howrah – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Wed, 28 Aug 2024 11:13:34 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png howrah – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 नारायणा हॉस्पिटल ने एडवांस मल्टीमोडल थेरेपी से बांग्लादेशी मरीज़ की जान बचाई https://ekolkata24.com/uncategorized/arayana-hospital-saves-life-of-bangladeshi-patient Wed, 28 Aug 2024 11:13:34 +0000 https://ekolkata24.com/?p=49422 कोलकाता: नारायणा हॉस्पिटल, हावड़ा ने दुर्लभ बोन कैंसर ‘युइंग सारकोमा’ के एक मामले का एडवांस मल्टीमोडल थेरेपी से सफल इलाज किया और 41 वर्षीय बांग्लादेशी पुरुष मरीज़ की जान बचाई। पहले बांग्लादेश में मरीज़ के बाएं जांघ की हड्डी (फीमर) में ट्यूमर का निदान किया गया था, जिसके बाद मरीज़ ने विशेष इलाज के लिए नारायणा हॉस्पिटल, हावड़ा में भर्ती लिया। युइंग सारकोमा एक दुर्लभ प्रकार का ट्यूमर है, जो आमतौर पर पैरों, हाथों, छाती, पेल्विस, रीढ़ या खोपड़ी की हड्डियों में बनता है। यह आमतौर पर बच्चों, किशोरों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है।

नारायणा हॉस्पिटल, हावड़ा में भर्ती होने पर मरीज़ की शुरुआती एक्स-रे रिपोर्ट में बाईं जांघ की हड्डी में असामान्यताएं पाई गईं, जिसके बाद MRI स्कैन द्वारा आगे की जांच की गई। स्कैन में पूरे फीमर हड्डी और आस-पास की मांसपेशियों में ट्यूमर की पुष्टि हुई, जो प्रमुख नसों और रक्त वाहिकाओं के निकट था। बायोप्सी से पुष्टि हुई कि मरीज़ युइंग सारकोमा से पीड़ित था, जो एक प्रकार का घातक बोन ट्यूमर है।

आगे की जाँच में PET CT स्कैन द्वारा पता चला कि कैंसर केवल जांघ तक सीमित था और शरीर के अन्य हिस्सों में नहीं फैला था, यानी यह गैर-मैस्टास्टेटिक था। मरीज़ को युइंग सारकोमा के लिए इंडक्शन कीमोथेरेपी दी गई। कीमोथेरेपी के बाद किए गए स्कैन से पता चला कि कैंसर ने आंशिक रूप से इलाज का जवाब दिया था।

नारायणा हॉस्पिटल हावड़ा के ऑर्थो ऑन्कोलॉजिस्ट कंसल्टेंट, डॉ. निशित गुप्ता ने कहा, “जब मरीज़ की प्रारंभिक जांच की गई, तो ट्यूमर ने जांघ की हड्डी को कूल्हे से लेकर घुटने तक प्रभावित कर रखा था। पूर्व-ऑपरेटिव कार्यों के आधार पर हमने कीमोथेरेपी, सर्जिकल प्रक्रिया और रेडियोथेरेपी का संयोजन करके एक प्रबंधन योजना बनाई।”

“इलाज के दौरान हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, खासकर जब कीमोथेरेपी का प्रभाव आंशिक रहा और ट्यूमर नसों और प्रमुख रक्त वाहिकाओं के बेहद करीब था। मरीज़ की पूरी जांघ की हड्डी (फीमर) और आसपास की मांसपेशियों को हटाने के लिए सर्जरी की गई। उसके बाद हड्डी को एक मेगा प्रोस्थेसिस से बदल दिया गया, जो उसकी कूल्हे और घुटने की हड्डियों को बदलने में सक्षम था,” डॉ. निशित गुप्ता ने बताया।

सर्जरी के बाद, मरीज़ ने शारीरिक क्षमता और ताकत को पुनः प्राप्त करने के लिए कड़ी फिजियोथेरेपी सत्रों में भाग लिया। “सर्जरी के बाद मरीज़ की प्रगति देखकर हम बहुत उत्साहित हैं। मरीज़ ने रेडिएशन थेरेपी पूरी कर ली है और अब वह अपनी कीमोथेरेपी के अंतिम चरण में है,” ऑर्थोपेडिक ऑन्कोलॉजिस्ट ने कहा।

बांग्लादेश से आने वाले कई मरीज़ों के लिए इस तरह की जीवनरक्षक उपचार प्रक्रिया नारायणा हेल्थ की विश्व स्तरीय सुविधाओं और विशेषज्ञता का प्रमाण है, जो मध्य पूर्व, अफ्रीका और CIS देशों से लेकर बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और कई अन्य पड़ोसी देशों के मरीज़ों के लिए एक प्रमुख गंतव्य बन चुका है।

नारायणा हॉस्पिटल, हावड़ा के फैसिलिटी डायरेक्टर, श्री तपन घोष ने कहा, “यह सफल इलाज हमारे अस्पताल की अत्याधुनिक देखभाल प्रदान करने की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। हमारी टीम की विशेषज्ञता और समर्पण ने इस जटिल मामले को प्रभावी ढंग से इलाज करना संभव बनाया, और हमें गर्व है कि हम अपने मरीज़ों को इतने उन्नत चिकित्सा समाधान प्रदान कर सकते हैं।”

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रणक्षेत्र बना हावड़ा ब्रिज और संतरागाछी, आंसू गैस के गोले और वाटर कैनन भीड़ पर काबू https://ekolkata24.com/top-story/tear-gas-shells-and-water-cannons-controlled-the-crowd Tue, 27 Aug 2024 12:55:08 +0000 https://ekolkata24.com/?p=49411 कोलकाता : पश्चिम बंगाल में पुलिस ने हावड़ा ब्रिज से प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बलात्कार-हत्या मामले को लेकर आज ‘नबन्ना अभियान’ मार्च का आह्वान किया गया है।

प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड्स को खींचकर हटा दिया। पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे गये है। प्रदशर्नकारियों ने बैरिकैड तोड़ दिये है.आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल बलात्कार-हत्या मामले को लेकर ‘नबान्न अभियान’ मार्च निकालते हुए प्रदर्शनकारी हावड़ा के संतरागाछी में पुलिस बैरिकेड्स पर चढ़ गए, पुलिसकर्मियों से भिड़ गए और बैरिकेड्स तोड़ दिए सैकड़ों युवकों ने मंगलवार को शहर में दो स्थानों से ‘नबन्ना अभियान’ शुरू किया जिन्हें तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसूगैस के गोले छोड़े।

अभियान में मुख्य रूप से युवा शामिल हैं जो आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल की एक चिकित्सक से दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या के मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की और घटना के लिए जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं ।

पुलिस ने हावड़ा ब्रिज से प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया, जो आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बलात्कार-हत्या मामले को लेकर ‘नवान्न अभियान’ मार्च के तहत यहां आंदोलन कर रहे थे।

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हावड़ा-मुंबई मेल के 20 डिब्बे पटरी से उतरी, दो की मौत https://ekolkata24.com/top-story/20-coaches-of-howrah-mumbai-mail-derailed-two-dead Tue, 30 Jul 2024 03:42:38 +0000 https://ekolkata24.com/?p=49136  रांची : झारखंड में एक बार फिर रेल हादसा हुआ है। चक्रधरपुर के पास बड़ाबंबू में मंगलवार तड़के हावड़ा-मुंबई मेल (12810) के 20 डिब्बे एक मालगाड़ी से टकराकर पटरी से उतर गए। यह हादसा राजखरसावां और बड़ाबंबू स्टेशनों के बीच हुआ। इस हादसे में दो लोगों की मौत हो गई ।

यह घटना राज्य में पिछले छह महीनों में हुई तीसरी बड़ी रेल दुर्घटना है, जिसने रेल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे पहले 18 जनवरी 2024 को गम्हरिया रेलवे स्टेशन पर उत्कल एक्सप्रेस की चपेट में आने से चार लोगों की मौत हो गई थी।

