Bhartya Bhasa Parisad – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Sun, 23 Jun 2024 13:27:35 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png Bhartya Bhasa Parisad – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 ‘भारतीय साहित्य में लोकतंत्र – एक संवाद’ भारतीय भाषा परिषद में आयोजित https://ekolkata24.com/uncategorized/democracy-in-indian-literature-a-dialogue-organised-at-bharatiya-bhasha-parishad Sun, 23 Jun 2024 13:27:35 +0000 https://ekolkata24.com/?p=48506 कोलकाता : भारतीय भाषा परिषद में ‘भारतीय साहित्य में लोकतंत्र’ – विषय पर एक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन भारतीय भाषा परिषद और सदीनामा प्रकाशन के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत भारतीय भाषा परिषद की अध्यक्ष डॉ. कुसुम खेमानी के वक्तव्य के साथ हुआ।

उन्होंने कहा कि आज के समय में लोकतंत्र को बचाने के लिए ऐसे लोकतांत्रिक कार्यक्रमों की बहुत ही ज्यादा जरूरत है। इस संवाद कार्यक्रम में शहर के बहुभाषी बुद्धिजीवियों ने शिरकत की। कार्यक्रम में हिंदी, उर्दू, बांग्ला,पंजाबी, गुजराती, राजस्थानी, मैथिली, उड़िया, नेपाली और मगही , दस भाषाओं के वक्ताओं ने अपनी बातें रखीं तदुपरान्त श्रोताओं ने भी उनसे खूब प्रश्न किये।

पंजाबी साहित्य पर बोलते हुए महेंद्र सिंह पुनिया ने कहा कि गुरुनानक, बुल्लेशाह से लेकर पाश तक पंजाबी में लोकतंत्र की लंबी परम्परा रही है। इस परंपरा को उन्होंने कवियों की कविताओं से उदाहरण देकर प्रमाणित किया। गुरदीप सिंह संघा ने पंजाबी में लोकतांत्रिक कविता सुनायी। हिंदी पर पर बोलीं अल्पना सिंह एवं जीतेंद्र जीतांशु।

अजय तिरहुतिया ने मैथिली भाषा पर बोलते हुए ज्योतिश्वर ठाकुर और विधापति के साहित्य से लोकतंत्र के उदाहरण दिए। मैथिली के एक और विद्वान अशोक झा ने कहा कि मैथिल प्रदेश में मनाया जाने वाला छठ पर्व लोकतंत्र का अद्भुत उदाहरण है क्योंकि बांस को काटने और उससे डोरी बनाने वाले लोग निम्न जाति के हैं। उनके हाथ का बना समान छठ करने वाले सभी जातियों (निम्न और उच्च) के लोगों द्वारा उपयोग किया जाता है। उन्होंने विधापति और नागार्जुन की कविताओं के माध्यम से दिखलाया कि किस तरह आज भी मिथिलांचल में लोकतंत्र मौजूद है।
राजस्थानी पर बात करते हुए हिंगलाज दान रतनू ने कहा कि राजस्थानी भाषा के अनेक रूप हैं लेकिन उनके बीच अद्भुद लोकतंत्र स्थापित है।

सौरभ गुप्ता ने ओड़िया पर अपनी बात रखते हुए कहा कि यहाँ तो लोकतंत्र की इतनी सुंदर व्यवस्था है कि भगवान को भी बुखार लगता है और उनका इलाज भी कई दिनों तक चलता है। कुमार सुशान्त ने मगही भाषा पर बात रखते हुए कहा कि मगही भाषा में लोकतंत्र सदैव विद्यमान रहा है । उन्होंने मगही के कबीर मथुरा प्रसाद नवीन की कविताओं को सुनाते हुए कहा कि कवि को सूखा चना खाना पसंद है, लेकिन संघर्ष छोड़ना नहीं। कवि क्रांति के लिए संघर्ष लोकतंत्र को बचाने के लिए करता है। गुजराती भाषा पर बोलते हुए केयूर मजमुआदार ने कई आयाम खोले।

उर्दू भाषा पर अपनी बात रखते हुए शाहिद फिरोगी ने कहा कि उर्दू तो हमेशा से ही लोकतांत्रिक भाषा रही है। उन्होंने कुछ शेरों-शायरी का उदाहरण देकर अपनी बात को और पुष्ट किया। नेपाली भाषा में नीमा निष्कर्ष ने नेपाली लेखन पर लोकतांत्रिक चर्चा की ।

अंत में भारतीय भाषा परिषद की तरफ से धन्यवाद ज्ञापन अमृता चतुर्वेदी ने दिया और सदीनामा के मुख्य सम्पादक जितेंद्र जितांशु बुद्धिजीवियों को कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए शुक्रिया कहा। इस अवसर पर अनेक प्रतिष्ठित बुद्धिजीवी उपस्थित रहे।

शिवकुमार लोहिया अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष, प्रकाश किल्ला, प्रादेशिक मारवाड़ी सम्मेलन से जुड़े हुए, एजाज हसन, हलीम साबिर, शीन एजाज , परवेज, विनीत शर्मा, संपादक राजस्थान पत्रिका, विमला पोद्दार,जगमोहन सिंह खोखर , विनोद यादव, रंजीत भारती , सीताराम अग्रवाल, संजीव गुरुंग ,गोपाल भीत्रकोटि, रामायण धमला ,सुरेश शॉ, देवेंदर कौर ,दिव्या प्रसाद, अज्येंद्र नाथ त्रिवेदी, शकुन त्रिवेदी, अल्पना सिंह, केयूर मजूमुआदार, अहमद रशीद, शंकर जालान,प्रदीप कुमार धानुक, सीमा भावसिहंका, उषा जैन, सरोज झुनझुनवाला,डॉ विभा द्विवेदी, राम नारायण झा, राज जायसवाल, मीनाक्षी सांगानेरिया, सुशीलकांति, मीनाक्षी दत्ताराय आदि।

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