Ghatal Master Plan – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Sat, 28 Jun 2025 05:26:21 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png Ghatal Master Plan – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 Ghatal Master Plan: घाटाल मास्टर प्लान के लिए केंद्र ने नहीं दी फंडिंग: मानस भुइयां https://ekolkata24.com/top-story/mamata-banerjee-pushes-ghatal-master-plan-forward-despite-central-governments-refusal-to-fund Sat, 28 Jun 2025 05:26:10 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52090 पश्चिम मेदिनीपुर के घाटाल उपखंड में हर साल बरसात के मौसम में बाढ़ का कहर देखने को मिलता है, जिससे खेती योग्य जमीन, घर, और सड़कों को भारी नुकसान होता है। इस समस्या के समाधान के लिए दशकों से घाटाल मास्टर प्लान (Ghatal Master Plan) की मांग उठ रही है। हालांकि, केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए कोई वित्तीय सहायता नहीं दी है, जिसका आरोप पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार ने लगाया है। राज्य के सिंचाई और जलमार्ग मंत्री मानस रंजन भुइयां ने हाल ही में कहा कि केंद्र सरकार बंगाल के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया अपना रही है और घाटाल मास्टर प्लान के लिए कोई धनराशि आवंटित नहीं कर रही है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के बजट में इस परियोजना के लिए 1,500 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें से 500 करोड़ रुपये सिंचाई विभाग को प्रारंभिक कार्य शुरू करने के लिए दिए गए हैं। इस राशि से सुइलिस गेट के निर्माण का काम शुरू हो चुका है।

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मानस भुइयां ने कहा, “केंद्र सरकार बंगाल विरोधी है। हमने बार-बार घाटाल मास्टर प्लान के लिए केंद्र से मदद मांगी, लेकिन कोई सहायता नहीं मिली।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के एक अधिकारी ने स्पष्ट कर दिया है कि इस परियोजना के लिए कोई धनराशि नहीं दी जाएगी। फिर भी, ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य सरकार इस परियोजना को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। 2025-26 वित्तीय वर्ष के बजट में घाटाल मास्टर प्लान के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, और अगले दो वर्षों में इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

घाटाल मास्टर प्लान के तहत शिलाबती, रूपनारायण, और कंसाबती सहित दस प्रमुख नदियों की खुदाई और तटबंधों को मजबूत करने का काम किया जाएगा। इसके अलावा, पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर के कुछ नहरों का विकास भी इस परियोजना का हिस्सा है। यह परियोजना 657 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले लगभग 10 लाख लोगों को बाढ़ से सुरक्षा प्रदान करेगी। राज्य सरकार ने 2018 से 2021 तक 341.49 करोड़ रुपये खर्च कर सात नदियों के 115.80 किलोमीटर हिस्से की खुदाई पूरी की है। चंद्रेश्वर खाल की खुदाई लगभग पूरी हो चुकी है, और पांच सुइलिस गेटों का निर्माण 60-70% पूरा हो गया है।

मानस भुइयां ने बीजेपी नेताओं की आलोचना करते हुए कहा, “बीजेपी नेता दावा करते हैं कि राज्य सरकार घाटाल मास्टर प्लान को लागू नहीं करना चाहती। लेकिन सच्चाई यह है कि केंद्र सरकार ही धनराशि नहीं दे रही है।” उन्होंने घाटाल के लोगों से अपील की, “आप लोग न्याय करें, कौन आपके साथ खड़ा है। ममता बनर्जी ने राज्य के खजाने से धनराशि आवंटित कर काम शुरू कर दिया है।” यह परियोजना मार्च 2027 तक पूरी होने की उम्मीद है, जो घाटाल की बाढ़ समस्या के समाधान में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

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जलमग्न घाटाल में बढ़ रहा पारा, मास्टर प्लान पर क्या कह रही है राज्य सरकार? https://ekolkata24.com/top-story/ghatal-master-plan-state-pushes-flood-relief-as-centre-delays-funds Sun, 22 Jun 2025 19:24:46 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52022 मानसून की शुरुआत के साथ ही पश्चिम मेदिनीपुर का घाटाल क्षेत्र फिर से जलमग्न हो गया है। चारों ओर पानी ही पानी, ग्रामीणों का जीवन असहायता में डूबा हुआ है। इस स्थिति को बदलने के लिए राज्य सरकार लंबे समय से घाटाल मास्टर प्लान (Ghatal Master Plan) पर काम कर रही है, लेकिन इसके कार्यान्वयन को लेकर तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच तीखी नोकझोंक चल रही है। गत लोकसभा चुनाव में तृणमूल नेताओं के वादों को उठाते हुए BJP ने कटाक्ष किया है, वहीं तृणमूल केंद्र सरकार की लापरवाही का तर्क दे रही है। इस राजनीतिक तनाव के बीच राज्य सरकार के सिंचाई और जलमार्ग विभाग ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की है।

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घाटाल का जलवायु संकट: एक परिचित दृश्य
हर मानसून में घाटाल के लोग बाढ़ की विभीषिका का सामना करते हैं। शिलाबती, कांसी, तमाल नदियों का पानी चारों ओर फैलकर क्षेत्र को जलमग्न कर देता है। इस क्षेत्र का भौगोलिक ढांचा और निम्नभूमि बाढ़ को हर साल एक सामान्य घटना बनाती है। 2013 के ‘फेलिन’ चक्रवात के बाद इस क्षेत्र में बड़ी जलजमाव की समस्या देखी गई थी, जिसने स्थानीय जीवन को प्रभावित किया था। इस समस्या से निपटने के लिए 1959 में पहली बार घाटाल मास्टर प्लान की बात उठी थी, लेकिन इसके कार्यान्वयन में देरी हुई है।

