IAF – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Thu, 06 Jun 2024 09:02:47 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png IAF – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 उत्तरकाशी में फंसे 9 ट्रैकर्स की मौत, 13 लोगों को एयरलिफ्ट बचाया गया https://ekolkata24.com/uncategorized/9-trekkers-trapped-in-uttarkashi-died Thu, 06 Jun 2024 09:02:47 +0000 https://ekolkata24.com/?p=48022 देहरादून : उत्तरकाशी के सहस्त्र ताल ट्रैकिंग रूट पर 22 सदस्यों का दल खराब मौसम के चलते फंस गया था। 4 जून को रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। 22 में से 13 लोगों को एयरलिफ्ट कर सुरक्षित जगह पर पहुंचा दिया गया है। 9 ट्रैकर्स के शव भी बरामद कर लिए गए हैं। रेस्क्यू शुरू होने से खत्म होने तक उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी लगातार जिला प्रसाशन से अपडेट लेते रहे. इस रेस्क्यू ऑपरेशन को 36 घंटे में पूरा किया गया।

उत्त्तरकाशी के सहस्त्र ताल ट्रैक रूट पर चल रहे 22 सदस्यों दल का रेस्क्यू अभियान आज यानि गुरुवार को पूरा हो गया है। खराब मौसम में कुफरी टॉप पर फंसे 13 ट्रैकर्स का सुरक्षित रेस्क्यू किया गया। जबकि, 9 शव बरामद किए गए हैं। कर्नाटक ट्रेकिंग एसोसिएशन का 22 सदस्यीय ट्रैकिंग दल उत्तरकाशी के सिल्ला गांव से 29 मई को सहस्त्रताल के लिए रवाना हुआ था। 4 जून को तेज तूफान और बारिश के चलते दल रास्ता भटक गया।

ट्रैकिंग दल के एक सदस्य ने मंगलवार की शाम को यह जानकारी जिला आपदा प्रबंधन उत्तरकाशी तक पहुंचाई, जिसके बाद जिला प्रशासन सक्रिय हो गया। इस ट्रैकिंग दल ने पर्यटन और वन विभाग से 29 मई से 7 जून तक की अनुमति ली थी. ट्रैकर्स के कुफरी टॉप में फंसने की सूचना मिलते ही मंगलवार देर शाम से रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया गया, जो कि आज पूरा हो गया है। यह रेस्क्यू ऑपरेशन 36 घंटे तक चला. राज्य पुलिस, वन विभाग, एसडीआरएफ और वायुसेना की मदद से यह रेस्क्यू पूरा किया गया। सभी ट्रैकर्स को एरलिफ्ट करके सुरक्षित जगह पहुंचाया गया।

रेस्क्यू के दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार जिला प्रसाशन से अपडेट लेते रहे. 22 में से 13 लोगों का सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया था। जबकि, 9 शवों को भी बरामद कर लिया गया है। शवों को पंचनामा के लिए अस्पताल भिजवाया गया है। मौजूदा वक्त में घटनास्थल पर मौसम साफ है। नटीण हेलीपैड पर रेस्क्यू के लिए जरूरी वाहन और स्टाफ तैनात किए गए हैं। मातली हेलीपैड में एक एंबुलेंस तैनात की गई है। SDRF के जवान मातली हेलीपैड पर तैनात हैं। पुलिस प्रशासन के अधिकारी भी मौके पर मौजूद हैं।

