बेड़े के रखरखाव के लिए जिम्मेदार सेना के जवान हविंदर सिंह ने हेलीकॉप्टरों को मिशन के लिए तैयार करने की प्रक्रिया के बारे में बताया। “मेरा काम यह सुनिश्चित करना है कि मेरे अधीन सभी तकनीशियन और पर्यवेक्षक इस हेलीकॉप्टर पर निरंतर प्रशिक्षण प्राप्त करते रहें।
इसके अलावा, इस हेलीकॉप्टर को सेवा योग्य बनाने में कई एजेंसियां शामिल हैं, एक लॉजिस्टिक एजेंसी, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड शामिल है। उन सभी से बात करना और उनकी टीमों को यहां बुलाना मेरा काम है । “2 महीने बाद तापमान माइनस 20 से माइनस 30 तक गिर जाएगा। आज के मौसम में बहुत ज़्यादा दिक्कत नहीं है, लेकिन ठंड के मौसम में जब कोई तकनीशियन विमान के पास जाता है, तो वह 10 मिनट तक निरीक्षण करता है और फिर दोबारा निरीक्षण करने से पहले वार्मअप करने के लिए नीचे आता है।”
]]>रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपने एक्स हैंडल (ट्विटर) पर उस जंग में फतह का एक वीडियो जारी किया है। जब 4 जुलाई 1999 को भारतीय सेना के बाघों ने टाइगर हिल को पाकिस्तानियों से मुक्त कराया था। यहीं से करगिल जंग की पूरी कहानी बदल गई थी।
हुआ यूं था कि 14 जुलाई 1999 को ही करगिल युद्ध में विजय हासिल हुई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ‘ऑपरेशन विजय’ की घोषणा की थी। साथ ही पाकिस्तान की सराकर के साथ बात करने के लिए कुछ शर्तें रखी थीं।
83 दिन चले इस जंग में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को धूल चटा दी थी। लेकिन पाकिस्तान की कायरता की दास्तां तब शुरू हुई थी, जब 3 मई 1999 को सीमा पार से कुछ हथियारबंद घुसपैठिए करगिल जिले के ऊंचाई वाले इलाकों में देखे गए थे। एक स्थानीय चरवाहे ने भारतीय सेना को इसकी सूचना दी थी।
भारतीय सेना की पेट्रोलिंग टुकड़ी को जांच करने भेजा। लेकिन पाकिस्तानी घुसपैठियों ने पांच जवानों बंधक बना लिया। 5 मई को सूचना मिली कि उन जवानों को घुसपैठियों ने मार डाला। सेना करारा जवाब देने की तैयारी में थी। 9 मई 1999 को पाकिस्तान की तरफ से ताबड़तोड़ गोले बरसाए गए। इससे करगिल में भारतीय सेना के हथियार डिपो बर्बाद हुए। कई सैनिक जख्मी हुए और कुछ शहीद हो गए।
24 घंटे में द्रास, ककसर, मुस्कोह में और घुसपैठिए आए अगले 24 घंटे में सीमा पार से द्रास, ककसर और मुस्कोह कई घुसपैठिए आ गए। मई के मध्य में भारतीय सेना ने कश्मीर घाटी में मौजूद जवानों को करगिल की तरफ रवाना किया। 26 मई को भारतीय सेना की मदद के लिए वायु सेना ने दुश्मन के कब्जे वाले पोजिशन पर गोले गिराने शुरू किए।
पाकिस्तान ने अंजा मिसाइल से एक मिग-21 और मिग-27 को मार गिराया। फ्लाइट लेफ्टिनेंट के. नचिकेता को बंधक बनाया। इन्हें 3 जून 1999 को बतौर युद्धबंदी रिहा किया गया। 28 मई को पाकिस्तान ने वायुसेना के Mi-17 हेलिकॉप्टर को मार गिराया। उसमें मौजूद चार भारतीय जवान शहीद हो गए।