मास्टर प्लान का पृष्ठभूमि
राज्य सरकार के सिंचाई और जलमार्ग विभाग की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, घाटाल मास्टर प्लान पश्चिम और पूर्व मेदिनीपुर के 657 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को बाढ़ से बचाने के लिए तैयार किया गया है। यह योजना पश्चिम मेदिनीपुर के 8 ब्लॉक और 2 नगर पालिकाओं को कवर करती है। 2014 में भारत सरकार के जलशक्ति मंत्रालय के तहत गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग (GFCC) को 1212 करोड़ रुपये के विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (DPR) सौंपा गया था। 2022 में केंद्र सरकार ने 1238.95 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी, लेकिन वित्तीय सहायता में देरी हुई।

केंद्र की लापरवाही और राज्य का कदम
तृणमूल सरकार का दावा है कि पिछले 11 वर्षों में केंद्र सरकार ने एक पैसा भी सहायता नहीं दी। इसलिए, राज्य ने अपने बजट से 2018-2021 के बीच 115.80 किलोमीटर नदी पुनर्वास कार्य पूरा किया, जिसकी लागत 341.49 करोड़ रुपये थी। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वर्तमान में परियोजना के शेष हिस्सों के लिए 1500 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। 2025-2026 वित्तीय वर्ष के लिए 500 करोड़ रुपये दिए गए हैं, और फरवरी 2025 से 5 स्लूस निर्माण कार्य शुरू हो चुके हैं, जिनकी प्रगति 60-70% है। चंद्रेश्वर खाल का उत्खनन कार्य लगभग पूरा हो चुका है।

राजनीतिक टकराव
BJP तृणमूल पर आरोप लगाते हुए कह रही है कि लोकसभा चुनाव में वादे किए गए लेकिन काम आगे नहीं बढ़ा। BJP नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा, “घाटाल के MLA को कमेटी में शामिल नहीं किया गया, यह नेतृत्व की स्पष्ट विफलता है।” तृणमूल का जवाब है कि केंद्र की लापरवाही के कारण यह स्थिति बनी। राज्य के सिंचाई और जलमार्ग मंत्री मनस रंजन भुईया ने कहा, “केंद्र की सहायता न मिलने के बावजूद हम अपने बजट से काम चला रहे हैं।”

जनता की स्थिति
घाटाल के निवासी जलजमाव से आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “हर साल पानी आकर फसल बर्बाद कर देता है। मास्टर प्लान कब पूरा होगा, कोई कह नहीं सकता।” हालांकि, सरकार का दावा है कि 2027 मार्च तक परियोजना पूरी होने पर बाढ़ नियंत्रण में सुधार होगा।

घाटाल के लोगों के जीवन को बेहतर करने के लिए मास्टर प्लान महत्वपूर्ण है, लेकिन राजनीतिक टकराव इसके कार्यान्वयन में बाधा बन रहा है। राज्य की प्रतिबद्धता पूरी होती है या नहीं, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।

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Ghatal Master Plan: बीजेपी विधायक ने देव को ठहराया ढपबाज https://ekolkata24.com/top-story/bjp-mla-slams-dev-over-ghatal-master-plan-delay-calls-him-dhappabaaz Sun, 22 Jun 2025 05:46:54 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51970 घटाल मास्टरप्लान (Ghatal Master Plan) की योजनाओं को लेकर पिछले कुछ समय से राज्य की राजनीति में हलचल मची हुई है। राज्य में बाढ़ की स्थिति की गंभीरता को देखते हुए इस योजना के लागू होने की आवश्यकता और भी बढ़ गई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इस मुद्दे पर अब सवाल उठ रहे हैं, “घटाल मास्टरप्लान अब तक क्यों लागू नहीं हुआ?” यह सवाल अब राज्य के राजनीतिक गलियारों में तूल पकड़ता जा रहा है।

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बीजेपी विधायक शीतल कपाटे ने हाल ही में घटाल के सांसद देव पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, “क्या अब पागलु घटाल में शूटिंग करने आएंगे! अभिनय करते-करते घटाल के लोगों के जीवन और भावनाओं के साथ झूठा अभिनय और कितने दिन करेंगे? घटाल के लोगों को और कितनी बार झूठी वादे देंगे? आपने खुद ढोल बजाया और खुद को मास्टरप्लान चैंपियन कहा और अब घटाल के लोग आपको ढपबाज कह रहे हैं।”

शीतल कपाटे के इस बयान ने राज्य में राजनीतिक विवाद को और बढ़ा दिया है। उनके समर्थकों का कहना है कि देव ने घटाल के लोगों के साथ लगातार धोखा किया है और उनकी वादों का कोई मूल्य नहीं रह गया है।

वहीं, शासक दल तृणमूल कांग्रेस इस विवाद को लेकर पूरी तरह से खामोश है और शीतल कपाटे की आलोचना की है। घटाल तृणमूल जिला अध्यक्ष अजीत माईती ने शीतल कपाटे के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “हमने सुना है कि कुछ समय पहले देव को लेकर उनका रवैया अच्छा था। अगर तृणमूल में शामिल होने का उनका इरादा था, तो वह क्यों अब कुत्सित बयान दे रहे हैं?”

इस विवाद में अब यह सवाल उठने लगा है कि घटाल मास्टरप्लान का आखिरकार क्या होगा? क्या देव अपनी वादों को पूरा करेंगे या इस मुद्दे पर राजनीति और बढ़ेगी? राज्य की जनता अब इस सवाल का जवाब चाहती है, और देखते हैं कि इस योजना का कार्यान्वयन कब होगा।

घटाल के लोग आज भी इस योजना की इंतजार में हैं, लेकिन उनके सामने केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की बौछार हो रही है।

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