Centre – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Thu, 28 Dec 2023 13:00:56 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png Centre – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 केंद्रीय एजेंसियों द्वारा संचालित हो रहा देश : ममता https://ekolkata24.com/uncategorized/the-country-is-being-run-by-central-agencies-mamata Thu, 28 Dec 2023 13:00:56 +0000 https://ekolkata24.com/?p=47016 पश्चिम बंगाल के देगंगा में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की बैठक में ममता बनर्जी ने कहा कि भारत अब एक ऐसा लोकतंत्र है जो केंद्रीय एजेंसियों द्वारा संचालित हो रहा है। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि विपक्षी गुट ‘इंडिया’ देशभर में भाजपा से मुकाबला करेगा। पश्चिम बंगाल में लड़ाई का नेतृत्व तृणमूल करेगी। ममता ने कहा कि मैंने राज्य के मंत्रियों को गांवों का दौरा करने और स्थानीय लोगों से बातचीत करने का निर्देश दिया है। केंद्र सरकार ने हमारा फंड रोक दिया है लेकिन हम राज्य के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। ममता बनर्जी ने चुनावी विचारों से परे सभी धर्मों के सम्मान के महत्व पर जोर दिया। उत्तर 24 परगना जिले के चकला में बाबा लोकनाथ मंदिर की अपनी यात्रा के दौरान, बनर्जी ने चुनाव के दौरान धर्मों का राजनीतिकरण बंद करने का आग्रह किया। बनर्जी के अनुसार, दुनिया भर के धर्म हिंसा की वकालत नहीं करते बल्कि करुणा, प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा, “हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए। दुनिया का कोई भी धर्म हमें हिंसा का प्रचार करना नहीं सिखाता। सभी धर्म हमें अधिक दयालु होना और प्रेम और भाईचारा फैलाना सिखाते हैं। हम केवल चुनाव आने पर या राजनीतिकरण करने पर धर्मों का सम्मान करने में विश्वास नहीं करते हैं।

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बकाए की वजह से कई लाभार्थी रह गए वंचित : ममता https://ekolkata24.com/uncategorized/many-beneficiaries-remained-deprived-due-to-dues-mamata Sun, 10 Dec 2023 13:24:03 +0000 https://ekolkata24.com/?p=46844 पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र के बीच योजनाओं से संबंधित बकाए के निपटारे को लेकर हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। टीएमसी का आरोप है कि भाजपा शासित केंद्र सरकार जानबूझकर केंद्रीय योजनाओं का बकाया पश्चिमबंगाल के लिए रोक रही है। वहीं केंद्र सरकार ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि राज्य में केंद्रीय योजनाओं के नाम पर भ्रष्टाचार हो रहा है। इसी विवाद के बीच, बीते शनिवार को ममता बनर्जी ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मैंने पत्र लिखकर पीएम मोदी से मिलने का समय मांगा है। वहीं रविवार को अलीपुरद्वार में एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र की वजह से कई लोगों सामाजिक कल्याण योजनाओं से वंचित रह गए हैं। ममता बनर्जी ने कहा कि हमारी सरकार चाय बागान श्रमिकों, आदिवासियों और मजदूरों सहित समाज के सभी वर्गों के साथ खड़ी है। मैं हमेशा अपना वादा निभाती हूं। दुख यह है कि केंद्र ने समय पर हमे बकाया नहीं दिया, जिसके कारण लोगों को अधिक लाभ नहीं मिल पाया है।बनर्जी ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल का बकाया विभिन्न खातों में लंबित है, जिसमें मनरेगा के तहत 100 दिनों का काम, आवास और जीएसटी संग्रह में राज्य का हिस्सा शामिल है। केंद्र पर कुल बकाया राशि 1.15 लाख करोड़ रुपये है।संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 93 करोड़ रुपये की 70 परियोजनाओं की भी घोषणा की।

