Read Bengali: চা বলয়ে এক নৌকায় বাম-কংগ্রেস-বিজেপি! মুছে গেল তৃণমূল
उत्तर धूपझोड़ कार्यालय में जब बोर्ड का गठन हुआ, तो इलाके में जश्न का माहौल छा गया। समर्थक लाल और भगवा गुलाल लगाकर खुशी जाहिर करते नजर आए।
भाजपा के पूर्व समतल मंडल अध्यक्ष मजनुल हक ने कहा, “यह बोर्ड तृणमूल सरकार के खिलाफ जनता की भावना और विपक्ष की एकजुटता का प्रतीक है। तृणमूल कोई पैनल नहीं दे सकी, इसका मतलब है जनता अब बदलाव चाहती है।”
वाम नेता दिनेश राय और कांग्रेस समर्थित सदस्य सफिरउद्दीन अहमद ने संयुक्त रूप से कहा, “यह केवल राजनीतिक गठजोड़ नहीं है, बल्कि किसानों के हित में उठाया गया कदम है। सभी फैसले सामूहिक रूप से लिए जाएंगे।”
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस ने इस पूरी प्रक्रिया को अवैध करार दिया है। पार्टी की माटियाली ब्लॉक अध्यक्ष स्नोमिता कालांदी ने आरोप लगाया, “इस आम सभा की जानकारी अधिकतर सदस्यों को नहीं दी गई थी। यह पूरा बोर्ड गठन नियमों के खिलाफ है। हम इसे उच्च सहकारिता विभाग के संज्ञान में ला रहे हैं।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि माटियाली का यह उदाहरण बताता है कि अगर विपक्ष मिलकर लड़े तो तृणमूल जैसे मजबूत किले में भी सेंध लगाई जा सकती है।
वरिष्ठ पत्रकार सौरभ मुखर्जी के अनुसार, “तृणमूल के गढ़ में विपक्ष की यह चुपचाप जीत एक बड़ा संकेत है। आने वाले पंचायत या सहकारी चुनावों में ऐसे गठबंधन और मजबूत हो सकते हैं।”
माटियाली में तृणमूल की अनुपस्थिति और विपक्षी गठबंधन की सफलता राज्य की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकती है। अब देखना होगा कि यह प्रयोग कितना दूर तक असर डालता है।
]]>तृणमूल कांग्रेस ने मतुआ बहुल बागदा विधानसभा क्षेत्र से मतुआ ठाकुरबाड़ी की सदस्य मधुपर्णा ठाकुर को मैदान में उतारा है। कोलकाता के मानिकतला विधानसभा क्षेत्र से पार्टी ने दिवंगत तृणमूल विधायक व मंत्री साधन पांडे की पत्नी सुप्ति पांडे को मैदान में उतारा है।
भाजपा ने मानिकतला विधानसभा क्षेत्र से अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के अध्यक्ष कल्याण चौबे, रायगंज से मानस कुमार घोष, राणाघाट दक्षिण से मनोज कुमार विश्वास और बागदा से बिनय कुमार विश्वास को मैदान में उतारा है। वहीं, रायगंज सीट से कृष्ण कल्याणी तृणमूल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. मुकुट मणि अधिकारी को तृणमूल ने राणाघाट से उम्मीदवार बनाया है।
बता दें कि इस उप चुनाव में राज्य की चार विधानसभा सीटों में से दो- उत्तर 24 परगना की बागदा और नदिया जिले की राणाघाट दक्षिण में सुरक्षित तरीके से चुनाव कराये जाने के लिए चुनाव आयोग विशेष रूप से नजर रख रहा है। राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के अनुसार, इन इलाकों में सबसे अधिक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती पर जोर दिया जा रहा है. सीइओ कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि इस बार क्यूआरटी का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया जायेगा.
चुनाव वाले दिन मतदान केंद्रों के बाहर व भीतर हिंसा को रोकने के लिए 70 कंपनी केंद्रीय पुलिस बल को तैनात किये जाने का निर्णय चुनाव आयोग ने लिया है। इससे पहले, 55 कंपनी तैनात किये जाने का निर्णय चुनाव आयोग ने लिया था। पर केंद्रीय पुलिस बल की संख्या बढ़ा दी गयी है। आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, रायगंज में 16 कंपनी, राणाघाट में 19, बागदा में 20 और मानिकतला में 15 कंपनी केंद्रीय पुलिस बल उतारे जायेंगे। वहीं, इस उपचुनाव के लिए चार जनरल ऑब्जर्वर और चार पुलिस ऑब्जर्वर भी तैनात रहेंगे।
राज्य में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव में चार सीट के लिए वोट डाले जायेंगे। इनमें उत्तर कोलकाता की मानिकतला, उत्तर दिनाजपुर की रायगंज, नदिया जिले की राणाघाट दक्षिण और उत्तर 24 परगना की बागदा विधानसभा सीट शामिल हैं। इस चुनाव में आयोग की नजर विशेष रूप से मानिकतला विधानसभा क्षेत्र पर है।
मानिकतला में तृणमूल कांग्रेस की अंदरूनी कलह से चुनाव आयोग भी वाकिफ है। इसलिए मतदान के दिन कानून व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए मानिकतला क्षेत्र पर अतिरिक्त बलों की तैनाती की जा जायेगी। इस विधानसभा केंद्र में बूथों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मानिकतला केंद्र में कुल 15 कंपनियां तैनात की जायेंगी।
चार विधाननसभा क्विक रिस्पांस टीम की 144 टीमें तैनात रहेंगी। वहीं, आयोग सूत्रों के मुताबिक यह पहली बार है कि उपचुनाव में 100 फीसदी वेब कास्टिंग की जा रही है। मतदान केंद्र के 200 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू रहेगी।
उपचुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराये जाने के लिए सोमवार राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय के साथ संबंधित जिलों के डीएम एसपी के साथ बैठक हुई। बैठक में वेब कास्टिंग, इवीएम और केंद्रीय पुलिस बल की तैनाती और सक्रियता समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई।
]]>कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल और द्रमुक नेता टीआर बालू लोकसभा अध्यक्ष के पद के लिए राजग उम्मीदवार का समर्थन करने से इनकार करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय से बाहर आ गए। वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि सरकार ने उपाध्यक्ष पद विपक्ष को देने की प्रतिबद्धता नहीं जताई। बता दें कि पिछली बार ओम बिरला ही लोकसभा के स्पीकर थे, जबकि के. सुरेश आठ बार के सांसद रह चुके हैं। केवल स्पीकर पद को लेकर ही नहीं इससे पहले प्रोटेम स्पीकर के पद को लेकर भी सरकार और विपक्ष के बीच विवाद देखा गया था। जब सरकार ने भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर बना दिया था। विपक्ष का आरोप था कि सरकार ने के. सुरेश की वरिष्ठता को नजरअंदाज किया है।
इसी के साथ देश में लंबे समय से चली आ रही परंपरा टूट गई। दरअसल, पहले लोकसभा सत्र को छोड़ दें तो अब तक निचले सदन में अध्यक्ष सर्वसम्मति से ही चुना जाता रहा है। पिछली बार भी ऐसा ही हुआ था। हालांकि, इस बार दोनों ओर से उम्मीदवारों के नामांकन के साथ ही सर्वसम्मति से इस पद पर होने वाली निर्वाचन की बीते 16 लोकसभा से जारी परंपरा टूट जाएगी।
