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**भूस्खलन और सड़क अवरोध
मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि रविवार शाम तक राज्य में 285 सड़कें भूस्खलन और मिट्टी के कटाव के कारण बंद हो गई हैं। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य सोमवार शाम तक कम से कम 234 सड़कों को फिर से खोलना है।” हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य की सभी राष्ट्रीय राजमार्गें अभी भी कार्यरत हैं। फिर भी, 968 बिजली ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त होने के कारण कई क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति बाधित हुई है। सिरमौर (57 सड़कें) और मंडी (44 सड़कें) जिलों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। शिमला-कालका राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-5) पर कोटी के पास एक भूस्खलन के कारण दो से तीन किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम हो गया। शिमला-कालका रेल लाइन भी भारी बारिश के कारण प्रभावित हुई, हालांकि सुबह 9 बजे तक मलबा हटाकर रेल सेवा बहाल कर दी गई।
**आईएमडी का पूर्वानुमान और चेतावनी
आईएमडी के शिमला केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक संदीप कुमार शर्मा ने बताया कि पिछले 24 घंटों में हिमाचल प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में मध्यम बारिश दर्ज की गई है। हालांकि, मंडी, कांगड़ा, बिलासपुर, सोलन, शिमला, हमीरपुर और चंबा जिलों के कुछ अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश हुई। सबसे अधिक बारिश मंडी के पंडोह में (130 मिमी), इसके बाद मंडी शहर में (120 मिमी), शिमला के सुन्नी में (113 मिमी) और पालमपुर में (80 मिमी) दर्ज की गई। शर्मा ने आगे बताया कि जून में राज्य में सामान्य से 34 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। हालांकि, किन्नौर और लाहौल-स्पीति के उच्च ऊंचाई वाले जिलों में क्रमशः 20 प्रतिशत और 50 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है।
आईएमडी ने कांगड़ा, मंडी, सिरमौर और शिमला जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जहां भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना है। इसके अलावा, बिलासपुर, हमीरपुर, कुल्लू, चंबा, सोलन और ऊना जिलों में मध्यम से उच्च फ्लैश फ्लड का जोखिम है। मौसम विभाग ने 5 जुलाई तक राज्य में नम मौसम की भविष्यवाणी की है और निवासियों व पर्यटकों को नदियों, नालों और भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों से दूर रहने की सलाह दी है।
**प्रशासन की प्रतिक्रिया
राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु ने कांगड़ा, मंडी, सिरमौर और सोलन जिलों के डिप्टी कमिश्नरों को निर्देश दिया है कि सोमवार (30 जून) को सभी स्कूल बंद रखे जाएं। मंडी जिले के डिप्टी कमिश्नर अपूर्व देवगन ने आईआईटी मंडी, लाल बहादुर शास्त्री गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज और अन्य चिकित्सा संस्थानों को छोड़कर सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए छुट्टी घोषित की है। शिमला के भट्टाकुफर क्षेत्र में एक पांच मंजिला इमारत ढह गई, लेकिन पूर्व सतर्कता के कारण इमारत को पहले ही खाली कर लिया गया था। शिमला के रामपुर पंचायत में क्लाउडबर्स्ट के कारण कुछ घर और गौशालाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं।
**प्रभाव और नुकसान
पिछले 24 घंटों में बारिश से संबंधित घटनाओं में तीन लोगों की मौत हुई है, जिसमें ऊना और बिलासपुर में दो लोग डूब गए और शिमला में एक व्यक्ति ऊंचाई से गिरकर मर गया। 20 जून से मानसून शुरू होने के बाद से कुल 20 लोगों की मौत हो चुकी है। ब्यास नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण मंडी जिले के पंडोह बांध के फ्लडगेट खोले गए हैं। राज्य को कुल 75.4 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण जनजीवन व्यापक रूप से प्रभावित हुआ है। आईएमडी का ऑरेंज अलर्ट और प्रशासन की तत्परता के बावजूद, स्थिति अभी भी चिंताजनक है। निवासियों और पर्यटकों को सतर्कता बरतने और मौसम संबंधी सलाह का पालन करने की सलाह दी गई है।[
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कुछ यात्रियों का कहना है कि हादसे के वक्त रेल पटरी का एक हिस्सा टूट गया था। घटना के बाद ट्रेन के भीतर अफरा-तफरी मच गई। कई लोग डर के मारे बाहर निकलने की कोशिश करने लगे।
घटना की खबर मिलते ही रेलवे के अधिकारी मौके पर पहुंचे। उनकी तरफ से बताया गया कि इस दुर्घटना में कोई भी घायल या मृत नहीं हुआ है। हालांकि, इस घटना के कारण उस रूट पर रेल सेवा प्रभावित हुई है और मरम्मत का काम जारी है।
रेलवे अधिकारी फिलहाल यह बता पाने में असमर्थ हैं कि स्थिति कब तक सामान्य होगी। साथ ही, इस हादसे के चलते कोई ट्रेन रद्द हुई है या नहीं, इस पर भी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
ज्ञात हो कि चित्तेरी स्टेशन पहले भी एक बड़ी रेल दुर्घटना का गवाह बन चुका है। वर्ष 2011 में इसी स्थान पर दो ट्रेनों की आमने-सामने टक्कर हो गई थी, जिसमें 11 यात्रियों की मौत हुई थी और 70 से अधिक लोग घायल हुए थे।
आज की घटना ने एक बार फिर से रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या रेलवे ट्रैक की नियमित जांच की जा रही है? क्या इंफ्रास्ट्रक्चर की निगरानी सही ढंग से हो रही है? इन तमाम सवालों के जवाब चाह रहे हैं यात्री और आम नागरिक।
