Business – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Mon, 30 Jun 2025 16:53:37 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png Business – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 Mango and Litchi Harvests: जलवायु परिवर्तन कैसे बंगाल के आम और लीची की फसलों को नष्ट कर रहा है https://ekolkata24.com/business/how-rising-temperatures-are-ruining-bengals-iconic-mango-and-litchi-harvests Mon, 30 Jun 2025 16:53:37 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52103 Mango and Litchi Harvests: पश्चिम बंगाल के आम और लीची, जो न केवल स्थानीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी प्रसिद्ध हैं, जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों के कारण गंभीर खतरे का सामना कर रहे हैं। ये फल न केवल स्वाद के लिए बल्कि राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, असामान्य मौसम, बढ़ता तापमान, अनियमित वर्षा और बार-बार होने वाली प्राकृतिक आपदाओं ने इन फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। यह स्थिति न केवल किसानों की आजीविका को प्रभावित कर रही है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर डाल रही है।

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**जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
पिछले कुछ दशकों में पश्चिम बंगाल में औसत तापमान में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। आम और लीची की फसलों के लिए विशिष्ट तापमान और आर्द्रता की आवश्यकता होती है। लेकिन अत्यधिक गर्मी और शुष्क मौसम ने फल उत्पादन को कम कर दिया है। उदाहरण के लिए, मालदा, जिसे “भारत की आम की राजधानी” कहा जाता है, वहां पिछले एक दशक में आम का उत्पादन लगभग 30% तक कम हो गया है। इसी तरह, उत्तर बंगाल के लीची किसान बताते हैं कि असमय बारिश और तीव्र गर्मी के कारण फलों की गुणवत्ता और मात्रा में कमी आई है।

अनियमित वर्षा ने इस समस्या को और जटिल कर दिया है। आम और लीची की फसलों को निश्चित समय पर संतुलित वर्षा की आवश्यकता होती है। लेकिन अप्रत्याशित या अत्यधिक बारिश के कारण फल गिर रहे हैं और उनकी मिठास कम हो रही है। 2024 में, मालदा और मुर्शिदाबाद में असमय बारिश के कारण आम का उत्पादन लगभग 20% कम हुआ। इसके अलावा, बार-बार आने वाले तूफान और चक्रवात फल के पेड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है।

**किसानों पर प्रभाव
यह स्थिति किसानों के लिए एक बुरे सपने की तरह है। मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तर दिनाजपुर जैसे जिलों में हजारों किसान परिवार, जो आम और लीची की खेती पर निर्भर हैं, अपनी आजीविका खो रहे हैं। कम उत्पादन और बाजार की मांग को पूरा न कर पाने के कारण किसान कर्ज के बोझ तले दब रहे हैं। कई किसान अपनी जमीन बेचने को मजबूर हो रहे हैं या अन्य व्यवसायों की ओर रुख कर रहे हैं।

मालदा के एक किसान, रमेश मंडल, कहते हैं, “हर साल हम अच्छी फसल की उम्मीद करते हैं, लेकिन गर्मी और बारिश की कमी ने हमारे सपनों को तोड़ दिया है। अब बाजार में आम बेचकर भी लागत नहीं निकल रही।” यह स्थिति न केवल किसानों के लिए, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी हानिकारक है। आम और लीची के निर्यात पर निर्भर व्यापारी भी नुकसान झेल रहे हैं।

**समाधान के उपाय
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए विशेषज्ञों ने कुछ उपाय सुझाए हैं। सबसे पहले, जलवायु-सहिष्णु आम और लीची की किस्मों को विकसित करने की आवश्यकता है, जो उच्च तापमान और अनियमित वर्षा को सहन कर सकें। दूसरा, किसानों के लिए आधुनिक सिंचाई विधियों और जल संरक्षण तकनीकों को लागू करना चाहिए। तीसरा, किसानों को जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूक करने और उन्हें प्रशिक्षण देने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी पहल की आवश्यकता है।

सरकार को किसानों के लिए वित्तीय सहायता और फसल बीमा योजनाओं को बढ़ावा देना चाहिए। इसके अलावा, अनुसंधान संस्थानों के साथ सहयोग करके जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए नई रणनीतियों का आविष्कार किया जा सकता है।

पश्चिम बंगाल में आम और लीची की खेती जलवायु परिवर्तन के कारण गंभीर संकट का सामना कर रही है। यह समस्या न केवल किसानों के लिए, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक विरासत के लिए भी खतरा है। इसलिए, तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। किसानों, सरकार और शोधकर्ताओं के संयुक्त प्रयासों से इस संकट से निपटा जा सकता है। बंगाल के गौरव, आम और लीची, को बचाने के लिए जलवायु परिवर्तन के खिलाफ समन्वित कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है।

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8th Pay Commission: मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए बड़ा अवसर या निराशा? https://ekolkata24.com/business/big-pay-hike-or-modest-gain-8th-pay-commissions-impact-on-middle-income-households Mon, 30 Jun 2025 14:43:50 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52097 केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए आठवां वेतन आयोग (8th Pay Commission) एक महत्वपूर्ण खबर बनकर उभरा है। 16 जनवरी, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस आयोग के गठन को मंजूरी दी, जिसके 1 जनवरी, 2026 से लागू होने की संभावना है। यह आयोग लगभग 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों के लिए वेतन, भत्ते और पेंशन संरचना में बड़े बदलाव ला सकता है। लेकिन क्या यह आयोग मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए वास्तव में लाभकारी होगा, या यह निराशा का कारण बनेगा? आइए इसके संभावित प्रभावों का विश्लेषण करें।

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आठवें वेतन आयोग का उद्देश्य
आठवां वेतन आयोग का मुख्य उद्देश्य केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों को वर्तमान आर्थिक स्थिति और मुद्रास्फीति के अनुरूप करना है। सातवां वेतन आयोग 2016 में लागू हुआ था, जिसने न्यूनतम मूल वेतन को 7,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये किया था। इस बार आठवें आयोग का फिटमेंट फैक्टर 2.28 से 2.86 के बीच रहने की उम्मीद है। इससे न्यूनतम मूल वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर 41,000 से 51,480 रुपये हो सकता है। पेंशन के मामले में भी न्यूनतम राशि 9,000 रुपये से बढ़कर लगभग 25,740 रुपये हो सकती है। इसके अलावा, डियरनेस अलाउंस (डीए), हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) और ट्रांसपोर्ट अलाउंस (टीए) में भी समायोजन की उम्मीद है।

मध्यमवर्गीय परिवारों पर प्रभाव
भारत की अर्थव्यवस्था में मध्यमवर्गीय परिवार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे उपभोग-आधारित अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, क्योंकि भारत के जीडीपी का 55-60% उपभोग पर निर्भर है। आठवें वेतन आयोग के कारण सरकारी कर्मचारियों के हाथ में अतिरिक्त आय होगी, जो उनकी खर्च करने की क्षमता को बढ़ाएगी। इससे खुदरा व्यापार, आवास, ऑटोमोबाइल और उपभोक्ता वस्तुओं की मांग बढ़ सकती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी का मूल वेतन 40,000 रुपये से बढ़कर 91,200 रुपये (2.28 फिटमेंट फैक्टर के आधार पर) हो जाता है, तो डीए (70%) और एचआरए (24%) सहित कुल वेतन लगभग 1,76,000 रुपये हो सकता है। यह मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए जीवन स्तर में सुधार का एक बड़ा अवसर है।

हालांकि, इस वेतन वृद्धि के कुछ नकारात्मक पहलू भी हो सकते हैं। पहला, डीए को वेतन में मिला दिया जाएगा, जिसके बाद नया डीए शून्य से शुरू होगा, जो अल्पकाल में वेतन वृद्धि के प्रभाव को कम कर सकता है। दूसरा, एनपीएस योगदान और सीजीएचएस जैसे कटौती में वृद्धि हो सकती है, जिससे हाथ में आने वाला वेतन कुछ कम हो सकता है। इसके अलावा, विशेषज्ञों का मानना है कि यह वेतन वृद्धि मुद्रास्फीति को बढ़ावा दे सकती है, क्योंकि बढ़ी हुई खर्च क्षमता से वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ेगी। यह उन मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए जीवनयापन की लागत बढ़ा सकता है, जो सरकारी नौकरी में नहीं हैं।

निजी क्षेत्र के साथ असमानता
आठवें वेतन आयोग की घोषणा के बाद निजी क्षेत्र के कर्मचारियों में आयकर राहत की मांग बढ़ी है। भारत के मध्यमवर्ग का बड़ा हिस्सा निजी क्षेत्र में काम करता है और उनका मानना है कि सरकारी कर्मचारियों की वेतन वृद्धि की तुलना में उनके लिए पर्याप्त कर राहत नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि बजट 2025-26 में आयकर स्लैब में बदलाव या छूट की सीमा बढ़ाने से मध्यमवर्गीय परिवारों पर कर का बोझ कम हो सकता है, जिससे उनकी खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी।

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
आठवां वेतन आयोग सरकारी कर्मचारियों की आर्थिक स्थिरता को बढ़ाएगा, जो उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाएगा। यह शिक्षा, स्वास्थ्य और भविष्य के निवेश पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। हालांकि, सरकार पर वित्तीय दबाव बढ़ेगा, क्योंकि वेतन और पेंशन वृद्धि के लिए लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च हो सकता है। इस खर्च को पूरा करने के लिए सरकार कर बढ़ा सकती है या अन्य क्षेत्रों में बजट कम कर सकती है, जो परोक्ष रूप से मध्यमवर्गीय परिवारों को प्रभावित कर सकता है।

आठवां वेतन आयोग मध्यमवर्गीय सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ा अवसर हो सकता है, क्योंकि यह उनकी आय बढ़ाएगा और आर्थिक स्थिरता लाएगा। हालांकि, मुद्रास्फीति, बढ़ी हुई कटौती और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए सुविधाओं की कमी इस आयोग के लाभ को कुछ हद तक कम कर सकती है। सरकार को ऐसी नीतियां अपनानी चाहिए जो सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए समान लाभ सुनिश्चित करें।[

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8th Pay Commission: बड़ी राहत या मामूली वृद्धि? विशेषज्ञों की भविष्यवाणी https://ekolkata24.com/business/experts-decode-8th-pay-commission-salary-hike-predictions-and-economic-impact Mon, 23 Jun 2025 07:24:04 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52056 केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए आठवां वेतन आयोग (8th Pay Commission) चर्चा का केंद्र बना हुआ है। 16 जनवरी 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी थी। इसके बाद से लगभग 50 लाख कर्मचारी और 65 लाख पेंशनभोगी इसकी सिफारिशों का इंतजार कर रहे हैं। यह आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत लाएगा या वेतन वृद्धि मामूली होगी? विशेषज्ञों ने इस पर अपने विचार व्यक्त किए हैं।

