North Bengal – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Sun, 22 Jun 2025 16:47:33 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png North Bengal – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 चाय बेल्ट में एक नाव पर वाम, कांग्रेस और बीजेपी! तृणमूल हुई गायब https://ekolkata24.com/west-bengal/north-bengal/matiali-cooperative-victory-opposition-alliance-defeats-trinamool-in-jalpaiguri-tea-belt Sun, 22 Jun 2025 16:47:33 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52008 पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी (Jalpaiguri) जिले के माटियाली सहकारी समिति में अनोखा राजनीतिक समीकरण सामने आया है। रविवार को आयोजित आम सभा में वाम दल (CPI-M), कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) समर्थित 6 सदस्यीय पैनल ने बिना किसी विरोध के बोर्ड का गठन कर लिया। तृणमूल कांग्रेस (TMC) की ओर से कोई उम्मीदवार नहीं उतारे जाने के कारण चुनाव की आवश्यकता ही नहीं पड़ी।

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उत्तर धूपझोड़ कार्यालय में जब बोर्ड का गठन हुआ, तो इलाके में जश्न का माहौल छा गया। समर्थक लाल और भगवा गुलाल लगाकर खुशी जाहिर करते नजर आए।

भाजपा के पूर्व समतल मंडल अध्यक्ष मजनुल हक ने कहा, “यह बोर्ड तृणमूल सरकार के खिलाफ जनता की भावना और विपक्ष की एकजुटता का प्रतीक है। तृणमूल कोई पैनल नहीं दे सकी, इसका मतलब है जनता अब बदलाव चाहती है।”

वाम नेता दिनेश राय और कांग्रेस समर्थित सदस्य सफिरउद्दीन अहमद ने संयुक्त रूप से कहा, “यह केवल राजनीतिक गठजोड़ नहीं है, बल्कि किसानों के हित में उठाया गया कदम है। सभी फैसले सामूहिक रूप से लिए जाएंगे।”

हालांकि, तृणमूल कांग्रेस ने इस पूरी प्रक्रिया को अवैध करार दिया है। पार्टी की माटियाली ब्लॉक अध्यक्ष स्नोमिता कालांदी ने आरोप लगाया, “इस आम सभा की जानकारी अधिकतर सदस्यों को नहीं दी गई थी। यह पूरा बोर्ड गठन नियमों के खिलाफ है। हम इसे उच्च सहकारिता विभाग के संज्ञान में ला रहे हैं।”

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि माटियाली का यह उदाहरण बताता है कि अगर विपक्ष मिलकर लड़े तो तृणमूल जैसे मजबूत किले में भी सेंध लगाई जा सकती है।

वरिष्ठ पत्रकार सौरभ मुखर्जी के अनुसार, “तृणमूल के गढ़ में विपक्ष की यह चुपचाप जीत एक बड़ा संकेत है। आने वाले पंचायत या सहकारी चुनावों में ऐसे गठबंधन और मजबूत हो सकते हैं।”

माटियाली में तृणमूल की अनुपस्थिति और विपक्षी गठबंधन की सफलता राज्य की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकती है। अब देखना होगा कि यह प्रयोग कितना दूर तक असर डालता है।

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Historic Rath Yatra: मालदा का 629 साल पुराना रथ मेला बंद, विवाद! https://ekolkata24.com/top-story/maldas-historic-rath-yatra-stopped-over-alleged-land-mafia-conspiracy Sun, 22 Jun 2025 16:07:39 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52005 मालदा, पश्चिम बंगाल | भारत में मुगल शासन की शुरुआत 1526 में बाबर की पहली पानीपत की लड़ाई में जीत से मानी जाती है। लेकिन उससे भी पहले बंगाल की धरती पर अनेक सनातन परंपराएं अस्तित्वে थीं। ऐसा ही एक ऐतिहासिक त्योहार था मालदा के कलियाचक स्थित जलालपुर गाँव की 629 साल पुरानी रथ यात्रा और ‘मिलन मेला’।

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यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि बंगाल की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का अहम हिस्सा था। लेकिन अब प्रशासन ने इस ऐतिहासिक मेले को बंद करने का आदेश दिया है, जिससे स्थानीय लोगों में जबरदस्त आक्रोश फैल गया है।

राजनीतिक साजिश का आरोप, भूमि माफिया और सत्ताधारी नेताओं पर उंगली

स्थानीय निवासियों का आरोप है कि यह कोई साधारण फैसला नहीं, बल्कि सुनियोजित षड्यंत्र है। उनका कहना है कि जमीन माफिया, सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के कुछ स्थानीय नेता और किराए के गुंडे मिलकर यह आयोजन जबरन रुकवा रहे हैं।

सबसे गंभीर आरोप यह है कि एक प्रभावशाली नेता, जो तृणमूल कांग्रेस से जुड़े हैं, उन्होंने अपने राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभाव का इस्तेमाल कर BLRO कार्यालय से देवस्थान की जमीन को अपने नाम पर दर्ज करवा लिया।

“धार्मिक जमीन पर कब्जा कर संस्कृति मिटाई जा रही है” — जनविरोध

ग्रामीणों का कहना है कि यदि एक ऐतिहासिक धार्मिक स्थल की जमीन सरकार के रिकॉर्ड में बदल दी जा सकती है, तो यह एक बहुत खतरनाक संकेत है। यह न सिर्फ धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि बंगाल की संस्कृति को मिटाने की साजिश है।

गांव के एक बुजुर्ग, गोपाल ठाकुर ने कहा: “यह कोई सामान्य मेला नहीं है। यह हमारी पहचान है। अगर इसे मिटा दिया गया, तो आने वाली पीढ़ियां क्या जानेंगी हमारी विरासत के बारे में?”

प्रशासन की सफाई, पर सवाल बरकरार

प्रशासन का कहना है कि जमीन को लेकर विवाद चल रहा है और जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं होती, तब तक मेले को स्थगित किया गया है। लेकिन लोगों का कहना है कि यह सिर्फ बहाना है और असली मकसद धार्मिक स्थल पर कब्जा करना है।

राज्यभर में विरोध तेज, संगठनों ने दी चेतावनी

विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और अन्य संगठनों ने इस निर्णय का विरोध करते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। उनका कहना है कि राज्य सरकार हिंदू परंपराओं को दबाने की कोशिश कर रही है, जिसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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ब्रिटिश काल का अज्ञात इतिहास जलपाईगुड़ी का बागराकोट टी एस्टेट में https://ekolkata24.com/offbeat-news/bagrakote-tea-estate-exploring-jalpaiguris-colonial-past-and-forgotten-stories Sun, 22 Jun 2025 01:30:27 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51949 Offपश्चिम बंगाल का जलपाईगुड़ी जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता, घने जंगलों और चाय बागानों के लिए प्रसिद्ध है। इस जिले के केंद्र में स्थित बागराकोट टी एस्टेट (Bagrakote Tea Estate) न केवल अपने चाय उत्पादन के लिए, बल्कि ब्रिटिश काल के एक गहरे इतिहास के साक्षी के रूप में भी जाना जाता है। इस चाय बागान का इतिहास जलपाईगुड़ी के औपनिवेशिक अतीत का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जो काफी हद तक अज्ञात और अनदेखा रहा है। ब्रिटिश शासनकाल में चाय उद्योग का उदय, श्रमिकों का संघर्ष और स्थानीय समुदायों का योगदान इस बागान की कहानी को एक विशेष आयाम देता है।

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ब्रिटिश काल में बागराकोट की शुरुआत
जलपाईगुड़ी जिले के डुआर्स क्षेत्र में स्थित बागराकोट टी एस्टेट का इतिहास ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से गहराई से जुड़ा हुआ है। 19वीं सदी में ब्रिटिशों ने भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में चाय की खेती की संभावनाएं देखीं और इस क्षेत्र को चुना। बागराकोट टी एस्टेट की स्थापना 1870 के दशक में हुई, जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त हो चुका था और ब्रिटिश राज का प्रत्यक्ष शासन शुरू हुआ था। इस दौरान जलपाईगुड़ी का डुआर्स क्षेत्र चाय उद्योग का एक प्रमुख केंद्र बन गया, और बागराकोट इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।

ब्रिटिशों ने इस क्षेत्र की उपजाऊ मिट्टी और अनुकूल जलवायु का उपयोग करके चाय बागान स्थापित किए। बागराकोट टी एस्टेट में उत्पादित चाय को यूरोप, विशेष रूप से ब्रिटेन में भारी मांग थी। हालांकि, इस बागान की सफलता के पीछे हजारों श्रमिकों की कड़ी मेहनत थी। ब्रिटिशों ने बिहार, ओडिशा और झारखंड जैसे क्षेत्रों से आदिवासी समुदायों के लोगों को लाकर इस बागान में श्रमिक के रूप में नियुक्त किया। ये श्रमिक लगभग अमानवीय परिस्थितियों में काम करते थे, न्यूनतम मजदूरी और सीमित सुविधाओं के बदले।