रेल प्रशासन को चाहिए कि वह न केवल तकनीकी स्तर पर सुधार करे, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए व्यापक निगरानी व्यवस्था लागू करे, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को टाला जा सके।
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कानूनी कार्रवाई की मांग
हिंदू वॉयस की पोस्ट में उत्तर प्रदेश पुलिस (उपपोलीस) से शक्तिरूपा साधुखान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है। उनका कहना है कि वह 2024 से हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरों को संपादित करके इस तरह के अपमानजनक कार्य करती आ रही हैं, जिसमें हाल ही में बाबा लोकेनाथ की तस्वीर का अपमान शामिल है। उनका दावा है कि पश्चिम बंगाल में उनके खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई, क्योंकि वह ‘बंगला पक्ष’ नामक संगठन की सदस्य हैं। इसलिए, उन्होंने उत्तर प्रदेश के नागरिकों से उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आह्वान किया है। साथ ही, श्रीराम तीर्थ नामक संगठन से भी इस मामले में शामिल होने का अनुरोध किया गया है।
बंगला पक्ष की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद बंगला पक्ष के नेता कौशिक मैती ने एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि शक्तिरूपा साधुखान पिछले दो वर्षों से बंगला पक्ष से संबंधित नहीं हैं। विभिन्न संगठन-विरोधी गतिविधियों और अन्य कारणों से उन्हें निष्कासित किया गया था। इस बयान से स्पष्ट होता है कि शक्तिरूपा का यह कार्य व्यक्तिगत पहल हो सकता है और यह बंगला पक्ष के औपचारिक दृष्टिकोण का प्रतिबिंब नहीं है। बंगला पक्ष एक बंगाली राष्ट्रवादी संगठन है, जो बंगला भाषा और संस्कृति के संरक्षण में काम करता है, लेकिन धार्मिक संवेदनशीलता पर इस तरह के हमले से उनका सीधा संबंध सिद्ध नहीं हुआ है।
सामाजिक प्रतिक्रिया और कानूनी जटिलताएं
सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर व्यापक चर्चा हो रही है। कई लोग शक्तिरूपा के खिलाफ सख्त सजा की मांग कर रहे हैं, जैसे कि उन्हें जेल भेजने के लिए कानूनी कार्रवाई का आह्वान। हालांकि, उत्तर प्रदेश में इस तरह का मुकदमा दर्ज करने की कानूनी वैधता पर सवाल उठ रहे हैं। भारत के दंड प्रक्रिया संहिता (धारा 177-178) के अनुसार, यदि कोई अपराध जनता की शांति-व्यवस्था को प्रभावित करता है, तो विभिन्न राज्यों में मुकदमा दर्ज करना संभव है। लेकिन, उत्तर प्रदेश पुलिस की 2023 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, धार्मिक अपराध के मामलों का 65% अनसुलझा रहता है, जो इस मामले की प्रक्रिया में बाधा डाल सकता है।
ऐतिहासिक संदर्भ
धार्मिक संवेदनशीलता के मामले में भारत के कानून के तहत धारा 295ए के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जानबूझकर किसी धार्मिक समूह की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए शब्द, चित्र या अन्य तरीकों से अपमान करता है, तो उसे 3 साल तक की सजा हो सकती है। 2021 में कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी जैसे कुछ लोगों को हिंदू देवी-देवताओं के अपमान के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जो इस तरह की घटनाओं के प्रति समाज की संवेदनशीलता को दर्शाता है। इस घटना से पता चलता है कि शक्तिरूपा के खिलाफ कानूनी दबाव बढ़ सकता है, लेकिन राज्याधिकार और सबूत संग्रह की जटिलताएं इसे जटिल बना सकती हैं।
Dear @Uppolice , requesting you to take necessary action against this girl named Shaktirupa Sadhukhan,from West Bengal.
This girl intentionally posted(on 19th June) an edited photo to insult Prabhu Sri Ram and to hurt the feelings of the Hindus.
Also requesting @ShriRamTeerth… pic.twitter.com/ermOLP6Hzm
— Hindu Voice (@HinduVoice_in) June 23, 2025
समाज की दुविधा और भविष्य
इस घटना ने समाज में गहरी दुविधा पैदा की है। एक ओर, हिंदू समुदाय के सदस्य धार्मिक प्रतीकों के प्रति सम्मान की मांग कर रहे हैं, वहीं बंगला पक्ष जैसे संगठन इस तरह के कार्यों को व्यक्तिगत पहल मान रहे हैं। इस विवाद से उठे सवाल हैं कि सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कितनी व्यापक हो सकती है और धार्मिक संवेदनशीलता की सीमा कहां खत्म होती है। इस घटना का परिणाम भारतीय कानून और सामाजिक संबंधों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।
शक्तिरूपा साधुखान की विवादास्पद पोस्ट ने धार्मिक और सामाजिक विवाद को जन्म दिया है। हालांकि वह अब बंगला पक्ष से जुड़ी नहीं हैं, फिर भी उनके पिछले कार्यों ने उनके खिलाफ सवाल खड़े किए हैं। उत्तर प्रदेश में एफआईआर की मांग लागू होगी या नहीं, यह समय पर निर्भर करेगा। यह घटना भारत के विविधतापूर्ण समाज में धर्म और संस्कृति की सीमाओं को निर्धारित करने के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परीक्षा बन गई है।
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ओवैसी के अनुसार, “इस हमले ने नेतन्याहू की मदद की है, जो फिलिस्तीनियों के कसाई हैं। गाजा में जो नरसंहार हो रहा है, उसे छिपाने के लिए इस हमले का इस्तेमाल किया गया है। गाजा में 55,000 फिलिस्तीनी मारे गए हैं, और अमेरिका इससे चिंतित नहीं है।” उन्होंने आगे कहा, “हम पाकिस्तानियों से पूछना चाहिए कि क्या इसी के लिए वे ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देना चाहते थे?”