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फिटमेंट फैक्टर: वेतन वृद्धि की कुंजी
आठवें वेतन आयोग में ‘फिटमेंट फैक्टर’ वेतन वृद्धि का मुख्य आधार होगा। यह वर्तमान मूल वेतन पर लागू होने वाला एक गुणक है। सातवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जिसने न्यूनतम मूल वेतन को 7,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये किया। विशेषज्ञों का मानना है कि आठवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.28 से 2.86 के बीच हो सकता है। यदि फिटमेंट फैक्टर 2.86 होता है, तो न्यूनतम मूल वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर 51,480 रुपये हो सकता है, जो लगभग 186% की वृद्धि है। हालांकि, पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का अनुमान है कि फिटमेंट फैक्टर 1.92 के आसपास हो सकता है, जिससे न्यूनतम वेतन 34,560 रुपये तक पहुंच सकता है।

वेतन और भत्तों पर प्रभाव
केवल मूल वेतन ही नहीं, महंगाई भत्ता (DA), मकान किराया भत्ता (HRA), और परिवहन भत्ता (TA) सहित अन्य भत्ते भी संशोधित होंगे। वर्तमान में DA मूल वेतन का 55% है, और जनवरी 2026 तक इसके 70% तक पहुंचने की संभावना है। नए मूल वेतन पर इन भत्तों की गणना से कर्मचारियों का कुल वेतन काफी बढ़ेगा। उदाहरण के लिए, लेवल 1 के कर्मचारी का वेतन (DA, HRA, TA सहित) वर्तमान में 36,020 रुपये है। यदि फिटमेंट फैक्टर 2.86 होता है, तो यह बढ़कर 79,540 रुपये तक हो सकता है।

पेंशनभोगियों के लिए राहत
पेंशनभोगी भी इस आयोग से लाभान्वित होंगे। सातवें वेतन आयोग में न्यूनतम पेंशन 3,500 रुपये से बढ़कर 9,000 रुपये हुई थी।। आठवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.86 होने पर न्यूनतम पेंशन 25,740 रुपये तक पहुंच सकती है। इसके अलावा, ग्रेच्यु, ईपीएफएफ, और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ भी बढ़ेंगे, जो पेंशनभो, गियों की आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करेंगे।‍

आर्थिक प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि आठवां वेतन आयोग कर्मचारियों की क्रय शक्ति बढ़ाएगा, जो भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा। सातवें वेतन आयोग के पहले साल में सरकार पर 1 लाख करोड़ रुपये का खर्च आया था। आठवें वेतन आयोग के लिए 1.75 से 2.25 लाख करोड़ रुपये के बजट की आवश्यकता हो सकती है। इससे खुदरा, रियल एस्टेट, और ऑटोमोटिव क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी।

चुनौतियां और अपेक्षाएं
कर्मचारी यूनियन फिटमेंट फैक्टर 3.0 से 3.5 की मांग कर रही हैं, जो न्यूनतम वेतन को 54,000 रुपये के करीब ले जा सकता है। हालांकि, आर्थिक बाध्यताओं के कारण सरकार इस मांग को स्वीकार न करे। इसके अलावा, आयोग की रिपोर्ट तैयार करने और अनुमोदन में कम से कम एक साल लग सकता है, जिससे 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में लागू होने की संभावना है।

आठवां वेतन आयोग केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह उनकी आर्थिक स्थिरता बढ़ाने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को गति देगा। हालांकि, वेतन वृद्धि बड़ी राहत लाएगी या मामूली रहेगी, यह फिटमेंट फैक्टर और सरकार के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा।

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RBI सितंबर 2025 से ATM से ₹500 के नोट बंद करने जा रहा है! https://ekolkata24.com/business/rs-500-notes-safe-rbi-refutes-atm-ban-claims-for-2025 Sun, 22 Jun 2025 18:55:29 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52019 भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सितंबर 2025 से देशभर के ATM से ₹500 के नोट निकालने की योजना बना रहा है, ऐसी एक खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस खबर ने रविवार की शाम से ही देश भर में हलचल मचा दी है। कुछ लोग इसे डिजिटल पेमेंट की ओर बढ़ते कदम के रूप में देख रहे हैं, तो कई लोग इसे बैंकिंग व्यवस्था के लिए संकट की संभावना मान रहे हैं। इस खबर की सत्यता पर अभी तक RBI या केंद्र सरकार की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यह मुद्दा चर्चा का केंद्र बन गया है।

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खबर का स्रोत और पृष्ठभूमि
यह जानकारी सबसे पहले एक X पोस्ट के माध्यम से सामने आई, जिसमें एक यूजर ने दावा किया कि RBI ATM से ₹500 के नोट हटाने की योजना बना रहा है। इस पोस्ट को सैकड़ों लोगों की प्रतिक्रियाएं मिली हैं। कुछ लोग इस कदम का स्वागत कर रहे हैं, जबकि कई इसे अफवाह और गलत जानकारी करार दे रहे हैं। हालाँकि, RBI के हालिया निर्देशों में बैंकों को ₹100 और ₹200 के नोटों की आपूर्ति बढ़ाने की सलाह दी गई है, लेकिन ₹500 के नोट बंद करने का कोई स्पष्ट आदेश नहीं दिया गया है।

डिजिटल पेमेंट की ओर बढ़ता भारत
भारत की आर्थिक स्थिति पर नजर डालें, तो इस तरह के कदम के पीछे डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने की कोशिश हो सकती है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में UPI ने डिजिटल लेनदेन का 70% हिस्सा कवर किया, और दिसंबर 2024 में 16.73 बिलियन ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड किए गए। सरकार का ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान कैशलेस ट्रांजेक्शन को प्रोत्साहित कर रहा है, जो कालेधन और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मददगार हो सकता है। लेकिन ₹500 के नोट हटाने से यह लक्ष्य कितना हासिल होगा, इस पर अलग-अलग राय हैं।

जनता की प्रतिक्रिया
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे शहरों में शुरुआती प्रतिक्रियाओं से पता चलता है कि कई लोग इस बदलाव से परेशानी महसूस कर रहे हैं। एक व्यापारी ने कहा, “₹500 के नोट के बिना छोटे-मोटे लेनदेन में दिक्कत होगी। बाजार में ₹100 या ₹200 के नोट की उपलब्धता कम होती है, इसलिए यह हमारे लिए समस्या बन सकता है।” दूसरी ओर, युवा वर्ग का एक हिस्सा डिजिटल पेमेंट को स्वीकार्य मान रहा है। एक IT विशेषज्ञ ने कहा, “अगर ₹500 के नोट हटते हैं, तो हम UPI और अन्य डिजिटल तरीकों पर ज्यादा निर्भर होंगे, जो तेज और सुरक्षित हैं।”

इतिहास पर नजर
₹500 के नोट हटाने की बात सुनकर 2016 का नोटबंदी कांड याद आता है। उस समय सरकार ने ₹500 और ₹1000 के पुराने नोट बंद कर नए नोट जारी किए थे, जिसका उद्देश्य कालाधन और नकली मुद्रा पर लगाम लगाना था। लेकिन RBI की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, बंद नोटों का 99.3% बैंक में वापस आ गया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह कदम कालेधन को नियंत्रित करने में विफल रहा। इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में, क्या ATM से ₹500 के नोट हटाना सफल होगा, इस पर सवाल उठ रहे हैं।

आर्थिक प्रभाव
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर यह कदम सही है, तो इसके व्यापक प्रभाव पड़ सकते हैं। भारत की छाया अर्थव्यवस्था (shadow economy) अभी भी GDP का 23-26% है, जहाँ नकदी की भूमिका महत्वपूर्ण है। ₹500 के नोट हटने से छोटे व्यापारियों पर दबाव पड़ सकता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ डिजिटल पेमेंट का दायरा अभी सीमित है। हालाँकि, अगर सरकार डिजिटल पेमेंट पर सब्सिडी या मुफ्त सेवाएं शुरू करती है, तो यह बदलाव स्वीकार्य हो सकता है।

सावधानी और सलाह
RBI या सरकार की ओर से अभी तक इस खबर की पुष्टि नहीं हुई है। इसलिए विशेषज्ञ सोशल मीडिया की अपुष्ट खबरों से भ्रम से बचने की सलाह दे रहे हैं। नागरिकों से अनुरोध है कि वे आधिकारिक स्रोतों से जानकारी जाँचकर ही कोई कदम उठाएँ।

सितंबर 2025 से ATM से ₹500 के नोट हटाने की बात अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन यह अफवाह देशव्यापी चर्चा का विषय बन गई है। चाहे यह डिजिटल भारत की ओर बढ़ते कदम हो या आर्थिक सुधार का हिस्सा, सरकार का अगला कदम नागरिकों की जिंदगी पर गहरा असर डालेगा। आने वाले दिनों में RBI की आधिकारिक घोषणा का इंतजार ही एकमात्र विकल्प है।

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देश में इलेक्ट्रिक बाइक की बिक्री में जबरदस्त उछाल, Revolt Motors ने हासिल किया 50,000 उत्पादन का मील का पत्थर https://ekolkata24.com/business/revolt-motors-hits-50000-production-milestone-as-e-bike-sales-surge-in-india Sun, 22 Jun 2025 09:04:09 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51994 भारत की इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल निर्माता कंपनी Revolt Motors ने घोषणा की है कि उसने अपने मानेसर (गुड़गांव) प्लांट से 50,000वीं मोटरसाइकिल का रोल-आउट कर लिया है। इस उत्पादन केंद्र से 2019 में RV400 मॉडल के साथ उत्पादन शुरू हुआ था। मील का पत्थर हासिल करने वाली यह यूनिट एक RV1+ इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल है, जिसे टाइटन रेड सिल्वर रंग में तैयार किया गया है। उल्लेखनीय है कि RV1 सीरीज को भारत में सितंबर 2024 में लॉन्च किया गया था।