वहीं 28 फ़रवरी 2024 को जामताड़ा और विद्यासागर स्टेशन के बीच भी ट्रेन हादसा हुआ था, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी।

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न्यू जलपाईगुड़ी शताब्दी एक्सप्रेस के विस्टाडोम कोच से यात्रियों को मिलेगा खूबसूरत नजारा https://ekolkata24.com/technology/now-passengers-will-get-a-beautiful-view-from-the-vistadome-coach-of-new-jalpaiguri-shatabdi-express Mon, 01 Jul 2024 13:01:19 +0000 https://ekolkata24.com/?p=48730 कोलकाता: पश्चिम बंगाल के हावड़ा से न्यू जलपाईगुड़ी के यात्री सोमवार से विस्टाडोम कोच में लग्जरी रेल यात्रा का अनुभव प्राप्त कर सकेंगे। इस ट्रेन से दार्जिलिंग और हिमालय जाने के इच्छुक यात्री अब मार्ग में पड़ने वाले उत्तर बंगाल (न्यू जलपाईगुड़ी) की खूबसूरत वादियों का भी लुत्फ उठा सकेंगे। सोमवार को हावड़ा मंडल के डीआरएम संजीव कुमार ने हावड़ा-न्यू जलपाईगुड़ी शताब्दी एक्सप्रेस को नये विस्टाडोम कोच (पारदर्शी कोच) के साथ रवाना किया

इस दौरान रेलवे के सीनियर डीसीएम राहुल रंजन, पूर्व रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी के साथ अन्य विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहे। यात्रा के शौकीनों के लिए रेलवे ने हावड़ा-न्यू जलपाईगुड़ी शताब्दी एक्सप्रेस में फिल्हाल एक विस्टाडोम कोच लगाया गया है। हावड़ा मंडल के डीआरएम संजीव कुमार ने बताया कि हावड़ा-न्यू जलपाईगुड़ी शताब्दी एक्सप्रेस के विस्टाडोम कोच को खास बनाते हैं , उसकी पारदर्शी फाइवर की छत और बड़ी खिड़कियां, शीशों और फाइवर की बनी खिड़कियों के साथ छत भी पारदर्शी है।

इससे यात्री ट्रेन के अंदर अपनी सीट पर बैठे-बैठे ही पहाड़ों के साथ बारिश और काले उमड़ते-घुमड़ते बादलों का नजारा भी देख सकेंगे। पूर्व रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार यह अस्थायी व्यवस्था एक जुलाई 2024 से अगले वर्ष 30 जून 2025 तक रहेगी। 12041/12042 हावड़ा-न्यू जलपाईगुड़ी-हावड़ा शताब्दी एक्सप्रेस में निर्धारित अवधि के दौरान ट्रेन 14 कोचों के बजाय 15 कोचों के साथ चलेगी। विस्टाडोम कोच यात्रियों की यात्रा को और भी बेहतर बनाने के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। इन कोचों में 360 डिग्री घूमने वाली लग्जरी पुशबैक कुर्सियां लगायी गयी हैं। जिससे यात्री अधिकतम आराम के लिए अपनी सीटिंग को एडजस्ट कर सकते हैं।

उक्त बोगी में कुल 24 बर्थ हैं। इसका किराया 2430 रुपये जबकि शताब्दी एक्सप्रेस में प्रथम श्रेणी की बर्थ का किराया 1430 रुपये है। इसके साथ ही विस्टाडोम कोच स्व-संचालित स्लाइडिंग दरवाजे, एक ग्लास बैक और वाईफाई और जीपीएस कनेक्टिविटी जैसी उन्नत सुविधाओं से लैस किया गया है। यात्रा के दौरान यात्री अपनों से लगातार कनेक्ट रह सकते हैं. ट्रेन के अंदर एक इंफोटेनमेंट सिस्टम लगाया गया है, जो यात्रियों का मनोरंजन करने के साथ ही देशभर की सूचनाएं प्रदान करता रहेगा।

पूर्व रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कौशिक मित्रा ने कहा कि विस्टाडोम कोच की शुरुआत यात्रियों को विश्व स्तरीय सुविधाएं और एक यादगार यात्रा अनुभव प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले 2017 कंचन कन्या एक्सप्रेस में भी इस तरह का विस्टाडोम कोच ( पारदर्शी कोच) लगाया गया था। यह ट्रेन सियालदह से अलीपुरदुआर तक जाती थी। इस कोच का जिम्मा आईआरसीटीसी के पास था।

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जून और जुलाई में कैंसल रहेंगी कई ट्रेनें https://ekolkata24.com/uncategorized/many-trains-will-be-canceled-in-june-and-july Fri, 14 Jun 2024 12:13:29 +0000 https://ekolkata24.com/?p=48284 रांची : दक्षिण पूर्व रेलवे के खड़गपुर रेल मंडल अंडूल रेलवे स्टेशन में 22 जून से लेकर 3 जुलाई तक एनआई और प्रीएन आई काम कर रेलवे संकरेल से संतरागाछी लिंक लाइन को अंडूल स्टेशन से जोड़ने का काम करेगी। इसके चलते दक्षिण पूर्व रेलवे ने खड़गपुर और चक्रधरपुर रेल मंडल के खुलने और गुजरने वाली 32 ट्रेनों को अलग-अलग तारीखों में रद्द कर दिया गया है।

बता दें कि कई ट्रेन रीशेड्यूल किया गया है, जबकि 9 ट्रेनों को परिवर्तित रूट से चलाने और 8 ट्रेनों को घंटों रीशेड्यूल कर चलाया जाएगा। मालूम हो कि रद्द ट्रेनें उसी दिन अपने गंतव्य स्टेशन से खुलती हैं और चक्रधरपुर रेल मंडल उसी दिन या फिर दूसरे दिन पहुंचती हैं।

ट्रेनें जो रद्द रहेंगी
29 जून से 1 जुलाई तक ट्रेन नं 22892/22891 रांची-हावड़ा-रांची इंटरसिटी एक्सप्रेस
23 जून से 25 जून और 29 जून से 1 जुलाई तक ट्रेन नंबर 12857/12858 हावड़ा-दीघा-हावड़ा ताम्रलिप्ता एक्सप्रेस
23 से 25 जून और 29 जून से 1 जुलाई तक ट्रेन नंबर 12021/12022 हावड़ा बड़बील जनशताब्दी एक्सप्रेस
23 से 25 जून और 29 जून से 1 जुलाई चक ट्रेन नंबर 12883/12884 संतरागाछी-पुरूलिया-संतरागाछी एक्सप्रेस

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लिलुआ में पटरी से उतरी ट्रेन, हावड़ा-बैंडल शाखा पर साढ़े तीन घंटे तक सेवाएं रही बंद https://ekolkata24.com/uncategorized/howrah-line-derailed-train Tue, 28 May 2024 07:34:09 +0000 https://ekolkata24.com/?p=47639 हावड़ा : पूर्व रेलवे के हावड़ा बर्दवान मेन शाखा के लिलुआ स्टेशन के पास मंगलवार सुबह एक लोकल ट्रेन पटरी से उतर गई जिसके कारण डाउन लाइन पर ट्रेनों का परिचालन बाधित हो गया। साढ़े तीन घंटे  तक डाउन लाइन पर ट्रेनों का परिचालन बंद रहा। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार मंगलवार सुबह सात बजकर दस मिनट पर शेवड़ाफूली से हावड़ा की ओर जा रही एक खाली ट्रेन लिलुआ स्टेशन से निकलकर हावड़ा की ओर जा रही थी। लिलुआ स्टेशन से निकलते वक्त ट्रेन का एक डिब्बा पटरी से उतर गया। कुल चार डिब्बों के पटरी से उतरने की खबर है। घटना में कोई हताहत नहीं हुआ।