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केंद्र ने हलाल प्रतिबंध पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है : अमित https://ekolkata24.com/uncategorized/center-has-not-yet-taken-any-decision-on-halal-ban-amit Sat, 25 Nov 2023 10:00:15 +0000 https://ekolkata24.com/?p=46680 केंद्रीय गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता अमित शाह ने शनिवार को कहा कि केंद्र ने “हलाल-प्रमाणित” उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का कोई निर्णय नहीं लिया है। हैदराबाद में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा हलाल पर प्रतिबंध लगाने का अभी कोई फैसला नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि आज युवा वर्ग निराश है। किसान, दलित और पिछड़े निराश हैं और हर कोई तेलंगाना के भविष्य को लेकर सशंकित है।शाह ने आगे कहा कि “ये चुनाव मार्ग प्रशस्त करने जा रहे हैं क्योंकि तेलंगाना का गठन एक लंबे संघर्ष की पृष्ठभूमि में हुआ था। 10 साल बाद जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो पाते हैं कि कभी राजस्व अधिशेष वाला राज्य होने के कारण अब इस पर लाखों-करोड़ों रुपये का कर्ज है।

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Nagaland: AFSPA প্রত্যাহারের দাবিতে নাগাল্যান্ড বিধানসভায় প্রস্তাব পাশ https://ekolkata24.com/uncategorized/nagaland-assembly-adopts-resolution-to-ask-centre-to-repeal-afspa-apology Tue, 21 Dec 2021 05:03:57 +0000 https://ekolkata24.com/?p=15616 নিউজ ডেস্ক: এবার কেন্দ্রের বিরুদ্ধে সম্পূর্ণ অসহযোগিতার পথে হাঁটছে নাগাল্যান্ড। সোমবার উত্তর-পূর্বের রাজ্যে বিধানসভায় AFSPA প্রত্যাহারের দাবিতে প্রস্তাব পাশ হয়। আর্মড ফোর্সেস স্পেশ্যাল পাওয়ার্স অ্যাক্ট (AFSPA) তুলে নিতে হবে দাবি তুলে আগেই মুখ্যমন্ত্রী কেন্দ্রকে চিঠি দিয়েছিলেন। এই AFSPA-র আওতায় সেনাকে বিশেষ ক্ষমতা দিয়েছে কেন্দ্র। যার বলে সেনা কোনও পরোয়ানা ছাড়া যে কাউকে গ্রেফতার করতে পারে বা প্রয়োজনে গুলি করে মারতে পারে।

এমনই পরিস্থিতিতে গত কয়েকদিন আগে নাগাল্যান্ডের মন জেলায় ওটিং গ্রামে ১৪ জন নিরীহ গ্রামবাসী সেনার গুলিতে নিহত হন। জঙ্গি ভেবে ভুল করে গুলি চালায় বলে সংসদে দাবি করেন কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী অমিত শাহ। এরপরই AFSPA প্রত্যাহারের দাবিতে সোমবার ধ্বনি ভোটের মাধ্যমে বিধানসভায় প্রস্তাব পাশ হয়। মুখ্যমন্ত্রী রিও বলেন, ‘গোটা নাগা সমাজ AFSPA-র প্রত্যাহার চাইছে। বিধানসভা অবশ্যই মানুষের ইচ্ছাকে সম্মান জানাবে। মানুষের দাবি, এই অগণতান্ত্রিক এবং অসাংবিধানিক আইন প্রত্যাহার করতে হবে।’

এদিন অধিবেশনের শুরুতে সমস্ত বিধায়ক, স্পিকার ২ মিনিটের জন্য নিহতদের উদ্দেশে নীরবতা পালন করেন। এই প্রস্তাবে সেনার গুলিতে নিরীহ গ্রামবাসীর হত্যার নিন্দা করা হয় এবং সংশ্লিষ্ট কর্তৃপক্ষের কাছে নিঃশর্ত ক্ষমা দাবি করা হয়। এমনকী যাঁরা এই নৃশংস হত্যাকাণ্ডের নেপথ্যে তাঁদের আইনের আওতায় এনে বিচারের দাবি জানিয়েছে হাউস।

অধিবেশন চলাকালীন উপমুখ্যমন্ত্রী ইয়ানথুঙ্গো প্যাটন বলেন, ‘ক্ষমতা ও সাহসের বলে নিরাপত্তা বাহিনী এই গণহত্যা ঘটিয়েছে। বছরের পর বছর ধরে এমন চলে আসছে। কেন্দ্র যেন অবশ্যই রাজ্যের মতামত নেয়। রাজ্যের কোনও এলাকা গন্ডগোলের জন্য চিহ্নিত করার আগে যেন সরকারের সঙ্গে কথা বলে কেন্দ্র।’