श्रमिकों का जीवन और संघर्ष
बागराकोट टी एस्टेट में श्रमिकों का जीवन अत्यंत कठिन था। ब्रिटिश बागान मालिक श्रमिकों के लिए न्यूनतम आवास और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करते थे। श्रमिक लंबे समय तक काम करते थे, और उनकी जीवनशैली का स्तर बहुत निम्न था। कई बार श्रमिकों में असंतोष फैल जाता था, जो छोटे-मोटे विद्रोह या हड़ताल का रूप ले लेता था। हालांकि, ब्रिटिश प्रशासन इस तरह के आंदोलनों को कठोरता से दबा देता था।

बागराकोट के श्रमिकों में अधिकांश सांताल, ओरांव और मुंडा समुदाय के थे। इन समुदायों की अपनी संस्कृति, भाषा और परंपराएं थीं, जिन्हें वे बागान में लाकर अपने जीवन को समृद्ध करते थे। लेकिन ब्रिटिश इन संस्कृतियों के प्रति बहुत कम सम्मान दिखाते थे। श्रमिकों की यह कहानी बागराकोट टी एस्टेट के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था और चाय उद्योग
बागराकोट टी एस्टेट जलपाईगुड़ी की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। ब्रिटिश काल में चाय उद्योग इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार था। चाय बागानों से उत्पादित चाय विदेशों में निर्यात की जाती थी, जो ब्रिटिशों के लिए भारी मुनाफा लाती थी। लेकिन इस लाभ का एक छोटा सा हिस्सा ही स्थानीय श्रमिकों तक पहुंचता था।

1960 के दशक में जलपाईगुड़ी में आई भयानक बाढ़ के कारण चाय उद्योग को बड़ा झटका लगा। बागराकोट टी एस्टेट भी इस प्राकृतिक आपदा के प्रभाव से नहीं बच सका। बाढ़ के बाद बागान की मालिकाना हक में बदलाव होने लगा, और चाय उद्योग का केंद्र धीरे-धीरे अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित हो गया। फिर भी, बागराकोट ने अपनी ऐतिहासिक महत्व को बनाए रखा है।

बागराकोट का सांस्कृतिक विरासत
बागराकोट टी एस्टेट न केवल चाय उत्पादन के लिए, बल्कि अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए भी प्रसिद्ध है। इस बागान के श्रमिकों ने अपनी उत्सवों, नृत्यों और संगीत के माध्यम से अपनी संस्कृति को जीवित रखा है। सांताल समुदाय के पारंपरिक नृत्य और गीत इस क्षेत्र का एक विशेष आकर्षण हैं। इसके अलावा, बागान के आसपास की प्राकृतिक सुंदरता, जैसे मूर्ति नदी और गोरुमारा राष्ट्रीय उद्यान, इस क्षेत्र को पर्यटन के लिए भी आकर्षक बनाती है।

वर्तमान स्थिति और भविष्य
आज बागराकोट टी एस्टेट अपनी ऐतिहासिक महत्व को बनाए रखते हुए चाय उत्पादन जारी रखे हुए है। हालांकि, श्रमिकों के जीवन स्तर को बेहतर करना और आधुनिक तकनीक का उपयोग अब इस बागान की प्रमुख चुनौतियां हैं। ब्रिटिश काल का यह ऐतिहासिक बागान आज भी जलपाईगुड़ी की अर्थव्यवस्था और संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है।
बागराकोट टी एस्टेट का इतिहास हमें औपनिवेशिक शासन की कठिन वास्तविकताओं और श्रमिकों के संघर्ष की कहानी सुनाता है। इस बागान की कहानी जलपाईगुड़ी के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जो आज भी हमारे लिए अज्ञात और अनदेखा रहा है।

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डुआर्स के राष्ट्रीय उद्यान तीन महीने के लिए बंद, वन्यजीव संरक्षण पर जोर https://ekolkata24.com/business/duars-national-parks-closed-for-monsoon-wildlife-conservation-priority Mon, 16 Jun 2025 09:42:35 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51768 उत्तर बंगाल, 16 जून: आज से डुआर्स के सभी राष्ट्रीय उद्यान (Duars National Parks) और वन्यजीव संरक्षित क्षेत्र पर्यटकों के लिए तीन महीने के लिए बंद हो गए हैं। अलिपुरद्वार जिले के बक्सा टाइगर रिजर्व, जलदापाड़ा राष्ट्रीय उद्यान, चिलापाता, जयंती और जलपाईगुड़ी जिले के गोरुमारा राष्ट्रीय उद्यान सहित अन्य वन क्षेत्र 16 जून से 15 सितंबर तक बंद रहेंगे। हर साल मानसून के मौसम में इस अवधि के दौरान वन विभाग वन्यजीवों के प्रजनन और जंगल के पुनर्जनन के लिए यह निर्णय लेता है। इन तीन महीनों में पर्यटकों का जंगल में प्रवेश पूरी तरह से निषिद्ध रहेगा, और जंगल सफारी व हाथी सफारी जैसे गतिविधियाँ भी बंद रहेंगी।

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मानसून के दौरान जंगल के रास्ते फिसलन भरे और खतरनाक हो जाते हैं, जो पर्यटकों के लिए जोखिम भरा है। इसके अलावा, इस दौरान वन्यजीवों का प्रजनन काल चरम पर होता है। वन विभाग के अनुसार, इस अवधि में वन्यजीवों के निर्बाध जीवन चक्र को बनाए रखना और उनके प्रजनन प्रक्रिया में किसी भी तरह की बाधा न डालना अत्यंत महत्वपूर्ण है। मानसून के पानी से जंगल के खाल, बिल, नदी-नाले भर जाते हैं, जो वन्यजीवों के लिए पर्याप्त भोजन और पानी का स्रोत प्रदान करते हैं। इस समय जंगल में विभिन्न प्रजातियों के ऑर्किड, नए फल-फूल और पौधे तरोताजा हो जाते हैं, जो वन्यजीवों के लिए आदर्श वातावरण बनाते हैं।

कल, जंगल बंद होने से एक दिन पहले, डुआर्स के पर्यटन केंद्रों में पर्यटकों की भीड़ उल्लेखनीय थी। जलदापाड़ा, चिलापाता, जयंती, गोरुमारा सहित विभिन्न जंगल-सटे क्षेत्रों में पर्यटकों का तांता लगा रहा। स्थानीय होटल, रिसॉर्ट और होमस्टे पिछले सप्ताह भर पर्यटकों की भीड़ से गुलजार रहे। हालांकि, आज से ये क्षेत्र शांत हो जाएंगे, क्योंकि पर्यटकों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।

वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “मानसून के समय जंगल का पुनर्जनन और वन्यजीवों की सुरक्षा हमारा मुख्य लक्ष्य है। इन तीन महीनों में जंगल का पर्यावरण पुनर्जनन होता है और वन्यजीव सुरक्षित रूप से प्रजनन कर सकते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “इस दौरान जंगल वन्यजीवों के लिए एक सुरक्षित आश्रय बन जाता है, जो उनके जीवन चक्र के लिए बहुत जरूरी है।”

इस बंदी से स्थानीय पर्यटन उद्योग पर कुछ प्रभाव पड़ेगा, लेकिन वन्यजीव संरक्षण के लिए इस कदम का सभी समर्थन कर रहे हैं। पर्यटकों से अनुरोध किया गया है कि 15 सितंबर के बाद जंगल फिर से खुलने पर नियमों का पालन करके भ्रमण करें। इस दौरान पर्यटक डुआर्स के अन्य आकर्षण, जैसे चाय बागान या सांस्कृतिक गाँवों का दौरा कर सकते हैं। डुआर्स के जंगल 16 सितंबर को फिर से पर्यटकों के लिए खुलेंगे, जब मानसून के बाद जंगल अपने हरे-भरे रूप में लौटेगा।

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कोचबिहार में शुभंकर की कमल खेती से सपनों की शुरुआत! https://ekolkata24.com/business/from-small-pots-to-big-dreams-cooch-behars-shubhankar-redefines-lotus-farming Mon, 16 Jun 2025 08:32:31 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51759

कोचबिहार के एक युवा उद्यमी शुभंकर साहा कमल की खेती (Lotus Farming) के माध्यम से उत्तर बंगाल के कृषि क्षेत्र में नई संभावनाएं तलाश रहे हैं। कमल का फूल, जो न केवल सुंदरता और पवित्रता का प्रतीक है, बल्कि अब शुभंकर के प्रयासों से व्यावसायिक अवसरों का नया रास्ता भी बन रहा है। घर की छत पर एक छोटे गमले से शुरू हुआ यह सफर अब सपनों के खेत तक पहुंच चुका है, जो उत्तर बंगाल के किसानों के लिए एक प्रेरणा बन रहा है। इस लेख में हम शुभंकर की इस यात्रा, कमल की खेती की संभावनाओं, बाजार की मांग, और एक्स पर प्रशंसकों की प्रतिक्रियाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

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यात्रा की शुरुआत
शुभंकर साहा, कोचबिहार के एक साधारण युवक, ने सोशल मीडिया पर कमल की खेती के वीडियो देखकर इस काम में रुचि ली। वे कहते हैं, “मैंने सबसे पहले यूट्यूब पर कमल की खेती के वीडियो देखे। फूल की सुंदरता और इसकी खेती की आसान विधि ने मुझे आकर्षित किया। तब मैंने सोचा, क्यों न घर पर छोटे स्तर पर इसे शुरू किया जाए।” इस विचार के साथ उन्होंने अपनी छत पर एक छोटे गमले में कमल की खेती शुरू की। शुरुआत में यह सिर्फ एक शौक था। लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने देखा कि उनके द्वारा उगाए गए कमल के पौधे अच्छे फूल दे रहे हैं और स्थानीय लोगों में इसके प्रति रुचि बढ़ रही है।

