पीड़ित सैन्य अधिकारी सेना की सिख रेजिमेंट में मेजर के पद पर सेवारत हैं, जबकि उनकी मंगेतर सेना के पूर्व ब्रिगेडियर की बेटी है। मामले में 5 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है और ओडिशा पुलिस की अपराध शाखा ने पुलिस हिरासत में सैन्य अधिकारी की मंगेतर के साथ हुए यौन उत्पीड़न के मामले में पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
भुवनेश्वर में रेस्टोरेंट चलाने वाली महिला, जो एक वकील भी हैं, अपना रेस्टोरेंट बंद करके अपने मंगेतर के साथ रविवार देर रात कार से घर लौट रही थी। इसी दौरान तीन कारों में सवार कुछ युवकों ने उनका पीछा किया. घटना के बाद सामने आए कथित तौर पर घटना से संबंधित कुछ वीडियो में महिला और उसके मंगेतर के साथ कुछ युवकों को उलझते हुए देखा जा सकता है।
इसके बाद महिला और सैन्य अधिकारी घटनास्थल से अपनी गाड़ी लेकर निकल गए और घटना की शिकायत के लिए भरतपुर पुलिस थाने पहुंचे। इसके बाद उनके साथ थाने में जो हुआ, वह रोंगटे खड़े करने वाला था। गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए महिला ने बताया, ‘किसी तरह हम वहां (युवकों के झुंड से) से भागने में कामयाब रहे और मामला दर्ज कराने के लिए भरतपुर थाने गए। वहां रिसेप्शन पर बैठी एक महिला पुलिस कॉन्स्टेबल के अलावा कोई नहीं था। हमने उनसे शिकायत दर्ज करने का अनुरोध किया. हालांकि, मेरी शिकायत दर्ज करने के बजाय उन्होंने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया।’
ड्यूटी पर तैनात महिला पुलिसकर्मी का व्यवहार कथित तौर पर तब और भी आक्रामक हो गया जब उसे पता चला कि पीड़िता एक वकील है। इस बीच, पुलिस की एक गश्ती गाड़ी, जिसमें कुछ महिला पुलिसकर्मी भी शामिल थीं, थाने पहुंची। महिला ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके मंगेतर को हवालात में बंद कर दिया, जब इसके खिलाफ आवाज उठाई कि वे सेना के किसी अधिकारी को हिरासत में नहीं रख सकते, यह गैरकानूनी है, तो दो महिला पुलिसकर्मियों ने उनके साथ मारपीट शुरू कर दी।
पीड़ित महिला ने बताया, ‘दो महिला अधिकारियों ने मेरे बाल खींचना शुरू कर दिया और मुझे पीटना शुरू कर दिया। जब मैंने उनसे रुकने की गुहार लगाई, तो उन्होंने मुझे थाने के गलियारे में घसीटा। मैंने उनमें से एक का हाथ काट लिया। उन्होंने मेरी जैकेट उतार दी और मेरे दोनों हाथ उससे बांध दिए. उन्होंने मेरे दोनों पैरों को दुपट्टे से बांध दिया। बाद में, एक पुरुष अधिकारी आया और मेरी ब्रा उतारने के बाद लगातार मेरी सीने पर लात मारने लगा। फिर थाना इंस्पेक्टर आया और अपनी पैंट की जिप खोल गुप्तांग दिखाकर मुझसे शारीरिक संबंध बनाने की पूछने लगा। उसने मेरे साथ छेड़छाड़ भी की।’