पाकिस्तान और ईरान के करीबी संबंधों को ध्यान में रखते हुए यह सवाल खास तौर पर महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान ने हाल ही में ट्रंप की “व्यावहारिक कूटनीति” और भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में उनकी भूमिका के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के लिए उन्हें नामांकित किया था। हालांकि, ईरान पर अमेरिका के हमले के बाद पाकिस्तान ने इस हमले की तीखी निंदा की और कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।
इस घटना के पृष्ठभूमि में, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि उनके प्रशासन ने ईरान के फोर्डो, नतान्ज और इस्फाहान की तीन परमाणु सुविधाओं पर प्रहार किया है। ट्रंप का दावा है, “हमने उनके हाथ से बम छीन लिया है।” लेकिन ईरान के विदेश मंत्री ने इस हमले को “अनुचित” और “अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन” के रूप में वर्णित किया है।
गाजा में हो रहे नरसंहार की चिंता को लेकर ओवैसी की टिप्पणी एमनेस्टी इंटरनेशनल की 2024 की रिपोर्ट के साथ मेल खाती है, जिसमें कहा गया है कि इजरायल गाजा के फिलिस्तीनियों के खिलाफ नरसंहार कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है, “इजरायल गाजा के फिलिस्तीनियों के खिलाफ नरसंहार कर रहा है और यह जारी है।” इस संदर्भ में ओवैसी की टिप्पणी एक बड़े अंतरराष्ट्रीय चिंता का प्रतिबिंब है।
पाकिस्तान की द्वि-मुखी भूमिका को लेकर ओवैसी का सवाल उनकी कूटनीतिक दक्षता का प्रमाण है। पाकिस्तान ईरान के साथ करीबी संबंध रखते हुए भी ट्रंप की प्रशंसा कर रहा था और बाद में हमले की निंदा कर रहा है, जिससे उनकी कूटनीतिक स्थिति जटिल हो जाती है। ओवैसी का सवाल इस जटिलता पर जोर देता है और पाकिस्तान की कूटनीतिक स्थिरता पर सवाल उठाता है।
इस घटना का एक अन्य पहलू इजरायल-ईरान संघर्ष में अमेरिका की सक्रिय भूमिका है। ट्रंप का हमला इजरायल और ईरान के बीच विवाद में अमेरिका के स्पष्ट जुड़ाव को स्थापित करता है। गाजा में नरसंहार की चिंता ओवैसी के अनुसार, एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करना चाहिए।
संक्षेप में, असदुद्दीन ओवैसी की टिप्पणी इस हमले को गाजा में नरसंहार को छिपाने की एक कोशिश के रूप में वर्णित करती है और पाकिस्तान की कूटनीतिक भूमिका पर सवाल उठाती है। उनका सवाल इस जटिल अंतरराष्ट्रीय स्थिति में एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करता है।
]]>भारत में टू-व्हीलर्स के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। अब सभी टू-व्हीलर्स, यानी मोटरसाइकिल और स्कूटर, में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) अनिवार्य होगा। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने घोषणा की है कि 1 अप्रैल 2026 से देश में बिकने वाले सभी नए टू-व्हीलर्स में ABS अनिवार्य होगा।
ABS (एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम) एक ऐसी तकनीक है जो आपात स्थिति में अचानक ब्रेक लगाने पर पहियों के लॉक होने को रोकती है। यह ब्रेक को बार-बार दबाने और छोड़ने की प्रक्रिया करता है, जिससे पहिए लॉक नहीं होते और राइडर का नियंत्रण बना रहता है। यह तकनीक खासकर गीली या फिसलन वाली सड़कों पर अधिक प्रभावी है। ज्यादातर बाइक्स में सिंगल-चैनल ABS होता है, जो केवल आगे के पहिए पर काम करता है, जबकि बड़े इंजन वाली बाइक्स में डुअल-चैनल ABS होता है, जो दोनों पहियों पर काम करता है।
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स्विस नेशनल बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2024 में भारतीयों के स्विस बैंकों में जमा राशि तीन गुना बढ़कर 3.54 बिलियन स्विस फ्रैंक (लगभग 37,600 करोड़ रुपये) पहुंच गई है। यह 2021 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। आश्चर्यजनक बात यह है कि इस राशि का केवल 10% ही ग्राहकों के सीधे जमा से आया है; बाकी का हिस्सा बैंक चैनलों और अन्य वित्तीय संस्थानों के माध्यम से प्रवाहित हुआ है। यह तथ्य कई सवाल खड़े करता है—आखिर इतनी बड़ी राशि विदेश कैसे पहुंच रही है और यह पैसा देश के विकास में क्यों नहीं लगाया जा रहा?
