका निभा रहे हैं। मैकुलम ने कहा, “जैकब के पास अपार संभावनाएं हैं। उनका आत्मविश्वास और प्रतिभा उन्हें बहुत आगे ले जाएगी।”
यह टेस्ट सीरीज शुभमन गिल की कप्तानी की पहली बड़ी परीक्षा है। साथ ही, यह भारतीय क्रिकेट की नई पीढ़ी के लिए खुद को साबित करने का मंच है। अगर यह युवा टीम इंग्लैंड में 18 साल के सूखे को खत्म कर पाती है, तो वह इतिहास के पन्नों में अमर हो जाएगी। दूसरी ओर, इंग्लैंड अपनी जमीन पर दबदबा बनाए रखने के लिए बेताब है। यह मुकाबला क्रिकेट प्रेमियों के लिए रोमांच से भरा होगा।
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जो रूट ने 2012 में भारत के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया था और अब तक उन्होंने 30 टेस्ट मैचों में 2846 रन बनाए हैं। उनका औसत 58.08 है, जिसमें 10 शतक और 11 अर्धशतक शामिल हैं। भारत के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की सूची में वह पहले स्थान पर हैं। उनके बाद ऑस्ट्रेलिया के रिकी पॉन्टिंग (2555 रन), इंग्लैंड के पूर्व कप्तान एलिस्टेयर कुक (2431 रन), ऑस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ (2356 रन) और वेस्टइंडीज के क्लाइव लॉयड (2344 रन) का नंबर आता है। रूट की यह निरंतरता और भारत के खिलाफ शानदार प्रदर्शन उन्हें इस रिकॉर्ड के लिए सबसे मजबूत दावेदार बनाता है।
इसके अलावा, रूट का एक और लक्ष्य है ऑस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ का भारत के खिलाफ 11 शतकों का रिकॉर्ड तोड़ना। अगर वह इस सीरीज में दो शतक लगा लेते हैं, तो वह स्मिथ को पीछे छोड़ देंगे। वर्तमान में भारत के खिलाफ सबसे ज्यादा शतक बनाने की सूची में स्मिथ के बाद रूट का नाम है, और उनके बाद गैरी सोबर्स, विव रिचर्ड्स और रिकी पॉन्टिंग हैं, जिनके नाम 8-8 शतक हैं। रूट के लिए यह सीरीज न केवल रनों के मामले में, बल्कि शतकों के रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए भी महत्वपूर्ण होगी।
जो रूट विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) में भी सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। उन्होंने 64 टेस्ट मैचों में 51.80 की औसत से 5543 रन बनाए हैं। अगर वह इस सीरीज में 457 रन बना लेते हैं, तो वह डब्ल्यूटीसी में 6000 रन पूरे करने वाले पहले बल्लेबाज बन जाएंगे। इस सूची में उनके बाद मार्नस लाबुशेन (4186 रन), स्टीव स्मिथ (4072 रन), बेन स्टोक्स (3312 रन) और उस्मान ख्वाजा (3165 रन) हैं। रूट का डब्ल्यूटीसी में यह संभावित रिकॉर्ड उनकी टेस्ट क्रिकेट में निरंतरता और उत्कृष्टता को और मजबूत करेगा।
पिछली बार जब भारत ने इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज खेली थी, तब रूट ने चार मैचों में 564 रन बनाए थे। इस बार अगर वह पांच मैचों की सीरीज में 373 रन बना लेते हैं, तो वह रिकी पॉन्टिंग के 13,378 टेस्ट रनों के रिकॉर्ड को तोड़कर टेस्ट क्रिकेट में दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बन जाएंगे। वर्तमान में रूट के नाम 153 टेस्ट मैचों में 13,006 रन हैं, और वह टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वालों की सूची में पांचवें स्थान पर हैं। इस सूची में शीर्ष पर भारत के दिग्गज सचिन तेंदुलकर (15,921 रन) हैं, जिनके बाद रिकी पॉन्टिंग, जैक कैलिस (13,289 रन) और राहुल द्रविड़ (13,288 रन) का नंबर आता है।
पिछले महीने ट्रेंट ब्रिज में जिम्बाब्वे के खिलाफ चार दिवसीय टेस्ट मैच में जो रूट ने सबसे कम मैचों में 13,000 टेस्ट रन पूरे करने का रिकॉर्ड बनाया था। उन्होंने यह उपलब्धि 153 टेस्ट मैचों में हासिल की, जो जैक कैलिस (159 मैच), राहुल द्रविड़ (160 मैच), रिकी पॉन्टिंग (162 मैच) और सचिन तेंदुलकर (163 मैच) से तेज है। हालांकि, पारियों के हिसाब से सबसे कम समय में 13,000 रन बनाने का रिकॉर्ड अभी भी सचिन तेंदुलकर के नाम है, जिन्होंने 266 पारियों में यह आंकड़ा छुआ था, जबकि रूट को इसके लिए 279 पारियां लगीं।
रूट का यह शानदार फॉर्म और बल्लेबाजी कौशल भारत के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। भारतीय गेंदबाजी आक्रमण, जिसमें जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज और रविचंद्रन अश्विन जैसे दिग्गज शामिल हैं, के लिए रूट जैसे अनुभवी और फॉर्म में चल रहे बल्लेबाज को रोकना आसान नहीं होगा। दूसरी ओर, भारतीय टीम भी अपने मजबूत बल्लेबाजी क्रम और गेंदबाजी आक्रमण के साथ इस सीरीज में जीत के लिए पूरी तरह तैयार है।
रूट की बल्लेबाजी शैली उनकी तकनीक, धैर्य और स्थिति को पढ़ने की क्षमता के लिए जानी जाती है। भारत के खिलाफ उनका पिछला रिकॉर्ड देखें तो उन्होंने हमेशा भारतीय गेंदबाजों को परेशान किया है। 2021 में चेन्नई टेस्ट में उन्होंने अपने 100वें टेस्ट में दोहरा शतक जड़ा था, जो उन्हें इस उपलब्धि तक पहुंचने वाला दुनिया का पहला बल्लेबाज बनाता है। उनकी यह निरंतरता और बड़े स्कोर बनाने की क्षमता उन्हें इस सीरीज में इंग्लैंड का सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाती है।
