पहली बार 2020 में दिल्ली की कालकाजी सीट से चुनाव जीतकर विधायक बनी आतिशी आज दिल्ली की मुख्यमंत्री बन गयी है। उनका ये सफर यूं तो काफी उतार चढ़ाव वाला रहा लेकिन आतिशी ने पार्टी के लिए हर संभव काम किया। हालांकि विधायक बनने से पहले आतिशी ने जुलाई 2015 से 17 अप्रैल 2018 तक तत्कालीन शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के सलाहकार के तौर पर काम किया है। इसके अलावा साल 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान आतिशी पार्टी का घोषणापत्र तैयार करने वाली मसौदा समिति की प्रमुख सदस्य रह चुकी है। आतिशी ने आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता की भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई है।
बीते दिनों जब केजरीवाल और सिसोदिया को शराब नीति घोटाला मामले में जेल में जाना पड़ा तो आतिशी ने अपनी पार्टी की साख बचाई। उन्होंने सरकार के अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी उठाने के साथ ही पार्टी पर उठे हर सवालों का सहजता से जवाब भी दिया। इसी तरह तेज तर्रार आतिशी ने अपनी पार्टी के साथ ही केजरीवाल का भी भरोसा जीता। यही वजह है कि स्वतंत्रता दिवस पर केजरीवाल ने ध्वजारोहण के लिए आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा था। अब आतिशी दिल्ली सरकार में मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी निभाने जा रही है।
स्वर्गीय सुषमा स्वराज के बाद शीला दीक्षित के हाथों में दिल्ली की सत्ता सौंपी गई। 1998 में कांग्रेस से चुनाव जीतकर आई शीला दीक्षित को इसके बाद 2003 और 2008 के चुनाव में भी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला। इस तरह उन्होनें 15 साल 25 दिन तक तीन बार दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद संभाला। हालांकि 2013 में उन्हें हार माननी पड़ी और केजरीवाल दिल्ली के सीएम बने।
दिल्ली में सबसे कम मुख्यमंत्री का सफर स्वर्गीय सुषमा स्वराज का रहा। सुषमा स्वराज दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री रही। सीएम के तौर पर उनका कार्यकाल 12 अक्टूबर 1998 से 2 दिसंबर 1998 तक रहा। दरअसल जब दिल्ली में प्याज की कीमतें बढ़ी तो विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले ही तत्कालीन मुख्यमंत्री साहिब सिंग वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा था। इसी के बाद सुषमा स्वराज को पार्टी ने मुख्यमंत्री का पद दिया। हालांकि कुछ दिनों बाद जब विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी की बुरी हार हुई। जिसके बाद कांग्रेस की शीला दीक्षित को ये पद मिला।
]]>कोलकाता रेप केस में न्याय की मांग को लेकर जूनियर्स डॉक्टर्स पिछले 34 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन और हड़ताल समाप्त करने को लेकर राज्य की सीएम ममता बनर्जी और डॉक्टरों के बीच बातचीत के प्रयास फेल हो चुके हैं। गुरुवार को नबान्न में बैठक नहीं होने के बाद ममता बनर्जी ने राज्य के लोगों ने माफी मांगी थी और इस्तीफा देने तक की पेशकश कर दी थी। वहीं, डॉक्टर्स भी आंदोलन पर अड़े हैं और न्याय की मांग को लेकर इस बार प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है।
बता दें कि नौ अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर की रेप और मर्डर मामले में न्याय की मांग पर जूनियर डॉक्टर्स लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में डॉक्टरों से अपील की थी कि वे काम पर लौट आएं। उसके बाद से लगातार राज्य सरकार और प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के बीच बातचीत की कोशिश की जा रही है, लेकिन अभी तक बातचीत के प्रयास सफल नहीं हुए हैं।
गुरुवार को भी राज्य सचिवालय नबान्न में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ जूनियर डॉक्टरों की बैठक विफल रही। परिणामस्वरूप फिर से प्रदर्शनकारी डॉक्टर साल्टलेक लौट गए और स्वास्थ्य भवन के सामने प्रदर्शन जारी रखा है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि न्याय की मांग पर वे लोग अगले 33 दिनों तक और भी प्रदर्शन कर सकते हैं।
डॉक्टरों को जब उनकी मांगों का कोई समाधान नहीं निकला तो उन्होंने वैकल्पिक रास्ता अपनाया है। उन्होंने गतिरोध तोड़ने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र भेजा है।
आंदोलनकारियों ने न सिर्फ राष्ट्रपति को, बल्कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र की प्रतियां भेजी हैं। यहां तक कि पत्र केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को भी गया है। इस पत्र को भेजने के संबंध में जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि वे नबान्न गये थे। हालांकि, गुरुवार शाम को अपने अनुभव के आधार पर, उन्हें लगता है कि गतिरोध को तोड़ने के लिए राष्ट्रपति से संपर्क करना नितांत आवश्यक है।
इस दिन डॉक्टरों ने चार पन्नों का पत्र भेजा. जूनियर डॉक्टरों ने पत्र में नौ अगस्त को लेडी डॉक्टर की मौत की घटना के बाद से अब तक जो कुछ भी हुआ, उसका जिक्र किया है. डॉक्टरों ने अपने पत्र में कहा है कि भले ही आरजी कर मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा सुरक्षित है, लेकिन राज्य के बाकी मेडिकल कॉलेजों (सागरदत्त, एसएसकेएम) की तरह अस्पतालों में भी हमले होते रहते हैं.
