Top Story – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Sun, 07 Sep 2025 17:16:52 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png Top Story – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 Himachal Pradesh में भारी बारिश और भूस्खलन: 285 सड़कें बंद, आईएमडी ने जारी किया ऑरेंज अलर्ट https://ekolkata24.com/top-story/heavy-rainfall-triggers-landslides-in-himachal-pradesh-285-roads-closed-imd-forecasts-more-rain Mon, 30 Jun 2025 17:44:10 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52109 हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में लगातार भारी बारिश और फ्लैश फ्लड के कारण हुए भूस्खलनों ने राज्य की 285 सड़कों को अवरुद्ध कर दिया है। इस स्थिति को देखते हुए, राज्य के राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने सोमवार को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक विशेष समीक्षा बैठक की। इस बैठक में सड़क अवरोधों, बिजली और जल आपूर्ति में व्यवधान की स्थिति का जायजा लिया गया। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कांगड़ा, मंडी, सिरमौर और शिमला जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जिसमें अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना जताई गई है। इस लेख में हम हिमाचल प्रदेश के मौजूदा मौसम संकट और इसके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

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**भूस्खलन और सड़क अवरोध
मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि रविवार शाम तक राज्य में 285 सड़कें भूस्खलन और मिट्टी के कटाव के कारण बंद हो गई हैं। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य सोमवार शाम तक कम से कम 234 सड़कों को फिर से खोलना है।” हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य की सभी राष्ट्रीय राजमार्गें अभी भी कार्यरत हैं। फिर भी, 968 बिजली ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त होने के कारण कई क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति बाधित हुई है। सिरमौर (57 सड़कें) और मंडी (44 सड़कें) जिलों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। शिमला-कालका राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-5) पर कोटी के पास एक भूस्खलन के कारण दो से तीन किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम हो गया। शिमला-कालका रेल लाइन भी भारी बारिश के कारण प्रभावित हुई, हालांकि सुबह 9 बजे तक मलबा हटाकर रेल सेवा बहाल कर दी गई।

**आईएमडी का पूर्वानुमान और चेतावनी
आईएमडी के शिमला केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक संदीप कुमार शर्मा ने बताया कि पिछले 24 घंटों में हिमाचल प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में मध्यम बारिश दर्ज की गई है। हालांकि, मंडी, कांगड़ा, बिलासपुर, सोलन, शिमला, हमीरपुर और चंबा जिलों के कुछ अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश हुई। सबसे अधिक बारिश मंडी के पंडोह में (130 मिमी), इसके बाद मंडी शहर में (120 मिमी), शिमला के सुन्नी में (113 मिमी) और पालमपुर में (80 मिमी) दर्ज की गई। शर्मा ने आगे बताया कि जून में राज्य में सामान्य से 34 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। हालांकि, किन्नौर और लाहौल-स्पीति के उच्च ऊंचाई वाले जिलों में क्रमशः 20 प्रतिशत और 50 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है।

आईएमडी ने कांगड़ा, मंडी, सिरमौर और शिमला जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जहां भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना है। इसके अलावा, बिलासपुर, हमीरपुर, कुल्लू, चंबा, सोलन और ऊना जिलों में मध्यम से उच्च फ्लैश फ्लड का जोखिम है। मौसम विभाग ने 5 जुलाई तक राज्य में नम मौसम की भविष्यवाणी की है और निवासियों व पर्यटकों को नदियों, नालों और भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों से दूर रहने की सलाह दी है।

**प्रशासन की प्रतिक्रिया
राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु ने कांगड़ा, मंडी, सिरमौर और सोलन जिलों के डिप्टी कमिश्नरों को निर्देश दिया है कि सोमवार (30 जून) को सभी स्कूल बंद रखे जाएं। मंडी जिले के डिप्टी कमिश्नर अपूर्व देवगन ने आईआईटी मंडी, लाल बहादुर शास्त्री गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज और अन्य चिकित्सा संस्थानों को छोड़कर सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए छुट्टी घोषित की है। शिमला के भट्टाकुफर क्षेत्र में एक पांच मंजिला इमारत ढह गई, लेकिन पूर्व सतर्कता के कारण इमारत को पहले ही खाली कर लिया गया था। शिमला के रामपुर पंचायत में क्लाउडबर्स्ट के कारण कुछ घर और गौशालाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं।

**प्रभाव और नुकसान
पिछले 24 घंटों में बारिश से संबंधित घटनाओं में तीन लोगों की मौत हुई है, जिसमें ऊना और बिलासपुर में दो लोग डूब गए और शिमला में एक व्यक्ति ऊंचाई से गिरकर मर गया। 20 जून से मानसून शुरू होने के बाद से कुल 20 लोगों की मौत हो चुकी है। ब्यास नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण मंडी जिले के पंडोह बांध के फ्लडगेट खोले गए हैं। राज्य को कुल 75.4 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण जनजीवन व्यापक रूप से प्रभावित हुआ है। आईएमडी का ऑरेंज अलर्ट और प्रशासन की तत्परता के बावजूद, स्थिति अभी भी चिंताजनक है। निवासियों और पर्यटकों को सतर्कता बरतने और मौसम संबंधी सलाह का पालन करने की सलाह दी गई है।[

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Ghatal Master Plan: घाटाल मास्टर प्लान के लिए केंद्र ने नहीं दी फंडिंग: मानस भुइयां https://ekolkata24.com/top-story/mamata-banerjee-pushes-ghatal-master-plan-forward-despite-central-governments-refusal-to-fund Sat, 28 Jun 2025 05:26:10 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52090 पश्चिम मेदिनीपुर के घाटाल उपखंड में हर साल बरसात के मौसम में बाढ़ का कहर देखने को मिलता है, जिससे खेती योग्य जमीन, घर, और सड़कों को भारी नुकसान होता है। इस समस्या के समाधान के लिए दशकों से घाटाल मास्टर प्लान (Ghatal Master Plan) की मांग उठ रही है। हालांकि, केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए कोई वित्तीय सहायता नहीं दी है, जिसका आरोप पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार ने लगाया है। राज्य के सिंचाई और जलमार्ग मंत्री मानस रंजन भुइयां ने हाल ही में कहा कि केंद्र सरकार बंगाल के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया अपना रही है और घाटाल मास्टर प्लान के लिए कोई धनराशि आवंटित नहीं कर रही है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के बजट में इस परियोजना के लिए 1,500 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें से 500 करोड़ रुपये सिंचाई विभाग को प्रारंभिक कार्य शुरू करने के लिए दिए गए हैं। इस राशि से सुइलिस गेट के निर्माण का काम शुरू हो चुका है।

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मानस भुइयां ने कहा, “केंद्र सरकार बंगाल विरोधी है। हमने बार-बार घाटाल मास्टर प्लान के लिए केंद्र से मदद मांगी, लेकिन कोई सहायता नहीं मिली।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के एक अधिकारी ने स्पष्ट कर दिया है कि इस परियोजना के लिए कोई धनराशि नहीं दी जाएगी। फिर भी, ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य सरकार इस परियोजना को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। 2025-26 वित्तीय वर्ष के बजट में घाटाल मास्टर प्लान के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, और अगले दो वर्षों में इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

घाटाल मास्टर प्लान के तहत शिलाबती, रूपनारायण, और कंसाबती सहित दस प्रमुख नदियों की खुदाई और तटबंधों को मजबूत करने का काम किया जाएगा। इसके अलावा, पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर के कुछ नहरों का विकास भी इस परियोजना का हिस्सा है। यह परियोजना 657 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले लगभग 10 लाख लोगों को बाढ़ से सुरक्षा प्रदान करेगी। राज्य सरकार ने 2018 से 2021 तक 341.49 करोड़ रुपये खर्च कर सात नदियों के 115.80 किलोमीटर हिस्से की खुदाई पूरी की है। चंद्रेश्वर खाल की खुदाई लगभग पूरी हो चुकी है, और पांच सुइलिस गेटों का निर्माण 60-70% पूरा हो गया है।

मानस भुइयां ने बीजेपी नेताओं की आलोचना करते हुए कहा, “बीजेपी नेता दावा करते हैं कि राज्य सरकार घाटाल मास्टर प्लान को लागू नहीं करना चाहती। लेकिन सच्चाई यह है कि केंद्र सरकार ही धनराशि नहीं दे रही है।” उन्होंने घाटाल के लोगों से अपील की, “आप लोग न्याय करें, कौन आपके साथ खड़ा है। ममता बनर्जी ने राज्य के खजाने से धनराशि आवंटित कर काम शुरू कर दिया है।” यह परियोजना मार्च 2027 तक पूरी होने की उम्मीद है, जो घाटाल की बाढ़ समस्या के समाधान में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

