इस मुकाबले में जीत के लिए बांग्लादेश को 114 (DLS) का लक्ष्य मिला था। लेकिन ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ नवीन उल हक ने हक ने लगातार 2 विकेट लेकर मैच को अफगानी टीम के पाले में कर दिया। नवीन उल हक और राशिद खान ने 4-4 विकेट लेकर अफगानिस्तान की जीत में अहम भूमिका निभाई। वहीं बांग्लादेश की ओर से ओपनर बल्लेबाज लिटन दास (54 नॉट आउट) अंत तक नाबाद रहे।
बांग्लादेश को आखिरी 2 ओवर में जीत के लिए 12 रन चाहिए थे, उसके 8 विकेट गिर चुके थे। बांग्लादेश का स्कोर 102/8 था। नवीन उल हक 18वां ओवर करने आए थे। इस ओवर में तस्कीन अहमद को नवीन को क्लीन बोल्ड कर दिया। इसके बाद उन्होंने अगली ही गेंद पर मुस्ताफिजुर रहमान को आउट कर बांग्लादेश की उम्मीदें खत्म हो गईं।
बांग्लादेश को सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए 116 रनों का लक्ष्य 12.1 ओवर में हासिल करना था। ऐसे में उनके लिए उम्मीदें खत्म हो चुकी हैं। वहीं अफगानिस्तान के लिए इस मैच में जीतना ही काफी था। वहीं इस मैच में अफगानिस्तान की जीत से ऑस्ट्रेलिया की टीम भी वर्ल्ड कप से बाहर हो गई है।
टारगेट का पीछा करने हुए बांग्लादेश की शुरुआत बेहद खराब रही। उसने दूसरे ओवर में ही फजलहक फारूकी की गेंद पर तंजीद हसन का विकेट खो दिया, जो खाता भी नहीं खोल पाए। फिर नवीन उल हक ने लगातार गेंदों पर नजमुल हुसैन शंतो (5) और अनुभवी खिलाड़ी शाकिब अल हसन (0) को चलता कर दिया। इसके बाद राशिद खान ने मैच के पहले ही ओवर में सौम्य सरकार (10) आउट को आउट किया, जो बांग्लादेश के आउट होने वाले चौथे बल्लेबाज रहे, जिनको राशिद खान ने अपनी गेंद पर क्लीन बोल्ड कर दिया। इसके बाद अपने अगले ओवर में राशिद खान ने तौहीद हृदोय (14) को इब्राहिम जादरान के हाथों कैच आउट करवाया। राशिद खान का मैजिक इसके बाद एक बार फिर चला, जब उन्होंने 80 के स्कोर पर लगातार महमूदुल्लाह (6) और रिशद खान (0) को आउट कर मैच में अपने चार विकेट पूरे किए। इसके बाद गुलबदीन नईब आए, उन्होंने तनजीम हसन (3) को मोहम्मद नबी के हाथों कैच आउट करवाकर बांग्लादेशी टीम को आठवां झटका दिया। आखिरी के दो विकेट नवीन उल हक ने लिए।
टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए अफगानिस्तान ने पांच विकेट पर 115 रन बनाए। अफगान टीम की शुरुआत काफी धीमी रही। इब्राहिम जादरान और रहमानुल्लाह गुरबाज ने 10.4 ओवर्स में 54 रनों की पार्टनरशिप की. इस दौरान गुरबाज और जादरान पावरप्ले का फायदा नहीं उठा सके। लेग-स्पिनर रिशद हुसैन ने जादरान को आउट करके इस साझेदारी का अंत किया। ओपनिंग पार्टनरशिप के टूटने के बाद अफगानिस्तान ने लगातार अंतराल में विकेट खोए। अजमतुल्लाह उमरजई (10), गुलबदीन नायब (4) और मोहम्मद नबी (1) ने बल्ले से निराशाजनक प्रदर्शन किया।
]]>अफगानिस्तान ने ऑस्ट्रेलिया जैसी दिग्गज टीम को T20 वर्ल्ड कप सुपर आठ चरण के मैच में रविवार को 21 रन से हराकर बड़ा उलटफेर कर दिया। अफगानिस्तान के लिये सलामी बल्लेबाज रहमानुल्लाह गुरबाज (60 रन) और इब्राहिम जदरान (51 रन) ने अर्धशतक बनाया और टीम को छह विकेट पर 148 रन तक पहुंचाया. ऑल राउंडर गुलबदिन नायब ने 20 रन देकर चार विकेट चटकाए।
अफगानिस्तान के द्वारा दिए गए 148 रन को चेज करने उतरी ऑस्ट्रेलिया की टीम 19.2 ओवर में 127 रन पर आउट हो गई। इसके साथ ही अफगानिस्तान ने सेमीफाइनल की उम्मीदें कायम रखी है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सोमवार को मैच होने वाला है जो अब नॉकआउट की तरह हो सकता है. अफगानिस्तान ने ग्रुप लीग में न्यूजीलैंड को हराया था।
ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज पैट कमिंस टी-20 वर्ल्ड कप में लगातार दो हैट्रिक लगाने वाले पहले गेंदबाज बन गए। उन्होंने अफगानिस्तान के खिलाफ मैच में यह कमाल किया है। कमिंस ने 18वें ओवर की आखिरी गेंद पर राशिद खान को पवेलियन भेजा। इसके बाद 20वें ओवर की पहली दो गेंदों पर करीम जनत और गुलबदिन नायब के विकेट लिये।
]]>टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में बांग्लादेश के खिलाफ भारत का रिकॉर्ड शानदार रहा है। दोनों टीमों के बीच खेले गए 13 मैचों में से 12 में भारत ने जीत दर्ज की है, जबकि बांग्लादेश ने एक मैच में जीत दर्ज की है। हाल के मैचों में भी यह दबदबा देखने को मिला है। भारत ने बांग्लादेश के खिलाफ अपने पिछले चार मैच जीते हैं। बांग्लादेश के खिलाफ उनकी सफलता में भारतीय खिलाड़ियों का लगातार अच्छा प्रदर्शन शामिल रहा है। टी-20 विश्वकप के अगर बात करें तो भारत बनाम बांग्लादेश के बीच अबतक कुल चार मैच खेले गए हैं, जिनमें से चारों मैच भारत ने जीते हैं।
भारत इस मुकाबले में अफगानिस्तान पर एक शानदार जीत के बाद उतरेगा, जहां सूर्यकुमार यादव और हार्दिक पांड्या सहित उनके शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यादव शानदार फॉर्म में हैं, उन्होंने दबाव में महत्वपूर्ण रन बनाए हैं, हार्दिक पांड्या की ऑलराउंड क्षमताएं उन्हें टीम का अहम हिस्सा बनाती हैं। जसप्रीत बुमराह और अर्शदीप सिंह की अगुआई वाली भारत की गेंदबाजी प्रभावशाली रही है, बुमराह की अनुशासित गेंदबाजी ने उन्हें भारतीय गेंदबाजी आक्रमण का एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया है।
बांग्लादेश पूरे टूर्नामेंट में अपनी बल्लेबाजी को लेकर संघर्ष कर रहा है। जबकि उनके गेंदबाज, खासकर मुस्तफिजुर रहमान और रिशाद हुसैन अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें इस जीत के लिए टीम यूनिटी के रूप में आगे बढ़ने की जरूरत है।