डॉक्टरों के संगठन के नेता उत्पल बनर्जी ने कहा, ”हमने राष्ट्रपति को पहले भी पत्र लिखकर सूचित किया है कि आपको इस मामले को देखना चाहिए. दोबारा जूनियर डॉक्टरों ने दोबारा पत्र भेजा. यह सच है कि राज्य प्रशासन की भूमिका से जूनियर डॉक्टर पूरी तरह निराश हैं. और अगर उन्हें निराशा हुई तो वे राष्ट्रपति के पास जाएंगे. यह सामान्य है.”
वहीं वरिष्ठ वकील और कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर विकासरंजन भट्टाचार्य ने कहा, ”कोई भी केंद्र से लेकर राष्ट्रपति तक आवेदन कर सकता है. लेकिन डॉक्टरों के आंदोलन की मांगें जनहित संबंधों से जुड़ी हैं. और राज्य सरकार को इस मुद्दे का समाधान करना होगा. हालांकि, राज्य सरकार की अक्षमता के कारण यह आंदोलन लंबा खिंचता जा रहा है. इस कारण डॉक्टरों को पूरा अधिकार है कि वे इस मुद्दे पर राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की फरियाद करें
]]>রাজ্য পুলিশ জানিয়েছে, এদিন দুপুর ১২টা ২২ মিনিট নাগাদ এই বিস্ফোরণ হয়। বিস্ফোরণের বড় মাপের বিস্ফোরক ব্যবহার করা হয়েছে। পুলিশের অনুমান রিমোট কন্ট্রোলের মাধ্যমে আইইডি বিস্ফোরক দিয়ে বিস্ফোরণ ঘটানো হয়েছে। বিস্ফোরণের পরে আদালত কক্ষ থেকে দাউ দাউ করে আগুনের শিখা বের হতে দেখে স্থানীয় মানুষই প্রথমে আগুন নেভানোর কাজে এগিয়ে আসেন। পরে দমকলবাহিনী ঘটনাস্থলে পৌঁছয়। পুলিশ গোটা এলাকা ঘিরে রেখেছে।
আদালত চত্বরে থাকা কয়েকটি দোকানের মালিক জানিয়েছেন, বৃহস্পতিবার জেলা আদালতে ধর্মঘটের ডাক দিয়েছিলেন আইনজীবীরা। তাই অন্য দিনের তুলনায় এদিন ভিড় ছিল অনেকটাই কম। যদি এদিন স্বাভাবিক কাজকর্ম হত তবে হতাহতের সংখ্যা নিশ্চিতভাবেই আরো বাড়ত। এদিনের বিস্ফোরণে মৃতদের মধ্যে আছেন এক মহিলা। আহতদের উদ্ধার করে স্থানীয় হাসপাতালে নিয়ে যাওয়া হয়েছে। মৃতদের পরিচয় এখনও জানা যায়নি। বিস্ফোরণের তীব্রতা এতটাই বেশি ছিল যে, শৌচাগারের দেওয়াল হুড়মুড়িয়ে ভেঙে পড়ে। নিচে অনেক গাড়ি পার্ক করা ছিল। দেওয়াল ভেঙে গাড়ির উপর পড়ায় গাড়িগুলির ক্ষতি হয়েছে। বিস্ফোরণের জেরে শৌচালয়ের লোহার দরজাও দুমড়ে মুচড়ে গিয়েছে।
