Debi Chowdhurani Temple – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Mon, 28 Oct 2024 08:38:26 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png Debi Chowdhurani Temple – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 जलपाईगुड़ी में देवी चौधुरानी मंदिर में काली पूजा की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही हैं https://ekolkata24.com/uncategorized/debi-chowdhurani-temple-in-jalpaiguri-prepares-for-kali-puja-celebrations Mon, 28 Oct 2024 08:38:26 +0000 https://ekolkata24.com/?p=49950 जलपाईगुड़ी (Jalpaiguri) के गोशाला मोड़ के निकट स्थित ऐतिहासिक देवी चौधुरानी मंदिर में काली पूजा की तैयारियाँ धूमधाम से चल रही हैं। यह मंदिर 300 वर्षों से अधिक पुराना है, जहाँ काली पूजा की रात में मंदिर के पुजारी स्वयं देवी काली को सजाते हैं। हर साल की तरह इस वर्ष भी रात 9 बजे से पूरी रात काली पूजा का आयोजन होगा। यहाँ के वातावरण में एक रहस्यमय एहसास है, जो भक्तों की भीड़ से और बढ़ जाता है।

काली पूजा की रात इस मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। जलपाईगुड़ी के भक्तों का मानना है कि देवी यहाँ आकर उनकी इच्छाओं को पूरा करती हैं। यहाँ के प्राचीन रिवाजों और नियमों का सम्मान करते हुए, पुजारी देवी काली की सजावट का कार्य अपने हाथों से करते हैं। मंदिर के चारों ओर विशाल पीपल और लगभग 250 साल पुराने रुद्राक्ष के वृक्षों का होना इस स्थान को और भी आकर्षक बनाता है।

इस वर्ष काली पूजा के अवसर पर भक्तों के लिए विशेष व्यवस्थाएँ की गई हैं। मंदिर के चारों ओर सुरक्षा और स्वच्छता की व्यवस्था की गई है। विशेष रूप से, दूर-दूर से आने वाले भक्तों के लिए काली पूजा की रात उचित इंतजाम किए जाएंगे। हालांकि, कुछ भक्तों को मंदिर आने से पहले पुजारी से विशेष निर्देश लेने की सलाह दी गई है।

देवी चौधुरानी मंदिर का इतिहास स्थानीय लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है। हर साल काली पूजा के दौरान भक्तों की संख्या में वृद्धि होती है। कहा जाता है कि इस मंदिर में काली माँ की मूर्ति कठोर पत्थर की बनी है। पूजा के दिन 171 प्रकार के भोग का अर्पण किया जाता है, जो यहाँ की एक विशेष परंपरा है।

मंदिर के पुजारी ने बताया, “इस साल हमने सभी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। काली पूजा में सभी भक्तों का स्वागत है। हमारा विश्वास है कि यहाँ आने से भक्त अपनी सभी इच्छाएँ पूरी करेंगे।” जलपाईगुड़ी के स्थानीय निवासियों के साथ-साथ पड़ोसी जिलों के लोग भी इस पूजा में भाग लेने के लिए आते हैं।

मंदिर के चारों ओर का माहौल और पुरानी परंपरा भक्तों को आकर्षित करती है। काली पूजा की रात यहाँ जो भक्तों का जमावड़ा होता है, वह निश्चित रूप से एक दृश्य आनंद का अनुभव कराता है। काली पूजा के महत्व के बारे में स्थानीय एक निवासी ने कहा, “काली माँ के पास आने से शांति और समृद्धि मिलती है। हम इस मंदिर में आकर हमेशा माँ का आशीर्वाद लेना चाहते हैं।”

इसके अलावा, मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था के बारे में पुजारी ने बताया, “हमने भक्तों के लिए विशेष सुरक्षा का इंतजाम किया है। कोई भी समस्या न हो, इसका ध्यान रखा जा रहा है।” जलपाईगुड़ी के इस ऐतिहासिक मंदिर की ओर सभी का आकर्षण हमेशा से प्रबल रहा है। काली पूजा के अवसर पर भक्तों की संख्या में वृद्धि के साथ-साथ, मंदिर की संस्कृति और परंपरा भी समृद्ध होती जा रही है।

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