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घाटाल का जलवायु संकट: एक परिचित दृश्य
हर मानसून में घाटाल के लोग बाढ़ की विभीषिका का सामना करते हैं। शिलाबती, कांसी, तमाल नदियों का पानी चारों ओर फैलकर क्षेत्र को जलमग्न कर देता है। इस क्षेत्र का भौगोलिक ढांचा और निम्नभूमि बाढ़ को हर साल एक सामान्य घटना बनाती है। 2013 के ‘फेलिन’ चक्रवात के बाद इस क्षेत्र में बड़ी जलजमाव की समस्या देखी गई थी, जिसने स्थानीय जीवन को प्रभावित किया था। इस समस्या से निपटने के लिए 1959 में पहली बार घाटाल मास्टर प्लान की बात उठी थी, लेकिन इसके कार्यान्वयन में देरी हुई है।
मास्टर प्लान का पृष्ठभूमि
राज्य सरकार के सिंचाई और जलमार्ग विभाग की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, घाटाल मास्टर प्लान पश्चिम और पूर्व मेदिनीपुर के 657 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को बाढ़ से बचाने के लिए तैयार किया गया है। यह योजना पश्चिम मेदिनीपुर के 8 ब्लॉक और 2 नगर पालिकाओं को कवर करती है। 2014 में भारत सरकार के जलशक्ति मंत्रालय के तहत गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग (GFCC) को 1212 करोड़ रुपये के विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (DPR) सौंपा गया था। 2022 में केंद्र सरकार ने 1238.95 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी, लेकिन वित्तीय सहायता में देरी हुई।
केंद्र की लापरवाही और राज्य का कदम
तृणमूल सरकार का दावा है कि पिछले 11 वर्षों में केंद्र सरकार ने एक पैसा भी सहायता नहीं दी। इसलिए, राज्य ने अपने बजट से 2018-2021 के बीच 115.80 किलोमीटर नदी पुनर्वास कार्य पूरा किया, जिसकी लागत 341.49 करोड़ रुपये थी। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वर्तमान में परियोजना के शेष हिस्सों के लिए 1500 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। 2025-2026 वित्तीय वर्ष के लिए 500 करोड़ रुपये दिए गए हैं, और फरवरी 2025 से 5 स्लूस निर्माण कार्य शुरू हो चुके हैं, जिनकी प्रगति 60-70% है। चंद्रेश्वर खाल का उत्खनन कार्य लगभग पूरा हो चुका है।
राजनीतिक टकराव
BJP तृणमूल पर आरोप लगाते हुए कह रही है कि लोकसभा चुनाव में वादे किए गए लेकिन काम आगे नहीं बढ़ा। BJP नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा, “घाटाल के MLA को कमेटी में शामिल नहीं किया गया, यह नेतृत्व की स्पष्ट विफलता है।” तृणमूल का जवाब है कि केंद्र की लापरवाही के कारण यह स्थिति बनी। राज्य के सिंचाई और जलमार्ग मंत्री मनस रंजन भुईया ने कहा, “केंद्र की सहायता न मिलने के बावजूद हम अपने बजट से काम चला रहे हैं।”
जनता की स्थिति
घाटाल के निवासी जलजमाव से आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “हर साल पानी आकर फसल बर्बाद कर देता है। मास्टर प्लान कब पूरा होगा, कोई कह नहीं सकता।” हालांकि, सरकार का दावा है कि 2027 मार्च तक परियोजना पूरी होने पर बाढ़ नियंत्रण में सुधार होगा।
घाटाल के लोगों के जीवन को बेहतर करने के लिए मास्टर प्लान महत्वपूर्ण है, लेकिन राजनीतिक टकराव इसके कार्यान्वयन में बाधा बन रहा है। राज्य की प्रतिबद्धता पूरी होती है या नहीं, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।
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उत्तर धूपझोड़ कार्यालय में जब बोर्ड का गठन हुआ, तो इलाके में जश्न का माहौल छा गया। समर्थक लाल और भगवा गुलाल लगाकर खुशी जाहिर करते नजर आए।
भाजपा के पूर्व समतल मंडल अध्यक्ष मजनुल हक ने कहा, “यह बोर्ड तृणमूल सरकार के खिलाफ जनता की भावना और विपक्ष की एकजुटता का प्रतीक है। तृणमूल कोई पैनल नहीं दे सकी, इसका मतलब है जनता अब बदलाव चाहती है।”
वाम नेता दिनेश राय और कांग्रेस समर्थित सदस्य सफिरउद्दीन अहमद ने संयुक्त रूप से कहा, “यह केवल राजनीतिक गठजोड़ नहीं है, बल्कि किसानों के हित में उठाया गया कदम है। सभी फैसले सामूहिक रूप से लिए जाएंगे।”
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस ने इस पूरी प्रक्रिया को अवैध करार दिया है। पार्टी की माटियाली ब्लॉक अध्यक्ष स्नोमिता कालांदी ने आरोप लगाया, “इस आम सभा की जानकारी अधिकतर सदस्यों को नहीं दी गई थी। यह पूरा बोर्ड गठन नियमों के खिलाफ है। हम इसे उच्च सहकारिता विभाग के संज्ञान में ला रहे हैं।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि माटियाली का यह उदाहरण बताता है कि अगर विपक्ष मिलकर लड़े तो तृणमूल जैसे मजबूत किले में भी सेंध लगाई जा सकती है।
वरिष्ठ पत्रकार सौरभ मुखर्जी के अनुसार, “तृणमूल के गढ़ में विपक्ष की यह चुपचाप जीत एक बड़ा संकेत है। आने वाले पंचायत या सहकारी चुनावों में ऐसे गठबंधन और मजबूत हो सकते हैं।”
माटियाली में तृणमूल की अनुपस्थिति और विपक्षी गठबंधन की सफलता राज्य की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकती है। अब देखना होगा कि यह प्रयोग कितना दूर तक असर डालता है।
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घटना मंगलवार शाम की है, जब तुहीन मंडी बाजार में घरेलू सामान खरीदने गए थे। तभी अचानक 15-16 लोगों का एक समूह, जो कि कथित तौर पर बीजेपी कार्यकर्ता थे, लाठियों से हमला कर देता है। आरोप है कि उनके पीठ और दाहिने हाथ पर गंभीर चोटें आईं।