सर विवियन रिचडृस स्टेडियम की पिच संतुलित है, जो तेज गेंदबाजों और स्पिनरों दोनों को सहायता प्रदान करती है। पिछले 20 मैचों में इस स्थान पर औसत पहली पारी का स्कोर 78 रन है, जो दर्शाता है कि दोनों टीमें टॉस जीतने पर लक्ष्य का पीछा करना चाहेंगी। मौसम पूर्वानुमान के अनुसार बारिश की कम संभावना के साथ एक सुखद दिन होगा, जिससे दर्शकों के लिए पूरे 40 ओवर का खेल सुनिश्चित होगा।
]]>কূটনৈতিক মহলের ধারণা, তালিবান জঙ্গি সরকার শাসিত আফগানিস্তানের বন্ধু দেশ পাকিস্তান ম্যাচটি ক্রিকেট কূটনীতির ছক হিসেবে তুলে ধরবে। দ্বিতীয়বার সরকার দখলের পর তালিবান আফগান পুরুষ ক্রিকেটকে বেশি গুরুত্ব দিয়েছে। কূটনৈতিক মহলের ধারণা, এই সূত্র নিয়েই নিজেদের ছবি পাল্টাতে মরিয়া জঙ্গি গোষ্ঠীটি।
ইসলামাবাদ বারবার তালিবান জঙ্গি সরকারের হয়ে ওকালতি করছে। খোদ পাকিস্তানের প্রধানমন্ত্রী ইমরান খান রাষ্ট্রসংঘের অধিবেশনে তালিবান সরকারকে আন্তর্জাতিক সাহায্যের জন্য দাবি তুলেছেন। কার্যত তিনিই রাষ্ট্রসংঘে তালিবানের মুখপাত্রের ভূমিকা নিয়েছিলেন।
আর কবুলে চলছে তীব্র আলোচনা। গত ১৫ আগস্ট দ্বিতীয়বার ক্ষমতা দখলের পর রাষ্ট্রসংঘ, ইউনিসেফ, আন্তর্জাতিক অস্টভাণ্ডারের কাছে বারবার সাহায্যের দরবার করছে জঙ্গি শাসকরা। বিভিন্ন আন্তর্জাতিক সংবাদ মাধ্যম সূত্রে খবর, তালিবান জঙ্গি শাসকের বিশ্বজোড়া আবেদনের বার্তা তৈরি করছে পাক সামরিক গুপ্তচর সংস্থা আইএসআই।
তালিবান চায় স্বীকৃতি। সেই কারণে চিন, রাশিয়া, পাকিস্তান, ইরান, কিরঘিজস্তান, কাজখস্থানের মতো সীমান্ত লাগোয়া দেশগুলির সরকারের সঙ্গে বৈঠকের পাশাপাশি ভারতকেও বার্তা পাঠানো হয়েছে। মস্কোর বৈঠকে তালিবান প্রতিনিধি ও ভারতের বিদেশমন্ত্রী ছিলেন। পরের বৈঠক হবে নয়াদিল্লিতে। তবে কূটনৈতিক স্বীকৃতি না থাকায় দিল্লিতে থাকছে না তালিবান প্রতিনিধিরা।
টি টোয়েন্টি বিশ্বকাপ সেই অর্থে ক্রিকেট কূটনৈতিক কেন্দ্র। তালিবান সরকার এই মঞ্চকে ব্যবহার করবেই। দুবাইয়ের ম্যাচ তাই ‘দুদুভাতু’।
]]>আরও পড়ুন ফরমান জারি: দাড়ি কাটলেই ভয়ঙ্কর শাস্তি দেবে তালিবান
এবার নর্দান অ্যালায়েন্সের ভয়েই নৃশংসভাবে এক শিশুকে খুন করল তালিবানরা। কারণ তাদের সন্দেহ, ওই শিশুর বাবা পঞ্জশিরে রেসিসট্যান্স ফোর্সের সদস্য। খবরটি টুইটারে প্রকাশ করেছে ‘পঞ্জশির অবজার্ভার’ নামে একটি সংবাদ মাধ্যম। কয়েকদিন আগেই এই জঙ্গি সরকারের বিরুদ্ধে লড়াই জারি থাকবে জানিয়েছিল আফগান রেজিস্ট্যান্স ফোর্স।
https://twitter.com/PanjshirObserv/status/1441976951145525249?s=20
আফগানিস্তানে পঞ্জশির অন্যতম একটি এলাকা, যেখানে মানুষ এই ভয়ঙ্কর জঙ্গি সংগঠনের বিরুদ্ধে বিদ্রোহের পতাকা তুলেছিল। নর্দান অ্যালায়েন্সের প্রাক্তন কমান্ডার আহমেদ শাহ মাসুদের শক্ত ঘাঁটি পঞ্জশির, রাজধানী কাবুলের খুব কাছেই এই উপত্যকাটি৷ এখানে প্রায় ১ লক্ষ ৭০ হাজার মানুষের বসবাস৷ এলাকাটি এতটাই বিপজ্জনক যে, ১৯৮০ থেকে ২০২১ পর্যন্ত তালিবানদের কব্জায় আসেনি এই উপত্যকাটি৷ শুধু তাই নয়, ভৌগোলিক অবস্থানের কারণে সোভিয়েত ইউনিয়ন এবং মার্কিন সামরিক বাহিনীও এই এলাকায় শুধুমাত্র বিমান হামলা চালিয়েছে৷ তারা কখনও কোনও পদাদিক বাহিনী পাঠানোর সাহস দেখাতে পারেনি৷
জুলাই মাসের শুরুতে যখন তালিবান আফগানিস্তানের বিভিন্ন প্রদেশে আক্রমণ শুরু করে, তখন তারা প্রতিরোধ ছাড়াই অনেক জায়গা জিতে নেয়। বলা হচ্ছে, আফগান ন্যাশনাল আর্মির সৈন্যদের মধ্যে খবর ছড়িয়েছিল যে, শীর্ষ সামরিক কমান্ডাররা তালিবানদের সঙ্গে একটি চুক্তিতে পৌঁছেছে। যোগাযোগের অভাব এবং অস্ত্রের অভাবও সৈন্যদের বিশ্বাস করতে বাধ্য করেছিল। এই কারণে আফগান সেনাবাহিনীর জওয়ানরা অনেক এলাকায় একটিও গুলি খরচ না করে তালিবানদের কাছে আত্মসমর্পণ করে।
প্রসঙ্গত, ক্ষমতায় আসার পরেই তালিবান ঘোষণা করেছিল, নয়ের দশকের মতো কট্টর পথে হাঁটবে না তারা। কিন্তু তারপর থেকেই ক্রমশ উলটো ছবিটা পরিস্কার হয়েছে। মহিলাদের উপর বিধিনিষেধ আরোপ করা হয়েছে বিভিন্ন ক্ষেত্রে, এবার প্রকাশ্যে হত্যা করা হল শিশুকেও।
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ভারতের বাইরে এই টি-টোয়েন্টি টুর্নামেন্টের জনপ্রিয়তা ব্যাপক। উপমহাদেশের সমস্ত জায়গাতেই মহা সমারোহে আইপিএল দেখেন ক্রিকেটপ্রেমীরা।দুবাইতে যখন মাঠে গিয়েই আইপিএল উপভোগ করতে চলেছেন দর্শকরা, ঠিক তখনই অন্য ছবি দেখা যাচ্ছে আরেক ইসলামিক দেশ আফগানিস্তানে। আমিরশাহির আইপিএল পর্ব সম্প্রচার নিষিদ্ধ হয়ে গেল আফগানিস্তানে। আফগানিস্তানের বর্তমান শাসকগোষ্ঠী তালিবানদের তরফ থেকে বলা হচ্ছে, আইপিএল ইসলাম ধর্মবিরোধী। টুইট করে তালিবানদের এই সিদ্ধান্তের কথা জানিয়েছেন আফগানিস্তান ক্রিকেট বোর্ডের মিডিয়া ম্যানেজার এবং সাংবাদিক ইব্রাহিম মোমান্দ।
Afghanistan national
![]()
will not broadcast the @IPL as usual as it was reportedly banned to live the matches resumed tonight due to possible anti-islam contents, girls dancing & the attendence of barred hair women in the
by Islamic Emirates of the Taliban. #CSKvMI pic.twitter.com/dmPZ3rrKn6
— IMomand (@IbrahimReporter) September 19, 2021
এর আগে ক্রিকেট নিষিদ্ধ করা হবে না জানানোর পরও তালিবানদের আইপিএল নিষিদ্ধ করার কারণ কী? জানা গিয়েছে অন্যতম কারণ হল আইপিএলের মাঠের স্বল্পবসণা রমণী বা চিয়ারলিডাররা। তালিবানদের মতে, নারীর স্বল্পবসন ইসলামবিরোধী। সেই কারণেই আইপিএলের সম্প্রচার নিষিদ্ধ করা হয়েছে আফগান মুলুকে। এছাড়াও গ্যালারিতে মহিলা সমর্থকদের খেলা দেখা তালিবানদের কাছে নাকি ধর্মবিরোধী। তাদের মতে, মহিলারা আজীবন হিজাব পরে থাকবেন।
