Read Bengali: ভাতারে ১৪ একর খাস জমির দখল নিল সিপিআইএম
सीपीआईएम की अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में स्थानीय कुछ भूमिहीन परिवारों के सदस्यों ने जुलूस निकालकर इस जमीन पर कब्जा किया। सीपीआईएम का दावा है कि वामपंथी शासनकाल में इस 14 एकड़ जमीन को सैकड़ों भूमिहीन परिवारों के बीच पट्टा के रूप में बांटा गया था। लेकिन पिछले तीन वर्षों से कुछ स्थानीय लोग, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के समर्थन से, इस जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर चुके हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने गलत तरीके से जमीन का रिकॉर्ड भी बदल लिया। यहां तक कि इस जमीन का कुछ हिस्सा विभिन्न संगठनों को बेच भी दिया गया।
लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अदालत के निर्देश पर यह जमीन फिर से सरकार के खातों में दर्ज हो चुकी है। सीपीआईएम का कहना है कि यह जमीन मूल रूप से भूमिहीन आदिवासी परिवारों के लिए आवंटित की गई थी। इसलिए, उन्होंने आदिवासियों के साथ मिलकर इस जमीन पर फिर से कब्जा किया। सीपीआईएम के स्थानीय नेता अमित मंडल ने कहा, “यह जमीन भूमिहीनों का अधिकार है। हमने केवल उनका हक वापस दिलाया है। सत्तारूढ़ दल के समर्थन से जमीन हड़पने की इस प्रवृत्ति को हम और बर्दाश्त नहीं करेंगे।” उन्होंने आगे कहा कि यह केवल शुरुआत है। भूमिहीनों के अधिकारों की रक्षा के लिए वे और आंदोलन चलाएंगे।
स्थानीय आदिवासी परिवार इस घटना से उत्साहित हैं। काशीपुर के निवासी रामू मुर्मू ने कहा, “यह जमीन हमारे पूर्वजों के समय से हमारी थी। लेकिन कुछ लोगों ने जबरन इसे हड़प लिया था। आज हमें हमारा हक वापस मिला है।” उन्होंने सीपीआईएम के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि वे इस जमीन पर फिर से खेती शुरू करना चाहते हैं।
दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उनका दावा है कि यह सरकारी जमीन है और अभी भी सरकार के अधीन है। तृणमूल के स्थानीय नेता सुजीत घोष ने कहा, “सरकार नियमित रूप से भूमिहीनों को पट्टा बांट रही है। सीपीआईएम का इस मामले में क्या स्वार्थ है, यह समझ से परे है। दरअसल, चुनाव से पहले वे जमीन पर पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं।” उन्होंने आगे आरोप लगाया कि सीपीआईएम इस तरह की घटनाओं के जरिए क्षेत्र में अशांति फैलाना चाहता है।
इस घटना से क्षेत्र में तनाव फैल गया है। स्थानीय प्रशासन ने कहा है कि वे स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए तत्पर हैं। भातार थाने के ओसी अजय सेन ने कहा, “हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए हम सतर्क हैं।” उन्होंने आगे बताया कि जमीन के मालिकाना हक को लेकर विवाद को अदालत के निर्देशों के अनुसार सुलझाया जाएगा।
यह घटना पूर्वी बर्दवान में राजनीतिक टकराव को नया आयाम दे रही है। एक ओर सीपीआईएम अपने पुराने गढ़ को पुनः स्थापित करने के लिए आंदोलन तेज कर रहा है, वहीं तृणमूल इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई के रूप में देख रहा है। स्थानीय निवासी अब इस विवाद के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं।
]]>Read Bengali: চা বলয়ে এক নৌকায় বাম-কংগ্রেস-বিজেপি! মুছে গেল তৃণমূল
उत्तर धूपझोड़ कार्यालय में जब बोर्ड का गठन हुआ, तो इलाके में जश्न का माहौल छा गया। समर्थक लाल और भगवा गुलाल लगाकर खुशी जाहिर करते नजर आए।
भाजपा के पूर्व समतल मंडल अध्यक्ष मजनुल हक ने कहा, “यह बोर्ड तृणमूल सरकार के खिलाफ जनता की भावना और विपक्ष की एकजुटता का प्रतीक है। तृणमूल कोई पैनल नहीं दे सकी, इसका मतलब है जनता अब बदलाव चाहती है।”
वाम नेता दिनेश राय और कांग्रेस समर्थित सदस्य सफिरउद्दीन अहमद ने संयुक्त रूप से कहा, “यह केवल राजनीतिक गठजोड़ नहीं है, बल्कि किसानों के हित में उठाया गया कदम है। सभी फैसले सामूहिक रूप से लिए जाएंगे।”
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस ने इस पूरी प्रक्रिया को अवैध करार दिया है। पार्टी की माटियाली ब्लॉक अध्यक्ष स्नोमिता कालांदी ने आरोप लगाया, “इस आम सभा की जानकारी अधिकतर सदस्यों को नहीं दी गई थी। यह पूरा बोर्ड गठन नियमों के खिलाफ है। हम इसे उच्च सहकारिता विभाग के संज्ञान में ला रहे हैं।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि माटियाली का यह उदाहरण बताता है कि अगर विपक्ष मिलकर लड़े तो तृणमूल जैसे मजबूत किले में भी सेंध लगाई जा सकती है।
वरिष्ठ पत्रकार सौरभ मुखर्जी के अनुसार, “तृणमूल के गढ़ में विपक्ष की यह चुपचाप जीत एक बड़ा संकेत है। आने वाले पंचायत या सहकारी चुनावों में ऐसे गठबंधन और मजबूत हो सकते हैं।”
माटियाली में तृणमूल की अनुपस्थिति और विपक्षी गठबंधन की सफलता राज्य की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकती है। अब देखना होगा कि यह प्रयोग कितना दूर तक असर डालता है।
]]>This is the ugly face of Mamata Banerjee’s rule in West Bengal.