বিস্ফোরণের তদন্তে ইতিমধ্যেই ফরেনসিক টিমকে ডাকা হয়েছে। পাশাপাশি ঘটনাস্থলে গিয়েছে বোম ডিসপোজাল স্কোয়াড। বিস্ফোরণের খবর জানার পর লুধিয়ানা গিয়েছেন পাঞ্জাবের মুখ্যমন্ত্রী চরণজিৎ সিং চান্নি। মুখ্যমন্ত্রী এদিন বলেন, নির্বাচনের আগে বড়সড় নাশকতার ষড়যন্ত্র হয়েছে। এই ঘটনায় কে বা কারা জড়িত আছে তা জানতে তদন্ত করছে পুলিশ। তদন্তে যারা দোষী সাব্যস্ত হবে তারা কেউ পার পাবে না। মুখ্যমন্ত্রী এদিন আদালত চত্বর ঘুরে দেখেন। রাজ্যের প্রাক্তন মুখ্যমন্ত্রী অমরিন্দর সিং বলেছেন, আদালত চত্বরে বিস্ফোরণের ঘটনা অত্যন্ত দুঃখজনক। বিস্ফোরণের ঘটনায় নিহতদের পরিবারের প্রতি সমবেদনা জানাই। যারা আহত হয়েছেন তাঁদের দ্রুত আরোগ্য কামনা করি।
]]>সাধারণত মুসলিম সম্প্রদায় বড় ধরনের কোনও অনুষ্ঠানে রাস্তার উপর নমাজ পড়েন। সম্প্রতি হরিয়ানার গুরুগ্রামে (gurugram) রাস্তার উপর নমাজ পড়া নিয়ে অশান্তি বাধে। একাধিক হিন্দুত্ববাদী সংগঠন রাস্তায় নমাজ পড়ার তীব্র প্রতিবাদ জানায়। এরপরই শনিবার রাজ্যের মুখ্যমন্ত্রী মনোহরলাল খাট্টার জানালেন, প্রকাশ্যে বা রাস্তার উপর নমাজ পড়া মেনে নেওয়া হবে না।
সম্প্রতি রাস্তার উপর নমাজ পড়া নিয়ে হরিয়ানার একাধিক অশান্তির ঘটনা ঘটেছে। সেই কথা উল্লেখ করে মুখ্যমন্ত্রী বলেন, প্রার্থনা করার অধিকার প্রতিটি মানুষেরই আছে। এটা যেমন ঠিক তেমনই, প্রার্থনা করতে গিয়ে যাতে অন্য কারও সমস্যা না হয় সেটাও মাথায় রাখতে হবে। সরকার চায় প্রকাশ্যে রাস্তার উপর নমাজ পড়ার যে চল রয়েছে তা বন্ধ হোক। এই সমস্যার একটা সৌহার্দ্যপূর্ণ সমাধান অবশ্যই দরকার। সেক্ষেত্রে মুসলিম সম্প্রদায়ের মানুষ বাড়ির ভিতরে বা মসজিদের মধ্যে নমাজ পড়তে পারেন। সেক্ষেত্রে তো কারও কোনও সমস্যা হয় না।
রাজনৈতিক মহল মনে করছে, হিন্দুত্ববাদী সংগঠনগুলির প্রবল চাপের কাছে মাথা নুইয়ে মুখ্যমন্ত্রী এই সিদ্ধান্ত নিয়েছেন। সাধারণত কোনও অনুষ্ঠানের সময় রাস্তার উপর নমাজ পড়াটা মুসলিম সম্প্রদায়ের রীতি। তাতে যে অন্যের সমস্যা হয় না তা নয়, কিন্তু দীর্ঘদিন ধরে এটাই চলে আসছে। উল্লেখ্য, এর আগে ২০১৮ সালেও রাস্তার উপর নমাজ পড়া নিয়ে বেশ কয়েকটি অশান্তির ঘটনা ঘটেছিল হরিয়ানায়। সে সময় পুলিশের পক্ষ থেকে ২৯ টি জায়গাকে নমাজ পড়ার জন্য চিহ্নিত করা হয়েছিল। যদিও পরবর্তী ক্ষেত্রে গুরুগ্রাম প্রশাসন ৮টি স্থানের উপর থেকে নমাজ পড়ার অনুমতি বাতিল করেছিল। তবে এখনও পর্যন্ত হরিয়ানার বেশ কিছু এলাকায় রাস্তার উপর নমাজ পড়ার রীতিমতো প্রশাসনিক অনুমতি আছে।
যে সমস্ত রাস্তার উপর নমাজ পড়ার অনুমতি আছে সেখানে নমাজ পড়া যাবে কিনা জানতে চাওয়া হলে মুখ্যমন্ত্রী বলেন, এ বিষয়টি পুলিশ ও জেলাশাসকদের খতিয়ে দেখতে বলা হয়েছে। রাস্তায় নমাজ পড়লে সাধারণ মানুষের যে অসুবিধা হয় সেটা তো না বললেও চলে। তাই আমাদের সকলকেই এটা বুঝতে হবে। এমন একটা জায়গায় নমাজ পড়তে হবে যাতে কারও কোনও সমস্যা না হয়।