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Minimum Support Price: কৃষক নেতাদের সঙ্গে আলোচনায় বসবেন অমিত শাহ https://ekolkata24.com/uncategorized/minimum-support-price-amit-shah-called-says-farmer-leader-as-skm-forms-5-member-panel-to-talk-to-centre Sat, 04 Dec 2021 15:56:12 +0000 https://ekolkata24.com/?p=13531 News Desk: দেরিতে হলেও শেষ পর্যন্ত হুঁশ ফিরল নরেন্দ্র মোদি সরকারের (Narendra Modi Goverment)। কৃষি আইন (Farm Law) প্রত্যাহার করে নেওয়ার পর এবার আন্দোলনরত কৃষকদের (farmer) সঙ্গে কথা বলার সিদ্ধান্ত নিলেন স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী অমিত শাহ (Amit Shah)। অন্যদিকে সোমবার সংসদে কৃষি আইন প্রত্যাহার হওয়ার পর শনিবারই প্রথম সংযুক্ত কিষান মোর্চা আন্দোলন প্রত্যাহার করার ইঙ্গিত দিয়েছে।

কৃষক আন্দোলনের পরবর্তী রূপরেখা ঠিক করতে শনিবার কৃষকদের বিভিন্ন সংগঠন এক গুরুত্বপূর্ণ বৈঠকে বসে। এদিনের বৈঠকে সিদ্ধান্ত হয়, কৃষকদের যাবতীয় সমস্যা নিয়ে আলোচনার জন্য ৫ সদস্যের একটি কমিটি গঠন করা হবে। ওই কমিটির সদস্যরাই সরকারের সঙ্গে আলোচনায় বসবেন। যদি আলোচনা ইতিবাচক হয় তবে তাঁদের আন্দোলন প্রত্যাহার করে নেবেন কৃষকরা।

উল্লেখ্য, কৃষি আইন প্রত্যাহার হওয়ার পরের দিনই কৃষক নেতাদের ফোন করেছিলেন এক কেন্দ্রীয় মন্ত্রী। ওই মন্ত্রী ফোন করে কৃষক নেতাদের আলোচনায় বসার আহ্বান জানান। শনিবার কৃষক যুধাবীর সিং জানিয়েছেন শুক্রবার রাতে স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী অমিত শাহ তাঁদের ফোন করেছিলেন। শাহ আশ্বাস দিয়েছেন, কৃষি আইন প্রত্যাহার করে নেওয়ার পর এখনও কৃষকদের যে সমস্ত দাবি-দাওয়া বকেয়া রয়েছে সেগুলি আলোচনার মাধ্যমে মিটিয়ে ফেলা হবে। সরকার চায়, কৃষকদের সমস্যার পাকাপাকি সমাধান করতে। স্বরাষ্ট্রমন্ত্রীর অনুরোধেই আমরা শনিবার আলোচনায় বসি।

ওই কৃষক নেতা আরও জানিয়েছেন, শনিবারের বৈঠকে তারা পাঁচ সদস্যের একটি কমিটি গঠন করেছেন। ওই কমিটি সরকারের সঙ্গে আলোচনায় বসবে। ওই আলোচনার ফলাফল নিয়ে ৭ ডিসেম্বর তাঁরা বৈঠক করবেন। কেন্দ্রের সঙ্গে আলোচনায় যদি তাঁদের সমস্যাগুলির সমাধান হয়ে যায় তবে তাঁরা আন্দোলনের পথ থেকে সরে আসবেন।

উল্লেখ্য, কৃষি আইন প্রত্যাহার করে নেওয়ার পর এই প্রথম সংযুক্ত কিষান মোর্চা আন্দোলন প্রত্যাহার করার কথা ঘোষণা করল।

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Farm Law: কৃষকদের সব দাবি কেন্দ্র সরকারের মেনে নেওয়া উচিত: সংযুক্ত কিষাণ মোর্চা https://ekolkata24.com/uncategorized/farm-law-centre-should-accept-all-demands-of-farmers-says-sanyukt-kisan-morcha Fri, 03 Dec 2021 04:51:29 +0000 https://ekolkata24.com/?p=13287 নিউজ ডেস্ক, নয়াদিল্লি : চলতি সপ্তাহেই সংসদে কৃষি আইন (Farm Law) প্রত্যাহার করেছে কেন্দ্র সরকার(Central)। তবুও কৃষকরা একাধিক ইস্যুতে আন্দোলন চালিয়ে যাচ্ছেন।