RV400 से BlazeX: Revolt Motors का विकास

वर्तमान में Revolt Motors भारतीय बाजार में तीन इलेक्ट्रिक बाइक मॉडल बेच रही है – RV400, RV1, और हाल ही में लॉन्च हुई BlazeX। कंपनी का दावा है कि यह मील का पत्थर सिर्फ एक संख्या नहीं है, बल्कि यह देश के लाखों लोगों के इलेक्ट्रिक वाहन चुनने के सपने और विश्वास का प्रतीक है। RattanIndia Enterprises की चेयरपर्सन अंजलि रतन ने कहा, “यह 50,000वीं बाइक सिर्फ एक चेसिस नंबर नहीं रखती, यह उन सभी लोगों की भावनाओं को समेटे है जो स्वच्छ और उन्नत भविष्य का सपना देखते हैं। यह हमारे प्रत्येक कर्मचारी की कड़ी मेहनत और ग्राहकों के भरोसे का प्रतिबिंब है।”

तेजी से बढ़ रहा उत्पादन और डीलर नेटवर्क

Revolt Motors ने अगले डेढ़ साल में अपनी उत्पादन क्षमता को दोगुना करने की योजना बनाई है। वर्तमान में कंपनी की वार्षिक उत्पादन क्षमता 1.8 लाख यूनिट है, जिसे 2026 तक बढ़ाकर 3 लाख यूनिट करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा, मौजूदा 200 से अधिक डीलरशिप नेटवर्क को बढ़ाकर 400 आउटलेट्स तक ले जाने की योजना भी है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार पर भी नजर

Revolt Motors ने पहले ही नेपाल और श्रीलंका में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है और कंपनी ने बताया कि वह आने वाले दिनों में मध्य पूर्व सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रवेश की योजना बना रही है। एक तरफ जहां देशभर में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है, वहीं Revolt इस सफलता के मील के पत्थर को पार कर भविष्य की दिशा स्पष्ट कर रही है।

Revolt Motors की 50,000 यूनिट उत्पादन की यह उपलब्धि केवल एक संख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ भविष्य की ओर बढ़ने का एक बड़ा कदम है। आने वाले दिनों में नए मॉडल, उन्नत तकनीक, और व्यापक नेटवर्क के माध्यम से Revolt भारतीय EV सेक्टर में अपनी स्थिति को और मजबूत करने जा रही है।

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8,000 रुपये की छूट पर उपलब्ध Motorola Edge 50, वाटरप्रूफ 5G स्मार्टफोन शानदार कीमत पर https://ekolkata24.com/technology/motorola-edge-50-available-with-%e2%82%b98000-discount-waterproof-5g-phone-at-great-price Sun, 22 Jun 2025 08:49:21 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51986 जो लोग एक ऐसे स्मार्टफोन की तलाश में हैं, जिसे बारिश के मौसम में भी बेफिक्र होकर इस्तेमाल किया जा सके, उनके लिए Motorola Edge 50 एक शानदार विकल्प हो सकता है। यह फोन IP68 रेटिंग के साथ आता है, जो इसे पानी और धूल से पूरी तरह सुरक्षित बनाता है। इसका मतलब है कि बारिश में फोन का इस्तेमाल करने पर भी यह खराब नहीं होगा। यह फोन अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म Flipkart पर भारी छूट के साथ उपलब्ध है, जिससे इसे ₹20,000 से भी कम में खरीदा जा सकता है।

Motorola Edge 50 पर बड़ी छूट

Motorola Edge 50 को भारत में ₹27,999 की शुरुआती कीमत के साथ लॉन्च किया गया था, जिसमें केवल 8GB RAM और 256GB स्टोरेज वाला वेरिएंट उपलब्ध है। लेकिन वर्तमान में Flipkart पर इसकी कीमत घटकर ₹21,999 हो गई है। इसके साथ ही बैंक ऑफर और एक्सचेंज डिस्काउंट लागू करने पर फोन को ₹20,000 से भी कम में खरीदा जा सकता है। यह फोन तीन रंगों में उपलब्ध है – जंगल ग्रीन, पैनटोन पीच फज, और कोआला ग्रे।

प्रीमियम कॉन्फिगरेशन और वाटरप्रूफ डिस्प्ले

Motorola Edge 50 में 6.7-इंच का 1.5K Super HD P-OLED कर्व्ड डिस्प्ले है, जो 120Hz रिफ्रेश रेट, 1900 nits पीक ब्राइटनेस, और HDR10+ सपोर्ट के साथ आता है। इसके अलावा, SGS ब्लू लाइट रिडक्शन सर्टिफिकेशन के कारण यह आंखों के लिए भी आरामदायक है। फोन में स्मार्ट वाटर टच तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे गीले हाथों से भी फोन को आसानी से ऑपरेट किया जा सकता है। यह Snapdragon 7 Gen 1 Accelerated Edition चिपसेट, 8GB LPDDR4X RAM, और 256GB स्टोरेज के साथ आता है।

Motorola Edge 50 में Moto AI द्वारा संचालित ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप है, जिसमें Sony Lytia 700C सेंसर के साथ 50 मेगापिक्सल का प्राइमरी कैमरा, 3x ऑप्टिकल जूम के साथ 10 मेगापिक्सल का टेलीफोटो लेंस, और 13 मेगापिक्सल का अल्ट्रा-वाइड कैमरा शामिल है। सेल्फी और वीडियो कॉल के लिए 32 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा दिया गया है, जो शानदार रिजल्ट देता है।

फोन में 5000mAh की बैटरी है, जो 68W टर्बो चार्जिंग और 15W वायरलेस चार्जिंग को सपोर्ट करती है। ऑडियो के लिए इसमें डुअल स्टीरियो स्पीकर और Dolby Atmos सपोर्ट है। यह फोन MIL-810H मिलिट्री ग्रेड सर्टिफाइड है, यानी यह कठिन परिस्थितियों और तापमान में भी काम करने में सक्षम है। सिक्योरिटी के लिए इसमें इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर है। कनेक्टिविटी के लिए फोन में 5G, 4G LTE, Wi-Fi 6E, Bluetooth 5.2, NFC, GPS, और USB Type-C जैसे आधुनिक विकल्प दिए गए हैं, जो एक फ्लैगशिप-लेवल अनुभव प्रदान करते हैं।

जो लोग एक वाटरप्रूफ और फीचर-पैक्ड 5G स्मार्टफोन की तलाश में हैं, उनके लिए Motorola Edge 50 इस ऑफर के साथ एक शानदार डील है। बारिश के मौसम में इस फोन के साथ आपको अपने स्मार्टफोन की सुरक्षा की कोई चिंता नहीं होगी। यह ऑफर सीमित समय के लिए है, इसलिए जल्दी से Flipkart पर जाकर इस डील का लाभ उठाएं।

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Gold Prices: सोने की कीमत में गिरावट, अब खरीदने का बेहतरीन मौका https://ekolkata24.com/business/gold-prices-drop-in-india-is-now-the-best-time-to-buy Sun, 22 Jun 2025 06:44:04 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51983 दुनिया भर में राजनीतिक अस्थिरता और खासकर पश्चिम एशिया के दो देशों के बीच युद्ध के बाद सोने की कीमतों (Gold Prices) में भारी वृद्धि देखने को मिली। कुछ महीनों पहले सोने की कीमत ने 1 लाख रुपये का आंकड़ा पार कर लिया था, जो आम लोगों के लिए सोना खरीदना मुश्किल बना रहा था। हालांकि, पिछले कुछ दिनों में सोने की कीमतें थोड़ी घट चुकी हैं, लेकिन फिर भी यह कीमत आम आदमी की पहुँच से बाहर है।

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रविवार को कोलकाता बाजार में सोने की कीमत में शुक्रवार के मुकाबले 600 रुपये से भी ज्यादा की गिरावट आई। इसके अलावा, चांदी की कीमतों में भी बड़ी गिरावट देखी गई है। चांदी का रेट प्रति किलो लगभग 1000 रुपये घट चुका है, जो कि एक सकारात्मक संकेत है।

हालांकि, सोने की कीमतों में गिरावट आई है, फिर भी आम आदमी के लिए यह किफायती नहीं हो पा रहा है। वर्तमान में 24 कैरट सोने की कीमत 10 ग्राम 98,750 रुपये है, जबकि 22 कैरट सोने का मूल्य 10 ग्राम 94,350 रुपये है। इसके अलावा, चांदी का रेट 1 किलो 1,06,850 रुपये के आस-पास चल रहा है। इस कीमत में और भी बदलाव हो सकते हैं, क्योंकि दुकानदारों के पास जो मापदंड होते हैं, उन पर मज़दूरी और GST भी जुड़ते हैं, जिससे कीमतें अधिक हो जाती हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक, सोने की कीमतें लगातार बढ़ती-घटती रहती हैं। इस प्रकार की अस्थिरता के कारण, जब भी सोने की कीमत थोड़ी कम होती है, तब इसे खरीदने का अच्छा मौका होता है। हालांकि, हाल के दिनों में सोने की कीमत में बहुत ज्यादा गिरावट होने की संभावना नहीं दिखाई देती है।

इसके अलावा, जब आप सोना खरीदने के लिए दुकान पर जाएं, तो यह ध्यान में रखें कि दुकानों पर सोने की कीमतों में मज़दूरी भी जोड़ी जाती है। विभिन्न दुकानों में मज़दूरी के अलग-अलग मानक हो सकते हैं, जिससे कीमतें कुछ अधिक हो सकती हैं।

इसलिए, यदि आप सोना खरीदने की सोच रहे हैं, तो सबसे अच्छा होगा कि आप कीमतों में किसी भी गिरावट का लाभ उठाएं। विशेषज्ञों का कहना है कि हाल फिलहाल में सोने की कीमतें फिर से बढ़ सकती हैं, इसलिए अभी खरीदारी करना एक अच्छा विचार हो सकता है।

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Mamata Banerjee: मुख्यमंत्री के उद्घाटन के चार साल बाद भी फूलबाजार नहीं खुला https://ekolkata24.com/business/mamata-banerjee-flower-market-in-debra-lies-unused-4-years-after-inauguration Sun, 22 Jun 2025 06:26:55 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51980 फूल मार्केट बनाई गई, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने इसका वर्चुअल उद्घाटन भी किया, लेकिन आज भी वह बाजार चालू नहीं हो सका। 6 अक्टूबर 2020 को पश्चिम मिदनापुर जिले के डेबरा के रघुनाथपुर में फूल मार्केट और स्टोर रूम का वर्चुअल उद्घाटन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया था। लेकिन आज चार साल बाद भी वह बाजार अब तक शुरू नहीं हो पाया है।

