पुरुषों की श्रेणी में प्रमुख नाम
मेसी, जो अब इंटर मियामी के लिए खेलते हैं, एक बार फिर सूची में हैं। वहीं, मैनचेस्टर सिटी के स्टार मिडफील्डर रोड्री ने अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर जगह बनाई है। रोड्री ने हाल ही में बैलन डी’ऑर जीता और सिटी के ट्रेबल जीतने वाले सीजन में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा, उन्होंने स्पेन को यूईएफए यूरोपियन चैंपियनशिप जिताने में भी शानदार योगदान दिया।
रियल मैड्रिड के ब्राजीलियाई स्टार विनीसियस जूनियर भी नामांकितों में हैं। उन्होंने ला लीगा, स्पेनिश सुपर कप और यूईएफए चैंपियंस लीग में अपनी टीम के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। हालांकि, बैलन डी’ऑर समारोह में उनकी अनुपस्थिति ने विवाद खड़ा किया, लेकिन वह अब भी बेस्ट फीफा मेन्स प्लेयर के दावेदार बने हुए हैं।
बड़े नाम और उभरते सितारे
इस साल की सूची में कई और शानदार नाम शामिल हैं। मैनचेस्टर सिटी के एर्लिंग हालैंड ने अपने गोल करने की काबिलियत से सबको प्रभावित किया है। रियल मैड्रिड के युवा खिलाड़ी जूड बेलिंगहैम भी अपने शानदार प्रदर्शन के लिए चर्चा में हैं। वहीं, बार्सिलोना के युवा स्टार लैमिन यामल ने भी नामांकन में जगह बनाई है।
फीफा बेस्ट फुटबॉल अवॉर्ड्स का महत्व
इस अवॉर्ड का मकसद न केवल खिलाड़ियों के प्रदर्शन को मान्यता देना है, बल्कि फुटबॉल के प्रति उनके योगदान की सराहना करना भी है। खिलाड़ियों का चयन क्लब और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके प्रदर्शन के आधार पर किया जाता है।
2024 फीफा बेस्ट पुरुष खिलाड़ी नामांकितों की सूची
डैनी कार्वाजल (स्पेन), रियल मैड्रिड
एर्लिंग हालैंड (नॉर्वे), मैनचेस्टर सिटी
फेडरिको वाल्वरडे (उरुग्वे), रियल मैड्रिड
फ्लोरियन विर्ट्ज़ (जर्मनी), बायर लेवरकुसेन
जूड बेलिंगहैम (इंग्लैंड), रियल मैड्रिड
किलियन एम्बाप्पे (फ्रांस), पीएसजी/रियल मैड्रिड
लैमिन यामल (स्पेन), बार्सिलोना
लियोनेल मेसी (अर्जेंटीना), इंटर मियामी
रोड्री (स्पेन), मैनचेस्टर सिटी
टोनी क्रूस (जर्मनी), रियल मैड्रिड (अब सेवानिवृत्त)
विनीसियस जूनियर (ब्राजील), रियल मैड्रिड
]]>
OFFICIAL: The Best FIFA Men’s Player 2024 nominees released tonight.