আফগানিস্তানে আইপিএল সম্প্রচার বন্ধ হওয়ায় স্বভাবতই হতাশ হয়ে পড়েছেন রশিদ খান, মহম্মদ নবি। রশিদ খান এবং মহম্মদ নবি, দু’জনেই আইপিএলে সানরাইজার্স হায়দরাবাদের হয়ে খেলেন। দেশে তালিবানি শাসন শুরু হওয়ার পর দু’জনেই তাদের আইপিএল ভবিষ্যত নিয়ে আশঙ্কা প্রকাশ করেছিলেন।
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এবার প্রকাশ্যে এল আরেক চাঞ্চল্যকর তথ্য। আইএসআইএস-কে প্রোপাগান্ডা ম্যাগাজিনের (ISIS-K propaganda magazine) মতে, ২৬ আগস্ট কাবুল বিমানবন্দরে আমেরিকান সেনা সদস্য এবং আফগানদের উপর ওই আত্মঘাতী হামলা চালানো সন্ত্রাসবাদীকে পাঁচ বছর আগেও ভারতে গ্রেফতার করা হয়েছিল, তাও খোদ রাজধানী দিল্লি থেকে।
সন্ত্রাসবাদী সংগঠনটি দাবি করেছে যে আবদুর রহমান আল-লোগরি নামের ওই জঙ্গি ২০১৬ সালে দিল্লি থেকে গ্রেফতার হয়েছিলেন। সেসময় আল-লোগরি দিল্লিতে একটি আত্মঘাতী হামলা চালানোর জন্যই এসেছিল বলে জানা গিয়েছে।
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অন্যদিকে কাবুল বিমানবন্দরের আইএসআইএস-খোরাসান (ISIS-K) জঙ্গিগোষ্ঠীর আত্মঘাতী হামলার পরেই প্রত্যাঘাতের হুঁশিয়ারি দিয়েছিল আমেরিকা। ‘সন্ত্রাসবাদীদের খুঁজে বের করে মারব’, জানিয়েছিলেন মার্কিন প্রেসিডেন্ট জো বাইডেন। তারপরেই আফগানিস্তানে অবস্থিত আইএসআইএস-খোরাসান জঙ্গিগোষ্ঠীর ঘাঁটিতে হামলা চালায় আমেরিকা।
হামিদ কারজাই আন্তর্জাতিক বিমানবন্দরে ওই আত্মঘাতী বোমা বিস্ফোরণের ঘটনায় অন্তত ১৬৯ জন নিহত হন। মৃতদের বেশিরভাগই সাধারণ আফগানি। যারা তালিবান শাসিত দেশ ছেড়ে পালাতে চাইছিলেন বিদেশে।
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পাকিস্তানের তরফ থেকে জানানো হয়েছিল, তালিবানের পাশে পাকিস্তান যেভাবে দাঁড়িয়েছে তাতে আফগানিস্তানের তালিবান নেতৃত্ব খুব খুশি। তার প্রতিদানেই কাশ্মীর দখলে পাকিস্তানকে সাহায্য করবে তারা। কয়েকদিন আগেও ইসলামাবাদের প্রভাবশালী সংগঠন জমিয়ত-ই-উলেমা-ই-ইসলাম ও দিফা-ই-পাকিস্তান কাউন্সিল-এর প্রধান মৌলানা হামিদ-উল-হক হাক্কানি তালিবানের কাবুল জয়ে আনন্দ প্রকাশ করেছিলেন। তালিবান ও লস্করের জঙ্গিদের জন্য চাঁদা সংগ্রহ করতেও দেখা গিয়েছিল সেদেশের বিভিন্ন সংগঠনগুলিকে।
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জমিয়ত-ই-উলেমা-ই-ইসলাম ও দিফা-ই-পাকিস্তান কাউন্সিল-এর প্রধান মৌলানা হামিদ সাংবাদিক সন্মেলনে জানিয়েছিলেনন, ‘বিশ্বের উচিত আফগানিস্তানে এক্ষুনি তালিবান সরকারকে মান্যতা দেওয়া।’ শুধু তাই নয়, আমেরিকা এবং ভারতের মদতেই এতদিন আফগানিস্তানে অশান্তি লেগে ছিল। এবার ইমরান খানের দলের নেত্রীর মুখেও একই সুর শোনায় আবার নতুন করে ভারতে জঙ্গিহামলার আশঙ্কা বেড়ে গেল বলেই মনে করছেন বিশেষজ্ঞরা। এবার এই ঘটনা সামনে আসায় চিন্তার ভাঁজ পড়েছে দেশের সুরক্ষা ব্যবস্থার সঙ্গে যুক্ত অফিসারদের কপালে। যদিও বেশ কয়েকদিন আগেই ভারতের চিফ অব ডিফেন্স স্টাফ জেনারেল বিপিন রাওয়াত জানিয়েছিলেন, “আমরা উদ্বিগ্ন ছিলাম কিভাবে আফগানিস্তান থেকে সন্ত্রাসবাদীরা ভারতে ঢুকতে পারে। এর জন্য আমাদের কন্টিনজেন্সি প্ল্যানিং চলছিল। এখন আমরা এর জন্য প্রস্তুত।”
]]>তবে ছাত্ররা ক্লাসে ফিরতে পারলেও মাধ্যমিকস্তরের ছাত্রী ও শিক্ষিকাদের স্কুলে যেতে দেখা যায়নি।
তালিবান দ্বিতীয় দফার সরকারের এই ছবি পূর্ববর্তী ১৯৯৬-২০০১ সালের প্রথম জঙ্গি শাসনের সময়ের হুবহু। যদিও গত ১৫ আগস্ট কাবুল দখল করার পর তালিবান মুখপাত্র জাবিউল্লাহ মুজাহিদ জানায়, এবারের তালিবান আগের মতো হবে না।
পূর্বতন তালিবান জঙ্গি সরকারের আমলে নারীশিক্ষা নিষিদ্ধ ছিল। কিন্তু এবার তালিবান ক্ষমতায় এসেই প্রতিশ্রুতি দিয়েছিল, মেয়েদের পড়াশোনার সুযোগ দেওয়া হবে। বিশ্ববিদ্যালয়ে পড়ার সুযোগ দিলেও ক্লাসে ছেলে মেয়েদের আলাদা বসার আদেশ দিয়েছে অন্তর্বর্তী তালিবান সরকার।
তবে প্রাথমিক ও মাধ্যমিকস্তরের শিক্ষায় ছাত্রী ও শিক্ষিকারা ফতোয়ার মুখে পড়ায় মনে হচ্ছে আফগানিস্তানে একসময় পুরোপুরিভাবে নারীশিক্ষা বন্ধ হয়ে যাবে।
তালিবান এখনও তার সরকারের শপথ নেয়নি। সূত্রের খবর, অন্তর্বর্তীকালীন সরকারের অভ্যন্তরে বিবাদ প্রবল। এর ধাক্কা লাগছে সংগঠনটিতে।
]]>আরও পড়ুন গেরিলা কায়দায় পঞ্জশিরকে তালিবান মুক্ত করতে মাসুদ বাহিনীর লড়াই
আবার সংবাদ মাধ্যমেই আসছে মাসুদ বাহিনীর ভিডিও বার্তা-লড়াই এখনও শেষ হয়নি। তালিকা জঙ্গি বিরোধী আফগান রেজিস্ট্যান্স ফোর্সের দাবি, পার্বত্যাঞ্চলে তাদের শক্তি অটুট। এর মাঝেই ধীরে ধীরে স্বাভাবিক হতে শুরু করেছে পঞ্জশির। টোলো নিউজ সূত্র জানা গিয়েছে, বিদ্যুত ব্যবস্থা চালু না হলেও পঞ্জশিরে খুলেছে রাস্তা। চালু হয়েছে বন্ধ হয়ে যাওয়া টেলিকম পরিষেবাও।
আরও পড়ুন তালিবানদের পঞ্জশির দখলের নেপথ্যে কি পাক বাহিনী?
আরও পড়ুন ২৫০০ বছরের অজেয় পঞ্জশিরের পতন, উড়ল তালিবান পতাকা
যদিও জঙ্গি সরকারের বিরুদ্ধে লড়াই জারি থাকবে জানায় আফগান রেজিস্ট্যান্স ফোর্স। পঞ্জশিরের পরিস্থিতি এখনও তীব্র সংঘাতময়। এখানেই একমাত্র তালিবান বিরোধী শক্তি সংগঠিত। তবে ক্রমাগত হামলায় তারা পিছু হটে যায়। পঞ্জশিরের সিংহ প্রয়াত আহমেদ শাহ মাসুদের বাড়ি দখল করে তালিবান। তাঁর পুত্র আহমেদ মাসুদ সরে গিয়েছেন পার্বত্য এলাকায়। শুধু তিনিই নন, তালিবানদের সঙ্গে সংঘাতের জেরে প্রায় ৯০% মানুষ পঞ্জশির ছেড়েছেন।

আহমদ মাসুদ, সোভিয়েত বিরোধী প্রতিরোধ আহমদ শাহ মাসুদ এর পুত্র