स्थानीय लोगों और टीएमसी कार्यकर्ताओं की मदद से उन्हें तुरंत खतरा अनुमंडल अस्पताल ले जाया गया, जहाँ प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। घटना के बाद मंत्री ज्योत्स्ना मंडी ने खतरा़ थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर पुलिस ने 6 लोगों को गिरफ्तार किया। सभी आरोपियों को बुधवार को अदालत में पेश किया गया।
मंत्री ज्योत्स्ना मंडी ने कहा,
“बीजेपी लगातार हमारे क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रही है। यह हमला सोची-समझी साजिश है, जिसका उद्देश्य मेरे परिवार को निशाना बनाना है। हम दोषियों को सख़्त सज़ा दिलवाने की माँग करते हैं।”
दूसरी ओर बीजेपी ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा,
“यह पूरी तरह से झूठा और निराधार आरोप है। दरअसल कल शाम तृणमूल के गुंडों ने ही हमारे कार्यकर्ताओं पर हमला किया था। जब हालात बिगड़ने लगे तो पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) को हस्तक्षेप करना पड़ा और उन्होंने लाठीचार्ज किया। उसी दौरान शायद तृणमूल के ही किसी कार्यकर्ता की लाठी से मंत्री के पति घायल हो गए हों। बीजेपी का इससे कोई लेना-देना नहीं है।”
इस घटना को लेकर बांकुड़ा की राजनीति में घमासान मच गया है। दोनों ही दल एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। पुलिस ने कहा है कि बाजार की CCTV फुटेज खंगाली जा रही है ताकि हमलावरों की पहचान की जा सके।
स्थिति को देखते हुए इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पंचायत चुनाव के पहले ऐसी घटनाएं और तेज़ हो सकती हैं।
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घटना बशीरहाट लोकसभा अंतर्गत बनगाँव दक्षिण विधानसभा क्षेत्र की है। पीड़ित रामप्रसाद सिकदर, जो भाजपा के बूथ अध्यक्ष हैं, गंभीर हालत में बोंगांव महकमा अस्पताल में भर्ती हैं। हमलावर पॉलाश धाली, जो कि स्वयं भाजपा का कार्यकर्ता है, फिलहाल फरार है।
सूत्रों के मुताबिक, रामप्रसाद सिकदर और पॉलाश धाली के बीच ज़मीन के बँटवारे और उससे जुड़े पैसों को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा था। रामप्रसाद पॉलाश की ज़मीन को बँटाई पर जोतते थे, लेकिन हाल के दिनों में लेन-देन को लेकर टकराव बढ़ता गया।
मंगलवार को इसी विवाद को सुलझाने के लिए रामप्रसाद भाजपा विधायक स्वप्न मजूमदार के घर पहुँचे थे। लेकिन बात करते-करते पॉलाश भी वहाँ पहुँच गया और आवेश में आकर धारदार हथियार (दाँव) से रामप्रसाद के सिर पर वार कर दिया।
रक्तरंजित अवस्था में पहले उन्हें पल्ला ग्रामीण अस्पताल ले जाया गया और वहाँ से हालत नाजुक होने पर बोंगांव महकमा अस्पताल रेफर कर दिया गया। डॉक्टरों के अनुसार, सिर में गहरा घाव है और फिलहाल उनका इलाज ICU में चल रहा है।
घटना की जानकारी मिलने के बाद गोपालनगर थाना पुलिस ने जांच शुरू की है और आरोपी की तलाश जारी है। भाजपा विधायक स्वप्न मजूमदार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
“जब घटना हुई, उस वक़्त मैं घर पर मौजूद नहीं था। दोनों का विवाद पहले से चल रहा था, जो पहले बाजार में शुरू हुआ और बाद में मेरे घर तक पहुँच गया। मैं इस बर्बर हमले की कड़ी निंदा करता हूँ और दोषी को सज़ा मिलनी चाहिए।”
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि राजनीतिक पार्टी के भीतर भी निजी विवाद अगर समय पर नहीं सुलझे तो वे हिंसक रूप ले सकते हैं। विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर भाजपा की आंतरिक अनुशासनहीनता पर भी सवाल खड़े किए हैं।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने इलाके में सतर्कता बढ़ा दी है और स्थानीय भाजपा इकाई भी मामले को लेकर सक्रिय हो गई है।
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पिछले 29 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलीपुरद्वार के पैरेड ग्राउंड में एक जनसभा को संबोधित किया था। इस जनसभा के बाद एक सप्ताह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन मैदान की स्थिति अब भी खराब है। लगातार बारिश के कारण मैदान के कई हिस्सों में पानी जमा हो गया है। इसके अलावा, जनसभा के लिए बनाए गए पेवर ब्लॉक की सड़कें, कंक्रीट के ढांचे और अन्य अस्थायी निर्माण अब तक हटाए नहीं गए हैं। इन परिस्थितियों ने मैदान की हरियाली पर गंभीर प्रभाव डाला है। स्थानीय निवासी और स्वयंसेवी संगठन इस नुकसान के लिए प्रशासन पर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
अलीपुरद्वार के विधायक सुमन कांजिलाल ने इस मुद्दे पर कहा, “पैरेड ग्राउंड हमारे लिए एक भावनात्मक स्थान है। यह मैदान सिर्फ एक खुली जगह नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति और विरासत का हिस्सा है। हम चाहते हैं कि यह मैदान अपनी पुरानी हरियाली वापस पाए। भविष्य में इस मैदान को और नुकसान न हो, इसके लिए विभिन्न स्वयंसेवी संगठन और आम लोग पर्यावरण न्यायालय का रुख कर सकते हैं।” उन्होंने आगे बताया कि मैदान की हरियाली को बहाल करने के लिए पुनर्वनीकरण की पहल की जाएगी और इस संबंध में प्रशासन के साथ चर्चा चल रही है।