महिला के मंगेतर सेना के मेजर ने भी राज्य पुलिस महानिदेशक (अपराध शाखा) अरुण बोथरा को लिखित शिकायत में दंपत्ति के साथ पुलिस द्वारा किए गए अत्याचारों का विवरण दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि थाना प्रभारी ने पीड़िता के साथ छेड़छाड़ की और उसका यौन उत्पीड़न किया।
उन्होंने बताया, ‘मैं 30 मिनट तक चीखें सुनता रहा। इसके बाद मेरी मंगेतर को अवैध रूप से गिरफ्तार कर लिया गया और अदालत भेज दिया गया।’
उन्होंने आगे बताया कि जब वह थाने में बैठकर अपनी शिकायत लिख रहे थे तो चार पुलिसकर्मियों ने उन्हें पकड़ लिया और घसीटते हुए एक कोठरी में ले गए, जहां उन्होंने उनकी पैंट उतार दी और उनका सारा सामान ले लिया, जिनमें पर्स, मोबाइल, सेना का पहचान पत्र और कार की चाबियां शामिल थीं। उनके मुताबिक, इस दौरान दो महिला पुलिसकर्मी उनकी मंगेतर के साथ मारपीट करने लगीं।
मेजर ने थाने में मौजूद कॉन्स्टेबल से थाना प्रभारी को बुलाने का अनुरोध किया ताकि वह वह उन्हें एक सैन्य अधिकारी को हिरासत में लेने संबंधी प्रोटोकॉल समझा सकें, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। मेजर ने उन्हें अवैध हिरासत में रखने, उनका उत्पीड़न करने और उन्हें मानसिक यातना देने का आरोप लगाया। उन्होंने साथ ही बताया कि जब उनकी मंगेतर वकील ने गिरफ्तारी से जुड़ा वॉरंट दिखाने की मांग की तो उसे घसीटा गया, मारा-पीटा गया और निर्वस्त्र कर दिया गया।
जानकारी के मुताबिक, भारतीय सेना ने मामले को गंभीरता से लेते हुए हस्तक्षेप किया, जिसके बाद मेजर को रिहा कर दिया गया। वहीं, अस्पताल में उनकी मंगेतर की मेडिकल जांच कराई गई, जहां रिपोर्ट में बताया गया कि उनके साथ गंभीर मारपीट की गई थी।
घटना की भनक लगते ही भारतीय सेना ने सक्रियता दिखाई। घटना के अगले ही दिन एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, जिसमें राज्य अधिकारियों के साथ मिलकर कार्रवाई की बात कही। वहीं, 18 सितंबर को मध्य भारत क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल पीएस शेखावत ने ओडिशा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर मामले में कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया और उनसे हस्तक्षेप करने की मांग की।
जानकारी के मुताबिक, जस्टिस चक्रधारी चरण सिंह को लिखे पत्र में लेफ्टिनेंट जनरल शेखावत ने लिखा, ‘एक सेवारत सैन्य अधिकारी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई गई और उनकी मंगेतर, जो एक सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर की बेटी भी है, की गरिमा पर पुलिसकर्मियों द्वारा हाथ डाला गया।’ उन्होंने कहा कि जब दंपत्ति शिकायत दर्ज कराने पुलिस थाने गए तो पुलिस अधिकारियों ने ‘अपने पद के अनुरूप काम नहीं किया।’
जनरल ने आगे लिखा, ‘उन्होंने न केवल महिला को अपमानित किया, बल्कि उसके साथ छेड़छाड़ भी की और सेना अधिकारी को बिना किसी आरोप के लगभग 14 घंटे तक हिरासत में रखकर उनका भी अपमान किया।’