अस्पताल में भर्ती एक ट्रैकर ने बताया कि घटना वाले दिन उनका ग्रुप वापस लौट रहा था। जिस जगह पर वो फंसे थे, वहां बर्फबारी हो रही थी और अचानक 90 किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से तेज हवाएं चलीं, जिससे पूरा ग्रुप वहां फंस गया। सहस्त्र ताल ट्रैक उत्तराखंड के गढ़वाल इलाके में स्थित एक लोकप्रिय ट्रैक है। यहां की सुंदरता देखने लायक है. इन दिनों ट्रैकर्स और सैलानी ट्रैक का भ्रमण करने आते रहते हैं। करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सहस्त्र ताल ट्रैक की शुरुआत ऋषिकेश से होती है। ऋषिकेश से कमद गांव की दूरी लगभग 130 किलोमीटर है। उत्तरकाशी से ‘कुछ कल्याण बेस’ से सहस्त्र ताल ट्रैक की चढ़ाई शुरू होती है।

सहस्त्र ताल तक पहुंचने के लिए कुल ट्रैक की लंबाई लगभग 30-35 किलोमीटर है, जो अलग-अलग रास्तों पर निर्भर करती है। ट्रैक को पूरा करने में आमतौर पर 7-8 दिन लगते हैं। इस ट्रैक में कई सुंदर ताल शामिल हैं। यह ट्रैक हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों, हरे-भरे घास के मैदानों और घने जंगलों के बीच से होकर गुजरता है। लेकिन जितना सुंदर यह ट्रैक है, उतना ही कठिन इसका सफर भी है। यहां ट्रैकिंग के लिए शरीर का फिट होना बेहद जरूरी है। ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी भी कभी कबार महसूस की जाती है।

 

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Abhinandan Varthaman: পাকিস্তানের F-16 যুদ্ধবিমান ধ্বংস করে বীরচক্র উইং কমান্ডার অভিনন্দন https://ekolkata24.com/uncategorized/iaf-abhinandan-varthaman-receives-vir-chakra-today-for-shooting-down-pakistans-f-16-fighter-plane Mon, 22 Nov 2021 09:46:16 +0000 https://ekolkata24.com/?p=12019 News Desk: ২০১৮ সালের ২৭ ফেব্রুয়ারির এক সকাল। পুরনো মিগ-২১ যুদ্ধবিমান উড়িয়ে পাকিস্তানের (Pakistan) অভ্যন্তরে প্রবেশ করেছিলেন অভিনন্দন বর্তমান (Avinandan Bartaman) নামে বায়ুসেনার এক উইং কমান্ডার।

শুধু পাকিস্তানের সীমানার অভ্যন্তরে ঢুকে পড়া নয়, পুরনো মিগ বিমান দিয়েই ধ্বংস করে দিয়েছিলেন পাকিস্তানের অত্যাধুনিক এফ-১৬ যুদ্ধবিমান। সেই অনন্য সাহসিকতাকে সম্মান জানাতে অভিনন্দন বর্তমানকে বীরচক্র (beer chakra) সম্মান দেওয়া হল। প্রতিরক্ষার ক্ষেত্রে বীরচক্র হল তৃতীয় সর্বোচ্চ সম্মান।

সোমবার রাষ্ট্রপতি রামনাথ কোবিন্দ (Ramnath Kovind) অভিনন্দনকে এই সম্মানে সম্মানিত করেন। বর্তমানে অভিনন্দন গ্রুপ ক্যাপ্টেন। আর কয়েকদিন পরেই বায়ুসেনার গ্রুপ কমান্ডারের দায়িত্ব পেতে চলেছেন তিনি। বালাকোট (balakot) হামলার সময় অভিনন্দন বর্তমানের সাহসিকতাকে কুর্নিশ জানিয়েছিল গোটা দেশ।

IAF Abhinandan Varthaman

পাক সেনার হাতে বন্দি হওয়ার পরও সাহস ও ধৈর্য হারাননি এই তরুণ সেনা পাইলট। শুধু অভিনন্দন নয়, তাঁর ৫১ স্কোয়াড্রনও পেল বিশেষ পুরস্কার।

