नई दिल्ली : दिल्ली में विधायक दल की बैठक के बाद अब मुख्यमंत्री के तौर पर जल्द ही आतिशी मार्लेना के नाम की पुष्टि होने वाली है। विधायक दल की मीटिंग में अरविंद केजरीवाल ने आतिशी के नाम पर प्रस्ताव रखा है। जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया। इसी के साथ अब आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होगी। इससे पहले स्वर्गीय सुषमा स्वराज ने 52 दिन तक सीएम के तौर पर दिल्ली की सत्ता संभाली थी। उसके बाद स्वर्गीय शीला दीक्षित 15 साल तक मुख्यमंत्री रही।
पहली बार 2020 में दिल्ली की कालकाजी सीट से चुनाव जीतकर विधायक बनी आतिशी आज दिल्ली की मुख्यमंत्री बन गयी है। उनका ये सफर यूं तो काफी उतार चढ़ाव वाला रहा लेकिन आतिशी ने पार्टी के लिए हर संभव काम किया। हालांकि विधायक बनने से पहले आतिशी ने जुलाई 2015 से 17 अप्रैल 2018 तक तत्कालीन शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के सलाहकार के तौर पर काम किया है। इसके अलावा साल 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान आतिशी पार्टी का घोषणापत्र तैयार करने वाली मसौदा समिति की प्रमुख सदस्य रह चुकी है। आतिशी ने आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता की भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई है।
बीते दिनों जब केजरीवाल और सिसोदिया को शराब नीति घोटाला मामले में जेल में जाना पड़ा तो आतिशी ने अपनी पार्टी की साख बचाई। उन्होंने सरकार के अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी उठाने के साथ ही पार्टी पर उठे हर सवालों का सहजता से जवाब भी दिया। इसी तरह तेज तर्रार आतिशी ने अपनी पार्टी के साथ ही केजरीवाल का भी भरोसा जीता। यही वजह है कि स्वतंत्रता दिवस पर केजरीवाल ने ध्वजारोहण के लिए आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा था। अब आतिशी दिल्ली सरकार में मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी निभाने जा रही है।
स्वर्गीय सुषमा स्वराज के बाद शीला दीक्षित के हाथों में दिल्ली की सत्ता सौंपी गई। 1998 में कांग्रेस से चुनाव जीतकर आई शीला दीक्षित को इसके बाद 2003 और 2008 के चुनाव में भी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला। इस तरह उन्होनें 15 साल 25 दिन तक तीन बार दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद संभाला। हालांकि 2013 में उन्हें हार माननी पड़ी और केजरीवाल दिल्ली के सीएम बने।
दिल्ली में सबसे कम मुख्यमंत्री का सफर स्वर्गीय सुषमा स्वराज का रहा। सुषमा स्वराज दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री रही। सीएम के तौर पर उनका कार्यकाल 12 अक्टूबर 1998 से 2 दिसंबर 1998 तक रहा। दरअसल जब दिल्ली में प्याज की कीमतें बढ़ी तो विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले ही तत्कालीन मुख्यमंत्री साहिब सिंग वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा था। इसी के बाद सुषमा स्वराज को पार्टी ने मुख्यमंत्री का पद दिया। हालांकि कुछ दिनों बाद जब विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी की बुरी हार हुई। जिसके बाद कांग्रेस की शीला दीक्षित को ये पद मिला।