1 जून 1999 को पाकिस्तानी सेना के तोप के गोले लगातार NH-1 पर गिर रहे थे। इस शेलिंग से लद्दाख बाकी देश से कट गया था। इंडियन आर्मी के हथियार, मेडिकल सप्लाई और रसद लद्दाख तक नहीं पहुंच पा रहे थे। करगिल में इस राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई करीब 217.4 km है।
यह सड़क श्रीनगर को लेह से जोड़ती है। इसमें दो ही लेन है। खराब भौगोलिक स्थिति और सड़क पतली होने की वजह से यहां पर ट्रैफिक धीमी रहती है। पाकिस्तानी फौजी हाइवे के सामने की तरफ ऊंची पहाड़ियों पर थे। वहां से गोलीबारी कर रहे थे। भारत सरकार के लिए इस हाइवे को बचाना बेहद जरूरी था।
NH-1 भारतीय सेना के लिए सबसे प्रमुख मार्ग है। पाकिस्तानी फौजी इस सड़क पर मोर्टार्स, आर्टिलरी और एंटी-एयरक्राफ्ट गन से हमला कर रहे थे। लेकिन भारतीय एयरफोर्स और सेना के जवानों ने जान की परवाह न करते हुए NH-1 के सामने के सभी पोस्ट को जून मध्य तक पाकिस्तानी घुसपैठियों से छुड़ा लिया था।
9 जून को बटालिक सेक्टर की दो चोटियां मुक्त हुईं 6 जून को भारतीय सेना ने भयानक हमला किया। 9 जून को बटालिक सेक्टर की दो महत्वपूर्ण चोटियां सेना के कब्जे में वापस आ गईं। भारतीय सेना ने बटालिक सेक्टर को दो महत्वपूर्ण पोजिशन पर फिर से कब्जा कर लिया था। 11 जून को परवेज मुशर्रफ और लेफ्टि. जनरल अजीज खान की बातचीत को सार्वजनिक किया गया।
13 जून को भारतीय सेनाओं ने द्रास में तोलोलिंग पर कब्जा जमा लिया। इसमें इंडियन आर्मी के कई जवान शहीद हुए लेकिन सबसे महत्वपूर्ण चोटी पर सेना का वापस कब्जा हो गया। सभी घुसपैठियों को मार गिराया था। दो दिन बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से कहा कि वो तुरंत अपने सैनिकों और घुसपैठियों को वापस बुलाएं। 29 जून तक अंतरराष्ट्रीय दबाव बनता रहा।
3-4 जुलाई की रात भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर हमला बोल दिया था। 4 जुलाई 1999 की सुबह भारतीय सेना के तीन रेजिमेंट (सिख, ग्रेनेडियर्स और नागा) ने टाइगर हिल पर पाकिस्तान के नॉर्दन लाइट इंफ्रेंट्री को धूल चटा दी। 12 घंटे चली लड़ाई के बाद टाइगर हिल पर वापस कब्जा किया गया।
अगले ही दिन नवाज शरीफ ने हार मानते हुए सेना वापस बुलाई 5 जुलाई 1999 को नवाज शरीफ ने हार मानते हुए अपनी सेना को वापस बुलाया। 7 को भारतीय सेना ने बटालिक के जुबार हिल पर अपना कब्जा वापस जमा लिया। पाकिस्तानी फौज और घुसपैठिये दुम दबाकर भाग चुके थे। 14 जुलाई 1999 को ‘ऑपरेशन विजय’ के पूरा होने की घोषणा की गई।