उन्होंने पुलिस थाने में सीसीटीवी न होने की बात उठाते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करार दिया। साथ ही लिखा कि पुलिसकर्मियों की कार्रवाई ने दंपति और साथ ही सैन्य बिरादरी के कानून प्रवर्तन प्रणाली में विश्वास को गहरी ठेस पहुंचाई है। उन्होंने कहा कि सेना का मानना है कि कई मामलों में कानून का उल्लंघन किया गया है, जहां एक सेवारत सैन्य अधिकारी को बगैर कोई अपराध दर्ज किए और सेना के अधिकारियों को सूचित किए बिना हिरासत में रखा गया था।
जनरल ने मुख्य न्यायाधीश से घटना का स्वत: संज्ञान लेने और बिना किसी देरी के महिला को जमानत देने का अनुरोध किया। साथ ही, लिखा कि अपराध शाखा द्वारा निष्पक्ष तरीके से जांच की जाए और दोषी पुलिसकर्मियों को उनके पदों से हटाया जाए और उन्हें उचित सजा दी जाए।
संभवत: जनरल के पत्र का असर भी हुआ। पुलिस द्वारा हिरासत में ली गई पीड़ित महिला को उसी दिन हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। वहीं, 17 सितंबर को राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी मामले का संज्ञान लिया और ओडिशा पुलिस के डीजीपी से 3 दिन में घटना के संबंध में रिपोर्ट मांगी और मामले में तत्काल कार्रवाई करने के लिए कहा।
मेजर की शिकायत के आधार पर मामले में दो एफआईआर दर्ज की गई हैं। पहली एफआईआर सड़क पर बदसलूकी करने वाले युवकों के खिलाफ और दूसरी एफआईआर दंपति की अवैध हिरासत और हिरासत में दी गई यातनाओं से संबंधित है।
इससे पहले, भरतपुर पुलिस ने सैन्य अधिकारी और उनकी मंगेतर के खिलाफ मामला दर्ज किया था और आरोप लगाया था कि उनके हमले में चार कॉन्स्टेबल और एक महिला सब-इंस्पेक्टर घायल हो गए। बहरहाल, पुलिस ने मामले में भरतपुर के थाना प्रभारी दिनकृष्णा मिश्रा, सब-इंस्पेक्टर बैशालिनी पांडा, सहायक उपनिरीक्षक सलिलमई साहू और सागरिका रथ और कॉन्स्टेबल बलराम हांडा को निलंबित किया है। इससे पहले, डीजीपी ने मामले की जांच ओडिशा पुलिस की अपराध शाखा से कराने के निर्देश दिए थे। अपराध शाखा ने भी पांचों पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
वहीं, सड़क पर मेजर और पीड़ित महिला के साथ बदसलूकी करने वाले 12 युवकों की पुलिस ने पहचान की, जिनमें से 7 को गिरफ्तार भी किया गया, हालांकि अदालत से उन्हें जमानत मिल गई है। वहीं, ओडिशा सरकार ने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री मोहन मांझी द्वारा न्यायिक जांच के आदेश के बाद मेजर, उनकी मंगेतर और पूर्व सैन्यकर्मियों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की. न्यायिक आयोग 60 दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