शुभंकर का यह छोटा सा प्रयास धीरे-धीरे व्यावसायिक रूप लेने लगा। उन्हें एहसास हुआ कि कमल के फूलों की बाजार में मांग है, खासकर पूजा-अर्चना और सजावट के लिए। वे कहते हैं, “कमल के फूलों की मांग पूरे साल रहती है। विशेष रूप से दुर्गा पूजा, लक्ष्मी पूजा के समय इसकी मांग बढ़ जाती है। इसके अलावा, फूल की पंखुड़ियों और बीजों की भी बाजार में कीमत है।”

कमल की खेती के फायदे
कमल की खेती में लागत अपेक्षाकृत कम आती है। शुभंकर बताते हैं, “एक गमले में कमल की खेती में ज्यादा खर्च नहीं होता। मिट्टी, पानी, और थोड़ी खाद की जरूरत होती है। लेकिन देखभाल और धैर्य जरूरी है।” वे कोचबिहार की जलवायु और मिट्टी की गुणवत्ता को इस खेती के लिए उपयुक्त मानते हैं। वे कहते हैं, “उत्तर बंगाल के जलाशय और तालाब कमल की खेती के लिए आदर्श हैं। बस सही योजना और प्रशिक्षण की जरूरत है।”

वर्तमान में शुभंकर छोटे स्तर पर खेती कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने आय का स्रोत देखना शुरू कर दिया है। वे स्थानीय बाजार में कमल के फूल बेच रहे हैं, और पूजा के समय उनकी मांग ने उन्हें और प्रोत्साहित किया है। वे कहते हैं, “एक कमल का फूल 50-100 रुपये में बिकता है। अगर बड़े पैमाने पर खेती हो, तो मुनाफा बढ़ेगा।”

उत्तर बंगाल में कमल की खेती की संभावनाएं
उत्तर बंगाल में कमल की खेती अब तक लगभग अनजान थी। दक्षिण बंगाल के कुछ जिलों, जैसे हावड़ा और पूर्व मेदिनीपुर, में कमल की खेती व्यावसायिक रूप से होती रही है, लेकिन उत्तर बंगाल में यह नया है। शुभंकर का यह प्रयास इस क्षेत्र में कमल की खेती की संभावनाओं को उजागर करता है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर बंगाल के जलाशय और तालाब इस खेती के लिए आदर्श हैं। हालांकि, किसानों को प्रशिक्षण और सरकारी सहायता की जरूरत है।

कोचबिहार के कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “कमल की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा दे सकती है। हम शुभंकर जैसे उद्यमियों को प्रशिक्षण और सब्सिडी देने की योजना बना रहे हैं।” शुभंकर खुद भी अन्य किसानों को इस खेती के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं। वे कहते हैं, “मैं चाहता हूं कि मेरे गांव के और लोग इस खेती से जुड़ें। इससे हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।”

चुनौतियां और भविष्य की योजना
कमल की खेती में संभावनाओं के साथ कुछ चुनौतियां भी हैं। शुभंकर कहते हैं, “फूलों का संरक्षण और परिवहन एक समस्या है। इसके अलावा, बाजार में प्रतिस्पर्धा भी है।” वे बड़े पैमाने पर खेती करने की योजना बना रहे हैं और सरकारी सब्सिडी व प्रशिक्षण की उम्मीद कर रहे हैं। वे कहते हैं, “मेरा सपना एक कमल की खेती का फार्म शुरू करने का है, जहां अन्य लोग भी काम कर सकें।”

संभावित प्रभाव
शुभंकर का यह प्रयास उत्तर बंगाल में कमल की खेती का एक नया अध्याय शुरू कर सकता है। यह किसानों के लिए वैकल्पिक आय का स्रोत बन सकता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकता है। यदि सरकार और कृषि विभाग इस पहल का समर्थन करें, तो उत्तर बंगाल में कमल की खेती में क्रांति आ सकती है।

शुभंकर साहा की छोटे गमले से शुरू हुई कमल की खेती की यात्रा अब सपनों के खेत तक पहुंच चुकी है। उनका यह प्रयास न केवल व्यक्तिगत सफलता की कहानी है, बल्कि उत्तर बंगाल के कृषि क्षेत्र में नई संभावनाओं का द्वार खोलता है। सही दिशा-निर्देश और सहायता मिले, तो शुभंकर की यह कमल की खेती अन्य युवाओं को भी प्रेरित कर सकती है।

 

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सीमा पार करने की कोशिश नाकाम, बांग्लादेशी युवक और भारतीय युवती पुलिस हिरासत में https://ekolkata24.com/west-bengal/north-bengal/bangladeshi-youth-indian-woman-arrested-in-haldibari-for-illegal-border-crossing-attempt Sat, 14 Jun 2025 20:16:09 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51633 अयन दे, उत्तर बंगाल: शुक्रवार देर रात कोच बिहार के हल्दीबाड़ी ब्लॉक में अवैध रूप से सीमा पार (llegal Border Crossing) करने की कोशिश के दौरान हल्दीबाड़ी थाना पुलिस ने एक बांग्लादेशी युवक और एक भारतीय युवती को हिरासत में लिया। इस घटना से इलाके में हड़कंप मच गया। पकड़े गए युवक का नाम जीबन दास (30) है, जो बांग्लादेश के रंगपुर जिले के बुरारघाट बाजार क्षेत्र का निवासी है।

पुलिस के अनुसार, जीबन दास लगभग 20-25 दिन पहले खुले सीमा क्षेत्र से भारत में घुसा था। इसके बाद वह माथाभांगा में अपने रिश्तेदारों के घरों में रहा और फिर हल्दीबाड़ी ब्लॉक के पारमेलीगंज ग्राम पंचायत के तीस्ता नदी के किनारे वाले क्षेत्र में पहुंचा। उसका मकसद चोरी-छिपे बांग्लादेश वापस लौटना था, लेकिन उससे पहले वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया।

दूसरी ओर, हल्दीबाड़ी ब्लॉक के अंगुलदेखा बाजार क्षेत्र से तहिदा नाम की एक दक्षिण भारतीय युवती को भी पुलिस ने हिरासत में लिया। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, तहिदा अपने एक भाई के साथ हल्दीबाड़ी आई थी। उनका इरादा बांग्लादेश में तहिदा के भाई की प्रेमिका को अवैध रूप से भारत लाने का था। इसके लिए उन्होंने एक दलाल से संपर्क भी किया था। लेकिन पुलिस की सतर्कता ने उनकी सारी योजना पर पानी फेर दिया। तहिदा का भाई मौका पाकर फरार हो गया, लेकिन तहिदा और जीबन दास पुलिस की गिरफ्त में आ गए।

हल्दीबाड़ी थाना पुलिस ने दोनों को थाने लाकर पूछताछ शुरू की है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उनका असली मकसद क्या था और क्या इस घटना में कोई अन्य व्यक्ति या नेटवर्क शामिल है। यह घटना सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत को दर्शाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हल्दीबाड़ी सीमा क्षेत्र में ऐसी घटनाएं अक्सर होती हैं, और इस बार पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने एक बड़े अपराध को रोक दिया।

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नई हमसफर एक्सप्रेस शुरू, तीस्ता तट पर खुशी की लहर https://ekolkata24.com/business/jalpaiguri-road-to-sealdah-humsafar-express-launched-boosts-north-bengal-connectivity Sat, 14 Jun 2025 19:55:36 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51628 शनिवार दोपहर को जलपाईगुड़ी रोड स्टेशन से सियालदह जाने वाली नई हमसफर एक्सप्रेस (Humsafar Express) ट्रेन का औपचारिक उद्घाटन हुआ। पूरी तरह से वातानुकूलित (एसी) कोच से सुसज्जित इस नई ट्रेन ने उत्तर बंगाल और कोलकाता के बीच कनेक्टिविटी को और मजबूत कर दिया है। ट्रेन का शुभारंभ जलपाईगुड़ी लोकसभा क्षेत्र के सांसद डॉ. जयंत कुमार राय ने किया। इस अवसर पर रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी और स्थानीय लोग उपस्थित थे।

यह नई ट्रेन जलपाईगुड़ी रोड से सियालदह तक मुर्शिदाबाद के नशीपुर के रास्ते जाएगी, जो स्थानीय लोगों के लिए विशेष रूप से सुविधाजनक है। स्थानीय निवासी कार्तिक चंद्र दास ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, “यह ट्रेन मेरे मामा के घर मुर्शिदाबाद होकर कोलकाता जाएगी। इससे हमारा सफर बहुत आसान हो जाएगा।” उन्होंने आगे कहा, “एसी कोच की सुविधा के कारण यात्रा आरामदायक होगी।”

जानकारी के अनुसार, यह ट्रेन शनिवार को सुबह 3:58 बजे जंगीपुर में और रविवार को रात 2:48 बजे नशीपुर में रुकेगी। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह नई ट्रेन उत्तर बंगाल की अर्थव्यवस्था और पर्यटन को बढ़ावा देगी। अब तक जलपाईगुड़ी रोड से सियालदह जाने के लिए लोग अन्य ट्रेनों पर निर्भर थे, जो समय लेने वाली थीं। अब हमसफर एक्सप्रेस के जरिए यात्रा तेज और आरामदायक होगी।