भारत का काला धन लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि भारतीयों ने स्विस बैंकों में 1.06 से 1.40 ट्रिलियन डॉलर की अवैध राशि जमा की है। हालांकि, स्विस प्राधिकरण और स्विस बैंकर्स एसोसिएशन ने इन आंकड़ों को गलत और मनगढ़ंत बताया है। उनका कहना है कि भारतीयों का स्विस बैंकों में कुल जमा केवल 2 बिलियन डॉलर है। इन विरोधाभासी आंकड़ों के बावजूद, 2024 में हुई यह तीन गुना वृद्धि सरकार की काले धन नियंत्रण नीतियों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाती है।
2016 में नोटबंदी के जरिए काले धन पर लगाम लगाने की कोशिश की गई थी, लेकिन इसके परिणामों को लेकर अलग-अलग राय हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि नोटबंदी ने काले धन को पूरी तरह खत्म नहीं किया; बल्कि यह विदेश भेजने का नया रास्ता खोल दिया। स्विस बैंक के आंकड़े इस धारणा का समर्थन करते प्रतीत होते हैं। इसके अलावा, भारत सरकार ने 2010 से स्विट्जरलैंड के साथ डबल टैक्सेशन से बचने के समझौते को संशोधित कर काले धन की जांच की सुविधा बढ़ाई, फिर भी इसके परिणाम उत्साहजनक नहीं रहे।
इस स्थिति में जनता में चिंता बढ़ रही है। सोशल मीडिया पर यूजर्स सरकार की चुप्पी पर सवाल उठा रहे हैं। कुछ लोग मजाक में कह रहे हैं, “15 लाख रुपये देश में आने की बजाय, स्विस बैंकों में 37,600 करोड़ रुपये चले गए!” अन्य लोग सरकार की पारदर्शिता पर चर्चा कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस धन प्रवाह को रोकने के लिए सख्त कानूनी कदम और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की ईमानदार कोशिशें जरूरी हैं।
सरकार की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है। काला धन वापसी का वादा अब अतीत की बात बनता जा रहा है, और स्विस बैंकों में पैसा जमा होने की यह वृद्धि भारत की आर्थिक नीतियों और भ्रष्टाचार नियंत्रण की प्रभावशीलता पर नए सवाल खड़े करती है। जनता अब इंतजार कर रही है कि सरकार इस चुनौती का सामना कैसे करती है।
]]>घटना की विस्तृत जानकारी
घटना के समय पुल के ऊपर काम कर रहे 6 मजदूर गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गए। सभी मजदूरों को तत्काल नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत का इलाज जारी है। इस घटना ने एक बार फिर निर्माण कार्यों की सुरक्षा मानकों पर सवाल उठाए हैं और यह एक बड़ा दुर्घटनाक्रम साबित हुआ है।
दुर्घटना का कारण क्या था?
निर्माण कार्य की जिम्मेदारी लेने वाली कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि तकनीकी खामियों के कारण यह हादसा हुआ। अधिकारी के अनुसार, पुल के निर्माण के दौरान अनुशंसित सीमा से अधिक कंपन का इस्तेमाल किया गया था, जिसके कारण संरचना कमजोर पड़ गई और पुल का एक हिस्सा गिर गया। इस मामले में कंपनी को कानूनी नोटिस भेजा गया है। कोतवाली थाना प्रभारी क्रीपाल सिंह राठौर ने कहा, “इस घटना की जांच शुरू कर दी गई है और मामले की जानकारी के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
पुणे में पुल गिरने का हादसा
इस घटना के कुछ ही दिन पहले पुणे में इंद्रायणी नदी के ऊपर एक निर्माणाधीन पुल गिर गया था, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा, केदारनाथ में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में भी लोगों की जान गई थी। इन हादसों ने देशभर में निर्माण कार्यों और सुरक्षा उपायों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
निर्माण कार्यों के दौरान सुरक्षा उपायों का पालन बेहद जरूरी है। अगर इन कामों में लापरवाही बरती जाए तो इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि निर्माण कार्यों में बेहतर तकनीकी उपकरणों और सुरक्षा जांच की आवश्यकता है। सरकारी अधिकारियों को निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और सुरक्षा पर अधिक ध्यान देना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
प्रशासनिक कार्रवाई और जांच
मध्यप्रदेश में इस पुल दुर्घटना के बाद तुरंत बचाव कार्य शुरू किया गया और घायलों को अस्पताल भेजा गया। दो मजदूरों की हालत गंभीर है और उन्हें विशेष इलाज दिया जा रहा है। मामले की जांच शुरू कर दी गई है और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इन घटनाओं के बाद अब यह सवाल उठता है कि क्या निर्माण कार्यों में गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर और कड़ी निगरानी रखी जानी चाहिए, ताकि इस तरह के हादसों से बचा जा सके।
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22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 25 पर्यटकों सहित कुल 26 लोगों की जान चली गई थी। इस घटना के बाद से इलाके में सुरक्षा की स्थिति बिगड़ गई थी, और प्रशासन ने पर्यटकों की सुरक्षा के मद्देनजर कई पर्यटन स्थलों को बंद कर दिया था। हमले के बाद पर्यटकों के बीच डर का माहौल बन गया था। कई पर्यटकों ने अपनी यात्रा रद्द कर दी थी और कुछ पर्यटक बीच रास्ते में वापस लौट आए थे। इसके कारण स्थानीय पर्यटन उद्योग पर भी नकारात्मक असर पड़ा था।