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देश की सुरक्षा और देश में लोगों को सुरक्षित रखने का महत्वपूर्ण जिम्मा संभालने वाली भारतीय सेना के संचार माध्यम को और उन्नत करने के लिए सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं। एक ऐतिहासिक पल के स्वरूप भारतीय सेना के मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (एमसीटीई) और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के तहत एक स्वायत्त अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला सोसाइटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (एसएएमईईआर) ने भारतीय सेना के लिए अगली पीढ़ी की वायरलेस प्रौद्योगिकियों में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।रक्षा मंत्रालय की ओर से एक बयान में इसकी जानकारी दी गई।
बयान में कहा गया कि एमओयू पर लेफ्टिनेंट जनरल के एच गवास, कमांडेंट एमसीटीई और कर्नल कमांडेंट कोर ऑफ सिग्नल्स और डॉ पी एच राव, महानिदेशक समीर ने हस्ताक्षर किए। यह पहल भारतीय सेना की तकनीकी क्षमताओं को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर से इस सहयोग को फिर से बल मिलने की उम्मीद है, जिसमें एमसीटीई में ‘उन्नत सैन्य अनुसंधान और इनक्यूबेशन केंद्र’ स्थापित करने की योजना है। इस केंद्र का उद्देश्य भारतीय सेना के लिए उन्नत वायरलेस प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करना है।
समीर और एमसीटीई के बीच साझेदारी एक समझौते से कहीं बढ़कर है और यह नई तकनीकी सीमाओं की खोज और आधुनिक युद्धक्षेत्र चुनौतियों का समाधान करने में साझा प्रतिबद्धता को दर्शाती है। वायरलेस प्रौद्योगिकियों में समीर की विशेषज्ञता और संचार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और साइबर संचालन में एमसीटीई के अनुप्रयोग कौशल को मिलाकर, यह सहयोग रक्षा और रणनीतिक क्षेत्रों में पर्याप्त प्रगति का वादा करता है।
]]>অন্যদিকে এক সর্বভারতীয় সংবাদমাধ্যমকে দেওয়া সাক্ষাৎকারে এক নিরাপত্তারক্ষী জানান, ‘এই নিয়ে টানা দু’বছর হল যখন চিন সেনারা তাদের ঊর্ধ্বতন কর্মকর্তাদের দ্বারা ভারতীয় সীমান্তে থাকতে বাধ্য হয়েছে যেখানে তাপমাত্রা মাইনাস ২০ থেকে ৪০ ডিগ্রি সেলসিয়াসের মধ্যে। আমরা এখনও বন্দুক সজ্জিত এই রোবোটিক সৈন্যদের সেনাদের দেখা পাইনি। কিন্তু ড্রাগন বাহিনী যদি তা করে থাকে, তাহলে এটি তাদের সৈন্যদের সাহায্য করবে যারা এই হাড় কাঁপানো শীতে সীমান্তে থাকতে পারছেন না।
এদিকে চিন সেনাদের তরফ থেকে দাবি করা হয়েছে যে ব্যারাক থেকে বের হতে অসুবিধা হচ্ছে কারণ অনেক জায়গায় তারা কেবল মাত্র অল্প সময়ের জন্য বাইরে যায় এবং দ্রুত ভিতরে প্রবেশ করে। শুধু তাই নয়, অনেক সেনা জওয়ান ট্রমার মধ্যেও চলে গেছেন বলে শোনা যাচ্ছে। গত বছরও তারা একই ধরনের সমস্যার সম্মুখীন হয়েছিল এবং গত গ্রীষ্মে ৯০ শতাংশ নতুন সৈন্য আনতে হয়েছিল সিনিয়রদেড় সরিয়ে নিয়ে যাওয়ার জন্য, কারন তাঁদের মধ্যে অধিকাংশও ঠান্ডা জনিত আঘাত এবং মানসিক অবসাদে ভুগছিল। সেইসঙ্গে প্যাংগং লেকেও তাঁদের গতিবিধির ওপর নজর রাখা মুশকিল হয়ে পড়ছিল বলে দাবি করা হয়েছে। এদিকে ভারতীয় সশস্ত্র বাহিনী ঠিক উল্টো। বাহিনীর জওয়ানরা সবরকম উচ্চতা ও সব রকম আবহাওয়ার সঙ্গে মানিয়ে নিতে সক্ষম হয়।