सांसद डॉ. जयंत कुमार राय ने कहा, “यह ट्रेन उत्तर बंगाल के लोगों के लिए मोदी सरकार का एक महत्वपूर्ण उपहार है। यह कोच बिहार, अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी जैसे क्षेत्रों को कोलकाता के करीब लाएगी।” तीस्ता तट के निवासियों ने इस नई ट्रेन के लिए केंद्र सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है। इस ट्रेन के शुरू होने से तीस्ता तट पर उत्सव का माहौल छा गया है।

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21 जुलाई शहीद दिवस की तैयारियां शुरू, तृणमूल कांग्रेस की दीवार लेखन मुहिम https://ekolkata24.com/top-story/cooch-behar-gears-up-for-21-july-shahid-diwas-with-tmcs-vibrant-wall-writing-campaign Sat, 14 Jun 2025 19:23:48 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51624 अयन दे, उत्तर बंगाल: शनिवार को कोच बिहार शहर के विभिन्न इलाकों में तृणमूल कांग्रेस ने 21 जुलाई शहीद दिवस (Shahid Diwas) के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत की। हर साल की तरह इस बार भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आह्वान पर कोलकाता में ऐतिहासिक शहीद सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। इस सम्मेलन को सफल बनाने के लिए कोच बिहार जिला तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को दीवार लेखन के साथ प्रचार की शुरुआत की। शहर की दीवारें तृणमूल के परिचित नारों से रंग गईं।

“ममता बनर्जी जिंदाबाद”, “अभिषेक बनर्जी जिंदाबाद”, “दीदी के बुलावे पर बार-बार – कोच बिहार, कोच बिहार” जैसे नारे शहर की दीवारों पर उकेरे गए। इस अभियान का नेतृत्व कोच बिहार जिला तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व सांसद पार्थ प्रतिम राय ने किया। उनके नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ता और समर्थक दीवार लेखन में सक्रिय रूप से शामिल हुए।

पार्थ प्रतिम राय ने इस अवसर पर कहा, “21 जुलाई केवल एक राजनीतिक सम्मेलन नहीं है, यह बंगालियों के आंदोलन और लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ाई का प्रतीक है। 1993 में फोटो युक्त वोटर कार्ड की मांग को लेकर ममता बनर्जी के नेतृत्व में आंदोलन के दौरान 13 युवा कांग्रेस कार्यकर्ता शहीद हो गए थे। उनकी स्मृति में हम हर साल इस दिन को मनाते हैं। इस बार भी कोच बिहार से हजारों कार्यकर्ता कोलकाता के शहीद सम्मेलन में शामिल होंगे।”

उन्होंने आगे बताया, “दीवार लेखन के साथ हमारा प्रचार शुरू हो चुका है। आने वाले दिनों में बूथ, क्षेत्र और ब्लॉक स्तर पर पथसभाएं, जुलूस और जनसंपर्क अभियान चलाए जाएंगे। हमारा लक्ष्य शहीद दिवस के माध्यम से कार्यकर्ताओं में उत्साह जगाना और लोकतंत्र की रक्षा का संदेश जन-जन तक पहुंचाना है।”

पार्टी कार्यकर्ताओं में इस अभियान को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा गया। शहर के विभिन्न इलाकों में तृणमूल का दीवार लेखन आम लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “इस तरह के प्रचार से पार्टी की संगठनात्मक ताकत झलकती है। 21 जुलाई शहीद दिवस हमारे लिए भावनाओं से भरा दिन है।”

1993 में 21 जुलाई को कोलकाता में महाकरण अभियान के दौरान पुलिस की गोलीबारी में 13 युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मौत हो गई थी। तृणमूल कांग्रेस के गठन के बाद से इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। कोच बिहार जिला तृणमूल इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहले से ही व्यापक तैयारियां शुरू कर चुका है, जो आने वाले दिनों में और तेज होगी।

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Dooars Forests: प्राकृतिक प्रजनन काल में बाधा न पड़े, इसलिए डुआर्स के जंगलों में तीन महीने के लिए ताला! https://ekolkata24.com/business/dooars-forests-shut-for-three-months-to-protect-wildlife-breeding Sat, 14 Jun 2025 06:57:58 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51575 पश्चिम बंगाल के डुआर्स क्षेत्र के प्रसिद्ध जंगलों (Dooars Forests) जैसे गोरुमारा, जलदापाड़ा, बक्सा, चपरामारी और नेओरावैली में अब पर्यटक नहीं जा सकेंगे — कम से कम अगले तीन महीनों के लिए।

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16 जून से 15 सितंबर तक सभी राष्ट्रीय उद्यान और संरक्षित वन क्षेत्र बंद रहेंगे। यह निर्णय पश्चिम बंगाल के वन विभाग ने लिया है, जो हर वर्ष इस अवधि को वन्यजीवों के प्रजनन काल के रूप में मान्यता देता है।

इस अवधि में जंगलों में हरियाली घनी होती है, रास्ते फिसलनभरे और खतरनाक हो जाते हैं, और सबसे महत्वपूर्ण—जानवर अपने प्राकृतिक जीवनचक्र में होते हैं। इस शांतिपूर्ण प्रजनन काल में इंसानों की मौजूदगी, गाड़ियों की आवाजें और गतिविधियाँ उनकी प्राकृतिक दिनचर्या में बाधा डाल सकती हैं।

वन विभाग ने स्पष्ट किया है कि जंगल सफारी, हाथी की सवारी, जंगल लॉज में रात बिताना जैसे सभी गतिविधियाँ पूर्ण रूप से बंद रहेंगी।

इस निर्णय से जहाँ एक ओर जंगल और वन्यजीवों को सुरक्षा मिलेगी, वहीं दूसरी ओर स्थानीय पर्यटन व्यवसाय को बड़ा झटका लगने वाला है। होटल, टूर गाइड, गाड़ी चालक और वन लॉज के कर्मचारी इस अवधि में बेरोजगार हो सकते हैं।

हालाँकि, थोड़ी राहत की बात यह है कि जलपाईगुड़ी वन विभाग ने राज्य के वन विभाग को एक प्रस्ताव भेजा है कि जंगल से बाहर स्थित कुछ वॉच टावर और कैंप जैसे—धूपझोरा, पांझोरा, कालिकापुर, हौर्नबिल कैंप और चुकचुकी—को पर्यटकों के लिए खुला रखा जाए।

पर्यावरणविदों और वन अधिकारियों का मानना है कि इस तरह के छोटे-छोटे कदमों से संतुलन बना रहेगा — जानवरों को उनका प्राकृतिक परिवेश मिलेगा, और स्थानीय लोगों को कुछ हद तक आय भी।

वन विभाग ने घोषणा की है कि 16 सितंबर से फिर से सभी राष्ट्रीय उद्यान और संरक्षित वन क्षेत्र पर्यटकों के लिए खोल दिए जाएंगे। तब तक, डुआर्स के जंगलों में सिर्फ प्रकृति की नीरवता और जानवरों की मृदुल उपस्थिति ही सुनाई देगी।

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पक्षियों की प्यास बुझाने को युवाओं की अनोखी पहल https://ekolkata24.com/west-bengal/north-bengal/north-bengal-kamakhyagurivolunteers-provide-water-for-birds-amid-heatwave Fri, 13 Jun 2025 20:45:00 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51552 अयन दे, उत्तरबंगाल: भीषण गर्मी ने पूरे उत्तरबंगाल को झुलसा दिया है। सड़कें सूनी हो गई हैं, और कई जगहों पर जलाशय और नाले सूख गए हैं। इस स्थिति में जंगल से सटे इलाकों में पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए कामाख्यागुड़ी (Kamakhyaguri) वॉलंटियर ऑर्गनाइजेशन ने एक अनोखी पहल शुरू की है। शुक्रवार दोपहर को संगठन के सदस्यों ने बक्सा टाइगर रिजर्व के छिपड़ा जंगल क्षेत्र में मिट्टी के मटके और प्लास्टिक के बड़े डिब्बों में पानी भरकर पेड़ों पर लटकाया।

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संगठन के अधिकारी उदय शंकर देवनाथ ने बताया, “हर साल गर्मियों में हम पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए यह पहल करते हैं। इस बार भी हमने छिपड़ा जंगल के विभिन्न हिस्सों में मिट्टी के मटके और प्लास्टिक के डिब्बों में पानी भरकर पेड़ों पर टांगना शुरू किया है। अगले सात दिनों तक जंगल के अलग-अलग हिस्सों में यह काम जारी रहेगा।” उन्होंने कहा कि इस पहल से पक्षियों को आसानी से पानी मिलेगा, जो उनकी जिंदगी के लिए बेहद जरूरी है।

बक्सा टाइगर रिजर्व के साउथ रायडाक रेंज के रेंजर देवाशीष मंडल ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “भीषण गर्मी में जंगल के पक्षी पानी की कमी से जूझते हैं। कामाख्यागुड़ी वॉलंटियर ऑर्गनाइजेशन की यह मानवीय पहल सराहनीय है।” वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी इस प्रयास की प्रशंसा की और कहा, “इस तरह की पहल पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीवों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।”