वहीं, बीजेपी नेतृत्व का दावा है कि टीएमसी इस मुद्दे को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है। एक बीजेपी नेता ने कहा, “तृणमूल कांग्रेस पैरेड ग्राउंड के मुद्दे पर गंदी राजनीति कर रही है, सिर्फ अपनी राजनीतिक मौजूदगी दिखाने के लिए। कोई भी इस मैदान को नुकसान नहीं चाहता, लेकिन इसे राजनीतिक लाभ के लिए हथियार बनाना गलत है।” उन्होंने यह भी बताया कि प्रशासन मैदान को बहाल करने के लिए काम शुरू कर चुका है और जल्द ही इसे पुरानी स्थिति में लाया जाएगा।
स्थानीय स्वयंसेवी संगठन, जो लंबे समय से पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं, ने बताया कि पैरेड ग्राउंड की हरियाली को हुए नुकसान का स्थानीय पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। एक संगठन के प्रतिनिधि ने कहा, “यह मैदान सिर्फ खेलकूद या जनसभाओं के लिए नहीं है, बल्कि यह स्थानीय जैव विविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जनसभा के लिए किए गए निर्माण कार्यों ने मैदान की मिट्टी और पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाया है। हम इस मुद्दे को पर्यावरण न्यायालय में ले जाने की सोच रहे हैं।”
अलीपुरद्वार जिला, जो 2014 में जलपाईगुड़ी से अलग होकर बना था, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और वन संपदा के लिए जाना जाता है। पैरेड ग्राउंड इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण स्थल है, जो न केवल स्थानीय लोगों बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। हालांकि, जनसभा के बाद मैदान की मौजूदा स्थिति ने स्थानीय लोगों में रोष पैदा किया है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “यह मैदान हमारा गर्व है। इसे इस हालत में देखकर हम दुखी हैं। प्रशासन को तुरंत कदम उठाकर मैदान को बहाल करना चाहिए।”
पर्यावरण न्यायालय की भूमिका इस मामले में महत्वपूर्ण हो सकती है। हाल ही में, पर्यावरण संरक्षण कानून में संशोधन की मांग करते हुए कई संगठनों और विशेषज्ञों ने नागरिकों को सीधे मुकदमा दायर करने का अधिकार देने की वकालत की है। इस संदर्भ में, पैरेड ग्राउंड के नुकसान का मुद्दा यदि पर्यावरण न्यायालय में पहुंचता है, तो यह एक मिसाल कायम कर सकता है।
पैरेड ग्राउंड की मौजूदा स्थिति ने अलीपुरद्वार के स्थानीय निवासियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं में गहरी चिंता पैदा की है। स्वयंसेवी संगठनों का पर्यावरण न्यायालय का रुख करने का फैसला और राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है। आने वाले दिनों में प्रशासन इस स्थिति को कैसे संभालता है और मैदान की हरियाली को बहाल करने के लिए क्या कदम उठाता है, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं।
]]>दिल्ली में बंगाली वोट का महत्व
दिल्ली में बंगाली बहुल क्षेत्र, खासकर चित्तरंजन पार्क (सीआर पार्क), बंगाली संस्कृति और वोटिंग पावर का केंद्र है। हालांकि, मुनिरका, करोल बाग, और गोविंदपुरी जैसे क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी (आप) की मजबूत पकड़ है। भाजपा इस बार बंगाली वोटर्स को लुभाने और पार्टी की पकड़ मजबूत करने के लिए नई रणनीति बना रही है।
सांसद सौमित्र खां का बयान
सौमित्र खां ने पत्रकारों से बातचीत में कहा,
“दिल्ली विधानसभा में बंगाली प्रतिनिधित्व होना चाहिए। सीआर पार्क जैसे बंगाली बहुल क्षेत्रों में बंगाली उम्मीदवार को टिकट दिया जाना चाहिए। इसके लिए मैं केंद्रीय नेतृत्व से आग्रह करूंगा।”

भाजपा की नई रणनीति
भाजपा अब बंगाली सांसदों और नेताओं को प्रचार में उतारने की तैयारी कर रही है। पार्टी का लक्ष्य है कि बंगाली मतदाताओं के बीच प्रभावी संपर्क बढ़ाया जाए और आप के गढ़ों में सेंध लगाई जाए।
चुनाव से पहले चुनौती और संभावना
दिल्ली में आम आदमी पार्टी का प्रभाव पिछले कई चुनावों में स्पष्ट रहा है। ऐसे में भाजपा के लिए बंगाली उम्मीदवार उतारना और उनकी जीत सुनिश्चित करना एक चुनौती होगी। हालांकि, सौमित्र खां की यह मांग बंगाली समुदाय के मतदाताओं को आकर्षित करने में सहायक हो सकती है।
भविष्य की तस्वीर
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को अब यह तय करना होगा कि वे इस मांग को किस तरह से अपनी चुनावी रणनीति में शामिल करेंगे। बंगाली उम्मीदवारों को टिकट देना पार्टी के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में इस बार बंगाली समुदाय का रुख तय करेगा कि सत्ता का समीकरण किस दिशा में जाएगा।
गुरुवार को बर्दवान के संस्कृति लोकमंच में राज्य के दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और पूर्व सीपीआईएम महासचिव सीताराम येचुरी की स्मृति सभा में सूर्यकांत मिश्रा उपस्थित थे। सभा के बाद पत्रकारों से बातचीत में मिश्रा ने कहा, “बीजेपी धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह कर रही है। उनका असली उद्देश्य समाज को विभाजित करना है। अगर हम आंदोलन करेंगे, तो यह शांति के लिए होगा। हमारा लक्ष्य राज्य और पड़ोसी देश में शांति बनाए रखना है।”
टीएमसी पर निशाना