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स्कूल पुस्तकालयों में मुख्यमंत्री की लिखी किताबें अनिवार्य, प्रत्येक स्कूल को 1 लाख रुपये का अनुदान https://ekolkata24.com/top-story/mamata-banerjee-books-made-compulsory-in-west-bengal-school-libraries-with-%e2%82%b91-lakh-funding Mon, 23 Jun 2025 15:00:32 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52079 पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के स्कूलों में पुस्तकालय व्यवस्था को और सशक्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब से राज्य के प्रत्येक स्कूल के पुस्तकालय में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) द्वारा लिखी गई किताबें रखना अनिवार्य कर दिया गया है। इस पहल को लागू करने के लिए राज्य सरकार प्रत्येक स्कूल को पुस्तकालय अनुदान के रूप में 1 लाख रुपये प्रदान कर रही है। इस राशि का उपयोग स्कूलों को निर्धारित किताबों के सेट खरीदने के लिए करना होगा, जिनमें मुख्यमंत्री की लिखी किताबें शामिल हैं।

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राज्य शिक्षा विभाग के दिशानिर्देशों के अनुसार, पुस्तकालयों के लिए किताबें खरीदने की सूची तैयार की गई है। इस सूची में पांच अलग-अलग सेट शामिल हैं, जिनमें ममता बनर्जी की लिखी 18 से 19 किताबें शामिल हैं। इन किताबों में प्रमुख हैं—दुआरे सरकार, शिशु मन, कलम, हमारा संविधान और कुछ बातें, कोलकाता का दुर्गा उत्सव, जागरण का बंगाल, और आमी। ये किताबें मुख्यमंत्री के राजनीतिक दर्शन, सामाजिक दृष्टिकोण, शिक्षा और संस्कृति से संबंधित विचारों राज्य के विभिन्न विकासात्मक योजनाओं का विवरण प्रस्तुत करती हैं।

राज्य सरकार का इस पहल का मुख्य उद्देश्य छात्रों में पठन संस्कृति को बढ़ावा देना और उन्हें राज्य की शासन व्यवस्था, संस्कृति और सरकारी योजनाओं के बारे में गहरी जानकारी प्रदान करना है। हालांकि, इस निर्णय को लेकर शिक्षकों, अभिभावकों और शिक्षाविदों के बीच मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोगों ने इस पहल का स्वागत किया है, उनका मानना है कि इससे छात्रों को राज्य के नेतृत्व के दृष्टिकोण और सरकारी योजनाओं की जानकारी मिलेगी। उदाहरण के लिए, दुआरे सरकार किताब में राज्य की जनकल्याणकारी योजनाओं का विस्तृत विवरण है, जो छात्रों के लिए शिक्षाप्रद हो सकता है।

दूसरी ओर, कुछ शिक्षाविदों और आलोचकों ने इस निर्णय की आलोचना की है। उनका कहना है कि पुस्तकालय में किताबों के चयन में और विविधता होनी चाहिए थी। केवल एक व्यक्ति की लिखी किताबों पर इतना जोर देना छात्रों के ज्ञान के दायरे को सीमित कर सकता है। उन्होंने सवाल उठाया है कि विश्व साहित्य, विज्ञान, इतिहास या अन्य विषयों की किताबों के बजाय मुख्यमंत्री की किताबों पर इतना ध्यान देना कितना उचित है।

राज्य के दिशानिर्देशों में यह भी उल्लेख किया गया है कि किताबें किन प्रकाशन संस्थानों से खरीदनी होंगी, यह भी निर्दिष्ट कर दिया गया है। इन प्रकाशकों में कुछ प्रसिद्ध संस्थान शामिल हैं, जो मुख्यमंत्री की किताबें प्रकाशित करते हैं। सरकार का दावा है कि इस नियम से खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहेगी। हालांकि, कुछ शिक्षक और स्कूल प्रबंधन का मानना है कि विशिष्ट प्रकाशकों से किताबें खरीदने की बाध्यता स्कूलों की स्वतंत्रता को कुछ हद तक सीमित करती है।

अनुदान राशि के उपयोग के लिए भी विस्तृत दिशानिर्देश दिए गए हैं। प्रत्येक स्कूल को 1 लाख रुपये में किताबें खरीदनी होंगी और शेष राशि का उपयोग पुस्तकालय की अन्य जरूरतों, जैसे—शेल्फ, अलमारी या पढ़ने की मेज खरीदने के लिए किया जा सकता है। इस राशि का हिसाब रखना होगा और इसे शिक्षा विभाग में जमा करना होगा।
इस पहल के माध्यम से राज्य सरकार छात्रों में पठन संस्कृति को बढ़ावा देना चाहती है। हालांकि, यह पहल कितनी सफल होगी और इसका छात्रों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह समय ही बताएगा।

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हमले के बाद ट्रंप को नोबेल पुरस्कार? पाकिस्तान को सवाल असदुद्दीन का https://ekolkata24.com/top-story/asaduddin-owaisi-questions-pakistan-on-trumps-nobel-nod-amid-iran-nuclear-attacks Mon, 23 Jun 2025 07:40:35 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52059 ईरान की तीन परमाणु सुविधाओं पर अमेरिका के हमले के बाद एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की तीखी प्रतिक्रिया। उन्होंने पाकिस्तान से सवाल किया है कि क्या इस हमले के लिए ही ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देना चाहिए? ओवैसी ने इस हमले को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा गाजा में हो रहे नरसंहार को छिपाने की एक कोशिश के रूप में वर्णित किया है।

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ओवैसी के अनुसार, “इस हमले ने नेतन्याहू की मदद की है, जो फिलिस्तीनियों के कसाई हैं। गाजा में जो नरसंहार हो रहा है, उसे छिपाने के लिए इस हमले का इस्तेमाल किया गया है। गाजा में 55,000 फिलिस्तीनी मारे गए हैं, और अमेरिका इससे चिंतित नहीं है।” उन्होंने आगे कहा, “हम पाकिस्तानियों से पूछना चाहिए कि क्या इसी के लिए वे ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देना चाहते थे?”

पाकिस्तान और ईरान के करीबी संबंधों को ध्यान में रखते हुए यह सवाल खास तौर पर महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान ने हाल ही में ट्रंप की “व्यावहारिक कूटनीति” और भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में उनकी भूमिका के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के लिए उन्हें नामांकित किया था। हालांकि, ईरान पर अमेरिका के हमले के बाद पाकिस्तान ने इस हमले की तीखी निंदा की और कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।

इस घटना के पृष्ठभूमि में, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि उनके प्रशासन ने ईरान के फोर्डो, नतान्ज और इस्फाहान की तीन परमाणु सुविधाओं पर प्रहार किया है। ट्रंप का दावा है, “हमने उनके हाथ से बम छीन लिया है।” लेकिन ईरान के विदेश मंत्री ने इस हमले को “अनुचित” और “अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन” के रूप में वर्णित किया है।

गाजा में हो रहे नरसंहार की चिंता को लेकर ओवैसी की टिप्पणी एमनेस्टी इंटरनेशनल की 2024 की रिपोर्ट के साथ मेल खाती है, जिसमें कहा गया है कि इजरायल गाजा के फिलिस्तीनियों के खिलाफ नरसंहार कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है, “इजरायल गाजा के फिलिस्तीनियों के खिलाफ नरसंहार कर रहा है और यह जारी है।” इस संदर्भ में ओवैसी की टिप्पणी एक बड़े अंतरराष्ट्रीय चिंता का प्रतिबिंब है।

पाकिस्तान की द्वि-मुखी भूमिका को लेकर ओवैसी का सवाल उनकी कूटनीतिक दक्षता का प्रमाण है। पाकिस्तान ईरान के साथ करीबी संबंध रखते हुए भी ट्रंप की प्रशंसा कर रहा था और बाद में हमले की निंदा कर रहा है, जिससे उनकी कूटनीतिक स्थिति जटिल हो जाती है। ओवैसी का सवाल इस जटिलता पर जोर देता है और पाकिस्तान की कूटनीतिक स्थिरता पर सवाल उठाता है।

इस घटना का एक अन्य पहलू इजरायल-ईरान संघर्ष में अमेरिका की सक्रिय भूमिका है। ट्रंप का हमला इजरायल और ईरान के बीच विवाद में अमेरिका के स्पष्ट जुड़ाव को स्थापित करता है। गाजा में नरसंहार की चिंता ओवैसी के अनुसार, एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करना चाहिए।

संक्षेप में, असदुद्दीन ओवैसी की टिप्पणी इस हमले को गाजा में नरसंहार को छिपाने की एक कोशिश के रूप में वर्णित करती है और पाकिस्तान की कूटनीतिक भूमिका पर सवाल उठाती है। उनका सवाल इस जटिल अंतरराष्ट्रीय स्थिति में एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करता है।

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Kaliganj Bye-Election Results: आठवें राउंड के बाद तृणमूल की बढ़ी बढ़त, उपचुनाव परिणाम की दिशा क्या होगी? https://ekolkata24.com/top-story/kaliganj-by-election-2025-trinamool-congress-surges-ahead-after-eighth-round-set-for-victory Mon, 23 Jun 2025 06:00:37 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52039 पश्चिम बंगाल में चल रहे उपचुनाव (Kaliganj Bye-Election) में एक बार फिर तृणमूल कांग्रेस ने अपनी स्थिति मजबूत दिखाई है। खासतौर पर कालिगंज उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया है। आठवें राउंड के वोटों की गिनती के बाद, तृणमूल कांग्रेस को 39,838 वोट प्राप्त हुए हैं, जो कि कांग्रेस और बीजेपी के मुकाबले काफी अधिक हैं। इस आंकड़े से साफ है कि तृणमूल कांग्रेस इस उपचुनाव में विजय की ओर बढ़ रही है।