बता दें कि 15 मई 1952 को पहली लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव हुआ था। इस चुनाव में सत्ता पक्ष के जीवी मावलंकर उमीदवार थे। उनका मुकाबला शंकर शांतराम मोरे से हुआ था। मावलंकर के पक्ष में 394 वोट, जबकि 55 वोट उनके खिलाफ पड़े थे। इस तरह मावलंकर आजादी से पहले देश के पहले लोकसभा स्पीकर बने थे।
आइए यहां जानते हैं कि लोकसभा स्पीकर का चुनाव कैसे होता है? आखिर क्यों महत्वपूर्ण होता है स्पीकर का पद? इस पद की भूमिका क्या है और अब तक किस-किसने स्पीकर का पोस्ट संभाला? अब तक किस-किस पार्टी के सदस्य लोकसभा अध्यक्ष बने हैं?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 93 में लोकसभा के अध्यक्ष के चुनाव का जिक्र किया गया है। अनुच्छेद 93 के अनुसार, लोकसभा को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की भूमिका के लिए दो सदस्यों को चुनने का अधिकार है, जब भी ये पद खाली होते हैं। लोकसभा अध्यक्ष के पद का हमारे संसदीय लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान है। अध्यक्ष उस सदन की गरिमा और शक्ति का प्रतीक है जिसकी वह अध्यक्षता करता है। पद और वरीयता के संबंध में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अपने-अपने राज्यों के राज्यपाल और पूर्व राष्ट्रपति, उप प्रधानमंत्री के बाद छठे स्थान पर भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ लोकसभा अध्यक्ष का पद आता है।
एक बार जब लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव की तिथि राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित हो जाती है और लोकसभा सचिवालय द्वारा अधिसूचित हो जाती है, तो कोई भी सदस्य महासचिव को संबोधित करते हुए लिखित रूप में प्रस्ताव दे सकता है कि किसी अन्य सदस्य को सदन का अध्यक्ष चुना जाए।
लोकसभा में अध्यक्ष का चुनाव इसके सदस्यों में से सभा में मौजूद और मतदान करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत द्वारा किया जाता है। अध्यक्ष के चुनाव के लिए कोई विशेष योग्यता निर्धारित नहीं की गई है और संविधान में मात्र यह अपेक्षित है कि वह सभा का सदस्य होना चाहिए। सामान्यतः सत्तारूढ़ दल के सदस्य को ही अध्यक्ष निर्वाचित किया जाता है। उम्मीदवार के संबंध में एक बार निर्णय ले लिए जाने पर आमतौर पर प्रधानमंत्री और संसदीय कार्य मंत्री द्वारा उसके नाम का प्रस्ताव किया जाता है।
प्रस्तुत किए गए प्रस्तावों का आवश्यकता के अनुसार, सभा में मत विभाजन द्वारा फैसला किया जाता है। यदि कोई प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है तो पीठासीन अधिकारी घोषणा करेगा कि प्रस्तावित सदस्य को सभा का अध्यक्ष चुन लिया गया है। नतीजा घोषित किए जाने के बाद नवनिर्वाचित अध्यक्ष को प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता द्वारा अध्यक्ष आसन तक ले जाया जाता है। इसके बाद सभा में सभी राजनैतिक दलों और समूहों के नेताओं द्वारा अध्यक्ष को बधाई दी जाती है और उसके जवाब में वह सभा में धन्यवाद भाषण देता है और इसके बाद नया अध्यक्ष अपना कार्यभार ग्रहण करता है।
भारत में लोकसभा अध्यक्ष सभा का संवैधानिक और औपचारिक प्रमुख होता है। वह सभा का प्रमुख प्रवक्ता होता है। लोकसभा की कार्यवाही के संचालन का उत्तरदायित्व अध्यक्ष पर ही होता है। लोकसभा अध्यक्ष को संसद के अपने कर्त्तव्यों के निर्वहन में आने वाली वास्तविक आवश्यकताओं और समस्याओं का समाधान करना पड़ता है। सदन का संचालन, प्रश्न और अभिलेख, ध्वनि मत, विभाजन, अविश्वास प्रस्ताव, मतदान और सदस्यों की अयोग्यता जैसे अहम मामले अध्यक्ष की शक्तियों में आते हैं।
गणेश वासुदेव मावलंकर लोकसभा के पहले अध्यक्ष थे। कांग्रेस के लोकसभा सांसद मावलंकर का कार्यकाल मई 1952 से फरवरी 1956 तक था। एम. अनन्तशयनम अय्यंगार देश के दूसरे लोकसभा अध्यक्ष बने। उन्होंने लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष जी.वी. मावलंकर के आकस्मिक निधन के बाद अध्यक्ष पद का दायित्व ग्रहण किया था। कांग्रेस पार्टी के सांसद अय्यंगार के दो कार्यकाल रहे, जिसमें पहला मार्च 1956 से मई 1957 तक और दूसरा मई 1957 से अप्रैल 1962 तक रहा।
सरदार हुकम सिंह अप्रैल 1962 से मार्च 1967 के बीच लोकसभा के तीसरे स्पीकर थे। वर्ष 1962 के आम चुनावों में हुकम सिंह को कांग्रेस के टिकट पर पटियाला सीट से चुना गया था। डॉ. नीलम संजीव रेड्डी ने लोकसभा के चौथे अध्यक्ष के रूप में काम किया। रेड्डी के भी दो कार्यकाल रहे, जिसमें पहला मार्च 1967 से जुलाई 1669 तक और दूसरा मार्च 1977 से जुलाई 1977 तक रहा। रेड्डी चौथी लोकसभा के लिए आंध्र प्रदेश के हिन्दुपुर सीट से निर्वाचित हुए थे।
नीलम संजीव रेड्डी ऐसे एकमात्र अध्यक्ष हैं जिन्होंने अध्यक्ष पद का कार्यभार सम्भालने के बाद अपने दल से औपचारिक रूप से त्यागपत्र दे दिया था। अध्यक्ष पद पर चुने जाने के तुरन्त बाद उन्होंने कांग्रेस की अपनी 34 वर्ष पुरानी सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। उनका यह मानना था कि अध्यक्ष का संबंध सम्पूर्ण सभा से होता है, वह सभी सदस्यों का प्रतिनिधित्व करता है और इसलिए उसे किसी दल से जुड़ा नहीं होना चाहिए या यों कहें कि उसका संबंध सभी दलों से होना चाहिए। वह ऐसे एकमात्र लोकसभा अध्यक्ष भी थे जिन्हें सर्वसम्मति से राष्ट्रपति चुने जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
नीलम संजीवा रेड्डी द्वारा राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए लोकसभा अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दिए जाने पर डॉ. गुरदयाल सिंह ढिल्लों को अगस्त 1969 में सर्वसम्मति से लोकसभा अध्यक्ष चुना गया। जब ढिल्लों इस पद के लिए निर्वाचित हुए तो वे उस समय तक लोकसभा के जितने अध्यक्ष हुए थे उनमें से सबसे कम उम्र के अध्यक्ष थे। कांग्रेस नेता ढिल्लों ने दो बार लोकसभा अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। पहला कार्यकाल अगस्त 1969 से मार्च 1971 तक और दूसरा मार्च 1971 से दिसंबर 1975 तक रहा।