পঞ্জশিরের রাস্তার বিভিন্ন দিকে তাকালে এখন দেখা মেলে সশস্ত্র তালিবান যেদ্ধাদের৷ পঞ্জশির ঘিরে যখন রেজিস্টেন্স ফোর্সের পাহারা চলত, সে সময় সেখানকার মানুষ নিরাপদ মনে করতেন নিজেদেরকে৷ কিন্তু তালিবানদের পঞ্জশির দখলের পর সেখান থেকে সাধারণ মানুষ পালাতে শুরু করেন৷ যদিও এই জঙ্গি সরকারের বিরুদ্ধে লড়াই জারি থাকবে জানায় আফগান রেজিস্ট্যান্স ফোর্স। বিভিন্ন আন্তর্জাতিক সংবাদমাধ্যমের খবর, মানুষের বাহিনী কাবুলের তালিবান সরকারকে কোনওভাবেই মেনে নেবে না বলেই জানিয়েছে।
]]>এবার আবার মার্কিন যুক্তরাষ্ট্রজুড়ে আফগানিস্তান থেকে সেনা প্রত্যাহার নিয়ে বাইডেনের সমালোচনায় দেশবাসীর একাংশ। পেনসিলভেনিয়ার বিলবোর্ডে প্রকাশ পেল সেই বাইডেন বিরোধী অভিব্যাক্তিই। বাইডেনকে তালিবান জঙ্গি সাজিয়ে ওই বিলবোর্ডে লেখা হয়েছে ‘তালিবানদের আবার শ্রেষ্ঠ আসন দাও (Making Taliban Great Again)’। গোটা পেনসিলভেনিয়াই ছেঁয়ে গিয়েছে এরকম বিলবোর্ডে। যদিও এর পেছনে ট্রাম্প নন, মাস্টারমাইন্ড একজন প্রাক্তন পেনসিলভানিয়া রাজ্য সিনেটর, স্কট ওয়াগনার। যিনি একজন রিপাবলিকান এবং ২০১৪ থেকে ২০১৮ পর্যন্ত ইয়র্ক কাউন্টির অন্তর্ভুক্ত একটি জেলার প্রতিনিধিত্ব করেছেন।
আমেরিকার ওয়ার্ল্ড ট্রেড সেন্টারে ৯/১১ হামলার পরই তাদের ন্যাটো বাহিনী দখল নেয় আফগানিস্তানের। প্রশিক্ষণ দেওয়া হয় আফগান সেনাদের, জেলবন্দি করা হয় তালিবানদের। বিশ্বজুড়ে আল কায়েদার যে দাপট ছিল, তাও নিয়ন্ত্রণে আনে মার্কিন সেনা। লক্ষ্য ছিল মার্কিন যুক্তরাষ্ট্রকে সন্ত্রাসমুক্ত করা। কিন্তু ২০২০ সালের ফেব্রুয়ারি মাসে তালিবানদের সঙ্গে দোহায় চুক্তি করেন মার্কিন প্রেসিডেন্ট ডোনাল্ড ট্রাম্প। সেই চুক্তিতে বলা হয়, আফগানিস্তান থেকে প্রত্যাহার করে নেওয়া হবে মার্কিন সেনা, কিন্তু আমেরিকায় সন্ত্রাসবাদী কার্যকলাপ বন্ধ রাখবে তারা। অন্য সন্ত্রাসবাদী গোষ্ঠীকে আমেরিকায় হামলা করা থেকে বিরত রাখারও চেষ্টা করবে তালিবানরা।
এই চুক্তির পরেই নির্বাচনে হেরে যান ডোনাল্ড ট্রাম্প। মার্কিন যুক্তরাষ্ট্রের নতুন প্রেসিডেন্ট হিসাবে ক্ষমতায় বসেন জো বাইডেন। কিন্তু, ক্ষমতায় এসেও তিনি ট্রাম্পের সিদ্ধান্তকেই পূনর্বহাল রাখেন। উল্টে জানান, এই বছরের সেপ্টেম্বরের আগেই আফগানিস্তান থেকে মার্কিন সেনা সম্পূর্ণ প্রত্যাহার করে নেওয়া হবে। অনেক আন্তর্জাতিক সম্পর্ক বিশেষজ্ঞই ভেবেছিলেন, তালিবানদের বাড়বাড়ন্ত দেখে সেনা প্রত্যাহারের সিদ্ধান্ত স্থগিত রাখবেন বাইডেন। কিন্তু সিদ্ধান্ত না বদলে বাইডেন জানান, “আফগান নেতাদের একজোট হতেই হবে। আফগানিস্তানের সেনার সংখ্যা তালিবানদের তুলনায় অনেক বেশি। তাদের দেশের জন্য লড়াই চালাতেই হবে।”
সংবাদমাধ্যম ফক্স নিউজকে এক ইমেলে ওয়াগনার জানিয়েছেন, “প্রেসিডেন্ট বাইডেন তাড়াহুড়ো করেছে। তার সিদ্ধান্ত আমাদের বিশ্বের কাছে হাসির খোরাক করে তুলেছে। তালিবানরা খোলাখুলিভাবে বলছে যে তারা মার্কিন যুক্তরাষ্ট্রকে আফগানিস্তান থেকে বের করে দিয়েছে।” তিনি কাউকে ভয় পান না এবং সত্যিটা সবার সামনে আনতে চান বলে ওয়াগনার জানিয়েছেন যে বিলবোর্ডগুলি এখনই নামানো হবে না। কমপক্ষে আরও দু’মাসের জন্য গোটা পেনসিলভেনিয়ার মানুষ ওগুলো দেখতে পাবেন।
]]>আরও পড়ুন তালিবান-রাজ: বোরখা পরেই দেশ ছেড়েছেন আফগানিস্তানের মহিলা মেয়র

জঙ্গি দলটির তরফে শরণার্থী বিষয়ক মন্ত্রী ও হাক্কানি নেটওয়ার্কের অন্যতম নেতা খলিল উর রহমান হাক্কানির দাবি আরও ভালো পদ চাই। এই ঝামেলার পরই বরাদার কাবুল ছেড়ে কান্দাহার চলে গিয়েছিলেন বলে তালিবানদের এক সূত্র জানিয়েছে। রিপোর্টে বলা হয়েছে, গত কয়েকদিন ধরে উপ প্রধানমন্ত্রী মোল্লা বারাদারকে প্রকাশ্যে দেখা যাচ্ছে না। বিশ্বজোড়া আলোড়ন এই তালিবান শীর্ষ নেতা এক গোষ্ঠি সংঘর্ষে মৃত। তবে তালিবান এই খবর অস্বীকার করে। তারা জানায় মোল্লা বারাদার সুস্থ। তালিবানদের উপ-প্রধানমন্ত্রী বরাদার অন্তর্বর্তীকালীন মন্ত্রিসভার গঠন কাঠামো নিয়ে অসন্তুষ্ট ছিলেন বলে এই বাকবিতণ্ডার শুরু হয়।
আবদুল গণি বরাদার এবং হাক্কানি নেটওয়ার্ক:
কয়েক দশক পর আফগানিস্তানের ক্ষমতা পেয়েছে তালিবানরা। ১৫ আগস্ট কাবুলে আসরাফ ঘানি সরকারকে হারিয়ে ক্ষমতা কায়েম করেছে। আফগানিস্তানের নাম বদলে নাম রেখেছে ইসলামিক এমিরেটস অফ আফগানিস্তান। এই সমস্ত ঘটনার পেছনে অন্যতম নাম আবদুল গণি বরাদার।

আফগানিস্তানের ক্ষমতা পেয়েছে তালিবানরা (Taliban)। দেশের নাম বদলে নাম রেখেছে ‘ইসলামিক এমিরেটস অফ আফগানিস্তান’। এই সমস্ত ঘটনার পেছনে অন্যতম নাম আবদুল গণি বরাদার (Abdul Ghani Baradar)।
প্রথম তালিবান নেতা হিসাবে যুক্তরাষ্ট্রের কোনো প্রেসিডেন্টের সঙ্গে সরাসরি যোগাযোগ হয়েছে বরাদারের। ২০২০ সালে তখনকার মার্কিন প্রেসিডেন্ট ডোনাল্ড ট্রাম্পের সঙ্গে তার টেলিফোনে কথা হয়। তার আগে যুক্তরাষ্ট্রের সেনা প্রত্যাহার চুক্তিতে তালিবানের পক্ষে তিনি স্বাক্ষর করেন।
দ্বিতীয় তালিবান সরকার গঠনের পেছনে তালিবানদের এই সাফল্য তাঁর মতো কূটনীতিকদের জন্যই এসেছে বলে দাবি করেছেন বরাদার। অন্যদিকে হাক্কানির ধারণা যুদ্ধের মাধ্যমেই কাবুল জয় সম্ভব হয়েছে। ফলে দ্বিতীয় তালিবান সরকারের অর্থমন্ত্রকের দায়িত্ব চেয়েছে হাক্কানি নেটওয়ার্ক জঙ্গি সংগঠন। এই সংগঠন পাকিস্তানের গুপ্তচর সংস্থা আইএসআই মদতপুষ্ট।
The Taliban is heaping praise on Jalaluddin Haqqani during its victory tour – revering him as one of the defenders of the Islamic Emirate. Throughout much of the 20-year war, the U.S. leadership didn't understand the so-called Haqqani Network's integral role within the Taliban. https://t.co/PgbDARKkbr
