भारत की सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा में एक बड़ी सफलता मिली है। बुधवार को अमेरिका ने घोषणा की कि उसने भारत को 1,400 से अधिक चोरी किए गए प्राचीन कलाकृतियां (Indian artifacts) वापस कर दी हैं, जिनकी कुल कीमत 10 मिलियन डॉलर (करीब ₹1,000 करोड़) है। दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया से चुराई गई सांस्कृतिक धरोहरों को पुनः प्राप्त करने की यह बड़ी पहल है।
लौटाई गई कलाकृतियां और उनकी महत्ता
ये सभी कलाकृतियां न्यूयॉर्क में भारतीय वाणिज्य दूतावास में आयोजित एक समारोह में औपचारिक रूप से भारत को सौंपी गईं। इन कलाकृतियों में एक प्रमुख वस्तु है – मध्य भारत से चुराई गई प्राचीन बलुआ पत्थर की मूर्ति, जिसे पहले लंदन और फिर न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट (द मेट) की गैलरी में रखा गया था।
इस पुनर्स्थापना ने भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा में सहयोग की एक मिसाल पेश की है।
अपराधी नेटवर्क और उनकी गतिविधियां
इस अभियान का नेतृत्व मैनहट्टन जिला अटॉर्नी कार्यालय और अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी इन्वेस्टिगेशन (HSI) अधिकारियों ने किया। प्राचीन कलाकृतियों की चोरी में कुख्यात तस्करों सुभाष कपूर और नैन्सी वीयर की भूमिका पर गहन जांच की गई।
सुभाष कपूर:
सुभाष कपूर, जो न्यूयॉर्क में अपने गैलरी के माध्यम से करोड़ों की चोरी का संचालन करता था, को 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। वह वर्तमान में भारत में जेल में बंद है। उनकी गिरफ्तारी और जांच इस अभियान की सफलता की कुंजी रही।
विलियम एस. वॉकर:
HSI न्यूयॉर्क के विशेष एजेंट विलियम वॉकर ने इस अभियान को बहु-वर्षीय अंतर्राष्ट्रीय जांच में एक महत्वपूर्ण जीत बताया। उन्होंने कहा, “आज की पुनर्स्थापना इस क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की एक बड़ी उपलब्धि है।”
पहले लौटाई गई धरोहरें और भविष्य की योजनाएं
सितंबर 2024 में अमेरिका ने भारत को 297 अन्य प्राचीन वस्तुएं लौटाई थीं, जो लगभग 4,000 साल पुरानी थीं और विभिन्न सामग्रियों और क्षेत्रों से संबंधित थीं।
जुलाई में भारत और अमेरिका ने अपनी पहली “Cultural Property Agreement” पर हस्ताक्षर किए, जो भारतीय कलाकृतियों की अवैध तस्करी को रोकने में सहायक होगी।
भारत की प्रतिक्रिया
भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, 2016 से अब तक अमेरिका ने भारत को कुल 578 सांस्कृतिक धरोहरें वापस की हैं। यह किसी भी अन्य देश द्वारा लौटाई गई धरोहरों की सबसे बड़ी संख्या है।
मंत्रालय ने कहा, “अधिकांश कलाकृतियां पूर्वी भारत की टेराकोटा वस्तुएं हैं। इसके अलावा पत्थर, धातु, लकड़ी और हाथी दांत से बनी धरोहरें भी हैं।”