इसके अलावा, रूट 2024 में 1417 टेस्ट रन बना चुके हैं और उन्हें एक कैलेंडर वर्ष में कई बार 1500 टेस्ट रन बनाने वाले दूसरे बल्लेबाज बनने के लिए केवल 83 रनों की जरूरत है। यह रिकॉर्ड वर्तमान में रिकी पॉन्टिंग के नाम है, जिन्होंने 2003 और 2005 में यह कारनामा किया था। रूट की मौजूदा फॉर्म और उनके पिछले प्रदर्शन को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि वह इस सीरीज में कई रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं।
कुल मिलाकर, जो रूट के लिए यह सीरीज न केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इंग्लैंड की जीत में भी उनकी भूमिका अहम होगी। भारतीय टीम के लिए रूट को रोकना एक बड़ी चुनौती होगी, और यह देखना रोमांचक होगा कि क्या वह इस सीरीज में अपने रिकॉर्ड्स की झड़ी लगा पाते हैं। प्रशंसक इस हाई-वोल्टेज सीरीज का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जहां रूट के बल्ले से रनों की बरसात होने की पूरी संभावना है।
]]>पिछले तीन आई-लीग सीजन में लाल्नुनत्लुआंगा ने श्रीनिदी डेक्कन और रियल कश्मीर के लिए लगातार शानदार प्रदर्शन किया है। उन्होंने हर सीजन में 20 से अधिक मैचों में हिस्सा लिया और अपनी नियमितता, कौशल और समर्पण से सभी को प्रभावित किया। उनकी गतिशीलता, मैदान पर ऊर्जा और अनुशासित खेल ने उन्हें भारतीय फुटबॉल में एक उभरता सितारा बनाया है। मुंबई सिटी एफसी में शामिल होने के बाद उत्साहित लाल्नुनत्लुआंगा ने कहा, “मुंबई सिटी एफसी जैसे बड़े क्लब का हिस्सा बनना मेरे लिए गर्व की बात है। इस क्लब का इतिहास, इसकी परंपरा और संस्कृति अपने आप में एक पहचान है। मैं इस क्लब की सफलता में योगदान देने के लिए उत्सुक हूं। आईएसएल में खेलना मेरे करियर का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, और मैं उम्मीद करता हूं कि इस क्लब के अनुभवी खिलाड़ियों के साथ मिलकर मैं और बेहतर कर पाऊंगा।”
मुंबई सिटी एफसी के फुटबॉल निदेशक सुजय शर्मा ने इस साइनिंग की तारीफ करते हुए कहा, “लाल्नुनत्लुआंगा की गतिशीलता, निरंतरता और मैदान पर उनकी दृढ़ता ने हमें प्रभावित किया है। हमने उन्हें इस सीजन की सबसे महत्वपूर्ण साइनिंग्स में से एक माना है। वह मैदान पर हमेशा ऊर्जा, उत्साह और अनुशासन का प्रदर्शन करते हैं। हमें विश्वास है कि उनकी खूबियां हमारी मौजूदा टीम के खिलाड़ियों के साथ मिलकर एक मजबूत तालमेल बनाएंगी।”
लाल्नुनत्लुआंगा का आगमन मुंबई सिटी एफसी के मिडफील्ड में नई ताकत और गहराई लाने की उम्मीद है। उनकी युवा ऊर्जा और अनुभव का मिश्रण टीम के लिए एक मूल्यवान संपत्ति साबित हो सकता है। आई-लीग से आईएसएल में यह बदलाव उनके करियर के लिए एक महत्वपूर्ण छलांग है, और प्रशंसकों को उम्मीद है कि वह इस बड़े मंच पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाएंगे।
लाल्नुनत्लुआंगा का अब तक का सफर
मिजोरम, जो भारतीय फुटबॉल के लिए कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी दे चुका है, वहां से आने वाले लाल्नुनत्लुआंगा ने अपने करियर की शुरुआत स्थानीय स्तर पर की। उन्होंने मिजोरम प्रीमियर लीग और अन्य क्षेत्रीय टूर्नामेंट्स में अपने खेल से ध्यान खींचा। इसके बाद, उन्होंने रियल कश्मीर और श्रीनिदी डेक्कन जैसी आई-लीग की मजबूत टीमों के लिए खेलते हुए अपनी पहचान बनाई। इन क्लबों के लिए खेलते हुए उन्होंने न केवल मिडफील्ड में अपनी पकड़ मजबूत की, बल्कि महत्वपूर्ण मौकों पर गोल और असिस्ट भी किए। उनकी पासिंग रेंज, गेंद पर नियंत्रण और खेल को पढ़ने की क्षमता ने उन्हें कोचों और प्रशंसकों का पसंदीदा बनाया।
आई-लीग में उनके प्रदर्शन को देखते हुए, यह स्पष्ट था कि वह जल्द ही किसी बड़े मंच पर अपनी जगह बनाएंगे। मुंबई सिटी एफसी जैसे क्लब का हिस्सा बनना उनके लिए एक स्वप्निल अवसर है। यह क्लब न केवल अपनी मजबूत टीम के लिए जाना जाता है, बल्कि अपने प्रशिक्षण सुविधाओं, कोचिंग स्टाफ और प्रशंसक आधार के लिए भी मशहूर है।
मुंबई सिटी एफसी की रणनीति
मुंबई सिटी एफसी ने हाल के वर्षों में आईएसएल में अपनी बादशाहत साबित की है। 2020-21 सीजन में उन्होंने लीग शील्ड और आईएसएल ट्रॉफी दोनों जीती थीं, और तब से वे लगातार शीर्ष पर बने रहने की कोशिश कर रहे हैं। इस सीजन के लिए, क्लब ने अपनी टीम को और मजबूत करने के लिए कई रणनीतिक साइनिंग्स की हैं, और लाल्नुनत्लुआंगा का शामिल होना उसी दिशा में एक कदम है।
मिडफील्ड में गहराई और संतुलन लाने के लिए लाल्नुनत्लुआंगा जैसे युवा और ऊर्जावान खिलाड़ी की जरूरत थी। उनकी मौजूदगी से न केवल टीम को रक्षात्मक और आक्रामक दोनों स्तरों पर मजबूती मिलेगी, बल्कि अनुभवी खिलाड़ियों को भी अतिरिक्त समर्थन मिलेगा। क्लब के कोच और प्रबंधन को उम्मीद है कि वह जल्दी ही टीम की रणनीति में ढल जाएंगे और मैदान पर प्रभाव डालेंगे।
प्रशंसकों की उम्मीदें
मुंबई सिटी एफसी के प्रशंसक, जिन्हें ‘आइलैंडर्स’ के नाम से जाना जाता है, इस साइनिंग से बेहद उत्साहित हैं। सोशल मीडिया पर प्रशंसकों ने लाल्नुनत्लुआंगा का स्वागत करते हुए उनकी प्रतिभा की तारीफ की है। कई प्रशंसकों का मानना है कि वह मिडफील्ड में एक गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं। उनकी गति, तकनीक और मैदान पर मेहनत उन्हें एक ऐसे खिलाड़ी के रूप में पेश करती है, जो बड़े मैचों में फर्क डाल सकता है।