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डेबरा ब्लॉक के फूल उत्पादकों और व्यापारियों की सुविधा के लिए एक फूल बाजार बनाने की योजना बनाई गई थी। सरकार का कहना था कि अगर यह बाजार शुरू होता, तो यहां के फूल उत्पादक अन्य जगहों से फूल लाने की बजाय सीधे डेबरा में व्यापार कर सकते थे। इस प्रकार, उनके व्यापार में वृद्धि होती और स्थानीय फूल उत्पादकों को भी अपना उत्पाद सीधे बाजार में बेचने का अवसर मिलता। लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है।

डेबरा ब्लॉक के एक छोर पर दासपुर और दूसरे छोर पर पूर्व मिदनापुर जिले के पांस्कुड़ा में फूल की खेती होती है। वहां फूलों का काफी उत्पादन होता है और स्थानीय व्यापारी इस बाजार की आवश्यकता महसूस कर रहे थे। सरकार ने इस उद्देश्य के लिए फूल बाजार बनाने की योजना बनाई और इसके लिए लगभग 61 लाख रुपये आवंटित किए। उसी पैसे से 2020 में 11 स्थायी दुकानें, तीन शेड और एक गोदाम बनाने का काम किया गया था।

शेड में सैकड़ों खुदरा विक्रेताओं को फूल बेचने का अवसर देने की योजना थी। एक ओर जहां फूल व्यापार का विकास होता, वहीं दूसरी ओर रोजगार भी बढ़ता। लेकिन यह योजना आज तक पूरी तरह से लागू नहीं हो सकी। शेड में फूल बेचने की योजना तो थी, लेकिन बाजार अब तक चालू नहीं हो पाया है। यहां तक कि, गोदाम भी खाली पड़ा है।

लाखों रुपये का बर्बादी, विपक्ष के सवाल

विपक्ष का आरोप है कि यह एक गलत योजना का परिणाम है और यह परियोजना कभी भी सफल नहीं हो सकती। उनका कहना है कि लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया। यह फूल बाजार का प्रोजेक्ट भले ही क्षेत्र की जरूरत के हिसाब से था, लेकिन जो राशि खर्च की गई थी, वह पूरी तरह से व्यर्थ नजर आ रही है।

फूल उत्पादक और व्यापारी सरकार की इस उदासीनता से निराश हैं। उनका कहना है कि वे लंबे समय से इस परियोजना के लाभ का इंतजार कर रहे थे, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस कदम न उठाने के कारण अब वे निराश हो गए हैं।

भविष्य क्या है?

इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए सरकार को फिर से एक नई योजना बनानी होगी और फूल बाजार को प्रभावी रूप से लागू करना होगा। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार किस प्रकार की समस्याओं का सामना कर रही है, जो इस परियोजना को कार्यान्वित नहीं कर पा रही है। अगर सरकार जल्दी से कोई ठोस कदम उठाती है, तो हो सकता है फूल बाजार चालू हो जाए। लेकिन अगर यह इस तरह से खाली पड़ा रहता है, तो यह एक बड़ा उदाहरण बनेगा कि कैसे सही योजना और कार्यान्वयन के अभाव में लाखों रुपये बर्बाद हो गए।

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Petrol Price: पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर, चेन्नई में मामूली गिरावट! https://ekolkata24.com/business/petrol-prices-stable-in-india-chennai-sees-minor-dip Sun, 22 Jun 2025 06:08:40 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51974 वर्तमान में देश के अधिकांश शहरों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें (Petrol Price) स्थिर बनी हुई हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और अन्य शहरों में तेल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं आया है, लेकिन चेन्नई में मामूली गिरावट देखी जा रही है। चेन्नई में लगातार दूसरे दिन पेट्रोल की कीमतें कुछ कम हुई हैं, जो देश के अन्य मेट्रो शहरों से थोड़ा अलग परिस्थिति है।

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2024 के मार्च में आखिरी बार पेट्रोल की कीमत में बड़ा बदलाव हुआ था, जब सरकार ने प्रति लीटर 2 रुपये की कमी की थी। उसके बाद से, देशभर में ईंधन की कीमतें लगभग स्थिर बनी हुई हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि तेल की कीमतें क्यों नहीं बदल रही हैं और यह स्थिरता कैसे बरकरार रखी जा रही है।

ईंधन की कीमतों में स्थिरता का कारण

2022 के मई महीने में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने ईंधन कर में कमी की थी, जिसके बाद से पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगभग अपरिवर्तित रही हैं। इसके बाद से, पेट्रोल-डीजल की कीमतें हर दिन सुबह 6 बजे तय की जा रही हैं, जिसे सार्वजनिक तेल विपणन कंपनियां जैसे भारतीय आयल कॉर्पोरेशन घोषित करती हैं।

देश में ईंधन की कीमतों की स्थिरता का एक बड़ा कारण है अंतर्राष्ट्रीय बाजार की स्थिति और रुपया-डॉलर विनिमय दर। जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है, तो इसका सीधा असर देश के बाजारों पर पड़ता है। हालांकि, जब तेल की कीमत स्थिर रहती है, तो यह आम जनता के लिए एक राहत की बात होती है।

हालांकि, इस स्थिरता को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती हो सकता है, क्योंकि अगर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अस्थिरता या रुपया-डॉलर विनिमय दर में बदलाव होता है, तो तेल की कीमतें आसानी से बढ़ सकती हैं। हालांकि सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जैसे करों में कमी और विभिन्न राज्यों में ईंधन कीमतों को स्थिर रखने की कोशिश, लेकिन फिर भी देश के घरेलू बाजार में उसका असर हमेशा समान नहीं रहता।

भविष्य की संभावना: तेल की कीमतें कितनी बदल सकती हैं?

आने वाले दिनों में अगर अंतर्राष्ट्रीय बाजार की स्थिति और रुपया-डॉलर विनिमय दर और अस्थिर होती है, तो तेल की कीमतों में बदलाव हो सकता है। हालांकि, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि का सीधा असर परिवहन क्षेत्र, कृषि क्षेत्र और आम जीवन पर पड़ेगा, इस पर कई लोगों में चर्चा हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तेल की कीमत बढ़ती है, तो इसका प्रभाव परिवहन और कृषि से लेकर आम जीवन पर होगा।

देश की अर्थव्यवस्था के लिए, तेल की कीमतों को स्थिर रखना सरकार की जिम्मेदारी है। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय बाजार की स्थिति को देखते हुए अगर तेल की कीमत अप्रत्याशित रूप से बढ़ती है, तो सरकार उसे नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएगी।

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8th Pay Commission: सरकारी कर्मचारी यूनियनों की शीर्ष 5 मांगें उजागर https://ekolkata24.com/business/revealed-key-demands-of-govt-employee-unions-for-8th-pay-commission-in-2025 Sun, 22 Jun 2025 02:30:38 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51953 केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और भत्तों में संशोधन के लिए हर दस साल में गठित वेतन आयोग भारत के आर्थिक और प्रशासनिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जनवरी 2025 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन को मंजूरी दी है, जो 1 जनवरी 2026 से लागू होगा। यह आयोग लगभग 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों के लिए वेतन, भत्तों और पेंशन ढांचे की समीक्षा करेगा। इस संदर्भ में, सरकारी कर्मचारी यूनियनें अपनी मांगों को लेकर मुखर हो रही हैं। नेशनल काउंसिल-जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (NC-JCM) और अन्य यूनियनों ने एक “सामान्य मेमोरेंडम” तैयार किया है, जिसमें उनकी प्रमुख मांगों को उजागर किया गया है। इस लेख में 8वें वेतन आयोग के लिए सरकारी कर्मचारी यूनियनों की शीर्ष 5 मांगों पर चर्चा की गई है।

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1. फिटमेंट फैक्टर में वृद्धि
कर्मचारी यूनियनें 8वें वेतन आयोग के लिए फिटमेंट फैक्टर को 3.68 गुना करने की मांग कर रही हैं। फिटमेंट फैक्टर एक गुणक है, जिसे मौजूदा मूल वेतन पर लागू करके नया वेतन निर्धारित किया जाता है। 7वें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 था, जो यूनियनों की 3.68 की मांग से कम था। उदाहरण के लिए, वर्तमान में 18,000 रुपये मूल वेतन वाले कर्मचारी का वेतन 2.86 फिटमेंट फैक्टर के साथ 51,480 रुपये तक बढ़ सकता है। यूनियनें मानती हैं कि मुद्रास्फीति और जीवनयापन की लागत में वृद्धि के कारण यह वृद्धि आवश्यक है।

2. न्यूनतम मूल वेतन में वृद्धि
यूनियनें न्यूनतम मूल वेतन को 18,000 रुपये से बढ़ाकर 26,000 से 30,000 रुपये करने की मांग कर रही हैं। मुद्रास्फीति, बाजार की लागत और निजी क्षेत्र के साथ तालमेल रखने के लिए यह वृद्धि अत्यंत आवश्यक मानी जा रही है। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा, “एक दशक पहले की तुलना में आवश्यक वस्तुओं की कीमतें काफी बढ़ गई हैं।” यह मांग 8वें वेतन आयोग का एक प्रमुख चर्चा बिंदु होगी।

3. महंगाई भत्ता (DA) और अंतरिम राहत
कर्मचारी यूनियनें महंगाई भत्ते (DA) के नियमित संशोधन और 8वें वेतन आयोग के लागू होने से पहले 20% अंतरिम राहत (Interim Relief) देने की मांग कर रही हैं। 2020 के कोविड-19 महामारी के दौरान 18 महीनों के लिए DA और DR (Dearness Relief) को स्थगित कर दिया गया था, जिसका बकाया अभी तक भुगतान नहीं किया गया है। यूनियनें इस बकाए के भुगतान के लिए दबाव बना रही हैं। इसके अलावा, नए वेतन ढांचे के साथ DA को शून्य पर रीसेट करने का प्रस्ताव भी है।

4. पेंशन लाभों में संशोधन
पेंशनभोगियों के लिए न्यूनतम पेंशन को 9,000 रुपये से बढ़ाकर 22,500 से 25,200 रुपये करने की मांग उठ रही है। यूनियनें पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने की भी मांग कर रही हैं, जिसे 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के लिए बंद कर दिया गया था। NC-JCM के सदस्य सी. श्रीकुमार ने कहा, “लिविंग पेंशन की अवधारणा को स्पष्ट करना चाहिए।” पेंशन संशोधन की यह मांग पेंशनभोगियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।

5. मॉडिफाइड अस्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (MACP) में सुधार
यूनियनें मॉडिफाइड अस्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (MACP) योजना में सुधार की मांग कर रही हैं, ताकि कर्मचारियों को उनके करियर में कम से कम पांच प्रोमोशन सुनिश्चित किए जा सकें। वर्तमान में, MACP के तहत 10, 20 और 30 वर्षों में तीन वित्तीय उन्नति प्रदान की जाती हैं। यूनियनें इस योजना को और अधिक लचीला और कर्मचारी-अनुकूल बनाने के लिए संशोधन की मांग कर रही हैं।

