IFFLA 2025 – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Thu, 12 Jun 2025 21:27:52 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png IFFLA 2025 – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 जोया अख्तर, पायल कपाड़िया: भारतीय सिनेमा में नारी शक्ति https://ekolkata24.com/uncategorized/women-filmmakers-zoya-payal-shine-at-2025-iffla-ott-platforms Thu, 12 Jun 2025 21:27:52 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51479 भारतीय सिनेमा (Indian Cinema), विशेष रूप से हिंदी सिनेमा, लंबे समय से पुरुष-प्रधान रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में महिला फिल्म निर्माताओं ने अपनी रचनात्मकता और दृष्टिकोण के माध्यम से इस कला को एक नया आयाम दिया है। जोया अख्तर और पायल कपाड़िया जैसी फिल्म निर्माताएं हिंदी सिनेमा और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सांस्कृतिक रूप से समृद्ध कहानियों के माध्यम से वैश्विक दर्शकों का दिल जीत रही हैं। 2025 के फिल्म फेस्टिवल सर्किट में, विशेष रूप से इंडियन फिल्म फेस्टिवल ऑफ लॉस एंजिल्स (आईएफएफएलए) में, उनके काम ने नई चर्चा पैदा की है। उनकी फिल्में महिलाओं के जीवन, संघर्ष और आकांक्षाओं को केंद्र में रखकर गहरी और संवेदनशील कहानियां पेश कर रही हैं।

जोया अख्तर, एक्सेल एंटरटेनमेंट की संस्थापक और निर्माता, ने हिंदी सिनेमा में व्यावसायिक और कलात्मक दृष्टिकोण का एक असाधारण समन्वय किया है। उनकी फिल्म ‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’ (2011) एक रोड ट्रिप मूवी थी, जिसे हिंदी सिनेमा के लिए एक सांस्कृतिक बदलाव के रूप में माना जाता है। इस फिल्म ने दोस्ती, जीवन के उद्देश्य और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की कहानी को नए तरीके से प्रस्तुत किया। जोया के निर्देशन में अन्य उल्लेखनीय कार्यों में ‘लक बाय चांस’ (2009), ‘गली बॉय’ (2019) और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ‘मेड इन हेवन’ सीरीज शामिल हैं, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा का प्रमाण हैं। ये कार्य न केवल मनोरंजन प्रदान करते हैं, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं जैसे वर्ग, लिंग और संस्कृति को उजागर करते हैं। उनकी निर्मित ‘द आर्चीज’ (2023) ने नई पीढ़ी के सितारों को पेश करने के साथ-साथ हिंदी सिनेमा की व्यावसायिक संभावनाओं को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ले जाया। जोया की कहानी कहने की शैली आधुनिक भारत की जटिलताओं और सांस्कृतिक समृद्धि को विश्व के सामने ला रही है।

दूसरी ओर, पायल कपाड़िया ने अपनी पहली फीचर फिल्म ‘ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट’ (2024) के साथ वैश्विक स्तर पर तहलका मचा दिया है। इस फिल्म ने 77वें कान फिल्म फेस्टिवल में ग्रैंड प्रिक्स जीता, जो भारतीय सिनेमा के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था। हिंदी, मराठी और मलयालम भाषाओं में बनी यह फिल्म मुंबई की तीन प्रवासी महिलाओं की जिंदगी की कहानी बयां करती है। यह एकाकीपन, हिंदू-मुस्लिम संबंधों की राजनीतिक जटिलताओं और महिलाओं की स्वतंत्रता के संघर्ष को उजागर करती है। पायल के शब्दों में, “भारत में प्रेम बहुत राजनीतिक है। महिलाओं पर परिवार के सम्मान और जाति को बनाए रखने का बोझ डाला जाता है।” उनकी यह फिल्म न्यूयॉर्क फिल्म क्रिटिक्स सर्कल और टोरंटो फिल्म क्रिटिक्स एसोसिएशन द्वारा ‘बेस्ट इंटरनेशनल फिल्म’ पुरस्कार जीत चुकी है और दो गोल्डन ग्लोब नामांकन प्राप्त कर चुकी है। 2025 के आईएफएफएलए में यह फिल्म एक विशेष आकर्षण के रूप में प्रस्तुत की जाएगी, जो दक्षिण एशियाई सिनेमा की विविधता और महिला निर्माताओं के प्रभाव को प्रदर्शित करेगी।

जोया और पायल का काम हिंदी सिनेमा में महिला आवाजों को मजबूत कर रहा है। जोया की व्यावसायिक फिल्में और ओटीटी कंटेंट समाज के विभिन्न स्तरों की कहानियां कहने की उनकी क्षमता को दर्शाते हैं। वहीं, पायल की इंडी सिनेमा अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय महिलाओं की जिंदगी की सूक्ष्म तस्वीर पेश कर रही है। दोनों ने साबित किया है कि भावनाओं से प्रेरित कहानियां सांस्कृतिक सीमाओं को पार कर वैश्विक दर्शकों तक पहुंच सकती हैं।

2025 के फिल्म फेस्टिवल सर्किट में, विशेष रूप से आईएफएफएलए में, महिला निर्माताओं के काम को विशेष रूप से उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। आईएफएफएलए की कलात्मक निदेशक अनु रंगचर ने कहा, “इस साल का लाइनअप दक्षिण एशियाई सिनेमा की समृद्ध विविधता का उत्सव है, जहां महिला निर्माताओं की कहानियां महत्वपूर्ण स्थान पा रही हैं।” जोया और पायल के अलावा, रीमा दास, शुचि तलति और किरण राव जैसी अन्य महिला निर्माताएं अपने काम के माध्यम से भारतीय सिनेमा की कहानी कहने की शैली को फिर से परिभाषित कर रही हैं।

ओटीटी प्लेटफॉर्म ने इन महिला निर्माताओं के लिए नए दरवाजे खोल दिए हैं। जोया की ‘मेड इन हेवन’ और ‘द आर्चीज’ नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम जैसे प्लेटफॉर्म पर वैश्विक दर्शकों तक पहुंची हैं। ये प्लेटफॉर्म महिला निर्माताओं को स्वतंत्र रूप से अपनी कहानियां कहने का अवसर दे रहे हैं, जो पहले व्यावसायिक सिनेमा की सीमाओं में संभव नहीं था। पायल की ‘ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट’ भी अंतरराष्ट्रीय वितरण के माध्यम से वैश्विक दर्शकों तक पहुंची है।

महिला निर्माता भारतीय सिनेमा में एक नए युग की शुरुआत कर रही हैं। उनकी कहानियां न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि समाज की गहरी समस्याओं को उजागर करती हैं। जोया और पायल का काम भारतीय सिनेमा को विश्व मंच पर नई पहचान दे रहा है, जो 2025 के फिल्म फेस्टिवल में और स्पष्ट होगा।

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