সম্প্রতি রাস্তার উপর নমাজ পড়া নিয়ে হরিয়ানায় বেশ কয়েকটি সংঘর্ষের ঘটনাও ঘটেছে। রাস্তার উপর নমাজ পড়া বন্ধ হলে আগামী দিনে এ ধরনের কোনও অশান্তি হবে না বলেই অনেকে মনে করছেন।
]]>ভূপেশ স্পষ্ট বলেন, আগামী নির্বাচনে বিজেপি যাতে ক্ষমতায় ফিরতে পারে সেজন্য নরেন্দ্র মোদি-অমিত শাহর নির্দেশমতো কাজ শুরু করে দিয়েছেন প্রশান্ত কিশোর। আসলে উনি তো কোন রাজনৈতিক দলের লোক নন। উনি একজন পেশাদার মানুষ। টাকা নিয়ে কাজ করেন। কয়েক বছর আগে মোদি -অমিত শাহ কংগ্রেস মুক্ত ভারত গড়ার ডাক দিয়েছিলেন। কিন্তু চেষ্টা করেও তাঁরা সেটা করতে পারেননি। সেই কাজ যাতে করতে পারেন তার জন্যই এবার দায়িত্ব দিয়েছেন প্রশান্তকে। তিনি কাজ শুরু করে দিয়েছেন। প্রশান্ত এবং মমতা দু’জনেরই লক্ষ্য হল কংগ্রেসকে ক্ষমতা থেকে দূরে সরিয়ে রাখা। বিজেপিকে সাহায্য করতেই তাঁরা মাঠে নেমেছেন।
মমতাকে আক্রমণ করে ভূপেশ বলেছেন, মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়কে আগে তাঁর অবস্থান স্পষ্ট করতে হবে। তিনি বিজেপির সঙ্গে লড়তে চান নাকি, বিরোধী দলগুলির সঙ্গে সেটা স্পষ্ট করে জানাচ্ছেন না কেন? দেখে শুনে তো মনে হচ্ছে, রাজ্যে রাজ্যে বিরোধী ভোট ভাগ করে দিয়ে উনি বিজেপিকে ক্ষমতায় ফেরার পথ মসৃণ করে দিতে চাইছেন। দু’দিন আগে দিল্লি গিয়ে মোদির সঙ্গে বৈঠক করলেন। তার পরেই তিনি আক্রমণ করলেন কংগ্রেসকে। মোদির সঙ্গে কী আলোচনা হয়েছে কেন সেটা প্রকাশ করছেন না।
মমতাকে এটা বুঝতে হবে যে, কংগ্রেসকে ছাড়া কখনও কোনও বিরোধী জোট গড়ে তোলা সম্ভব নয়। তাঁর মনে রাখা উচিত, জাতীয় পর্যায়ে কংগ্রেসকে বাদ দিয়ে কখনওই কোনও জোট হতে পারে না। কেন না এখনও গোটা দেশে বিজেপির মূল প্রতিদ্বন্দ্বী হল কংগ্রেস।
ছত্তিশগড়ের মুখ্যমন্ত্রী এদিন এটাও স্পষ্ট করে দিয়েছেন, ২০২৪-এর নির্বাচনে প্রধানমন্ত্রী মোদির বিরুদ্ধে বিরোধী জোটের মুখে কে হবেন সেটা ইউপিএ’র বৈঠকে সর্বসম্মতিক্রমে সোনিয়া গান্ধীই ঠিক করবেন। মমতাকে ঠিক করতে হবে তিনি বিরোধীদের সঙ্গে লড়তে চান নাকি, বিজেপিকে ক্ষমতা থেকে হঠাতে চান। মমতার কাজকর্ম দেখে শুনে তো মনে হচ্ছে, উনি বিজেপিকে সর্বতোভাবে সাহায্য করতে চান। আর তাঁর এই কাজের সহযোগী হয়েছেন প্রশান্ত কিশোর।