लेकिन अब धीरे-धीरे हालात सामान्य हो रहे हैं और जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने विभिन्न पर्यटन केंद्रों को खोलने का फैसला लिया है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बताया कि आगामी मंगलवार से श्रीनगर के बादामवारी पार्क, डाक पार्क, कटुआर के सारथल धाग्गर, रायसीर के देवी पिंडी, डोडा के जॉय वैली, उधमपुर के पंचेरी सहित 16 प्रमुख पर्यटन स्थलों को खोलने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा, सुरक्षा इंतजामों का आकलन करने के बाद अन्य पर्यटन स्थल भी धीरे-धीरे खोले जाएंगे।
शनिवार को उपराज्यपाल ने जम्मू और कश्मीर के विभिन्न टूर ऑपरेटरों, विधायकों और पर्यटन व्यापारियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि इस पहल से जम्मू और कश्मीर के पर्यटन उद्योग को फिर से प्रोत्साहन मिलेगा और पर्यटकों में विश्वास भी वापस आएगा।
जम्मू और कश्मीर का पर्यटन उद्योग कभी देश के सबसे महत्वपूर्ण उद्योगों में से एक था। लेकिन सुरक्षा स्थिति के बिगड़ने और आतंकी हमलों के कारण इस उद्योग को काफी नुकसान हुआ था। अब प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के बाद पर्यटन केंद्रों को फिर से खोलने का निर्णय लिया है, जिससे देश-विदेश के पर्यटकों को एक नया अवसर मिलेगा।
अभी जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि पर्यटकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी और कोई भी कठिनाई न हो, इसके लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। पर्यटन केंद्रों की सुरक्षा को और मजबूत किया जाएगा, ताकि पर्यटक आराम से अपनी यात्रा का आनंद ले सकें।
अब केवल जरूरत है समय के साथ-साथ स्थिति और सुरक्षा की समीक्षा कर पर्यटकों को फिर से आकर्षित करने की। आशा है कि जम्मू और कश्मीर के पर्यटन स्थल फिर से खुलने के बाद देशभर और विदेश से पर्यटक वहां यात्रा करने आएंगे और यह पहल सफल होगी।
]]>दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर एक महिला हाजी ने कहा, “मैं बहुत खुश हूं। सरकार की व्यवस्था बहुत अच्छी थी। हमें कोई परेशानी नहीं हुई। हर कदम पर सहयोग मिला।”
इस बार का विशेष पहलू था कि 51 महिलाएं बिना महरम (पुरुष संरक्षक) के हज यात्रा पर गई थीं। यह महिलाओं की आजादी और साहस का बड़ा उदाहरण बन गया है।
दिल्ली हज कमेटी की अध्यक्ष कौसर जहां ने कहा, “हमारी 51 बहनें बिना महरम के हज यात्रा पूरी कर आज लौट आई हैं। हम उनका स्वागत करने एयरपोर्ट पर पहुंचे हैं। यह महिला सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण है। हमारे प्रधानमंत्री का हमेशा से मिशन रहा है कि महिलाएं मजबूत बनें और सरकार उन्हें हर स्तर पर समर्थन दे रही है। इसी कारण हर साल ऐसी महिलाओं की संख्या बढ़ रही है।”
सालमा नाम की एक महिला हज यात्री ने कहा, “हज करना मेरा सपना था जो अल्लाह ने बहुत कम उम्र में पूरा किया। भारत और सऊदी सरकार की तरफ से बढ़िया व्यवस्था की गई थी। किसी भी तरह की समस्या नहीं हुई। मैं सरकार की शुक्रगुज़ार हूं।”
महिलाओं ने बताया कि इस बार की हज यात्रा न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से सफल रही, बल्कि मानसिक रूप से भी उन्हें बहुत आत्मविश्वास मिला। साफ-सफाई, चिकित्सा, भोजन और मार्गदर्शन की व्यवस्था समय पर और उपयुक्त थी।
हज से लौटी महिलाएं अब दूसरों को भी प्रेरित कर रही हैं, खासकर उन महिलाओं को जो यह सोचती थीं कि वे अकेले या बिना पुरुष साथ के इस यात्रा को नहीं कर सकतीं।
इस बार की हज यात्रा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति बनकर उभरी है—जहां महिलाएं बिना किसी बंधन के आगे बढ़ रही हैं, और सरकार उनके साथ कदम से कदम मिला रही है।
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गौरतलब है कि गुरुवार को अहमदाबाद एयरपोर्ट से टेकऑफ के कुछ ही क्षण পর AI-171 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में सवार कुल 242 लोगों में से अधिकांश की मौत हो गई है। कुछ लोग अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।
रचना बनर्जी ने कहा, “इतनी बड़ी त्रासदी शब्दों से परे है। यह भारत के इतिहास की दुर्लभ और अत्यंत दर्दनाक घटनाओं में से एक है। कोई शब्द इस दुख को बयान नहीं कर सकता। छोटी-छोटी जानें गईं, युवा छात्र, पर्यटक – सभी के सपने पल भर में खत्म हो गए। ड्रिमलाइनर में उड़ान भरना एक सपना होता है, पर वही सपना इस बार मौत बन गया।”
सांसद ने यह भी कहा, “इतने वर्षों से अनुभवी पायलट उड़ान भरते आ रहे हैं, लेकिन इस तरह की दुर्घटना से सवाल खड़े होते हैं। क्या कोई तकनीकी खराबी थी? जांच होनी ही चाहिए और सच्चाई सामने आनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी न दोहराई जाए।”
अपने करियर को लेकर उन्होंने कहा, “मैं पहले एक अभिनेत्री थी, फिर ‘दीदी नंबर वन’ बनी और फिर सांसद। ‘दीदी नंबर वन’ शो से मुझे लोगों का जो प्यार मिला, उसी ने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया।”
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस दुर्घटना पर गहरा दुख जताया है। एनआईए और अन्य एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन तब तक कई परिवारों की दुनिया उजड़ चुकी है।