— Thomas Joscelyn (@thomasjoscelyn) September 9, 2021
একদিকে, ২০১০ সালে পাকিস্তানের করাচি থেকে বরাদরকেই গ্রেফতার করে পাকিস্তানের ইন্টেলিজেন্স এজেন্সি, আইএসআই। ২০২০ সালে দোহাতে মার্কিন যুক্তরাষ্ট্র এবং আফগানদের মধ্যে বৈঠক হয়। সেই বৈঠকে নেতৃত্ব দেওয়ার জন্য পাকিস্তানকে বরাদারকে মুক্তি দেওয়ার জন্য অনুরোধ করেন জালম্যে খালিজাদ। পাকিস্তান তার অনুরোধ মেনে নিলে দু’বছর পর দোহায় ডোনাল্ড ট্রাম্পের মার্কিন যুক্তরাষ্ট্রের সঙ্গে তালিবানদের হয়ে চুক্তি করেন তিনি। অন্যদিকে, তালিবানদের সঙ্গে মৈত্রী চুক্তি স্বাক্ষর করলেও মার্কিন যুক্তরাষ্ট্র হাক্কানি নেটওয়ার্ক সংগঠনকে জঙ্গি গোষ্ঠী তালিকাভুক্ত করেছে।
আরও পড়ুন আবদুল গণি বরাদার: তালিবান নেতা থেকে বিশ্বের অন্যতম প্রভাবশালী ব্যক্তি
এছাড়াও আফগানিস্তান দখল করার কয়েকদিন পরেই তালিবানরা কাশ্মীরের ব্যাপারে তাদের অবস্থান স্পষ্ট করে দেয়। সরকারীভাবে জানিয়ে দেয়, এটি একটি “দ্বিপক্ষীয়; এবং ভারতের ‘অভ্যন্তরীণ বিষয়”। শুধু কাশ্মীরই নয়, প্রতিবেশী দেশের সঙ্গে সর্বতোভাবে সুসম্পর্ক রাখার কথাও বলেছে তারা। অন্যদিকে গোয়েন্দা কর্মকর্তাদের আশঙ্কা, যেহেতু হাক্কানি নেটওয়ার্ক দক্ষিণ এশিয়ার বিভিন্ন জঙ্গি ও বিচ্ছিন্নতাবাদী সংগঠনের সঙ্গে সংযোগ রাখে ফলে তাদের ততপরতা বাড়বে উত্তরবঙ্গে। সূত্র মারফত জানা যাচ্ছে নেপালে থাকা হাক্কানি এজেন্টরা ফের সক্রিয়। তারা পশ্চিমবঙ্গের বিচ্ছিন্নতাবাদী সংগঠনকে উস্কানি দিতে তৈরি। একইভাবে উত্তর পূর্ব ভারতের বিভিন্ন বিচ্ছিন্নতাবাদী সংগঠনের সঙ্গে হাক্কানি নেটওয়ার্কের যোগাযোগ আছে। নেপালের সংলগ্ন উত্তরবঙ্গের দার্জিলিং জেলা। দার্জিলিং সংলগ্ন কালিম্পং, জলপাইগুড়ি, কোচবিহার, আলিপুরদুয়ার জেলার স্থানীয় বিচ্ছিন্নতাবাদী গোষ্ঠীর সাম্প্রতিক ততপরতা লক্ষ্য করা যাচ্ছে বলেই গোয়েন্দা বিভাগের অনুমান।
ফলে একই বিষয়ে ভিন্নমত তৈরি হওয়া এবং সম্পূর্ন উলটো অবস্থান নিয়েই বারবার বিরোধ বাড়ছে তালিবান এবং হাক্কানি নেটওয়ার্কের নেতাদের। এই কারণেই বারবার পিছিয়ে যাচ্ছে আফগানিস্তানে দ্বিতীয় তালিবান সরকারের শপথগ্রহন অনুষ্ঠান।
]]>আরও পড়ুন আবদুল গণি বরাদার: তালিবান নেতা থেকে বিশ্বের অন্যতম প্রভাবশালী ব্যক্তি
যদিও পঞ্জশিরের মতোই তালিবানরা যথেষ্ট বেগ পেয়েছেন বলখ প্রদেশ দখল করতে গিয়েও। তার অনেকটা কৃতিত্ব সালিমা মাজারির। আফগানিস্তানের একের পর এক প্রদেশ যখন তালিবানদের দখলে চলে যাচ্ছিল, তখন বলখ প্রদেশের রক্ষায় সালিমা হাতে তুলে নিয়েছিলেন অস্ত্র। অস্ত্র হাতে তার ছবিও বিভিন্ন আন্তর্জাতিক সংবাদমাধ্যমে প্রকাশ হয়েছিল।

বলখ প্রদেশ রক্ষায় যুদ্ধরত সালিমা মাজারি।
যদিও শেষপর্যন্ত বলখ প্রদেশ দখল করে নেয় তালিবানরা। একই সঙ্গে সালিমার চারকিন্ত জেলাও দখল করে নেয় তালিবানি যোদ্ধারা। অন্যদিকে বলখের প্রদেশের পতনের পর থেকে সালিমার খোঁজ মিলছিল না। বিভিন্ন সংবাদমাধ্যম দাবি করেছিল, সালিমা তালিবানের হাতে ধরা পড়েছেন। আবার কারও দাবি ছিল, তিনি লড়াই চালিয়ে যাচ্ছেন।
আরও পড়ুন উধাও বরাদর-আখুন্দজাদা: দুই তালিবান শীর্ষনেতার মৃত্যু সংবাদ ঘিরে জল্পনা
যদিও এবার জানা গিয়েছে, বলখ প্রদেশের পতনের পর নিরাপদেই দেশ ছেড়েছেন সালিমা। মার্কিন যুক্তরাষ্ট্রের সংবাদমাধ্যম টাইমের দুই সাংবাদিকের সহায়তায় স্বামী ও সন্তানদের নিয়ে সালিমা রওনা দেন আফগানিস্তান-উজবেকিস্তান সীমান্তের হয়রতনের দিকে। উজবেকিস্তান সালিমাকে আশ্রয় দিতে আপত্তি করে। পরে তিনি পরিবার নিয়ে কাবুল চলে আসেন। তালিবানিদের মাঝে বোরকা পরে লুকিয়ে থাকেন বেশ কিছুদিন। এরপর ২৫ আগস্ট সালিমার এবং তাঁর পরিবারকে নিয়ে আকাশে ওড়ে আমেরিকার উদ্ধারকারী বিমান। হাজারা সম্প্রদায়ের সালিমা ও তাঁর পরিবারকে প্রথমে কাতার এবং তার পর আমেরিকার একটি অজানা জায়গায় রাখা হয়েছে।
]]>টাইমস গোষ্ঠী (Time Magazine) বুধবার ‘বিশ্বের মোট ১০০ জন প্রভাবশালী ব্যক্তি’ (‘most influential people of 2021’) এর বার্ষিক তালিকা প্রকাশ করেছে। সেই তালিকায় স্থান পেয়েছেন তালিবানের সহ-প্রতিষ্ঠাতা মোল্লা আবদুল গনি বরাদার।
Time Magazine-এর ওয়েবসাইটে বরাদারের প্রোফাইল লিখেছেন বিখ্যাত পাকিস্তানি সাংবাদিক আহমেদ রশিদ। তিনি লিখেচেন, “বরাদার তালিবানদের একজন প্রতিষ্ঠাতা সদস্য, একজন সামরিক নেতা এবং একজন ধার্মিক ব্যক্তি। বর্তমানে তিনি আফগানিস্তানের ভবিষ্যতের ভিত্তি হিসেবে দাঁড়িয়ে আছেন। অন্তর্বর্তীকালীন তালিবান সরকারে, তাকে উপ-প্রধানমন্ত্রী করা হয়েছে।”

আফগানিস্তানের ক্ষমতা পেয়েছে তালিবানরা (Taliban)। দেশের নাম বদলে নাম রেখেছে ‘ইসলামিক এমিরেটস অফ আফগানিস্তান’। এই সমস্ত ঘটনার পেছনে অন্যতম নাম আবদুল গণি বরাদার (Abdul Ghani Baradar)।
কে এই আবদুল গণি বরাদার ?
কয়েক দশক পর আফগানিস্তানের ক্ষমতা পেয়েছে তালিবানরা। ১৫ আগস্ট কাবুলে আসরাফ ঘানি সরকারকে হারিয়ে ক্ষমতা কায়েম করেছে। আফগানিস্তানের নাম বদলে নাম রেখেছে ইসলামিক এমিরেটস অফ আফগানিস্তান। এই সমস্ত ঘটনার পেছনে অন্যতম নাম আবদুল গণি বরাদার।
১৯৬৮ সালে দক্ষিণ আফগানিস্তানের এক পুস্তুন (আফগান উপজাতি) পরিবারে জন্ম। মুজাহিদদের হয়ে সোভিয়েত সেনাবাহিনীর বিরুদ্ধে গেরিলা যুদ্ধেও অংশ নিয়েছেন। তারপর মহম্মদ ওমারের সঙ্গে প্রতিষ্টা করেন তালিবান গোষ্ঠী।
১৯৯৬ সাল নাগাদ দ্রুত উঠতে থাকে তালিবানিরা। দখল করতে থাকে একের পর এক রাজ্য। সে সময়েই উল্কা গতিতে উত্থান হয় বরাদারেরও। পরবর্তী ২০ বছর তালিবানদের হয়ে যুদ্ধবাহিনী পরিচালনা এবং কুটনৈতিক দিক পর্যবেক্ষণের দায়িত্বে ছিলেন তিনি। ২০১০ সালে পাকিস্তানের করাচি থেকে তাকে গ্রেফতার করে পাকিস্তানের ইন্টেলিজেন্স এজেন্সি, আইএসআই।