তৃণমূল কংগ্রেসের এটা বোঝা উচিত, গোয়ায় তাদের কিছু করার ক্ষমতাই নেই। এতদিন তো ত্রিপুরা নিয়ে অনেক কথা বলছিলেন। কিন্তু ত্রিপুরার নির্বাচনী ফলাফল দেখিয়ে দিয়েছে, তৃণমূল মুখে যতই বড় বড় কথা বলুক না কেন আসলে তাদের শক্তি কতটা। আগামী নির্বাচনে গোয়াতেও একই অবস্থা হবে তৃণমূল কংগ্রেসের। মাঝখান থেকে তারা কংগ্রেসের ভোট কেটে বিজেপিকে ক্ষমতায় ফেরার পথে কুসুম বিছানো করে দেবেন। গোয়ায় কোনও শক্তিই নেই, তবুও তারা হই হট্টগোল করছেন। এর পিছনে কী কারণ আছে সেটা কারও বুঝতে বাকি নেই। মোদি-শাহর থেকে টাকা নিয়ে বিরোধী ভোট কিভাবে ভাগ করে দেওয়া যায় সেই পথ বাতলে দিচ্ছেন প্রশান্ত কিশোর। প্রশান্তর বলে দেওয়া পথেই এগিয়ে চলেছেন মমতা।
সবকিছু দেখেশুনে এটা স্পষ্ট হয়ে গিয়েছে যে, ২০২৪-এর লোকসভা নির্বাচনে মোদিকে ক্ষমতায় ফেরাতে মোদি ইতিমধ্যেই ময়দানে নামিয়ে দিয়েছেন প্রশান্ত এবং মমতাকে। তাঁরা হাত ধরাধরি করে বিজেপিকে ক্ষমতায় ফিরিয়ে আনবেন।
]]>সোমবার মরিয়নি বিধানসভার উপনির্বাচনে প্রচারে গিয়ে অসমের মুখ্যমন্ত্রী বলেন, যে কোনও ভাবেই ভ্যাকসিনের দুটি ডোজ নিতে হবে। মুখ্যমন্ত্রী বলেন ,প্রথম ডোজ নেওয়া ব্যক্তিরা দ্বিতীয় ডোজ নিতে ভুলবেন না। কেননা আমরা সকলেই করোনা মহামারী থেকে বাঁচতে হবে। তাই করোনা থেকে রক্ষা পেতে ভ্যাকসিন নেওয়াটা খুবই জরুরি। সেইসঙ্গে সবাইকে সতর্ক থাকতে বলেন তিনি।
হিমন্ত বিশ্বশর্মা বলেন ,গতবছর নভেম্বর থেকে ফেব্রুয়ারি অব্দি করোনা ছিল না। যদিও আচমকা এপ্রিলে আবার করোনা এসে গিয়েছে। তাই এবছর যেন কোনও কারণেই কোভিড আসতে না পারে তারজন্য সবাইকে ভ্যাকসিন নিতে হবে। করোনা নিয়ে এর নতুন বিধি আসছে বলে মন্তব্য করেন তিনি।
মুখ্যমন্ত্রী বলেন, এই বিধি অনুযায়ী ১৭ থেকে ১৮ বছরের ছেলেমেয়েকে প্রদান করা হবে ভ্যাকসিন। এ দিল্লি থেকে ইতিমধ্যে নির্দেশ এসেছে। তাই এবয়সের ছেলে মেয়েদের এখন থেকেই ভ্যাকসিন নেওয়ার জন্য আহ্বান জানান মুখ্যমন্ত্রী। তিনি বলেন,ভোট আসে ভোট যায়। কিন্তু সবাই বেঁচে থাকতে হবেই। নিজের দৈনন্দিন জীবন চালিয়ে যেতে হবে।
কোভিড ভ্যাকসিন যারা নেয়নি ,তাদের প্রতি বার্তা ছুড়ে দিয়ে এদিন অসমের স্বাস্থ্যমন্ত্রী কেশব মহন্ত বলেন ,ভ্যাকসিনের দুই ডোজ না নেওয়া সুবিধাপ্রাপকরা পাবেন না কোনও সরকারি প্রকল্পের সুবিধা। রাজ্য সরকারের তরফে এমনটাই সিদ্ধান্ত নেওয়া হয়েছে।
মুখ্যমন্ত্রী হিমন্ত বিশ্বশর্মা বলেন ,সরকারি প্রকল্প পাওয়ার জন্য ভ্যাকসিনের দুই ডোজ নেওয়াটা বাধ্যতামূলক।ভ্যাকসিনের সার্টিফিকেট দেখলেই প্রকল্পের সুবিধা মিলবে। এমনকি রেশন দোকান ,পেনশনারের এক্ষেত্রেও এই বিধি মেনে চলতে হবে।আগামী নভেম্বর থেকেই রাজ্যে এই নয়া বিধি লাগু হবে।