बांग्लादेश के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस नेता अभिषेक बनर्जी की टिप्पणी को लेकर भी सूर्यकांत ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “तृणमूल का कोई सिद्धांत नहीं है। सत्ता में बने रहने के लिए वे आरएसएस का साथ देते हैं। जब आरएसएस प्रमुख बंगाल आते हैं, तो टीएमसी उन्हें खुश करने में लग जाती है। तृणमूल की यह दोहरी नीति जनता के सामने लानी चाहिए।”
बीजेपी पर गंभीर आरोप
सूर्यकांत मिश्रा ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा, “राजनीतिक फायदे के लिए बीजेपी बांग्लादेश की समस्याओं को पश्चिम बंगाल में लाने की कोशिश कर रही है। ये एक सोची-समझी साजिश है, लेकिन सीपीआईएम इसे सफल नहीं होने देगी।”
शांति और एकता का संदेश
स्मृति सभा में बोलते हुए सूर्यकांत ने कहा, “बुद्धदेव भट्टाचार्य और सीताराम येचुरी के आदर्शों पर चलते हुए हमें समाज में एकता और शांति को बढ़ावा देना होगा।”
सीपीआईएम नेताओं का मानना है कि साम्प्रदायिकता और समाज में विभाजन के खिलाफ सभी राजनीतिक दलों को जिम्मेदारी से काम करना चाहिए। हालांकि, बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस की राजनीति इस दिशा में सकारात्मक नहीं दिख रही है।
]]>बीजेपी ने इस सदस्यता अभियान के लिए “७ T” मंत्र को अपनाया है – Tusk, Technology, Training, Time, Techniques, Target और Tolerance। इन ७ तत्वों के माध्यम से बीजेपी राज्य में एक मजबूत संगठनात्मक ढांचे का निर्माण करने की योजना बना रही है। हर बूथ पर १०० सदस्य जोड़ने के लिए एक निश्चित रणनीति और समयसीमा तय की गई है, जिसका पालन हर स्तर के नेताओं और कार्यकर्ताओं को करना होगा।
अभियान का लक्ष्य और सदस्य संख्या
इस बार बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के 80,000 बूथों में से 60,000 बूथों पर सदस्यता अभियान चलाने का लक्ष्य रखा है। सुनील बंसल ने कहा, “बूथ और मंडल स्तर पर सक्रिय सदस्य बनाए बिना लक्ष्य हासिल नहीं होगा।” निर्देशों में कहा गया है कि विभिन्न मोर्चों के सदस्य इस अभियान में भाग लेंगे और बूथ-आधारित सक्रिय सदस्य बनाएंगे।
2026 के चुनाव की तैयारी के इस सदस्यता अभियान की शुरुआत 27अक्टूबर से होगी और यह 15 नवंबर तक चलेगा। इस दौरान, प्रत्येक बूथ पर कैंप लगाकर सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के पूरा होने के बाद 16 से 20 नवंबर तक एक सत्यापन चरण चलेगा, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि लक्ष्य पूरा हुआ है या नहीं। इसके बाद सक्रिय सदस्य बनाने के अगले कदम उठाए जाएंगे।
सक्रिय सदस्य तैयार करने की रणनीति
बीजेपी की योजना के अनुसार, 60,000 बूथों में सदस्यता का लक्ष्य तय करने के बाद अब कार्य शुरू होगा सक्रिय सदस्यों को बनाने का। पार्टी की योजना के तहत 30 नवंबर तक सदस्यों को प्रशिक्षण, समयसीमा, और जिम्मेदारियों के आधार पर सक्रिय सदस्य बनाने का काम चलेगा। पार्टी के नेताओं का कहना है कि 100 सदस्यों के जुटने पर ही सक्रिय सदस्य अभियान शुरू होगा। इन सदस्यों को प्रशिक्षण देकर 2026 के चुनाव में पार्टी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए तैयार किया जाएगा।
बीजेपी का यह सदस्यता अभियान राज्य की राजनीति में एक नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है। विपक्षी दलों ने इस अभियान को ‘प्रचार की होड़’ कहा है।
बीजेपी का यह सदस्यता अभियान राज्य में कितना सफल होगा, यह जानने के लिए राज्यभर की नजरें अब इस अभियान के परिणाम पर हैं।
]]>उत्तर बंगाल के रायगंज से लौटने के बाद गुरुवार की सुबह सीबीआई (एजेंसी) के कार्यालय पहुंचीं। मीनाक्षी मुखर्जी ने कहा, मैं हर तरह से सीबीआई अधिकारियों के साथ सहयोग करुंगी। महिला चिकित्सक का शव अस्पताल के सेमिनार हॉल से बरामद होने के कुछ घंटे बाद मुखर्जी ने नौ अगस्त को पीड़िता के माता-पिता से मुलाकात की थी।
माकपा कई बार यह दावा कर चुकी है कि वामपंथी युवा नेता के प्रयासों के चलते ही चिकित्सक के शव के शीघ्र अंतिम संस्कार का विरोध किया गया। उसी रात मीनाक्षी मुखर्जी को आर.जी.कर अस्पताल से पीड़ित महिला चिकित्सक का शव ले जा रहे पुलिस के शव वाहन का रास्ता रोकते हुए देखा गया था।
]]>उन्होंने अपने आवास पर बछिया के साथ समय बिताते हुए अपना एक वीडियो भी साझा किया। मोदी ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘हमारे शास्त्रों में कहा गया है – ‘गाव: सर्वसुख प्रदा:’। लोक कल्याण मार्ग पर प्रधानमंत्री आवास परिवार में एक नए सदस्य का शुभ आगमन हुआ है।’’
उन्होंने लिखा, ‘‘प्रधानमंत्री आवास में प्रिय गौ माता ने एक ‘नव वत्सा’ को जन्म दिया है, जिसके मस्तक पर ज्योति का चिह्न है इसलिए, मैंने इसका नाम ‘दीपज्योति’ रखा है।’’ उन्होंने एक अन्य पोस्ट में कहा, ‘‘7, लोक कल्याण मार्ग में एक नयी सदस्य! दीपज्योति वाकई बहुत प्यारी है।’’
प्रधानमंत्री ने कुछ तस्वीरें भी साझा कीं, जिनमें वह अपने आवास पर बछिया के साथ समय बिताते दिख रहे हैं।‘एक्स’ पर साझा किए गए वीडियो में प्रधानमंत्री बछिया को अपने आवास ले जाते हुए, घर के मंदिर में उसके साथ बैठते हुए और उसे बगीचे में ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं।