ढिल्लों द्वारा अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दिए जाने के बाद रिक्त हुए पद पर जनवरी 1976 में बली राम भगत को पांचवीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया। कांग्रेस से आने वाले नेता का कार्यकाल मार्च 1977 को समाप्त हुआ था।
छठी लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में कावदूर सदानन्द हेगड़े का चुनाव किया गया। केएस हेगड़े का कार्यकाल जुलाई 1977 से जनवरी 1980 तक रहा। यह भी दिलचस्प था कि हेगड़े 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार निर्वाचित हुए और अपने प्रथम कार्यकाल के दौरान ही उन्हें लोकसभा अध्यक्ष का पद मिल गया।
डॉ. बलराम जाखड़ ने सातवीं लोकसभा के लिए अपने सर्वप्रथम निर्वाचन के तुरंत बाद अध्यक्ष पद हासिल किया। उन्हें लगातार दो बार लोकसभा अध्यक्ष चुना गया। कांग्रेस से आने वाले जाखड़ का पहला कार्यकाल जनवरी 1980 से जनवरी 1985 तक और जनवरी 1985 से दिसंबर 1989 तक रहा।
ओडिशा से आने वाले जनता दल के नेता रवि राय को दिसम्बर 1989 में नौवीं लोकसभा का अध्यक्ष चुना गया। हालांकि, रवि राय अध्यक्ष पद पर केवल करीब 15 महीने ही रहे। कांग्रेस नेता शिवराज विश्वनाथ पाटील 10वीं लोक सभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। पाटील का कार्यकाल जुलाई 1991 से मई 1996 तक रहा।
वर्षों की भारतीय संसदीय परंपरा से हटकर 11वीं लोकसभा ने विपक्ष के एक सदस्य पूर्णो अगितोक संगमा को सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित किया। उस वक्त भारत के 50 वर्षों के संसदीय इतिहास में वह ऐसे पहले सदस्य थे जिन्होंने विपक्ष में रहते हुए अध्यक्ष का पद संभाला। उस वक्त कांग्रेस नेता संगमा का स्पीकर के रूप में पी.ए. संगमा का कार्यकाल मार्च 1996 से मार्च 1998 तक था।
गन्ती मोहन चन्द्र बालायोगी को 12वीं लोक सभा का अध्यक्ष निर्वाचित होने और सर्वसम्मति से 13वीं लोक सभा का अध्यक्ष पुनः निर्वाचित होने का गौरव हासिल है। तेलुगूदेशम पार्टी सांसद बालायोगी ने मार्च 1998 में देश के राजनैतिक इतिहास के अत्यंत नाजुक दौर में लोकसभा अध्यक्ष के महत्वपूर्ण पद के लिए निर्वाचित हुए। टीडीपी उस समय गठबंधन सरकार का बाहर से समर्थन कर रही थी। उस समय किसी भी पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं था। बालायोगी इस पद पर आसीन होने वाले आज तक के सबसे कम आयु के व्यक्ति थे।
एक हेलीकाप्टर दुर्घटना में तत्कालीन लोक सभा अध्यक्ष जीएमसी बालायोगी की दुखद मृत्यु के बाद मनोहर जोशी मई 2002 में लोकसभा अध्यक्ष बने थे। शिवसेना से ताल्लुक रखने वाले जोशी जून 2004 तक पद पर बने रहे।
जून 2004 में 14वीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में सोमनाथ चटर्जी का सर्वसम्मति से निर्वाचन हुआ। यह पहली बार था जब सामयिक अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) का लोकसभा अध्यक्ष के रूप में निर्वाचन किया गया था। सोमनाथ चटर्जी माकपा से जुड़े थे।
उप-प्रधानमंत्री स्वर्गीय बाबू जगजीवन राम की पुत्री मीरा कुमार 2009 से 2014 तक लोकसभा की 15वीं अध्यक्ष रहीं। इस पद पर आसीन होने वाली वे पहली महिला थीं। मीरा कुमार कांग्रेस की सदस्य हैं। भाजपा की सुमित्रा महाजन 16वीं लोकसभा की अध्यक्ष थीं। वे इस पद पर आसीन होने वाली भारत की दूसरी महिला हैं। राजस्थान के कोटा से भाजपा के सांसद ओम बिड़ला 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे।
]]>उन्होंने यह दावा भी किया कि शिक्षण संस्थाओं पर भारतीय जनता पार्टी और उसके मातृत्व संगठन से जुड़े लोगों ने कब्जा कर लिया है और जब तक इस स्थिति को बदला नहीं जाता तब तक पेपर लीक होना बंद नहीं होंगे।
राहुल गांधी ने संवाददाताओं से कहा कि विपक्ष संसद के आगामी सत्र में इस मुद्दे को उठाएगा। उन्होंने कहा, “कहा जा रहा था कि नरेंद्र मोदी जी रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई रोक दी थी… लेकिन हिंदुस्तान में पेपर लीक को रोक नहीं पा रहे हैं या रोकना नहीं चाहते।”
राहुल गांधी ने दावा किया कि युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश में हुए ‘व्यापम’ घोटाले को पूरे देश में फैलाने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस नेता ने कहा, “मामले की जांच की जा रही है…कोई न कोई जिम्मेदार है। उन्हे पकड़ा जाना चाहिए।”
मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ को लेकर उपजे विवाद के बीच, शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द करने का बुधवार को आदेश दिया और मामले को गहन जांच के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपा है।
]]>गृह मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, NSG को अयोध्या में आतंकवाद विरोधी और अपहरण रोधी अभियानों का विशिष्ट दायित्व सौंपा जाएगा, जिसका काम NSG बखूबी कर रही है। सरकार अयोध्या में एनएसजी हब बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। वहीं, इस मामले में यूपी कांग्रेस चीफ अजय राय ने कहा कि अयोध्या भगवान का पवित्र स्थान है। इसकी पवित्रता बरकरार रखिए। अयोध्या के लोगों ने आपका (बीजेपी) साथ छोड़ दिया। आप वहां केवल मार्केटिंग और इवेंट करना चाहते हैं।
अयोध्या स्थित राम मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था को और चाक चौबंद करने की तैयारी की जा रही है। ऐसे में अब NSG की यूनिट अयोध्या में तैनात की जाएगी। सूत्रों का कहना है कि अयोध्या की सुरक्षा की संवेदनशीलता को देखते हुए ब्लैक कैट कमांडो तैनात किए जाएंगे। मालूम हो कि अभी तक राम मंदिर की सुरक्षा में तैनात PAC के जवानों को हर दो महीने में बदल दिया जाता है। राम मंदिर की सुरक्षा में पीएसी की 8 कंपनी यूपी एसएसएफ को दी गई हैं। एटीएस (ATS) की यूनिट भी अयोध्या में मौजूद रहती है।
]]>जानकारी के अनुसार आरएसएस नेता शांतनु सिन्हा ने बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय पर महिला के यौन शोषण का गंभीर आरोप लगाया है।