The guy in the video, who is beating up a woman mercilessly, is Tajemul (popular as JCB in the area). He is famous for giving quick justice through his ‘insaf’ sabha and is a close associate of Chopra MLA Hamidur… pic.twitter.com/fuQ8dVO5Mr
— Amit Malviya (@amitmalviya) June 30, 2024
पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था को लेकर अब सवाल उठने लगा है। राज्य में गुंडे-उपद्रवियों की हिम्मत इस कदर बढ़ गई है कि पुलिस का कोई डर नहीं रह गया है। लोकसभा चुनाव का रिजल्ट जारी होने के बाद से बंगाल के अधिकांश जिलों में हिंसा की कई खबरें आई। अब ताजा मामला उत्तर दिनाजपुर का बताया जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में एक महिला और एक पुरुष को एक व्यक्ति बेरहमी से लाठियों से पीट रहा है। आस-पास भीड़ मौजूद है लेकिन कोई लोग देख रहे हैं। इस तालिबानी सजा को इलाके में ‘इंसाफ सभा’ कहा जाता है।
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने इस घटना का वीडियो शेयर कर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट किया है। मालवीय के मुताबिक आरोपी का संबंध लक्ष्मीकांतपुर चोपड़ा विधायक हमीदुर रहमान से है। हमीदुर TMC से विधायक हैं। आरोपी व्यक्ति हमीदुर का करीबी बताया जा रहा है। आरोपी का नाम तजमुल (इलाके में जेसीबी के नाम से मशहूर) है। लक्ष्मीकांतपुर के चोपड़ा इलाके में तजमुल तालिबानियों की तरह इंसाफ सभा चलाता है और लोगों को लाठियों से बेरहमी से पीटता है।
अपने ट्वीट में अमित मालवीय ने आगे लिखा कि देश को TMC द्वारा संचालित पश्चिम बंगाल में शरिया अदालतों की वास्तविकता से अवगत होना चाहिए। हर गांव में एक संदेशखाली है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी महिलाओं के लिए अभिशाप हैं। उन्होंने आगे लिखा कि बंगाल में कानून-व्यवस्था का नामोनिशान नहीं है। क्या ममता बनर्जी इस गुडे के खिलाफ कार्रवाई करेंगी या शेख शाहजहां की तरह उसका बचाव करेंगी?
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इसी तरह से सीपीएम उम्मीदवार सृजन बनर्जी के खिलाफ भी तृणमूल कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया है। पुलिस के हस्तक्षेप से सृजन किसी तरह वहां से निकल सके। उन्होंने आरोप लगाया कि बूथ के 100 मीटर के दायरे में बड़ी संख्या में लोग जमा थे। उन्होंने पुलिस को भीड़ हटाने को कहा था। इसके बाद गुस्साए तृणमूल कार्यकर्ताओं ने उन्हें घेर लिया और प्रदर्शन करने लगे।
जादवपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत बारुईपुर पूर्व विधानसभा के अंतर्गत हिमची प्राथमिक विद्यालय के बूथ संख्या 153, 154, 155 और 156 के बाहर तनाव का माहौल है। सीपीएम प्रत्याशी के एजेंट को बैठने से रोकने का आरोप तृणमूल पर है। दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं का दावा है कि चुनाव शांतिपूर्ण चल रहा है, लेकिन सीपीएम उम्मीदवार सृजन आकर तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
]]>अध्ययन में कहा गया है, “बैरकपुर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार अर्जुन सिंह इस सूची में शीर्ष पर हैं, जिनके खिलाफ सबसे अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं।” सिंह के खिलाफ कुल 93 मामले दर्ज हैं, जबकि दूसरे स्थान पर बर्धवान-दुर्गापुर लोकसभा सीट से भाजपा के ही उम्मीदवार दिलीप घोष हैं, जिनके खिलाफ 27 मामले दर्ज हैं। इसके अलावा बनगांव से पार्टी उम्मीदवार शांतनु ठाकुर के खिलाफ 23, हुगली से उम्मीदवार लॉकेट चटर्जी के खिलाफ 22 और बालुरघाट से भाजपा उम्मीदवार एवं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं।
तृणमूल कांग्रेस के 42 उम्मीदवारों में से 11 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जबकि माकपा और कांग्रेस के क्रमशः नौ और तीन उम्मीदवार दागी हैं। विश्लेषण के मुताबिक 211 उम्मीदवारों ने पांचवी से 12वीं कक्षा तक की, जबकि 271 उम्मीदवारों ने स्नातक या इससे अधिक पढ़ाई की है। हलफनामों के विश्लेषण के मुताबिक 507 उम्मीदवारों में से 128 उम्मीदवारों ने अपनी संपत्ति एक करोड़ रुपये से अधिक घोषित की है।