]]>কেবল বাবুল সুপ্রিয়ই নয়, ইন্দ্রনীল সেন ও নচিকেতার সাথেও সুরে সুর মিলিয়ে গান গাইলেন জননেত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। এইদিন সমাবেশে আমোদ আহ্লাদের পাশাপাশি তুলে আনলেন লখিমপুরে কৃষক হত্যার ঘটনাও। প্রসঙ্গত, গত মঙ্গলবার লখিমপুরে নিহত কৃষক পরিবারের সাথে দেখা করতে গিয়েছিলেন তৃণমূলের বিভিন্ন সাংসদরা।
বুধবার জাগো বাংলার শারদ সংখ্যা প্রকাশ সংক্রান্ত অনুষ্ঠানের আয়োজন করা হয়েছিল নজরুল মঞ্চে। অনুষ্ঠানে উপস্থিত ছিলেন তৃণমূলের সর্বভারতীয় সম্পাদক অভিষেক বন্দ্যোপাধ্যায়। অনুষ্ঠানে উপস্থিত থাকতে দেখা যায় সদ্য বিজেপি ছেড়ে তৃণমূলে যোগ দেওয়া সাংসদ বাবুল সুপ্রিয়, তৃণমূলের সাধারণ রাজ্য সম্পাদক কুনাল ঘোষ ও আরো অনেকে। অনুষ্ঠানে এসে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় বলেন, “আমাদের দেখতে হবে হিন্দি গানের পাশাপাশি বাংলা গানের ও কিভাবে উন্নতি করা যায়।”
অনুষ্ঠানে বেশ খোশ মেজাজেই দেখা যায় ভবানীপুর কেন্দ্র থেকে সদ্য বিজয়ী তৃণমূল নেত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়কে। বঙ্গ সংস্কৃতি ভবিষ্যৎ সম্পর্কে আলোচনা করার পরে তিনি খোশমেজাজে জাগো দুর্গা গানের তালে তাল মেলালেন নচিকেতা ও বাবুল সুপ্রিয়দের সাথে। যদিও গান করতে গিয়ে বেশ খানিকটা হোঁচট খেতে হয় মুখ্যমন্ত্রী কে। শেষ পর্যন্ত ইন্দ্রনীল সেন মোবাইল দেখে গানটি করার চেষ্টা করেন।
অনুষ্ঠানে অন্যায় ভাবে লখিমপুরে কৃষক হত্যার ঘটনার তীব্র নিন্দা করেন মুখ্যমন্ত্রী। সূত্র মাধ্যমে জানা যায় এখনো পর্যন্ত তৃণমূলই একমাত্র রাজনৈতিক দল যারা নিহত কৃষক পরিবারের সাথে সরাসরি যোগাযোগ করতে পেরেছে। জানা যায়, পরিচয় গোপন করে ঘুরপথে নিহতদের বাড়িতে যান সমবেদনা জানাতে তৃণমূলের একাধিক নেতা নেত্রীরা।
]]>ধৃত পুলিশ কর্তা রৌনক আলি হাজারিকার বিরুদ্ধে আরও অভিযোগ, তিনি বিভাগীয় অনুমতি না নিয়েই বিভিন্ন সময়ে বিদেশ গিয়েছেন। এই ব্যয়বহুল যাত্রা তিনি কী করে করলেন তারও তদন্ত চলছে।
তদন্তে উঠে এসেছে, রৌনক আলি যখন ডিআইজি (বর্ডার) পদে ছিলেন, তখনই তিনি বারবার বিদেশ গিয়েছেন অনুমতি না নিয়ে।
সাসপেন্ড হওয়া পুলিশ কর্তা রৌনক আলি হাজারিকার রোজগারেও বিস্তর অসঙ্গতি ধরা পডেছে বলে তদন্তে উঠে এসেছে। গুয়াহাটির হেংরাবাড়ি এলাকা ওই পুলিশ কর্তার বাড়িতে তাল্লাশি অভিযান চালায় মুখ্যমন্ত্রীর ভিজিল্যান্স দল। এর নেতৃত্বে ছিলেন এস পি আর কলিতা। যদিও ভিজিল্যান্স দলের তরফে বাজেয়াপ্ত করা সম্পত্তির পূর্ণ বিবরণ দেওয়া হয়নি।