]]>पुलिस ने नबान्ना की ओर बढ़ रही भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठियों, आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया, जिससे बीजेपी नाराज दिखी। बीजेपी इस महीने की शुरुआत में एक सरकारी अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार और हत्या के मद्देनजर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग कर रहे थे।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा, “हमें आम हड़ताल का आह्वान करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है क्योंकि यह निरंकुश शासन लोगों की आवाज़ों को अनसुना कर रहा है, मृतक डॉक्टर बहन के लिए न्याय की मांग कर रहा है। न्याय के बजाय, ममता बनर्जी की पुलिस राज्य के शांतिप्रिय लोगों पर हमला कर रही है, जो केवल महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल चाहते थे।”
पुलिस ने मंगलवार को हावड़ा ब्रिज के पास और कोना एक्सप्रेसवे पर संतरागाछी रेलवे स्टेशन के पास प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया, पानी की बौछारें छोड़ी और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। संतरागाछी में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर ईंट-पत्थर फेंके जिसमें कई अधिकारियों को चोट आईं, वहीं प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि पुलिस की कार्रवाई में भी कई छात्र घायल हो गए।
प्रदर्शनकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक डॉक्टर से बलात्कार और उसकी हत्या के मामले को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग को लेकर राज्य सचिवालय पहुंचने का प्रयास कर रहे थे। पुलिस ने कहा कि जब कुछ जगहों पर आंदोलनकारियों ने अवरोधकों को पार करने का प्रयास किया और सुरक्षा कर्मियों पर हमला किया तो पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसूगैस के गोले छोड़े।
इस बीच पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि पुलिस ने कोलकाता और हावड़ा में ‘नबन्ना अभिजन’ रैली में शांतिपूर्ण तरीके से भाग लेने वालों पर ‘बर्बर कार्रवाई’ का सहारा लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर राज्य सरकार द्वारा ‘बर्बरता’ नहीं रोकी गई तो पश्चिम बंगाल को ‘ठप’ कर दिया जाएगा।
]]>उन्होंने मांग रखी कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस पर चर्चा करें. लेकिन मुख्यमंत्री उस दिन विधानसभा में नहीं थी ऐसे में इस विषय पर राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने जवाब दिया।
हालांकि चंद्रिमा भट्टाचार्य के जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर बीजेपी विधायक वॉकआउट कर गये। इसके बाद वे विधानसभा के हॉल में ही वे धरना देने लगे।
]]>दरअसल नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना को लेकर कहा कि बिहार में महिलाओं का आरक्षण सबसे अधिक हमारी ही सरकार ने दी है। महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए सरकार काम करती है जिसको लेकर भाई वीरेंद्र ने कहा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महिला प्रेमी हैं। इसलिए महिलाओं की बात करते हैं। भाई वीरेंद्र ने कहा कि बिहार में जातीय जनगणना की रोक पटना हाई कोर्ट द्वारा लगा दी गई सरकार सुप्रीम कोर्ट में गई है और हम लोगों ने मांग की नीतीश सरकार केंद्र को नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए पत्र भेजना कि हम लोग मांग कर रहे थे।
बिहार विधानसभा के मॉनसून सत्र के तीसरे दिन विपक्ष के हंगामे के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सदन में विपक्ष के विधायकों पर भड़क गए। सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि कहा कि सारे पार्टियों के साथ मेरी पहल पर जातिगत गणना करवाया था। आप लोग बैठ कर इस पर चर्चा करते। लेकिन, आप लोग सुनना नहीं चाहते है। सारे पार्टियों ने जातिगत गणना का सपोर्ट किया था। नीतीश कुमार आरजेडी महिला विधायक पर भड़क गए। नीतीश कुमार ने कहा कि आप लोग सुनना नहीं चाहते हैं। 2005 के बाद हमने महिलाओं को आगे बढ़ाया था।
सदन की कार्यवाही के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने विपक्षी विधायकों के हंगामे के बीच कहा कि जातिगत गणना में हमने सब कुछ की जानकारी ली। उसके बाद आरक्षण का दायरा भी बढ़ाया। जातिगत गणना के बाद 94 लाख गरीबो की पहचान की। उनके विकास के लिए सरकार ने तय किया, दो दो लाख रुपया देना शुरू कर दिया. सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि आरक्षण को लेकर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगाई है. लेकिन, राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। साथ ही नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए भी आग्रह किया।
]]>दरअसल भाजपा ने 2021 विधानसभा चुनाव में राणाघाट दक्षिण, बगदाह और रायगंज सीट जीती थी। भाजपा के इन तीनों सीटों को जीतने के बावजूद विधायक बाद में तृणमूल में शामिल हो गए थे। रायगंज से कृष्णा कल्याणी, बगदाह से बिस्वजीत दास और राणाघाट दक्षिण से मुकुट मणि अधिकारी ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी-अपनी सीट छोड़ दी थी।
