India Forex Reserves – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Fri, 13 Jun 2025 16:39:41 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png India Forex Reserves – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 भारत ने विदेशी मुद्रा भंडार में बनाया नया रिकॉर्ड https://ekolkata24.com/business/india-sets-new-forex-reserve-record-at-696-66-billion-in-june-2025 Fri, 13 Jun 2025 16:37:40 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51532 भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा शुक्रवार, 13 जून 2025 को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) 5.17 बिलियन डॉलर की बढ़त के साथ 696.656 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। यह देश के इतिहास में अब तक का दूसरा सबसे ऊँचा स्तर है। यह रिकॉर्ड सितंबर 2024 में बने ऑल-टाइम हाई 704.89 बिलियन डॉलर से मात्र 1.2% कम है।

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इसके विपरीत, 30 मई को समाप्त सप्ताह में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 1.23 बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई थी।

किन-किन हिस्सों में हुई बढ़ोत्तरी?
RBI के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ा हिस्सा फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) का होता है, जो इस सप्ताह 3.472 बिलियन डॉलर बढ़कर 587.687 बिलियन डॉलर हो गया है।

इसके साथ ही, देश के गोल्ड रिज़र्व में भी उल्लेखनीय बढ़त देखी गई है। यह 1.583 बिलियन डॉलर बढ़कर 85.888 बिलियन डॉलर हो गया। 2021 के मुकाबले RBI के स्वर्ण भंडार में दोगुनी बढ़ोत्तरी हुई है। वैश्विक स्तर पर सेंट्रल बैंकों द्वारा सोने को सेफ हेवन माना जा रहा है, और इसी कारण भारत भी सोने के भंडारण पर ज़ोर दे रहा है।

पिछले वर्षों की स्थिति
2022 में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में कुल 71 बिलियन डॉलर की गिरावट आई थी। लेकिन 2023 में स्थिति में सुधार हुआ और भंडार में 58 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई। 2024 में यह वृद्धि 20 बिलियन डॉलर से थोड़ी अधिक रही।

विदेशी मुद्रा भंडार का महत्व
विदेशी मुद्रा भंडार, जिसे FX रिज़र्व भी कहा जाता है, वह संपत्ति होती है जिसे देश का सेंट्रल बैंक या मौद्रिक प्राधिकरण विभिन्न मुद्राओं (जैसे डॉलर, यूरो, येन, पाउंड आदि) के रूप में रखता है। यह भंडार आर्थिक स्थिरता बनाए रखने, रुपया की रक्षा करने और आपातकालीन स्थिति में उपयोग हेतु तैयार रहता है।

RBI की भूमिका
RBI बाजार में आवश्यकतानुसार हस्तक्षेप करता है। जब रुपया कमजोर होता है तो डॉलर बेचकर उसे मजबूती देने की कोशिश की जाती है, और जब रुपया मजबूत होता है तो डॉलर खरीदकर रिज़र्व में इजाफा किया जाता है।

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में बताया कि भारत का वर्तमान विदेशी मुद्रा भंडार देश के 11 महीने के आयात खर्च को कवर कर सकता है और यह 96 प्रतिशत बाहरी ऋण को चुकाने के लिए पर्याप्त है।

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বৈদেশিক মুদ্রা ভান্ডার বৃদ্ধিতে ভারতের রেকর্ড https://ekolkata24.com/business/%e0%a6%ac%e0%a7%88%e0%a6%a6%e0%a7%87%e0%a6%b6%e0%a6%bf%e0%a6%95-%e0%a6%ae%e0%a7%81%e0%a6%a6%e0%a7%8d%e0%a6%b0%e0%a6%be-%e0%a6%ad%e0%a6%be%e0%a6%a8%e0%a7%8d%e0%a6%a1%e0%a6%be%e0%a6%b0-%e0%a6%ac Mon, 17 Mar 2025 11:00:21 +0000 https://ekolkata24.com/?p=50664 ভারতের বৈদেশিক মুদ্রার ভান্ডার (India Forex Reserves) এক লাফে রেকর্ড পরিমাণ বৃদ্ধি পেয়েছে। মাত্র এক সপ্তাহের ব্যবধানে ১,৫২৬ কোটি ৭০ লক্ষ ডলার সংযোজন হয়েছে এই রিজার্ভে। রিজার্ভ ব্যাংকের সাম্প্রতিক পরিসংখ্যান অনুসারে, ৭ মার্চ শেষ হওয়া সপ্তাহে ভারতের বৈদেশিক মুদ্রার ভান্ডারে মোট ৬৫,৩৯৬ কোটি ৬০ লক্ষ ডলার মজুত হয়েছে।

গত বছরের সেপ্টেম্বরের শেষদিকে এই সংখ্যা ছিল ৭০,৪৮৮ কোটি ৫০ লক্ষ ডলার, যা ছিল সর্বকালের সর্বোচ্চ। তবে ফেব্রুয়ারি মাসে কিছুটা মুদ্রার ঘাটতি দেখা গিয়েছিল, যখন বৈদেশিক মুদ্রার ভান্ডারে ১৭৮ কোটি ১০ লক্ষ ডলার কমে গিয়েছিল। কিন্তু মার্চের প্রথম সপ্তাহেই এই ঘাটতি পূরণ হয়ে যায়, যা সাম্প্রতিক অর্থনৈতিক স্থিতিশীলতার ইঙ্গিত দিচ্ছে।