भाजपा के सोशल मीडिया प्रभारी अमित मालवीय की कानूनी टीम ने 8 जून को RSS सदस्य शांतनु सिन्हा को कानूनी नोटिस भेजा। पत्र में लिखा है, आरोपों की प्रकृति बेहद आपत्तिजनक है, क्योंकि वे मेरे मुवक्किल द्वारा कथित तौर पर किए गए यौन दुराचार का झूठा आरोप लगाते हैं। यह मेरे मुवक्किल की गरिमा और प्रतिष्ठा के लिए घातक है, जो अपने पेशेवर प्रोफाइल के आधार पर एक सार्वजनिक व्यक्ति हैं।
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, भाजपा नेता राहुल सिन्हा के संबंधी RSS सदस्य शांतनु सिन्हा ने कहा है कि भाजपा IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय घृणित गतिविधियों में लिप्त हैं। वह महिलाओं के यौन शोषण में लिप्त हैं। सिर्फ 5 सितारा होटलों में ही नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल के भाजपा कार्यालयों में भी। हम भाजपा से केवल यही चाहते हैं कि महिलाओं को न्याय मिले।
हकीकत यह है कि पीएम मोदी के शपथ ग्रहण के 24 घंटे से भी कम समय में भाजपा के एक बहुत ही प्रमुख पदाधिकारी, इसके आईटी सेल के प्रमुख के खिलाफ यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। आज हम अमित मालवीय को उनके पद से तत्काल हटाने की मांग करते हैं. यह एक अत्यंत प्रभावशाली पद है. यह शक्तिशाली पद है और इसकी कोई स्वतंत्र जांच नहीं हो सकती। कोई स्वतंत्र जांच नहीं हो सकती। जब तक उन्हें उनके पद से नहीं हटाया जाता, न्याय नहीं हो सकता।
]]>गौरतलब है कि कार्यसमिति की बैठक के बाद आज शाम कांग्रेस संसदीय दल की बैठक भी होने वाली है। संसदीय दल की बैठक में लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्य और राज्यसभा के सदस्य शामिल होंगे। बैठक में लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता पर चर्चा हो सकती है. गौरतलब है कि 18वीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 99 सीट जीती हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 52 सीट जीती थीं।
इधर CWC की बैठक से पहले ही कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी को संसदीय दल का नेता बनाने की मांग शुरू कर दी है। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा है कि हर बार चुनाव के बाद हमारी कांग्रेस वर्किंग कमेटी बैठक करती है और स्थिति का विश्लेषण करती है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का यह 5वां कार्यकाल है। वह एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता हैं। ऐसे में सभी नेताओं की राय है कि राहुल गांधी को संसदीय दल का नेता होना चाहिए।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में शामिल होने आए पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने कहा कि हमारी मांग रही है कि राहुल गांधी आगे आएं और सब कुछ संभालें। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अंतिम फैसला नेतृत्व को लेना है। राहुल गांधी को खुद फैसला करना है। इस दौरान उन्होंने बीजेपी और एनडीए पर हमला करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी को शपथ नहीं लेना चाहिए। राजा वारिंग ने कहा कि नरेंद्र मोदी 400 पार की बात कर रहे थे, लेकिन वो पूरा नहीं हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वो नरेंद्र मोदी की जगह होते तो शायद शपथ नहीं लेते।
CWC की बैठक से पहले राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग को लेकर दिल्ली में राहुल-प्रियंका सेना के अध्यक्ष जगदीश शर्मा प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि राहुल गांधी को सदन में नेता प्रतिपक्ष बनाया जाए। उन्होंने कहा कि सदन में नरेंद्र मोदी के खिलाफ राहुल गांधी ही खड़े हो सकते हैं। वहीं कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा है कि सब कुछ पार्टी आलाकमान की ओर से तय किया जाएगा। पूरे देश की मांग है कि राहुल गांधी विपक्ष के मुख्य नेता के रूप में सामने आएं। यह पद उपयुक्त है और वह एक भूमिका निभाएंगे।
]]>अधीर ने कहा कि इस सरकार से लड़ने के प्रयास में मैंने अपनी आय के स्रोतों की अनदेखी की है। मैं खुद को बीपीएल सांसद कहता हूं। राजनीति के अलावा मेरे पास कोई और कौशल नहीं है। इसलिए आने वाले दिनों में मेरे लिए मुश्किलें खड़ी होंगी और मुझे नहीं पता कि उनसे कैसे पार पाया जाये। चौधरी ने पुष्टि की कि वह अपना सांसद आवास खाली करने के लिए जल्द ही राजधानी जायेंगे। उन्होंने कहा कि मेरी बेटी एक छात्रा है और कभी-कभी अपनी पढ़ाई के लिए इस जगह का इस्तेमाल करती है। मुझे वहां एक नया घर ढूंढना होगा, क्योंकि मेरे पास कोई घर नहीं है।
चुनाव के बाद ममता बनर्जी की ‘I.N.D.I.A’ गठबंधन के साथ निकटता पर बात करते हुए श्री चौधरी ने कहा कि उन्होंने गठबंधन में तृणमूल की मौजूदगी पर कभी आपत्ति नहीं जतायी. हालांकि श्री चौधरी ने इस बात से सहमति जतायी कि उन्होंने ममता बनर्जी के साथ गठबंधन का विरोध करते हुए पार्टी हाईकमान के समक्ष अपनी बात रखी है, क्योंकि उनका मानना है कि यह राजनीतिक आत्महत्या के समान होगा। यह पूछे जाने पर कि क्या वह प्रदेश कांग्रेस प्रमुख के पद पर बने रहेंगे तो उन्होंने कहा, ‘मैंने चुनाव में अपनी हार स्वीकार कर ली है और पहले अपने नेताओं से इस पद के लिए मुझसे ज्यादा योग्य व्यक्ति को खोजने का आग्रह करते हुए अपना पद छोड़ना चाहता था। मैं सोनिया गांधी के अनुरोध पर रुका रहा, मुझे अभी तक अपने नेताओं की ओर से कोई फोन नहीं आया है। फोन आने पर मैं एक बार फिर पार्टी को अपनी इच्छा से अवगत कराऊंगा।
चौधरी ने कहा कि बहरमपुर में प्रचार के लिए किसी नेता को न भेजना पार्टी का विवेकाधिकार है और इस बारे में वह कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा, ‘जब राहुल गांधी की ‘पूरब-पश्चिम भारत जोड़ो यात्रा’ मुर्शिदाबाद पहुंची, तो हमने उसमें हिस्सा लिया। हमारे पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक बार मालदा में प्रचार किया, लेकिन बहरमपुर कभी नहीं आये। यह हमारे केंद्रीय नेतृत्व का फैसला था, जिसके बारे में मुझे कुछ नहीं कहना है.’ साल 1999 से बहरमपुर से सांसद चौधरी के लिए यह शायद सबसे कठिन चुनावी मुकाबला था, जिसमें उन्हें गुजरात के रहने वाले तृणमूल उम्मीदवार पठान से शिकस्त का सामना करना पड़ा।