अन्य मांगें और प्रभाव
इन शीर्ष मांगों के अलावा, यूनियनें संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण, सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग बंद करने, और दयालु नियुक्ति पर 5% की सीमा हटाने की मांग कर रही हैं। 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने पर इसका अर्थव्यवस्था पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा। विशेषज्ञ डी.के. श्रीवास्तव ने कहा, “वेतन और पेंशन संशोधन आमतौर पर राजस्व व्यय में बड़ी वृद्धि लाता है।” 2016-17 में 7वें वेतन आयोग के कारण राजस्व व्यय में 9.9% की वृद्धि हुई थी।

8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 2025 के अंत तक घोषित हो सकती हैं। यह आयोग केंद्र और राज्य सरकारों के साथ चर्चा के माध्यम से अंतिम निर्णय लेगा। कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए यह आयोग आर्थिक स्थिरता और जीवन स्तर को बेहतर बनाने का एक बड़ा अवसर है।

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टियर-2 शहरों में जीरो डाउन पेमेंट लोन: कैसे प्राप्त करें? https://ekolkata24.com/business/unlock-homeownership-in-tier-2-cities-with-zero-down-payment-loan-options Sat, 21 Jun 2025 19:37:39 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51946 भारत के टियर-2 शहर, जैसे कानपुर, लखनऊ, नागपुर, कोयंबटूर, इंदौर और विशाखापट्टनम, रियल एस्टेट बाजार में तेजी से उभर रहे हैं। बेहतर बुनियादी ढांचा, किफायती आवास और रोजगार के अवसरों के कारण कई लोग इन शहरों में घर खरीदने का सपना देख रहे हैं। हालांकि, घर खरीदने के लिए डाउन पेमेंट की राशि जुटाना कई लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती है। इस स्थिति में, जीरो डाउन पेमेंट लोन (Zero Down Payment Loans) या न्यूनतम डाउन पेमेंट वाले होम लोन एक आकर्षक विकल्प बन रहे हैं। लेकिन, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, 100% फाइनेंसिंग आमतौर पर संभव नहीं है। फिर भी, कुछ रणनीतियों और सरकारी योजनाओं के माध्यम से टियर-2 शहरों में जीरो या न्यूनतम डाउन पेमेंट के साथ होम लोन प्राप्त करना संभव है।

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जीरो डाउन पेमेंट लोन क्या है?
जीरो डाउन पेमेंट लोन एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें घर खरीदने वाले को संपत्ति के मूल्य का एक निश्चित प्रतिशत (आमतौर पर 10-25%) अग्रिम भुगतान नहीं करना पड़ता। हालांकि, भारत में बैंक और वित्तीय संस्थान आमतौर पर संपत्ति के मूल्य का 75-90% तक लोन देते हैं, और शेष राशि को खरीदार को डाउन पेमेंट के रूप में देना पड़ता है। जीरो डाउन पेमेंट लोन आमतौर पर केवल विशेष मामलों में उपलब्ध होते हैं, जैसे सरकारी कर्मचारी, रक्षा कर्मी, या उच्च क्रेडिट स्कोर वाले व्यक्ति। टियर-2 शहरों में इस प्रकार के लोन प्राप्त करने के लिए कुछ रणनीतियां और योजनाएं उपयोग की जा सकती हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY)
प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) एक ऐसी सरकारी योजना है, जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS), निम्न आय वर्ग (LIG) और मध्यम आय वर्ग (MIG) के लिए किफायती आवास प्रदान करती है। इस योजना के तहत, योग्य खरीदार होम लोन के ब्याज पर 6.5% तक की सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं। यह सब्सिडी डाउन पेमेंट के वित्तीय बोझ को कम करने में मदद करती है। टियर-2 शहरों में, जहां संपत्ति की कीमत तुलनात्मक रूप से कम है, यह योजना विशेष रूप से प्रभावी है। उदाहरण के लिए, यदि आपकी वार्षिक आय 6 लाख रुपये से कम है, तो आप PMAY के तहत क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (CLSS) का उपयोग करके होम लोन के ब्याज पर छूट प्राप्त कर सकते हैं। यह आपको डाउन पेमेंट के लिए धन जुटाने में सहायता करता है।

जीरो डाउन पेमेंट लोन प्राप्त करने के लिए कुछ अन्य रणनीतियां हैं:
नियोक्ता से लोन: कई कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए सामान्य उद्देश्य के लिए लोन प्रदान करती हैं। ये लोन आमतौर पर कम ब्याज दरों पर उपलब्ध होते हैं और न्यूनतम दस्तावेजीकरण की आवश्यकता होती है। आप अपनी कंपनी के एचआर विभाग से संपर्क करके इस सुविधा के बारे में जान सकते हैं।

निवेश से धन: यदि आपके पास फिक्स्ड डिपॉजिट, म्यूचुअल फंड या अन्य निवेश हैं, तो आप इन्हें जमानत के रूप में उपयोग करके कम ब्याज पर लोन प्राप्त कर सकते हैं। यह डाउन पेमेंट के लिए धन जुटाने में मदद करता है।

असुरक्षित लोन: यदि आपके पास पर्याप्त धन नहीं है, तो बैंक या वित्तीय संस्थान से असुरक्षित लोन लिया जा सकता है। हालांकि, इस प्रकार के लोन की ब्याज दरें अधिक हो सकती हैं, इसलिए इसे सावधानी से विचार करना चाहिए।

सह-ऋणी के साथ आवेदन: यदि कोई सह-ऋणी, जैसे आपका जीवनसाथी या परिवार का सदस्य, उच्च क्रेडिट स्कोर या स्थिर आय वाला है, तो उनके साथ संयुक्त रूप से लोन के लिए आवेदन किया जा सकता है। यह लोन की शर्तों को बेहतर करने और डाउन पेमेंट के दबाव को कम करने में मदद करता है।

टियर-2 शहरों में लाभ
टियर-2 शहरों में संपत्ति की कीमत टियर-1 शहरों, जैसे मुंबई या दिल्ली, की तुलना में कम है। इसलिए, डाउन पेमेंट की राशि भी तुलनात्मक रूप से कम होती है। उदाहरण के लिए, कानपुर या इंदौर में 30 लाख रुपये की संपत्ति के लिए 10% डाउन पेमेंट का मतलब 3 लाख रुपये है, जिसे PMAY जैसी योजनाओं के माध्यम से आसानी से जुटाया जा सकता है। इसके अलावा, इन शहरों में रियल एस्टेट बाजार स्थिर मूल्य वृद्धि और उच्च रिटर्न की संभावना प्रदान करता है, जो निवेशकों के लिए आकर्षक है।

सावधानियां
जीरो डाउन पेमेंट लोन के लिए आवेदन करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले, इस प्रकार के लोन की ब्याज दरें अधिक हो सकती हैं, और मासिक किश्त (EMI) अधिक होने के कारण वित्तीय दबाव बढ़ सकता है। दूसरा, एक अच्छा क्रेडिट स्कोर (700 या उससे अधिक) होना बहुत जरूरी है। तीसरा, अतिरिक्त लोन लेना वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए, लोन लेने से पहले अपनी आय, खर्च और बचत की योजना अच्छी तरह से बनाएं।

टियर-2 शहरों में जीरो या न्यूनतम डाउन पेमेंट लोन प्राप्त करने के लिए HDFC बैंक, ICICI बैंक, और PNB हाउसिंग फाइनेंस जैसे संस्थानों से संपर्क किया जा सकता है। ये बैंक कम ब्याज दरों और लचीली शर्तों के साथ लोन प्रदान करते हैं।

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केंद्र सरकार के कर्मचारियों की बड़ी उम्मीद: 8th Pay Commission कब लागू होगा? https://ekolkata24.com/business/central-govt-employees-await-8th-pay-commission-implementation-timeline Sat, 21 Jun 2025 18:33:17 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51938 केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए आठवां वेतन आयोग (8th Pay Commission) चर्चा का एक प्रमुख विषय बन गया है। लगभग 50 लाख कर्मचारी और 65 लाख पेंशनभोगी इस आयोग की सिफारिशों का इंतजार कर रहे हैं, जो उनके वेतन, भत्तों और पेंशन संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। 16 जनवरी, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी थी। हालांकि, इस आयोग के लागू होने की समयसीमा और सिफारिशों के बारे में अभी तक स्पष्टता नहीं है, जिससे कर्मचारियों में उत्साह के साथ-साथ अनिश्चितता भी बनी हुई है।

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आठवां वेतन आयोग कब लागू होगा?
सरकारी घोषणा के अनुसार, आठवां वेतन आयोग 1 जनवरी, 2026 से लागू होने की उम्मीद है। लेकिन, विभिन्न स्रोतों से मिली जानकारी के अनुसार, आयोग के गठन और इसकी सिफारिशों को अंतिम रूप देने में समय लग सकता है, जिसके चलते वेतन वृद्धि और पेंशन संशोधन 2027 की शुरुआत तक टल सकता है। वित्त मंत्रालय के व्यय सचिव मनोज गोविल ने कहा है कि आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत करने में 15 से 18 महीने लग सकते हैं। इसका मतलब है कि अगर आयोग अप्रैल 2025 में अपना काम शुरू करता है, तो अंतिम रिपोर्ट 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में आ सकती है। हालांकि, सरकार चाहे तो जनवरी 2026 से पूर्वव्यापी प्रभाव के साथ सिफारिशें लागू कर सकती है और कर्मचारियों को 12 महीने का बकाया दे सकती है।

फिटमेंट फैक्टर और वेतन वृद्धि की उम्मीदें
आठवें वेतन आयोग का एक महत्वपूर्ण पहलू फिटमेंट फैक्टर है, जो वेतन और पेंशन वृद्धि के लिए गुणक के रूप में काम करता है। सातवें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 था, जिसके परिणामस्वरूप न्यूनतम वेतन 7,000 रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये हो गया था। आठवें वेतन आयोग के लिए फिटमेंट फैक्टर 2.28 से 2.86 के बीच रहने की संभावना है। यदि फिटमेंट फैक्टर 2.86 तय होता है, तो न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर लगभग 51,480 रुपये तक पहुंच सकता है। इससे कर्मचारियों का वेतन 25-35% तक बढ़ सकता है। पेंशनभोगियों के लिए भी पेंशन 9,000 रुपये से बढ़कर लगभग 25,740 रुपये हो सकती है।