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के सबसे अधिक 35 करोड़पति उम्मीदवार हैं। इसके बाद भाजपा का स्थान है जिसने 29 करोड़पति उम्मीदवार उतारे हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के 11, कांग्रेस के 10 और एसयूसीआई (सी) के तीन उम्मीदवारों ने भी अपनी संपत्ति एक करोड़ रुपये से अधिक बताई है। इनके अलावा 17 निर्दलीय और 23 अन्य उम्मीदवारों ने भी अपनी संपत्ति एक करोड़ रुपये से अधिक बताई है।
]]>उन्होंने बताया कि कल एक रैली निकाली गई थी इसके बाद से इसके बाद यह घटना सामने आई है। घरों में घुसकर लोगों के बंदूक के नोक पर धमकी दी गई है कि माकपा उम्मीदवार के समर्थन में पोस्टर क्यों लग रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे साफ है कि तृणमूल कांग्रेस काफी डरी हुई और भयभीत है।
इस मामले की प्राथमिक की थाने में दर्ज कराया गया कराई गई है। पुलिस से मांग की गई है की पूरी मामले की जांच कर आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाये।
]]>জেলায় জেলায় চলছে সংঘর্ষ। পূর্ব বর্ধমানের গ্রামাঞ্চলে বাম বনাম তৃ়ণমূলের সংঘর্ষ চরমে। জেলার সগড়াইতে সিপিআইএম সমর্থকরা বাঁশপেটা করল তৃ়ণমূল ও পুলিশকে। বাম সমর্থকদের হাতে মার খেয়ে পালাচ্ছে পুলিশ ও টিএমসি এমন দৃশ্য রাজ্যে গত একযুগে প্রায় বিরল। তবে পঞ্চায়েত গণনার দিন তেমনই ছবি দেখা গেল। সগড়াইতে প্রবল সংঘর্ষ চলছে।
মন্তেশ্বর, কেতুগ্রাম, মঙ্গোলকোট, আউসগ্রাম, রায়না, খণ্ডোঘোষ, কাটোয়া, কালনায় বাম বনাম তৃ়নমূল সংঘর্ষে একাধিক জখম। পঞ্চায়েত ভোট পর্বে এই জেলায় তিনজন নিহত। দুজন সিপিআইএম সমর্থক ও একজন তৃ়নমূল সমর্থক। এদিন গণনায় জখম একাধিক। দুই শিবিরের কয়েকজন গুরুতর। জখম।
কড়া নিরাপত্তা বলয়ে রাজ্যের ২২টি জেলার ৩৩৯টি কেন্দ্রে চলছে ভোট গণনা৷ প্রতিটি গণনা কেন্দ্রে রয়েছে এক কোম্পানি কেন্দ্রীয় বাহিনী। জেলায় জেলায় গণনাকেন্দ্র যেন যুদ্ধক্ষেত্র৷ বাঙ্কার বানিয়ে পাহারা দিতে দেখা গেল কেন্দ্রীয় বাহিনীর জওয়ানদের। তবে বেশিরভাগ গণনা কেন্দ্র ঘিরে চলছে সংঘর্ষ।
কেন্দ্রীয় বাহিনীর ঘেরাটোপে চলবে গণনা। জেলায় জেলায় রাজনৈতিক পারদ চড়ছে। ফলাফল ঘোষণার আগেই বিজয় উৎসবের বার্তা দিয়ে রেখেছে শাসকদল তৃণমূল কংগ্রেস। রাজনৈতিক বিশ্লেষকরা নজর রেখেছেন, বিরোধীদের ভোট প্রাপ্তির দিকে। নজরে থাকছে বিধানসভায় বিরোধী দল বিজেপি নাকি বর্তমান বিধানসভায় না থাকা পূর্বতন দুই শাসক দল কংগ্রেস ও সিপিআইএম জোট-কোন পক্ষ গ্রামাঞ্চলে নিজেদের শক্তি দেখাল।
]]>তবে নদিয়ার বিটহুদা গ্রাম পঞ্চায়েতে তৃণমূলের অঙ্কটা ভিন্ন। একটাও আসনে জিততে পারেনি টিএমসি। নদিয়া চাপড়া ব্লক বিটহুদা গ্রাম পঞ্চায়েতে তৃণমূল শূন্য। জোর টক্কর দিয়ে ১১ টি আসনে জয়ী সিপিআইএম।
নদিয়া চাপড়া ব্লক বিটহুদা গ্রাম পঞ্চায়েতে সিপিআইএম ১১ আসন টিএমসি ০, পঞ্চায়েত cpim জয় করল।
পঞ্চায়েতের মনোনয়ন জমা, নির্বাচন, পুনর্নির্বাচনকে ঘিরে উত্তপ্ত হয়ে উঠে গোটা রাজ্য। দিকে দিকে সন্ত্রাস এবং মৃত্যুমিছিল। ভোট পর্বে রাজ্য মৃতের সংখ্যা ৪১।
কড়া নিরাপত্তা ব্যবস্থার মধ্যে দিয়েই সকাল ৮ টায় শুরু হয়েছে ভোট গণনা। গণনাকেন্দ্রের ধারেকাছে জমায়েতের উপর নিষেধাজ্ঞা রয়েছে। প্রত্যেক কেন্দ্রে মোতায়েন করা হয়েছে এক কোম্পানি কেন্দ্রীয় বাহিনী।
প্রথমে হবে গ্রাম পঞ্চায়েতের গণনা, তারপর পঞ্চায়েত সমিতি এবং শেষে জেলাই পরিষদের। ৩৩৯ টি কেন্দ্রে গণনা চলছে।
রক্তাক্ত পঞ্চায়েত ভোটের গণনা শুরু। গ্রাম বাংলার রায় ব্যালটবাক্স বন্দি। সেই ব্যালট গণনার সর্বশষ ফলাফল আসতে রাত হয়ে যাবে। চূড়ান্ত ফলাফল তারও পরে। তবে এসবের মধ্যে একটি প্রশ্ন ও একটি আশঙ্কা প্রবল। প্রথমত গ্রামাঞ্চলে বিরোধী পক্ষ কারা? দ্বিতীয়ত কেন্দ্রীয় নিরাপত্তায় গণণা হলেও গণনা কেন্দ্রের বাইরে খুন হবে না তো?
কেন্দ্রীয় বাহিনীর ঘেরাটোপে চলবে গণনা। জেলায় জেলায় রাজনৈতিক পারদ চড়ছে। ফলাফল ঘোষণার আগেই বিজয় উৎসবের বার্তা দিয়ে রেখেছে শাসকদল তৃণমূল কংগ্রেস। রাজনৈতিক বিশ্লেষকরা নজর রেখেছেন, বিরোধীদের ভোট প্রাপ্তির দিকে। নজরে থাকছে বিধানসভায় বিরোধী দল বিজেপি নাকি বর্তমান বিধানসভায় না থাকা পূর্বতন দুই শাসক দল কংগ্রেস ও সিপিআইএম জোট-কোন পক্ষ গ্রামাঞ্চলে নিজেদের শক্তি দেখাল।