इस बीच, ओडिशा पुलिस ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि रविवार देर रात लगभग 01:30 बजे मेजर और उनकी मंगेतर अपने वाहन में जा रहे थे, जब उन्हें तीन वाहनों में सवार 12-13 व्यक्तियों द्वारा परेशान किया गया, जो लापरवाही से गाड़ी चला रहे थे। उन्होंने गाली-गलौज, धक्का-मुक्की और हाथापाई की. मेजर और उनकी मंगेतर किसी तरह वहां से निकलने में सफल रहे।
पुलिस ने बयान में कहा कि दंपति ने आरोपी युवकों की एक कार का नंबर ले लिया था, जिसके बाद वे थाने पहुंचे और पुलिस से तत्काल कार्रवाई का अनुरोध किया, लेकिन पुलिसकर्मी बहाने बनाते रहे और दंपति से अपना मेडिकल कराने के लिए कहा।
ओडिशा पुलिस ने भी अपने बयान में इसके बाद दंपति के साथ घटित वाकये की पुष्टि की। साथ ही बताया कि पीड़ित महिला किसी तरह सुबह 5 बजे अपनी कार तक पहुंचने में कामयाब हुई और अपना फोन मेजर को दिया, जिससे वह मदद के लिए सेना के अधिकारियों को फोन लगा सके।
पुलिस ने बयान में यह भी कहा कि सेना की ओर से 120 टीए बटालियन से एक जूनियर कमीशन अधिकारी और तीन अन्य रैंक के अधिकारियों की एक टीम को मेजर की मदद के लिए पुलिस थाने भी भेजा गया था। बयान में कहा गया, ‘दंपति को अस्पताल ले जाया गया। महिला का जबड़ा अपनी जगह से खिसक गया था, नाक टूट गई थी और शरीर पर कई अन्य घाव के निशान थे। फिर दोनों को पुलिस थाने ले जाया गया, जहां महिला को गिरफ्तार कर लिया गया।’
हालांकि, मामला सामने आने के बाद पुलिस दंपति को ही कुसूरवार ठहरा रही थी। ओडिशा टीवी के मुताबिक, भुवनेश्वर के एडिशनल डीसीपी सुरेश चंद्र पात्रा ने कहा था कि मेजर और उनकी मंगेतर ने पुलिस के साथ बदसलूकी की थी। पात्रा ने कहा था कि जब वे थाने आए तो सही हालत में नहीं थी। पुलिस ने जब उनसे औपचारिक शिकायत दर्ज कराने कहा तो पुलिस से बहस करने लगे। उन्होंने महिला अधिकारी समेत पुलिसकर्मियों के साथ बदसलूकी की।
वहीं, निलंबित थाना प्रभारी दीनाकृष्ण मिश्रा ने दंपति के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि उन्होंने नशे की हालत में थाने पहुंचने के बाद स्टाफ के साथ बदसलूकी की।
ओडिशा रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने सेना के अधिकारियों को संबोधित एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें पूछा गया है कि क्या मेजर के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है। जानकारी के मुताबिक, पत्र में कहा गया है कि दंपति नशे में थे और मेजर ने इस हालत में कार चलाई। महिला ने कार में बैठे हुए कुछ इंजीनियरिंग छात्रों के साथ दुर्व्यवहार और गाली-गलौज की।
पत्र में कहा गया है, ‘युवा इंजीनियरिंग छात्रों को आपके (सेना) दबाव में अदालत भेज दिया जाएगा और महिला के अत्याचारी व्यवहार के कारण उनका भविष्य बर्बाद हो जाएगा।’ इससे पहले, पूर्व सैन्य कर्मियों के संगठन ने ओडिशा के कमिश्नरेट पुलिस भवन के पास प्रदर्शन किया था और दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी। कई पूर्व सैन्यकर्मियों ने घटना के खिलाफ सोशल मीडिया का भी रुख किया था।