जिसके बाद इन सीट पर उपचुनाव आवश्यक हो गया था। वहीं तृणमूल ने 2021 में मानिकतला सीट जीती थी। लेकिन राज्य के पूर्व मंत्री सादन पांडे का फरवरी 2022 में निधन होने के बाद यह सीट रिक्त हो गई थी। बुधवार को हुए उपचुनाव में रायगंज में सबसे अधिक 67.12 फीसदी मतदान हुए हैं। इसके बाद रानाघाट दक्षिण में 65.37 प्रतिशत, बगदाह में 65.15 प्रतिशत और मानिकतला में 51.39 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।
]]>पुलिस अफसर ने बताया, ‘यासीन को जयपुर के SMS अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां आज उन्होंने दम तोड़ दिया।’ घटना कोटपूतली-बहरोड़ के नारायणपुर थाना क्षेत्र के विजयपुरा गांव के पास की है। थानाधिकारी शंभु मीणा ने कहा कि यासीन 2 अन्य लोगों, जितेंद्र शर्मा और परमेंद्र शर्मा के साथ एक कार में अलवर की ओर जा रहे थे, तभी 8 आरोपियों ने उनकी कार रुकवा ली और यासीन को पीटा। उन्होंने कहा,‘आरोपी 2 SUV में थे और यासीन की कार का पीछा कर रहे थे। विजयपुरा गांव के पास उन्होंने कार रुकवा कर यासीन को बाहर निकाला। घटना में परमेंद्र को भी मामूली चोटें आईं। आरोपियों का एकमात्र लक्ष्य यासीन था।’
थानाधिकारी मीणा ने कहा कि यासीन को प्राथमिक इलाज के लिए नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया और वहां से उन्हें आगे के इलाज के लिए जयपुर के SMS अस्पताल भेजा गया जहां उनकी मौत हो गई। मीणा ने कहा कि यासीन मेव समुदाय से थे और अलवर के रहने वाले थे। आरोपी भी उसी समुदाय और जिले के हैं। उन्होंने कहा,‘उनमें कोई पुरानी दुश्मनी थी। सभी आरोपी फरार हैं और उनकी तलाश के लिए अलग-अलग टीमें गठित की गई हैं।’ तिजारा (अलवर) से भाजपा के विधायक बाबा बालकनाथ ने कहा कि घटना स्तब्ध करने वाली है।उन्होंने कहा कि यासीन बीजेपी के कार्यकर्ता थे।
]]>तृणमूल कांग्रेस ने मतुआ बहुल बागदा विधानसभा क्षेत्र से मतुआ ठाकुरबाड़ी की सदस्य मधुपर्णा ठाकुर को मैदान में उतारा है। कोलकाता के मानिकतला विधानसभा क्षेत्र से पार्टी ने दिवंगत तृणमूल विधायक व मंत्री साधन पांडे की पत्नी सुप्ति पांडे को मैदान में उतारा है।
भाजपा ने मानिकतला विधानसभा क्षेत्र से अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के अध्यक्ष कल्याण चौबे, रायगंज से मानस कुमार घोष, राणाघाट दक्षिण से मनोज कुमार विश्वास और बागदा से बिनय कुमार विश्वास को मैदान में उतारा है। वहीं, रायगंज सीट से कृष्ण कल्याणी तृणमूल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. मुकुट मणि अधिकारी को तृणमूल ने राणाघाट से उम्मीदवार बनाया है।
बता दें कि इस उप चुनाव में राज्य की चार विधानसभा सीटों में से दो- उत्तर 24 परगना की बागदा और नदिया जिले की राणाघाट दक्षिण में सुरक्षित तरीके से चुनाव कराये जाने के लिए चुनाव आयोग विशेष रूप से नजर रख रहा है। राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के अनुसार, इन इलाकों में सबसे अधिक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती पर जोर दिया जा रहा है. सीइओ कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि इस बार क्यूआरटी का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया जायेगा.
चुनाव वाले दिन मतदान केंद्रों के बाहर व भीतर हिंसा को रोकने के लिए 70 कंपनी केंद्रीय पुलिस बल को तैनात किये जाने का निर्णय चुनाव आयोग ने लिया है। इससे पहले, 55 कंपनी तैनात किये जाने का निर्णय चुनाव आयोग ने लिया था। पर केंद्रीय पुलिस बल की संख्या बढ़ा दी गयी है। आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, रायगंज में 16 कंपनी, राणाघाट में 19, बागदा में 20 और मानिकतला में 15 कंपनी केंद्रीय पुलिस बल उतारे जायेंगे। वहीं, इस उपचुनाव के लिए चार जनरल ऑब्जर्वर और चार पुलिस ऑब्जर्वर भी तैनात रहेंगे।
राज्य में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव में चार सीट के लिए वोट डाले जायेंगे। इनमें उत्तर कोलकाता की मानिकतला, उत्तर दिनाजपुर की रायगंज, नदिया जिले की राणाघाट दक्षिण और उत्तर 24 परगना की बागदा विधानसभा सीट शामिल हैं। इस चुनाव में आयोग की नजर विशेष रूप से मानिकतला विधानसभा क्षेत्र पर है।
मानिकतला में तृणमूल कांग्रेस की अंदरूनी कलह से चुनाव आयोग भी वाकिफ है। इसलिए मतदान के दिन कानून व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए मानिकतला क्षेत्र पर अतिरिक्त बलों की तैनाती की जा जायेगी। इस विधानसभा केंद्र में बूथों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मानिकतला केंद्र में कुल 15 कंपनियां तैनात की जायेंगी।
चार विधाननसभा क्विक रिस्पांस टीम की 144 टीमें तैनात रहेंगी। वहीं, आयोग सूत्रों के मुताबिक यह पहली बार है कि उपचुनाव में 100 फीसदी वेब कास्टिंग की जा रही है। मतदान केंद्र के 200 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू रहेगी।
उपचुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराये जाने के लिए सोमवार राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय के साथ संबंधित जिलों के डीएम एसपी के साथ बैठक हुई। बैठक में वेब कास्टिंग, इवीएम और केंद्रीय पुलिस बल की तैनाती और सक्रियता समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई।
]]>This is the ugly face of Mamata Banerjee’s rule in West Bengal.