নির্বাচন কমিশন সূত্রে খবর প্রতিটি গণনাকেন্দ্রে থাকবে ত্রিস্তরীয় নিরাপত্তার বলয়। প্রতিটি জেলায় এক কোম্পানি কেন্দ্রীয় বাহিনী ও সঙ্গে রাজ্য পুলিসের সশস্ত্র বাহিনী থাকবে।সিসিটিভির নজরদারিতে হবে গণনা। গণনা কেন্দ্রেও সংঘর্ষের আশঙ্কা থাকছে। ভোট পরবর্তী সংঘর্ষে রক্তাক্ত পরিস্থিতির তীব্র আশঙ্কা।
তিস্তা তীর থেকে রায়মঙ্গলের তীর পর্যন্ত পঞ্চায়েত ভোট আগেও রক্তাক্ত হয়েছে এবারও তার ব্যতিক্রম নয়। গ্রাম বাংলার গরম মেজাজের ভোট। ২০২৩ এর পঞ্চায়েত ভোটে একের পর এক রাজনৈতিক খুন, বোমা হামলা, গ্রাম দখলের রাজনৈতিক সংঘর্ষে সবকটি জেলা উত্তপ্ত।রক্তাক্ত ও অগ্নিগর্ভ পরিস্থিতি নিয়ে উদ্বিগ্ন রাজ্যপাল সি ভি আনন্দ বোস দিল্লি গিয়ে কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী অমিত শাহর সাথে বৈঠক করেন। শাসকদল তাঁকে বিজেপির দালাল বলেছে। আর রাজ্যপালের নিশানায় রাজ্য নির্বাচন কমিশনার রাজীব সিনহা। তবে কমিশনের সমালোচনা করছেন রাজ্যপালও বিতর্কে জড়িয়েছেন। কারণ, তিনিই রাজীব সিনহার নামে শিলমোহর দেন।
]]>এ যেন পঞ্চায়েত ভোট নয় বরং নির্বাচনের উৎ’শব’। যেখানে একের পর এক পরছে মানুষের লাশ। কোথাও বোমা ফেটে, আবার কোথাও গুলিবিদ্ধ হয়ে। চারিদিকে শুধু হাহাকার। আর স্বজন হারার কান্না। খালি হয়েছে বহু মায়ের কোল স্বামীহারা হয়েছে ঘরের বউ। আবার বাবা হারা হয়েছে বহু সন্তান।
গত ৮ জুলাই পঞ্চায়ে নির্বাচন চলাকালীন সময় উত্তপ্ত হয়ে উঠেছিল গোটা বাংলা। একের পর এক মানুষ খুন হয়েছে। চারিদিকে শুধু রক্ত আর বোমা বৃষ্টি। সাধারণত আষাঢ় মাসে আমরা বৃষ্টি দেখতে পাই যেখানে আকাশ থেকে জল বিন্দু পড়ে বসুমাতা ঠান্ডা হয়। তবে ২০২৩ এর এই পঞ্চায়েত নির্বাচনে নজরে এসেছে শুধু মানুষের রক্ত আর বোমা বৃষ্টি।
এর সঙ্গেই চলেছে দেদার ভোট লুট, সঙ্গে ছাপ্পা। ভোট দিতে এসো প্রাণ হারিয়েছিল বহু মানুষ। উত্তর থেকে শুরু করে দক্ষিণ গোটা বাংলা রণক্ষেত্রের রূপ নিয়েছিল। এরপরেই বিরোধীদের সমালোচনার মুখে পড়ে ১০ জুলাই নির্বাচন কমিশন পুনর্নির্বাচন করার নির্দেশ দেয়। গতকালও ফের একই অবস্থা ভোট লুট বোমাবাজি মারামারি সন্ত্রাস এ যেন এখন নিত্য দিনের ব্যাপার।
আজ এই ভোট উৎ’শবের’ গণনার দিন। পঞ্চায়েত এবার কার দখলে শাসক দল নাকি তার প্রতিদ্বন্দ্বীদের সে বিষয়ে জানতে পারবে গোটা বাংলা। তবে এই গণনার দিনের সকাল থেকেও শুরু হয়েছে একই দৃশ্য তাই জায়গায় বোমাবাজি মারামারি সন্ত্রাস বুথে বুথে প্রার্থীদের খুন করার হুমকি। এখনো ব্যালট লুটের চেষ্টা অব্যাহত।
তবে এই সন্ত্রাস কাটিয়ে কার দখলে আসবে বাংলার গ্রাম পঞ্চায়েত। রাজত্ব করবে বাংলার গ্রামে নাকি আসতে চলেছে নতুন শাসন। রাজ্যজুড়ে নির্মম সন্ত্রাসের পরে কি তবে স্বস্তি ফিরতে চলেছে? এমনই প্রশ্ন থাকছে গোটা বাংলার মানুষের মনে।
]]>শুধমাত্র বামফ্রন্ট জোটের বাকি দলগুলি যথা সিপিআই, ফরওয়ার্ড ব্লক, আরএসপির মিলিত আসনের সাথে সিপিআইএমের প্রাপ্তি যোগ করলে বামফ্রন্টের চেহারা আরও বড় হতে পারে বলে মনে করছেন ভোট বিশেষজ্ঞরা।
প্রাথমিক ট্রেন্ড অনুযায়ী ( সকাল ১১;১৬), তৃণমূলের দখলে ২৮৯, এগিয়ে ১৬২৯ আসনে, বিজেপি এগিয়ে ৩৩০, সিপিএম এগিয়ে ২৩১ আসনে, কংগ্রেস এগিয়ে ১৮ তে, অন্যান্য ১৬৯। প্রাথমিক গণনায় বিজেপি দুশোর অধিক। মনে করা হচ্ছে যে বিজেপির জয়ীদের তৃণমূলে যোগের প্রবল সম্ভাবনা।
পঞ্চায়েতের মনোনয়ন জমা, নির্বাচন, পুনর্নির্বাচনকে ঘিরে উত্তপ্ত হয়ে উঠে গোটা রাজ্য। দিকে দিকে সন্ত্রাস এবং মৃত্যুমিছিল। ভোট পর্বে রাজ্য মৃতের সংখ্যা ৪১।
কড়া নিরাপত্তা ব্যবস্থার মধ্যে দিয়েই সকাল ৮ টায় শুরু হয়েছে ভোট গণনা। গণনাকেন্দ্রের ধারেকাছে জমায়েতের উপর নিষেধাজ্ঞা রয়েছে। প্রত্যেক কেন্দ্রে মোতায়েন করা হয়েছে এক কোম্পানি কেন্দ্রীয় বাহিনী।
প্রথমে হবে গ্রাম পঞ্চায়েতের গণনা, তারপর পঞ্চায়েত সমিতি এবং শেষে জেলাই পরিষদের। ৩৩৯ টি কেন্দ্রে গণনা চলছে।
রক্তাক্ত পঞ্চায়েত ভোটের গণনা শুরু। গ্রাম বাংলার রায় ব্যালটবাক্স বন্দি। সেই ব্যালট গণনার সর্বশষ ফলাফল আসতে রাত হয়ে যাবে। চূড়ান্ত ফলাফল তারও পরে। তবে এসবের মধ্যে একটি প্রশ্ন ও একটি আশঙ্কা প্রবল। প্রথমত গ্রামাঞ্চলে বিরোধী পক্ষ কারা? দ্বিতীয়ত কেন্দ্রীয় নিরাপত্তায় গণণা হলেও গণনা কেন্দ্রের বাইরে খুন হবে না তো?