पूर्व रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कौशिक मित्रा ने बतायी कि रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी और इंजीनियर मौके पर पहुंचे। पटरी से उतरे ट्रेन के डिब्बे को लाइन पर चढ़ाने का काम कुछ देर बाद शुरू हो गया। हादसा कैसे हुआ यह अभी भी स्पष्ट नहीं है।  सीपीआरओ कौशिक मित्रा ने कहा कि इस घटना की उच्च स्तरीय जांच के भी आदेश दे दिए गए हैं।

पीछे से ट्रेन का चौथा डिब्बा पटरी से उतर गया। रेलवे सूत्रों के मुताबिक उक्त डिब्बे में एक यात्री सवार था। अचानक पटरी से उतरने के बाद भी ट्रेन कुछ दूरी तक घिसटती रही। इसके बाद किसी तरह ट्रेन को रोका गया। रेलवे कर्मचारी तुरंत मौके पर पहुंचे। दुर्घटना राहत ट्रेन वहां पहुंची।  कई लोकल और लंबी दूरी की ट्रेनों को साइड लाइन से आगे बढ़ाया जा रहा था।

प्राप्त जानकारी के अनुसार सेवा सामान्य होने में अभी कुछ समय लगेगा। हालांकि, रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, ट्रेन की गति कम होने और ट्रेन खाली होने के कारण एक बड़ा हादसा टल गया।

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Lok Sabha Election 2024: मोदी ने भ्रष्ट तृणमूल सरकार को हटाने के लिए भाजपा से वोट मांगा https://ekolkata24.com/top-story/lok-sabha-election-2024modi-seeks-votes-from-bjp-to-remove-corrupt-trinamool-government Sun, 12 May 2024 14:53:07 +0000 https://ekolkata24.com/?p=47373 निवर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुपर संडे को बंगाल में चार सभाएं कीं. आज उन्होंने चार सभाओं (Lok Sabha Election 2024) से तृणमूल सरकार पर हमला बोला. हावड़ा में संकरैल सभा से…

निवर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुपर संडे को बंगाल में चार सभाएं कीं. आज उन्होंने चार सभाओं से तृणमूल सरकार पर हमला बोला. प्रधानमंत्री ने हावड़ा की संकरैल सभा से मतदाताओं से नया बंगाल बनाने का आह्वान किया. प्रधानमंत्री ने सुपर संडे को राज्य की अपनी यात्रा के दौरान चार बैठकें कीं। अंत में सांकराइल की सभा से उन्होंने एक बार फिर भ्रष्टाचार मुक्त बंगाल का आह्वान किया. हावड़ा सदर सीट से भाजपा उम्मीदवार रथिन चक्रवर्ती के समर्थन में आयोजित सभा में प्रधानमंत्री ने कई मुद्दों पर तृणमूल पर हमला बोला. उसके मुंह में एक संदिग्ध विषय आता है.

आज उन्होंने हावड़ा सभा से कहा, ”एक समय था जब हावड़ा विभिन्न उद्यमों का केंद्र था. यहां विभिन्न प्रकार की मिलों से लेकर फैक्ट्रियां थीं। लेकिन पहले वामपंथियों और कांग्रेस बाद में तृणमूल ने सब खत्म कर दिया. उन्होंने आगे कहा, ”तृणमूल भ्रष्टाचार मुक्त व्यापार चलाती है. अन्य भ्रष्टाचारों के साथ-साथ लॉटरी भ्रष्टाचार के पीछे भी तृणमूल नेता ही हैं। इस लॉटरी भ्रष्टाचार ने बंगाल के युवाओं को मार डाला है। लेकिन सरकार उन दोषियों को बचा रही है।”

उन्होंने आज अपनी आवाज में संदेशखाली के बारे में बोलते हुए कहा कि हावड़ा सहित बंगाल में अंतरराष्ट्रीय बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा रहा है. हावड़ा में पानी के अंदर मेट्रो चल रही है. ऐसी घटना देश में पहले कभी नहीं हुई.

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हावड़ा में जूट मिल में लगी आग https://ekolkata24.com/uncategorized/%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%b5%e0%a4%a1%e0%a4%bc%e0%a4%be-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%9c%e0%a5%82%e0%a4%9f-%e0%a4%ae%e0%a4%bf%e0%a4%b2-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%b2%e0%a4%97%e0%a5%80 Mon, 20 Nov 2023 09:05:25 +0000 https://ekolkata24.com/?p=46621 पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में एक जूट मिल में सोमवार को सुबह आग लग गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सुबह करीब चार बजकर 50 मिनट पर आग लगने की सूचना मिली, जिसके बाद दमकल की दो गाड़ियों को मौके पर भेजा गया है। छठ पर्व के जुलूस में शामिल जूट मिल के सुरक्षाकर्मियों और स्थानीय लोगों ने आग देखी तो शिवपुर पुलिस थाने को सूचित किया। अधिकारियों ने बताया कि माना जा रहा है कि संभवत: मिल में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी।दमकल विभाग के अधिकारियों ने बताया कि फोरशोर मार्ग पर स्थित मिल के अंदर किसी के फंसे होने या किसी के हताहत होने के बारे में फिलहाल कोई सूचना नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि आग पर काबू पा लिया गया है।

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HMC: স্থগিত হাওড়ার ভোট, শুনানির আর্জি জানিয়ে প্রধান বিচারপতিকে ই-মেল https://ekolkata24.com/uncategorized/hmc-election-howrah-corporation Tue, 28 Dec 2021 07:09:48 +0000 https://ekolkata24.com/?p=16926 News Desk: কলকাতা পুরসভার ভোট হওয়ার পর রাজ্যের বাকি পুরসভার ভোট নিয়ে প্রশ্ন ছিল রাজনৈতিক মহলে।‌সোমবার রাজ্য কমিশন আনুষ্ঠানিকভাবে ঘোষণা করেন শিলিগুড়ি, বিধাননগর, আসানসোল, চন্দননগরে পুরভোট হবে আগামী ২২ জানুয়ারি। তবে এইসবের মধ্যেও থমকে রয়েছে হাওড়া পুরসভার ভোট।

বালি বিলে এখনও রাজ্যপাল জগদীপ ধনখড়ের সই নেই। যে কারণে হাওড়া ও বালির ভোট স্থগিত রাখা হয়। আসন্ন পুরভোটের তালিকায় হাওড়ার নাম বাদ রাখা নিয়ে প্রশ্ন তোলেন মামলাকারী আইনজীবী সব্যসাচী চ্যাটার্জী। গতকাল কমিশনের ঘোষণার পরপরই কলকাতা হাইকোর্টের প্রধান বিচারপতিকে মেইল করেন। মামলাকারীর প্রশ্ন তোলেন, নির্বাচন কমিশন আদালতকে ৫ টি পুরনিগমের ভোট একসঙ্গে করা হবে বলে জানিয়েছিল, তাহলে সোমবার কেন হাওড়ার ভোট ঘোষণা করা হয়নি।

মামলাকারীর গতকাল রাত্রে শুনানির আর্জি জানালে প্রধান বিচারপতি স্পষ্ট বলে দেন রাত্রে শুনানি সম্ভব না। মঙ্গলবার এই বিষয়ে মামলা করতে বলা হয় আদালতে। মামলা দায়ের হলে আদালত সম্পূর্ণ বিষয়টি শুনবে। একইসাথে এই মামলা আদৌ গ্রহণযোগ্য কিনা এবং গ্রহণযোগ্য হলে এর পরবর্তী শুনানি কবে হবে তা জানিয়ে দেবে কলকাতা হাইকোর্ট।

প্রসঙ্গত, নির্বাচন কমিশন জানিয়েছে, ১.১১.২০২১ সালের ভোটার তালিকা অনুযায়ী নির্বাচন হবে। ২৮ ডিসেম্বর অর্থাৎ আজ থেকেই মনোনয়ন জমা দেওয়া যাবে। মনোনয়ন জমা দেওয়ার শেষ তারিখ ৩ জানুয়ারি। প্রার্থীরা ৬ জানুয়ারির মধ্যে মনোনয়ন প্রত্যাহার করতে পারবে। ভোট গণনার তারিখ ২৮ জানুয়ারি, ২০২২।