आगे की राह
लाल्नुनत्लुआंगा के लिए आईएसएल एक नई चुनौती है। यह लीग न केवल भारत की सबसे प्रतिष्ठित फुटबॉल लीग है, बल्कि इसमें कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और कोच भी शामिल हैं। उनके सामने अब खुद को इस बड़े मंच पर साबित करने की जिम्मेदारी है। हालांकि, उनकी अब तक की उपलब्धियां और आत्मविश्वास को देखते हुए, यह कहा जा सकता है कि वह इस चुनौती के लिए तैयार हैं।
मुंबई सिटी एफसी के लिए यह सीजन महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे एक बार फिर ट्रॉफी जीतने की उम्मीद कर रहे हैं। लाल्नुनत्लुआंगा जैसे युवा खिलाड़ियों के साथ, क्लब का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है। प्रशंसक और विश्लेषक यह देखने के लिए उत्सुक हैं कि यह मिजोरम का सितारा मुंबई सिटी के नीले रंग में कैसा प्रदर्शन करता है।
कुल मिलाकर, लाल्नुनत्लुआंगा की यह साइनिंग भारतीय फुटबॉल के लिए भी एक सकारात्मक संदेश है। यह दर्शाता है कि मेहनत, प्रतिभा और समर्पण के साथ, छोटे शहरों और राज्यों के खिलाड़ी भी देश के सबसे बड़े मंच पर अपनी जगह बना सकते हैं।
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चल रही टेस्ट सीरीज में बुमराह भारतीय गेंदबाजी के प्रमुख सितारे रहे हैं। उन्होंने अब तक तीन मैचों में 21 विकेट लेकर सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज का स्थान हासिल किया है। पहले तीन टेस्ट में दो बार 5 विकेट लेकर उन्होंने अपनी काबिलियत साबित की है। अब बुमराह का लक्ष्य 6 विकेट लेकर टेस्ट क्रिकेट में 200 विकेट पूरे करना है। यदि वह ऐसा करते हैं, तो वह कपिल देव को पीछे छोड़ते हुए यह उपलब्धि हासिल करने वाले सबसे तेज भारतीय तेज गेंदबाज बन जाएंगे।
कपिल देव ने 200 टेस्ट विकेट 50 मैचों में पूरे किए थे। बुमराह यदि 6 विकेट लेते हैं, तो वह मात्र 44 टेस्ट मैचों में इस रिकॉर्ड को तोड़ देंगे। फिलहाल उनके नाम 194 विकेट हैं, उनका औसत 19.52 है और उन्होंने 12 बार 5 विकेट लिए हैं।
ऑस्ट्रेलिया में बुमराह का जलवा
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चल रही टेस्ट सीरीज में बुमराह का प्रदर्शन शानदार रहा है। पहले टेस्ट में, जो पर्थ में खेला गया था, बुमराह ने रोहित शर्मा की गैरमौजूदगी में भारत को 295 रनों की बड़ी जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने उस मैच में 8 विकेट लिए।
दूसरे टेस्ट में, जो एडिलेड में खेला गया, बुमराह ने मेजबानों की पहली पारी में 4 विकेट लेकर अपनी धार दिखाई। हालांकि, भारत वह मैच 10 विकेट से हार गया, लेकिन बुमराह अकेले संघर्ष करते नजर आए।
तीसरे टेस्ट में, जो गाबा में बारिश से प्रभावित रहा, बुमराह ने कुल 9 विकेट लिए और सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बन गए।
विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल की दौड़ में भारत
बॉक्सिंग डे टेस्ट बुमराह और टीम इंडिया दोनों के लिए बेहद अहम है। सीरीज फिलहाल बराबरी पर है, और यह मैच भारत के लिए विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) 2023-25 फाइनल में पहुंचने की राह तय कर सकता है। यदि भारत यह मैच हारता है, तो फाइनल में जगह बनाने की उसकी उम्मीदें लगभग खत्म हो जाएंगी।
पहला गुलाबी गेंद टेस्ट मैच ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच एडिलेड में खेला गया था। इस मैच को ऑस्ट्रेलिया ने तीन विकेट से जीता था।
गुलाबी गेंद की खासियत है कि यह शाम के समय ज्यादा स्विंग और सीम मूवमेंट करती है। इसके बावजूद कई बल्लेबाजों ने शानदार पारियां खेलकर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। आइए डे/नाइट टेस्ट मैचों में टॉप 5 व्यक्तिगत स्कोर पर नजर डालते हैं।
5. ट्रैविस हेड – 175 (वेस्ट इंडीज के खिलाफ, 2022)
2022 में एडिलेड में ट्रैविस हेड ने वेस्ट इंडीज के खिलाफ 175 रन की तेजतर्रार पारी खेली। उनकी इस पारी ने ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी में 511 रन का विशाल स्कोर बनाने में मदद की। ऑस्ट्रेलिया ने यह मैच 409 रन से जीता और हेड को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया।
4. दिमुथ करुणारत्ने – 196 (पाकिस्तान के खिलाफ, 2017)
2017 में दुबई में पाकिस्तान के खिलाफ दिमुथ करुणारत्ने ने 196 रन की शानदार पारी खेली। उनकी इस पारी में 19 चौके और 1 छक्का शामिल था। श्रीलंका ने 482 रन बनाए और यह मैच 68 रन से जीता। करुणारत्ने को प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार दिया गया।
3. एलेस्टेयर कुक – 243 (वेस्ट इंडीज के खिलाफ, 2017)
2017 में बर्मिंघम में वेस्ट इंडीज के खिलाफ एलेस्टेयर कुक ने 243 रन की शानदार पारी खेली। उनकी इस पारी में 33 चौके शामिल थे। इंग्लैंड ने यह मैच एक पारी और 209 रन से जीता।
2. अजहर अली – 302 (वेस्ट इंडीज के खिलाफ, 2016)*