কেন্দ্রীয় বাহিনীর ঘেরাটোপে চলবে গণনা। জেলায় জেলায় রাজনৈতিক পারদ চড়ছে। ফলাফল ঘোষণার আগেই বিজয় উৎসবের বার্তা দিয়ে রেখেছে শাসকদল তৃণমূল কংগ্রেস। রাজনৈতিক বিশ্লেষকরা নজর রেখেছেন, বিরোধীদের ভোট প্রাপ্তির দিকে। নজরে থাকছে বিধানসভায় বিরোধী দল বিজেপি নাকি বর্তমান বিধানসভায় না থাকা পূর্বতন দুই শাসক দল কংগ্রেস ও সিপিআইএম জোট-কোন পক্ষ গ্রামাঞ্চলে নিজেদের শক্তি দেখাল।
]]>সকালের গণনা পরিস্থিতি বলছে গ্রামাঞ্চলে বিরোধী আসনের দখল কোন দিকে যাবে তা স্পষ্ট নয়। তবে বিজেপি ও সিপিআইএমের মধ্যে প্রবল লড়াই চলছে।
শুধমাত্র বামফ্রন্ট জোটের বাকি দলগুলি যথা সিপিআই, ফরওয়ার্ড ব্লক, আরএসপির মিলিত আসনের সাথে সিপিআইএমের প্রাপ্তি যোগ করলে বামফ্রন্টের চেহারা আরও বড় হতে পারে বলে মনে করছেন ভোট বিশেষজ্ঞরা।
তৃণমূল কংগ্রেসের কর্মী সমর্থকরা শুরু করেছেন উচ্ছাস। কয়েকটি ক্ষেত্রে বিজেপির সমর্করাও আনন্দ করছেন।
পঞ্চায়েতের মনোনয়ন জমা, নির্বাচন, পুনর্নির্বাচনকে ঘিরে উত্তপ্ত হয়ে উঠে গোটা রাজ্য। দিকে দিকে সন্ত্রাস এবং মৃত্যুমিছিল। ভোট পর্বে রাজ্য মৃতের সংখ্যা ৪১।
কড়া নিরাপত্তা ব্যবস্থার মধ্যে দিয়েই সকাল ৮ টায় শুরু হয়েছে ভোট গণনা। গণনাকেন্দ্রের ধারেকাছে জমায়েতের উপর নিষেধাজ্ঞা রয়েছে। প্রত্যেক কেন্দ্রে মোতায়েন করা হয়েছে এক কোম্পানি কেন্দ্রীয় বাহিনী।
প্রথমে হবে গ্রাম পঞ্চায়েতের গণনা, তারপর পঞ্চায়েত সমিতি এবং শেষে জেলাই পরিষদের। ৩৩৯ টি কেন্দ্রে গণনা চলছে।
মঙ্গলবার কলকাতা বিমানবন্দর থেকে রাজ্যপাল সোজা ভাঙড়ের উদ্দেশ্যে রওনা দেন। সেখানি গিয়ে গণনা কেন্দ্র ঘুরে দেখলেন রাজ্যপাল সিভি আনন্দ বোস। ঘুরে দেখলেন ভাঙড় এলাকা। স্পর্শকাতর এলাকাগুলিতে ভোট গণনা কেন্দ্রে বিডিও-দের সঙ্গে কথা বলেন তিনি। গণনা শান্তিপূর্ণভাবে হচ্ছে কি না জানতে চান রাজ্যপাল। রাজ্যপাল বিজয়গঞ্জ বাজারের মাঠ, ঘটকপুকুর মোড়ে গিয়েছেন বলে খবর পাওয়া যাচ্ছে।
রাজ্যপালের সফরের মাঝে ভাঙড়ে গতকাল রাতে উদ্ধার হয় বোমা। দক্ষিণ ২৪ পরগনা জেলার ভাঙরের কাশিপুর থানার পোলেরহাট ২ নম্বর গ্রাম পঞ্চায়েতের টোনা এলাকা। সেখানে শৌচালয়ের ঘরের ছাদের উপর বোমা পড়ে থাকতে দেখেন এলাকার বাসিন্দারা। দ্রুত খবর পৌঁছয় কাশিপুর থানায়। ঘটনাস্থলে পৌঁছয় কাশিপুর থানার পুলিশ। এর জেরে চাঞ্চল্য ছড়েয়েছে এলাকায়।
আজ কলকাতা ফিরে রাজ্যপাল সিভি আনন্দ বোস বলেন, “আজকে দস্যুরাই একদিন ত্রাতা হয়ে উঠতে পারে। যেভাবে রত্নাকর একদিন বাল্মিকী হয়ে উঠেছিলেন। রাজনৈতিক কন্ট্রোলরুম তৈরি করে দুষ্কৃতীদের নিয়ন্ত্রণ করা হচ্ছে। এদের বিরুদ্ধে কঠোর ব্যবস্থা নেওয়া হবে। যে হিংসা আজ হচ্ছে, তার ফল ভোগ করতে হবে বাংলার ভবিষ্যতকে। ভবিষ্যৎ প্রজন্মের জন্য বাংলাকে সুরক্ষিত করতে হবে।”
গতকাল তিনি দিল্লিতে মন্তব্য করেছিলেন, “অন্ধকারের পরেই ভোর আসে। সুড়ঙ্গের শেষে আলোর দেখা মিলবে। আজকের বৈঠক থেকে আমি যে বার্তা পেয়েছি তা হল, যদি শীত আসে, বসন্ত কি দূরে থাকতে পারে? আগামী দিনে ভাল হবে।’’
পঞ্চায়েতের মনোনয়ন জমা, নির্বাচন, পুনর্নির্বাচনকে ঘিরে উত্তপ্ত হয়ে উঠে গোটা রাজ্য। দিকে দিকে সন্ত্রাস এবং মৃত্যুমিছিল। ভোট পর্বে রাজ্য মৃতের সংখ্যা ৪১।
কড়া নিরাপত্তা ব্যবস্থার মধ্যে দিয়েই সকাল ৮ টায় শুরু হয়েছে ভোট গণনা। গণনাকেন্দ্রের ধারেকাছে জমায়েতের উপর নিষেধাজ্ঞা রয়েছে। প্রত্যেক কেন্দ্রে মোতায়েন করা হয়েছে এক কোম্পানি কেন্দ্রীয় বাহিনী।
প্রথমে হবে গ্রাম পঞ্চায়েতের গণনা, তারপর পঞ্চায়েত সমিতি এবং শেষে জেলাই পরিষদের। ৩৩৯ টি কেন্দ্রে গণনা চলছে।
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http://wbsec.gov.in এই ওয়েবসাইটে ক্লিক করলে ‘গেটওয়ে টাইম আউট’ তথ্য সামনে আসছে। ফলে এই ওয়েবসাইটে কেউ প্রবেশ করতে পারছেন না। ভোটের ফলাফলের দিন কি তবে যান্ত্রিক সমস্যায় পড়েছে নির্বাচন কমিশনের ওয়েবসাইটে।
কমিশনের ওয়েবসাইটে থাকে সাহায্য কী ভাবে পাওয়া যাবে সেই সম্পর্কিত তথ্য, প্রার্থীদের তথ্য। এই ওয়েবসাইটটিকে সচল করতে ঠিক কী পদক্ষেপ করা হয়েছে এখনও পর্যন্ত তা স্পষ্ট নয়। মঙ্গলবার সকাল ৯.৩০ মিনিট পর্যন্ত রাজ্য নির্বাচন কমিশনের সদর দফতরে এসে পৌঁছননি রাজ্যের নির্বাচন কমিশনার রাজীব সিনহা।
রাজ্যে ৮ জুলাই অনুষ্ঠিত হয়েছিল পঞ্চায়েত নির্বাচন। উল্লেখ্য, গতকাল কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী অমিত শাহের সঙ্গে বৈঠক করেন রাজ্যপাল সিভি আনন্দ বোস। রাজ্যপাল বলেন, “যাঁরা আইনভঙ্গ করছেন তাঁদের বিরুদ্ধে কড়া পদক্ষেপ করা হয়েছে। কাউকে রেয়াত করা হবে না।”
পঞ্চায়েত ভোটে ব্যাপক বুথ দখলে অভিযুক্ত শাসকদল তৃণমূল কংগ্রেস। পুনর্নির্বাচনেও চলে বিক্ষিপ্ত সংঘর্ষ। রাজ্যে ভোট পর্বে বাড়ছে নিহতের সংখ্যা। মুর্শিদাবাদে সর্বাধিক নিহত।
গণনা শুরু হয়েছে। চলছে তীব্র বিশৃঙ্খলা, মারামারি। জেলায় জেলায় চলছে গণনা কেন্দ্রে সংঘর্ষ। বেশিরভাগ ক্ষেত্রে শাসক তৃ়ণমূল কংগ্রেসের বিরুদ্ধেই হামলার অভিযোগ। সংঘর্ষের মূল প্রতিপক্ষ বাম শিবির। তবে বিধানসভায় প্রধান বিরোধী দল বিজেপিও হামলার অভিযোগে সরব। একাধিক জেলায় থানা ঘেরাও করছে বিজেপি। গণনা ঘিরে সংঘর্ষ তীব্র হয়েছে মুর্শিদাবাদ ও দক্ষিণ ২৪ পরগনা জেলায়।

গণনা শুরুর পর থেকে এই দুটি জেলাতে চলছে তীব্র বোমাবাজি। দক্ষিণ ২৪ পরগনার ডায়মণ্ডহারবার ও মুর্শিদাবাদের জাঙ্গিপাড়া, হরিহরপাড়াতে তৃণমূল ও বাম-কংগ্রেস জোট সংঘর্ষে তীব্র উত্তেজনার পরিস্থিতি।
গ্রাম বাংলার রায় ব্যালটবাক্স বন্দি। সেই ব্যালট গণনার সর্বশষ ফলাফল আসতে রাত হয়ে যাবে। চূড়ান্ত ফলাফল তারও পরে। তবে এসবের মধ্যে একটি প্রশ্ন ও একটি আশঙ্কা প্রবল। প্রথমত গ্রামাঞ্চলে বিরোধী পক্ষ কারা? দ্বিতীয়ত কেন্দ্রীয় নিরাপত্তায় গণণা হলেও গণনা কেন্দ্রের বাইরে খুন হবে না তো?