Good news
The Times magazine has announced the Deputy Prime Minister of the Islamic Emirate, Mullah Abdul Ghani Baradar, in the list of the 100 most influential people in the world for the 21st year. https://t.co/yReS3TVo1c— AhmadKhan (@Oumari313) September 15, 2021
দোহা চুক্তি এবং বরাদার
গ্রেফতারের আট বছর পর দোহাতে মার্কিন যুক্তরাষ্ট্র এবং আফগানদের মধ্যে বৈঠক হয়। সেই বৈঠকে নেতৃত্ব দেওয়ার জন্য পাকিস্তানকে বরাদারকে মুক্তি দেওয়ার জন্য অনুরোধ করেন জালম্যে খালিজাদ। পাকিস্তান তার অনুরোধ মেনে নিলে দু’বছর পর দোহায় ডোনাল্ড ট্রাম্পের মার্কিন যুক্তরাষ্ট্রের সঙ্গে তালিবানদের হয়ে চুক্তি করেন তিনি।

মাসুদ আজহারের মুক্তি এবং বরাদার
কয়েক দিন আগে মাসুদ আজহার “মার্কিন সমর্থিত আফগান সরকারকে” হটিয়ে ক্ষমতা দখল করায় তালিবানদের প্রশংসা করেছিলেন। জইশ-ই-মহম্মদ নেতা “মঞ্জিল কি তারফ” (গন্তব্যের দিকে) শিরোনামের একটি নিবন্ধে আফগানিস্তানে “মুজাহিদিনের সাফল্যের” প্রশংসা করেছেন। পাকিস্তানের বাহওয়ালপুর মারকাজে জইশ-ই-মহম্মদ কর্মীদেরও তালিবানদের বিজয়ের আনন্দে অভিনন্দন বিনিময় করতে দেখা গিয়েছে।
১৯৯৯ সালে মাসুদ আজহারের মুক্তির পর থেকেই জইশ-ই-মহম্মদ জম্মু-কাশ্মীরে সন্ত্রাসী কর্মকাণ্ড চালাতে শুরু করে। কাঠমান্ডু থেকে লখনউ যাওয়ার পথে ইন্ডিয়ান এয়ারলাইন্সের ফ্লাইট আইসি-৮১৪ হাইজ্যাক করে পাকিস্তানি সন্ত্রাসবাদীরা। এরপর ফ্লাইটটি আফগানিস্তানের কান্দাহারে নিয়ে যাওয়া হয়, সেসময় আফগানিস্তান শাসন করছিল তালিবানরা। ফলে চাপে পড়ে মাসুদ আজহারকে মুক্তি দিতে বাধ্য হয়েছিল ভারত সরকার। অনেক আন্তর্জাতিক বিশেষজ্ঞরা বলেন, গোটা প্ল্যানের পেছনে ছিল বরাদারের মস্তিষ্ক।
কাশ্মীর ভারতের ‘অভ্যন্তরীণ’ বিষয়: তালিবান
আফগানিস্তান দখল করার কয়েকদিন পরেই তালিবানরা কাশ্মীরের ব্যাপারে তাদের অবস্থান স্পষ্ট করে দেয়। সরকারীভাবে জানিয়ে দেয়, এটি একটি “দ্বিপক্ষীয়; এবং ভারতের ‘অভ্যন্তরীণ বিষয়”।
ইন্ডিয়ান ইনটেলিজেন্সের রিপোর্ট অনুযায়ী তালিবানদের কাবুল দখলের পর থেকেই জম্মু-কাশ্মীরে সন্ত্রাস এবং দেশের গুরুত্বপূর্ন অঞ্চলে নাশকতার সম্ভাবনা বেড়ে গিয়েছে। মাসুদ আজহারের গলাতেও কাশ্মীর দখলের সুর শোনা গিয়েছে। পাকিস্তানের প্রধানমন্ত্রী ইমরান খানের দল ‘পাকিস্তান তহেরিক-ই-ইনসাফ’-এর জনপ্রিয় নেত্রী নীলম ইরশাদ শেখও বলেন, ”তালিবান বলেছে ওরা আমাদের সঙ্গে আছে। এবং কাশ্মীরকে স্বাধীন করতে আমাদের সাহায্যও করবে।” আফগানিস্তান্মে তালিবানরা ক্ষমতা দখলের পর থেকেই অনেক বিশেষজ্ঞ বলছেন, এর পিছনে মদত রয়েছে পাকিস্তানের। নীলমও জানান যে তালিবানের পাশে পাকিস্তান যেভাবে দাঁড়িয়েছে তাতে আফগানিস্তানের তালিবান নেতৃত্ব খুব খুশি। তার প্রতিদানেই কাশ্মীর দখলে পাকিস্তানকে সাহায্য করবে তারা।
প্রথমে কাশ্মীরকে ভারতের অভ্যন্তরীণ বিষয় বলে নিজেদের সরকারীভাবে সুরক্ষিত করা এবং কাশ্মীর সমস্যাতে পেছন থেকে অনুঘটক হিসেবে কাজ করা, সমস্ত ঘটনার পেছনেই রয়েছে আফগানিস্তানের সম্ভাব্য রাষ্ট্রপতির মস্তিষ্ক।
টাইম ম্যাগাজিনের এই তালিকায় প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদি ও পশ্চিমবঙ্গের মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দোপাধ্যায়, মার্কিন প্রেসিডেন্ট জো বাইডেন, ভাইস প্রেসিডেন্ট কমলা হ্যারিস, প্রাক্তন মার্কিণ প্রেসিডেন্ট ডোনাল্ড ট্রাম্প, চীনের প্রেসিডেন্ট শি জিনপিং, ইরানের প্রেসিডেন্ট ইব্রাহিম রাইসি, ইসরাইলের প্রধানমন্ত্রী নাফতালি বেনেটও রয়েছেন। এছাড়াও Times-এর প্রকাশ করা এই নতুন তালিকায় রয়েছেন জাপানের টেনিস খেলোয়াড় নাওমি ওসাকা, রাশিয়ান বিরোধী কর্মী আলেক্সি নাভালনি, সঙ্গীত আইকন ব্রিটনি স্পিয়ার্স, এশিয়ান প্যাসিফিক পলিসি অ্যান্ড প্ল্যানিং কাউন্সিলের নির্বাহী পরিচালক মঞ্জুশা পি কুলকার্নি, অ্যাপলের সিইও টিম কুক, অভিনেতা কেট উইন্সলেট এবং ‘প্রথম আফ্রিকান এবং প্রথম মহিলা বিশ্ব বাণিজ্য সংস্থার প্রধান’ Ngozi Okonjo-Iweala।
]]>আরও পড়ুন স্বচ্ছ আফগানিস্তান! তালিবান জঙ্গি মেয়র ঝাঁট দিচ্ছে!
আরও পড়ুন BRICS: জিনপিংয়ের উপস্থিতিতেই আফগানিস্তান নিয়ে উদ্বেগপ্রকাশ মোদী-পুতিনের
নিজেদের শপথ অনুষ্ঠানে পাকিস্তান-চিনকে আগাম আমন্ত্রন জানিয়ে রেখেছে তালিবানরাও। এবার তাদের গলাতেই শোনা গেল উলটো সুর। আন্তর্জাতিক মঞ্চে নাকি তালিবানের ভাবমূর্তি নষ্ট হওয়ার পিছনে দায়ী পাকিস্তানই। শুক্রবার নেটমাধ্যমে ফাঁস হল এমনই একটি অডিয়ো। যদিও এর আগেও বিভিন্ন আন্তর্জাতিক মহল থেকে শোনা গিয়েছিল সরকার গঠন নিয়ে তালিবান ও পাকিস্তানের সম্পর্কে চিড় ধরেছে।

আইএসআই চিফ হামিদ ফাইজ।
ফাঁস হওয়া ওই অডিয়ো বার্তায় যাঁর গলা শোনা গিয়েছে, তিনি নয়া আফগান সরকারের প্রতিরক্ষামন্ত্রী মোল্লা ফাজেল বলে দাবি করেছে বহু সংবাদমাধ্যম। কয়েকদিন আগেই আফগানিস্তানের প্রাক্তন ভাইস প্রেসিডেন্ট আমরুল্লাহ সালেহ একটি ব্রিটিশ সংবাদপত্রে লিখেছেন, তালিবান পাকিস্তান দ্বারা নিয়ন্ত্রিত হচ্ছে৷ নর্দান অ্যালায়েন্সের নেতৃত্বাধীন পঞ্জশিরের দখল পেতেও তালিবানদের সাহায্য করেছে পাকিস্তানি সেনা। বিভিন্ন সংবাদমাধ্যম দাবি করেছে পাকিস্তানি গুপ্তচর সংস্থা আইএসআই-এর প্রধান, লেফটেন্যান্ট জেনারেল হামিদ ফায়েজের তদারকিতে কয়েক হাজার পাক সেনা পঞ্জশিরে মুজাহিদিনদের বিরুদ্ধে তালিবানকে এই সাফল্য এনে দিয়েছে।
আরও পড়ুন তালিবানদের পঞ্জশির দখলের নেপথ্যে কি পাক বাহিনী?