বৈদেশিক মুদ্রার রেকর্ড বৃদ্ধির কারণ
বিশেষজ্ঞদের মতে, ভারতের বৈদেশিক মুদ্রার রিজার্ভ বৃদ্ধির পেছনে কয়েকটি প্রধান কারণ রয়েছে—
1. বিনিয়োগকারীদের আস্থা বৃদ্ধি: সাম্প্রতিক সময়ে বৈদেশিক বিনিয়োগের হার উল্লেখযোগ্যভাবে বেড়েছে। বিশেষ করে ভারতের স্টক মার্কেটে বিদেশি বিনিয়োগকারীরা (FPI) বিপুল পরিমাণে টাকা ঢেলেছে।
2. রপ্তানি বৃদ্ধি: দেশের রপ্তানি খাত ক্রমাগত উন্নতি করছে, বিশেষত তথ্যপ্রযুক্তি, ফার্মাসিউটিক্যালস, এবং ম্যানুফ্যাকচারিং খাতে উল্লেখযোগ্য প্রবৃদ্ধি হয়েছে।
3. রেমিট্যান্স প্রবাহ বৃদ্ধি: ভারতীয় প্রবাসীদের পাঠানো রেমিট্যান্সে উল্লেখযোগ্য বৃদ্ধি লক্ষ্য করা গেছে, যা বৈদেশিক মুদ্রার রিজার্ভ শক্তিশালী করেছে।
4. রিজার্ভ ব্যাংকের নীতিগত পদক্ষেপ: মুদ্রার স্থিতিশীলতা বজায় রাখতে রিজার্ভ ব্যাংক বিভিন্ন পদক্ষেপ নিয়েছে, যা বৈদেশিক মুদ্রার ভান্ডার বৃদ্ধিতে সহায়ক হয়েছে।

ফেব্রুয়ারিতে ঘাটতি, মার্চে পুনরুদ্ধার
ফেব্রুয়ারির শেষে ভারতের বৈদেশিক মুদ্রার রিজার্ভ কিছুটা কমেছিল। বিশেষজ্ঞরা বলছেন, টাকার মূল্যে অস্থিরতা রোধ করতে রিজার্ভ ব্যাংক কিছু ডলার বিক্রি করেছিল, যার ফলে সাময়িকভাবে রিজার্ভ কমে গিয়েছিল। তবে মার্চের প্রথম সপ্তাহেই সেই ঘাটতি মিটিয়ে ফেলে ভারত।
এই বৃদ্ধির ফলে আন্তর্জাতিক মুদ্রাবাজারে টাকার স্থিতিশীলতা বজায় থাকবে বলে আশা করা হচ্ছে। রিজার্ভ ব্যাংকও এখন আরও স্বচ্ছন্দে মুদ্রানীতি নির্ধারণ করতে পারবে।

অর্থনীতিতে কী প্রভাব ফেলবে এই বৃদ্ধি?
ভারতের বৈদেশিক মুদ্রার রিজার্ভ বৃদ্ধি পাওয়ায় কয়েকটি বড় ইতিবাচক প্রভাব পড়বে—
1. টাকার স্থিতিশীলতা: মুদ্রার ভান্ডার বেশি থাকলে রিজার্ভ ব্যাংক প্রয়োজনে হস্তক্ষেপ করতে পারবে, যার ফলে টাকার দামে অস্থিরতা কমবে।
2. আন্তর্জাতিক বাণিজ্যে সুবিধা: বৈদেশিক বাণিজ্যে লেনদেনের সময় ভারতের উপর আস্থা বাড়বে, কারণ বেশি রিজার্ভ থাকলে আমদানির ব্যয় নির্বাহ করা সহজ হয়।
3. অর্থনৈতিক স্থিতিশীলতা: বিনিয়োগকারীদের কাছে বার্তা যাবে যে ভারতের অর্থনীতি শক্তিশালী এবং স্থিতিশীল, যা বিদেশি বিনিয়োগকে আরও উৎসাহিত করবে।
4. সঙ্কট মোকাবিলার সক্ষমতা বৃদ্ধি: বিশ্ববাজারে মন্দা বা অর্থনৈতিক সঙ্কট দেখা দিলে ভারতের হাতে পর্যাপ্ত রিজার্ভ থাকবে, যা দেশের আর্থিক ব্যবস্থাকে রক্ষা করবে।

আগামী দিনে কী প্রত্যাশা?
অর্থনীতিবিদদের মতে, ভারত যদি এই ধারাবাহিকতা বজায় রাখতে পারে, তাহলে ২০২৪ সালের শেষ নাগাদ বৈদেশিক মুদ্রার ভান্ডার নতুন উচ্চতায় পৌঁছাতে পারে। তবে বিশ্ববাজারে তেলের দাম, মার্কিন ফেডারেল রিজার্ভের নীতি, এবং বৈশ্বিক অর্থনৈতিক পরিস্থিতির উপর ভারতের রিজার্ভ বৃদ্ধির গতিপথ নির্ভর করবে।

ভারতের বৈদেশিক মুদ্রার ভান্ডার এক সপ্তাহের ব্যবধানে ব্যাপক বৃদ্ধি পেয়ে রেকর্ড তৈরি করেছে। রিজার্ভ ব্যাংকের কার্যকরী পদক্ষেপ, বিদেশি বিনিয়োগের প্রবাহ এবং রপ্তানির বৃদ্ধির ফলে এই সাফল্য এসেছে। এই বৃদ্ধির ফলে ভারতের অর্থনীতি আরও স্থিতিশীল হবে, টাকার দামও বেশি নিয়ন্ত্রণে থাকবে। অর্থনৈতিক বিশেষজ্ঞরা বলছেন, আগামী দিনে যদি এই ধারা অব্যাহত থাকে, তাহলে ভারতের বৈদেশিক মুদ্রার ভান্ডার আরও শক্তিশালী হতে পারে, যা দেশের সার্বিক অর্থনীতির জন্য অত্যন্ত ইতিবাচক সংকেত।

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