भारतीय सेना के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि सेना इस मामले को लेकर बहुत चिंतित हैं और उसे उम्मीद है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सेना के अधिकारियों के साथ ऐसी घटनाएं देश के लोगों का भी मनोबल तोड़ती हैं।
]]>ভারতীয় সেনার গোর্খা রাইফেলস রেজিমেন্টের একজন প্রাক্তন অফিসার মেজর মানিক এম জলি টুইট করেছেন যে গোখরার পোস্টারে যে খুকরির ছবি দেখা গিয়েছে, যা একধরনের মেশেট, তার আকৃতিতে ভুল ছিল।
তিনি টুইট করে লিখেছেন, ” প্রিয় অক্ষয় কুমার জি, একজন প্রাক্তন গোর্খা অফিসার হিসাবে আমি আপনাকে অসংখ্য ধন্যবাদ জানাতে চাই এই সিনেমাটি বানানোর জন্য। যাইহোক, বিস্তারিত বিভিন্ন তথ্যও গুরুত্বপূর্ণ। অনুগ্রহ করে খুকরির আকৃতিতে নজর দেবেন। এর ধারালো প্রান্ত অন্য দিকে। এটা তলোয়ার নয়। ব্লেডের ভেতরের দিক থেকে খুকরি আঘাত করে।” টুইট করে মন্তব্য করার পাশাপাশি তিনি একটি ছবিও পোস্ট করেছেন।
Dear @akshaykumar ji, as an ex Gorkha officer, my thanks to you for making this movie. However, details matter. Kindly get the Khukri right. The sharp edge is on the other side. It is not a sword. Khukri strikes from inner side of blade. Ref pic of Khukri att. Thanks. pic.twitter.com/LhtBlQ9UGn
— Maj Manik M Jolly,SM (@Manik_M_Jolly) October 16, 2021
আর্মি অফিসারের মন্তব্য করার কিছুক্ষণের মধ্যেই প্রতিক্রিয়া দেন বলিউড অভিনেতা অক্ষয় কুমার। টুইটের রিপ্লাই দিয়ে তিনি লিখেছেন, “প্রিয় মেজর জলি, ভুল ধরিয়ে দেওয়ার জন্য আপনাকে অনেক ধন্যবাদ। চিত্রগ্রহণের সময় আমরা সর্বোচ্চ যত্ন নেব। গোর্খা তৈরি করতে পেরে আমি খুব গর্বিত এবং সম্মানিত। বাস্তবতার সবচেয়ে কাছাকাছি পৌঁছানোর জন্য যেকোনো পরামর্শ আমাদের কাছে খুবই গুরুত্বপূর্ণ।”
শুক্রবার অক্ষয় মেজর জেনারেল ইয়ান কার্ডোজোর জীবনভিত্তিক চলচ্চিত্র ‘গোর্খা’ র খবর ঘোষণা করেন। মেজর কার্ডোজোর একটি স্থলমাইন বিস্ফোরণে তার পা হারিয়েছিলেন কিন্তু ভারতীয় সেনাবাহিনীর প্রথম যুদ্ধ-প্রতিবন্ধী অফিসার হিসেবে ব্যাটালিয়ন এবং ব্রিগেড কমান্ড করার অক্ষমতা অতিক্রম করেছিলেন। সূত্রের খবর, ছবিটি পরিচালনা করবেন জাতীয় পুরস্কারপ্রাপ্ত চলচ্চিত্র নির্মাতা সঞ্জয় পুরান সিং চৌহান। তাছাড়া, আনন্দ এল রাই এবং হিমাংশু শর্মা এটি প্রযোজনা করবেন বলে জানা গিয়েছে।
]]>কাশ্মীরের বেড়ে চলা জঙ্গি কার্যকলাপের কারণে রাজ্য জুড়ে চলছে চিরুনি তল্লাশি। এই তল্লাশি অভিযান চালানোর সময় বৃহস্পতিবার রাতে পুঞ্চ-রাজৌরি জঙ্গলে সেনার সঙ্গে জঙ্গিদের সংঘর্ষ বাধে। সেনাবাহিনী জানিয়েছে, বৃহস্পতিবার রাতে পুঞ্চ জেলার মেনধার মহকুমার নারখাস জঙ্গলে সেনাবাহিনী তল্লাশি অভিযান চালাচ্ছিল। সেনাবাহিনীর উপস্থিতি টের পেয়ে জঙ্গিরা এলোপাথাড়ি গুলি চালাতে শুরু করে। সেনাবাহিনীর পক্ষ থেকেও পাল্টা জবাব দেওয়া হয়।