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Chandranath Bose: গাছ বিলিয়ে ‘গাছ কাকু’ হাওড়ার চন্দ্রনাথ বসু https://ekolkata24.com/offbeat-news/chandranath-bose-of-howrah-is-the-uncle-of-the-tree Sat, 27 Nov 2021 17:15:57 +0000 https://ekolkata24.com/?p=12621 বিশেষ প্রতিবেদন: গাছের পরিচর্যা তাঁর নেশা। সূযোগ পেলেই চেয়েচিন্তে অর্থ জোগাড় করেন। তা দিয়ে গাছ কিনে বিলি করেন পড়ুয়াদের। আর তা থেকেই এলাকার কচিকাঁচাদের কাছে তাঁর পরিচিতি ‘গাছ কাকু’ নামে।

তিনি হলেন, চন্দ্রনাথ বসু (Chandranath Bose)। হাওড়ার বাগনানের কাছারিপাড়ার বাসিন্দা। নিঃসন্তান চন্দ্রনাথবাবু অর্ডার সাপ্লাইয়ের ব্যবসা করেন। তা দিয়েই সংসার চলে যায়। তার বাইরে জমানো অর্থ আর অন্যের কাছ থেকে সাহায্য নিয়ে গাছ কিনে তুলে দেন কচিকাঁচাদের হাতে।বছর দু’য়েক ধরে এই কাজই করে চলেছেন তিনি। স্কুল খোলা থেকে শুরু করে স্কুল ছুটি পর্যন্ত – সারাদিন স্কুলে স্কুলে ঘুরে শিশুদের বোঝান গাছের গুরুত্ব। তারপর গাছের চারা তুলে দেন। তা থেকেই তাঁর নাম ‘গাছ কাকু’। এব্যাপারে চন্দ্রনাথবাবুর স্ত্রীও তাঁকে সাহায্য করেন, উদ্বুদ্ধ করেন।

চন্দ্রনাথবাবুর মতে, ‘‘শিশুরাই গাছকে বেশি ভালোবাসতে পারে। তাই তাদের হাতে গাছ তুলে দিই। শিশুরাও যেমন আমাদের ভবিষ্যৎ। তেমনই গাছও যে ভবিষ্যৎ।’’ শিশু ছাড়াও বিভিন্ন বিভিন্ন পেশার ইচ্ছুক মানুষের হাতেও গাছ তুলে দেন তিনি। তাঁর মতে, ‘‘এটা পরিবেশ রক্ষার বার্তা ছাড়াও গাছ মাফিয়াদের বিরুদ্ধে একটা পরোক্ষ লড়াই। মাফিয়ারা যত গাছ কাটবে তার চেয়ে বেশী গাছ লাগাবো সবাই।

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বিগবেন: হাওড়া স্টেশনের বড় ঘড়িটি ৯৫ বছরে পা https://ekolkata24.com/uncategorized/the-big-clock-at-howrah-station-is-95-years-old Sat, 20 Nov 2021 17:41:06 +0000 https://ekolkata24.com/?p=11898 নিউজ ডেস্ক, কলকাতা: হাওড়া স্টেশন মানেই বাঙালির চোখের সামনে ভেসে ওঠে একটি বিশেষ জিনিস। সম্ভবতঃ হাওড়া স্টেশনে এটিই সবচেয়ে বিখ্যাত স্থানফলক। আর পরিচিত কাউকে খুঁজে পেতে তো এর জুড়ি মেলা ভার। শুধু নিশানাটুকু বলে দিলেই হল। হ্যাঁ, ঠিকই ধরেছেন। হাওড়া স্টেশনের বড় ঘড়িটির কথাই হচ্ছে। যা এবার পা দিল ৯৫তে।  

“হাওড়া স্টেশনের বড় ঘড়ির নীচে এসে দেখা করিস (বা করো)” এমন কথা যার উদ্দেশে তার কথাই বলা হচ্ছে। ১৯২৬ সালে এই বড় ঘড়িটি স্থাপন করা হয়। পিঠোপিঠি এই ঘড়িটির একটি মুখ ১ থেকে ৮ নাম্বার প্লাটফর্মের দিকে এবং অন্যটি ৯ থেকে ১৫ নাম্বার প্লাটফর্মের দিকে। এই ঘড়িটি ভারী লোহার ফ্রেমের ওপর স্থাপিত এবং স্টেশন ম্যানেজার অফিসের পাশের দেয়ালের সাথে সংযুক্ত।

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“জেন্টস” দ্বারা নির্মিত এই পুরানো ফ্যাশনের ঘড়িটি ৯৩ বছর পরও সঠিক সময় দেয় যার কারণে যাত্রীরা নিজেদের ঘড়ির সময় এটির সাথে মিলিয়ে নেন। আগে এই বিদ্যুৎ চালিত যান্ত্রিক ঘড়িটিতে একটি দূরনিয়ন্ত্রক পালসার যন্ত্রের মাধ্যমে একটি অফিস থেকে দম দেওয়া হতো এবং সময়ের সমন্বয় সাধন করা হতো। পরবর্তীতে বিদ্যুৎ পরিবাহী তারে সমস্যা সৃষ্টির কারণে দম দেওয়ার ব্যবস্থা ঘড়ির নিজের ভেতরেই করা হয়।এখন এই ঘড়িতে আর চাবি ঘুরিয়ে দম দেওয়ার প্রয়োজন হয় না।

বহু মানুষের মিলনস্থল হিসেবে ব্যবহৃত হাওড়ার “বিগ বেন” এই ঘড়িটিই প্রকৃত সময়ের স্বাদ দিয়ে এসেছে এবং ভবিষ্যতেও দেবে।

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এমন উন্নয়ন চাই না, প্রাকৃতিক ‘অক্সিজেন প্লান্ট’ বাঁচাতে পথে নামল মানুষ https://ekolkata24.com/uncategorized/dumurjola-bachao-commitee-on-road-save-howrahs-oxygen-plant Sat, 13 Nov 2021 03:58:09 +0000 https://ekolkata24.com/?p=11129 বিশেষ প্রতিবেদন : হাওড়ার ডুমুরজলা (Dumurjala) মাঠ নিয়ে প্রশাসনের লড়াই চলছে বহু দিন ধরে। প্রথম থেকেই মাঠ প্রেমীদের অভিযোগ রাজ্য সরকার এই বিশাল খেলার মাঠকে অধিগ্রহণ করে এমন কিছু একটা করে দিতে চাইছে যা আর সর্ব সাধারনের জন্য আর থাকবে না। ২০১৬ সাল থেকে এই সমস্যা চলতে চলতে পাঁচ বছর বাদ তা আরও বড় আকার নিয়েছে। এবার সরাসরি পথে নামল ডুমুরজলা মাঠ বাঁচাও কমিটি।

১২ তারিখ তাঁরা পদযাত্রা করে। মাঠ বাঁচানো নিয়ে তাঁদের দাবি , বক্তব্য তারা তুলে ধরেন। এই প্রসঙ্গে ওই কমিটি স্পষ্ট জানিয়েছে, “পরিবেশ ধ্বংস করে হাজার হাজার মানুষের দৈনন্দিন খেলাধুলা, শরীর চর্চা, আড্ডার জায়গা নষ্ট করে উন্নয়ন চাই না।”হাওড়াবাসীর কাছে তাঁদের আবেদন, “জীববৈচিত্র্য, বিভিন্ন ধরনের গাছ, জলাশয় সহ একটা প্রাকৃতিক বাস্তুতন্ত্র ডুমুরজলা এলাকা।