]]>इस सूची में सबसे पहले हैं कांग्रेस नेता संजय गांधी, (plane-crashes) भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, और अब गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी। ये दुर्घटनाएं न केवल व्यक्तिगत क्षति हैं, बल्कि भारतीय राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव डालती हैं। हैरानी की बात यह है कि इन दुर्घटनाओं पर विशेष चर्चा नहीं हुई। इस रिपोर्ट में हम इन तीन उल्लेखनीय विमान दुर्घटनाओं का विवरण और उनके पीछे के कारणों पर चर्चा करेंगे।
23 जून 1980 को (plane-crashes) भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे और कांग्रेस नेता संजय गांधी एक विमान दुर्घटना में मारे गए। वे दिल्ली के सफदरजंग हवाई अड्डे के पास एक पिट्स एस-2ए ग्लाइडर को उड़ा रहे थे। संजय, जो एक प्रशिक्षित पायलट थे, ने विमान का नियंत्रण खो दिया, संभवतः खतरनाक युद्धाभ्यास (एक्रोबैटिक मैन्युवर) करते समय।
यह दुर्घटना भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ा झटका मानी जाती है, क्योंकि संजय को गांधी परिवार के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता था। इस घटना के पीछे प्रारंभिक कारण के रूप में पायलट की गलती और संभवतः विमान में यांत्रिक खराबी को चिह्नित किया गया। यहां यह सवाल उठाया जा सकता है कि संजय गांधी जैसे व्यक्तित्व द्वारा उड़ाए जा रहे विमान में खराबी कैसे नहीं पकड़ी गई।
8 दिसंबर 2021 को (plane-crashes) भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत तमिलनाडु के कुन्नूर में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए। वे भारतीय वायुसेना के एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर से सुलूर से कुन्नूर जा रहे थे। इस दुर्घटना में उनकी पत्नी मधुलिका रावत सहित 14 में से 13 लोग मारे गए।
जांच में पाया गया कि प्रतिकूल मौसम और संभवतः कोहरे के कारण पायलट का दृष्टिभ्रम (स्पेशियल डिसोरिएंटेशन) इस दुर्घटना का कारण हो सकता है। जनरल रावत की मृत्यु भारतीय सशस्त्र बलों के लिए एक बड़ा नुकसान थी, क्योंकि उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक और म्यांमार मिशन जैसे महत्वपूर्ण अभियानों का नेतृत्व किया था। इस दुर्घटना ने भारत के सैन्य विमानों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए।
पिछली इन दो घटनाओं को साक्षी मानते हुए आज गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी अहमदाबाद से लंदन जाने वाली एयर इंडिया की उड़ान एआई171 के दुर्घटनाग्रस्त होने से मारे गए। यह बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान टेकऑफ के कुछ मिनट बाद अहमदाबाद के मेघानी नगर क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
विमान में 242 यात्री (plane-crashes) और चालक दल के सदस्य थे, जिनमें 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और 1 कनाडाई नागरिक शामिल थे। विजय रूपाणी, जो 2016 से 2021 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे, अपनी बेटी से मिलने लंदन जा रहे थे। दुर्घटना का कारण अभी जांच के अधीन है, लेकिन प्रारंभिक रिपोर्ट में फ्लैप की खराबी या यांत्रिक समस्या की संभावना जताई जा रही है। इस दुर्घटना में केवल एक भारतीय नागरिक जीवित बचा है। गुजरात बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल ने इस घटना को पार्टी के लिए “बड़ा नुकसान” बताया।
विमान दुर्घटनाओं के पीछे मुख्य रूप से दो कारण होते हैं: शक्ति की हानि (लॉस ऑफ पावर) और उन्नति की हानि (लॉस ऑफ लिफ्ट)। (plane-crashes) शक्ति की हानि आमतौर पर इंजन की विफलता के कारण होती है, जैसे ईंधन आपूर्ति में समस्या, यांत्रिक खराबी या पक्षी टक्कर। उन्नति की हानि स्टॉल, पंखों पर बर्फ जमना, फ्लैप की गलत कॉन्फिगरेशन या विंड शीयर के कारण हो सकती है।
उदाहरण के लिए, संजय गांधी के मामले में पायलट की गलती और बिपिन रावत की दुर्घटना में मौसम और दृष्टिभ्रम संभावित कारण थे। विजय रूपाणी की दुर्घटना में यांत्रिक खराबी की संभावना सामने आई है। इसके अलावा, भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के परिप्रेक्ष्य में तोड़फोड़ की साजिश को भी नकारा नहीं जा सकता।
रोकथाम के उपाय
ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए विमानों का नियमित रखरखाव, पायलटों के लिए उन्नत प्रशिक्षण और आधुनिक सुरक्षा प्रणालियां अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। स्टॉल चेतावनी प्रणाली, विंड शीयर डिटेक्शन और मौसम पूर्वानुमान पर निर्भरता जरूरी है। अहमदाबाद दुर्घटना के बाद डीजीसीए और बोइंग ने जांच शुरू की है, और ब्लैक बॉक्स के डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है।
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संजय गांधी, (plane-crashes) बिपिन रावत और विजय रूपाणी जैसे विख्यात व्यक्तियों की विमान दुर्घटनाओं में मृत्यु भारत के लिए बड़ा नुकसान है। ये घटनाएं विमानन सुरक्षा प्रणालियों को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल देती हैं। एक पूर्व एयरलाइन कैप्टन के रूप में मैं कह सकता हूं कि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और सतर्कता के समन्वय से ऐसी दुर्घटनाओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है। शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं और आशा करता हूं कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी।