কেন্দ্রীয় বাহিনীর ঘেরাটোপে চলবে গণনা। জেলায় জেলায় রাজনৈতিক পারদ চড়ছে। ফলাফল ঘোষণার আগেই বিজয় উৎসবের বার্তা দিয়ে রেখেছে শাসকদল তৃণমূল কংগ্রেস। রাজনৈতিক বিশ্লেষকরা নজর রেখেছেন, বিরোধীদের ভোট প্রাপ্তির দিকে। নজরে থাকছে বিধানসভায় বিরোধী দল বিজেপি নাকি বর্তমান বিধানসভায় না থাকা পূর্বতন দুই শাসক দল কংগ্রেস ও সিপিআইএম জোট-কোন পক্ষ গ্রামাঞ্চলে নিজেদের শক্তি দেখাল।
নির্বাচন কমিশন সূত্রে খবর প্রতিটি গণনাকেন্দ্রে থাকবে ত্রিস্তরীয় নিরাপত্তার বলয়। প্রতিটি জেলায় এক কোম্পানি কেন্দ্রীয় বাহিনী ও সঙ্গে রাজ্য পুলিসের সশস্ত্র বাহিনী থাকবে। সিসিটিভির নজরদারিতে হবে গণনা। গণনা কেন্দ্রেও সংঘর্ষের আশঙ্কা থাকছে। ভোট পরবর্তী সংঘর্ষে রক্তাক্ত পরিস্থিতির তীব্র আশঙ্কা।
]]>মুর্শিদাবাদে বাম কংগ্রেস জোটের প্রবল হামলার অভিযোগ। তৃণমূল কংগ্রেস প্রার্থী ভয়ে কাঁদছেন। পরপর বোমা হামলার অভিযোগ সিপিআইএমের বিরুদ্ধে। হরিহরপাড়া ও জাঙ্গিপাড়ায় পরপর বাম হামলার অভিযোগ। জাঙ্গিপাড়ায় সিপিআইএম কার্যালয়ে ঢুকে পুলিশের বেধড়ক লাঠিচার্জ পুলিশের। অভিযোগ, সেখানে দুষ্কৃতি জমা করেছে বাম শিবির।
পঞ্চায়েতের মনোনয়ন জমা, নির্বাচন, পুনর্নির্বাচনকে ঘিরে উত্তপ্ত হয়ে উঠে গোটা রাজ্য। দিকে দিকে সন্ত্রাস এবং মৃত্যুমিছিল। ভোট পর্বে রাজ্য মৃতের সংখ্যা ৪১।
কড়া নিরাপত্তা ব্যবস্থার মধ্যে দিয়েই সকাল ৮ টায় শুরু হয়েছে ভোট গণনা। গণনাকেন্দ্রের ধারেকাছে জমায়েতের উপর নিষেধাজ্ঞা রয়েছে। প্রত্যেক কেন্দ্রে মোতায়েন করা হয়েছে এক কোম্পানি কেন্দ্রীয় বাহিনী।
প্রথমে হবে গ্রাম পঞ্চায়েতের গণনা, তারপর পঞ্চায়েত সমিতি এবং শেষে জেলাই পরিষদের। ৩৩৯ টি কেন্দ্রে গণনা চলছে।
রক্তাক্ত পঞ্চায়েত ভোটের গণনা শুরু। গ্রাম বাংলার রায় ব্যালটবাক্স বন্দি। সেই ব্যালট গণনার সর্বশষ ফলাফল আসতে রাত হয়ে যাবে। চূড়ান্ত ফলাফল তারও পরে। তবে এসবের মধ্যে একটি প্রশ্ন ও একটি আশঙ্কা প্রবল। প্রথমত গ্রামাঞ্চলে বিরোধী পক্ষ কারা? দ্বিতীয়ত কেন্দ্রীয় নিরাপত্তায় গণণা হলেও গণনা কেন্দ্রের বাইরে খুন হবে না তো?