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कांग्रेस के उम्मीदवार को 14,883 वोट प्राप्त हुए हैं, जबकि बीजेपी के उम्मीदवार को 13,020 वोट मिले हैं। इस तरह से, तृणमूल की बढ़त दोनों ही प्रमुख विपक्षी दलों के मुकाबले काफी मजबूत दिखाई दे रही है। यह परिणाम यह भी साबित करता है कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का प्रभाव बरकरार है, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां पार्टी का आधार बहुत मजबूत है।

यह नतीजा केवल तृणमूल के लिए खुशी का कारण नहीं है, बल्कि बीजेपी और कांग्रेस के लिए भी एक चेतावनी है। बीजेपी, जिनके पास केंद्रीय नेताओं का समर्थन था और जिन्होंने बड़े पैमाने पर प्रचार किया, वे तृणमूल से पीछे रह गए हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि बीजेपी का बंगाल में प्रभाव अब पहले जैसा नहीं रहा है। तृणमूल कांग्रेस के साथ-साथ कांग्रेस की स्थिति भी कमजोर होती दिख रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस उपचुनाव में तृणमूल की सफलता केवल कालिगंज तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह आगामी विधानसभा चुनावों के संदर्भ में भी एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है। तृणमूल का यह प्रदर्शन राज्य के आगामी चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती पेश कर सकता है।

कालिगंज का यह उपचुनाव पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। यदि तृणमूल कांग्रेस इस तरह की सफलता को जारी रखती है, तो आगामी चुनावों में उनकी जीत निश्चित लगती है। वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में तृणमूल के लिए यह एक उत्साहजनक स्थिति है, जबकि बीजेपी और कांग्रेस को अब भविष्य में अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता हो सकती है।

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मध्य पूर्व में महायुद्ध: कोलकाता के ISKCON नेता राधारामण दास मोल्ला-मार्क्सवादी-मिशनरी के निशाने पर https://ekolkata24.com/top-story/radharaman-das-links-ramayana-to-modern-warfare-targets-critics-in-iskcon-row Mon, 23 Jun 2025 05:09:00 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52032 मध्य पूर्व के उथल-पुथल भरे माहौल में कोलकाता के ISKCON (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस) के सह-अध्यक्ष और प्रवक्ता राधारामण दास का नाम एक बार फिर से हालिया घटनाक्रम में उभर कर सामने आया है। बांग्लादेश में इस्कॉन के संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के संदर्भ में उन्होंने तीव्र आपत्ति जताई थी, और इसके बाद ईरान-इजरायल युद्ध के परिप्रेक्ष्य में उनकी सोशल मीडिया पोस्ट्स फिर से चर्चा का विषय बनी हैं। उनकी पोस्ट्स में रामायण और महाभारत का उल्लेख है, जहां वे प्राचीन भारतीय ग्रंथों को आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जोड़ते हैं। ये पोस्ट्स मोल्ला-मार्क्सवादी-मिशनरी गठबंधन के निशाने पर आ गई हैं, जो लंबे समय से भारतीय संस्कृति और धार्मिक मूल्यों को हेय समझने का प्रयास कर रहे हैं।

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बांग्लादेश में इस्कॉन संन्यासी की गिरफ्तारी और राधारामण दास की प्रतिक्रिया
बांग्लादेश में इस्कॉन के संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी इस्कॉन कोलकाता शाखा के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गई है। चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के संदर्भ में राधारामण दास ने तीव्र विरोध दर्ज कराया। उन्होंने इस घटना को बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय पर जारी हमलों का एक हिस्सा माना। इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता के रूप में उन्होंने केंद्रीय सरकार से संपर्क किया, ताकि बांग्लादेश में इस्कॉन के सदस्यों और अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

दिघा के जगन्नाथ मंदिर के उद्घाटन और मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात
राधारामण दास हाल ही में दिघा के जगन्नाथ मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे, जो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रयास से बनाया गया था। इस समारोह में वे मुख्यमंत्री से भी मिले। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने मध्य पूर्व के युद्ध परिस्थिति और बांग्लादेश में इस्कॉन संन्यासी की गिरफ्तारी के मुद्दे पर चर्चा की। यह मुलाकात मीडिया में व्यापक रूप से चर्चित हुई, क्योंकि यह राधारामण दास के धार्मिक और राजनीतिक दायित्वों के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध स्थापित करती है।

ईरान-इजरायल युद्ध और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
मध्य पूर्व में ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध के परिप्रेक्ष्य में राधारामण दास सोशल मीडिया पर सक्रिय रहे हैं। उनकी पोस्ट्स में रामायण और महाभारत का उल्लेख है, जहां वे प्राचीन भारतीय ग्रंथों को आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जोड़ते हैं। उन्होंने दावा किया कि रामायण में वर्णित ब्रह्मास्त्र और महाभारत में वर्णित अग्नेयास्त्र आज के गाइडेड मिसाइल और इंटरसेप्टर से मिलते-जुलते हैं। यह दावा मोल्ला-मार्क्सवादी-मिशनरी गठबंधन के निशाने पर आ गया है, जो ऐसे बयानों को हेय समझने का प्रयास कर रहे हैं।

मोल्ला-मार्क्सवादी-मिशनरी की आलोचना
राधारामण दास की पोस्ट्स मोल्ला-मार्क्सवादी-मिशनरी गठबंधन की तीव्र आलोचना के शिकार हो गई हैं। इस गठबंधन के अनुयायी लंबे समय से भारतीय संस्कृति और धार्मिक मूल्यों को हेय समझने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने राधारामण दास के बयानों को अवैज्ञानिक और कल्पना पर आधारित बताया है। हालांकि, राधारामण दास का दावा है कि प्राचीन भारतीय ग्रंथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के एक उन्नत मंच थे, जिसे आज के वैज्ञानिक भी मान्यता दे रहे हैं।

रामायण-महाभारत का संदर्भ
राधारामण दास की पोस्ट्स में रामायण और महाभारत में वर्णित दिव्यास्त्रों का उल्लेख है। उन्होंने कहा कि रामायण में वर्णित ब्रह्मास्त्र और महाभारत में वर्णित अग्नेयास्त्र आज के परमाणु और प्रिसिजन-गाइडेड मिसाइल से मिलते-जुलते हैं। यह दावा विभिन्न वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि प्राचीन भारतीय ग्रंथों में वर्णित प्रौद्योगिकी और विज्ञान आज के विज्ञान से मेल खाते हैं।

हालिया घटनाक्रम का प्रभाव
राधारामण दास की पोस्ट्स ने हालिया घटनाक्रम पर गहरा प्रभाव डाला है। उन्होंने मध्य पूर्व के युद्ध परिस्थिति और बांग्लादेश में इस्कॉन संन्यासी की गिरफ्तारी के बीच एक संबंध स्थापित किया है, और भारतीय संस्कृति और धार्मिक मूल्यों के प्रति जागरूकता का आह्वान किया है। उनकी बातें मोल्ला-मार्क्सवादी-मिशनरी गठबंधन की आलोचना के शिकार हुईं, लेकिन इसे भारतीय संस्कृति के पुनरुद्धार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना गया है।राधारामण दास की सोशल मीडिया पोस्ट्स ने मध्य पूर्व के युद्ध परिस्थिति, बांग्लादेश में इस्कॉन संन्यासी की गिरफ्तारी और भारतीय संस्कृति के पुनरुद्धार के बीच एक संबंध स्थापित किया है। उनकी बातें मोल्ला-मार्क्सवादी-मिशनरी गठबंधन की आलोचना के शिकार हुईं, लेकिन इसे भारतीय संस्कृति के प्रति जागरूकता का एक महत्वपूर्ण आह्वान माना गया है। रामायण और महाभारत के संदर्भ में उनका दावा आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जोड़ता है, जो भारतीय संस्कृति के गौरव को पुनरुद्धार करने में मदद कर सकता है।

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जलमग्न घाटाल में बढ़ रहा पारा, मास्टर प्लान पर क्या कह रही है राज्य सरकार? https://ekolkata24.com/top-story/ghatal-master-plan-state-pushes-flood-relief-as-centre-delays-funds Sun, 22 Jun 2025 19:24:46 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52022 मानसून की शुरुआत के साथ ही पश्चिम मेदिनीपुर का घाटाल क्षेत्र फिर से जलमग्न हो गया है। चारों ओर पानी ही पानी, ग्रामीणों का जीवन असहायता में डूबा हुआ है। इस स्थिति को बदलने के लिए राज्य सरकार लंबे समय से घाटाल मास्टर प्लान (Ghatal Master Plan) पर काम कर रही है, लेकिन इसके कार्यान्वयन को लेकर तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच तीखी नोकझोंक चल रही है। गत लोकसभा चुनाव में तृणमूल नेताओं के वादों को उठाते हुए BJP ने कटाक्ष किया है, वहीं तृणमूल केंद्र सरकार की लापरवाही का तर्क दे रही है। इस राजनीतिक तनाव के बीच राज्य सरकार के सिंचाई और जलमार्ग विभाग ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की है।