]]>दिल्ली की सातों सीटों पर भाजपा और इंडी गठबंधन का सीधा मुकाबला है। ताजा आंकड़ों के अनुसार पूर्वी दिल्ली से हर्ष मल्होत्रा, नई दिल्ली से बांसुरी स्वराज, उत्तर पूर्व दिल्ली से मनोज तिवारी, उत्तर पश्चिम से योगेंद्र चंदोलिया, दक्षिणी दिल्ली से रामवीर सिंह बिधूड़ी, पश्चिम दिल्ली से कमलजीत सहरावत और चांदनी चौक सीट से प्रवीण खंडेलवाल आगे चल रहे हैं।
एक घंटे पहले सात सीटों में से तीन सीटों पर बढ़त का फासला बेहद कम था। चांदनी चौक सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी जेपी अग्रवाल आगे चल रहे थे। उल्लेखनीय है कि पिछले दो लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सात सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी।
]]>कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया था कि गृह मंत्री अमित शाह जिलाधिकारियों या कलेक्टरों को फोन कर रहे हैं और उन्हें खुलेआम डराने-धमकाने में लगे हैं. कांग्रेस महासचिव ने कुछ दिन पहले एक्स पर पोस्ट किया था, निवर्तमान गृहमंत्री जिला कलेक्टर से फोन पर बात कर रहे हैं। अब तक 150 अफसरों से बात हो चुकी है। अफसरों को इस तरह से खुल्लमखुल्ला धमकाने की कोशिश निहायत ही शर्मनाक है एवं अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा, याद रखिए कि लोकतंत्र जनादेश से चलता है, धमकियों से नहीं। जून 4 को जनादेश के अनुसार नरेन्द्र मोदी, अमित शाह व भाजपा सत्ता से बाहर होंगे एवं ‘इंडिया जनबंधन’ विजयी होगा। अफसरों को किसी प्रकार के दबाव में नहीं आना चाहिए व संविधान की रक्षा करनी चाहिए. वे निगरानी में हैं।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने सोमवार को विपक्ष को चुनौती दी कि वे उन आरोपों के साक्ष्य साझा करें जिनमें कहा गया है कि निर्वाचन अधिकारियों और जिलाधिकारियों को चुनाव प्रक्रिया को दूषित करने के लिए प्रभावित किया गया था, ताकि आयोग उनके खिलाफ कार्रवाई कर सके।
राजीव कुमार ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विपक्ष को मतगणना शुरू होने से पहले चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश करने वालों के बारे में भी आयोग को बताना चाहिए. राजीव कुमार ने कहा, आप अफवाह फैलाकर सभी को संदेह के घेरे में नहीं ला सकते। उन्होंने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आयोग ने चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने के किसी भी विदेशी प्रयास से निपटने के लिए तैयारी की थी, लेकिन ये आरोप देश के भीतर से ही आए हैं।
राजीव कुमार ने कहा, यह प्रक्रिया 70 सालों से चल रही है। हमने हर निर्वाचन अधिकारी/सहायक निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिए हैं। ये हमारे आदेश हैं और ये कोई मजाक नहीं है। सभी को हैंडबुक/नियमावली का पालन करने का निर्देश दिया गया है। कुमार ने स्वीकार किया कि निर्वाचन आयोग चुनाव प्रक्रिया के दौरान फैलाए गए शरारतपूर्ण विमर्श का मुकाबला करने में विफल रहा है।
]]>अध्ययन में कहा गया है, “बैरकपुर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार अर्जुन सिंह इस सूची में शीर्ष पर हैं, जिनके खिलाफ सबसे अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं।” सिंह के खिलाफ कुल 93 मामले दर्ज हैं, जबकि दूसरे स्थान पर बर्धवान-दुर्गापुर लोकसभा सीट से भाजपा के ही उम्मीदवार दिलीप घोष हैं, जिनके खिलाफ 27 मामले दर्ज हैं। इसके अलावा बनगांव से पार्टी उम्मीदवार शांतनु ठाकुर के खिलाफ 23, हुगली से उम्मीदवार लॉकेट चटर्जी के खिलाफ 22 और बालुरघाट से भाजपा उम्मीदवार एवं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं।
तृणमूल कांग्रेस के 42 उम्मीदवारों में से 11 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जबकि माकपा और कांग्रेस के क्रमशः नौ और तीन उम्मीदवार दागी हैं। विश्लेषण के मुताबिक 211 उम्मीदवारों ने पांचवी से 12वीं कक्षा तक की, जबकि 271 उम्मीदवारों ने स्नातक या इससे अधिक पढ़ाई की है। हलफनामों के विश्लेषण के मुताबिक 507 उम्मीदवारों में से 128 उम्मीदवारों ने अपनी संपत्ति एक करोड़ रुपये से अधिक घोषित की है।
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के सबसे अधिक 35 करोड़पति उम्मीदवार हैं। इसके बाद भाजपा का स्थान है जिसने 29 करोड़पति उम्मीदवार उतारे हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के 11, कांग्रेस के 10 और एसयूसीआई (सी) के तीन उम्मीदवारों ने भी अपनी संपत्ति एक करोड़ रुपये से अधिक बताई है। इनके अलावा 17 निर्दलीय और 23 अन्य उम्मीदवारों ने भी अपनी संपत्ति एक करोड़ रुपये से अधिक बताई है।
]]>पीएम मोदी को निशाने पर लेते हुए राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी ने अपने दस साल के शासन काल में 16 लाख करोड़ रुपया 22-25 लोगों को दिया है। मतलब उन्होंने 22 अरबपति उन्होंने बनाएं हैं, अगर आप अदाणी के शेयर प्राइस देखें तो पीएम मोदी के शपथ लेते ही उनका शेयर प्राइस बढ़ता जाता है. इसकी वजह यह है कि बाजार इस बात को जानता है कि मोदी जी हैं तो अदाणी को फायदा होगा।
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार देश से लोकतंत्र को समाप्त करना चाहती है. पीएम मोदी एक तानाशाह हैं और उनकी इच्छा यही है कि देश से लोकतंत्र को समाप्त किया जाए. इसके लिए वे देश के संविधान को भी नष्ट करना चाहते हैं। राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर जाति और धर्म की राजनीति करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि बीजेपी की सरकार सिर्फ और सिर्फ नफरत फैलाना चाहती है।
]]>गुवाहाटी: केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने तेलंगाना की कांग्रेस सरकार पर उन अश्लील क्लिपों पर कोई कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है, जिनमें कथित तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते और एनडीए उम्मीदवार प्रज्वल रेवन्ना को कई महिलाओं का यौन उत्पीड़न (Amit Shah on Prajwal Sex Scandal) करते दिखाया गया है।
आज सुबह पत्रकारों से बात करते हुए, श्री शाह ने कहा कि इस मुद्दे पर भाजपा का रुख स्पष्ट है – कि वह “मातृशक्ति” (माताओं या महिलाओं) के साथ है।