स्थानीय लोगों ने भी इस पहल का स्वागत किया है। एक स्थानीय निवासी, रमेश बर्मन ने कहा, “गर्मी में पक्षियों के लिए पानी ढूंढना मुश्किल हो जाता है। यह पहल न केवल पक्षियों के लिए, बल्कि हमारे पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।” संगठन के सदस्यों ने बताया कि वे नियमित रूप से इस तरह के कार्य करते हैं और भविष्य में भी इसे जारी रखेंगे।

यह पहल जंगल के पक्षियों के लिए जीवनदायी सहायता है। जब गर्मी में जल स्रोत सूख जाते हैं, तब इस तरह का प्रयास पक्षियों को जीवित रहने का मौका देता है। कामाख्यागुड़ी वॉलंटियर ऑर्गनाइजेशन की यह कोशिश पर्यावरण के प्रति उनके जिम्मेदारी और मानवता का एक शानदार उदाहरण है।

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कोचबिहार में एलन सिलीगुड़ी का सेमिनार, टॉपर छात्रों का सम्मान https://ekolkata24.com/west-bengal/north-bengal/cooch-behar-hosts-allen-siliguri-seminar-felicitates-toppers Fri, 13 Jun 2025 19:44:56 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51544 अयन दे, कोचबिहार: कोचबिहार (Cooch Behar) में शुक्रवार को एलन सिलीगुड़ी कैरियर इंस्टीट्यूट के तत्वावधान में एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया गया। शहर के एक निजी होटल में आयोजित इस समारोह में कोचबिहार जिले के विभिन्न स्कूलों के माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में उत्तीर्ण टॉपर छात्र-छात्राएं शामिल हुए।

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इस सेमिनार का मुख्य उद्देश्य मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित करना और उनकी उच्च शिक्षा और करियर की राह में सही दिशा-निर्देश देना था। इस आयोजन में न केवल कोचबिहार, बल्कि राज्य के विभिन्न हिस्सों से माध्यमिक और उच्च माध्यमिक परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया।

एलन सिलीगुड़ी सेंटर के प्रमुख ने इस अवसर पर कहा, “हमारा लक्ष्य केवल पढ़ाई में सहायता करना नहीं, बल्कि छात्रों को उनके सपनों को साकार करने का सही रास्ता दिखाना है। आज जिन्होंने सफलता हासिल की है, उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे समाज के लिए गर्व की बात है। हम चाहते हैं कि ये प्रतिभाएं भविष्य में डॉक्टर, इंजीनियर, शोधकर्ता या अन्य क्षेत्रों में देश का नाम रोशन करें। एलन हमेशा उनके साथ है और रहेगा।”

समारोह में उपस्थित छात्र-छात्राओं के चेहरों पर उत्साह और अभिभावकों की आंखों में गर्व की चमक साफ दिखाई दे रही थी। एक मेधावी छात्रा, रिया साहा ने कहा, “यह सम्मान मेरे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है। एलन का यह सेमिनार मुझे अपने लक्ष्य की ओर और आगे बढ़ने का हौसला देता है।” इसी तरह, एक अभिभावक, अमित राय ने कहा, “मेरे बेटे की इस सफलता पर हमें गर्व है। एलन की यह पहल हमारे जैसे अभिभावकों के लिए बहुत बड़ा समर्थन है।”

सेमिनार में छात्रों के लिए करियर से संबंधित विभिन्न सलाह दी गईं। विशेष रूप से मेडिकल, इंजीनियरिंग और शोध जैसे क्षेत्रों में प्रवेश के लिए तैयारी कैसे करनी है, इस पर विस्तृत चर्चा हुई। एलन के विशेषज्ञों ने छात्रों के साथ व्यक्तिगत रूप से बातचीत कर उनके सवालों का जवाब दिया और भविष्य की योजनाओं पर सलाह दी। इसके अलावा, उपस्थित छात्रों को सम्मान के रूप में प्रमाण पत्र और पुरस्कार प्रदान किए गए, जिसने उनके उत्साह को और बढ़ाया।

यह सेमिनार शिक्षा के महत्व और मेधावी छात्रों को मान्यता देने की आवश्यकता पर नए सिरे से प्रकाश डालता है। स्थानीय शिक्षक समुदाय ने भी इस पहल की सराहना की। एक शिक्षक ने कहा, “इस तरह के सेमिनार छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ाते हैं और उन्हें सही रास्ते पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।”

एलन सिलीगुड़ी कैरियर इंस्टीट्यूट लंबे समय से छात्रों को उच्च शिक्षा की तैयारी में सहायता करता आ रहा है। उनकी यह पहल कोचबिहार के छात्रों में एक नई उम्मीद जगाती है। स्थानीय निवासियों का मानना है कि इस तरह के आयोजन छात्रों के करियर निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। एलन प्रबंधन ने बताया कि भविष्य में भी इस तरह के आयोजन जारी रहेंगे।

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डीमा चाय बागान में तेंदुए के हमले में महिला मजदूर घायल https://ekolkata24.com/west-bengal/north-bengal/woman-tea-worker-injured-in-leopard-attack-at-dima-estate Fri, 13 Jun 2025 19:15:03 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51541 अयन दे, अलिपुरद्वार: अलिपुरद्वार के डीमा चाय बागान में गुरुवार सुबह एक तेंदुए के अचानक हमले (Leopard Attack) में एक महिला चाय मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गई। यह घटना बागान के नए डिवीजन में हुई। घायल मजदूर का नाम बंधेन मुंडा है। इस घटना ने पूरे चाय बागान में दहशत और सनसनी फैला दी है।

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जानकारी के अनुसार, बंधेन मुंडा रोज की तरह चाय की पत्तियां तोड़ रही थीं, तभी बागान के एक नाले से एक तेंदुआ अचानक बाहर कूदा और उन पर झपट पड़ा। हमले में वह जमीन पर गिर पड़ीं और गंभीर रूप से घायल हो गईं। उनकी चीख सुनकर आसपास काम कर रहे अन्य मजदूर दौड़े और उन्हें बचाया। आनन-फानन में उन्हें लताबाड़ी ग्रामीण अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, उनकी हालत स्थिर है, लेकिन ठीक होने में समय लगेगा।

इस घटना के बाद चाय बागान के मजदूरों में डर का माहौल है। मजदूरों का कहना है कि डीमा चाय बागान जंगल के करीब स्थित है, जिसके कारण जंगली जानवरों का आना-जाना आम बात है। पिछले कुछ वर्षों में अलिपुरद्वार और जलपाईगुड़ी जिले के विभिन्न चाय बागानों में तेंदुओं के हमले की घटनाएं बढ़ी हैं। मजदूरों ने मांग की है कि वन विभाग नियमित निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करे। एक मजदूर ने कहा, “हम हर दिन अपनी जान जोखिम में डालकर काम करते हैं। वन विभाग को बागान में कैमरे या पिंजरे लगाकर तेंदुओं की गतिविधियों पर नियंत्रण करना चाहिए।”

स्थानीय प्रशासन और वन विभाग ने घटना की जांच शुरू कर दी है। जलपाईगुड़ी वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “हमने घटनास्थल का दौरा किया है। तेंदुए की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए बागान में कैमरे लगाने की योजना है। इसके अलावा, मजदूरों की सुरक्षा के लिए पिंजरे स्थापित किए जाएंगे।” उन्होंने यह भी बताया कि घायल मजदूर के इलाज का खर्च वन विभाग वहन करेगा।

चाय बागान मजदूर यूनियन के एक नेता ने कहा, “इस तरह की घटनाएं बार-बार हो रही हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। बागान के मजदूर असुरक्षित स्थिति में काम कर रहे हैं।” उन्होंने मांग की कि जंगली जानवरों और मनुष्यों के बीच टकराव को कम करने के लिए जंगल संरक्षण और वैकल्पिक उपाय किए जाएं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि जंगल का लगातार सिकुड़ना और चाय बागानों की नजदीकी स्थिति के कारण तेंदुए भोजन की तलाश में बागानों में घुस आते हैं। इस घटना के बाद मजदूरों में काम पर लौटने की अनिच्छा देखी जा रही है। उनका कहना है कि जब तक सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलती, तब तक काम पर लौटना डरावना है।

यह घटना अलिपुरद्वार के चाय बागानों में मनुष्य-जंगली जानवरों के टकराव की बड़ी समस्या की ओर इशारा करती है। मजदूरों और स्थानीय निवासियों ने वन विभाग से त्वरित कार्रवाई की मांग की है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।

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भीषण गर्मी में शरबत वितरण, भवानीगंज हनुमान मंदिर कमेटी की मानवीय पहल https://ekolkata24.com/west-bengal/north-bengal/bhawaniganj-temple-distributes-free-sharbat-to-ease-cooch-behar-heatwave Fri, 13 Jun 2025 19:04:49 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51538 अयन दे, कोचबिहार: भीषण गर्मी ने कोचबिहार के लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। चिलचिलाती धूप और तपती गर्मी से राहत पाने के लिए राहगीरों से लेकर बाजार में आने-जाने वाले खरीदार और दुकानदार ठंडे पेय की तलाश में हैं। ऐसे में कोचबिहार के भवानीगंज बाजार स्थित हनुमान मंदिर कमेटी ने एक मानवीय पहल शुरू की है। गर्मी से कुछ पल की राहत देने के लिए कमेटी ने शुक्रवार को ठंडा शरबत वितरण का आयोजन किया।