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हादसे के तुरंत बाद शहर के आकाश में काले धुएं का गुबार छा गया, जिसने पूरे क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह विमान लंदन के लिए उड़ान भर रहा था। उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद यह हादसा हुआ। यह विमान अहमदाबाद हवाई अड्डे से महज 7.6 किलोमीटर दूर मेघानीनगर के एक घनी आबादी वाले इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हुआ। विमान के गिरने के दौरान आकाश में काला धुआं दिखाई दिया, जिसने स्थानीय लोगों में दहशत पैदा कर दी।
स्थानीय लोगों ने बताया कि हादसे के बाद शुरुआत में उन्हें लगा कि यह कोई बड़ा विस्फोट या आगजनी की घटना हो सकती है। बाद में पता चला कि यह एक विमान हादसा था। स्थानीय दमकल विभाग और पुलिस ने तुरंत घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश शुरू की। बचाव कार्य अभी भी जारी है, लेकिन हादसे में मारे गए लोगों की सटीक संख्या का पता लगाना अभी संभव नहीं हो सका है। फिर भी, अनुमान लगाया जा रहा है कि मृतकों की संख्या 135 के आसपास हो सकती है।
विमान चालक कैप्टन अनिंद्य विश्वास ने टीवी9 भारतवर्ष को बताया कि उनके पास जानकारी है कि यह विमान बोइंग AI 171 था, जो अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भर रहा था। उन्होंने कहा कि हादसे का सटीक कारण अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन प्रारंभिक तौर पर माना जा रहा है कि यह इंजन में किसी खराबी के कारण हुआ हो सकता है। यदि इंजन में खराबी थी, तो संभव है कि पायलट को स्थिति को संभालने का पर्याप्त समय नहीं मिला हो। इस खराबी के कारण विमान नियंत्रण खो बैठा और दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
एयर इंडिया ने हादसे के बाद एक बयान जारी कर कहा कि वे इस दुर्घटना के सटीक कारणों का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर चुके हैं। कंपनी ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए उन्हें हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। एयर इंडिया के अधिकारियों ने कहा कि इस तरह के हादसों को रोकने के लिए वे अपनी सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करेंगे।
इस बीच, भारतीय विमानन प्राधिकरण भी सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर एक आपातकालीन बैठक आयोजित कर सकता है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। यह हादसा न केवल भारत, बल्कि अंतरराष्ट्रीय विमानन सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी चिंता का विषय बन गया है। यह कोई साधारण विमान हादसा नहीं है, बल्कि एक बड़ा हादसा है, जिसने भारत की हवाई सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोक की लहर दौड़ा दी है। विभिन्न देशों और संगठनों ने इस हादसे पर दुख जताया है और मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। विशेष रूप से, लंदन के विमानन प्राधिकरण और अंतरराष्ट्रीय विमानन कंपनियां स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही जांच के जरिए हादसे का सटीक कारण पता चल सकेगा और भविष्य में इस तरह के हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
यह हादसा न केवल भारत, बल्कि वैश्विक स्तर पर विमानन सुरक्षा को लेकर नए सिरे से विचार करने के लिए प्रेरित करेगा। यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह के हादसों की पुनरावृत्ति न हो।
]]>पूरा मामला त्रिपुरा के बामुटिया विधानसभा क्षेत्र का है। शिकायतकर्ता महिला गांधीग्राम की रहने वाली। उसका कहना है कि जून की शुरुआत में उसकी फेसबुक पर विधायक नयन सरकार से बातचीत शुरू हुई। बातचीत के दौरान फोन नंबरों का आदान-प्रदान हुआ।
इसके बाद, महिला के अनुसार, विधायक ने उसे असम के गुवाहाटी में घूमने और होटल में एकांत समय बिताने का प्रस्ताव दिया। महिला ने साफ तौर पर मना कर दिया और कहा कि वह शादीशुदा है, उसका एक बच्चा भी है।
इस इनकार के बाद, महिला का आरोप है कि विधायक ने उसे धमकियां देना शुरू कर दीं। फोन पर बार-बार दबाव डाला गया और धमकी दी गई कि पूरे परिवार को घर से निकाल दिया जाएगा। महिला ने त्रिपुरा के एयरपोर्ट थाने में शिकायत दर्ज कराई है।
वहीं दूसरी ओर, विधायक नयन सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा, “मुझे बदनाम करने की साजिश की जा रही है। यह पूरी तरह से झूठा और बेबुनियाद आरोप है।” उन्होंने पश्चिम अगरतला थाने में पलटकर शिकायत दर्ज कराई है।
गौरतलब है कि बामुटिया विधानसभा क्षेत्र पश्चिम अगरतला लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है। 2023 के चुनाव में नयन सरकार ने इस सीट को बीजेपी से छीनकर सीपीआई(एम) के खाते में डाला था। अब उन्हीं के खिलाफ इस तरह के संगीन आरोप सामने आना, राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा कर रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक मंशा भी हो सकती है। पुलिस ने कहा है कि जांच निष्पक्ष होगी और साक्ष्यों के आधार पर ही कार्रवाई की जाएगी।
अब देखना यह है कि जांच में कौन सी सच्चाई सामने आती है – क्या यह वास्तव में एक महिला के सम्मान से जुड़ा मामला है, या फिर एक विधायक को बदनाम करने की राजनीतिक चाल?