এর আগে একাধিক নিহত তালিবানি যোদ্ধার কাছ থেকে পাকিস্তানি সেনার পরিচয়পত্র উদ্ধার করেছিল নর্দার্ন অ্যালায়েন্স। পাকিস্তানি সেনার ‘নর্দার্ন লাইট ইনফ্যান্ট্রি’ (এনএলআই) এবং এলিট ‘স্পেশাল সার্ভিস গ্রুপ’ (এসএসজি) কমান্ডোরাই তালিবানিদের হয়ে লড়ছেন বলে জানিয়েছে বহু সংবাদমাধ্যাম। একই অভিযোগ করেছন নর্দার্ন অ্যালায়েন্সের নেতা আহমেদ মাসুদও। অন্যদিকে সেই তালিবান নেতার গলাতেই পাকিস্তান বিরোধী সুর শোনা যাওয়ায় চাঞ্চল্য ছড়িয়েছে আন্তর্জাতিক মহলে।
]]>কুড়ি বছর আগের সেই ভয়াবহ জঙ্গি হামলায় মার্কিন আস্ফালন নিভে গিয়েছিল। তার পরেই আফগানিস্তানে আমেরিকান সেনার অভিযান, প্রথম তালিবান সরকারের পতন এবং গত দু দশক একটানা থাকার পর অবশেষে প্রত্যাবর্তন সেই সেনাবাহিনির। ফের তালিবান দখলে আফগানিস্তান।
২০০১ সালের ১১ সেপ্টেম্বর নিউইয়র্কের বিশ্ববাণিজ্য কেন্দ্রের টুইন টাওয়ারে যাত্রীবাহী বিমান নিয়ে হামলা চালায় আলকায়েদা জঙ্গিরা। কয়েক হাজার নিরীহ মানুষের মৃত্যু হয়। এই ঘটনার জন্য মার্কিন যুক্তরাষ্ট্র সরকার জঙ্গি গোষ্ঠী আল কায়েদাকে দায়ী করে। আফগানিস্তানে তখন তালিবান সরকার চলছিল। ওয়াশিংটন থেকে বার্তা আসে তালিবান বন্ধু ওসামা বিন লাদেন আফগানিস্তানেই আছে। তাকে আমেরিকার হাতে তুলে দেওয়ার জন্য বার্তা পাঠানো হয়। রাজি হয়নি তালিবান।
তবে প্রথম তালিবান সরকার স্বীকার করে তারা লাদেনকে আশ্রয় দিয়েছে। কিন্তু কিছুতেই তাকে আমেরিকার হাতে তাকে তুলে দেওয়া হবে না। জঙ্গি হামলায় রক্তাক্ত মার্কিন যুক্তরাষ্ট্র সরকার এরপর ২০০১ সালের ৭ অক্টোবর আফগানিস্তানে অভিযান শুরু করে। অভিযান শুরুর কয়েক দিনের মধ্যে তালিবান সরকারের পতন হয়।
তালিবান অন্তর্বর্তীকালীন সরকার জানায়, শপথগ্রহণ অনুষ্ঠানে রাশিয়া, চিন, কাতার, তুরস্ক, পাকিস্তান ও ইরান সরকারকে আমন্ত্রণ জানানো হয়েছে।
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‘ব্রিকস’-এর এই ভার্চুয়াল শীর্ষবৈঠকে আন্তর্জাতিক সন্ত্রাস মোবাবিলায় যৌথ উদ্যোগের প্রস্তাব সর্বসম্মত ভাবে গৃহীত হয়। কাবুলে তালিবান দখলদারির পর ‘ব্রিকস’-এর এই পদক্ষেপকে স্বাগত জানিয়েছেন মোদী। হিংসাত্মক পথ এড়িয়ে শান্তিপূর্ণভাবে পরিস্থিতি নিয়ন্ত্রণের উপর জোর দিয়েছেন মোদী, রাশিয়ার রাষ্ট্রপতি ভ্লাদিমির পুতিনরা। সেইসঙ্গে সন্ত্রাসবাদের বিরুদ্ধে লড়াই এবং মহিলা ও সংখ্যালঘু-সহ মানবাধিকার রক্ষার উপর বাড়তি গুরুত্ব আরোপ করা হয়েছে।
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ভার্চুয়াল বৈঠকের আয়োজক দেশ হিসেবে সভাপতির ভূমিকা পালন করেন মোদী। গোয়ার সন্মেলনের পর এবার দ্বিতীয়বার ব্রিকসের নেতৃত্ব দিলেন প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদী। সন্মেলন শুরুতেই প্রধানমন্ত্রী বলেন, ‘গত দেড় দশকে ব্রিকস অনেক সাফল্য পেয়েছে। এখন আমরা বিশ্বের উন্নয়নশীল দেশ হিসেবে সবচেয়ে প্রভাবিত একটি গোষ্ঠীর অংশ। গত দেড় বছরে অতিমারীর সময় আমরা অনেক বৈঠক করেছি। আমাদের এই সমন্বয় আরও বাড়াতে হবে।’
We discussed important regional and global issues. Thanked BRICS partners whose support helped India's chair achieve many firsts. BRICS agenda now spans culture and communications; sports and space; disaster resilience and digital health; employment and environment, and more.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 9, 2021
চিনের প্রধানমন্ত্রী জিনপিং উপস্থিত থাকলেও এই বৈঠকে স্বাভাবিক ভাবেই আফগানিস্তানের পরিস্থিতি নিয়ে আলোচনা হয়েছে। পুতিনই শুরুতে আফগানিস্তানের প্রসঙ্গ উত্থাপন করেন। তিনি জানা, ব্রিকসের অন্তর্ভুক্ত কোনও দেশই চায় না যে প্রতিবেশীদের জন্য আফগানিস্তান সন্ত্রাসবাদ বিস্তার করুক বা মাদক পাচারের স্বর্গরাজ্য হয়ে উঠুক। মোদী বলেন, ‘‘আফগানিস্তানের পক্ষে তার প্রতিবেশীদের কাছে সন্ত্রাসের উৎস হয়ে ওঠা কাম্য হবে না।’’ উদ্বেগ প্রকাশ করেছেন আফগানিস্তানের অভ্যন্তরে মাদক ব্যবসার এবং ভারত-সহ অন্যান্য দেশে তা সরবরাহ করার বিষয়েও।
মোদী টুইটারে লেখেন, ‘ব্রিকস-এর পঞ্চদশ বৈঠকের আয়োজক হিসেবে আমি খুশি। ভারতের সভাপতিত্বে ব্রিকস কিছু গুরুত্বপূর্ণ পদক্ষেপ করেছে।’
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তালিবান যোদ্ধারা ঝটিকা অভিযানে আফগানিস্তানের অধিকাংশ এলাকার দখল নেওয়ার পর থেকেই থেকেই পদত্যাগ করার জন্য আশরাফ ঘানির ওপর চাপ বাড়ছিল। আশরাফ গনি একটি বিমানে করে তাজিকিস্তান চলে গিয়েছেন বলে রয়টার্স সহ অন্যান্য সংবাদ সংস্থা জানিয়েছিল। বর্তমানে সংযুক্ত আরব অমিরশাহীতে রয়েছেন তিনি।
এক বার্তায় তিনি বলেন, “তালিবানদের শান্ত রাখতে ও কাবুলের ৬০ লক্ষ মানুষের প্রাণ বাঁচানোর জন্যই আমি ১৫ আগস্ট দেশ ছেড়েছিলাম। কাবুল ছাড়া আমার জীবনের সবচেয়ে কঠিন সিদ্ধান্ত ছিল। তবে আমার মনে হয়েছিল কাবুলের ৬০ লক্ষ মানুষের প্রাণ বাঁচানোর একমাত্র উপায় এটাই।”
কাবুল ছাড়ার পর ফেসবুকে দেওয়া একটি পোস্টে তিনি লিখেছিলেন যেঁ তিনি একটি কঠিন সিদ্ধান্তের মুখোমুখি হয়েছিলেন৷ তিনি কি সশস্ত্র তালিবানের মুখোমুখি হবেন? নাকি যে দেশের জন্য ২০টি বছর দিয়েছেন, সেই দেশ ছেড়ে যাবেন। তিনি লিখেছিলেন, ‘’আমাকে সরিয়ে দিতে তালিবানরা পুরো কাবুল ও বাসিন্দাদের ওপর হামলা করতে এসেছে। রক্তপাত এড়াতে দেশ ছেড়ে যাওয়া ভালো হবে বলে আমি মনে করেছি। তরবারি আর বন্দুকের ওপর নির্ভর করে তারা বিজয়ী হয়েছে। এখন আমাদের দেশবাসীর সম্মান, সম্পদ আর আত্মমর্যাদা রক্ষার দায়িত্বও তাদের,’’ তবে আশরাফ গনি তাজিকিস্তান নাকি উজবেকিস্তান গিয়েছেন, তা এখনও পরিষ্কার নয়।
কলম্বিয়া ইউনিভার্সিটিতে পড়াশোনা করা ৭২ বছর বয়সী আশরাফ গনি দীর্ঘদিন বিদেশে কাটিয়েছেন। ২০০১ সালে তালিবানের পতনের পর তিনি দেশে ফিরে আসেন। ২০১৪ সালে তিনি প্রথমবার প্রেসিডেন্ট নির্বাচিত হয়েছিলেন। পরবর্তীতে দ্বিতীয় মেয়াদের জন্য পুনঃনির্বাচিত হন।
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বিদেশমন্ত্রক সূত্রে খবর, স্তানেকজাইয়ের সঙ্গে আলোচনার মূল বিষয় ছিল, ভারতীয় নাগরিকদের দ্রুত দেশে ফেরানোর বিষয়। আলোচনা হয়েছে তাদের নিরাপত্তা নিয়ে। এছাড়াও বেশ কিছু আফগান নাগরিক যারা ইতিমধ্যে ভারতে যাওয়ার আবেদন করেছে, সেই বিষয়টি নিয়েও আলোচনা হয়েছিল।
