पिता गैस कंपनी में हॉकर, बेटे ने एशियाई अंडर 15 कुश्ती चैंपियनशिप में जीता कांस्य पदक

भीलवाड़ा: भीलवाड़ा को अगर पहलवानों का गढ़ कहा जाए तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा। यहां के खिलाड़ियों ने अलग-अलग स्तर पर कुश्ती प्रतियोगिताओं में…

भीलवाड़ा: भीलवाड़ा को अगर पहलवानों का गढ़ कहा जाए तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा। यहां के खिलाड़ियों ने अलग-अलग स्तर पर कुश्ती प्रतियोगिताओं में जिले का नाम रोशन किया है। अब इसमें नया नाम सागर विश्नोई का है।

शहर के निकटवर्ती उप नगर पुर को पहलवानों का गाँव कहा जा सकता है। यहां के पहलवानों ने एशिया लेवल पर कुश्ती प्रतियोगिता में पदक हासिल किया है। अब एशियाई अंडर 15 कुश्ती प्रतियोगिता में सागर विश्नोई ने कांस्य पदक जीत लिया है। उनके पिता गैस सिलेंडर डिलेवरी करने वाले हॉकर हैं। सागर ने पहली बार इस प्रतियोगिता में भाग लिया और पहली बार में ही कांस्य पदक जीत लिया। बेटे को पहलवान बनाने का पिता का सपना था। खास बात यह है कि भीलवाड़ा के बेटे ने गैस सिलेंडर डिलीवरी करने वाले पिता का कुश्ती का सपना पूरा किया है सागर अब वर्ल्ड चैंपियनशिप में भाग लेने के बाद ओलंपिक में मेडल जीतना चाहते हैं।

थाईलैंड में अंडर 15 एशियाई कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इसके लिए सागर का चयन हुआ था। सागर बताते हैं मैंने तुर्किस्तान को हराकर कांस्य पदक हासिल किया है। मैंने पहली बार नेशनल प्रतियोगिता में भाग लेकर गोल्ड मेडल जीता था और पहली बार ही एशियाई कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लिया। इसके बाद मैंने यह मेडल हासिल किया है। मैं अपनी इस सफलता का श्रेय अपने पिता को देता हूं जिन्होंने मेरी हर ख्वाहिश को पूरा किया। गैस सिलेंडर डिलीवरी करने के साथ ही पहलवानी में मेरा पूरा सपोर्ट किय. अब मेरा लक्ष्य वर्ल्ड चैंपियनशिप और फिर ओलंपिक में मैडल जीतना है।

श्री राम व्यायाम शाला के प्रशिक्षक कल्याण विश्नोई ने कहा सागर विश्नोई 7 साल से कुश्ती खेलता आ रहा है. रोजाना 3 घंटे सुबह और 3 घंटे शाम को कुश्ती की प्रैक्टिस करता है। थाईलैंड में हुई इस प्रतियोगिता में 62 किलो भार में फ्री स्टाइल वर्ग में सागर ने यह मेडल हासिल किया है। सागर की इस कामयाबी में सबसे बड़ा हाथ सागर के पिता का है। उन्होंने हर पड़ाव में सागर का साथ दिया और हमेशा उसे मोटिवेट किया।

भीलवाड़ा शहर के उपनगर पूर के रहने वाले सागर के पिता चांदमल विश्नोई 10 साल से घर-घर गैस सिलेंडर डिलीवरी कर रहे हैं। वो भी अपने पुराने दौर में पहलवान रह चुके हैं. उनका एक सपना था कि वह पहलवानी के क्षेत्र में अपना भीलवाड़ा जिले का और देश का नाम रोशन करें। यह कारनामा उनके बेटे ने कर दिखाया।