महंगाई भत्ता और अन्य लाभ
वर्तमान में महंगाई भत्ता (डीए) मूल वेतन का 55% है। आठवां वेतन आयोग लागू होने पर डीए शून्य हो सकता है और इसे नए वेतन ढांचे के साथ फिर से गणना की जाएगी। इसके अलावा, हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) और ट्रांसपोर्ट अलाउंस (टीए) में संशोधन की संभावना है। सातवें वेतन आयोग में एचआरए को 30% से घटाकर 24% किया गया था, जो निम्न-स्तरीय कर्मचारियों के लिए निराशाजनक था। आठवें वेतन आयोग में एचआरए बढ़ाने की मांग उठ रही है।

आयोग के गठन में देरी और चुनौतियां
हालांकि आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी गई है, लेकिन इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति अभी बाकी है। टर्म्स ऑफ रेफरेंस (टीओआर) को अंतिम रूप देने के लिए नेशनल काउंसिल-जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (एनसी-जेसीएम) से सुझाव लिए जा रहे हैं। इस प्रक्रिया में कुछ और महीने लग सकते हैं। इसके अलावा, 2025-26 के केंद्रीय बजट में आठवें वेतन आयोग के लिए कोई धनराशि आवंटित नहीं की गई है, जिससे कार्यान्वयन की समयसीमा को लेकर संदेह पैदा हो रहा है।

आर्थिक प्रभाव और उम्मीदें
आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने पर इसका अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। सातवें वेतन आयोग के लागू होने से 2016-17 में सरकारी खर्च में 1 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई थी। आठवें वेतन आयोग से कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की क्रय शक्ति बढ़ेगी, जो उपभोग और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी। हालांकि, इससे सरकारी राजस्व व्यय भी बढ़ेगा, जो पूंजीगत व्यय के लिए बजट पर दबाव डाल सकता है।

कर्मचारियों की मांगें और अपेक्षाएं
कर्मचारी यूनियनों ने पांच सदस्यों के परिवार के आधार पर न्यूनतम वेतन निर्धारण, पेंशन पुनर्स्थापना अवधि को 15 से घटाकर 12 वर्ष करने, और 50% महंगाई भत्ते को मूल वेतन में शामिल करने की मांग की है। इसके अलावा, मॉडिफाइड अश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (एमएसीपी) स्कीम में सुधार की मांग भी उठ रही है। इन मांगों का कितना हिस्सा आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों में शामिल होगा, यह सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति और आर्थिक स्थिति पर निर्भर करेगा।

आठवां वेतन आयोग केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक बड़ी उम्मीद की किरण है। हालांकि, कार्यान्वयन की समयसीमा और सिफारिशों के बारे में अनिश्चितता बनी हुई है। जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना है, लेकिन देरी की आशंका को नकारा नहीं जा सकता। कर्मचारी और पेंशनभोगी अब सरकार के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं।

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30 जून से पहले ऑर्डर करें, OnePlus Nord CE 4 Lite पर मिल रहा ₹16,000 का डिस्काउंट! https://ekolkata24.com/technology/oneplus-nord-ce-4-lite-gets-%e2%82%b916000-discount-order-before-june-30 Sat, 21 Jun 2025 12:31:54 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51931 OnePlus के प्रशंसकों के लिए शानदार खबर है। लोकप्रिय ब्रांड OnePlus अपनी Nord सीरीज के नए 5G फोन OnePlus Nord CE 4 Lite पर विशेष छूट दे रहा है। Amazon पर इस फोन के 8GB RAM और 128GB स्टोरेज वेरिएंट की कीमत ₹17,997 है, लेकिन अभी ऑर्डर करने पर ₹2,000 के इंस्टेंट डिस्काउंट के साथ इसे केवल ₹15,997 में खरीदा जा सकता है। यह ऑफर 30 जून तक सीमित समय के लिए उपलब्ध है।

OnePlus Nord CE 4 Lite पर अतिरिक्त कैशबैक और एक्सचेंज ऑफर

इस फोन पर ₹539 तक का कैशबैक भी मिल सकता है। इसके अलावा, एक्सचेंज ऑफर के तहत पुराना फोन जमा करके और भी छूट प्राप्त की जा सकती है। एक्सचेंज वैल्यू पुराने फोन के ब्रांड, मॉडल और कंडीशन पर निर्भर करेगी।

डिस्प्ले और परफॉर्मेंस में शानदार प्रदर्शन

OnePlus Nord CE 4 Lite में 6.67-इंच का Full HD+ AMOLED डिस्प्ले है, जो 120Hz रिफ्रेश रेट और 2100 nits पीक ब्राइटनेस को सपोर्ट करता है। फोन में Qualcomm Snapdragon 695 प्रोसेसर और Adreno 619 GPU है, जो स्मूथ मल्टीटास्किंग और गेमिंग के लिए उपयुक्त है। फोन में 8GB RAM और 256GB तक का इंटरनल स्टोरेज उपलब्ध है।

फोटोग्राफी के लिए फोन में 50 मेगापिक्सल का प्राइमरी सेंसर और 2 मेगापिक्सल का डेप्थ सेंसर है। सेल्फी के लिए 16 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा दिया गया है। फोन में 5500mAh की बैटरी है, जो 80 वाट फास्ट चार्जिंग को सपोर्ट करती है। सिक्योरिटी फीचर्स में इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर शामिल है।

यह स्मार्टफोन Android 14-आधारित OxygenOS 14 पर चलता है। कनेक्टिविटी के लिए इसमें 5G, डुअल 4G VoLTE, Wi-Fi 6, Bluetooth 5.2, USB Type-C पोर्ट और 3.5mm हेडफोन जैक जैसे फीचर्स हैं।

कम बजट में आधुनिक फीचर्स वाला 5G फोन ढूंढ रहे हैं? तो 30 जून से पहले OnePlus Nord CE 4 Lite आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। ऑफर खत्म होने से पहले जल्दी निर्णय लेना समझदारी होगी।

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Gold Price Drop: सोने की कीमतों में गिरावट, 2025-2026 में निवेश का मौका https://ekolkata24.com/business/gold-price-drop-predicted-for-2025-2026-investment-opportunity-in-india Sat, 21 Jun 2025 09:29:21 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51929 सोने की कीमतों (Gold Price) में उतार-चढ़ाव हमेशा से निवेशकों के लिए चिंता का विषय रही है। पिछले कुछ वर्षों में, सोने की कीमतों में अचानक वृद्धि देखी गई, खासकर मध्य-पूर्व में चल रहे संघर्षों के कारण। लेकिन अब, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले वर्षों में सोने की कीमतें घट सकती हैं। आइए हम जानते हैं क्यों सोने की कीमतों में कमी आ सकती है और इसके कारण क्या हो सकते हैं।

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मध्य-पूर्व संकट और सोने की कीमतें:

मध्य-पूर्व में जारी संकट ने सोने की कीमतों में एक उछाल दिया था। ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ के अनुसार, यदि यह संकट जल्दी हल हो जाता है, तो सोने की कीमतें तेजी से गिर सकती हैं। सिटी बैंक का मानना है कि अगले तिमाही में 10 ग्राम 24 कैरट सोने की कीमत ₹91,755 तक घट सकती है। 2025 के मध्य से लेकर 2026 तक सोने की कीमतों में गिरावट आ सकती है।

सोने की कीमतें कम होने के संभावित कारण:

निवेश की कमी: जब निवेशक सोने में निवेश करने के बजाय अन्य विकल्पों जैसे शेयर बाजार, रियल एस्टेट में निवेश करना शुरू कर देते हैं, तो सोने की कीमतें गिरने लगती हैं।

वैश्विक स्थिति का सामान्य होना: कोविड-19 महामारी के बाद स्थिति अब कुछ सामान्य हो रही है। साथ ही, विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक अब सोने के भंडार में वृद्धि नहीं कर रहे हैं, जिससे सोने की कीमतों में गिरावट आ सकती है।

फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कमी: जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों को कम करता है, तो सोना निवेशकों के लिए आकर्षक बन जाता है, लेकिन जैसे ही ब्याज दरें बढ़ती हैं, निवेशक सोने से बाहर अन्य निवेश में चले जाते हैं।

केंद्रीय बैंकों का सोना बेचना: अगर केंद्रीय बैंक अपने सोने के स्टॉक को बेचना शुरू कर देते हैं और उस पैसे को अन्य निवेशों में लगाते हैं, तो सोने की कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है।

2025 से 2026 तक सोने की कीमतों में गिरावट की संभावना:

वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामान्य होने और सोने में निवेश की मांग कम होने पर, 2025 के मध्य से 2026 तक सोने की कीमतों में गिरावट हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, 2026 के अंत तक सोने की कीमत ₹76,462 से ₹82,566 तक गिर सकती है।

भारत में सोने की कीमतों पर प्रभाव:

भारत में सोने की कीमतें अंतर्राष्ट्रीय बाजार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होती हैं। यदि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें घटती हैं, तो भारत में भी इसका असर दिखाई देगा। ऐसे में भारतीय निवेशकों के लिए सोने में निवेश करना एक अच्छा अवसर हो सकता है।

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Petrol Prices Today: पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर, चेन्नई में हल्की गिरावट! https://ekolkata24.com/business/petrol-prices-today-stable-rates-in-delhi-mumbai-kolkata-chennai-sees-slight-dip Sat, 21 Jun 2025 07:58:55 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51917 पेट्रोल-डीजल के दाम (Petrol Prices) फिर से आसमान पर! जानिए आज का रेटहाल के दिनों में, देश के अधिकांश शहरों में पेट्रोल और डीजल की कीमत स्थिर बनी हुई है। राजधानी दिल्ली, मुंबई, कोलकाता सहित अन्य बड़े शहरों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें अपरिवर्तित रही हैं। हालांकि, चेन्नई में लगातार दूसरे दिन पेट्रोल की कीमतों में हल्की गिरावट देखी गई है, जो अन्य महानगरों के मुकाबले कुछ असामान्य है। 2024 के मार्च महीने में पेट्रोल की कीमतों में आखिरी बार बड़े बदलाव हुए थे, जब सरकार ने प्रति लीटर 2 रुपये कम किए थे। तब से लेकर अब तक, पूरे देश में ईंधन की कीमतें स्थिर रही हैं। तो सवाल यह उठता है कि आखिर तेल की कीमतें क्यों बदल नहीं रही हैं?

