Duars – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Mon, 09 Jun 2025 15:24:53 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png Duars – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 बरसात में पर्यटन को बढ़ावा देनेडु आर्स में होगा ‘नदियाली मछली उत्सव’! https://ekolkata24.com/lifestyle/duars-to-host-river-fish-festival-this-monsoon-to-boost-tourism-amid-safari-ban Mon, 09 Jun 2025 15:23:43 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51254 अयान दे, अलीपुरद्वार | सुंदरबन के ‘हिल्सा उत्सव’ की तर्ज पर डुआर्स में भी जल्द ही ‘नदियाली मछली उत्सव’ (Nodiyali fish festival) का आयोजन हो सकता है। बरसात के मौसम में जंगल सफारी बंद रहने के कारण पर्यटन व्यवसाय में भारी गिरावट आती है, और इस मंदी को दूर करने के लिए डुआर्स के पर्यटन व्यवसायियों ने एक नई पहल शुरू की है। इस उत्सव में डुआर्स की नदियों से पकड़ी गई मछलियों से बने विभिन्न व्यंजन, स्थानीय जनजातियों के सांस्कृतिक प्रदर्शन, जंगल से घिरी नदी के किनारे की सैर, और मछलियों की पहचान से संबंधित विशेष कार्यक्रम शामिल होंगे। इस पहल का उद्देश्य बरसात के मौसम में पर्यटकों को आकर्षित करना है।

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हर साल 15 जून से 15 सितंबर तक जंगल सफारी बंद रहने के कारण इस पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आती है। इससे होटल, रिसॉर्ट्स और पर्यटन से जुड़े व्यवसायों को भारी नुकसान होता है। इस स्थिति से निपटने के लिए ‘नदियाली मछली उत्सव’ की योजना पर प्रारंभिक चर्चा शुरू हो चुकी है। ईस्टर्न डुआर्स टूरिज्म डेवलपमेंट एसोसिएशन के सचिव विश्वजीत साहा ने बताया, “बरसात के तीन महीनों में पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह ठप हो जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए हम इस उत्सव की योजना बना रहे हैं। इस साल जलदापाড়ा के कुछ रिसॉर्ट्स में इसे प्रयोगात्मक रूप से शुरू किया जाएगा।”

डुआर्स की सांकुश, रायडाक, होलंग, मुजनई और तोरसा नदियों में बरसात के मौसम में विभिन्न प्रकार की मछलियां प्रचुर मात्रा में पाई जाती हैं, जैसे बोरोलि, एलंग, चेपटी, चिला कुशमा, रायचांग और घाक्सी। इन मछलियों से बने स्वादिष्ट व्यंजन पर्यटकों के लिए एक अनूठा अनुभव होंगे। स्थानीय पर्यटन व्यवसायी मिठुन सरकार ने कहा, “नदियों की मछलियों के व्यंजनों के साथ-साथ उनकी पहचान, नदी के किनारे की प्राकृतिक सुंदरता और स्थानीय जनजातियों के सांस्कृतिक प्रदर्शन को शामिल कर एक नया पैकेज तैयार किया जा रहा है। इससे पर्यटकों को एक अलग अनुभव मिलेगा।”

अलीपुरद्वार डिस्ट्रिक्ट टूरिज्म एसोसिएशन के सचिव मानव बक्सी ने कहा, “बरसात में डुआर्स की प्राकृतिक सुंदरता अपने चरम पर होती है। भले ही सफारी बंद रहती हो, लेकिन बारिश, नदियां और हरियाली से भरा वातावरण पर्यटकों को आकर्षित कर सकता है। इस उत्सव के जरिए हम बरसात को पर्यटन के लिए एक आकर्षक समय बनाना चाहते हैं।”
पहले भी बरसात में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए गए थे, लेकिन वे अपेक्षित सफलता नहीं पा सके। इस बार ‘नदियाली मछली उत्सव’ को लेकर पर्यटन व्यवसायियों में नया उत्साह देखा जा रहा है। यह उत्सव न केवल पर्यटकों के लिए नया अनुभव लाएगा, बल्कि स्थानीय जनजातियों और मछुआरों के लिए भी आर्थिक अवसर पैदा करेगा। अब यह देखना बाकी है कि यह पहल कितनी सफल होती है।

 