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भवानीगंज बाजार क्षेत्र में मंदिर कमेटी की ओर से राहगीरों, दुकानदारों और बाजार में आए लोगों को ठंडा शरबत बांटा गया। मंदिर कमेटी के एक सदस्य ने बताया, “हर साल की तरह इस साल भी हमने यह पहल शुरू की है। जो लोग इस तपती धूप में बाहर निकल रहे हैं, उनके चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कान ला सकें, यही हमारा उद्देश्य है।” उन्होंने आगे कहा कि यह आयोजन उनकी सामाजिक जिम्मेदारी का हिस्सा है।

शरबत मिलने से राहगीरों और बाजार में आए लोगों के चेहरों पर खुशी देखी गई। एक राहगीर, रमेश बर्मन ने कहा, “इस गर्मी में बाहर निकलकर काम करना बहुत मुश्किल है। ऐसे में मंदिर कमेटी से ठंडा शरबत मिलने से सचमुच राहत मिलती है। यह पहल वाकई काबिल-ए-तारीफ है।” बाजार में खरीदारी करने आई एक गृहिणी, माया राय ने कहा, “गर्मी में थकान इतनी ज्यादा हो जाती है कि कुछ पल के लिए यह शरबत पीकर शरीर में ताजगी आती है।”

स्थानीय निवासियों ने भी मंदिर कमेटी की इस पहल की सराहना की है। उनका मानना है कि यह कार्य सामाजिक जिम्मेदारी का एक बेहतरीन उदाहरण है। स्थानीय व्यापारी संघ के एक सदस्य ने कहा, “भवानीगंज हनुमान मंदिर कमेटी न केवल धार्मिक कार्यों में, बल्कि इस तरह की मानवीय पहल में भी हमेशा आगे रहती है। यह हम सभी के लिए प्रेरणा है।”

जब गर्मी ने लोगों की दिनचर्या को कठिन बना दिया है, तब यह शरबत वितरण का कार्यक्रम मानो एक ठंडी हवा का झोंका बनकर आया है। यह पहल न केवल शारीरिक थकान को कम कर रही है, बल्कि लोगों के मन में एकजुटता और प्रेम का संदेश भी फैला रही है। मंदिर कमेटी के सदस्यों ने बताया कि भविष्य में भी वे इस तरह के आयोजन जारी रखेंगे।
स्थानीय प्रशासन ने भी इस पहल की प्रशंसा की है। एक प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, “इस तरह के सामाजिक कार्य समुदाय में एकता को बढ़ाते हैं और लोगों में सहानुभूति की भावना जगाते हैं। हम मंदिर कमेटी के इस प्रयास की सराहना करते हैं।”

इस गर्मी में जब हर कदम मुश्किल हो रहा है, तब भवानीगंज हनुमान मंदिर कमेटी का यह प्रयास एक मरुद्यान की तरह है। शरबत का एक घूंट न केवल शरीर को, बल्कि मन को भी ठंडक दे रहा है। इस तरह की पहल से समाज में सकारात्मक बदलाव का रास्ता और चौड़ा होगा, ऐसी उम्मीद सभी को है।

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अवैध रेत तस्करी पर ममता बनर्जी के सख्त निर्देश, माथाभंगा में 5 डंपर जब्त https://ekolkata24.com/business/west-bengal-intensifies-action-against-illegal-sand-smuggling-in-cooch-behar Fri, 13 Jun 2025 17:22:57 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51535 अयन दे, कोचबिहार: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सख्त निर्देश के बाद अवैध रेत तस्करी (Illegal Sand Smuggling) के खिलाफ भू-राजस्व विभाग सक्रिय हो गया है। शुक्रवार तड़के साढ़े चार बजे कोचबिहार के माथाभंगा 1 नंबर ब्लॉक में छापेमारी कर विभाग के अधिकारियों ने पांच अवैध रेत से लदे डंपरों को जब्त किया। जब्त किए गए वाहनों के पास कोई वैध दस्तावेज नहीं थे, जिससे तस्करी का मामला स्पष्ट हो गया है।

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सूत्रों के अनुसार, मेखलीगंज के नया बंदर क्षेत्र में जलढाका और सुतूंगा नदियों से अवैध रूप से रेत का खनन कर गुप्त रूप से तस्करी की जा रही थी। अत्यधिक मात्रा में रेत के परिवहन से सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा था। हालांकि इस छापेमारी में डंपरों को पकड़ा गया, लेकिन नदियों से रेत खनन के स्रोतों को बंद न करने पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि प्रशासन के एक वर्ग के संरक्षण में ही यह अवैध कारोबार लंबे समय से चल रहा है।

हाल ही में पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ गया है, जिससे रेत खनन और अधिक खतरनाक हो गया है। गुरुवार को डायना नदी में तेज धारा में बहने से दो लोगों की मौत हो गई। इस स्थिति में भी अवैध और खतरनाक रेत खनन कैसे जारी है, इसे लेकर स्थानीय लोग और विपक्षी दल आक्रोश जता रहे हैं। उनका कहना है कि नदियों के किनारे क्षरण हो रहा है, जो पर्यावरण और कृषि के लिए गंभीर खतरा है।

विपक्षी नेता विश्वजीत दास ने आरोप लगाया, “मुख्यमंत्री बार-बार अवैध तस्करी रोकने का निर्देश देती हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता के कारण रेत माफिया बेलगाम हो गए हैं।” उन्होंने कहा, “नदियों से रेत खनन के मुख्य चक्र को तोड़े बिना इस समस्या का समाधान संभव नहीं है।”

प्रशासन ने बताया कि जब्त डंपरों के चालकों से पूछताछ जारी है और तस्करी चक्र में शामिल लोगों की पहचान के लिए जांच शुरू हो गई है। भू-राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “हम मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन करते हुए सख्त कार्रवाई कर रहे हैं। किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा।” उन्होंने यह भी बताया कि नदियों से अवैध रेत खनन रोकने के लिए निगरानी बढ़ाई जाएगी और चेकपोस्ट स्थापित करने की योजना है।

इस घटना पर स्थानीय लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया रही। कुछ ने प्रशासन के इस कदम का स्वागत किया, लेकिन कई का मानना है कि जब तक खनन के स्रोत पर रोक नहीं लगती, तब तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो सकता। इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए प्रशासन से और सख्त कदम उठाने की मांग हो रही है।

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Cooch Behar: खराब स्वास्थ्य सेवाओं से परेशान हैं स्थानीय लोग https://ekolkata24.com/west-bengal/north-bengal/cooch-behar-tharaikhana-primary-health-center-falls-into-disrepair-community-demands-immediate-action Fri, 13 Jun 2025 15:56:34 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51529 कोचबिहार (Cooch Behar) जिले के दिनहाटा 2 नंबर ब्लॉक के शुकुरुर कूटी ग्राम पंचायत में स्थित थोराईखाना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की दयनीय स्थिति को लेकर स्थानीय निवासियों में भारी आक्रोश है। एक समय यह स्वास्थ्य केंद्र क्षेत्र के लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का एक विश्वसनीय केंद्र हुआ करता था, लेकिन अब यह केवल नाममात्र का उप-स्वास्थ्य केंद्र बनकर रह गया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि दिन-ब-दिन सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होने के बजाय और गिरावट आ रही है।

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स्थानीय निवासियों के अनुसार, पहले इस स्वास्थ्य केंद्र में ऑपरेशन थिएटर, पर्याप्त डॉक्टर, नर्स और चौबीसों घंटे सेवा उपलब्ध थी। गर्भवती महिलाओं के प्रसव से लेकर गंभीर बीमारियों का प्राथमिक उपचार तक सब कुछ यहां संभव था। लेकिन अब डॉक्टरों की अनियमित उपस्थिति और आवश्यक दवाओं की कमी के कारण लोग सामान्य बीमारियों के लिए भी 25 किलोमीटर दूर दिनहाटा महकमा अस्पताल जाने को मजबूर हैं। सीमावर्ती क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए इतनी दूरी तय करना बेहद कठिन है।

लोगों ने यह भी बताया कि स्वास्थ्य केंद्र की कई इमारतें अब खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं। रखरखाव के अभाव में ये भवन जीर्ण-शीर्ण हो गए हैं, जो स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की कमजोरी को दर्शाता है। इसके अलावा, आपात स्थिति में एंबुलेंस की उपलब्धता एक बड़ी समस्या है। स्थानीय निवासी रमेन बर्मन ने कहा, “एंबुलेंस के पहुंचने से पहले ही कई बार मरीज की हालत और बिगड़ जाती है। कभी-कभी मरीज की जान भी चली जाती है।”

स्थानीय लोगों का एक और गंभीर आरोप है कि स्वास्थ्य केंद्र की इस बदहाली का फायदा उठाकर असामाजिक गतिविधियां बढ़ गई हैं। परित्यक्त भवनों ने अब असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है, जो क्षेत्र की सुरक्षा के लिए भी खतरा है।