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घाटाल का जलवायु संकट: एक परिचित दृश्य
हर मानसून में घाटाल के लोग बाढ़ की विभीषिका का सामना करते हैं। शिलाबती, कांसी, तमाल नदियों का पानी चारों ओर फैलकर क्षेत्र को जलमग्न कर देता है। इस क्षेत्र का भौगोलिक ढांचा और निम्नभूमि बाढ़ को हर साल एक सामान्य घटना बनाती है। 2013 के ‘फेलिन’ चक्रवात के बाद इस क्षेत्र में बड़ी जलजमाव की समस्या देखी गई थी, जिसने स्थानीय जीवन को प्रभावित किया था। इस समस्या से निपटने के लिए 1959 में पहली बार घाटाल मास्टर प्लान की बात उठी थी, लेकिन इसके कार्यान्वयन में देरी हुई है।

मास्टर प्लान का पृष्ठभूमि
राज्य सरकार के सिंचाई और जलमार्ग विभाग की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, घाटाल मास्टर प्लान पश्चिम और पूर्व मेदिनीपुर के 657 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को बाढ़ से बचाने के लिए तैयार किया गया है। यह योजना पश्चिम मेदिनीपुर के 8 ब्लॉक और 2 नगर पालिकाओं को कवर करती है। 2014 में भारत सरकार के जलशक्ति मंत्रालय के तहत गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग (GFCC) को 1212 करोड़ रुपये के विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (DPR) सौंपा गया था। 2022 में केंद्र सरकार ने 1238.95 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी, लेकिन वित्तीय सहायता में देरी हुई।

केंद्र की लापरवाही और राज्य का कदम
तृणमूल सरकार का दावा है कि पिछले 11 वर्षों में केंद्र सरकार ने एक पैसा भी सहायता नहीं दी। इसलिए, राज्य ने अपने बजट से 2018-2021 के बीच 115.80 किलोमीटर नदी पुनर्वास कार्य पूरा किया, जिसकी लागत 341.49 करोड़ रुपये थी। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वर्तमान में परियोजना के शेष हिस्सों के लिए 1500 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। 2025-2026 वित्तीय वर्ष के लिए 500 करोड़ रुपये दिए गए हैं, और फरवरी 2025 से 5 स्लूस निर्माण कार्य शुरू हो चुके हैं, जिनकी प्रगति 60-70% है। चंद्रेश्वर खाल का उत्खनन कार्य लगभग पूरा हो चुका है।

राजनीतिक टकराव
BJP तृणमूल पर आरोप लगाते हुए कह रही है कि लोकसभा चुनाव में वादे किए गए लेकिन काम आगे नहीं बढ़ा। BJP नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा, “घाटाल के MLA को कमेटी में शामिल नहीं किया गया, यह नेतृत्व की स्पष्ट विफलता है।” तृणमूल का जवाब है कि केंद्र की लापरवाही के कारण यह स्थिति बनी। राज्य के सिंचाई और जलमार्ग मंत्री मनस रंजन भुईया ने कहा, “केंद्र की सहायता न मिलने के बावजूद हम अपने बजट से काम चला रहे हैं।”

जनता की स्थिति
घाटाल के निवासी जलजमाव से आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “हर साल पानी आकर फसल बर्बाद कर देता है। मास्टर प्लान कब पूरा होगा, कोई कह नहीं सकता।” हालांकि, सरकार का दावा है कि 2027 मार्च तक परियोजना पूरी होने पर बाढ़ नियंत्रण में सुधार होगा।

घाटाल के लोगों के जीवन को बेहतर करने के लिए मास्टर प्लान महत्वपूर्ण है, लेकिन राजनीतिक टकराव इसके कार्यान्वयन में बाधा बन रहा है। राज्य की प्रतिबद्धता पूरी होती है या नहीं, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।

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मध्य पूर्व में महायुद्ध की आंच भारत-बांग्लादेश सीमा तक https://ekolkata24.com/top-story/israel-iran-war-impacts-indian-workers-from-nadias-india-bangladesh-border-betai-village Sun, 22 Jun 2025 17:16:10 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52011 मध्य पूर्व में इजरायल और ईरान के बीच चल रहे तनाव और युद्ध की आंच अब भारत-बांग्लादेश सीमा (India-Bangladesh Border) तक पहुंच चुकी है। पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के तेहट्टा के बेताई क्षेत्र में रहने वाले कई परिवार अब भय और चिंता के साये में जी रहे हैं। इन परिवारों के सदस्य, जो अतिरिक्त कमाई की उम्मीद में इजरायल में निर्माण श्रमिक के रूप में काम करने गए थे, अब इस युद्ध की चपेट में फंस गए हैं। इजरायल और ईरान के बीच मिसाइल हमलों की खबरों ने इन परिवारों में दहशत पैदा कर दी है।

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बेताई के निवासी गोष्टचरण विश्वास ने बताया कि उनके दो बेटे, संजीब विश्वास और सुजीत विश्वास, इजरायल में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मेरे बेटों ने फोन पर बताया कि कभी भी मिसाइल हमला हो रहा है। हमले से 10 मिनट पहले उनके मोबाइल पर अलार्म बजता है, और उन्हें तुरंत अत्याधुनिक भूमिगत बंकर में शरण लेनी पड़ती है। पिछले कुछ दिनों से वे बंकर में ही रह रहे हैं।” गोष्टचरण की आवाज में चिंता साफ झलक रही थी। उन्होंने कहा, “हम बहुत डर में हैं। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि मेरे बेटे सुरक्षित घर लौट आएं।”

इसी तरह, बेताई लालबाजार की रहने वाली आदुरी हलदर भी गहरी चिंता में हैं। उनके बेटे सदानंद हलदर तीन महीने पहले कर्ज लेकर इजरायल गए थे। आदुरी ने कहा, “हमने कर्ज लेकर बेटे को भेजा था, यह सोचकर कि वह अच्छा कमा लेगा। लेकिन अब इस युद्ध की खबरों ने हमारी नींद उड़ा दी है।” वह नियमित रूप से व्हाट्सएप कॉल के जरिए अपने बेटे का हालचाल ले रही हैं।

बेताई की बिथिका भक्त भी ऐसी ही चिंता से जूझ रही हैं। उनके पति देबराज भक्त इजरायल में काम कर रहे हैं। बिथिका ने कहा, “मैं चाहती हूं कि मेरे पति जल्दी लौट आएं। इस ड में हम कैसे रहें?” उन्होंने बताया कि टीवी पर युद्ध की खबरें देखकर उनकी चिंता और बढ़ रही है।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बेताई 1 नंबर और 2 नंबर पंचायत क्षेत्रों से लगभग सौ से अधिक युवा इजरायल में काम करने गए हैं। केवल लालबाजार से ही लगभग 30 लोग वहां मौजूद हैं। इन सभी परिवारों में डर का माहौल है। बेताई-1 नंबर पंचायत की प्रधान शम्पा मंडल ने बताया, “हम नियमित रूप से इन परिवारों से संपर्क में हैं और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत कर उनके सुरक्षित वापसी की कोशिश कर रहे हैं।”

इस युद्ध का असर केवल मध्य पूर्व तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी आंच अब भारत-बांग्लादेश सीमा के छोटे-छोटे गांवों तक पहुंच चुकी है। ये परिवार उम्मीद कर रहे हैं कि यह संघर्ष जल्द खत्म हो और उनके प्रियजन सुरक्षित घर लौट आएं।

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Historic Rath Yatra: मालदा का 629 साल पुराना रथ मेला बंद, विवाद! https://ekolkata24.com/top-story/maldas-historic-rath-yatra-stopped-over-alleged-land-mafia-conspiracy Sun, 22 Jun 2025 16:07:39 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52005 मालदा, पश्चिम बंगाल | भारत में मुगल शासन की शुरुआत 1526 में बाबर की पहली पानीपत की लड़ाई में जीत से मानी जाती है। लेकिन उससे भी पहले बंगाल की धरती पर अनेक सनातन परंपराएं अस्तित्वে थीं। ऐसा ही एक ऐतिहासिक त्योहार था मालदा के कलियाचक स्थित जलालपुर गाँव की 629 साल पुरानी रथ यात्रा और ‘मिलन मेला’।

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यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि बंगाल की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का अहम हिस्सा था। लेकिन अब प्रशासन ने इस ऐतिहासिक मेले को बंद करने का आदेश दिया है, जिससे स्थानीय लोगों में जबरदस्त आक्रोश फैल गया है।

राजनीतिक साजिश का आरोप, भूमि माफिया और सत्ताधारी नेताओं पर उंगली

स्थानीय निवासियों का आरोप है कि यह कोई साधारण फैसला नहीं, बल्कि सुनियोजित षड्यंत्र है। उनका कहना है कि जमीन माफिया, सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के कुछ स्थानीय नेता और किराए के गुंडे मिलकर यह आयोजन जबरन रुकवा रहे हैं।

सबसे गंभीर आरोप यह है कि एक प्रभावशाली नेता, जो तृणमूल कांग्रेस से जुड़े हैं, उन्होंने अपने राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभाव का इस्तेमाल कर BLRO कार्यालय से देवस्थान की जमीन को अपने नाम पर दर्ज करवा लिया।

“धार्मिक जमीन पर कब्जा कर संस्कृति मिटाई जा रही है” — जनविरोध

ग्रामीणों का कहना है कि यदि एक ऐतिहासिक धार्मिक स्थल की जमीन सरकार के रिकॉर्ड में बदल दी जा सकती है, तो यह एक बहुत खतरनाक संकेत है। यह न सिर्फ धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि बंगाल की संस्कृति को मिटाने की साजिश है।

गांव के एक बुजुर्ग, गोपाल ठाकुर ने कहा: “यह कोई सामान्य मेला नहीं है। यह हमारी पहचान है। अगर इसे मिटा दिया गया, तो आने वाली पीढ़ियां क्या जानेंगी हमारी विरासत के बारे में?”