2016 में पाकिस्तान के अजहर अली ने वेस्ट इंडीज के खिलाफ 302 रन की नाबाद पारी खेली। यह डे/नाइट टेस्ट में पहला ट्रिपल सेंचुरी स्कोर था। उनकी पारी में 23 चौके और 2 छक्के शामिल थे। पाकिस्तान ने यह मैच 56 रन से जीता।
1. डेविड वॉर्नर – 335 (पाकिस्तान के खिलाफ, 2019)*
2019 में पाकिस्तान के खिलाफ डेविड वॉर्नर ने 335 रन की नाबाद पारी खेली, जो डे/नाइट टेस्ट मैचों में अब तक का सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर है। उनकी इस पारी की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने मैच एक पारी और 48 रन से जीता।
(सभी आंकड़े 1 दिसंबर 2024 तक अपडेट किए गए हैं।)
]]>ऐतिहासिक उपलब्धि:
अर्जुन ने यह कारनामा यूरोपीय शतरंज क्लब कप 2024 में अल्कालॉइड टीम के लिए खेलते हुए रूस के दिमित्री आंद्रेइकिन को हराकर किया। सफेद मोहरों से खेलते हुए अर्जुन ने यह जीत हासिल की। इसके साथ ही वह लाइव रेटिंग सूची में विश्व नंबर 3 बन गए हैं।
अर्जुन भारतीय इतिहास में सबसे कम उम्र में 2800 रेटिंग पार करने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। विश्व स्तर पर, यह उपलब्धि सबसे पहले फ्रांस के अलीरेजा फिरौजा ने 18 साल और 5 महीने की उम्र में हासिल की थी।
अर्जुन की हाल की उपलब्धियां:
पिछले कुछ महीनों में अर्जुन का प्रदर्शन शानदार रहा है। उन्होंने 2024 बुडापेस्ट शतरंज ओलंपियाड में व्यक्तिगत और टीम स्वर्ण पदक जीता। इसके अलावा, टेपे सिगेमैन शतरंज टूर्नामेंट में दूसरा स्थान और शारजाह मास्टर्स ओपन में पांचवां स्थान हासिल किया।
इसके साथ ही उन्होंने मेनोर्का ओपन खिताब और 2024 डब्ल्यूआर चेस मास्टर्स कप भी जीता, जिसमें उन्होंने फ्रांस के मैक्सिम वाचियर-लाग्रेव को हराया।
विश्व के शीर्ष रेटेड खिलाड़ियों में अर्जुन का नाम शामिल:
शतरंज के इतिहास में अब तक के सर्वाधिक रेटिंग वाले खिलाड़ी:
मैग्नस कार्लसन (नॉर्वे) – 2882
गैरी कास्पारोव (रूस) – 2851
फैबियानो कारुआना (अमेरिका) – 2844
अर्जुन एरिगैसी (भारत) – 2802.1
अर्जुन की सफलता भारतीय शतरंज के लिए गौरव का क्षण है।
स्पैनिश कोच कार्लेस कुआड्रेट के टीम छोड़ने के बाद उनकी जगह ऑस्कर ब्रूज़न को नियुक्त किया गया। उनके आने के बाद टीम ने नॉर्थईस्ट यूनाइटेड के खिलाफ पहली जीत हासिल की। हालांकि यह जीत प्रशंसकों को थोड़ी राहत दे सकती है, लेकिन टीम के कुछ खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर सवाल बने हुए हैं।
खासतौर पर, स्पैनिश डिफेंडर हेक्टर युस्ते और ब्राजीलियन स्टार क्लेटन सिल्वा का प्रदर्शन कोच की आलोचना का केंद्र बना हुआ है। युस्ते ने पहले एएफसी चैलेंज लीग में चोटिल होने के बाद टीम से बाहर रहकर वापसी की थी। हालांकि, उनकी मौजूदा फॉर्म संतोषजनक नहीं है। ऐसे में टीम मैनेजमेंट ने उन्हें विंटर ट्रांसफर विंडो में रिलीज़ करने का फैसला किया है।

युस्ते की जगह टीम उज़्बेकिस्तान के डिफेंडर बाबुरबेक यूलदाशेव को टीम में शामिल करने पर विचार कर रही है। 31 वर्षीय यह सेंटर बैक वर्तमान में बुनीयादकोर ताशकंद क्लब के लिए खेल रहे हैं। उन्होंने वहां की लीग में 11 मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 2 गोल और 1 असिस्ट किया है। उनकी शारीरिक क्षमता, अनुभव और खेल में प्रभाव डालने की क्षमता ईस्ट बंगाल की रक्षा पंक्ति को मजबूती दे सकती है।
हालांकि, बाबुरबेक के साथ अनुबंध अभी तक अंतिम नहीं हुआ है। टीम प्रबंधन इस पर विचार कर रहा है। उनकी प्राथमिकता टीम की डिफेंस को मजबूत करना और आईएसएल में बेहतर प्रदर्शन करना है। प्रशंसकों को उम्मीद है कि नए खिलाड़ी के जुड़ने और नए कोच की रणनीति से टीम फिर से वापसी करेगी।
]]>डे-नाइट टेस्ट में भारत का रिकॉर्ड बेहतरीन रहा है। खासतौर पर घरेलू मैदानों पर भारत ने अब तक खेले गए तीनों गुलाबी गेंद टेस्ट मैच जीते हैं। इस सफलता का बड़ा श्रेय भारतीय गेंदबाजों को जाता है जिन्होंने शानदार प्रदर्शन किया है। इस लेख में हम भारत के उन 5 गेंदबाजों के बारे में बात करेंगे जिन्होंने डे-नाइट टेस्ट में सबसे ज्यादा विकेट लिए हैं।
5. इशांत शर्मा – 10 विकेट
भारत के अनुभवी तेज गेंदबाज इशांत शर्मा पहले भारतीय गेंदबाज हैं जिन्होंने गुलाबी गेंद टेस्ट में पांच विकेट लेने का कारनामा किया। उन्होंने बांग्लादेश और इंग्लैंड के खिलाफ दो डे-नाइट टेस्ट खेले।
इन दो मैचों में इशांत ने कुल 10 विकेट लिए। उनकी सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी 5/22 की थी, जो उन्होंने ईडन गार्डन में बांग्लादेश के खिलाफ हासिल की।
4. जसप्रीत बुमराह – 10 विकेट
भारत के प्रमुख तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने अब तक तीन डे-नाइट टेस्ट खेले हैं। इन तीन मैचों में उन्होंने 14.50 की औसत से 10 विकेट लिए।
बेंगलुरु में श्रीलंका के खिलाफ उनका प्रदर्शन शानदार था। उन्होंने मैच में कुल 8 विकेट झटके, जिसमें एक पारी में 5/24 का बेहतरीन प्रदर्शन शामिल था।
3. उमेश यादव – 11 विकेट
उमेश यादव भारतीय टेस्ट टीम के सबसे अंडररेटेड तेज गेंदबाजों में से एक हैं। उन्होंने बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दो डे-नाइट टेस्ट खेले।