বৃহস্পতিবার, কৃষক আন্দোলনের নেতৃত্বে থাকা কৃষকদের সংগঠন সংযুক্ত কিষাণ মোর্চা (Sanyukt Kisan Morcha) এক বিবৃতিতে জানিয়েছে, কেন্দ্রের দেওয়া চাপের কারণেই এখনও তাঁরা প্রতিবাদ চালিয়ে যাচ্ছেন। কেন্দ্রে তাঁদের যথাযথ সম্মান প্রদর্শন করে বকেয়া দাবিগুলি পূরণের চেষ্টা করছে। সরকার যদি আন্দোলনের সময়ে মৃত কৃষকদের পরিবারকে ক্ষতিপূরণ ও ফসল বিক্রয়ের ক্ষেত্রে ন্যূনতম সহায়ক মূল্য প্রদান নিয়ে কোনও ইতিবাচক পদক্ষেপ করে তাহলে তাঁরা ধৈর্য ধরে অপেক্ষা করতে রাজি।

বিবৃতিতে সংযুক্ত কিষাণ মোর্চা আরও জানিয়েছে, কৃষকদের সঙ্গে কোনও কথাবার্তা না বলেই তাঁদের আন্দোলন চালিয়ে যেতে বাধ্য করছে কেন্দ্র। কেন্দ্র তাঁদের দাবিগুলি নিয়ে আলোচনা না করলে আন্দোলন চালিয়ে যাওয়া ছাড়া অন্য কোনও উপায় নেই। আনুষ্ঠানিকভাবে দীর্ঘদিনের একটি লড়াই শেষ হয়েছে। আন্দোলন দিয়ে নির্বাচিত সরকারের বিরুদ্ধে প্রথমবার যুদ্ধে জিতেছে কৃষকরা।

উল্লেখ্য, সোমবার সংসদে সরকার লোকসভা ও রাজ্যসভায় কৃষি আইন প্রত্যাহার বিল পেশ করে। সেখানে ধ্বনি ভোটে এই আইন পাশ হয়ে যায়। অধিবেশনের শুরুতেই বিরোধী সাংসদরা (Opposition MPs) কৃষি আইন প্রত্যাহার বিল নিয়ে আলোচনার দাবিতে বিক্ষোভ শুরু করলে দুপুর ১২টা অবধি লোকসভা স্থগিত করে দেওয়া হয়। পরে ফের অধিবেশন শুরু হলে কেন্দ্রীয় কৃষিমন্ত্রী নরেন্দ্র সিং তোমর (Narendra Singh Tomar) কৃষি আইন প্রত্যাহার বিল পেশ করেন। রাজ্যসভায় খুবই সামান্য আলোচনার পর কৃষি আইন প্রত্যাহার বিল পাশ হয়।

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Farm Laws: ৭০০ কৃষকের মৃত্যুর পর কেন কৃষি আইন প্রত্যাহার: সুখেন্দু শেখর রায় https://ekolkata24.com/uncategorized/trinamool-mp-sukhendu-shekhar-sharply-criticizes-the-repeal-of-the-centres-agriculture-law Fri, 19 Nov 2021 07:58:25 +0000 https://ekolkata24.com/?p=11735 নিউজ ডেস্ক, কলকাতা: প্রধানমন্ত্রী কৃষি আইন প্রত্যাহার ঘোষণা করার পর রাজনৈতিক মহলে আলোড়ন। তৃণমূল কংগ্রেস নেত্রী ও মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় আন্দেলনরত কৃষকদের অভিনন্দন জানান। এর পরেই টিএমসি সাংসদ সুখেন্দু শেখর রায় জানান, সুখেন্দু শেখর রায় সাতশো জন কৃষক মারা গিয়েছেন। কেন এতদিন পরে ? এতদিন তো কেন্দ্র বলছিল আমরা এই আইন ফেরাবো না।