प्रशासन की सफाई, पर सवाल बरकरार

प्रशासन का कहना है कि जमीन को लेकर विवाद चल रहा है और जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं होती, तब तक मेले को स्थगित किया गया है। लेकिन लोगों का कहना है कि यह सिर्फ बहाना है और असली मकसद धार्मिक स्थल पर कब्जा करना है।

राज्यभर में विरोध तेज, संगठनों ने दी चेतावनी

विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और अन्य संगठनों ने इस निर्णय का विरोध करते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। उनका कहना है कि राज्य सरकार हिंदू परंपराओं को दबाने की कोशिश कर रही है, जिसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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Petrol Price: पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर, चेन्नई में मामूली गिरावट! https://ekolkata24.com/business/petrol-prices-stable-in-india-chennai-sees-minor-dip Sun, 22 Jun 2025 06:08:40 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51974 वर्तमान में देश के अधिकांश शहरों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें (Petrol Price) स्थिर बनी हुई हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और अन्य शहरों में तेल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं आया है, लेकिन चेन्नई में मामूली गिरावट देखी जा रही है। चेन्नई में लगातार दूसरे दिन पेट्रोल की कीमतें कुछ कम हुई हैं, जो देश के अन्य मेट्रो शहरों से थोड़ा अलग परिस्थिति है।

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2024 के मार्च में आखिरी बार पेट्रोल की कीमत में बड़ा बदलाव हुआ था, जब सरकार ने प्रति लीटर 2 रुपये की कमी की थी। उसके बाद से, देशभर में ईंधन की कीमतें लगभग स्थिर बनी हुई हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि तेल की कीमतें क्यों नहीं बदल रही हैं और यह स्थिरता कैसे बरकरार रखी जा रही है।

ईंधन की कीमतों में स्थिरता का कारण

2022 के मई महीने में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने ईंधन कर में कमी की थी, जिसके बाद से पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगभग अपरिवर्तित रही हैं। इसके बाद से, पेट्रोल-डीजल की कीमतें हर दिन सुबह 6 बजे तय की जा रही हैं, जिसे सार्वजनिक तेल विपणन कंपनियां जैसे भारतीय आयल कॉर्पोरेशन घोषित करती हैं।

देश में ईंधन की कीमतों की स्थिरता का एक बड़ा कारण है अंतर्राष्ट्रीय बाजार की स्थिति और रुपया-डॉलर विनिमय दर। जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है, तो इसका सीधा असर देश के बाजारों पर पड़ता है। हालांकि, जब तेल की कीमत स्थिर रहती है, तो यह आम जनता के लिए एक राहत की बात होती है।

हालांकि, इस स्थिरता को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती हो सकता है, क्योंकि अगर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अस्थिरता या रुपया-डॉलर विनिमय दर में बदलाव होता है, तो तेल की कीमतें आसानी से बढ़ सकती हैं। हालांकि सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जैसे करों में कमी और विभिन्न राज्यों में ईंधन कीमतों को स्थिर रखने की कोशिश, लेकिन फिर भी देश के घरेलू बाजार में उसका असर हमेशा समान नहीं रहता।

भविष्य की संभावना: तेल की कीमतें कितनी बदल सकती हैं?

आने वाले दिनों में अगर अंतर्राष्ट्रीय बाजार की स्थिति और रुपया-डॉलर विनिमय दर और अस्थिर होती है, तो तेल की कीमतों में बदलाव हो सकता है। हालांकि, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि का सीधा असर परिवहन क्षेत्र, कृषि क्षेत्र और आम जीवन पर पड़ेगा, इस पर कई लोगों में चर्चा हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तेल की कीमत बढ़ती है, तो इसका प्रभाव परिवहन और कृषि से लेकर आम जीवन पर होगा।

देश की अर्थव्यवस्था के लिए, तेल की कीमतों को स्थिर रखना सरकार की जिम्मेदारी है। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय बाजार की स्थिति को देखते हुए अगर तेल की कीमत अप्रत्याशित रूप से बढ़ती है, तो सरकार उसे नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएगी।

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Ghatal Master Plan: बीजेपी विधायक ने देव को ठहराया ढपबाज https://ekolkata24.com/top-story/bjp-mla-slams-dev-over-ghatal-master-plan-delay-calls-him-dhappabaaz Sun, 22 Jun 2025 05:46:54 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51970 घटाल मास्टरप्लान (Ghatal Master Plan) की योजनाओं को लेकर पिछले कुछ समय से राज्य की राजनीति में हलचल मची हुई है। राज्य में बाढ़ की स्थिति की गंभीरता को देखते हुए इस योजना के लागू होने की आवश्यकता और भी बढ़ गई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इस मुद्दे पर अब सवाल उठ रहे हैं, “घटाल मास्टरप्लान अब तक क्यों लागू नहीं हुआ?” यह सवाल अब राज्य के राजनीतिक गलियारों में तूल पकड़ता जा रहा है।

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बीजेपी विधायक शीतल कपाटे ने हाल ही में घटाल के सांसद देव पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, “क्या अब पागलु घटाल में शूटिंग करने आएंगे! अभिनय करते-करते घटाल के लोगों के जीवन और भावनाओं के साथ झूठा अभिनय और कितने दिन करेंगे? घटाल के लोगों को और कितनी बार झूठी वादे देंगे? आपने खुद ढोल बजाया और खुद को मास्टरप्लान चैंपियन कहा और अब घटाल के लोग आपको ढपबाज कह रहे हैं।”

शीतल कपाटे के इस बयान ने राज्य में राजनीतिक विवाद को और बढ़ा दिया है। उनके समर्थकों का कहना है कि देव ने घटाल के लोगों के साथ लगातार धोखा किया है और उनकी वादों का कोई मूल्य नहीं रह गया है।

वहीं, शासक दल तृणमूल कांग्रेस इस विवाद को लेकर पूरी तरह से खामोश है और शीतल कपाटे की आलोचना की है। घटाल तृणमूल जिला अध्यक्ष अजीत माईती ने शीतल कपाटे के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “हमने सुना है कि कुछ समय पहले देव को लेकर उनका रवैया अच्छा था। अगर तृणमूल में शामिल होने का उनका इरादा था, तो वह क्यों अब कुत्सित बयान दे रहे हैं?”

इस विवाद में अब यह सवाल उठने लगा है कि घटाल मास्टरप्लान का आखिरकार क्या होगा? क्या देव अपनी वादों को पूरा करेंगे या इस मुद्दे पर राजनीति और बढ़ेगी? राज्य की जनता अब इस सवाल का जवाब चाहती है, और देखते हैं कि इस योजना का कार्यान्वयन कब होगा।

घटाल के लोग आज भी इस योजना की इंतजार में हैं, लेकिन उनके सामने केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की बौछार हो रही है।

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जिम्बाब्वे के ठगों ने कोलकाता में की करोड़ों की ठगी, गिरफ्तार https://ekolkata24.com/top-story/kolkata-fraud-bust-3-zimbabweans-arrested-in-mohali-for-who-abbott-scam Sat, 21 Jun 2025 21:36:33 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51959 पंजाब के मोहाली में पुलिस ने तीन जिम्बाब्वे नागरिकों को गिरफ्तार किया है, जो कोलकाता (Kolkata) के कई निवासियों को करोड़ों रुपये की ठगी करने के आरोप में शामिल थे। कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ये आरोपी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और एबॉट फार्मास्युटिकल्स से जुड़े निवेश योजनाओं में उच्च रिटर्न का वादा करके पीड़ितों को लुभाते थे। यह जानकारी शनिवार को सामने आई, जब मोहाली पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ ट्रांजिट रिमांड की प्रक्रिया शुरू की।

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आरोपियों की पहचान टिनाशे गादजिक्वोआ प्रायसे, मालवर्न मातुमगामिरे और नमहुंगा लेनन कुदाकोआशे के रूप में हुई है। उन्होंने नकली लेटरहेड, ईमेल पते और व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर इस ठगी को अंजाम दिया। पुलिस ने उनके पास से छह मोबाइल फोन, एक लैपटॉप और कई आपराधिक दस्तावेज जब्त किए हैं। जांच की शुरुआत टॉलीगंज के एक निवासी की शिकायत पर हुई, जिन्होंने दावा किया कि उन्होंने इन तीनों के कारण 1 करोड़ रुपये का नुकसान उठाया।