The guy in the video, who is beating up a woman mercilessly, is Tajemul (popular as JCB in the area). He is famous for giving quick justice through his ‘insaf’ sabha and is a close associate of Chopra MLA Hamidur… pic.twitter.com/fuQ8dVO5Mr
— Amit Malviya (@amitmalviya) June 30, 2024
पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था को लेकर अब सवाल उठने लगा है। राज्य में गुंडे-उपद्रवियों की हिम्मत इस कदर बढ़ गई है कि पुलिस का कोई डर नहीं रह गया है। लोकसभा चुनाव का रिजल्ट जारी होने के बाद से बंगाल के अधिकांश जिलों में हिंसा की कई खबरें आई। अब ताजा मामला उत्तर दिनाजपुर का बताया जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में एक महिला और एक पुरुष को एक व्यक्ति बेरहमी से लाठियों से पीट रहा है। आस-पास भीड़ मौजूद है लेकिन कोई लोग देख रहे हैं। इस तालिबानी सजा को इलाके में ‘इंसाफ सभा’ कहा जाता है।
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने इस घटना का वीडियो शेयर कर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट किया है। मालवीय के मुताबिक आरोपी का संबंध लक्ष्मीकांतपुर चोपड़ा विधायक हमीदुर रहमान से है। हमीदुर TMC से विधायक हैं। आरोपी व्यक्ति हमीदुर का करीबी बताया जा रहा है। आरोपी का नाम तजमुल (इलाके में जेसीबी के नाम से मशहूर) है। लक्ष्मीकांतपुर के चोपड़ा इलाके में तजमुल तालिबानियों की तरह इंसाफ सभा चलाता है और लोगों को लाठियों से बेरहमी से पीटता है।
अपने ट्वीट में अमित मालवीय ने आगे लिखा कि देश को TMC द्वारा संचालित पश्चिम बंगाल में शरिया अदालतों की वास्तविकता से अवगत होना चाहिए। हर गांव में एक संदेशखाली है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी महिलाओं के लिए अभिशाप हैं। उन्होंने आगे लिखा कि बंगाल में कानून-व्यवस्था का नामोनिशान नहीं है। क्या ममता बनर्जी इस गुडे के खिलाफ कार्रवाई करेंगी या शेख शाहजहां की तरह उसका बचाव करेंगी?
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बीजेपी के आईटी सेल अमित मालवीय ने इस घटना से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर ट्वीट किया। इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने संज्ञान लिया है। आयोग की ओर से बंगाल पुलिस को तीन दिन के अंदर कार्रवाई कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। घटना से स्थानीय निवासी सन्न हो गए हैं।
जिला पुलिस की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया गया है। पुलिस के मुताबिक, घास काटने को लेकर कुछ लोगों के बीच विवाद हुआ था और यहीं से मामले की शुरुआत हुई। पुलिस के मुताबिक पीड़िता का तीन महिलाओं से पहले भी विवाद हुआ था। इसके बाद आरोप है कि उसे निर्वस्त्र कर पीटा गया। पुलिस का दावा है कि इसमें कोई राजनीतिक कारण नहीं है।
इस मामले में पीड़ित महिला का बयान भी सामने आया है उसने कहा कि वह बीजेपी करतीहै। उन पर तृणमूल पार्टी के कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया। इसके बाद उन्हें जख्मी हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। महिला ने आगे कहा कि घटना के बाद स्थानीय BJP नेताओं ने महिला को शरण दी। वह डर के कारण घर नहीं जा पा रही हैं।
इस मामले में BJP नेता विराज बसु का बयान सामने आया है। उन्होंने आरोप लगाया, ”चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद से पीड़ित महिला एक तरह से घर में नजरबंद है। आरोपियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए। आरोपियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए।” उधर, स्थानीय TMC नेता ने कहा, यह पूरी तरह से पारिवारिक विवाद है। BJP यहां राजनीति करने की कोशिश कर रही है। जैसा कि संदेशखाली में करने की कोशिश की।
]]>शपथ पढ़ने के बाद ज्यादातर TMC सांसदों ने जय बांग्ला के नारे लगाये। इसके बाद सांसद गंगोपाध्याय ने TMC पर निशाना साधा। इस संदर्भ में अभिजीत ने कहा, ‘जय बांग्ला एक बीमारी का नाम है। जब हम छोटे थे तो आंखों की एक खास तरह की बीमारी होती थी, जिसे जय बांग्ला कहा जाता था। नेत्रों को निम्फल से स्थिर करना चाहिए। तभी जॉय बांग्ला नाम बनाया गया।
संसद में TMC सांसदों के जय बांग्ला के नारे सुनकर अभिजीत ने कटाक्ष किया ‘शायद उनकी आंखों से पानी गिरने का समय आ गया है इसलिए वे लोग जय बांग्ला, जय बांग्ला कह रहे हैं।’ साल 2021 में विधानसभा चुनाव के बाद से बंगाल में जय बांग्ला नारा लोकप्रिय हो गया। बीजेपी के जय श्रीराम नारे के खिलाफ TMC नेता जय बांग्ला के नारे लगाते दिखे।
पूर्वी मेदिनीपुर का तामलुक बंगाल के राजनीतिक क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक है। इस बार तामलुक में बीजेपी सांसद की जीत हुई। तामलुक शुरू से ही कांग्रेस का गढ़ था। पूर्वी मेदिनीपुर जिले के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक यहां पर कभी कांग्रेस का वर्चस्व था।
TMबाद में तामलुक पर पूरी तरह से वामपंथियों का वर्चस्व हो गया। 2009 में आज़ादी की लड़ाई से जुड़े तामलुक में वामपंथियों के खिलाफ आंदोलन से बड़ा बदलाव आया। उस साल लोकसभा चुनाव में पहली बार वहां टीएमसी को जीत मिली। शुभेंदु अधिकारी सांसद बने। अधिकारी परिवार की राजनीति की शुरुआत हुई।