এটা ওরা বাধ্য হয়ে করেছে। আগামি ফেব্রুয়ারি মার্চ মাসে উত্তরপ্রদেশ সহ পাঁচটা রাজ্যে বিধানসভা নির্বাচন রয়েছে। তাই এই কালা কানুন ওরা ফিরিয়ে নিলো। এতদিন তো এই আন্দোলনরত কৃষকদের কে শদ্রোহী বলে বলছিলেন। এটা কৃষকদের জয়, অন্নদাতাদের জয়।

modi farm laws withdrawal announcement

তিনি আরও বলেছেন, প্রধানমন্ত্রী কে এর জন্য জনসমক্ষে প্রকাশ্যে ক্ষমা চাইতে হবে। এবং আমরা দাবি করছি যারা মারা গিয়েছেন তাদের পরিবারের জন্য উপযুক্ত ক্ষতিপূরণ দিতে হবে। এই জয় প্রতিটা কৃষকের জয় যারা নিরবিচ্ছিন্নভাবে এই আইনের বিরুদ্ধে লড়াই করছিলেন।

এটা একটা ভোটের গিমিক। আপনারা জানেন কিছুদিন আগেই একজন কেন্দ্রীয় মন্ত্রীর ছেলে উত্তরপ্রদেশের লখিমপুর খেরি তে গাড়ি চাপা দিয়ে আন্দোলন রত কৃষকদের মেরে দিয়েছে। অভিযুক্ত কেন্দ্রীয় মন্ত্রীর বিরুদ্ধে এখনো কোনো ব্যবস্থা নেওয়া হয়নি।

Farmers to hold rail roko on Oct 18

এদিন তৃণমূল সংসদ সদস্য বলেন, দেশের অধিকাংশ কৃষক যারা আন্দোলন করছিলেন তারা ইতিমধ্যেই ঘোষনা করেছিলেন যে নভেম্বরের শেষ সপ্তাহে সংসদে যে শীতকালীন অধিবেশন শুরু হতে চলেছে সেই সময় প্রতিদিন দিল্লিতে বিক্ষোভ দেখাবে। এই সিদ্ধান্ত তার‌ই আরো এক প্রতিফলন। ৩৫ টা কৃষক সংগঠন এর বিরুদ্ধে আন্দোলন করেছেন। আজ প্রধানমন্ত্রী এমন ভাব করছেন যে উনি কৃষকদের প্রতি দয়া করছেন।

video proved that the farmers were crushed to death by the wheel of the car

ওরা অনেকদিন ধরেই চেষ্টা করেছেন। কিন্তু বিল আনার আগে এই বিষয়ে ওরা কোনো কৃষক সংগঠনের সঙ্গে আলাপ আলোচনাও করেনি। ওদের মন্ত্রী রবি শংকর প্রসাদ সংসদে মিথ্যা বলেছিলেন। ওরা ২০২৪ এ নিজেদের পরাজয় কে ঠেকাতে একটা মিথ্যা প্রয়াস করছে।

তিনি জানান, সংসদে আমরা এই বিষয়টা অবশ্যই তুলবো। অন্য রাজনৈতিক দলের সাথেও কথা বলবো। এতদিন একবারের জন্যেও এই কালা কানুন ফেরানোর কথা ভাবেনি। আজ নির্বাচনের আগে হঠাৎ করে ফিরিয়ে নিলো। সকলেই বুঝতে পারছে কারণ টা কি। এটা লোকতন্ত্রের জয়। তৃণমূল কংগ্রেস এই বিক্রেতা সরকারের সব ধরনের জনবিরোধী কাজের বিরোধিতা করছে এবং করবে। কেন্দ্র সরকার অবশ্যই ব্যাকফুটে।

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Farm Law: ২৬ নভেম্বর পর্যন্ত মোদি সরকারকে সময় দিলেন কৃষক নেতা টিকায়েত https://ekolkata24.com/uncategorized/bku-leader-rakesh-tikait-gives-centre-nov-26-deadline-to-withdraw-farm-law Mon, 01 Nov 2021 10:56:28 +0000 https://www.ekolkata24.com/?p=9939 News Desk, New Delhi: বিতর্কিত তিন কৃষি আইন বাতিল করার জন্য নরেন্দ্র মোদি সরকারকে ২৬ নভেম্বর পর্যন্ত সময় দিলেন কৃষক নেতা রাকেশ টিকায়েত। নির্দিষ্ট ওই সময়সীমার মধ্যে কেন্দ্র যদি বিতর্কিত তিন আইন নিয়ে কোনও পদক্ষেপ না করে তবে কৃষক আন্দোলনের মাত্রা বহুগুণ বাড়বে বলে সরাসরি হুঁশিয়ারি দিলেন এই কৃষক নেতা।