स्थानीय निवासियों ने इस समस्या के समाधान के लिए स्थानीय विधायक और मंत्री उदयन गुहा से हस्तक्षेप की मांग की है। उनका मानना है कि मंत्री के प्रयासों से यह स्वास्थ्य केंद्र फिर से पहले की तरह बेहतर सेवाएं प्रदान कर सकता है। एक निवासी ने कहा, “हम चाहते हैं कि हमारा स्वास्थ्य केंद्र फिर से पहले की तरह सक्रिय हो। हमें दूर के अस्पतालों में भागना न पड़े।”

इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के किसी अधिकारी की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। हालांकि, स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी समस्याएं प्रशासन तक पहुंचेंगी और जल्द ही इस स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति में सुधार होगा।

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Jalpaiguri: नाबालिग के यौन उत्पीड़न का आरोप, ट्यूशन शिक्षक गिरफ्तार https://ekolkata24.com/west-bengal/north-bengal/outrage-in-jalpaiguri-tuition-teacher-held-for-alleged-sexual-assault-on-class-7-student Fri, 13 Jun 2025 15:18:31 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51523 जलपाईगुड़ी, 13 जून 2025: उत्तर बंगाल के जलपाईगुड़ी (Jalpaiguri) जिले के भक्तिनगर थाना क्षेत्र में एक नाबालिग के यौन उत्पीड़न के आरोप ने गुरुवार रात को तनाव पैदा कर दिया। आरोप है कि 44 नंबर वार्ड में एक ट्यूशन शिक्षक, अमर दास ने सातवीं कक्षा की एक छात्रा के साथ ट्यूशन के बहाने यौन उत्पीड़न किया। घटना सामने आने के बाद स्थानीय निवासियों और पीड़िता के परिवार ने उग्र होकर शिक्षक के घर पर हमला बोल दिया। भक्तिनगर थाने की पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया और आरोपी अमर दास को गिरफ्तार कर लिया। शुक्रवार को उसे जलपाईगुड़ी जिला अदालत में पेश किया गया।

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परिवार के अनुसार, पीड़िता का परिवार डेढ़ साल पहले 44 नंबर वार्ड के एक इलाके में किराए के मकान में रहने आया था। स्थानीय स्तर पर अमर दास के ट्यूशन की जानकारी मिलने पर उन्होंने अपनी बेटी को वहां पढ़ने के लिए भेजा। आरोप है कि गुरुवार दोपहर ट्यूशन के लिए नाबालिग अमर दास के घर गई। ट्यूशन खत्म होने के बाद अन्य छात्रों को छुट्टी देने के बाद, अमर दास ने नाबालिग को अकेले रखकर उसके कपड़े उतारकर यौन उत्पीड़न किया। पीड़िता घर लौटने पर रोते हुए परिवार को पूरी घटना बताई। परिवार का आरोप है कि यह पहली घटना नहीं थी; इससे पहले भी अमर दास ने नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न किया था और उसे चुप रहने के लिए हत्या की धमकी दी थी।

घटना की जानकारी मिलते ही पीड़िता का परिवार और स्थानीय लोग अमर दास के घर पहुंचे और उसकी पिटाई की। सूचना मिलने पर भक्तिनगर थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित कर आरोपी को हिरासत में लिया। परिवार की लिखित शिकायत के आधार पर पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर अमर दास को गिरफ्तार किया गया। शुक्रवार को उसे जलपाईगुड़ी जिला अदालत में पेश किया गया, जहां जज ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख तय की।

पीड़िता के एक रिश्तेदार ने कहा, “हमने सोचा था कि शिक्षक के पास हमारी बेटी सुरक्षित रूप से पढ़ाई करेगी। लेकिन ऐसी जघन्य घटना की कल्पना भी नहीं की थी। हम कठोर सजा की मांग करते हैं।” स्थानीय निवासियों ने भी इस घटना पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया और आरोपी के लिए कड़ी सजा की मांग की।

भक्तिनगर थाने की पुलिस ने बताया कि जांच शुरू हो चुकी है और पीड़िता को शारीरिक जांच के लिए जलपाईगुड़ी मेडिकल कॉलेज भेजा गया है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “हम इस मामले को अत्यंत गंभीरता से ले रहे हैं। आरोपी के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”

इस घटना ने जलपाईगुड़ी जिले में व्यापक हड़कंप मचा दिया है। शिक्षक जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा किया गया यह कृत्य समाज में शिक्षा के प्रति विश्वास को कमजोर कर रहा है। स्थानीय लोग इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कड़े कदम और जागरूकता की मांग कर रहे हैं।

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Siliguri: निषिद्ध पल्ली में धारदार हथियार से हमला, युवती खून से लथपथ, आरोपी फरार https://ekolkata24.com/west-bengal/north-bengal/woman-stabbed-in-siliguris-forbidden-area-accused-on-run Fri, 13 Jun 2025 06:00:19 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51515 अयन दे, उत्तर बंगाल: सिलीगुड़ी (Siliguri) के निषिद्ध पल्ली इलाके में बीती रात एक युवती पर धारदार हथियार से हुए क्रूर हमले ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। गंभीर रूप से घायल युवती को सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, साहिल नामक एक स्थानीय युवक ने नशे की हालत में अचानक युवती पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया। हमले में युवती के शरीर के कई हिस्सों में गहरे घाव हो गए, जिसके बाद वह खून से लथपथ होकर जमीन पर गिर पड़ी। युवती की चीख सुनकर आसपास के लोग दौड़े और उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया। हमले के बाद आरोपी साहिल फरार हो गया है।

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खालपाड़ा फांड़ी में साहिल के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और फरार आरोपी की तलाश में छापेमारी कर रही है। स्थानीय सूत्रों ने बताया कि साहिल पहले भी कई असामाजिक गतिविधियों में शामिल रहा है। वार्ड नंबर 7 के पार्षद पिंटू घोष ने इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा, “साहिल का यह क्रूर कृत्य अत्यंत निंदनीय है। मुझे सूचना मिलते ही मैं घटनास्थल पर पहुंचा। रात में ही पुलिस ने जांच शुरू कर दी। हमले के पीछे का कारण पता लगाया जा रहा है। आरोपी को जल्द गिरफ्तार कर कड़ी सजा दी जाएगी।”

निषिद्ध पल्ली के एक निवासी ने बताया, “युवती की चीख सुनकर हम दौड़े तो देखा कि उसका शरीर खून से सना हुआ था। हमने तुरंत उसे अस्पताल पहुंचाया। लेकिन यह घटना इलाके की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। रात में पुलिस की गश्त कितनी प्रभावी है, इस पर संदेह है।” इस घटना के बाद निषिद्ध पल्ली में दहशत का माहौल है। लोग रात में घर से बाहर निकलने से डर रहे हैं।

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, “हमने घटनास्थल का दौरा किया है और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज कर रहे हैं। साहिल के संभावित ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है। उसे जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने आगे कहा कि इलाके में सुरक्षा बढ़ाने के लिए पुलिस गश्त को और सख्त किया जाएगा।

यह घटना सिलीगुड़ी के निषिद्ध पल्ली में सुरक्षा व्यवस्था की कमी को उजागर करती है। स्थानीय निवासी लंबे समय से रात में पुलिस गश्त बढ़ाने की मांग करते रहे हैं। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए प्रशासन को कड़े कदम उठाने की जरूरत है। युवती के परिवार ने भी जल्द न्याय की मांग की है। पुलिस की जांच में यह पता लगाया जा रहा है कि हमले के पीछे कोई पूर्व नियोजित साजिश या निजी दुश्मनी तो नहीं थी।

यह घटना न केवल निषिद्ध पल्ली बल्कि पूरे सिलीगुड़ी शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है। समाज के विभिन्न वर्गों ने इस क्रूर हमले की निंदा की है। सभी अब आरोपी की गिरफ्तारी और युवती के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

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Cooch Behar: सीमा पर घुसपैठ की कोशिश! बीएसएफ ने 5 बांग्लादेशियों को रोका https://ekolkata24.com/west-bengal/north-bengal/bsf-foils-infiltration-attempt-by-five-bangladeshis-at-cooch-behar-gadopota-border Thu, 12 Jun 2025 18:56:19 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51471 अयन दे, कोच बिहार: भारत-बांग्लादेश सीमा पर एक बार फिर अवैध घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया गया है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने गुरुवार को कोच बिहार (Cooch Behar) जिले के शीतलकुची ब्लॉक के गदोपोता सीमा क्षेत्र में पांच बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में प्रवेश करने की कोशिश करते हुए रोक लिया। बीएसएफ की सतर्क निगरानी और त्वरित कार्रवाई के कारण उनकी यह कोशिश नाकाम रही। यह घटना सीमा पर सुरक्षा के महत्व और बीएसएफ की सख्त निगरानी का सबूत है।

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बीएसएफ सूत्रों के अनुसार, बुधवार देर रात गदोपोता सीमा के 21 नंबर गेट के पास कांटेदार तारों के उस पार पांच बांग्लादेशी नागरिकों को संदिग्ध रूप से घूमते हुए देखा गया। इनमें दो महिलाएं और दो बच्चे शामिल थे। आरोप है कि वे अवसर का फायदा उठाकर बाड़ को पार कर भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे। बीएसएफ के जवानों ने उनकी गतिविधियों पर नजर रखते हुए तुरंत कार्रवाई की और उन्हें भारत की सीमा में प्रवेश करने से रोक दिया। इस घटना में कोई भी व्यक्ति भारतीय क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सका।