इन दोनों मैचों में उमेश ने 15.54 की औसत से 11 विकेट लिए। उनकी सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी 5/53 की थी, जो उन्होंने ईडन गार्डन में बांग्लादेश के खिलाफ की थी।
2. अक्षर पटेल – 14 विकेट
अक्षर पटेल ने दो डे-नाइट टेस्ट खेले हैं – इंग्लैंड के खिलाफ अहमदाबाद में और श्रीलंका के खिलाफ बेंगलुरु में। अहमदाबाद टेस्ट में उनका प्रदर्शन अविश्वसनीय था।
उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 6/38 और 5/32 के आंकड़ों के साथ मैन ऑफ द मैच का खिताब जीता। उन्होंने दो मैचों में कुल 14 विकेट लिए और उनकी औसत मात्र 9.14 रही।
1. रविचंद्रन अश्विन – 18 विकेट
भारत के अनुभवी स्पिनर रविचंद्रन अश्विन डे-नाइट टेस्ट में भारत के सबसे सफल गेंदबाज हैं। उन्होंने चार गुलाबी गेंद टेस्ट खेले और 13.83 की औसत से 18 विकेट लिए।
हालांकि, वह अभी तक पांच विकेट नहीं ले पाए हैं, लेकिन उन्होंने तीन मैचों में चार-चार विकेट लिए हैं। उनका प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और श्रीलंका के खिलाफ शानदार रहा है।
]]>डॉर्टमुंड के खिलाफ मुकाबले में 38वें मिनट में केन को मैदान छोड़ना पड़ा। उस समय बायर्न 1-0 से पिछड़ रहा था। डॉर्टमुंड के लिए यह गोल जेमी गिटेंस ने किया। केन के बिना बायर्न के खेल में कमी साफ दिखी।
दूसरे हाफ में बायर्न ने कई बेहतरीन मौके बनाए लेकिन उन्हें भुनाने में नाकाम रहा। आखिरकार, मैच के 85वें मिनट में जमाल मुसियाला के हेडर ने टीम को बराबरी दिलाई। इस ड्रॉ के बावजूद, बायर्न की जीत की लय टूट गई।
मैच के बाद बायर्न के कोच विंसेंट कंपनी ने कहा, “हम हमेशा तीन अंक हासिल करना चाहते हैं, लेकिन आज ऐसा नहीं हो सका। हमें सच्चाई को स्वीकार करना होगा।”
केन की अनुपस्थिति का असर
हैरी केन के बायर्न म्यूनिख में शामिल होने के बाद से वह शानदार फॉर्म में हैं। इस सीज़न में उन्होंने अब तक 19 मैचों में 20 गोल किए हैं। उनकी निरंतरता और गोल करने की क्षमता बायर्न की सफलता की कुंजी रही है।
चोट लगने से पहले केन ने हर प्रतियोगिता में टीम के लिए अहम योगदान दिया। उनकी गैरमौजूदगी में बायर्न के आक्रमण में कमी आ सकती है। इस सीज़न में केन ने अपनी फिटनेस के दम पर बायर्न को कई मैच जिताए हैं। यही वजह है कि बायर्न ने उन पर बड़ा निवेश किया।
टीम के लिए केन का जल्द ठीक होना बेहद जरूरी है। कोच और प्रशंसकों को उम्मीद है कि वह जल्द ही मैदान पर वापसी करेंगे और टीम के आक्रमण की कमान संभालेंगे।
]]>केनरा बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय, अयोध्या के डिप्टी जनरल मैनेजर विकास भारती ने शनिवार को बताया, “श्री राम प्रीमियर क्रिकेट लीग 22 दिसंबर को एक निजी कॉलेज के मैदान पर आयोजित किया जाएगा। टूर्नामेंट सुबह 9 बजे शुरू होगा।”
लीग के नियम:
टूर्नामेंट में दो लीग मैच होंगे।
प्रत्येक टीम 12 ओवरों की पारी खेलेगी।
लीग मैचों के विजेता टीमों के बीच फाइनल मुकाबला होगा।
फाइनल मैच 15 ओवरों का होगा।
पूरे टूर्नामेंट में टेनिस बॉल का उपयोग किया जाएगा।
इस पहल का उद्देश्य:
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने कहा है कि इस टूर्नामेंट का उद्देश्य धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का संदेश देना है। अयोध्या अब केवल धार्मिक केंद्र नहीं रह गया है, यह सांस्कृतिक और खेल गतिविधियों का भी केंद्र बनता जा रहा है।
विकास भारती ने आगे कहा, “यह टूर्नामेंट केवल मनोरंजन और खेल के लिए नहीं है, बल्कि यह हमारी परंपरा और संस्कृति का प्रतिबिंब है। मंदिर ट्रस्ट की इस प्रतियोगिता में भागीदारी से सकारात्मक संदेश जाएगा।”
प्रतियोगिता की खासियत:
स्थानीय लोग इस टूर्नामेंट को लेकर काफी उत्साहित हैं। खेल और धार्मिक भावना के मेल से यह लीग नई मिसाल कायम कर सकती है।
श्री राम प्रीमियर क्रिकेट लीग केवल एक खेल प्रतियोगिता नहीं है; यह परंपरा और खेल का संगम है। अयोध्या जैसे ऐतिहासिक स्थल पर ऐसी पहल नई पीढ़ी को प्रेरित करेगी और एकता का संदेश फैलाएगी।
]]>पहला हाफ
मैच की शुरुआत में ही, केवल दो मिनट के अंदर रियल कश्मीर ने बढ़त बना ली। दाएं किनारे से मोहम्मद अकीब के एक लंबे थ्रो-इन को कैमरून के डिफेंडर बॉउबा अमिनू ने शानदार हेडर के जरिए गोल में तब्दील कर दिया। बॉउबा ने अपने पूर्व क्लब के खिलाफ गोल किया, जिसके साथ उन्होंने पहले एक आई लीग खिताब जीता था।
पहले हाफ में रियल कश्मीर को कई मौके मिले, लेकिन वे उन्हें गोल में बदलने में नाकाम रहे। सेनगल के स्ट्राइकर करीम सैम्ब ने कई अवसर गंवाए, जिसमें एक हेडर और एक गोलकीपर के साथ आमने-सामने का मौका शामिल था।
दूसरे हाफ में गोकुलम की वापसी
दूसरे हाफ में गोकुलम केरल ने धीरे-धीरे मैच में पकड़ बनानी शुरू की। जबकि रियल कश्मीर अपनी मजबूत एरियल रणनीति पर निर्भर रहा, गोकुलम ने पासिंग गेम के जरिए नियंत्रण बनाए रखा।
76वें मिनट में गोकुलम ने बराबरी का गोल किया। बाएं छोर से फ्री-किक रियल कश्मीर के डिफेंस को चीरते हुए अंततः अतुल उन्नीकृष्णन तक पहुंची, जिन्होंने इसे पोस्ट के पास से गोल में डाल दिया। यह गोकुलम का श्रीनगर में पिछले चार आई लीग अवे मैचों में पहला गोल था।