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ईंधन की कीमतों में स्थिरता के कारण

2022 के मई महीने में केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों ने ईंधन पर करों में कमी की थी, जिसके बाद से पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगभग स्थिर बनी हुई हैं। तेल की कीमतें हर दिन सुबह 6 बजे पुनः मूल्यांकन की जाती हैं और इसे राज्य द्वारा संचालित तेल विपणन कंपनियां जैसे कि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन द्वारा सार्वजनिक किया जाता है।

इस स्थिरता के पीछे एक बड़ा कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार की स्थिति और रुपया-डॉलर विनिमय दर है। तेल के अंतर्राष्ट्रीय मूल्य में उतार-चढ़ाव होने पर इसका सीधा असर घरेलू बाजार पर पड़ सकता है। लेकिन जब तेल की कीमत स्थिर रहती है, तो यह आम लोगों के लिए राहत की बात होती है।

तेल की कीमतों की पुनः मूल्यांकन प्रक्रिया

हर दिन सुबह 6 बजे, देशभर में तेल की कीमतों का पुनः मूल्यांकन किया जाता है। यह प्रक्रिया तेल कंपनियों के माध्यम से की जाती है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय बाजार की कीमत, रुपया-डॉलर विनिमय दर, और आंतरिक करों जैसे एक्साइज ड्यूटी और वैट का असर भी शामिल होता है।

राज्यवार अंतर

देश के विभिन्न राज्यों में तेल की कीमतों में अंतर देखा जा सकता है, क्योंकि प्रत्येक राज्य अपनी-अपनी वैट और अन्य करों को लागू करता है। उदाहरण के तौर पर, कोलकाता और दिल्ली में पेट्रोल की कीमत लगभग 105 रुपये के आसपास होती है, लेकिन मुंबई और चेन्नई में यह कीमत थोड़ी अधिक या कम हो सकती है। हालाँकि, चेन्नई में इस समय पेट्रोल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है, जो अन्य शहरों से कुछ अलग है।

चेन्नई में कीमतों का गिरना क्यों?

चेन्नई में पेट्रोल की कीमतों में हाल ही में लगातार गिरावट देखी जा रही है, जो काफी चर्चा का विषय बन चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में गिरावट होने के कारण चेन्नई में कीमतों में यह बदलाव हो सकता है। लेकिन यह पूरी तरह से चेन्नई के लिए खास है, क्योंकि अन्य शहरों में इस प्रकार की गिरावट नहीं देखी गई है।

भविष्य में क्या हो सकता है?

फिलहाल, केंद्र सरकार के पास तेल की कीमतें बढ़ाने या घटाने का कोई बड़ा फैसला लेने का कोई संकेत नहीं है। 2022 में सरकार द्वारा ज

्वालानी कर कम करने के बाद से कीमतों में स्थिरता आई है, लेकिन भविष्य में क्या होगा, यह कहना मुश्किल है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार की स्थिति, रुपया-डॉलर विनिमय दर, और सरकार की नीतियाँ इन सभी का तेल की कीमतों पर गहरा असर पड़ सकता है।

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Ultraviolette Shockwave ने लॉन्च के साथ मचाया तहलका! 7,000 से अधिक बुकिंग्स के साथ इलेक्ट्रिक बाइक ने बनाया रिकॉर्ड https://ekolkata24.com/business/ultraviolette-shockwave-creates-buzz-after-launch-crosses-7000-bookings Sat, 21 Jun 2025 07:09:57 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51914 भारत के इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बाजार में Ultraviolette Automotive ने नई ऊर्जा के साथ कदम रखा है। कंपनी की हाल ही में लॉन्च हुई इलेक्ट्रिक एंड्यूरो बाइक Ultraviolette Shockwave ने कुछ ही महीनों में 7,000 से अधिक बुकिंग्स हासिल कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया है। इस बाइक की डिलीवरी 2026 की पहली तिमाही से शुरू होने की उम्मीद है। इस इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल की कीमत 1.75 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) निर्धारित की गई है।

प्रारंभिक ऑफर में Ultraviolette Shockwave पर मिली छूट

Ultraviolette Shockwave बाइक को मार्च 2025 में लॉन्च किया गया था। लॉन्च के समय Ultraviolette ने पहले 1,000 ग्राहकों के लिए विशेष प्रारंभिक कीमत 1.50 लाख रुपये में बाइक ऑफर की थी। बाद में इस ऑफर को अगले 1,000 ग्राहकों के लिए भी बढ़ाया गया। इसके बाद मूल कीमत 1.75 लाख रुपये निर्धारित की गई है।

Shockwave में 14.5 बीएचपी का शक्तिशाली इलेक्ट्रिक मोटर है, जो 505 एनएम का पीक टॉर्क दे सकता है। यह 4 किलोवाट-आवर बैटरी पैक के साथ आता है, जो IDC टेस्ट साइकिल के अनुसार 165 किमी की रेंज प्रदान करता है। यह बाइक केवल 2.9 सेकंड में 0 से 60 किमी प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ सकती है और इसकी टॉप स्पीड 120 किमी प्रति घंटा है।

फीचर्स और हार्डवेयर में भी धमाल

Shockwave बाइक न केवल शक्तिशाली है, बल्कि इसमें आधुनिक फीचर्स की भरमार है। इसमें स्विचेबल डुअल-चैनल ABS, पूरी तरह से LED लाइटिंग, चार ट्रैक्शन कंट्रोल मोड्स और छह स्तरों का डायनामिक रीजेनरेशन सिस्टम शामिल है। बाइक को स्टील फ्रेम पर बनाया गया है, जिसमें सामने टेलिस्कोपिक फोर्क और पीछे मोनोशॉक सस्पेंशन का उपयोग किया गया है। राइडिंग की सुविधा के लिए बाइक 19 इंच के फ्रंट और 17 इंच के रियर वायर-स्पोक व्हील्स के साथ आती है, जो डुअल-पर्पस टायर्स से लैस हैं।

Ultraviolette Shockwave ने भारत के बाजार में इलेक्ट्रिक एंड्यूरो बाइक सेगमेंट में नया आयाम जोड़ा है। शक्तिशाली मोटर, आधुनिक फीचर्स और आकर्षक रेंज व परफॉर्मेंस—सब मिलाकर यह बाइक नई पीढ़ी के राइडर्स के लिए काफी आकर्षक बन गई है। कंपनी के दावे के अनुसार, अधिक विस्तृत फीचर्स, परफॉर्मेंस की जानकारी और प्रोडक्शन अपडेट जल्द ही साझा किए जाएंगे।

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Harley-Davidson ने भारत में बिकने वाली सभी बाइक्स की कीमतें जारी कीं, देखें पूरी लिस्ट https://ekolkata24.com/business/harley-davidson-reveals-prices-of-all-bikes-sold-in-india-full-list-inside Sat, 21 Jun 2025 06:40:44 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51911 Harley-Davidson India ने भारत में बिकने वाली अपनी 2025 मॉडल ईयर (MY2025) की सभी मोटरसाइकिलों की कीमतें आधिकारिक रूप से घोषित कर दी हैं। कंपनी ने बताया कि नई रेंज की सभी बाइक्स अब देश के सभी अधिकृत डीलरशिप्स पर प्री-बुकिंग के लिए उपलब्ध हैं। इस लाइनअप में टूरिंग, परफॉर्मेंस, तकनीक और डिज़ाइन के मामले में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिलेंगे।

CVO सीरीज में दो आइकॉनिक लिमिटेड एडिशन मॉडल

इस साल Harley-Davidson की Custom Vehicle Operations (CVO) सीरीज अपनी 26वीं सालगिरह मना रही है। इस अवसर पर कंपनी दो लिमिटेड प्रोडक्शन मॉडल – CVO Street Glide और CVO Road Glide – बाजार में ला रही है। ये बाइक्स Harley-Davidson के प्रीमियम स्टाइलिंग का बेहतरीन उदाहरण हैं और 2025 मॉडल में उन्नत तकनीक और डिज़ाइन के साथ पेश की गई हैं।

क्रूज़र सेगमेंट में इस बार Street Bob भारत के बाजार में फिर से लौटा है, और यह पिछले Fat Bob मॉडल को अलविदा कह रहा है। Street Bob का बॉबर स्टाइल, मिनी-एप हैंडलबार और यूज़र-फ्रेंडली एर्गोनॉमिक सेटअप नए राइडर्स को भी आकर्षित करेगा। इसमें नया Milwaukee-Eight 117 Classic V-Twin इंजन है, जो क्लासिक Harley-स्टाइल परफॉर्मेंस प्रदान करेगा। Street Bob, CVO Street Glide और CVO Road Glide की कीमतें कंपनी ने अभी घोषित नहीं की हैं। इनकी कीमतें लॉन्च के समय घोषित की जाएंगी।

विभिन्न मॉडलों की कीमतें (एक्स-शोरूम)

इस समय Harley-Davidson India ने निम्नलिखित MY2025 मॉडलों की कीमतें घोषित की हैं। इसमें X440 से लेकर Road Glide तक की मोटरसाइकिलें शामिल हैं। आइए, कीमतों की सूची देखें –

H-D Nightster: 13.51 लाख रुपये

H-D Nightster Special: 14.29 लाख रुपये

H-D Sportster S: 16.70 लाख रुपये

H-D Pan America Special: 25.10 लाख रुपये

H-D Breakout: 37.19 लाख रुपये

H-D Fat Boy: 25.90 लाख रुपये

H-D Heritage Classic: 23.85 लाख रुपये

H-D Street Glide: 39.30 लाख रुपये

H-D Road Glide: 42.30 लाख रुपये

H-D X440: 2.40 लाख रुपये

गौरतलब है कि इस नई रेंज की बाइक्स उन लोगों के लिए खास तौर पर आकर्षक होंगी, जो परफॉर्मेंस, स्टाइल और लग्ज़री टूरिंग अनुभव की तलाश में हैं। Harley-Davidson के प्रति राइडर्स का प्यार इस नई लाइनअप के माध्यम से एक बार फिर से और चमक उठेगा, ऐसा उम्मीद की जा सकती है।