pic.twitter.com/fWRa8BJhgJ
— Fabrizio Romano (@FabrizioRomano) November 28, 2024
পাকিস্তানি সেনার বিরুদ্ধে মুক্তিযোদ্ধাদের গেরিলা যুদ্ধ চলছিল পূর্ব পাকিস্তানের মাঠে ঘাটে।এই রক্তাক্ত অধ্যায়ের এক পর্বে ফুটবলের বাঁশি বেজেছিল। বাঙালির রক্তে মিশে থাকা খেলা।
ফিফা মানেনি, মেনেছে কোটি কোটি হৃদয়…
১৯৭১ সালের ২৫ জুলাই। ফুটবল ইতিহাসে এক স্বর্ণালী দিন। বিশ্বে প্রথম এমন ম্যাচ যাতে সরাসরি গেরিলা যোদ্বারা খেলেছিলেন। ফিফা স্বীকৃত না হলেও এই ফুটবল ম্যাচ হয়েছে গবেষণার বিষয়। একটি দেশের স্বাধীনতার লড়াইয়ে জড়িয়ে আছে বল দখলের খেলা।
সেদিন পুলিশে পুলিশে ছয়লাপ কৃষ্ণনগর স্টেডিয়াম। নদিয়া জেলা প্রশাসন কর্তাদের ঘুম উড়ে গেছে। যে সে ব্যাপার নাকি! এতজন গেরিলা যোদ্ধা খেলতে নেমেছে। আজ খেলবে, কাল যুদ্ধে নামবে! কাল কী হবে কেউ জানে না।

খেলা চলছে। নদিয়া জেলা দল বনাম ‘স্বাধীন বাংলা ফুটবল দল’-এর, যেটি বাংলাদেশি মুক্তিযোদ্ধাদের নিয়ে গড়া। আর নদিয়ার দল একপ্রকার ভারতীয় একাদশের ভূমিকা নিয়েছে। ‘মুক্তি’ লোকেরা কেমন? যাদের কথা রোজ কাগজে আসছে, আকাশবাণীর সংবাদে বলছে, তাদের দেখতেই দর্শকদের বেশি আগ্রহ। কৃষ্ণনগর স্টেডিয়ামের দর্শকরা প্রবল উত্তেজিত।
গেরিলা ফুটবল দলটির সবাই পূর্ব পাকিস্তানের সীমান্ত পেরিয়ে এসেছেন। তাদের সমর্থকরাও সীমান্তের ওপারে মুক্তাঞ্চল দিয়ে নদিয়া ঢুকেছেন। প্রবল আক্রমণাত্মক ম্যাচটি ২-২ গোলে অমীমাংসিত হয়েছিল। ৫০ বছরে বাংলাদেশের স্বাধীনতা লড়াইয়ের ইতিহাসে এই ম্যাচটিরও সুবর্ণ জয়ন্তী।
প্রথমবার রবীন্দ্রনাথ রচিত দুই জাতীয় সঙ্গীত
সেদিন খেলার আগে কৃষ্ণনগর স্টেডিয়ামে একইসঙ্গে বেজেছিল দুই দেশের জাতীয় সঙ্গীত। তথ্য পরম্পরা মিলিয়ে নিলে ১৯৭১ সালের ২৫ জুলাই বিশ্বে প্রথমবার রবীন্দ্রনাথের লেখা দুটি জাতীয় সঙ্গীত বেজেছিল কৃষ্ণনগর স্টেডিয়ামে। বাংলাদেশ সরকারিভাবে তখনও স্বীকৃত নয়। তবে কলকাতায় থাকা প্রবাসী মুজিবনগর সরকার (অস্থায়ী বাংলাদেশ সরকার) আগেই রবীন্দ্রনাথ রচিত ‘আমার সোনার বাংলা…’কে জাতীয় সঙ্গীতের মর্যাদা দেয়।
চাকরি গেল ভারতীয় আমলার!
বিতর্ক মিশে আছে এই ম্যাচে। তখনও আন্তর্জাতিকভাবে অস্বীকৃত বাংলাদেশ। সেই দেশের পতাকা ওড়ানোর দায়ে নদিয়ার তৎকালীন জেলা কর্তা (ডিসি) দীপককানত্ম ঘোষকে সাময়িক বরখাস্ত করা হয়। কারণ তিনি কূটনৈতিক প্রক্রিয়া লঙ্ঘন করেছিলেন।৩
<
p style=”text-align: justify;”>৩৪ জন খেলোয়াড়, ম্যানেজার এবং কোচ সহ মোট ৩৬ জন নিয়ে গড়া ‘স্বাধীন বাংলা ফুটবল’ দলের অধিনায়ক ছিলেন জাকারিয়া পিন্টু। সহ অধিনায়ক ছিলেন প্রতাপ শঙ্কর হাজরা। কোচ ছিলেন ননী বসাক।গেরিলা বাহিনীর ফুটবল দল পরপর ১৬টি ম্যাচ খেলেছিল ভারতে। কলকাতায় সৌজন্য ম্যাচে মোহনবাগানের বিরুদ্ধে (গোষ্ঠপাল একাদশ) ও মুম্বইতে (তখন বম্বে) মহারাষ্ট্র দলের বিরুদ্ধে খেলে। মোট ১২টি ম্যাচে জয়ী হয়েছিল ‘স্বাধীন বাংলা ফুটবল দল’। প্রায় ৫ লক্ষ টাকা মুক্তিযুদ্ধের জন্য সংগ্রহ করে।
]]>