कोलकाता पुलिस की जांच में पता चला कि आरोपी खुद को WHO और एबॉट फार्मास्युटिकल्स से जुड़ा हुआ बताकर निवेश के नाम पर धोखाधड़ी करते थे। वे पीड़ितों को उच्च मुनाफे का लालच देकर पैसे ऐंठ लेते थे। इस ठगी के लिए उन्होंने अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया, जिसमें नकली ईमेल और व्हाट्सएप ग्रुप शामिल थे। यह घटना भारत में बढ़ते साइबर अपराधों का एक उदाहरण है, जिसमें विदेशी नागरिक शामिल हैं। मोहाली पुलिस की साइबर क्राइम शाखा ने इस जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और उनकी त्वरित कार्रवाई के कारण इन ठगों को पकड़ना संभव हुआ।
यह गिरफ्तारी भारत के विभिन्न शहरों में चल रहे साइबर अपराधों के खिलाफ पुलिस के कड़े रुख को दर्शाती है। पिछले कुछ वर्षों में मोहाली और कोलकाता में कई नकली कॉल सेंटरों का भंडाफोड़ किया गया है, जहां विदेशी नागरिकों ने भारतीय और विदेशी नागरिकों को ठगा है। इस मामले में गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

इस ठगी की घटना ने कोलकाता के निवासियों में चिंता पैदा की है। पुलिस ने आम जनता को ऐसी धोखाधड़ी के जाल में न फंसने के लिए सतर्क रहने की सलाह दी है। खासकर, अज्ञात व्यक्तियों या संगठनों के वादों से प्रभावित होकर निवेश करने से पहले सत्यापन करने की सलाह दी गई है। यह घटना भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों की बढ़ती दक्षता और साइबर अपराध से निपटने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

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तेजस्वी के लेख पर शाहनवाज का तंज, नीतीश पर भरोसा! https://ekolkata24.com/top-story/shahnawaz-hussain-slams-tejashwi-praises-nitish-kumars-leadership-in-bihar Sat, 21 Jun 2025 17:50:10 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51934 गया, बिहार: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने शनिवार को गया सर्किट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और बिहार के विपक्षी नेता तेजस्वी यादव के एक लेख पर तंज कसते हुए कहा, “तेजस्वी यादव इतने पढ़े-लिखे नहीं हैं कि वे खुद से लेख लिख सकें।” उन्होंने आगे कहा कि लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी हमेशा अपने और अपने परिवार के लिए आरक्षण की वकालत करते रहे हैं।

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शाहनवाज हुसैन ने जनता दल (यूनाइटेड) के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए कहा, “नीतीश कुमार ने 1994 में संसद में आरक्षण के मुद्दे पर जोरदार ढंग से अपनी बात रखी थी। सरकार बनते ही उन्होंने पिछड़े और दलित वर्गों के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया।” उन्होंने आरजेडी की आलोचना करते हुए कहा, “तेजस्वी और लालूजी हमेशा नीतीश कुमार के स्वास्थ्य पर सवाल उठाते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि नीतीशजी सुबह 9 बजे से रात तक बिहार और बिहार के लोगों के लिए निरंतर काम करते हैं।”

एनडीए की एकता और नीतीश के नेतृत्व पर भरोसा
शाहनवाज हुसैन ने कहा कि आगामी 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) एकजुट होकर मैदान में उतरेगा। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आशीर्वाद और नीतीश कुमार के नेतृत्व में हम बिहार में सरकार बनाएंगे। बीजेपी, जेडी(यू), लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम), और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा मिलकर चुनाव लड़ेगी।” उन्होंने जोर देकर कहा, “बिहार की जनता का भरोसा केवल एनडीए पर है। चुनाव आते ही नई-नई पार्टियां मैदान में उतरेंगी, लेकिन जनता जानती है कि उनके लिए कौन काम करता है।”

नीतीश कुमार के हालिया फैसले की सराहना
शाहनवाज हुसैन ने नीतीश कुमार के एक हालिया फैसले की सराहना करते हुए कहा, “नीतीशजी ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। गरीबों, असहायों, वृद्धजनों, और दिव्यांगों के लिए दी जाने वाली सहायता राशि को 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपये कर दिया गया है। इस फैसले ने तेजस्वी यादव की घोषणाओं की हवा निकाल दी।” उन्होंने कहा कि यह कदम बिहार के लोगों के लिए नीतीश कुमार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

गया के विकास पर जोर
गया के विकास पर बोलते हुए शाहनवाज हुसैन ने कहा, “गया का नाम गयाजी करने के लिए मैं नीतीश कुमार और एनडीए को धन्यवाद देता हूं। गयाजी और बोधगया में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। केंद्र और राज्य सरकार की कई ऐतिहासिक योजनाएं यहां लागू हो रही हैं। ये केवल वादे नहीं हैं, बल्कि जमीन पर उतर चुकी हैं।”

प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी नेता अशोक सिंह, संतोष सिंह, पूर्व मीडिया प्रभारी संतोष ठाकुर, डॉ. जेड खान, इमरान नबी आदि मौजूद थे। शाहनवाज हुसैन का यह बयान बिहार की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर सकता है, खासकर एनडीए और आरजेडी के बीच चल रहे तनाव के संदर्भ में।

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Bhowanipur: भवानिपुर में टीएमसी का प्रसाद वितरण, वोट बैंक की रणनीति? https://ekolkata24.com/top-story/tmc-distributes-jagannath-temple-prasadam-in-kolkatas-bhowanipur-ward-70-to-woo-voters Sat, 21 Jun 2025 08:10:21 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51919 कोलकाता का भवानिपुर (Bhowanipur) विधानसभा क्षेत्र पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का अपना विधानसभा क्षेत्र है। 2021 के विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों में, भवानिपुर के 70 नंबर वार्ड में तृणमूल कांग्रेस भाजपा के मुकाबले बड़े अंतर से पीछे थी। इस 70 नंबर वार्ड के वोट बैंक को लेकर राजनीतिक विश्लेषक कई तरह के विचार व्यक्त कर रहे हैं, और अब यह राजनीतिक चर्चा का मुद्दा बन गया है। अब, इस 70 नंबर वार्ड से ही कोलकाता में दिग्गा के जगन्नाथ मंदिर के महाप्रसाद वितरण की शुरुआत हुई है, जो लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा है।

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इस प्रसाद वितरण के दौरान, वार्ड के काउंसलर असीम बसु ने गुजराती समुदाय के लोगों के घर-घर जाकर प्रसाद वितरित किया और कहा, “मुख्यमंत्री ने प्रसाद भेजा है।” अब सवाल उठता है, क्या यह पहल सिर्फ सामाजिक जिम्मेदारी का हिस्सा है या इसमें वोट बैंक की राजनीति भी शामिल है? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वोट का अंक ही सबसे अहम मुद्दा है, जो स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद, 2026 के विधानसभा चुनावों की तैयारी शुरू हो चुकी है।

अभी, इस 70 नंबर वार्ड में तृणमूल को भाजपा के मुकाबले 3865 वोटों से पीछे देखा जा रहा है। भवानिपुर विधानसभा क्षेत्र के 8 वार्डों में से 5 वार्डों में भाजपा तृणमूल से आगे थी। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आगामी चुनावों में इस क्षेत्र के वोट बैंक को फिर से वापस लाने का जिम्मा तृणमूल कांग्रेस की शीर्ष नेतृत्व और वार्ड के काउंसलर पर है। यही कारण है कि काउंसलर ने गुजराती समुदाय के घर-घर जाकर गुजराती भाषा में भी बात की।

हालांकि, काउंसलर असीम बसु इस पूरे प्रसाद वितरण में किसी प्रकार की वोट की राजनीति नहीं देख रहे हैं। उनका कहना है, “मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रसाद सभी तक पहुंचेगा, इसमें वोट ढूंढने की क्या बात है?” उनका यह बयान कहीं ना कहीं एक सकारात्मक संदेश देने की कोशिश है, जिससे यह स्पष्ट हो कि उनका उद्देश्य चुनावी लाभ की बजाय समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देना है।

केवल गुजराती समुदाय ही नहीं, काउंसलर ने इस दिन कई अवंगाली परिवारों के पास भी जाकर प्रसाद वितरित किया। यह पहल न केवल एक समुदाय के बीच सीमित रही, बल्कि पूरी समाज की ओर से एक सकारात्मक पहल हो सकती है। भवानिपुर के निवासियों ने काउंसलर को गुजराती में धन्यवाद दिया, जिससे यह पहल न सिर्फ राजनीतिक रूप से, बल्कि सामाजिक रूप से भी सकारात्मक परिणाम देने वाली साबित हो सकती है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की राजनीतिक सफलता भवानिपुर के इस वार्ड में फिर से लौटकर आती है या नहीं, यह भविष्य के चुनावों पर निर्भर करेगा। लेकिन फिलहाल, यह कार्य क्षेत्रीय लोगों के बीच सामूहिक संबंधों को मजबूत करने में मदद कर सकता है।