ड्रॉ के साथ मैच समाप्त
बराबरी करने के बाद, गोकुलम ने कई आक्रामक मौके बनाए। इग्नासियो अबेलेडो और माइकल सूसराज के शॉट्स को रियल कश्मीर के गोलकीपर मोहम्मद अर्बाज ने शानदार बचाव के साथ रोका।
आखिरी क्षणों में, रियल कश्मीर ने फिर से नियंत्रण हासिल किया और मैच एक उचित ड्रॉ के साथ समाप्त हुआ। इस ड्रॉ के जरिए दोनों टीमों ने एक-एक अंक अर्जित किया।
]]>पुरुषों की श्रेणी में प्रमुख नाम
मेसी, जो अब इंटर मियामी के लिए खेलते हैं, एक बार फिर सूची में हैं। वहीं, मैनचेस्टर सिटी के स्टार मिडफील्डर रोड्री ने अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर जगह बनाई है। रोड्री ने हाल ही में बैलन डी’ऑर जीता और सिटी के ट्रेबल जीतने वाले सीजन में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा, उन्होंने स्पेन को यूईएफए यूरोपियन चैंपियनशिप जिताने में भी शानदार योगदान दिया।
रियल मैड्रिड के ब्राजीलियाई स्टार विनीसियस जूनियर भी नामांकितों में हैं। उन्होंने ला लीगा, स्पेनिश सुपर कप और यूईएफए चैंपियंस लीग में अपनी टीम के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। हालांकि, बैलन डी’ऑर समारोह में उनकी अनुपस्थिति ने विवाद खड़ा किया, लेकिन वह अब भी बेस्ट फीफा मेन्स प्लेयर के दावेदार बने हुए हैं।
बड़े नाम और उभरते सितारे
इस साल की सूची में कई और शानदार नाम शामिल हैं। मैनचेस्टर सिटी के एर्लिंग हालैंड ने अपने गोल करने की काबिलियत से सबको प्रभावित किया है। रियल मैड्रिड के युवा खिलाड़ी जूड बेलिंगहैम भी अपने शानदार प्रदर्शन के लिए चर्चा में हैं। वहीं, बार्सिलोना के युवा स्टार लैमिन यामल ने भी नामांकन में जगह बनाई है।
फीफा बेस्ट फुटबॉल अवॉर्ड्स का महत्व
इस अवॉर्ड का मकसद न केवल खिलाड़ियों के प्रदर्शन को मान्यता देना है, बल्कि फुटबॉल के प्रति उनके योगदान की सराहना करना भी है। खिलाड़ियों का चयन क्लब और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके प्रदर्शन के आधार पर किया जाता है।
2024 फीफा बेस्ट पुरुष खिलाड़ी नामांकितों की सूची
डैनी कार्वाजल (स्पेन), रियल मैड्रिड
एर्लिंग हालैंड (नॉर्वे), मैनचेस्टर सिटी
फेडरिको वाल्वरडे (उरुग्वे), रियल मैड्रिड
फ्लोरियन विर्ट्ज़ (जर्मनी), बायर लेवरकुसेन
जूड बेलिंगहैम (इंग्लैंड), रियल मैड्रिड
किलियन एम्बाप्पे (फ्रांस), पीएसजी/रियल मैड्रिड
लैमिन यामल (स्पेन), बार्सिलोना
लियोनेल मेसी (अर्जेंटीना), इंटर मियामी
रोड्री (स्पेन), मैनचेस्टर सिटी
टोनी क्रूस (जर्मनी), रियल मैड्रिड (अब सेवानिवृत्त)
विनीसियस जूनियर (ब्राजील), रियल मैड्रिड
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OFFICIAL: The Best FIFA Men’s Player 2024 nominees released tonight.
pic.twitter.com/fWRa8BJhgJ
— Fabrizio Romano (@FabrizioRomano) November 28, 2024
पिछले गुरुवार को केरला ब्लास्टर्स के खिलाफ एफसी गोवा ने एक और अहम मुकाबला खेला। पहले हाफ में दबाव में दिखने वाली यह टीम समय के साथ खेल पर नियंत्रण बनाती चली गई। आखिरी में बोरिस सिंह के एकमात्र गोल ने उन्हें इस मुकाबले में जीत दिलाई। इस जीत के साथ एफसी गोवा ने टेबल के टॉप 6 में अपनी जगह लगभग पक्की कर ली है।
हालांकि, इस मैच में आर्मांडो सादिकु और बोर्हा हेरेरा जैसे अहम विदेशी खिलाड़ी शुरुआती प्लेइंग इलेवन में नहीं थे।
कोच मनोलो मार्क्वेज़ (Manolo Marquez) के इस फैसले ने सबको हैरान कर दिया। मैच के बाद इस फैसले पर बात करते हुए मनोलो ने कहा, “हमारी टीम में छह विदेशी खिलाड़ी हैं, जिनमें से चार पूरी तरह फिट होकर खेलने के लिए तैयार थे। लेकिन सादिकु और बोर्हा इस हफ्ते कुछ शारीरिक समस्याओं से गुजर रहे थे। खासकर सादिकु की हालत पिछले दो दिनों में काफी मुश्किल रही।”
मनोलो ने आगे कहा, “केरला ब्लास्टर्स के घरेलू स्टेडियम में खेलना हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है। उन्होंने शुरुआत में हमसे ज्यादा आक्रामक खेल दिखाया। लेकिन हमने अपने प्लान पर टिके रहते हुए वह गोल किया और उसके बाद खेल को अच्छी तरह नियंत्रित किया। हालांकि, अंत में उनका हमला हमारे लिए चिंता का कारण बना, लेकिन हमारे खिलाड़ियों ने समझदारी से खेल संभाला। यही हमारी जीत की कुंजी रही।”
केरला ब्लास्टर्स जैसी मजबूत टीम के खिलाफ इस जीत ने यह साबित कर दिया है कि एफसी गोवा ने फिर से अपनी लय पकड़ ली है। आने वाले मुकाबलों में उनके अन्य अहम खिलाड़ियों की फिटनेस और रिजर्व बेंच की भूमिका टीम को और मजबूत बना सकती है।
]]>रैंकिंग में गिरावट के कारण
विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय फुटबॉल टीम की इस गिरावट के पीछे कई अहम वजहें हैं।
एशिया में अन्य देशों की प्रगति
वियतनाम और उज्बेकिस्तान जैसे एशियाई देशों ने हाल के वर्षों में फुटबॉल में शानदार प्रगति की है। इन देशों की रैंकिंग में सुधार भारतीय फुटबॉल की ठहराव की स्थिति को और अधिक उजागर करता है।
भारतीय फुटबॉल की संरचनात्मक समस्याएं
भारतीय फुटबॉल में गहराई से मौजूद समस्याएं रैंकिंग में गिरावट का मुख्य कारण हैं।