কিন্তু রাতের অন্ধকারে জঙ্গিদের দিক থেকে ছুটে আসা গুলিতে এক সেনা কর্তা ও এক জওয়ান গুরুতর জখম হন। তাঁদের দ্রুত হাসপাতালে নিয়ে যাওয়া হলেও বাঁচানো সম্ভব হয়নি। কাশ্মীরকে আরও সুরক্ষিত রাখতে মোদি সরকার ভূস্বর্গের উপর থেকে ৩৭০ ধারা তুলে নেয়। কিন্তু মোদি সরকারের ওই সিদ্ধান্তে কাশ্মীরে সুরক্ষা তো দূরের কথা বরং জঙ্গি কার্যকলাপ আরও বেড়েছে। মোদি সরকারের ওই সিদ্ধান্ত যে ভুল ছিল সেটাই যেন প্রমাণ করতে চাইছে জঙ্গিরা।
উল্লেখ্য, ১০ অক্টোবর পুঞ্চ জেলাতেই জঙ্গিদের গুলিতে এক সেনা আধিকারিক -সহ ৫ জওয়ান শহিদ হয়েছিলেন। ওই ঘটনার পর থেকেই জুম্মু-পুঞ্চ জাতীয় সড়ক বন্ধ করে দেওয়া হয়েছে। সেনাবাহিনী জানিয়েছে, জঙ্গিদের সন্ধানে গোটা কাশ্মীর জুড়ে চলছে জোরদার তল্লাশি। সেই তল্লাশি অভিযান চালাতে গিয়ে বৃহস্পতিবার দু’জনকে প্রাণ হারাতে হল। কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্রমন্ত্রক মনে করছে, কাশ্মীরে জঙ্গিদের সক্রিয়তার পিছনে রয়েছে পাকিস্তান। পাকিস্তান তালিবানকে সমর্থন করে জঙ্গিদের উৎসাহ জুগিয়ে চলেছে। এমনকী, তালিবানের সাহায্য নিয়ে পাকিস্তান কাশ্মীরে নাশকতা চালাতে চাইছে।
পাকিস্তানের দাবি, কাশ্মীরের মানুষ কষ্ট রয়েছে। তাদের উদ্ধার করতে হবে। সে কারণেই তারা জঙ্গিদের সাহায্য নিচ্ছে। তবে কাশ্মীর নিয়ে পাকিস্তানের এই ভূমিকায় তীব্র অসন্তোষ প্রকাশ করেছে নরেন্দ্র মোদি সরকার। কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী অমিত শাহ ইতিমধ্যেই পাকিস্তানকে হুমকি দিয়েছেন, তারা ছায়াযুদ্ধ চালানো বন্ধ না করলে ফের সার্জিক্যাল স্ট্রাইক চালানো হতে পারে। তবে স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী যতই হুমকি দিক না কেন, পাকিস্তান সেই আগের জায়গাতেই রয়ে গিয়েছে। তারা দেশের সাধারণ মানুষের উন্নয়নের দিকে নজর না দিয়ে জঙ্গিদের মদত জুগিয়ে চলেছে। জঙ্গিদের অর্থ-সহ সব ধরনের সাহায্য করছে। এই কাজ করতে গিয়ে আন্তর্জাতিক দুনিয়ায় ইসলামাবাদ একঘরে হয়ে পড়লেও তাদের যেন কোনও মাথাব্যথা নেই। পাকিস্তানের একটাই লক্ষ্য, কাশ্মীর তথা ভারতে অস্থিরতা তৈরি করা।
সম্প্রতি তাদের এই কাজে দোসর হয়েছে চিন ও তালিবান। বেজিং সরকার নিয়মিত লাদাখ, অরুণাচল প্রদেশের মত সীমান্তবর্তী রাজ্যগুলিতে আগ্রাসন চালানোর চেষ্টা করছে। ভারতের সঙ্গে সীমান্ত নিয়ে চিনের বিবাদ রয়েছে। দু’দেশের ১৩টি বৈঠকের পরেও এখনও মেটেনি সীমান্ত সমস্যা। ভারতের কোন প্রস্তাবই মানতে রাজি নয় বেজিং। তাই ভারতকে বিপাকে ফেলতেই চিন, পাকিস্তান ও তালিবান এই তিন মিত্রশক্তি একযোগে উঠে-পড়ে লেগেছে। তারই ফলশ্রুতিতে কাশ্মীরে বেড়েছে জঙ্গিদের সক্রিয়তা।
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