এদিকে রৌনক আলি হাজারিকার গ্রেফতারির ঘটনায় লাগছে রাজনৈতিক রং। কারণ তিনি রাজ্যে কংগ্রেস সরকারের আমলে পদন্নোতি পেয়েছিলেন। অসমে এখন বিজেপি জোট সরকার।
]]>বাবুল সুপ্রিয় গত সপ্তাহান্তে তৃণমূল কংগ্রেসে যোগ দেন৷ তার দু’দিন বাদেই তৃণমূল সুপ্রিমোর সঙ্গে দেখা করলেন বাবুল৷ প্রাক্তন কেন্দ্রীয় পরিবেশ প্রতিমন্ত্রী এবং জনপ্রিয় প্লেব্যাক গায়ক কলকাতায় বৈঠক শেষে সাংবাদিকদের বলেন, মুখ্যমন্ত্রী তাঁকে কাজ করতে এবং হৃদয় দিয়ে গান করতে বলেছেন।
সুপ্রিয় আরও বলেন, “আমি তাঁর সঙ্গে দেখা করতে পেরে খুব খুশি। যে স্নেহ এবং উষ্ণতা দিয়ে তিনি আমাকে তৃণমূল পরিবারে স্বাগত জানিয়েছেন …”

“তিনি আমাকে বলেছেন তোমার সমস্ত হৃদয় দিয়ে কাজ করুন এবং তোমার সমস্ত হৃদয় দিয়ে গান করুন। তিনি বললেন, পূজার সময় হয়েছে, তুমি গান করো”
তিনি জানান, মমতাই দলে তাঁর ভূমিকা ঠিক করবেন৷ কারণ এটি তার বিশেষাধিকার এবং এ বিষয়ে তাঁর কিছু বলার নেই। শনিবার আসানসোলের সাংসদ বলেছিলেন, তিনি বিজেপির প্রতি হতাশ। বিজেপি ছাড়ার পিছনের কারণ সম্পর্কে কথা বলতে গিয়ে তিনি বলেছিলেন, তিনি অলস বসে থাকতে পছন্দ করেন না।
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আরও পড়ুন মমতার বিরুদ্ধে লড়বেন, চিনে নিন পদ্মপ্রার্থী প্রিয়ঙ্কা টিবরেওয়ালকে
সাংবাদিকদের সঙ্গে কথা বলার সময় রুপানি এই ঘোষণা করেন। কিন্তু কী কারণে তিনি পদত্যাগ করেছেন তা বিস্তারিত জানাননি। সাংবাদিকদের তিনি জানান, “গুজরাটের মুখ্যমন্ত্রী হিসেবে আমাকে এই সুযোগ দেওয়ার জন্য আমি বিজেপিকে ধন্যবাদ জানাতে চাই। আমি প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদীর নেতৃত্বে রাজ্যের উন্নয়নে সামিল হওয়ার সুযোগ পেয়ে নিজেকে ভাগ্যবান মনে করছি।”
Breaking : While Indian Media kept on targetting Congress party over Chhattisgarh leadership, BJP changed CM in Gujarat.
Gujarat CM Sh. Vijay Rupani resigns amid massive infighting in the party.
— Anshuman Sail Nehru (@AnshumanSail) September 11, 2021
Its there something big going on inside house…? #brakingnews#Vijayrupani sudden Resign as CM. pic.twitter.com/0oL8OfrpgJ
— Yagnesh
(@YaganeshD) September 11, 2021
https://twitter.com/MrSinha_/status/1436631721995243521?s=20
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