भविष्य की उम्मीदें
हालांकि मौजूदा स्थिति निराशाजनक है, लेकिन सुधार की संभावना अभी भी मौजूद है। भारतीय फुटबॉल के उत्थान के लिए जमीनी स्तर पर विकास, अंतरराष्ट्रीय अनुभव बढ़ाने के लिए बेहतर टूर्नामेंट में भागीदारी और रणनीतिक योजना की आवश्यकता है।
वैश्विक फुटबॉल का परिदृश्य
फीफा रैंकिंग में अर्जेंटीना ने पहला स्थान बरकरार रखा है, जबकि फ्रांस और स्पेन क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। भारत की संघर्षशील स्थिति इन शीर्ष टीमों की उपलब्धियों के सामने और भी स्पष्ट हो जाती है। हालांकि, सही दिशा में कदम उठाकर भारतीय फुटबॉल फिर से उभर सकता है और अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस पा सकता है।
पहले हाफ में गोआ का 1-0 से बढ़त बनाना तय हुआ। लेकिन दूसरे हाफ की शुरुआत से ही केरल ने आक्रमण तेज किया, हालांकि गोल करने में नाकाम रहे। नोआ सादौरा, आद्रियान लुना, क्वामी पेपरा और संदीप सिंह जैसे प्रमुख खिलाड़ियों ने कई गोल के मौके गंवाए। इसके अलावा, गोआ के रक्षात्मक खिलाड़ियों संदीश झिंगन और आकाश सांगवान ने केरल के हमलों को पूरी तरह से नकार दिया। अंततः, गोआ ने वही एकमात्र गोल कर 1-0 से जीत हासिल की।
मैच के बाद केरल ब्लास्टर्स के कोच मिकेल स्टेहरे (Mikael Stahre) ने इस हार को लेकर अपनी निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा, “मैं मानता हूं कि हम पहले 25 से 30 मिनट तक अच्छे खेल रहे थे और हमारी योजना के अनुसार खेल रहे थे। लेकिन उसके बाद हम अपना रिदम खोने लगे। हमारी टीम के कुछ खिलाड़ी तकनीकी गलतियों के कारण मैच में गोल नहीं कर सके और हमें तीन अंक खोने पड़े। यह हमारे लिए बहुत निराशाजनक है।”
स्टेहरे ने आगे कहा, “सभी कोच और विशेषज्ञ इस मैच का विश्लेषण करेंगे और हम इससे कुछ सीखेगा। हमारे रिजर्व बेंच के खिलाड़ी भी सक्रिय थे और उन्होंने अच्छा प्रयास किया, लेकिन ये सब बेकार हो गया क्योंकि हमें मैच जीतने का मौका नहीं मिला।”
अब केरल ब्लास्टर्स के लिए अगला चुनौती है 7 दिसंबर को बेंगलुरु एफसी के खिलाफ कांतिरवा स्टेडियम में मैच। स्टेहरे और उनकी टीम गोआ मैच को भुलाकर अगली चुनौती के लिए तैयार हैं। उनका मुख्य उद्देश्य है कि वे अपनी गलतियों से सीखें और आगामी मुकाबले में बेहतर प्रदर्शन करें।
]]>मैच की शुरुआत से ही गोवा ने आक्रमण का रुख अपनाया। कोच राहुल केपी की अगुवाई में गोवा की टीम ने कई हमले किए, लेकिन पहला गोल संभव नहीं हो पा रहा था। केरल ब्लास्टर्स भी मौके बना रही थी, लेकिन गोवा की मजबूत रक्षापंक्ति और गोलकीपर ने इन हमलों का प्रभावी ढंग से जवाब दिया। पहले हाफ के दौरान, केरल के मोरक्को के स्ट्राइकर नोआ सादाउ ने एक आसान गोल का मौका गंवा दिया, जो उनके लिए दुर्भाग्यपूर्ण था।
गोवा की टीम का निर्णायक पल तब आया जब मैच के 40वें मिनट में बॉरिस सिंग ने एक शानदार गोल किया। गोवा के सीनियर खिलाड़ी ने केरल की रक्षापंक्ति में घुसकर पहले पोस्ट की दिशा में एक लंबा शॉट मारा, जो गोलकीपर सचिन सुरेश के प्रयास के बावजूद गोल में तब्दील हो गया। इसके साथ ही गोवा ने 1-0 की बढ़त बनाई, जो पहले हाफ तक बनी रही।
दूसरे हाफ की शुरुआत में, केरल ब्लास्टर्स ने फिर से आक्रमण करने की कोशिश की। कोरो सिंग, क्वामी पेपर और नोआ सादाउ ने गोल के कई मौके बनाए, लेकिन गोवा की मजबूत डिफेंस और गोलकीपर ने इन्हें नाकाम कर दिया। इसके बाद, केरल को एक फ्री-किक से गोल बनाने का मौका मिला, लेकिन आद्रियन लूना उस मौके को भुना नहीं पाए। मैच के अंतिम क्षणों में, केरल के डिफेंडर संदीप सिंह ने एक आसान गोल का मौका गंवा दिया, जिसके बाद गोवा की जीत सुनिश्चित हो गई।
गोवा के कोच मैनोलो मार्क्वेज़ ने जीत के बाद कहा, “यह जीत हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाएगी और हमें आने वाले मैचों के लिए तैयार करेगी। हम लगातार सुधार कर रहे हैं और यह एक महत्वपूर्ण कदम है।”
यह जीत गोवा की टीम के लिए एक बड़ा मनोबल है, खासकर क्योंकि उन्होंने कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच अपनी स्थिति को मजबूत किया है।
]]>भुवनेश्वर ने 2014 में एसआरएच के साथ अपने सफर की शुरुआत की थी और 2016 में टीम को आईपीएल का खिताब दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अपने संदेश में टीम के फैन्स और फ्रेंचाइज़ी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।
उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, “11 अद्भुत वर्षों के बाद मैं एसआरएच को अलविदा कह रहा हूं। मैंने कई यादगार और भावनात्मक पल इस टीम के साथ बिताए हैं। फैन्स का प्यार, जो मुझे मिला है, वह कभी नहीं भुलाया जा सकता। यह समर्थन मेरे साथ हमेशा रहेगा।”
एसआरएच के साथ सफर
भुवनेश्वर ने एसआरएच के लिए 176 आईपीएल मैच खेले और 181 विकेट लिए। उनकी नई गेंद से स्विंग कराने की क्षमता और पावरप्ले में किफायती गेंदबाजी ने उन्हें टीम का अहम हिस्सा बनाया।