হাওড়া শহরের ফুসফুস ডুমুরজলা এলাকা। প্রাতঃভ্রমণ, ফুটবল, হকি, বাসকেট বল, ক্রিকেট, সহ একাধিক স্পোর্টস এর সঙ্গে জড়িয়ে থাকা কয়েক হাজার বাচ্চা ছেলেমেয়ে থেকে বড়রা সকলেই নির্ভরশীল ডুমুরজলার উপর। ৫৫ একর বিস্তৃত এই এলাকায় সরকার খেলনগরী বানাতে চলেছে। ইত্যিমধ্যেই হিডকোকে দিয়ে দেওয়া হয়েছে। সিএবি কে ১৪ একর জমি পাইয়ে দেওয়া হয়েছে। “খেলনগরী” তে আদপেই হাওড়া জেলার ছেলেমেয়েদের খেলাধুলার মান উন্নয়নের কোনো ব্যবস্থা নেই।

শুধুমাত্র আছে ব্যবসায়িক প্রজেক্ট। শোনা যাচ্ছে ৬০ তলা শপিং কমপ্লেক্স, হাউজিং কমপ্লেক্স, প্রাকৃতিক বাস্তুতন্ত্র ধ্বংস করে আর্টিফিশিয়াল ওয়াটার বডি, মাঠ তৈরির পরিকল্পনা রয়েছে এই প্রজেক্টে। ইতিমধ্যেই কেটে ফেলা হয়েছে বেশ কিছু পুরনো গাছ। এবং এখনও অবধি সমস্ত কিছুই চলছে সবাইকে আড়ালে রেখে। স্পষ্টতই আমরা হাওড়াবাসী এই প্রজেক্টের বিরোধিতা করছি। সাধারণ মানুষ ও প্রকৃতি বিরোধী এই ‘উন্নয়ণ’ আমরা চাই না।

কংক্রিটের জঙ্গলের মধ্যেও টিম টিম করে টিকে থাকা হাজার হাজার মানুষের শ্বাসপ্রশ্বাস এর আশ্রয়স্থল, আড্ডা দেওয়ার জায়গা, প্রেম করার জায়গা, খেলাধুলার জায়গা, প্রাকৃতিক বাস্তুতন্ত্র সমৃদ্ধ ডুমুরজলা কে বাঁচাতে হাওড়া শহরের নাগরিক সমাজের মানুষদের নিয়ে তৈরি হয়েছে “ডুমুরজলা মাঠ বাঁচাও কমিটি”।

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Diwali: আলোকময় দীপাবলির বার্তা নিয়ে পথে হাওড়ার সাইকেলপ্রেমীরা https://ekolkata24.com/offbeat-news/howrah-bicycle-lovers-on-the-way-with-the-message-of-bright-diwali Wed, 03 Nov 2021 10:37:38 +0000 https://www.ekolkata24.com/?p=10157 Special Correspondent, Kolkata: দীপাবলি মানেই আলোর উৎসব। কিন্তু দীপাবলিতে শব্দদানবের অত্যাচারে কার্যত অতীষ্ট হয়ে উঠতে হয় বঙ্গবাসীকে। শব্দবাজির দাপট তো রয়েইছে তার সাথে ডিজে বক্সের দানবীয় দাপট। এই প্রেক্ষাপটে দাঁড়িয়ে দূষণমুক্ত দীপাবলির বার্তা নিয়ে পথে নামলেন হাওড়ার সাইকেল আরোহীরা।

সুইচ অন ফাউন্ডেশনের মূল উদ্যোগে হাওড়া সাইকেল আরোহীর সহযোগিতায় হাওড়া রামরাজাতলা থেকে কোলকাতার ভিক্টোরিয়াল মেমোরিয়াল অব্ধি সাইকেল র‍্যালি অনুষ্ঠিত হল। এই র‍্যালিতে অংশ নেন ৩০ জন সাইকেল আরোহী। চলার পথে হাতে ফ্লেক্স নিয়ে পথচলতি মানুষের কাছে বার্তা দেন সাইকেল আরোহীরা। হাওড়া সাইকেল আরোহীর অন্যতম সদস্য শিক্ষক রাকেশ দাস জানান, দীপাবলিতে দূষণে ভরে ওঠে আমাদের প্রিয় শহর। দীপাবলি মানে আলোর উৎসব। তাই শব্দ নয়, আলোর উৎসবে মেতে উঠুক সকলে। এই বার্তা দিতেই আমাদের এই উদ্যোগ।”

দীপাবলি, বা, দেওয়ালি হল একটি পাঁচ দিন-ব্যাপী হিন্দু ধর্মীয় উৎসব। তবে জৈন-শিখ ধর্মালম্বীরাও এই সময়ে একই ধরনের উৎসব পালন করে থাকেন। আশ্বিন মাসের কৃষ্ণা ত্রয়োদশীর দিন ধনতেরাস অথবা ধনত্রয়োদশী অনুষ্ঠানের মধ্য দিয়ে দীপাবলি উৎসবের সূচনা হয়। কার্তিক মাসের শুক্লা দ্বিতীয়া তিথিতে ভাইফোঁটা অনুষ্ঠানের মাধ্যমে এই উৎসব শেষ হয়। নবরাত্রি উৎসব অথবা বাঙালিদের দুর্গোৎসব শেষ হওয়ার ১৮ দিন পর দীপাবলি শুরু হয়। গ্রেগরিয়ান ক্যালেন্ডার অনুসারে, মধ্য-অক্টোবর থেকে মধ্য-নভেম্বরের মধ্যে দীপাবলি অনুষ্ঠিত হয়।

Howrah bicycle lovers

দীপাবলি ভারত, নেপাল, শ্রীলঙ্কা, মায়ানমার, মরিশাস, গুয়ানা, ত্রিনিদাদ ও টোবাগো, সুরিনাম, মালয়েশিয়া, সিঙ্গাপুর ও ফিজিতে একটি সরকারি ছুটির দিন। বাংলাদেশে এই দিনে শিক্ষা প্রতিষ্ঠানগুলোতে ছুটি দেয়া হয়। হিন্দুদের কাছে, দীপাবলি একটি গুরুত্বপূর্ণ উৎসব। এই দিন সব হিন্দুরা বাড়িতে নানা ধরনের অনুষ্ঠানের আয়োজন করেন। বাংলা, আসাম, ওড়িশা ও মিথিলাতে এই দিনটি কালীপূজা হিসেবে উদ্‌যাপন করা হয়। ভারতীয় সমাজের দৃঢ় বিশ্বাস ‘দুষ্টের দমন ও শিষ্টের পালন’ বা ‘ন্যায়ের কাছে অন্যায়ের পরাজয়’ এই নীতিতে। দীপাবলির মাধ্যমে উপনিষদের আজ্ঞায় এই কথাটা খুবই সদৃঢ় ভাবে চরিতার্থ হয়ে ওঠে যথা “অসতো মা সৎ গময়। তমসো মা জ্যোতির্গময়। মৃত্যোর্মা অমৃতং গময়। ওঁ শান্তিঃ॥ ওঁ শান্তিঃ॥ ওঁ শান্তিঃ॥” অর্থাৎ “অসৎ হইতে সত্যে লইয়া যাও, অন্ধকার হইতে জ্যোতিতে লইয়া যাও, মৃত্যু হইতে অমরত্বে লইয়া যাও। সর্বত্র যেন ছড়াইয়া পড়ুক শান্তির বার্তা॥” উত্তর ভারতীয় হিন্দুদের মতে দীপাবলির দিনেই শ্রীরামচন্দ্র চৌদ্দ বছরের নির্বাসনের পর অযোধ্যা ফেরেন। নিজের পরমপ্রিয় রাজাকে ফিরে পেয়ে অযোধ্যাবাসীরা ঘিয়ের প্রদীপ জ্বেলে সাজিয়ে তোলেন তাদের রাজধানীটাকে।