]]>Read Bengali: মুম্বই লোকালে অতিরিক্ত ভিড়ের চাপ, ট্রেন থেকে পড়ে মৃত ৫
हादसे का विवरण
9 जून 2025 की सुबह, मुम्ब्रा रेलवे स्टेशन के पास एक लोकल ट्रेन में अत्यधिक भीड़ के कारण यह दुखद हादसा हुआ। सेंट्रल रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि ट्रेन CSMT की ओर जा रही थी, जब भारी भीड़ के कारण कुछ यात्री दरवाजे के पास खड़े थे। इसी दौरान उनका संतुलन बिगड़ा और वे ट्रेन से गिर गए। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, इस हादसे में पांच यात्रियों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हुए। घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।
हादसे की खबर फैलते ही रेलवे पुलिस और रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) मौके पर पहुंची और बचाव कार्य शुरू किया गया। सेंट्रल रेलवे ने बयान जारी कर कहा कि हादसे की जांच शुरू कर दी गई है और भीड़भाड़ को इसकी मुख्य वजह माना जा रहा है। स्थानीय लोगों और यात्रियों ने इस हादसे पर गहरा दुख जताया है और रेलवे प्रशासन से सुरक्षा उपायों को मजबूत करने की मांग की है।
मुंबई की लोकल ट्रेनों में भीड़ और सुरक्षा की चुनौतियां
मुंबई की उपनगरीय रेल प्रणाली, जिसे शहर की “जीवनरेखा” कहा जाता है, प्रतिदिन लाखों यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाती है। हालांकि, अत्यधिक भीड़ और अपर्याप्त बुनियादी ढांचा इस प्रणाली की सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट को हाल ही में दी गई एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में मुंबई की उपनगरीय ट्रेनों में 51,000 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें से अधिकांश मौतें ट्रैक पार करने, चलती ट्रेन से गिरने, और भीड़भाड़ के कारण हुई हैं।
2023 में मुंबई की उपनगरीय रेलवे में 2,590 मौतें दर्ज की गईं, जिसमें 1,277 लोग ट्रैक पार करते समय मारे गए और 590 लोग चलती ट्रेन से गिरने के कारण जान गंवा बैठे। इस तरह के हादसे मुंबई में आए दिन होते रहते हैं, जिसके लिए रेलवे की भीड़ प्रबंधन प्रणाली और सुरक्षा उपायों पर सवाल उठते हैं।
हादसे के कारण और जांच
मुम्ब्रा हादसे की प्रारंभिक जांच में अत्यधिक भीड़ को मुख्य कारण बताया गया है। सेंट्रल रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि सुबह के व्यस्त समय में ट्रेनों में यात्रियों की संख्या उनकी क्षमता से कहीं अधिक होती है। एक ट्रेन कोच, जिसकी क्षमता 100 यात्रियों की है, में पीक आवर्स के दौरान 450 तक यात्री सवार होते हैं। इस भीड़भाड़ के कारण यात्री अक्सर दरवाजे के पास लटकते हैं, जिससे हादसों का खतरा बढ़ जाता है।
इसके अलावा, रेलवे ट्रैकों के पास बस्तियों का होना और कचरा जमा होने से भी समस्याएं बढ़ती हैं। बारिश के मौसम में जलभराव के कारण ट्रेनों का संचालन और प्रभावित होता है, जिससे यात्रियों को अतिरिक्त जोखिम का सामना करना पड़ता है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
इस हादसे के बाद राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने रेलवे प्रशासन पर निशाना साधा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में एक अन्य ट्रेन हादसे के संदर्भ में केंद्र सरकार की लापरवाही पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था, “रेलवे में बार-बार होने वाले हादसों को कब तक बर्दाश्त किया जाएगा? क्या सरकार इसकी गंभीरता को समझेगी?”
स्थानीय कार्यकर्ता और रेल यात्री संगठनों ने मांग की है कि रेलवे को बंद दरवाजों वाली ट्रेनें शुरू करनी चाहिए और प्लेटफॉर्म व ट्रैकों के बीच दीवारें और बाड़ बनाने चाहिए। इसके अलावा, ट्रेनों की संख्या बढ़ाने और भीड़ प्रबंधन के लिए तकनीकी उपायों को लागू करने की भी मांग उठ रही है।
रेलवे की प्रतिक्रिया और बचाव कार्य
सेंट्रल रेलवे ने हादसे के बाद तुरंत बचाव कार्य शुरू किए और घायलों को अस्पताल पहुंचाया। रेलवे ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं ताकि प्रभावित यात्रियों के परिवारजन जानकारी प्राप्त कर सकें। इसके अलावा, मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे की घोषणा की गई है। रेलवे ने कहा कि इस हादसे की गहन जांच की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
मुंबई की रेल प्रणाली में सुधार की जरूरत
मुंबई की उपनगरीय रेल प्रणाली में सुधार के लिए सरकार ने हाल के वर्षों में $30 बिलियन के आधुनिकीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है। इसके बावजूद, बार-बार होने वाले हादसे इस बात का संकेत हैं कि अभी और काम करने की जरूरत है। 2023 में ओडिशा में हुए तिहरे ट्रेन हादसे, जिसमें लगभग 300 लोग मारे गए थे, ने रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए थे।
विशेषज्ञों का मानना है कि रेलवे को न केवल बुनियादी ढांचे में सुधार करना चाहिए, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए तकनीकी नवाचारों को भी अपनाना चाहिए। इसमें स्वचालित दरवाजे, उन्नत सिग्नलिंग सिस्टम, और भीड़ प्रबंधन के लिए डिजिटल समाधान शामिल हैं।
मुम्ब्रा रेलवे स्टेशन के पास हुआ यह हादसा मुंबई की रेल प्रणाली में मौजूद खामियों को फिर से उजागर करता है। अत्यधिक भीड़, अपर्याप्त बुनियादी ढांचा, और सुरक्षा उपायों की कमी इस तरह के हादसों के लिए जिम्मेदार हैं। इस दुखद घटना ने पांच परिवारों को असहनीय नुकसान पहुंचाया है और समाज से यह सवाल पूछा है कि आखिर कब तक ऐसी त्रासदियां सहन की जाएंगी। रेलवे प्रशासन और सरकार को तत्काल कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। उपभोक्ताओं को भी सलाह दी जाती है कि वे यात्रा के दौरान सावधानी बरतें और भीड़भाड़ वाली ट्रेनों में दरवाजे के पास खड़े होने से बचें।
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