2022 के ऑक्शन में एसआरएच ने उन्हें 4.2 करोड़ रुपये में रिटेन किया था। हालांकि, 2025 के मेगा ऑक्शन में मुंबई इंडियंस (एमआई) और लखनऊ सुपर जायंट्स (एलएसजी) के बीच उनके लिए बोली लगाई गई। उनकी बोली 10 करोड़ रुपये के पार चली गई, जहां आरसीबी ने 10.75 करोड़ रुपये देकर उन्हें अपने साथ जोड़ा।
फैंस को अलविदा संदेश
भुवनेश्वर ने अपने संदेश में लिखा, “एसआरएच का हिस्सा बनकर मैंने जो कुछ भी सीखा और हासिल किया, वह मेरे लिए गर्व की बात है। मैंने इस टीम के साथ इतिहास बनाया है, डुरंड कप और सुपर कप जीता है। यह समय अब नए चैलेंज के लिए खुद को तैयार करने का है।”
अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि आरसीबी के लिए उनका प्रदर्शन कैसा रहता है और क्या वह फ्रेंचाइजी को उनका पहला आईपीएल खिताब दिलाने में मदद कर सकते हैं।
]]>महेश और नंद की गैरमौजूदगी
नाओरेम महेश और नंदकुमार सेकर ईस्ट बंगाल की अटैकिंग लाइनअप के महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं। उनकी अनुपस्थिति से टीम की रणनीति पर असर पड़ना तय है। ऐसे में सवाल उठता है कि उनकी जगह टीम में कौन खेलेगा।
बिष्णु पर भरोसा
टीम के कोच ऑस्कर ब्रुजन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में संकेत दिया कि युवा खिलाड़ी पीवी बिष्णु को शुरुआती एकादश में मौका दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “बिष्णु इस समय शानदार फॉर्म में हैं। हमने महेश और नंद की जगह लेने के लिए कई खिलाड़ियों को देखा, लेकिन बिष्णु में ज्यादा आत्मविश्वास नजर आया। वह कल के मैच में शुरुआती एकादश में होंगे।”
ब्रुजन ने आगे कहा, “मुझे उम्मीद है कि कल आप मुझसे महेश और नंद के प्रदर्शन के बारे में नहीं, बल्कि बिष्णु के अच्छे प्रदर्शन के बारे में सवाल करेंगे।” उनके इस बयान से साफ है कि कोच को बिष्णु पर पूरा भरोसा है।
युवाओं को मौका
इस सीजन में ईस्ट बंगाल और अन्य बड़ी टीमें युवा खिलाड़ियों को मौका देने पर जोर दे रही हैं। पीवी बिष्णु जैसे खिलाड़ी के लिए यह एक बड़ा मौका होगा। वहीं, टीम के अनुभवी खिलाड़ी दिमित्रियोस डायमांटाकोस और साउल क्रेस्पो अटैक की कमान संभालेंगे।
नॉर्थईस्ट यूनाइटेड के खिलाफ चुनौती
नॉर्थईस्ट यूनाइटेड ने इस सीजन में अब तक अच्छा प्रदर्शन किया है। उनके खिलाफ ईस्ट बंगाल को अटैक और डिफेंस में संतुलन बनाए रखना होगा। ऑस्कर ब्रुजन ने अपनी टीम के साथ जमकर प्रैक्टिस की है। लेकिन मैच के दिन मैदान पर प्रदर्शन ही टीम के लिए नतीजा तय करेगा।
फैंस की उम्मीदें
महेश और नंद की अनुपस्थिति के बावजूद ईस्ट बंगाल के फैंस को उम्मीद है कि टीम घरेलू मैदान पर दमदार प्रदर्शन कर जीत हासिल करेगी। नए कोच ब्रुजन की रणनीति और युवा खिलाड़ियों का आत्मविश्वास इस मुकाबले में टीम के भाग्य का फैसला करेंगे।
लेकिन अब दिमास डेलगाडो ईस्ट बंगाल के साथ नहीं हैं। हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर यह घोषणा की कि वह सहायक कोच के पद से हट गए हैं।
दिमास का विदाई संदेश
बुधवार को अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में, दिमास ने ईस्ट बंगाल के साथ बिताए अनमोल पलों की तस्वीरें साझा कीं और लिखा,
“मैं आधिकारिक तौर पर घोषणा करता हूं कि मैं अब ईमामी ईस्ट बंगाल एफसी का हिस्सा नहीं हूं। मैं उन सभी लोगों का धन्यवाद करता हूं जिन्होंने मुझे सहायक कोच बनने का मौका दिया। यह डेढ़ साल मेरे लिए बहुत सकारात्मक और भावनात्मक था, जिसे मैं हमेशा याद रखूंगा।”
उन्होंने आगे कहा,
“मैं गर्व के साथ जा रहा हूं कि हमने एक ऐतिहासिक क्लब को उसकी लय में वापस लाने में मदद की। डूरंड कप का फाइनल खेलना, कलिंगा सुपर कप में चैंपियन बनना और नौ साल बाद एएफसी टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई करना हमारे लिए बड़ी उपलब्धियां थीं। यहां तक कि पांच साल बाद हमने एक सीजन में दो डर्बी जीते। जो कुछ भी हमने हासिल किया, उसके लिए मैं गर्व महसूस करता हूं और अब नए चैलेंज के लिए तैयार हूं।”
ईस्ट बंगाल की मौजूदा स्थिति
दिमास डेलगाडो के जाने के बाद, ईस्ट बंगाल में बदलाव का दौर जारी है। कार्लेस क्यूआद्रात के जाने के बाद ऑस्कर ब्रूज़ोन ने मुख्य कोच की जिम्मेदारी संभाली है। दिमास की विदाई से टीम में अनुभव की कमी हो सकती है, लेकिन क्लब नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है।
दिमास ने अपने संदेश में यह भी इशारा किया कि वह अब नए अवसरों और चुनौतियों की ओर बढ़ेंगे। ईस्ट बंगाल के साथ उनका समय सकारात्मक रहा, लेकिन अब वह भविष्य के लक्ष्यों को हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
प्रशंसकों की प्रतिक्रिया
दिमास की विदाई से ईस्ट बंगाल के प्रशंसकों में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। एक ओर वे उनके योगदान की सराहना कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर टीम की भविष्य की योजनाओं को लेकर चिंतित हैं। कई प्रशंसकों का मानना है कि दिमास जैसे अनुभवी कोच का जाना ईस्ट बंगाल के प्रदर्शन पर असर डाल सकता है।
क्लब प्रबंधन ने इस पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन जल्द ही नए सहायक कोच की नियुक्ति की घोषणा की जा सकती है।
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