সোমবার টিকায়েত টুইট করে জানিয়েছেন, আমরা তিন কৃষি আইন বাতিল করার জন্য মোদি সরকারকে ২৬ নভেম্বর পর্যন্ত সময় দিচ্ছি। তার মধ্যে সরকার যদি কোন ব্যবস্থা না নেয় সেক্ষেত্রে ২৭ নভেম্বর সকাল থেকেই আমরা আরও দ্বিগুন উৎসাহে পথে নামব। ২৭ নভেম্বর বিভিন্ন গ্রাম থেকে ট্রাক্টরে করে দিল্লির সীমান্তে প্রতিবাদস্থলের কাছে আসবেন হাজার হাজার কৃষক। হাজার হাজার কৃষকের জমায়েত হবে সেখানে। মোদি সরকারের বিরুদ্ধে এক জোরদার আন্দোলনের সাক্ষী হবে গোটা দেশ।

গতবছর কেন্দ্রের নরেন্দ্র মোদি সরকার নতুন তিন কৃষি আইন তৈরি করে। সরকারের দাবি, কৃষকদের আয় বাড়াতে এবং তাঁদের জীবনযাত্রার মানোন্নয়ন করতেই এই নতুন আইন করা হয়েছে। যদিও কৃষকরা সরকারের ওই দাবি উড়িয়ে দিয়েছেন কৃষকদের পাল্টা দাবি, মোদি সরকারের এই আইন তাদের ক্ষতি করবে। ফসলের ন্যূনতম সহায়ক মূল্য তুলে দেওয়া হলে কৃষক সম্প্রদায় চরম ক্ষতির মুখে পড়বে। কিন্তু তার পরেও কৃষি আইন বাতিল করার কোনও চিন্তাভাবনাই দেখায়নি মোদি সরকার। ঘটনার জেরে দীর্ঘ প্রায় এক বছর ধরে দিল্লির সীমান্ত এলাকায় কৃষকরা অবস্থান বিক্ষোভ চালিয়ে যাচ্ছেন।

সরকারের সঙ্গে একাধিকবার কথা হল কোনও সমাধানসূত্র মেলেনি। ঘটনার জেরে সংযুক্ত কিষান মোর্চার নেতা টিকায়েত নতুন করে কেন্দ্রকে ওই তিন আইন বাতিল করার সময়সীমা বেঁধে দিলেন। কিছুদিন আগে আদালতের নির্দেশে দিল্লি পুলিশ সীমান্তে কৃষকরা যে সমস্ত তাঁবু খাটিয়েছিলেন সেগুলি সরিয়ে দেয়। ওই ঘটনায় পাল্টা হুমকি দিয়ে টিকায়েত বলেছেন, জোর করে কৃষকদের সীমান্ত থেকে সরানোর চেষ্টা হলে তারা গোটা দেশে সব সরকারি অফিসের সামনে অবরোধ করবেন।

টিকায়েত এদিন সাফ জানান, তাঁরা নরেন্দ্র মোদি সরকারের কাছে বেশী কিছু চাইছেন না। তাঁরা চাইছেন, নতুন তিন কৃষি আইন বাতিল করা হোক। কারণ এই তিন আইন চালু থাকলে ন্যূনতম সহায়ক মূল্য ব্যবস্থাটাই উঠে যাবে। ফলে তাঁদের বহুজাতিক সংস্থার কব্জায় পড়তে হবে। কৃষকদের আয় বাড়া তো দূরের কথা, বরং তাঁরা বহুজাতিক সংস্থার কেনা গোলামে পরিণত হবেন। তাই সরকারকে এই তিন আইন বাতিল করতে হবে। এখন দেখার কেন্দ্র ও কিষান নেতাদের এই উত্তেজক লড়াইয়ের পরিণতি কী হয়।