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नया कीर्तिमान! Ultraviolette Tesseract इलेक्ट्रिक स्कूटर ने हासिल किया 60,000 बुकिंग्स का मील का पत्थर https://ekolkata24.com/business/ultraviolette-tesseract-electric-scooter-crosses-60000-bookings-milestone Sat, 21 Jun 2025 05:11:59 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51908 भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर के प्रति ग्राहकों का भरोसा लगातार बढ़ रहा है, और यह बात अब किसी से छिपी नहीं है। हाल ही में इसका सबूत Ultraviolette Tesseract इलेक्ट्रिक स्कूटर ने दिया है, जिसने मात्र तीन महीनों में 60,000 बुकिंग्स हासिल कर पर्यावरण-अनुकूल वाहनों की दुनिया में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। कंपनी ने इस बुकिंग संख्या की घोषणा की है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि भविष्य में Ultraviolette Automotive का यह नया इलेक्ट्रिक स्कूटर और भी अधिक धूम मचाएगा। वहीं, लॉन्च के एक महीने बाद से ही इस मॉडल की कीमत में बदलाव आया है।

Ultraviolette Tesseract की कीमत में बदलाव

Ultraviolette Tesseract स्कूटर को इस साल मार्च में पहले 50,000 ग्राहकों के लिए विशेष कीमत 1.20 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) पर लॉन्च किया गया था। पहले महीने में ही यह कोटा पूरा होने के बाद, कीमत बढ़ाकर 1.45 लाख रुपये कर दी गई है। हालांकि, यह कीमत केवल स्कूटर के बेस 3.5 किलोवाट-आवर बैटरी वेरिएंट के लिए है। उच्चतर 5 किलोवाट-आवर और 6 किलोवाट-आवर बैटरी वेरिएंट की कीमत और स्पेसिफिकेशन्स बाद में घोषित किए जाएंगे।
उन्नत फीचर्स और परफॉर्मेंस

Ultraviolette की वेबसाइट पर Tesseract के आकर्षक फीचर्स और टॉप स्पीड का उल्लेख किया गया है, जो मुख्य रूप से उच्चतर वेरिएंट्स के लिए लागू होने की संभावना है। स्कूटर की अधिकतम गति 125 किमी प्रति घंटा तक हो सकती है, हालांकि कम कीमत वाले वेरिएंट में यह गति थोड़ी कम हो सकती है।

स्कूटर में ऑनबोर्ड नेविगेशन, वायरलेस फोन चार्जिंग, फ्रंट और रियर रडार, ब्लाइंड स्पॉट डिटेक्शन के साथ स्मार्ट मिरर, और एक स्मार्ट डैशकैम जैसे आधुनिक तकनीकी फीचर्स शामिल हैं। सुरक्षा के लिए इसमें डुअल-चैनल ABS, हिल होल्ड, चार-स्तरीय रिजनरेटिव ब्रेकिंग, और दो-स्तरीय ट्रैक्शन कंट्रोल जैसे फीचर्स हैं। हालांकि, माना जा रहा है कि सभी वेरिएंट्स में ये सभी फीचर्स उपलब्ध नहीं होंगे।

कंपनी ने बताया है कि Tesseract के वेरिएंट-आधारित दाम और पूर्ण स्पेसिफिकेशन्स 2025 के अंत तक घोषित किए जाएंगे। स्कूटर की डिलीवरी 2026 की पहली तिमाही में शुरू होने की उम्मीद है। गौरतलब है कि इस समय भारत के इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बाजार में प्रतिस्पर्धा तेजी से बढ़ रही है, और ऐसे में Ultraviolette Tesseract की यह सफलता स्पष्ट रूप से ग्राहकों के उत्साह को दर्शाती है। अब देखना यह है कि डिलीवरी के समय यह स्कूटर अपनी प्रतिबद्धताओं को कितना पूरा कर पाता है।

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इस मानसून में खरीदें दुनिया की पहली CNG बाइक! Bajaj Freedom 125 पर मिल रहा 5,000 रुपये का डिस्काउंट https://ekolkata24.com/business/bajaj-freedom-125-cng-bike-available-with-%e2%82%b95000-discount-this-monsoon Fri, 20 Jun 2025 11:13:03 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51893 बाइक प्रेमियों के लिए खुशखबरी! बजाज ऑटो ने अपनी लोकप्रिय CNG मोटरसाइकिल Bajaj Freedom 125 की कीमत पर 5,000 रुपये की छूट की घोषणा की है। कंपनी के सोशल मीडिया चैनलों के माध्यम से इस डिस्काउंट की जानकारी दी गई है। हालांकि, यह छूट केवल NG04 ड्रम वेरिएंट के लिए लागू है, जो इस मॉडल का बेस वेरिएंट है। यह स्थायी कीमत छूट नहीं है, इसलिए निश्चित समय के बाद इस ऑफर को वापस लिया जा सकता है।

CNG और पेट्रोल – दोनों ईंधन पर चलने की सुविधा

Bajaj Freedom 125 भारत में निर्मित पहली CNG मोटरसाइकिल है, जिसमें 125 सीसी का सामान्य पेट्रोल इंजन के साथ 2 किलो का CNG टैंक जोड़ा गया है। यह टैंक सीट के ठीक नीचे रखा गया है। इसके अलावा, इसमें 2 लीटर का पेट्रोल टैंक भी है, जो रिजर्व ईंधन के रूप में उपयोग होता है। इन दोनों ईंधनों के साथ इस बाइक की कुल रेंज लगभग 330 किमी है – जिसमें CNG पर 200 किमी और पेट्रोल पर 130 किमी तक चलना संभव है।

बजाज के दावे के अनुसार, यह बाइक सामान्य 125 सीसी पेट्रोल बाइक की तुलना में चलाने की लागत को लगभग 50 प्रतिशत तक कम करती है। CNG पर इस मोटरसाइकिल का माइलेज 102 किमी प्रति किलो और पेट्रोल पर 64 किमी प्रति लीटर है। यानी, शहर या गांव में रोजमर्रा की यात्रा का खर्च अब काफी कम होगा।

Bajaj Freedom 125 डिज़ाइन और विशेषताएं

Bajaj Freedom 125 का डिज़ाइन काफी नवीन है। इसमें हॉरिजॉन्टली माउंटेड इंजन और ट्रेलिस फ्रेम है, जो CNG टैंक को सुरक्षा प्रदान करता है। इस बाइक का कर्ब वेट 147.8 किलो है, जो अन्य 125 सीसी मॉडलों की तुलना में थोड़ा अधिक है। लेकिन इसकी बाइ-फ्यूल क्षमता इसे एक अलग आयाम देती है।

बाइक की विशेषताओं में LED हेडलैंप, टेलीस्कोपिक फ्रंट फोर्क और रियर मोनोलिंक सस्पेंशन शामिल हैं। टॉप वेरिएंट में ब्लूटूथ कनेक्टिविटी के साथ डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर भी है। सीट की ऊंचाई 825 मिमी होने के कारण यह थोड़ी ऊंची लग सकती है, लेकिन क्विल्टेड सीट डिज़ाइन इसे कुछ हद तक आरामदायक बनाता है। हालांकि, अंडर-थाई सपोर्ट की कमी कुछ उपयोगकर्ताओं के लिए समस्या हो सकती है।

Bajaj Freedom 125 एक क्रांतिकारी मॉडल है, जो पर्यावरण के अनुकूल और किफायती यात्रा का रास्ता दिखा रहा है। वर्तमान में 5,000 रुपये की छूट के साथ यह बाइक और अधिक ग्राहकों की पहुंच में आ गई है। लेकिन यह ऑफर सीमित समय के लिए है, इसलिए इच्छुक लोग जल्दी निर्णय लेकर लाभ उठा सकते हैं।

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West Bengal Sales Tax Bill : बकाया राशि वसूलने के लिए सेल्स टैक्स संशोधन बिल विधानसभा में पारित https://ekolkata24.com/business/west-bengal-assembly-passes-sales-tax-amendment-bill-2025-to-recover-%e2%82%b98000-crore-in-arrears Fri, 20 Jun 2025 08:11:58 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51876 विक्रय कर, सेंट्रल सेल्स टैक्स (CST) और एंट्री टैक्स के बकाए को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद के कारण राज्य सरकार (West Bengal ) के कोषागार में लगभग 8-9 हजार करोड़ रुपये का बकाया पड़ा हुआ है। इन पैसे को प्राप्त करने के लिए सरकार को विभिन्न कदम उठाने थे और इसी कारण विधानसभा में गुरुवार को ‘द वेस्ट बंगाल सेल्स टैक्स (सेटलमेंट ऑफ डिस्प्यूट) अमेंडमेंट बिल-2025’ पारित किया गया। राज्य सरकार का मानना है कि इस बिल के माध्यम से राज्य कोषागार में एक महत्वपूर्ण राशि वापस आ सकेगी।

इस बिल के तहत, उन करदाताओं को ‘वन टाइम सेटलमेंट’ का अवसर प्रदान किया जा रहा है जो लंबे समय से बकाए करों को लेकर विवादित हैं। इसके अनुसार, बकाए कर की 75 प्रतिशत राशि का भुगतान करने पर करदाता अपने बाकी बकाए पर से ब्याज और जुर्माना माफ करा सकते हैं। इससे उन करदाताओं को नए तरीके से बकाया कर चुका कराने का अवसर मिलेगा जो पहले भुगतान करने में अनिच्छुक थे।

राज्य की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने बताया कि वर्तमान में 5,469 करोड़ रुपये का वैट, 1,040 करोड़ रुपये का एंट्री टैक्स और 966 करोड़ रुपये का सेंट्रल सेल्स टैक्स बकाया है। राज्य सरकार का मानना है कि यदि इन बकाए में से कुछ भी वसूला जा सके, तो उस पैसे का उपयोग राज्य के विकासात्मक कार्यों में किया जा सकता है।

चंद्रिमा भट्टाचार्य ने यह भी बताया कि 2023 में जब इस प्रकार के टैक्स विवादों के समाधान के लिए संशोधन लाया गया था, तब करीब 20,000 मामले थे। उस समय, 50 प्रतिशत बकाया कर का भुगतान करने पर सेटलमेंट की सुविधा दी गई थी। उन 20,000 मामलों से राज्य सरकार को 907 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे।

राज्य सरकार का मानना है कि इस संशोधन बिल के तहत अधिक बकाया कर वसूला जा सकेगा। इससे राज्य के विकासात्मक परियोजनाओं के लिए आवश्यक धन प्राप्त हो सकेगा। राज्य सरकार का आरोप है कि पिछले कुछ वर्षों से केंद्रीय योजनाओं जैसे 100 दिन के काम, आवास योजना और ग्रामीण सड़क परियोजना के लिए आवंटित धन में लगातार कमी आई है और यह अब लगभग बंद हो चुका है।

राज्य सरकार के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा क्योंकि अगर बकाया राशि वापस आ जाती है तो इससे राज्य के महत्वपूर्ण विकास कार्यों को पुनः चालू किया जा सकेगा और लोगों को लाभ होगा।

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