উল্লেখ্য, যুদ্ধক্ষেত্রে অসম সাহসিকতার পরিচয় দেওয়া সংশ্লিষ্ট সেনাদের হাতে এই সম্মান দেওয়া হয়। সামরিক ক্ষেত্রে সর্বোচ্চ সম্মান হল পরমবীর চক্র। তার পর পর্যায়ক্রমে রয়েছে মহাবীর চক্র এবং বীরচক্র সম্মান। অভিনন্দন ছাড়াও বায়ুসেনার আরো ৫ যুদ্ধ বিমান চালকের হাতে এদিন এই সম্মান তুলে দেন রাষ্ট্রপতি।

উল্লেখ্য, ২০১৯ সালের সেপ্টেম্বর মাসে জম্মু কাশ্মীরের পুলওয়ামায় সিআরপিএফের কনভয়ে পাক জঙ্গি সংগঠন হামলা চালালে ৪৪ জন জওয়ান শহিদ হয়েছিলেন। ওই ঘটনার ১৩ দিন পর পর পাল্টা আঘাত হানে ভারতীয় বায়ুসেনা। পাকিস্তানের অভ্যন্তরে ঢুকে জইশ-ই-মহম্মদ জঙ্গিগোষ্ঠীর সবচেয়ে শক্তিশালী ঘাঁটি গুঁড়িয়ে দিয়েছিল বায়ুসেনা। ঠিক তার পরের দিনই পাক বায়ুসেনা ভারতের ভূখণ্ডে হামলা চালায়। সে সময়ই মিগ বিমান নিয়ে পাকিস্তানের অত্যাধুনিক এফ-সিক্সটিন যুদ্ধবিমান গুলি করে নামিয়েছিলেন অভিনন্দন। এমনকী, তিনি একটি পাক বিমানকে তাড়া করতে গিয়ে পাকিস্তানের সীমানায় ঢুকে পড়েন। আহত অবস্থায় পাক সেনাবাহিনীর হাতে বন্দি হয়েছিলেন অভিনন্দন।

প্রবল আন্তর্জাতিক চাপের মুখে পড়ে তিন দিন পর অভিনন্দনকে মুক্তি দিয়েছিল পাক সেনাবাহিনী। দেশে ফেরার পর কয়েকদিন তিনি হাসপাতালে চিকিৎসার জন্য ভর্তি ছিলেন। সুস্থ হওয়ার সঙ্গে সঙ্গেই তিনি যোগ দিয়েছিলেন বাহিনীতে। অভিনন্দনের এই কর্তব্য পরায়ণতা ও অসীম সাহসই তাঁকে এনে দিল এই বিশেষ সম্মান।

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ইন্দ্রজাল! শত্রুপক্ষের উপর শঙ্খচিলের মতো হামলা করতেন ইন্দ্রলাল https://ekolkata24.com/offbeat-news/indralal-used-to-attack-the-enemy-like-a-seagull Sun, 18 Jul 2021 11:19:21 +0000 https://www.ekolkata24x7.com/?p=961 নিউজ ডেস্ক: আকাশে লিখে গিয়েছেন আরও এক ‘মেঘনাদবধ কাব্য’ -অবশ্যই বিমানের কেরামতিতে। মেঘের আড়াল থেকে নেমে আসত তাঁর বিমান। শত্রুপক্ষের উপর হামলা করেই অদৃশ্য হতো নিমেষে। প্রথম বিশ্বযুদ্ধের সময়ের ঘটনা। ভারতীয় বাঙালি যুদ্ধবিমান চালক ইন্দ্রলাল আকাশে ইন্দ্রজাল ছড়িয়েছিলেন।

ইন্দ্রলাল রায় এই নাম বিশ্ব আকাশ যুদ্ধের অনবদ্য সৈনিকদের তালিকায় জ্বললজ্বল করছে। তিনি সেই বিরলতম ভারতীয় যুদ্ধ বিমান চালক যাঁর নামটি প্রথম বিশ্বযুদ্ধে জার্মানি ও তাদের সহযোগী শক্তির কাছে আতঙ্কের কারণ।