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কেন্দ্রের কৃষি নীতি সম্পর্কে ফের সুর চড়ালেন বিজেপি সংসদ সদস্য বরুণ গান্ধী https://ekolkata24.com/uncategorized/bjp-mp-varun-gandhi-criticized-the-centres-agricultural-policy Sat, 23 Oct 2021 10:32:38 +0000 https://www.ekolkata24.com/?p=8837 নিউজ ডেস্ক: ফের আন্দোলনরত কৃষকদের পক্ষে মুখ খুললেন বিজেপি সাংসদ বরুণ গান্ধী। শনিবার গেরুয়া দলের এই সাংসদ বলেন, কেন্দ্রীয় সরকারের উচিত অবিলম্বে তিন কৃষি আইন পুনর্বিবেচনা করে দেখা। কৃষকদের পক্ষে দাঁড়াতে শনিবার টুইটারে একটি ভিডিয়ো পোস্ট করেন বরুণ।

ওই ভিডিওতে দেখা গিয়েছে একজন কৃষক তাঁর জমির ধান পুড়িয়ে ফেলছেন। বরুণ বলেন, সামোধ সিং নামে উত্তরপ্রদেশের এই কৃষক ১৫ দিন ধরে এক মাণ্ডি থেকে আর এক মাণ্ডিতে ছুটে বেড়িয়েছেন। কিন্তু তিনি কোনভাবেই তাঁর জমির ফসল বিক্রি করতে পারেননি। সে কারণেই হতাশ হয়ে পড়া ওই কৃষক জমির সব ফসল পুড়িয়ে দিয়েছেন। সরকারের উচিত, এ ধরনের ঘটনা বন্ধের জন্য কৃষি নীতি পুনর্বিবেচনা করে দেখা। বহু কষ্ট করে কৃষকরা ফসল উৎপাদন করে থাকেন। কতটা জ্বালায় জ্বললে তবে একজন কৃষক শরীরের রক্ত জল করা পরিশ্রমের সেই ফসল পুড়িয়ে দিতে পারেন তা আমাদের ভেবে দেখতে হবে।

এর আগে লখিমপুর খেরির ঘটনা নিয়ে সরব হয়েছিলেন বরুণ। পিলভিটের এই বিজেপি সাংসদই দলের একমাত্র নেতা যিনি লখিমপুরের ঘটনায় কৃষকদের পক্ষ নিয়েছেন। তবে লখিমপুরের ঘটনা নিয়ে মুখ খোলায় বরুণকে শাস্তির মুখেও পড়তে হয়েছে। শাস্তিস্বরূপ দলের এই তরুণ নেতা ও তাঁর মা মানেকা গান্ধীকে বিজেপির জাতীয় কার্যনির্বাহী কমিটি থেকে বাদ দেওয়া হয়েছে।

কিন্তু দলের কার্যনির্বাহী কমিটি থেকে বাদ পড়লেও বরুণ কিন্তু পিছিয়ে যাননি। বরং তিনি মোদি সরকারের বিরুদ্ধে আরও আক্রমণাত্মক হয়েছেন। বরুণ গান্ধী বলেছেন, এক বছর ধরে কৃষকরা আন্দোলন করছেন। তাঁরা কি বলতে চাইছেন সেটা কি সরকার একবার ভেবে দেখতে পারে না? সরকার তার এই উন্নাসিকতার জবাব একদিন পাবেই। কৃষকরাই দেশের অন্নদাতা। সবার আগে সরকারের উচিত কৃষকদের কথা ভাবা। তাঁরা কি বলতে চাইছেন সেটা শোনা। কিন্তু সরকার সেটা করছে না। বরং উল্টো পথে হেঁটে কৃষকদের এড়িয়ে যাচ্ছে। সরকারের এই সিদ্ধান্ত এক আত্মঘাতী পদক্ষেপ।

শুধু কৃষকদের পাশে থাকাই নয়, উত্তর প্রদেশের বন্যা পরিস্থিতি নিয়েও এদিন মুখ খুলেছেন তিনি। বন্যা কবলিত মানুষকে উদ্ধার ও ত্রাণ বণ্টনে ব্যর্থতার জন্য যোগী আদিত্যনাথ সরকারকে কাঠগড়ায় তুলেছেন বরুণ। আর কয়েক মাস পরেই উত্তর প্রদেশ বিধানসভা নির্বাচন। তার আগে বরুণ যেভাবে রাজ্য ও কেন্দ্রের বিজেপি সরকারকে আক্রমণ করে চলেছে তাতে গেরুয়া দল নিঃসন্দেহে অস্বস্তিতে পড়েছে বলে মনে করছে রাজনৈতিক মহল।

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