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p style=”text-align: justify;”>এই দিনটিতে পূর্বভারত বাদে সম্পূর্ণ ভারতবর্ষে লক্ষ্মী-গণেশের পুজোর নিয়ম আছে। জৈন মতে, ৫২৭ খ্রিস্ট পূর্বাব্দে মহাবীর দীপাবলির দিনেই মোক্ষ বা নির্বাণ লাভ করেছিলেন। ১৬১৯ খ্রিষ্টাব্দে শিখদের ষষ্ঠ গুরু হরগোবিন্দ ও ৫২ জন রাজপুত্র দীপাবলির দিন মুক্তি পেয়েছিলেন বলে শিখরাও এই উৎসব পালন করেন। আর্য সমাজ এই দিনে স্বামী দয়ানন্দ সরস্বতীর মৃত্যুদিন পালন করে। তারা এই দিনটি “শারদীয়া নব-শস্যেষ্টি” হিসেবেও পালন করেন। এছাড়া, নেপাল-ভারত-বাংলাদেশের সকল সম্প্রদায়ের মানুষের মধ্যেই এই উৎসব নিয়ে উদ্দীপনা লক্ষ্য করা যায়।

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Kali Pujo: গ্রামীন হাওড়ার বুকে ‘একটুকরো গুজরাট’ https://ekolkata24.com/uncategorized/theme-of-kali-pujo-in-howrah-is-gujarat Wed, 03 Nov 2021 09:17:17 +0000 https://www.ekolkata24.com/?p=10140 News Desk, Kolkata: বাংলার রাজনীতি বলছে গুজরাটি সংস্কৃতি হঠাও দেশ বাঁচাও। বাংলার এক গ্রাম সেই গুজরাটি শিল্পকেই কালী আরাধনার অঙ্গ করেছে। উদয়নারায়ণপুরের বুকে ‘একটুকরো গুজরাট’। শুনতে একটু অবাক মনে হলেও এটাই সত্যি! এবার কালীপুজোয় উদয়নারায়ণপুরের বুকে ‘একটুকরো গুজরাট’ ভাবনাকে তুলে ধরেছে বরুইপুর ঝটিকা বাহিনী।

পঞ্চাশোর্ধ্ব এই পুজোর এবারের ভাবনা ‘একটুকরো গুজরাট’। সেই ভাবনাকে তুলে ধরতেই গুজরাটের ঐতিহ্যবাহী লিপ্পন শিল্পকলার মধ্যে দিয়ে মন্ডপ, প্রতিমাকে সাজিয়ে তুলছেন শিল্পীরা। গুজরাটের বিখ্যাত সোমনাথ মন্দিরের আদলে গড়ে তোলা হচ্ছে মন্ডপের প্রবেশদ্বার। মন্ডপের ভিতরে ও প্রতিমা নির্মাণ করা হচ্ছে লিপ্পন শিল্পকলার মাধ্যমে। মন্ডপসজ্জায় ব্যবহার করা হচ্ছে প্যারিসের প্লেট, জরি, কাঁচ বিভিন্ন সামগ্রী। উদ্যোক্তারা জানান, এবার তাদের বাজেট প্রায় আড়াই লক্ষ টাকা।

পুজো কমিটির অন্যতম কর্তা শিক্ষক অনুপম মন্ডল জানান, প্রতিবারই আমরা উদয়নারায়ণপুরের প্রত্যন্ত গ্রামের বুকে থিমের পুজো করে সকলকে চমক দিই। এবারও তার ব্যতিক্রম হয়নি। এবার আমাদের ভাবনা গুজরাট। মূলত গুজরাটের বিখ্যাত লিপ্পন শিল্পকলার মাধ্যমে এবার আমাদের মন্ডপ ও প্রতিমা সাজিয়ে তোলা হচ্ছে।

সংগঠনের আরেক কর্তা কুন্তল মাজি জানান,”চিকিৎসক অরিত্র মাজির মস্তিষ্কপ্রসূত এই ‘একটুকরো গুজরাট’এর ভাবনাকে বাস্তবায়িত করছেন শিল্পীরা।” হাতে আর মাত্র একদিন। তাই জোরকদমে শেষ মুহুর্তের মন্ডপ সজ্জার প্রস্তুতি চলছে। অন্যান্যবার সাংস্কৃতিক অনুষ্ঠানের আয়োজন থাকলেও এবার কোভিডের কারণে তা বন্ধ রেখেছে বরুইপুরের এই পুজো কমিটি। তাদের আহ্বান, কোভিড বিধি মেনে উৎসবে সকলে সামিল হোক। শব্দদূষণ নয়, উৎসব হোক আলোকময়।

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যাত্রী তোলাকে কেন্দ্র করে বাস-টোটোর বিবাদে বন্ধ একাধিক রুট https://ekolkata24.com/uncategorized/multiple-routes-closed-due-to-bus-toto-dispute-centered-on-picking-up-passengers Wed, 03 Nov 2021 03:59:54 +0000 https://www.ekolkata24.com/?p=10115 News Desk: যাত্রী তোলাকে কেন্দ্র করে বাস ও টোটোর মধ্যে বিবাদ। সেই বিবাদ পৌঁছায় হাতাহাতিতে। তারপরই বন্ধ হয়ে গেল বাস। ঘটনাটি ঘটেছে গ্রামীণ হাওড়ার আমতা-২ জয়পুরে। সূত্রের খবর, যাত্রী তোলা নিয়ে জয়পুর থানার সাবগাছতলা এলাকায় জয়পুর-বাগনান রুটির একটি বাসের সাথে একটি টোটোর ড্রাইভারের তুমুল বচসা হয়। বেশ কিছুক্ষণের জন্য বন্ধ হয়ে যায় বাগনান-জয়পুর রুটের বাস চলাচল। পরে পুলিশের হস্তক্ষেপে পরিস্থিতি স্বাভাবিক হয়।

বাসে ডিউটি করে জয়পুর মোড় থেকে কাঁকরোলের গ্রামে বাড়ি ফিরছিলেন সংশ্লিষ্ট রুটের এক বাস চালক। সেই সময় তার উপর চড়াও হয় বেশ কয়েকজন দুষ্কৃতি। তাকে বেধড়ক মারধর করা হয় বলে অভিযোগ। আহত অবস্থায় তাকে উদ্ধার করে স্থানীয় হাসপাতালে নিয়ে যাওয়া হয়। প্রাথমিক চিকিৎসার পর আহত বাস ড্রাইভারকে ছেড়ে দেওয়া হয়। এই ঘটনার বিরুদ্ধে প্রতিবাদ জানিয়ে মঙ্গলবার সকাল থেকেই জয়পুর-বাগনান রুটের বাস বন্ধ করে দেন বাস মালিক, ড্রাইভার ও কন্ডাকটররা। পাশাপাশি, হাওড়া-ঝিকিরা রুটেরও বাস বন্ধ করে দেন বাসকর্মীরা। হঠাৎ বাস বন্ধের জেরে সমস্যায় পড়েন বহু যাত্রী।

এদিকে রাজ্যে পেট্রোল–ডিজেল সেঞ্চুরি করেছে। স্বাভাবিকভাবেই বেসরকারি বাস বিপাকে পড়েছে। একই ভাড়ায় এভাবে দিনের পর দিন টানা সম্ভব নয় বলে পরিবহণমন্ত্রীকে চিঠি পর্যন্ত দিয়েছেন বাস–মালিক সংগঠনের কর্তারা। সেখানে উল্লেখ করা হয়েছে, ২০১৮ সালের ৮ জুনের পর পশ্চিমবঙ্গে বাস ভাড়া বাড়েনি। সেখানে লাগাতার বেড়ে চলেছে পেট্রোপণ্যের দাম। তাতে হিমসিম খাচ্ছেন বাস–মালিকরা। অনেকেই বাস রাস্তায় নামানো পর্যন্ত বন্ধ করে দিয়েছেন।