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Sundarbans in Duars: ঘুরে আসুন ডুয়ার্সের সুন্দরবন সিকিয়াঝোরা থেকে https://ekolkata24.com/offbeat-news/visit-the-sundarbans-sikiajhora-in-duars Thu, 02 Dec 2021 17:00:59 +0000 https://ekolkata24.com/?p=13248 অরুণাভ রাহারায়: বেশ কয়েক বছর ধরেই ডুয়ার্সের (Duars) পর্যটন মানচিত্রে জায়গা করে নিয়েছে সিকিয়াঝোরা (Sikiajhora)। আলিপুরদুয়ার থেকে সামান্য দূরে সিকিয়াঝোরাকে বলা যায় সুন্দরের মনোরম ঠিকানা।

Sikiajhora

হলদিবাড়ি থেকে আমাদের বন্ধু ব্রহ্মজিৎ হঠাৎ একদিন আলিপুরদুয়ারে এসে হাজির। কাছের বন্ধুকে কাছে পেয়ে অন্যান্য বন্ধুরা ঠিক করলাম সিকিয়াঝোরায় যাব। শৌভিক বণিকের গাড়িতে আমাদের যাত্রা শুরু হল। ড্রাইভার গাড়ি সার্ট দিতেই এফ এম-এ বেজে উঠল শ্রেয়া ঘোষালের গান– বারশো রে মেঘা মেঘা…। আমরা সেই গান শুনতে ডুয়ার্সের রাস্তা দিয়ে আমরা এগিয়ে যাচ্ছি। শুভেন্দু লাহিড়ী আমাদের আরেক সফর সঙ্গী।

Sikiajhora

সিকিয়াঝোরাকে বলা হয় ডুয়ার্সের সুন্দরবন। সুন্দরবনে যেমন দুদিকের জঙ্গল দেখতে দেখতে নদীতে বোটিং করা যায়, এখানেও সেরকম ব্যবস্থা আছে। পৌঁছেই বোটে চেপে বসলাম আমি ব্রহ্মজিৎ শৌভিক আর শুভেন্দু লাহিড়ী। বোট চলতে শুরু করল। শুরু হল অ্যাডভেঞ্চার। বোটের মঝি দুজন। তাদের সঙ্গে গল্প জুড়লাম। তারা জানালেন ‘আমরা দুজন মাঝে মাঝেই খানিক রাম নিয়ে নৌকো চালিয়ে মাঝ নদীতে গিয়ে মদ খাই, তারপর শুয়ে শুয়ে আকাশ দেখি।’ এই কথা শুনে আমাদের লোভ হল। কিন্তু আমরা আজ বিয়ারও আনিনি। অতএব আরেক দিন!

Sikiajhora

বোট যতই এগিয়ে যাচ্ছে ঝঁঝির শব্দ প্রখর হয়ে প্রবেশ করছে কানে। নদীটির দুপাড়ে দেখতে পাচ্ছি হাতির পায়ের ছাপ। হাতি এখানে জল খতে আসে– মাঝিদ্বয় জানালেন। আমারা একটু ভয় পেলাম ঠিকই কিন্তু মুষড়ে পড়লাম না। বরং চোখ ভরে দেখলাম সুদূর-সবুজ।

বোটটা এবার যেখনে পৌঁছল সেই জায়গাটাকে মাঝিরা বলেন- ‘এসি ঘর’। কারণ জায়গাটা বেশ ঠাণ্ডা। ওপরে গাছগাছালির ডালপালা আর দুদিকে মোটা মোটা গাছ। তাই একটা ঘরের আকার নিয়েছে যেনবা। এখানে কিছুক্ষণ থেমে রইলাম। তারপর আবার চলা। কিছুটা যাওয়ার পরেই নদীভ্রমণের শেষ সীমানা এল। কিন্তু তার বাইরেও তো নদী আছে, তাহলে সীমানা কেন? মাঝিরা জানালেন– ওই পথ বিপদ সংকুল, সাপ খোপ ইত্যাদি। অতএব ওদিকে নয়। সুতরাং ফেরা! আবার একই রকম ভাবে ধীরে ধীরে ফেরা। তবে, ঘণ্টা খানিকের এই সফর মন ভরিয়ে দিয়েছিল। আপনিও ঘুরে আসতে পারেন।

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