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Calcutta High Court में राज्य का आदेश खारिज, नौकरी से हटे कर्मचारियों के भत्ते पर फिलहाल रोक https://ekolkata24.com/top-story/calcutta-high-court-rejects-state-order-halts-allowances-for-sacked-group-c-and-d-employees-until-september-26 Fri, 20 Jun 2025 08:31:08 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51887 कोलकाता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने राज्य सरकार के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें नौकरी से हटे ग्रुप C और D के कर्मचारियों को भत्ता देने की बात कही गई थी। न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने 26 सितंबर तक इस आदेश पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया। इस फैसले के बाद, राज्य सरकार का यह निर्णय फिलहाल प्रभावी नहीं रहेगा।

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राज्य सरकार ने हाल ही में घोषणा की थी कि जो ग्रुप C और D के कर्मचारी 2020 के मार्च के बाद नौकरी से हट चुके हैं, उन्हें भत्ते का लाभ दिया जाएगा। लेकिन इस फैसले को लेकर अदालत में कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिसके बाद यह मामला हाई कोर्ट में पहुंचा।

हाई कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार को अब 26 सितंबर तक इस भत्ते की प्रक्रिया शुरू करने से रोका गया है। न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने कहा कि इस मामले की कानूनी अहमियत को देखते हुए इसे स्थगित किया जा रहा है।

अब राज्य सरकार को हाई कोर्ट के अगले आदेश तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं करनी होगी। इस फैसले से नौकरी से हटे कर्मचारियों के लिए भत्ता पाने की उम्मीदें फिलहाल स्थगित हो गई हैं। राज्य सरकार की ओर से इस पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, लेकिन कर्मचारियों के बीच इस फैसले से निराशा का माहौल है।

यह देखना अब बाकी है कि हाई कोर्ट की आगामी सुनवाई में इस मामले में क्या नया फैसला लिया जाता है और राज्य सरकार क्या कदम उठाती है।

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Black Money वापसी का वादा अतीत! मोदी युग में स्विस बैंकों में भारतीयों का भारी जमा https://ekolkata24.com/business/modis-black-money-recovery-promise-fades-as-swiss-bank-deposits-soar-in-2024 Fri, 20 Jun 2025 07:02:35 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51873 सत्ता में आने पर विदेश में जमा काले धन (Black Money ) को वापस लाएंगे—यह वादा लेकर 2014 में नरेंद्र मोदी सत्ता में आए। उस समय दावा किया गया था कि वापस लाए गए धन से हर भारतीय के बैंक खाते में 15 लाख रुपये जमा होंगे और देश के विकास में इसका उपयोग होगा। लेकिन यह वादा केवल एक चुनावी नारा बनकर रह गया। काले धन की वापसी का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में उठाया गया, फिर भी केंद्र सरकार चतुराई से अपनी जिम्मेदारी से बच निकली। आज भी विपक्षी दल 15 लाख रुपये के वादे को लेकर सरकार पर तंज कसते हैं। ऐसे में एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है—काला धन वापसी तो दूर, भारत से भारी मात्रा में पैसा स्विस बैंकों में जमा हो रहा है।

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स्विस नेशनल बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2024 में भारतीयों के स्विस बैंकों में जमा राशि तीन गुना बढ़कर 3.54 बिलियन स्विस फ्रैंक (लगभग 37,600 करोड़ रुपये) पहुंच गई है। यह 2021 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। आश्चर्यजनक बात यह है कि इस राशि का केवल 10% ही ग्राहकों के सीधे जमा से आया है; बाकी का हिस्सा बैंक चैनलों और अन्य वित्तीय संस्थानों के माध्यम से प्रवाहित हुआ है। यह तथ्य कई सवाल खड़े करता है—आखिर इतनी बड़ी राशि विदेश कैसे पहुंच रही है और यह पैसा देश के विकास में क्यों नहीं लगाया जा रहा?

भारत का काला धन लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि भारतीयों ने स्विस बैंकों में 1.06 से 1.40 ट्रिलियन डॉलर की अवैध राशि जमा की है। हालांकि, स्विस प्राधिकरण और स्विस बैंकर्स एसोसिएशन ने इन आंकड़ों को गलत और मनगढ़ंत बताया है। उनका कहना है कि भारतीयों का स्विस बैंकों में कुल जमा केवल 2 बिलियन डॉलर है। इन विरोधाभासी आंकड़ों के बावजूद, 2024 में हुई यह तीन गुना वृद्धि सरकार की काले धन नियंत्रण नीतियों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाती है।

2016 में नोटबंदी के जरिए काले धन पर लगाम लगाने की कोशिश की गई थी, लेकिन इसके परिणामों को लेकर अलग-अलग राय हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि नोटबंदी ने काले धन को पूरी तरह खत्म नहीं किया; बल्कि यह विदेश भेजने का नया रास्ता खोल दिया। स्विस बैंक के आंकड़े इस धारणा का समर्थन करते प्रतीत होते हैं। इसके अलावा, भारत सरकार ने 2010 से स्विट्जरलैंड के साथ डबल टैक्सेशन से बचने के समझौते को संशोधित कर काले धन की जांच की सुविधा बढ़ाई, फिर भी इसके परिणाम उत्साहजनक नहीं रहे।

इस स्थिति में जनता में चिंता बढ़ रही है। सोशल मीडिया पर यूजर्स सरकार की चुप्पी पर सवाल उठा रहे हैं। कुछ लोग मजाक में कह रहे हैं, “15 लाख रुपये देश में आने की बजाय, स्विस बैंकों में 37,600 करोड़ रुपये चले गए!” अन्य लोग सरकार की पारदर्शिता पर चर्चा कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस धन प्रवाह को रोकने के लिए सख्त कानूनी कदम और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की ईमानदार कोशिशें जरूरी हैं।

सरकार की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है। काला धन वापसी का वादा अब अतीत की बात बनता जा रहा है, और स्विस बैंकों में पैसा जमा होने की यह वृद्धि भारत की आर्थिक नीतियों और भ्रष्टाचार नियंत्रण की प्रभावशीलता पर नए सवाल खड़े करती है। जनता अब इंतजार कर रही है कि सरकार इस चुनौती का सामना कैसे करती है।

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Agnimitra Paul Questions: ‘मेरी गाड़ी चेक होती है, ममता की गाड़ी क्यों बच जाती है?’ https://ekolkata24.com/top-story/west-bengal-assembly-security-row-agnimitra-paul-questions-mamatas-car-exemption Thu, 19 Jun 2025 08:46:00 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51851 13 जून से पश्चिम बंगाल विधानसभा में प्रवेश के समय सुरक्षा जांच और गाड़ियों की तलाशी को लेकर राजनीतिक विवाद बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को बीजेपी विधायक अग्निमित्रा पाल (Agnimitra Paul) ने तलाशी को लेकर एक बार फिर पुलिस से तीखी बहस की। उनका सवाल था — “क्या ममता बनर्जी की गाड़ी की भी तलाशी होती है?”

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अग्निमित्रा पाल ने कहा, “नियम सबके लिए एक होना चाहिए। अगर मेरी गाड़ी की तलाशी होती है, तो मुख्यमंत्री की गाड़ी की भी होनी चाहिए। मैं कोई विशेषाधिकार नहीं मांग रही हूं।”

विवाद का एक और पहलू सामने आया जब बीजेपी के उत्तरिय (दुपट्टे) को गाड़ी से हटाने के लिए कहा गया। इस पर विधायक ने कहा, “टीएमसी के नेताओं की गाड़ियों में ‘एगिए बांग्ला’ और ममता बनर्जी की तस्वीरें लगी होती हैं, तब कोई आपत्ति नहीं होती। सिर्फ बीजेपी का उत्तरिय देखकर गाड़ी रोक दी जाती है?”

विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बंद्योपाध्याय ने सफाई देते हुए कहा, “सुरक्षा कारणों से यह कदम उठाया गया है। गेट पर तैनात गार्ड्स को निर्देश दिए गए हैं कि वे आने-जाने वाले वाहनों की जांच करें। यह सुरक्षा का मामला है, राजनीति का नहीं।”

बीजेपी का आरोप है कि सरकार विपक्ष को दबाने की कोशिश कर रही है। विधानसभा के भीतर कोई प्रतीकात्मक विरोध न हो, इसके लिए ‘तुलसी का पौधा’ जैसी चीजें अंदर न लाने देने के नाम पर यह तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।

इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य की राजनीति में एक बार फिर से तीखा मोड़ ला दिया है। विपक्ष का कहना है कि लोकतांत्रिक संस्था में सभी को बराबर अधिकार मिलना चाहिए। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और गर्मा सकता है।

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South Eastern Railway: करमंडल और धौलि एक्सप्रेस के मार्ग और स्टॉपेज में होगा बड़ा बदलाव https://ekolkata24.com/business/south-eastern-railway-shifts-karmandal-and-dhauli-express-to-howrah-station-from-shalimar-starting-august-25-2025 Thu, 19 Jun 2025 06:58:44 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51841 दक्षिण-पूर्व रेलवे (South Eastern Railway) ने पश्चिम बंगाल से ओडिशा के पुरी और तमिलनाडु के चेन्नई जाने वाली दो महत्वपूर्ण एक्सप्रेस ट्रेनों के आरंभिक स्टेशन में बड़ा बदलाव किया है। २५ अगस्त से शालीमार स्टेशन के बजाय ये दोनों ट्रेनें हावड़ा स्टेशन से चलेंगी।

ये दोनों ट्रेनें हैं—

१२८४१/१२८४२ शालीमार-चेन्नई करमंडल एक्सप्रेस

१२८२१/१२८२२ शालीमार-पुरी धौलि एक्सप्रेस

इस परिवर्तन के बाद यात्रियों के लिए हावड़ा स्टेशन से ट्रेन पकड़ना अधिक सुविधाजनक होगा क्योंकि यह स्टेशन यातायात का बड़ा हब है और कनेक्टिविटी बेहतर है।

करमंडल एक्सप्रेस का नया टाइमिंग
अप (हावड़ा से प्रस्थान): पहले शालीमार से ३:१५ बजे दोपहर, अब हावड़ा से ३:१० बजे दोपहर

डाउन (हावड़ा में आगमन): पहले शालीमार पर ११:०५ बजे सुबह, अब हावड़ा पर ११:०० बजे सुबह

धौलि एक्सप्रेस का नया टाइमिंग
अप (हावड़ा से प्रस्थान): पहले शालीमार से ९:१५ बजे सुबह, अब हावड़ा से ९:१० बजे सुबह

डाउन (हावड़ा में आगमन): पहले शालीमार पर ७:२५ बजे शाम, अब हावड़ा पर ७:३० बजे शाम

बदलाव के कारण और फायदे
यह परिवर्तन यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखकर किया गया है। हावड़ा स्टेशन एक प्रमुख रेलवे जंक्शन है जहां से यात्री अपनी यात्रा आरंभ कर सकते हैं। हावड़ा स्टेशन पर सुविधाएं और कनेक्टिविटी शालीमार की तुलना में बेहतर हैं, जिससे यात्रियों को कई तरह की सुविधाएं मिलेंगी।

इस बदलाव से यात्रियों को ट्रेन पकड़ने में आसानी होगी, समय की बचत होगी, और यात्रा अधिक आरामदायक बनेगी। रेलवे ने यात्रियों से आग्रह किया है कि वे इस बदलाव के अनुसार अपनी यात्रा की योजना बनाएं।

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इस बदलाव से दोनों एक्सप्रेस ट्रेनों की सेवा और बेहतर होगी, और यात्री अनुभव में सुधार होगा।

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Kesari Chapter 2: विवाद: स्वतंत्रता संग्राम पर सवाल उठाने का विरोध तेज https://ekolkata24.com/entertainment/kesari-chapter-2-sparks-controversy-over-historical-distortion-of-khudiram-bose-mamata-banerjee-slams-film Thu, 19 Jun 2025 06:26:46 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51835 अक्षय कुमार की हालिया फिल्म ‘केसरी चैप्टर २’ (Kesari Chapter 2) एक बार फिर विवादों में। इस बार फिल्म के खिलाफ ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ और स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान करने के आरोप में बिधाननगर साउथ थाने में केस दर्ज किया गया है।

इस विवाद पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “अगर बंगाल को अपमानित करने की कोशिश होगी, तो जनता जवाब देना जानती है।”

क्या है विवाद?
रणजीत विश्वास नामक एक सामाजिक कार्यकर्ता ने एफआईआर दर्ज कर कहा है कि फिल्म में मुफ्फरपुर षड्यंत्र केस के एक दृश्य में क्रांतिकारी खुदीराम बोस को ‘खुदीराम सिंह’ कहा गया है और बारिंद्रकुमार घोष को ‘वीरेंद्र कुमार’। यह न सिर्फ ऐतिहासिक विकृति है, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के लिए अपमानजनक।

ममता बनर्जी का कड़ा बयान
ममता बनर्जी ने कहा, “फिल्म बनाकर इतिहास को तोड़-मरोड़ कर दिखाया जा रहा है। खुदीराम बोस को ‘सिंह’ बनाकर पेश करना शर्मनाक है।” उन्होंने यह भी जोड़ा, “हम किसी भी राज्य का अपमान नहीं करते, लेकिन अगर आप हमारे नायकों का अपमान करेंगे, तो बंगाल चुप नहीं बैठेगा।”

सोशल मीडिया पर आक्रोश
फिल्म जब अप्रैल में रिलीज़ हुई थी, तब भी इस पर विरोध देखा गया था। हालांकि तब कोई कानूनी कार्यवाही नहीं हुई। अब जब फिल्म ओटीटी पर आई है, तो यह विवाद फिर से ज़ोर पकड़ रहा है।

व्यावसायिक सफलता बनाम ऐतिहासिक जिम्मेदारी
‘केसरी चैप्टर २’ ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन अब आलोचकों का कहना है कि व्यावसायिक लाभ के चक्कर में फिल्म ने इतिहास को गलत तरीके से दर्शाया, जिससे युवा पीढ़ी को भ्रमित किया जा सकता है।

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Gold price: भारी उछाल, लेकिन ग्राहक गायब—कोलकाता में २२ कैरेट सोने का हाल https://ekolkata24.com/business/gold-prices-soar-in-kolkata-22-carat-hits-%e2%82%b992650-amid-iran-israel-tensions Thu, 19 Jun 2025 06:14:36 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51832 भारत में सोने की कीमतों (Gold Prices) में एक बार फिर जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। वैश्विक बाजार में भू-राजनीतिक अस्थिरता, खासकर ईरान और इज़राइल के बीच जारी तनाव के कारण निवेशक सोने को एक सुरक्षित संपत्ति मानकर भारी मात्रा में खरीदारी कर रहे हैं। नतीजा—शुद्ध 24 कैरेट सोने का भाव ₹1 लाख के पार, और 22 कैरेट सोना भी ₹92,000 के ऊपर बिक रहा है।

इस तेजी ने आम ग्राहकों को चौंका दिया है। विशेष रूप से शादी-ब्याह के सीजन में यह मूल्य वृद्धि मध्यमवर्गीय परिवारों की जेब पर भारी पड़ रही है।

📌 क्या है आज 19 जून को भारत के प्रमुख शहरों में सोने का भाव?
शहर 22 कैरेट (10 ग्राम) 24 कैरेट (10 ग्राम)
कोलकाता ₹92,650 ₹1,00,080
दिल्ली ₹92,800 ₹1,00,120
मुंबई ₹92,650 ₹1,00,080
अहमदाबाद ₹92,700 ₹99,970
पुणे ₹92,650 ₹1,00,080
जयपुर ₹92,800 ₹1,00,120
बेंगलुरु ₹92,650 ₹1,00,080
लखनऊ ₹92,800 ₹1,00,120
चेन्नई ₹92,650 ₹1,00,080

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों में 22 कैरेट सोने की कीमत ₹92,600 से ₹92,800 के बीच है, जबकि 24 कैरेट सोना ₹1,00,000 से ऊपर बिक रहा है।

📈 कीमतों में बढ़ोतरी का कारण क्या है?
ईरान-इज़राइल संघर्ष:
मध्य पूर्व में चल रहा संघर्ष वैश्विक निवेशकों को डरा रहा है। जब भी वैश्विक स्तर पर राजनीतिक या आर्थिक अनिश्चितता होती है, निवेशक शेयर मार्केट छोड़कर सोने में निवेश करते हैं। यही हो रहा है अब।

डॉलर में कमजोरी:
अमेरिकी डॉलर कमजोर पड़ने पर सोने की कीमतें ऊपर जाती हैं, क्योंकि सोना डॉलर में अंतरराष्ट्रीय व्यापार का हिस्सा है।

महंगाई और ब्याज दरों की अनिश्चितता:
अमेरिका और यूरोप में महंगाई को लेकर चिंता बनी हुई है। इससे ब्याज दरों में स्थिरता नहीं आ रही, और निवेशक सोने में पैसा डाल रहे हैं।

💍 आम जनता पर असर
सोने की कीमतें बढ़ने से गहनों की खरीद पर सीधा असर पड़ा है।

शादी-ब्याह के सीजन में सोने की खरीददारी आमतौर पर बढ़ जाती है, लेकिन इस बार कई परिवार बजट में फिट न बैठने के कारण गहनों की खरीद टाल रहे हैं।

कुछ लोग हल्के वजन के या नकली गहनों की तरफ रुख कर रहे हैं।

ज्वेलर्स का कहना है कि ग्राहकों की संख्या में 20-30% की कमी आई है।

📊 निवेशकों के लिए संकेत
लंबे समय में सोने को एक सुरक्षित निवेश माना जाता है। लेकिन वर्तमान उच्च कीमतों पर निवेश करने से पहले विशेषज्ञ सलाह लेना आवश्यक है।
जो लोग पहले ही निवेश कर चुके हैं, उनके लिए यह मुनाफा कमाने का अच्छा समय हो सकता है।

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