]]>ओम बिरला का ताल्लुक राजस्थान के कोटा से है। उन्होंने कोटा बूंदी लोकसभा सीट से तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीता है। बीजेपी से बागी होकर कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व विधायक प्रह्लाद गुंजन को 41974 वोटों से शिकस्त देकर वह लगातार तीसरी बार संसद पहुंचे हैं। RSS का गढ़ माने जाने वाले कोटा के चुनावी मैदान में बीजेपी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला पर फिर से भरोसा जताया था। जो उन्होंने भी टूटने नहीं दिया। वह कोटा के इतिहास में वैद्य दाऊदयाल जोशी जी के बाद लगातार तीन बार विधानसभा और तीन बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले पहले नेता हैं।
ओम बिरला साल 2003 अब तक कोई भी चुनाव हारे नहीं हैं। साल 2003 में उन्होंने कोटा से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। साल 2008 में उन्होंने कोटा दक्षिण सीट से कांग्रेस नेता शांति धारीवाल को शिकस्त दी थी। साल 2013 में उन्होंने तीसरी बार कोटा दक्षिण सीट से चुनाव जीता था। हालांकि लोकसभा चुनाव उन्होंने पहली बार साल 2014 में लड़ा और विजयी भी हुए। तब से लेकर अब तक यानी कि 2019 और 2024 में उन्होंने जीत का ही स्वाद चखा है। साल 2019 में बीजेपी ने जब उनको स्पीकर बनाया, तो हर कोई हैरान रह गया। लंबा संसदीय अनुभव न होने के बाद भी ओम बिरला ने जिस तरह से सदन को चलाया, वह तारीफ-ए-काबिल रहा।
ओम बिरला का निजी जीवन
ओम बिरला का जन्म 23 नवंबर 1962 को राजस्थान के कोटा शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम श्रीकृष्ण बिरला और माता का नाम श्रीमती शकुन्तला देवी था। 11 मार्च 1991 को उन्होंने डॉक्टर अमिता बिरला से शादी की। आकांक्षा और अंजलि बिरला नाम की उनकी दो बेटियां हैं। ओम बिरला की पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो उन्होंने साल 1986 में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से एम.कॉम. की डिग्री ली थी।
19 जून 2019 को वह सर्वसम्मति से 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष निर्वाचित किए गए.साल 2019 में वह 17वीं लोकसभा में कोटा बूंदी लोकसभा क्षेत्र से सासंद चुने गए। साल 2014 में 16वीं लोकसभा में भी वह कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए। साल 2003, 2008 और 2013 में राजस्थान विधानसभा में वह कोटा और कोटा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक चुने गए। साल 2009-10 में वह राजकीय उपक्रम समिति के सदस्य और सामान्य प्रयोजनों संबधी समिति के सदस्य रहे। 1997-2003 तक वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे. 1993-1997 तक वह भारतीय जनता युवा मोर्चा राजस्थान प्रदेश के अध्यक्ष रहे। 1987-1991 तक वह भारतीय जनता युवा मोर्चा कोटा जिलाध्यक्ष रहे। 2002-2004 तक वह राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लि. नई दिल्ली के उपाध्यक्ष रहे.।
1992-2004 तक वह राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लि. नई दिल्ली के डायरेक्टर रहे। 1992-1995 तक वह राजस्थान राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ लि, जयपुर के अध्यक्ष रहे। 1987-1995 तक वह कोटा सहकारी उपभोक्ता होलसेल भण्डार लि., कोटा के अध्यक्ष रहे. 1978-1979 तक वह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, गुमानपुरा, कोटा के छात्र संघ अध्यक्ष रहे।
ओम बिरला ऐसे पहले लोकसभा स्पीकर हैं, जिनके नाम पर नए और पुराने दोनों संसद भवनों में काम करने का रिकॉर्ड है। 17वीं लोकसभा में उनका कार्यकाल काफी चर्चा में रहा। क्योंकि उनके अध्यक्ष रहते ही टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित किया गया। साथ ही बड़ी तादात में सांसदों को भी सस्पेंड किया गया था।
उनके ही कार्यकाल में अनुच्छेद 370 खत्म होने, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू होने, तीन आपराधिक कानून लागू होने समेत अनेक अहम विधायी कामकाज हुए। ओम बिरला ऐसे इकलौते लोकसभा अध्यक्ष रहे, जिनके कार्यकाल में कोई भी लोकसभा उपाध्यक्ष नहीं चुना गया।
कोरोना महामारी के बीच आयोजित 17वीं लोकसभा के चौथे सत्र की उत्पादकता 167% रही, जो लोकसभा के इतिहास में सबसे ज्यादा है।
संसद के संचालन में वित्तीय अनुशासन को प्रोत्साहित कर 801 करोड़ की बचत की गई।
17वीं लोक सभा के दौरान 222 विधेयक कानून बने, जो पिछली तीन लोकसभा में सबसे ज्यादा है।
17वीं लोकसभा के दौरान विधेयकों पर कुल 440.54 घंटे चर्चा हुई, जो पिछली चार लोकसभा में सबसे ज्यादा है।
17वीं लोक सभा के दौरान विभिन्न विधेयकों पर कुल 2910 सदस्यों ने चर्चा की, जो पिछली चार लोकसभा में सबसे ज्यादा है।
ज्ञान के समृद्ध कोष संसद की लाइब्रेरी को 17 अगस्त 2022 से आमजन के लिए खोल दिया गया।
ओम बिरला ने कोटा शहर में IIT की स्थापना के लिए बड़े स्तर पर जनआंदोलन किया। बूंदी जिले को चंबल नदी का पानी उपलब्ध कराने के लिए भी उन्होंने आंदोलन किया। राजस्थान एटोमिक पावर प्लांट रावतभाटा में स्थानीय लोगों को रोजगार और क्षेत्र के विकास के लिए बड़े स्तर पर जन आंदोलन किया।
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