এই পরিস্থিতিতে এখন চাপ পড়ছে সরকারি বাসের উপর। কিন্তু লোকসান মেনে নিয়ে তাঁরাও কতদিন বাস চালাতে পারবেন তা নিয়ে প্রশ্ন দেখা দিয়েছে। বেসরকারি বাস–মালিকদের বক্তব্য, ভাড়া না বাড়লে বাস বন্ধ পুরোপুরি হয়ে যাবে। তাই ভাঁইফোটার পর বাস–মালিকদের নিয়ে বৈঠকে বসতে চলেছেন পরিবহণমন্ত্রী ফিরহাদ হাকিম। এই বিষয়ে তিনি বলেন, ‘‌পেট্রোল–ডিজেলের দাম বাড়ছে। তাতে বাস–মালিকদের সত্যিই সমস্যা হচ্ছে। এইদিকটা দেখতে হবে। তাই সিদ্ধান্ত নিয়েছি ভাঁইফোটার পর বাস–মালিকদের নিয়ে বৈঠকে বসব।’‌

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Covid 19: ট্রেনে থিকথিক ভিড়ে অট্টহাসি করোনার, আশঙ্কায় চিকিৎসকরা https://ekolkata24.com/uncategorized/covid-19-again-the-possibility-of-an-increase-in-corona-infection Mon, 01 Nov 2021 04:00:05 +0000 https://www.ekolkata24.com/?p=9874 News Desk, Kolkata: সপ্তাহ শুরু হলো সংক্রমণের জেট গতি দিয়ে। লোকাল ট্রেনের থিকথিকে ভিড় দেখে এমনই আশঙ্কা করছেন চিকিৎসক ও বিশেষজ্ঞরা। প্রবল ভি়ড়ের চাপে করোনা বিধি উড়ে গিয়েছে। আর এই ভিড় দেখে অট্টহাসি শুরু করেছে করোনাভাইরাস।

দুর্গাপূজার ভিড় সংক্রমণ ছড়িয়েছে তার প্রমাণ প্রতিদিনই করোনা আক্রান্তের সংখ্যার হার বাড়ছে। এবার লোকাল ট্রেন চালু হওয়ায় সংক্রমণ গতি আরও বাড়তে চলল।

৫০ তাংশ যাত্রী নিয়ে রবিবার থেকেই চালু হয়েছে লোকাল ট্রেন পরিষেবা ৷ রাজ্য সরকারের এই সিদ্ধান্তে রেলযাত্রীরা খুশি। কারণ ট্রেনে যাতায়াত সস্তাজনক ও দ্রুত। কিন্তু ভিড়ের ঠেলায় করোনা ছড়ানোর আশঙ্কা প্রবল।

সোমবার সেই ছবি স্পষ্ট হয়েছে। নতুন করে ট্রেন চালু হতেই, হাওড়া কর্ড ও মেন শাখা, শিয়ালদহের সব শাখা, শহরতলির চক্ররেলেপ কামরা ভিড় আগের মতো। একইভাবে বর্ধমান আসানসোল শাখাতেও ভিড়। লোকাল ট্রেনে বাদুড়ঝোলা হয়ে যাত্রীদের গন্তব্যে পৌঁছে যাচ্ছেন। খুলে যাচ্ছে মাস্ক। তাতে নো পরোয়া।

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এই বাড়িতে দুর্গা পূজিতা হন সর্বমঙ্গলা রূপে https://ekolkata24.com/uncategorized/howrah-durga-here-gets-puja-as-howrah-sarvamangala-devi Thu, 07 Oct 2021 06:00:31 +0000 https://www.ekolkata24.com/?p=6827 বিশেষ প্রতিবেদন: হাওড়া জেলার প্রাচীন বনেদি পরিবারের মধ্যে অন্যতম এই দুর্গাপুজো। তবে মা এখানে পূজিত হন সর্বমঙ্গলা রূপে। এখানকার পূজা জমিদার বাড়ির পূজা না হলেও পূজার সাথে যুক্ত আছে মায়ের এক আধ্যাত্মিক ও অলৌকিক কাহিনী।

স্বর্গীয় ধীরেন্দ্রনাথ চক্রবর্তী এই পূজার প্রথম সূচনা হয় হাওড়া জেলার ঝিকিরা গ্রামে। আনুমানিক ৮০ বছর আগে ১৯৪১ সালে এই পূজার সূচনা হয়।তবে সময়ের পরিবর্তনে পরিবারের সকল সদস্যরা বর্তমানে হাওড়ার বকুলতলা লেনে রামরাজতলা এলাকায় চলে আসে। ২০০৫ সালে দুর্গা পুজো শুরু হয় ঘট ও মা এর পট চিত্রে ও নবপত্রিকা তে। ২০০৯ সালে মৃন্ময়ীরূপে মা এর আগমন চক্রবর্তী বাড়িতে তারপর থেকে বর্তমান বাড়িতে পুজো হয়ে আসছে।

এবার একটু বলা যাক বাড়ির পূজা সূচনার বিষয়টি।পূজার সূচনার বিষয়টি বলতে গেলে পিছিয়ে যেতে হবে প্রায় ৬০ বছর পিছনে।পুরাকালে মা কালীর স্বপ্নাদেশ এই বাড়িতে স্থাপন হয় বুড়িমার ও মা মঙ্গলা কালীর মন্দির। মায়ের স্বপ্নাদেশে এখানে দুর্গার পূজা শুরু হয়। প্রথমেই বাড়িতে পটে পুজা হত। তবে পরবর্তীতে মা মঙ্গলার নির্দেশে পরবর্তীতে মায়ের মৃন্ময়ী মূর্তি পূজা শুরু হয়।পূর্বে নিজ গৃহেই প্রতিমা তৈরি হতো তবে কর্মব্যস্ততায় জীবনের ফলে এখন প্রতিমা কুমোরটুলি থেকে আনা হয়। রথের পরে যে প্রথম শনিবার আসে সেই দিন মূর্তির মূল্য পূজার মধ্য দিয়ে মায়ের পূজার সূচনা হয়। তারপর মায়ের মূর্তি তৈরি শুরু হয় বর্তমানে কুমারটুলির মহিলা শিল্পী কাকলি পালের হাতে।

Howrah sarvamangala devi

এবার বলা যাক বাড়ির মূল পূজা সম্পর্কে,বাড়ির নিয়ম অনুযায়ী মহালয়ার আগের দিন অর্থাৎ মাতৃপক্ষ শুরুর আগের দিন কুমোর শালা থেকে বাড়ির গর্ভগৃহে ( গৃহমন্দিরে ) মূর্তি আনায়ন করা হলেও দেবীর বোধন হওয়ায় মহাষষ্ঠীতে। বাড়ি ব্রাহ্মণ বংশ জাত হ‌ওয়ার কারণে পরিবারের সদস্যরাই এই পূজার মূল পুরোহিতের দায়িত্ব পালন করে আসেন। আর পাঁচ দিন ধরে মায়ের বিশেষ পূজা চলে সম্পূর্ণ শাক্ত মতে। বাড়ির নিয়ম অনুযায়ী এখানে নবপত্রিকা স্নান বাড়ির মধ্যেই সম্পন্ন হয়। সপ্তমীতে দেবীকে দেওয়া হয় অন্নভোগ এবং সঙ্গে থাকে শুক্ত, ভাজা, আলু ভাজা ,আলুর দম, ডাল এবং বড়ির ঝাল তরকারি , পরমন্ন, চাটনি দই , মিষ্টি , পান যেটা এই বাড়ির বিশেষত্ব। এবং অষ্টমীতে থাকে লুচি ,আলুরদম, ফুলকপির ডালনা, সুজির পায়েস, চাটনি ও মিষ্টি এবং নবমীতে হয় পোলাও, আলুর দম ,পনিরের তরকারি, চাটনি, পরমান্ন এবং দশমীতে মায়ের কোন অন্নভোগ হয় না সেদিন দেওয়া হয় দোধিকর্মা ( দই , চিড়ে , মুড়কি মিষ্টি )। মা এর স্বপ্নাদেশে এই বাড়ির বিশেষত্ব ও মায়ের প্রধান ভোগ হল চিঁড়ে, মুড়কি যা অন্ন ভোগের আগে নিবেদন করা হয়। এই ভোগ মহা সপ্তমী অষ্টমী ও নবমীতে নিবেদন করা হয় ।