“भाजपा का रुख स्पष्ट है कि हम देश की ‘मातृशक्ति’ के साथ खड़े हैं। मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं कि सरकार किसकी है? सरकार कांग्रेस पार्टी की है। उन्होंने अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? हमारे पास नहीं है।” इस पर कार्रवाई करने के लिए क्योंकि यह राज्य की कानून-व्यवस्था का मुद्दा है, राज्य सरकार को इस पर कार्रवाई करनी होगी,” उन्होंने कहा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भाजपा मामले की जांच के पक्ष में है और बताया कि उनका गठबंधन सहयोगी जद (एस) भी पार्टी की बैठक में एक कदम उठाने के लिए तैयार है।
“यह बहुत गंभीर है, हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते। हम कांग्रेस से पूछना चाहते हैं कि सत्ता में होने के बावजूद सरकार ने अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की? प्रियंका (गांधी वाड्रा) जी को अपने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से पूछना चाहिए,” श्री ने कहा। शाह.
सुश्री गांधी ने पहले जद (एस) नेता से जुड़े सेक्स स्कैन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की थी।
कर्नाटक के हासन निर्वाचन क्षेत्र से मौजूदा सांसद प्रज्वल मौजूदा लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन जद (एस) ने इस मामले से भाजपा को दूर रखने की मांग की है।
उन्होंने एक पुलिस शिकायत में अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को ”छेड़छाड़” बताया है।
उनके निर्वाचन क्षेत्र में मतदान के एक दिन बाद शनिवार को उनके कथित वीडियो सामने आए। रविवार को वह जर्मनी के लिए रवाना हो गए, जहां उनके खिलाफ जांच चल रही थी।
]]>इस अभ्यास में एक आर्थिक और संस्थागत रिपोर्ट शामिल होगी, और यह समझने में एक “महत्वपूर्ण कदम” है कि पिछले कुछ वर्षों में समाज के विभिन्न वर्गों का विकास कैसे हुआ और सभी समूहों के लिए सामाजिक-आर्थिक न्याय और समानता सुनिश्चित करने के लिए क्या आवश्यक है, श्री गांधी ने संकेत दिया .
“यह मत सोचिए कि जाति जनगणना सिर्फ जातियों का सर्वेक्षण है। हम इसमें एक आर्थिक और संस्थागत सर्वेक्षण भी जोड़ेंगे। 70 वर्षों के बाद, यह एक महत्वपूर्ण कदम है, हमें इसका आकलन करना चाहिए कि अब स्थिति क्या है और हमें किस दिशा की आवश्यकता है” .लेने के लिए. हम इसे लागू करेंगे.”
श्री गांधी ने भी पीएम मोदी और उनकी भाजपा पर पलटवार करते हुए हंसते हुए कहा, “तो क्या आपको कांग्रेस का घोषणापत्र पसंद आया? आपने देखा होगा कि पीएम घबरा गए हैं… यह एक क्रांतिकारी घोषणापत्र है।”
कांग्रेस का दावा, पीएम मोदी डरे हुए हैं
इसके बाद कांग्रेस नेता ने देश के 90 प्रतिशत लोगों के लिए समानता सुनिश्चित करने के अपनी पार्टी के वादे से “डरने” के लिए प्रधान मंत्री पर पलटवार किया; वह अनुसूचित जाति और जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों जैसे हाशिए पर रहने वाले समूहों का जिक्र कर रहे थे, जिनमें से करोड़ों सबसे गरीब वर्गों में से हैं।
मार्च में कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस संदर्भ में कांग्रेस के उद्देश्य को रेखांकित किया था. यह इंगित करते हुए कि “भारत के सबसे गरीब 50 प्रतिशत को राष्ट्रीय आय का केवल 15 प्रतिशत मिलता है…” उन्होंने कहा कि कांग्रेस एकत्रित आंकड़ों का उपयोग सरकार के कल्याण कार्यक्रमों को बेहतर बनाने के लिए करेगी।
श्री गांधी ने घोषणा की, “90 प्रतिशत भारतीयों के साथ अन्याय हो रहा है। (लेकिन) जैसे ही मैंने इस अन्याय की जाँच करने और उसे ठीक करने का आह्वान किया, प्रधान मंत्री और भाजपा ने मुझ पर हमला करना शुरू कर दिया।”
“मनमोहन सिंह ने कहा कि मुसलमानों ने…”
धन और आय समानता सुनिश्चित करने के कांग्रेस के वादे पर विवाद राजस्थान के बांसवाड़ा में प्रधान मंत्री के चुनावी भाषण के बाद शुरू हुआ। अब चुनाव आयोग को दी गई टिप्पणियों में, श्री मोदी ने कहा था, “…कांग्रेस कहती है कि वे माताओं और बहनों के साथ सोने की गणना करेंगे…और उसे फिर से वितरित करेंगे…मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा कि मुसलमानों का पहला अधिकार है…
अपने आरोप का समर्थन करने के लिए, भाजपा ने पूर्व प्रधान मंत्री डॉ. सिंह का एक सरकारी निकाय की बैठक को संबोधित करते हुए एक पुराना वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने कहा कि एससी, एसटी और ओबीसी के साथ-साथ मुसलमानों सहित वंचित वर्गों को “समान रूप से साझा करने के लिए सशक्त होना चाहिए” “विकास के फल में”।
प्रधान मंत्री की टिप्पणियाँ – कुछ दिनों बाद दोहराई गईं – ने बड़े पैमाने पर तूफान खड़ा कर दिया, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने उन पर घोषणापत्र के बारे में “झूठ” फैलाने का आरोप लगाया।
ऐसा तब हुआ जब श्री मोदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र को “मुस्लिम लीग छाप” करार दिया।
सैम पित्रोदा की विरासत कर पंक्ति
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, श्री पित्रोदा ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “(प्रधानमंत्री के लिए) यह कहना कि वे (उनकी पार्टी) आपका सोना चुरा लेंगे… आप खुद ही कहानियां बना रहे हैं।”
उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका का एक उदाहरण दिया – विरासत कर – जो कहता है कि बड़ी वित्तीय विरासत का एक हिस्सा सरकार द्वारा लिया जाता है। उन्होंने कहा, “(क़ानून) कहता है कि आपने, अपनी पीढ़ी में, संपत्ति बनाई… और आपको अपनी संपत्ति जनता के लिए छोड़नी होगी… इसका आधा हिस्सा, जो उचित लगता है।”
भाजपा ने कांग्रेस पर अपने हमले को फिर से शुरू करने के लिए श्री पित्रोदा की टिप्पणी – पहले से ही तनावपूर्ण चुनावी मौसम में गोला-बारूद का स्वागत किया – पर हमला किया। गृह मंत्री अमित शाह ने अपने प्रतिद्वंद्वी पर निशाना साधते हुए दावा किया कि इसका मतलब है कि कांग्रेस किसी व्यक्ति की 55 प्रतिशत संपत्ति जब्त करना और उसे फिर से वितरित करना चाहती है।
I mentioned US inheritance tax in the US only as an example in my normal conversation on TV. Can I not mention facts ? I said these are the kind of issues people will have to discuss and debate. This has nothing to do with policy of any party including congress.