কেন্দ্রীয় বাহিনীর ঘেরাটোপে চলবে গণনা। জেলায় জেলায় রাজনৈতিক পারদ চড়ছে। ফলাফল ঘোষণার আগেই বিজয় উৎসবের বার্তা দিয়ে রেখেছে শাসকদল তৃণমূল কংগ্রেস। রাজনৈতিক বিশ্লেষকরা নজর রেখেছেন, বিরোধীদের ভোট প্রাপ্তির দিকে। নজরে থাকছে বিধানসভায় বিরোধী দল বিজেপি নাকি বর্তমান বিধানসভায় না থাকা পূর্বতন দুই শাসক দল কংগ্রেস ও সিপিআইএম জোট-কোন পক্ষ গ্রামাঞ্চলে নিজেদের শক্তি দেখাল।
নির্বাচন কমিশন সূত্রে খবর প্রতিটি গণনাকেন্দ্রে থাকবে ত্রিস্তরীয় নিরাপত্তার বলয়। প্রতিটি জেলায় এক কোম্পানি কেন্দ্রীয় বাহিনী ও সঙ্গে রাজ্য পুলিসের সশস্ত্র বাহিনী থাকবে।সিসিটিভির নজরদারিতে হবে গণনা। গণনা কেন্দ্রেও সংঘর্ষের আশঙ্কা থাকছে। ভোট পরবর্তী সংঘর্ষে রক্তাক্ত পরিস্থিতির তীব্র আশঙ্কা।
তিস্তা তীর থেকে রায়মঙ্গলের তীর পর্যন্ত পঞ্চায়েত ভোট আগেও রক্তাক্ত হয়েছে এবারও তার ব্যতিক্রম নয়। গ্রাম বাংলার গরম মেজাজের ভোট। ২০২৩ এর পঞ্চায়েত ভোটে একের পর এক রাজনৈতিক খুন, বোমা হামলা, গ্রাম দখলের রাজনৈতিক সংঘর্ষে সবকটি জেলা উত্তপ্ত।রক্তাক্ত ও অগ্নিগর্ভ পরিস্থিতি নিয়ে উদ্বিগ্ন রাজ্যপাল সি ভি আনন্দ বোস দিল্লি গিয়ে কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী অমিত শাহর সাথে বৈঠক করেন। শাসকদল তাঁকে বিজেপির দালাল বলেছে। আর রাজ্যপালের নিশানায় রাজ্য নির্বাচন কমিশনার রাজীব সিনহা। তবে কমিশনের সমালোচনা করছেন রাজ্যপালও বিতর্কে জড়িয়েছেন। কারণ, তিনিই রাজীব সিনহার নামে শিলমোহর দেন।
]]>সংবাদটি বিস্তারিত পড়তে ক্লিক করুন CPIM: বাম ছাত্র-যুব সংগঠনের অভিযানে লালগোলা থানায় ধুন্ধুমার
]]>সংবাদটি বিস্তারিত পড়তে ক্লিক করুন Tet Scam: মীনাক্ষীর নেতৃত্বে কলকাতায় ফের সমাবেশ সিপিআইএমের
]]>দেশ স্বাধীন হওয়ার পর কংগ্রেসের রাজত্ব৷ সীমান্ত বিবাদ তখনও জারি। বাংলাদেশের প্রতি ভ্রাতৃত্ববোধ দেখিয়েছিলেন প্রধানমন্ত্রী ইন্দিরা গান্ধী। স্বাধীনতার আবহে এপার বাংলাতে স্বভাবতই হাত শিবিরের বজ্রমুষ্ঠি। এখনও পাড়ার বয়স্কদের মধ্যে কেউ আস্থা রাখেন কংগ্রেসের ওপরেই৷ বামেদের উত্থান অনেকটা পরে। সে সম্পর্কে বিস্তারিত আলোচনা চলতে পারে অন্য কোনও প্রতিবেদনে। আপাতত আমেজটুকু এবং ইতিহাসের হাতছানিটুকু থাক।
দেশভাগের যন্ত্রণা তখনও ছিল। খাদ্য সংকট, শ্রমিক অসন্তোষ, ইউনিয়ন ইত্যাদি বহু দেখেছে শহর। দিনমজুর, কর্মী ইত্যাদিদের হাত ধরে ধীরে ধীরে বামেদের উত্থান। সাধারণ মানুষ মনে-প্রাণে চেয়েছিলেন টাটকা বাতাস৷ একছত্র কংগ্রেস রাজের জমানা থেকে বেরিয়ে আস্থা রেখেছিলেন লাল ঝান্ডার প্রতি৷ ‘বিপ্লব’ শব্দটি বাস্তবিক বিপ্লব এনেছিল পশ্চিমবঙ্গের রাজনীতিতে। সাধারণ মানুষ চেয়েছিলেন তাই হয়েছিল, এ কথা বলা চলে।
এখন মানুষ কী চাইছেন? সাধারণ মানুষ ফের কি আস্থা দেখাবেন বামেদের প্রতি? পুরভোটের ফলের নিরিখে বামেরা তৃণমূলের তুলনায় বিন্দুবৎ। কথায় রয়েছে ‘নেই মামার থেকে কানা মামা ভালো’। কিন্তু ‘কানা মামা’কে সঙ্গে নিয়ে চলা সম্ভব ক’দিন?
ভোটে কাদের দিকে পাল্লা ভারী, কখন ভারী হতে পারে কিংবা পাল্লা ভারী করার জন্য কী করণীয় তা অনুমান করতে বুঝতে হবে মানুষের নার্ভ। ভোটাররা কী চাইছেন তা আঁচ করতে পারলে চলতে হবে ওই একচোখো হয়েই। দলের ব্যাটন এখনও বরিষ্ঠ বামনেতাদের হাতেই। এনারা সেই বামনেতা যাঁদের ক্ষমতার গদি থেকে ছুঁড়ে ফেলে দিয়েছিলেন সাধারণ মানুষ। তরুণ নেতা-নেত্রীরা দলে রয়েছেন। একটা সময় পর পার্টির অলিন্দে নতুন প্রাণ সঞ্চার করার জন্য যা আবশ্যক। কিছু বাম নেতা নতুনদের হাতে দায়িত্ব তুলে দিতে চেয়েছেন আগেই। কিছু নেতা দেখে নিতে চাইছেন আরও একটু। অর্থাৎ দলের মধ্যেই ভিন্ন মত। সাধারণ মানুষের কাছেও পৌঁছচ্ছে এই বার্তা- দলে একতার অভাব, মতের অমিল।
ভোট বৈতরণী পার করতে যারপনাই চেষ্টা চালিয়েছিলেন বিমান বসুরা। বিধানসভা ভোটে হাত মিলিয়েছিলেন কংগ্রেস এবং আব্বাস সিদ্দিকীর সঙ্গে। তৈরি হয়েছিল জোট। আব্বাসের ভাষণ কি আগে শোনেনি আলিমুদ্দিন? প্রশ্ন তুলেছিলেন অনেকেই। ব্রিগেডের মঞ্চে বাম-কং-আইএসএফ। এরপরের ঘটনা সকলের জানা। ২ মে চোখে আঙুল দিয়ে দেখিয়ে দিয়েছিল অনেক কিছু। জোট আছে কে নেই, থাকলে আগামী দিনেও থাকবে কি না ইত্যাদি কিছু প্রশ্ন ঘুরে বেড়াচ্ছে এখনও। ইভিএমএ-এ বোতাম টিমে মানুষ বুঝিয়ে দিয়েছেন, চলবে না এই জোট-জট। মানুষের নার্ভ বুঝতে পারেননি অভিজ্ঞ বাম নেতারা।
পুরভোটে একাই লড়ল বাম। প্রাপ্ত ভোটের শতাংশের নিরিখে উঠে এলো দ্বিতীয় স্থানে। ৬৫ টি ওয়ার্ডে দ্বিতীয় হয়েছেন বাম প্রার্থীরা। ভোট বেড়েছে ৮ শতাংশ। ‘বামেরা কার্যত আইসিইউ-তে’ এমন কথা লেখা হয়েছে কাগজেও। সেই রেশ ধরে বললে বলতে হয়, কিছুটা অক্সিজেনের যোগান দিয়েছে কলকাতা। কলকাতা মানে? মানে, শহরের একাংশ মানুষ আস্থা দেখিয়েছেন একক বামেই।
এখনও পর্যন্ত যা খবর তাতে জেলা নেতৃত্বের প্রতি নেকনজর দিতে চলেছে রাজ্য নেতৃত্ব। বন্ধ ঘরে বসে কোনও সিদ্ধান্ত চাপিয়ে দেওয়ার পরিবর্তে নেতারার চাইছেন গ্রাউন্ড জিরো রিপোর্ট। আঙুল কি পড়বে সাধারণের নার্ভে?