বৈদিক শাস্ত্র মতে দুর্গাপূজার বলি হিসাবে পাঁঠার কথা উল্লেখ থাকলেও এই বাড়িতে কোন দিনই বলি হয় না ,বলির বদলে দেওয়া হয় বিল্ব পত্রের মাল্য। বাড়ির নিয়ম অনুযায়ী দশমীতে অপরাজিত পূজার পর ব্রাহ্মণ নবপত্রিকা ও মায়ের স্নান দর্পণ, একটি অস্ত্র ও বিল্লবাসিনি দুর্গা মাকে প্রতিষ্ঠিত জলাশয়ে বিসর্জন দেওয়া হয়। তারপর হাওড়া ময়দান সংলগ্ন গঙ্গার ( রামকৃষ্ণপুর ) ঘাটে দেবীর মূর্তিমান প্রতিমা বিসর্জন দেওয়া হয়। বিসর্জনের পর গঙ্গার জল দেবী ঘটে ভোরে আনা হয় যা সারা বছর বড়ির গৃহ মন্দিরে মায়ের বেদীতে পূজা হয়। এইভাবে ধীরেন্দ্রনাথ চক্রবর্তীর পরবর্তী প্রজন্ম এই বাড়ির পূজার ধারক ও বাহক হয়ে আসছেন।

তবে দূর্গা পূজা পাঁচ দিন ধরে চললেও এই বাড়িতে সারা বছরই উৎসব লেগে থাকে, প্রতি আমাবস্যায় গৃহ মন্দিরে চলে বিশেষ পূজা এবং ভোগ নিবেদন। বৈশাখী আমাবস্যা চলে মা মঙ্গলা কালীর প্রতিষ্ঠাতা পূজা এবং হাজির হয় অজস্র ভক্তণন। এই ভাবে বংশপরম্পরায় মায়ের বিভিন্ন রুপে পূজা হয়ে আসছে এই চক্রবর্তী বাড়িতে। প্রতিবছর মা এর আরাধনায় মেতে ওঠে গোটা পরিবার। এই পরিবারে মাতৃ আরাধনায় আন্তরিকতা ও ভক্তিভাবের কোনও অভাব থাকে না ।

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হাওড়ার গ্রাম রাজ করছেন ‘পুতুল’ রূপে রানি ভিক্টোরিয়া https://ekolkata24.com/offbeat-news/queen-victoria-lives-in-this-village-of-howrah-as-a-doll Tue, 28 Sep 2021 16:23:29 +0000 https://www.ekolkata24.com/?p=5886 বিশেষ প্রতিবেদন: রাণী ভিক্টোরিয়ার (Queen victoria) এক কাছের বন্ধু ছিল। নাম ছিল আবদুল। তাঁর রানীর সঙ্গে দহরম- মহরম দেখে রাজকর্মীদের ব্যাপক বিরক্ত হত। আবদুলকে সরানোর নানা চেষ্টা করেও তারা ব্যর্থ হন। রানীর ঘনিষ্ঠ বন্ধু ছিলেন প্রিন্স দ্বারকানাথ ঠাকুর। 

কলকাতা শহরে তাঁর পা’ও পড়েছিল বেশ কয়েকবার। কিন্তু হাওড়া? না সেখানে কোনও কারনে কি গিয়েছিলেন ব্রিটিশ রাজেশ্বরী? তাহলে কি করে গ্রামীন হাওড়ার পুতুল শিল্পে আজও দেখা মেলে রানী ভিক্টোরিয়ার অবয়বের। আছে আছে। যোগ আছে।

queen victoria

পোড়ামাটির এই বিশেষ পুতুলটিকে গোলাপি রঙ করে তাতে অভ্র মেশানো হয়। মাথাজুড়ে কোঁকড়ানো চুল। তবে থাকে না কোনও পা। কোমর থেকে দেহের বাকি অংশ ঘাঘরা ঢাকা। কখনও কখনও দৃষ্টিনন্দন করে তুলতে মুকুটও পরানো হয়। গুটিকয়েক মানুষের হাত ধরে বেঁচে আছে হাওড়া জেলার এই লোকশিল্প। নাম , রানী পুতুল।

গ্রামীণ হাওড়ার জগৎবল্লভপুর,পাতিহাল,নরেন্দ্রপুর সহ বিভিন্ন গ্রামে এককালে প্রচুর তৈরি হতো এই বিশেষ পুতুল। ম্লান হয়েছে শিল্প। তবুও শিল্পকে ভালোবেসে,পুতুল সংস্কৃতিকে ভালোবেসে দিবাকর পালের মতো শিল্পীরা বানিয়ে চলেছেন হাওড়া জেলার নিজস্ব ‘রানি পুতুল’। বিষ্ণুপুরের পোড়ামাটি বা টেরাকোটার মতো মনে হলেও আদতে এটি একটি সম্পূর্ণ ভিন্ন ঘরানার পুতুল।

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কিন্তু রানীর সঙ্গে ‘নাড়ির’ যোগ কোথায়? ইতিহাস ঘাঁটলে জানা যাচ্ছে, শিল্পী থেকে পুতুল-গবেষক প্রায় সকলেই একবাক্যে স্বীকার করেন যে,মূলত কোনো রক্তমাংসের রানীই এই পুতুলের আদর্শ। আর সেই পথ ধরেই ইতিহাসের পাতা ঘাঁটলে এই পুতুলের নামকরণ বা প্রচলন সম্পর্কিত বিশেষ তথ্য উঠে আসে। ইংল্যান্ডের রানী ভিক্টোরিয়ার ভারতপ্রীতি তৎকালীন সমাজের বহু মানুষকেই মুগ্ধ করেছিল। রদ করেছিলেন ‘ইস্ট ইন্ডিয়া কোম্পানি’র শাসন।

রানির এমন উদ্যোগকে স্বাগত জানিয়েছিলেন ভারতবর্ষের বহু মানুষ। যার প্রভাব ভারতের শিল্প-সংস্কৃতি-সাহিত্যেও।লোকসংস্কৃতি গবেষকদের মতে,দক্ষিণ পাতিহাল ও জগৎবল্লভপুরের নরেন্দ্রপুর গ্রামের পুতুল শিল্পীরা যে পুতুল বানালেন তার মধ্যে নিয়ে এলেন রানী ভিক্টোরিয়ার দেহ-চুলের গঠন।আর এভাবেই হাওড়া জেলার সংস্কৃতিতে স্থান করে নিলেন কয়েক হাজার মাইল দূরে থাকা রানী ভিক্টোরিয়া।

বঙ্গ সমাজ,সভ্যতা ও সংস্কৃতির অন্যতম উপাদান পুতুল।বহু প্রাচীনকাল থেকেই পুতুলের প্রচলন। বাংলার বিভিন্ন স্থানে খনন কার্য চালিয়ে পোড়া মাটির পুতুল পাওয়া গিয়েছে। তার মাধ্যমেই প্রমাণিত হয় বাংলার জনসমাজকে পুতুলের মাধ্যমে চিত্রিত করার এক প্রবণতা সুপ্রাচীন কাল থেকেই চলে আসছে।

বাংলার বুকে বিভিন্ন রকমের পুতুলের প্রচলন আছে। যদিও কালের নিয়মে আজ বেশিরভাগেরই ঠাঁই হয়েছে ইতিহাসের পাতায়, মিউজিয়ামের টেবিলে। ফেসবুক,হোয়াটসঅ্যাপের যুগে গ্রাম বাংলার বুক থেকে হারিয়ে যেতে বসেছে পুতুলখেলা শৈশবও। অন্যতম রানী পুতুল। শিল্পপাগল মানুষের হাতে ধরে হাওড়া জেলার শিল্প,সংস্কৃতি ও ঐতিহ্যের ধারাকে যা বহন করে নিয়ে চলেছে।

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