— Sam Pitroda (@sampitroda) April 24, 2024
श्री पित्रोदा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए अपनी टिप्पणी को स्पष्ट किया है, “मैंने टीवी पर अपनी सामान्य बातचीत में केवल एक उदाहरण के रूप में अमेरिका में अमेरिकी विरासत कर का उल्लेख किया था। क्या मैं तथ्यों का उल्लेख नहीं कर सकता?”उन्होंने ध्यान भटकाने के लिए ”गोदी मीडिया” पर पलटवार करते हुए कहा, ”मैंने कहा कि ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर लोगों को चर्चा और बहस करनी होगी। इसका कांग्रेस सहित किसी भी पार्टी की नीति से कोई लेना-देना नहीं है।”
Who said 55% will be taken away ? Who said some thing like this should be done in India ? Why is BJP and media in panic ?
— Sam Pitroda (@sampitroda) April 24, 2024
“किसने कहा कि 55 प्रतिशत छीन लिया जाएगा? किसने कहा कि ऐसा कुछ भारत में किया जाना चाहिए? भाजपा और मीडिया क्यों घबराए हुए हैं?… (मेरे शब्दों को) इस बात से ध्यान हटाने के लिए तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है कि प्रधानमंत्री क्या झूठ बोल रहे हैं कांग्रेस के घोषणापत्र के बारे में सोना छीनने के बारे में टिप्पणियाँ फैलाना बिल्कुल अवास्तविक है।”
पित्रोदा से कांग्रेस की राह आसान
लगातार पस्त होती जा रही कांग्रेस ने श्री पित्रोदा की टिप्पणी से खुद को दूर रखने की कोशिश की है, लेकिन कहा है कि पूरे विवाद ने यह रेखांकित कर दिया है कि प्रधानमंत्री और भाजपा कितने परेशान हैं।
पार्टी प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा, ”श्री पित्रोदा उन मुद्दों पर स्वतंत्र रूप से अपनी राय व्यक्त करते हैं जिनके बारे में वे दृढ़ता से महसूस करते हैं… इसका मतलब यह नहीं है कि उनके विचार हमेशा कांग्रेस की स्थिति को दर्शाते हैं।” उन्होंने भाजपा पर ”हताशतापूर्ण” टिप्पणियों को ”सनसनीखेज” बनाने का आरोप लगाया श्री नरेंद्र मोदी के दुर्भावनापूर्ण और शरारती चुनाव अभियान से ध्यान हटाने का प्रयास”।
Sam Pitroda has been a mentor, friend, philosopher, and guide to many across the world, including me. He has made numerous, enduring contributions to India's developments. He is President of the Indian Overseas Congress.
Mr Pitroda expresses his opinions freely on issues he…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) April 24, 2024
धन के पुनर्वितरण और श्री पित्रोदा को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच यह खींचतान तब हुई है जब देश लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की तैयारी कर रहा है। मतदान शुक्रवार को होगा, इसके बाद पांच और चरण होंगे। पहला चरण 19 अप्रैल को था. नतीजे 4 जून को घोषित किए जाएंगे.
]]>चुनाव आयोग को मथुरा से दो बार की सांसद मालिनी पर की गई टिप्पणी को लेकर सुरजेवाला के खिलाफ एक लिखित शिकायत मिली थी।
इस महीने की शुरुआत में, कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रभारी सुप्रिया श्रीनेत को भाजपा उम्मीदवार और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ उनकी टिप्पणी के लिए शीर्ष चुनाव निकाय ने फटकार लगाई थी।
महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों पर कड़ा रुख अपनाते हुए, सुरजेवाला को चुनाव आयोग के नोटिस में राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के भाग I सामान्य आचरण के खंड (2) का जिक्र किया गया है, जिसमें कहा गया है, “पार्टियां और उम्मीदवार आलोचना से दूर रहेंगे।” निजी जीवन के सभी पहलू, अन्य दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं की सार्वजनिक गतिविधियों से जुड़े नहीं…”
चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता, 2019 पर मैनुअल के पैरा 3.8.2 (ii) का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है, “किसी को भी ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए या ऐसा कोई बयान नहीं देना चाहिए जो किसी भी व्यक्ति के निजी जीवन पर हमला या ऐसा बयान दे। दुर्भावनापूर्ण होना या शालीनता और नैतिकता को ठेस पहुँचाना।”
“आगे यह आरोप लगाया गया है कि आपके द्वारा की गई निम्नलिखित टिप्पणियों से न केवल श्रीमती का बहुत अपमान हुआ है। चुनाव आयोग ने सुरजेवाला को लिखा, हेमा मालिनी और संसद सदस्य के रूप में उनके पद का अनादर, बल्कि सभी महिला विधायकों और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं का भी अपमान किया गया।
चुनाव आयोग ने कहा, “सावधानीपूर्वक जांच करने पर, टिप्पणियां अत्यधिक अशोभनीय, अश्लील और असभ्य पाई गईं और आदर्श आचार संहिता के उपरोक्त प्रावधानों और आयोग की 1ª मार्च 2024 की उपर्युक्त सलाह का प्रथम दृष्टया उल्लंघन किया गया।” .
चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता को ‘सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत सरकार और अन्य’ मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की याद दिलाई, जिसमें कहा गया था, “यदि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) द्वारा संरक्षित है, प्रतिष्ठा का अधिकार भी अनुच्छेद 21 द्वारा संरक्षित जीवन के अधिकार का एक अभिन्न अंग माना जाता है और इन दोनों अधिकारों को संतुलित करना एक संवैधानिक आवश्यकता है।
श्रीनेत के बाद कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता द्वारा अमर्यादित बयान की एक और घटना पर नाराजगी व्यक्त करते हुए चुनाव आयोग ने खड़गे से कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आयोग द्वारा आपके स्तर पर इसे पार्टी के संज्ञान में लाने के बावजूद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रचारक अभी भी इसमें शामिल हैं।” ऐसे कथन जो महिलाओं के सम्मान और प्रतिष्ठा के प्रतिकूल हों।
केरल के 83 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने मीडिया को संबोधित करने के लिए अपने स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को एक तरफ रख दिया है क्योंकि उन्हें लगा कि उन्हें बाहर आना होगा और अपना रुख स्पष्ट करना होगा क्योंकि यह “भारत और उसके विचार की रक्षा” का चुनाव है। संविधान।” एके एंटनी, जो भारत के सबसे लंबे समय तक सेवारत रक्षा मंत्री भी हैं, ने कहा, “यह करो या मरो की लड़ाई है।”
उन्होंने कांग्रेस पार्टी के लिए प्रचार के लिए तिरुवनंतपुरम से बाहर नहीं जाने का कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का हवाला दिया और कहा कि भले ही वह पथानामथिट्टा में प्रचार के लिए नहीं गए, लेकिन एंटो एंटनी पूर्ण बहुमत से जीतेंगे।
श्री एंटनी ने कहा, “मेरे लिए, परिवार और राजनीति अलग-अलग हैं। यह रुख नया नहीं है; मैंने केएसयू में अपने दिनों से ही इसे बरकरार रखा है।” केरल छात्र संघ (केएसयू) केरल में कांग्रेस का छात्र संगठन है।
अपने बेटे की राजनीति के बारे में बार-बार पूछे गए सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए एके एंटनी ने कहा, “कांग्रेस मेरा धर्म है”।
अपने पिता की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, अनिल एंटनी ने कहा कि कांग्रेस में पुराने नेता हैं और उन्हें मौजूदा सांसद और कांग्रेस सदस्य एंटो एंटनी का समर्थन करने के लिए केवल उनके पिता, पूर्व रक्षा मंत्री के प्रति सहानुभूति है, जिन्होंने हाल ही में पुलवामा पर बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया था। आतंकवादी हमला।
पत्रकारों से बात करते हुए अनिल ने आगे कहा कि वे खुद पथानामथिट्टा में जीत हासिल करेंगे.
एके एंटनी का रुख कांग्रेस के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है, क्योंकि अनिल और दिवंगत कांग्रेस नेता के करुणाकरण की बेटी पद्मजा वेणुगोपाल के केरल में भाजपा में चले जाने के बाद पार्टी बचाव की मुद्रा में है।
एके एंटनी के राजनीतिक विरोधियों के कुछ हलकों से आरोप लगाए गए थे कि अनिल एंटनी अपने परिवार के मौन आशीर्वाद से भाजपा में चले गए थे, खासकर उनकी मां एलिजाबेथ एंटनी के एक वीडियो के बाद, जिसमें उन्होंने एक चर्च की बैठक में बोलते हुए कहा था कि वह उनके बेटे को जानती हैं। बीजेपी में शामिल होने की बात सामने आई
कोविड-19 के बाद अपनी एक लंबी प्रेस कॉन्फ्रेंस में, श्री एंटनी ने केरल में भाजपा और वाम मोर्चा सरकार पर निशाना साधा और दोहराया कि लोगों को भारत को ‘पुनर्निर्माण’ करने और भारतीय संविधान की भावना की रक्षा के लिए कांग्रेस के पीछे क्यों एकजुट होना चाहिए।
एंटनी ने कहा, “जो पार्टी केंद्र में शासन कर रही है वह भारत की अवधारणा को नष्ट करने की कोशिश कर रही है और महत्वपूर्ण सवाल यह है कि इस खतरे को कैसे रोका जाए।”
उन्होंने कहा कि केरल में बीजेपी के सुनहरे साल पहले ही खत्म हो चुके हैं और एनडीए राज्य के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में तीसरे स्थान पर रहेगा।
श्री एंटनी ने कहा, “कृपया इसे लिख लें और रख लें। वे केरल के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में तीसरे स्थान पर रहेंगे।”
उन्होंने कहा कि सबरीमाला महिलाओं के प्रवेश विवाद के कारण 2019 के आम चुनावों के दौरान भाजपा का स्वर्ण युग था, और वे कुछ अतिरिक्त वोट हासिल कर सकते थे।
एंटनी ने कहा, “इस साल ऐसा कोई कारक नहीं है जो बीजेपी के पक्ष में हो और उन्हें वोट का प्रतिशत कम मिलेगा।”
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन पर कटाक्ष करते हुए, श्री एंटनी ने कहा कि न तो विजयन और न ही उनकी पार्टी का भारत के संविधान के निर्माण से कोई लेना-देना है, और इसके निर्माण का पूरा श्रेय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और डॉ अंबेडकर को जाता है।
श्री एंटनी ने आरोप लगाया, “उनकी पार्टी (कम्युनिस्ट) ने दावा किया कि भारत को जो आजादी मिली वह आजादी नहीं थी और उन्होंने कलकत्ता थीसिस के माध्यम से नेहरू सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का आह्वान किया।”
“कलकत्ता थीसिस” 1948 में कलकत्ता में आयोजित दूसरे कांग्रेस के दौरान भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) द्वारा तैयार किए गए एक दस्तावेज़ को संदर्भित करता है। इस थीसिस में जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली भारत सरकार के खिलाफ सशस्त्र क्रांति की रणनीति की वकालत की गई थी।
श्री एंटनी ने कहा कि यह कांग्रेस की प्रचंड बहुमत वाली संविधान समिति थी जिसने बी आर अंबेडकर की मदद से संविधान बनाया, और पिनाराई विजयन को संविधान की रक्षा के लिए आह्वान करते हुए कांग्रेस की आलोचना करने का कोई अधिकार नहीं है।
उन्होंने लोगों से नरेंद्र मोदी और आरएसएस के शासन को खत्म करने के लिए कांग्रेस को वोट देने का आह्वान किया।
एंटनी ने कहा, “अगर बीजेपी सत्ता में आती है, तो भारत के संविधान को नष्ट कर दिया जाएगा और यह लोकतंत्र का अंत होगा। हमें उस खतरे को दूर करने की जरूरत है।”