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এর মধ্যেই তালিবানদের সরকারের ঘোষণা হয়ে গিয়েছে। কয়েকদিন পরের দু’দশক পর আফগানিস্তানের মাটিতে শপথগ্রহন করবে তালিবান সরকার। তারমধ্যেই ভারতের জাতীয় নিরাপত্তা উপদেষ্টা (এনএসএ) অজিত ডোভাল নয়াদিল্লিতে মার্কিন কেন্দ্রীয় গোয়েন্দা সংস্থার (সিআইএ) প্রধান উইলিয়াম বার্নসের সঙ্গে বৈঠক করেছেন। আফগানিস্তানে তালিবান সরকারের পরিপ্রেক্ষিতে নিরাপত্তার বিষয়গুলোকে কেন্দ্র করে এই বৈঠকের সুনির্দিষ্ট তথ্য প্রকাশ করা হয়নি।
তালিবান মোল্লা মোহাম্মদ হাসান আখুন্দের নেতৃত্বে একটি অন্তর্বর্তীকালীন প্রশাসনের ঘোষণা করেছে, যার মধ্যে বিদ্রোহী গোষ্ঠীর উচ্চপদস্থ সদস্যরা স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী সিরাজউদ্দিন হাক্কানি, বিশেষ করে কুখ্যাত হাক্কানি নেটওয়ার্ককে গুরুত্বপূর্ণ দায়িত্ব দেওয়া হয়েছে।
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শুধু CIA-প্রধান উইলিয়াম বার্নসই নয়, অজিত ডোভাল রাশিয়ার নিকোলাই পাত্রুশেভের সঙ্গেও বৈঠক করবেন। ভারতের পররাষ্ট্র মন্ত্রক, প্রতিরক্ষা মন্ত্রক এবং নিরাপত্তা সংস্থার প্রতিনিধিরাও আফগানিস্তান নিয়ে ভারত-রাশিয়া আন্ত-সরকার বৈঠকে উপস্থিত ছিলেন।
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এবার আফগানিস্তানের সেই অবস্থা নিয়েই চিনকে একহাত নিলেন জো বিডেন। আমেরিকার সিদ্ধান্তে কোনও ভূল নেই আগেই জানিয়েছিলেন, এবার জানিয়ে দিলেন নিজেদের স্বার্থ সিদ্ধির জন্যই হাত মিলিয়েছে তালিবান-বেজিং। ২৪ ঘন্টা আগেই নতুন সরকারের ঘোষণা করেছে তালিবান (Taliban)। নয়া সরকারের শপথ গ্রহণ অনুষ্ঠানে চিন, পাকিস্তান, রাশিয়া, তুরস্ক, ইরান ও কাতারকে আমন্ত্রণও জানিয়েছে।
চিন, পাকিস্তান, রাশিয়ার মতো দেশগুলি নিজেদের স্বার্থ সিদ্ধির জন্যই একসাথে হয়েছে। তালিবানদের সঙ্গে শুধু সমঝোতাই নয়, তাদের কাজে লাগানোর চেষ্টাও করবে তারা। ওরা সকলেই কী করা উচিত, তা বোঝার চেষ্টা করছে এক অনুষ্ঠানে প্রশ্ন করা হলে এই মন্তব্যই করেছেন মার্কিন প্রেসিডেন্ট।

চিনের তরফে এখনও অবধি তালিবানকে আফগানিস্তানের নতুন শাসক হিসাবে আনুষ্ঠানিকভাবে স্বীকার না করা হলেও, গত জুলাই মাসেই বর্তমানের আফগানিস্তানের ডেপুটি প্রধানমন্ত্রী মোল্লা বরাদরের সঙ্গে দেখা করেছিলেন জিনপিং। সেই সময়ও চিনের তরফে জানানো হয়েছিল, তালিবানদের তাদের সরকার গঠনের প্রক্রিয়ায় সাহায্য করা হোক।
আমেরিকার ওয়ার্ল্ড ট্রেড সেন্টারে ৯/১১ হামলার পরই তাদের ন্যাটো বাহিনী দখল নেয় আফগানিস্তানের। প্রশিক্ষণ দেওয়া হয় আফগান সেনাদের, জেলবন্দি করা হয় তালিবানদের। বিশ্বজুড়ে আল কায়েদার যে দাপট ছিল, তাও নিয়ন্ত্রণে আনে মার্কিন সেনা। লক্ষ্য ছিল মার্কিন যুক্তরাষ্ট্রকে সন্ত্রাসমুক্ত করা। কিন্তু ২০২০ সালের ফেব্রুয়ারি মাসে তালিবানদের সঙ্গে দোহায় চুক্তি করেন মার্কিন প্রেসিডেন্ট ডোনাল্ড ট্রাম্প। সেই চুক্তিতে বলা হয়, আফগানিস্তান থেকে প্রত্যাহার করে নেওয়া হবে মার্কিন সেনা, কিন্তু আমেরিকায় সন্ত্রাসবাদী কার্যকলাপ বন্ধ রাখবে তারা। অন্য সন্ত্রাসবাদী গোষ্ঠীকে আমেরিকায় হামলা করা থেকে বিরত রাখারও চেষ্টা করবে তালিবানরা।
এই চুক্তির পরেই নির্বাচনে হেরে যান ডোনাল্ড ট্রাম্প। মার্কিন যুক্তরাষ্ট্রের নতুন প্রেসিডেন্ট হিসাবে ক্ষমতায় বসেন জো বাইডেন। কিন্তু, ক্ষমতায় এসেও তিনি ট্রাম্পের সিদ্ধান্তকেই পূনর্বহাল রাখেন। উল্টে জানান, এই বছরের সেপ্টেম্বরের আগেই আফগানিস্তান থেকে মার্কিন সেনা সম্পূর্ণ প্রত্যাহার করে নেওয়া হবে। আমেরিকার ভবিষ্যতবানী ছিল, আগামী তিন মাসের মধ্যে আফগানিস্তান দখল করবে তালিবানরা। যদিও সে হিসেব উল্টে তিনদিনের মধ্যে কাবুল দখল করেছে তালিবানরা।
অনেক আন্তর্জাতিক সম্পর্ক বিশেষজ্ঞই ভেবেছিলেন, তালিবানদের বাড়বাড়ন্ত দেখে সেনা প্রত্যাহারের সিদ্ধান্ত স্থগিত রাখবেন বাইডেন। কিন্তু সিদ্ধান্ত না বদলে বাইডেন জানান, “আফগান নেতাদের একজোট হতেই হবে। আফগানিস্তানের সেনার সংখ্যা তালিবানদের তুলনায় অনেক বেশি। তাদের দেশের জন্য লড়াই চালাতেই হবে।” এরপরেই বাইডেনকে কটাক্ষ করে আমেরিকানদের উদ্দেশ্য করে টুইট করেন ট্রাম্প। সোশ্যাল মিডিয়ায় লেখেন, “আমায় মিস করছেন কি?” শুধু তাই নয়, আমেরিকায় করোনা পরিস্থিতি, অর্থনীতি সহ নানা বিষয়েও বাইডেনের বিরুদ্ধে আক্রমণ শানিয়েছেন তিনি।
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পড়শি দেশে তালিবানের ক্ষমতা দখল এবং তাতে ভারতের বিপদের সম্ভাবনার নিয়ে সোমবার দেশের মুসলিম সমাজের কিছু বিশিষ্ট ব্যক্তির সঙ্গে মুম্বইয়ে বৈঠকে বসেছিলেন RSS-প্রধান মোহন ভাগবত। যদিও শুধু তালিবান এবং ভারত নয়, আলোচনার মূল উদ্দেশ্য ছিল কাশ্মীর সমস্যা নিয়ে কথা বলা।
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সেখানেই বিতর্কিত মন্তব্য করলেন সংঘ প্রধান। দেশের হিন্দু-মুসলমানদের পূর্বপুরুষ এক। প্রত্যেক ভারতীয় নাগরিকই হিন্দু। ইসলাম ধর্ম এসেছিল আক্রমণকারীদের সঙ্গে। হিন্দুরা কারও সঙ্গে শত্রুতা করে না। সকলের ভাল চায়। এখানে ভিন্নমতের অনাদর হয় না। এর আগেও এই মন্তব্য করে বিতর্কে জড়িয়েছিলেন সংঘ প্রধান।
বিজেপির নেতৃত্বাধীন গোয়া, মণিপুর, উত্তরপ্রদেশ ও উত্তরাখণ্ড-সহ পাঁচ রাজ্যে ভোট আসন্ন। তা নিয়েও দু’দিনের দীর্ঘ বৈঠক হয়েছে নাগপুরের সংঘের দফতরে। গত বছরের নভেম্বর থেকে কৃষি আইন প্রত্যাহারের দাবিতে দিল্লির সীমানায় আন্দোলনে বসে রয়েছেন কৃষকেরা। মূলত পঞ্জাব এবং পার্শ্ববর্তী রাজ্যের ওই কৃষকদের বিক্ষোভ শান্তিপূর্ণভাবে শেষ হবে তা নিয়েও বিস্তারিত আলোচন হয়েছিল সংঘের সদর দফতরে।
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তারপরেই দেশের মুসলিম সমাজের বিশিষ্টজনদের সঙ্গে বৈঠকে বসলেন তিনি। ‘রাষ্ট্র প্রথম-রাষ্ট্র সর্বোপরি’ শীর্ষক ওই আলোচনা সভায় উপস্থিত ছিলেন কেরলের রাজ্যপাল আরিফ মহম্মদ খান, কাশ্মীর কেন্দ্রীয় বিশ্ববিদ্যালয়ের প্রাক্তন উপাচার্য তথা প্রাক্তন লেফটেন্যান্ট জেনারেল সৈয়দ আটা হুসেনের মতো বিশিষ্ট মানুষেরা।
আফগানিস্তানে তালিবানের ক্ষমতা দখল ভারতে যাতে প্রভাব না ফেলে, সে জন্য শিক্ষিত মুসলিম সমাজকে এগিয়ে আসার জন্য অনুরোধ করেছেন মোহন ভাগবত। সেখানেই তিনি দাবি করেন, প্রত্যেক ভারতীয় নাগরিকই হিন্দু। দেশের হিন্দু-মুসলমানদের পূর্বপুরুষ এক। যদিও এর মাধ্যমে বিভেদ নয়, দেশের মানুষদের ঐক্যকেই তুলে ধরতে চেয়েছেন সংঘ প্রধান বলেই মনে করছেন দেশের বিশিষ্টজনেরা।
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