শত্রুপক্ষ কি কম শক্তিশালী? তারাও তৈরি ছিল। ব্রিটিশ শাসিত ভারতীয় নাগরিক হিসেবে ইন্দ্রলাল রায় ফরাসি বিমান বহরে যোগ দেন। তাঁর উড়ান কৌশলে চমকে গিয়েছিলেন বিশ্বে প্রথম আকাশ যুদ্ধের অন্যান্য সেনাপতিরা। ঠিক যেন শঙ্খচিল। উপর থেকে হামলা করে শত্রুকে খতম করছে ইন্দ্রলালের যুদ্ধ বিমান।  অক্সফোর্ড বিশ্ববিদ্যালয়ের ছাত্র ইন্দ্রলাল রায় রোমাঞ্চপ্রিয়। সেই কারণে বেছে নিয়েছিলেন এয়ারফোর্স। ১৮৯৮ সালে কলকাতায় জন্ম হয় তাঁর।

১৯১৭ সালে তিনি রয়েল ফ্লাইং কর্পসে যোগ দেন।  সেকেন্ড লেফট্যানেন্ট হন। প্রথম বিশ্বযুদ্ধ শুরু হয়ে গেল।
মেঘের আড়ালে ইন্দ্রজাল ছড়ালেন ইন্দ্রলাল

প্রথম বিশ্বযুদ্ধ। কামান দাগা গোলন্দাজ ও স্থলসেনার শক্তির পাশাপাশি নৌ সৈনিকদের রমরমা। আর এই যুদ্ধেই বিশ্ব প্রত্যক্ষ করছিল আকাশ দখলের ভিন্ন লড়াই। বলা যায় সেই শুরু রণকৌশলে এয়ারফোর্সের ভূমিকা।

১৯১৭ সালের ডিসেম্বর মাসে ইন্দ্রলাল রায় ফ্রান্সের পক্ষে সামরিক বিমান অভিযানে অংশ নেন। এই অভিযানে তাঁর বিমান ভেঙে পড়েছিল জার্মানির এয়ারফোর্সের হামলায়। জখম ইন্দ্রলাল রায় কে উদ্ধার করা হয়।কয়েকদিন পর সুস্থ হয়ে ফের তিনি আকাশ দখলে বিমান উড়িয়ে দিলেন।

১৯১৮ সালে ৬ জুলাই প্রথম বিশ্বযুদ্ধের অন্যতম দিন। দিনটি ইন্দ্রনাথ রায়ের কারণে বিখ্যাত। এই দিন তিনি ফের হামলা চালালেন জার্মানির সেনার উপরে। শুরু হলো মেঘের আড়ালে ইন্দ্রলালের নতুন ‘মেঘনাধ বধ’ কাব্য লেখার পালা। অভূতপূর্ব সেই আকাশযুদ্ধ বিশ্ব সমর ইতিহাসে লেখা রয়েছে। একা ইন্দ্রলাল রায় ধংস করেন ৯টি জার্মান যুদ্ধ বিমান। বিশ্বজুড়ে শোরগোল পড়ে গেল এই ঘটনায়।

মেঘনাধ কে বধ হতেই হবে। এই যেন ভবিতব্য।
প্রথম বিশ্বযুদ্ধের আরও এক ঐতিহাসিক দিন ১৮ জুলাই। আকাশ যুদ্ধের সৈনিক ইন্দ্রলালের বিমান শত্রুপক্ষের ব্যুহে পড়ে যায়। আর বেরিয়ে আসতে পারেননি তিনি। জার্মান হামলায় ভেঙে পড়ে তাঁর বিমান। ডানা ভাঙা শঙ্খচিলের মতো রক্তাক্ত ইন্দ্রলাল রায়কে যখন উদ্ধার করা হয়, তখন তিনি মৃত। অবশ্য তার আগে তিনিই তৈরি করে দিয়েছেন পরবর্তী ভারতীয় বায়ু সৈনিকদের পথ।

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