घटना के बाद बीएसएफ और बांग्लादेश की सीमा सुरक्षा बल (बीजीबी) के बीच एक प्रारंभिक फ्लैग मीटिंग आयोजित की गई। इस बैठक में दोनों देशों की सीमा सुरक्षा बलों ने इस घटना पर चर्चा की। जानकारी के अनुसार, इन पांच बांग्लादेशी नागरिकों को बीजीबी ने हिरासत में लिया है और उनकी पहचान व उद्देश्य की जांच की जा रही है। बीएसएफ ने बताया कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सीमा पर निगरानी को और सख्त किया गया है।

स्थानीय निवासियों ने इस घटना पर चिंता जताई, लेकिन बीएसएफ की त्वरित कार्रवाई से उन्हें राहत भी मिली है। एक स्थानीय निवासी, अमित राय, ने कहा, “बीएसएफ की सख्त निगरानी न होती तो इस तरह की घटनाएं बड़ा खतरा पैदा कर सकती थीं। हम उनकी त्वरित कार्रवाई के लिए आभारी हैं।” कोच बिहार एक सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यहां अवैध घुसपैठ की कोशिशें अक्सर होती रहती हैं, लेकिन बीएसएफ की सतर्कता के कारण ज्यादातर मामलों को नियंत्रित कर लिया जाता है।

बीएसएफ के एक प्रवक्ता ने कहा, “हमारा प्राथमिक लक्ष्य सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए हम हमेशा तैयार हैं। स्थानीय लोगों से भी सतर्क रहने की अपील की गई है।” इस घटना के बाद सीमा पर अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई है और निगरानी के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।

यह घटना कोच बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा के महत्व को एक बार फिर उजागर करती है। पिछले कुछ महीनों में बीएसएफ ने कोच बिहार में कई घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम किया है। मार्च 2025 में भी गदोपोता सीमा पर पांच बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया था। ये घटनाएं भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत को दर्शाती हैं। स्थानीय लोग उम्मीद करते हैं कि बीएसएफ और बीजीबी के समन्वित प्रयासों से भविष्य में ऐसी घटनाएं कम होंगी।

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Cooch Behar: मेखलीगंज में पिस्तौल के साथ दो युवक गिरफ्तार https://ekolkata24.com/west-bengal/north-bengal/mekhliganj-raid-cooch-behar-police-nab-duo-with-illegal-firearm Thu, 12 Jun 2025 18:26:52 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51462 अयन दे, कोच बिहार: कोच बिहार (Cooch Behar) जिला पुलिस ने अपराध पर नकेल कसने में एक बार फिर बड़ी सफलता हासिल की है। गुप्त सूचना के आधार पर अभियान चलाकर मेखलीगंज थाना पुलिस ने एक देसी पिस्तौल और कारतूस के साथ दो युवकों को गिरफ्तार किया है। यह घटना क्षेत्र में अपराध नियंत्रण में पुलिस की सतर्कता का एक और उदाहरण बन गई है।

गुरुवार देर रात मेखलीगंज थाना पुलिस को गुप्त सूचना मिली, जिसके आधार पर उन्होंने जमालदह जंगल क्षेत्र में छापेमारी की। वहां एक मोटरसाइकिल पर सवार दो संदिग्ध युवकों को हिरासत में लिया गया। उनकी तलाशी लेने पर पुलिस ने एक देसी पिस्तौल और एक राउंड कारतूस बरामद किया। गिरफ्तार युवकों को मेखलीगंज थाने लाया गया और उनके खिलाफ हथियार अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार युवकों से पूछताछ जारी है। यह हथियार कहां से आए, वे इसे कहां ले जा रहे थे, और क्या इसके पीछे कोई बड़ा अपराधी गिरोह शामिल है, इसकी जांच की जा रही है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि गिरफ्तार लोग आपराधिक गतिविधियों के लिए इस हथियार का इस्तेमाल करने की योजना बना रहे थे। हालांकि, जांच के हित में पुलिस ने अभी उनके नाम उजागर नहीं किए हैं।

स्थानीय निवासियों ने इस गिरफ्तारी पर राहत की सांस ली है। एक निवासी, सुजीत राय, ने कहा, “इलाके में हथियार लेकर घूमने वाले युवकों को देखकर डर का माहौल बन गया था। पुलिस की इस कार्रवाई से हम काफी हद तक निश्चिंत हैं।” मेखलीगंज एक सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यहां अवैध हथियार और तस्करी की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। लेकिन जिला पुलिस की सक्रियता से इस तरह के अपराध काफी हद तक नियंत्रण में आए हैं।

कोच बिहार जिला पुलिस ने कहा कि अपराध दमन में उनकी सख्त नीति जारी रहेगी। जिला पुलिस अधीक्षक द्युतििमान भट्टाचार्य ने कहा, “हम किसी भी अपराधी को बख्शेंगे नहीं। जिले में शांति बनाए रखने के लिए ऐसे अभियान नियमित रूप से चलाए जाएंगे।” पुलिस ने बताया कि इस मामले की जांच में और भी महत्वपूर्ण जानकारी सामने आ सकती है।

यह सफलता जिला पुलिस की निगरानी और खुफिया तंत्र की मजबूती का प्रमाण है। स्थानीय लोग मानते हैं कि इस तरह के अभियान अपराधियों के मन में डर पैदा करेंगे और क्षेत्र में शांति बहाल करने में मदद करेंगे। पिछले कुछ महीनों में कोच बिहार जिला पुलिस ने नशीली दवाओं की तस्करी, अवैध हथियारों की बरामदगी और चोरी जैसे कई अपराधों में शामिल लोगों को गिरफ्तार कर उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। यह घटना सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा बनाए रखने में पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका को एक बार फिर रेखांकित करती है।

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Jalpaiguri: बनारहाट में जल संकट! प्रशासन घेराव की चेतावनी https://ekolkata24.com/west-bengal/north-bengal/jalpaiguri-banarhat-locals-demand-water-threaten-administration-blockade Thu, 12 Jun 2025 18:18:04 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51458 स्नेहा घोष, जलपाईगुड़ी: जलपाईगुड़ी (Jalpaiguri) जिले के बनारहाट शहर के सुकांतपल्ली और क्षुदिरामपल्ली इलाकों में पिछले दो सप्ताह से स्थानीय लोग गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं। भीषण गर्मी के बीच पेयजल की एक बूंद न मिलने से मंगलवार को स्थानीय लोग गुस्से में फट पड़े। उनका आरोप है कि पूरे दिन नल में एक बूंद पानी नहीं आ रहा है, और दिन में एक बार भी पेयजल की आपूर्ति नहीं हो रही है। इस स्थिति में जल्द समाधान न होने पर पंचायत कार्यालय और बीडीओ कार्यालय का घेराव करने की चेतावनी दी गई है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि बनारहाट बाजार के कुछ इलाकों में नल से पर्याप्त पानी की आपूर्ति हो रही है, लेकिन सुकांतपल्ली और क्षुदिरामपल्ली कॉलोनियों में नल पूरी तरह सूखे पड़े हैं। इस भेदभाव का कारण पूछ रहे हैं निवासी। एक निवासी, रमा दास, ने कहा, “इस गर्मी में पानी के बिना जीना असंभव है। हमारे इलाके में पानी क्यों नहीं आ रहा, क्या प्रशासन हमारी परवाह नहीं करता?” लोगों ने बताया कि इलाके के एक छोटे रिजर्वायर से किसी तरह पानी जुटाकर रोजमर्रा का काम चलाना पड़ रहा है, लेकिन इससे पेयजल की जरूरत पूरी नहीं हो रही।

बनारहाट शहर में पेयजल का कोई वैकल्पिक स्रोत नहीं होने के कारण जनस्वास्थ्य और अभियांत्रिकी विभाग (PHED) द्वारा आपूर्ति किया गया पानी ही लोगों की एकमात्र उम्मीद है। विभिन्न घरों में हाउस कनेक्शन के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जाती है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से इन कनेक्शनों से पानी की आपूर्ति पूरी तरह बंद है। एक गृहिणी, मिता सरकार, ने कहा, “बच्चों के लिए पीने का पानी खरीदना पड़ रहा है। इतनी गर्मी में यह कब तक चलेगा?”

निवासियों का सवाल है कि आखिर क्यों इस बस्ती के एक बड़े हिस्से को पेयजल से वंचित रखा जा रहा है? उनका कहना है कि PHED को कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई समाधान नहीं निकला। इस स्थिति में लोग जनआंदोलन करने को मजबूर होंगे। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “यह लोगों के मूलभूत अधिकारों का सवाल है। पानी के बिना जीवन कैसे संभव है? प्रशासन की उदासीनता अब बर्दाश्त नहीं होगी।”

प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, पेयजल आपूर्ति में समस्या का कारण पाइपलाइन में क्षति और पंप में खराबी बताया जा रहा है। हालांकि, इस समस्या के समाधान के लिए काम कब शुरू होगा, इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिली है। निवासी उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन जल्द हस्तक्षेप कर इस जल संकट का समाधान करेगा। यह घटना पेयजल जैसे बुनियादी सुविधाओं की कमी और प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाती है।

 

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