]]>সিপিআইএমের ছাত্র ও যুব সংগঠন সহ বিভিন্ন বাম দলগুলির সমর্থকদের নিয়ে তৈরি এই স্বেচ্ছাসেবক বাহিনীর তরফে একটি পোস্টার ছাড়া হয়েছে সোশ্যাল সাইটে। রেড ভলান্টিয়ার্স জানাচ্ছে, “সতর্ক থাকুন। সাবধানে থাকুন। প্রয়োজনে আমরা আবার আছি আপনাদের সাথে। এটাই আমাদের নতুন বছরের অঙ্গীকার।”
এই পোস্টার সোশ্যাল সাইটে শেয়ার করেছেন সিপিআইএম কেন্দ্রীয় কমিটির সদস্য আভাস রায়চৌধুরী। তাঁর পোস্টের প্রেক্ষিতে শুভেচ্ছা মন্তব্য এসেছে পরপর।
রেড ভলান্টিয়ার্সদের করোনা মোকাবিলা বিশ্ব জুড়ে আলোচিত। আন্তর্জাতিক সংবাদ মাধ্যমে প্রবল প্রশংসিত। গত করোনা প্রকোপে অক্সিজেন সংকট, মৃতদেহ শ্মশানে বা কবরস্থানে নিয়ে যাওয়ার সময় রেড ভলান্টিয়ার্স ছাড়া প্রশাসন কার্যত অচল হয়ে গেছিল।
পরিস্থিতি এমন হয় যে শাসক তৃণমূল কংগ্রেস, বিরোধী দল বিজেপির মন্ত্রী, নেতারা বিপদের সময় সিপিআইএমের রেড ভলান্টিয়ার্সের স্মরণাপন্ন হন। অভিযোগ, শাসক ও বিরোধী দলের যুব সদস্যদের এরকম ভূমিকা নিতে ততটা দেখা যায়নি।
বিধানসভা ভোটে সিপিআইএম ও বামেরা শূন্য হয়েছে। একটিও আসন নেই তাদের। এর পরেও লাগাতার পরিষেবা দিয়ে আরও আলোচনায় রেড ভলান্টিয়ার্স। সম্প্রতি কলকাতা পুরনিগমের ভোটে বাম প্রার্থীদের তালিকায় ছিলেন একগুচ্ছ রেড ভলান্টিয়ার্স। একজনও নির্বাচিত হননি। তবে বিশ্লেষণে উঠে এসেছে, কলকাতা পুরনিগমে ভোটের নিরিখে বিজেপিকে টপকে বাম শিবির বিরোধী হয়েছে। এমনটা হওয়ার পিছনে রেড ভলান্টিয়ার্সের ভূমিকা বেশ উল্লেখযোগ্য বলে মনে করা হচ্ছে।
]]>১৯৯৮ সালের ১ জানুয়ারি রাজ্যে প্রদেশ কংগ্রেস ভেঙে তৃণমূল কংগ্রেস প্রতিষ্ঠিত হয়। শুরু থেকে এখনও তৃণমূল কংগ্রেসের প্রধান নেত্রী মমতা।
জন্মের পর এই সময়ে টিএমসি তার সর্বোচ্চ উচ্চতায় বিরাজ করছে। পশ্চিমবঙ্গে তিনবার সরকার গঠন। মেঘালয়ে প্রধান বিরোধী দল। ত্রিপুরার পুর নির্বাচনে আচমকা ফের চর্চায়। গোয়াতে লড়াই করার কৌশল। উত্তর পূর্বাঞ্চলের বিভিন্ন রাজ্যে কংগ্রেস ও অন্যান্য দল ভাঙিয়ে বিরোধী আসনের তকমা পাওয়ার নীতি নিয়েছে দলটি। আসন্ন ত্রিপুরা বিধানসভা ভোটে টিএমসিকে সে রাজ্যে মূল প্রতিপক্ষ করতে মরিয়া প্রচার চেষ্টা চালাচ্ছে সংস্থার ভোট কুশলী সংস্থা আইপ্যাক।
দলটির এই বিস্তৃতির চেষ্টা প্রমাণ করছে, আঞ্চলিকতা ত্যাগ করতে চাইছেন দলনেত্রী মমতা। পশ্চিমবঙ্গে গত বাম জমামায় শাসক সিপিআইএমের দখলে ছিল তিনটি রাজ্য। এছাড়া দেশজোড়া সংগঠন। বিভিন্ন রাজ্যে সাংসদ ও বিধায়ক। কালক্রমে বামেরা এখন পশ্চিমবঙ্গ ও ত্রিপুরা থেকে অপসারিত। একমাত্র কেরলে ক্ষমতায়।একইভাবে একমাত্র পশ্চিমবঙ্গেই ক্ষমতায় তৃণমূল কংগ্রেস।
এই ফলের হিসেবে বাম ও তৃণমূল কংগ্রেস একই আসনে আছে। তবে টিএমসির দাবি, দল সর্বভারতীয় তকমা তুলবেই, কারণ মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ই একমাত্র মোদী বিরোধী মুখ।
বিরোধীদের কটাক্ষ, আরও অনেক রাজ্যে মোদীর নেতৃত্বে বিজেপির পরাজয় হয়েছে। কংগ্রেস, সিপিআইএম, ডিএমকে, আম আদমি পার্টি, টিআরএস, বিজেডির মতো দলগুলিও মোদীর বিজয় রথ থামাতে পেরেছে। উত্তর পূর্বে, বিভিন্ন আঞ্চলিক দলের উপরেই বিজেপি নির্ভর করে। কী করে মমতা দাবি করেন তিনিই একমাত্র মোদী বিরোধী মুখ।
রাজনৈতিক এই পরিস্থিতির মাঝে তৃণমূল কংগ্রেস মরিয়া তার সর্বভারতীয় তকমা প্রতিষ্ঠিত করতে। প্রশ্ন পশ্চিমবঙ্গের বাইরে আর কোনও রাজ্যে কি টিএমসি সরকার গড়বে? বিশ্লেষকদের মতে যদি তা করতে পারেন মমতা, তাহলে তিনি সর্বভারতীয় নেত্রীর তকমা পেতে পারেন।
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