नई दिल्ली : देश के कई राज्य इन दिनों भीषण गर्मी और लू का प्रकोप झेल रहे हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित कई राज्यों में अगले पांच दिनों तक लू की स्थिति जारी रह सकती है। कई हिस्सों में हल्की बारिश और आंधी के कारण तापमान में थोड़ी गिरावट जरूर आई है, हालांकि ज्यादातर इलाकों में अधिकतम तापमान 43-46 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को उच्च तापमान-लू के कारण होने वाली दिक्कतों से बचे रहने के लिए निरंतर सावधानी बरतते रहने की सलाह दी है। हीटवेव के कारण न सिर्फ हीट स्ट्रोक और रक्तचाप से संबंधित समस्याओं का खतरा रहता है साथ ही ये मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती है।
मनोचिकित्सकों का कहना है कि अत्यधिक गर्मी, चिड़चिड़ापन और अवसाद के लक्षणों और आत्महत्या के मामलों को भी बढ़ाने वाली हो सकती है। जिन लोगों को पहले से ही चिंता-तनाव या अवसाद जैसी समस्या रही है उन्हें उच्च तापमान से बचाव करते रहना और भी जरूरी हो जाता है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि अत्यधिक गर्मी हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है, जिससे गुस्सा, हताशा और अवसाद के मामले बढ़ सकते हैं। इतना ही नहीं जिन लोगों को पहले से ही अवसाद और गंभीर मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित दिक्कतें रही हैं उनमें गर्मी के दिनों में आत्महत्या के मामले भी बढ़ते हुए देखे जाते रहे हैं।
भोपाल स्थित एक अस्पताल में वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी बताते हैं, जब हमारा शरीर उच्च तापमान के संपर्क में आता है, तो वह पसीने का उत्पादन करके और रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करके स्वयं को ठंडा करने की कोशिश करता है। हालांकि जब आप लंबे समय तक अत्यधिक गर्मी के संपर्क में रहते हैं तो यह मस्तिष्क के रसायनों जैसे सेरोटोनिन और डोपामाइन के काम करने के तरीके को भी बदल सकती है। ये स्थिति हमारे मूड को प्रभावित कर सकती है। यही कारण है कि गर्मियों में चिड़चिड़ापन, गुस्सा आने, चिंता-तनाव जैसे विकारों के मामले काफी बढ़ जाते हैं।
इसके अलावा गर्मी के कारण थायराइड हार्मोन का उत्पादन को प्रभावित हो सकता है, जिससे थकान, अवसाद और स्पष्ट रूप से सोचने में समस्या हो सकती है। डॉ सत्यकांत बताते हैं, दुनियाभर में अधिक तापमान वाले दिनों में आत्महत्या के मामले भी अधिक रिपोर्ट किए जाते रहे हैं। यूरोपीय देशों में भी बढ़ती गर्मी और आत्महत्याओं के बीच संबंध पाया गया है।
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वेबसाइट द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि उच्च तापमान, आत्महत्या और आत्महत्या के प्रयासों को बढ़ाने वाला हो सकता है। औसत मासिक तापमान में हर 1°C की वृद्धि मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मौतों में 2.2% की बढ़ोतरी का कारण बन सकती है। सेरोटोनिन की कमी के कारण मानसिक स्वास्थ्य विकारों के लक्षण बिगड़ने लगते हैं जिसके कारण इस तरह की गंभीर समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है।
गर्मियों में इन बातों का रखें ध्यान
डॉ सत्यकांत बताते हैं, गर्मियों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ने का एक कारण नींद से संबंधित समस्या भी मानी जाती है। जोखिमों को कम करने के लिए नींद को प्राथमिकता दें। सुनिश्चित करें कि आपको पर्याप्त आरामदायक नींद मिले। नींद के शेड्यूल को नियमित करने और रात में 6-8 घंटे निर्बाध नींद प्राप्त करने से आपके मूड पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा नियमित शारीरिक गतिविधि करें। व्यायाम से एंडोर्फिन हार्मोन रिलीज होता है जो आपके समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है। हल्का व्यायाम जैसे वॉकिंग या तैरकी भी फायदेमंद हो सकती है।