]]>সরকার সশস্ত্র বাহিনীতে নারীদের ভূমিকা বাড়ানোর জন্য এবং সৈনিক বিদ্যালয়ে ভর্তির পথ পরিষ্কার করা এবং স্থায়ী কমিশন প্রদানসহ বেশ কয়েকটি পদক্ষেপ নেওয়া হয়েছে। তিনি আশ্বাস দেন, নতুন সৈনিক স্কুল স্থাপনের সিদ্ধান্ত মেয়েদের দেশের সেবা করার স্বপ্ন বাস্তবায়িত করতে উৎসাহিত করবে।কেন্দ্রীয় প্রতিরক্ষা মন্ত্রী পরামর্শ দেন যে, প্রতিরক্ষা বিভাগ এবং সৈনিক স্কুল সোসাইটির সমস্ত সৈনিক স্কুলকে তাদের কর্মক্ষমতা এবং নিরীক্ষার ভিত্তিতে র্যাঙ্কিংয়ের জন্য একটি প্রক্রিয়া তৈরি করা উচিত। আর এর ফলে স্কুলগুলির মধ্যে স্বাস্থ্যকর প্রতিযোগিতা গড়ে উঠবে, পাশাপাশি উদ্ভাবনী পদক্ষেপ চালু করার ক্ষেত্রেও উৎসাহ দেওয়া হবে। স্কুলে পাঠ্যক্রমের পাশাপাশি শিশুদের দেশপ্রেম ও জাতির প্রতি আনুগত্যের সম্মুখীন হতে হবে কারণ এটি তাদের চরিত্র গঠনে এবং দেশের উপকারের জন্য দরকার।
প্রসঙ্গত, ২০২১ সালের অক্টোবর মাসে কেন্দ্রীয় মন্ত্রিসভা ২০২২-২৩ শিক্ষাবর্ষ থেকে ১০০টি স্কুলকে প্রতিরক্ষা মন্ত্রকের অধীনে সৈনিক স্কুল সোসাইটির সঙ্গে সরকারি ও বেসরকারি খাতে যুক্ত করার অনুমোদন দেয়। রাজনাথ সিং বলেন, ‘সৈনিক’ ঐক্য, শৃঙ্খলা এবং ভক্তিকে সূচিত করে, ‘স্কুল’ হল শিক্ষার কেন্দ্র, তাই সৈনিক স্কুলগুলি শিশুদের সক্ষম নাগরিক করতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করছে এবং আগামী দিনেও করবে।
তিনি আরও বলেন, “সর্বশিক্ষা অভিযান এবং রাষ্ট্রীয় মাধ্যমিক শিক্ষা অভিযানের মতো বেশ কয়েকটি প্রকল্প চালানো হচ্ছে। ১০০টি নতুন সৈনিক স্কুল স্থাপন সেই দিকে আরেকটি গুরুত্বপূর্ণ পদক্ষেপ।”
]]>সম্প্রতি সোশ্যাল মিডিয়ায় একটি ভিডিও যথেষ্ট ভাইরাল হয়েছে। এই ভিডিও দেখে সকলেরই হাত উঠেছে স্যালুটের জন্য। ভাইরাল ভিডিওতে দেখা যাচ্ছে, চারিদিক ঢাকা বরফে। সেইসঙ্গে হু হু করে বইছে তুষার ঝড়। তার মধ্যেও একটু বিচলিত না হয়ে নিজের কর্তব্যে অবিচল রয়েছেন এক জওয়ান। তাঁর হাতে রয়েছে একটি রাইফেল। আর এই ভিডিওটি দেখে আপনি অবশ্যই ভারতের জওয়ানদের আত্মত্যাগে গর্বিত হতে বাধ্য হবেন।
প্রতিরক্ষা মন্ত্রকের উধমপুর জনসংযোগ আধিকারিক তাঁর অফিসিয়াল টুইটার হ্যান্ডেলে এই ভিডিওটি শেয়ার করেছেন। সেইসঙ্গে ক্যাপশনে লিখেছেন, ‘আমরা আমাদের লক্ষ্যে সহজে পৌঁছাতে পারি না কিন্তু দৃঢ় ইচ্ছাশক্তি এবং ত্যাগের মাধ্যমে আমরা আমাদের লক্ষ্যে পৌঁছাতে পারি। সবার একটাই জীবন আছে কিন্তু দেশে পরাধীনতা এলে পাশে কে দাঁড়ায়?’ তিনি আরও একটি ভিডিও শেয়ার করেন। যেখানে দেখা যাচ্ছে, বরফে ঢাকা পাহাড়ের মধ্যে চলাফেরা করছেন কয়েকজন সেনা জওয়ান। নেটিজেনদের উদ্দেশে তিনি লিখেছেন, ‘পার্কে আপনার ভোরের হাঁটার সাথে এটি তুলনা করুন!’
প্রসঙ্গত, বিগত কয়েক দিন ধরে উত্তর ভারতের বিভিন্ন অংশে নতুন করে তুষারপাত দেখা গেছে। নেটাগরিকরা সুন্দর প্রাকৃতিক দৃশ্যের ছবি বিভিন্ন সোশ্যাল মিডিয়া মারফত তা ছড়িয়েও দেন। তবে গভীর শীতে এই ধরনের উচ্চতার এলাকায় কাজ করার অসুবিধার কথা তুলে ধরে সশস্ত্র বাহিনীর শেয়ার করা একটি ভিডিও যথেষ্ট যে সকলের সম্মান অর্জন করেছে তা বলাই চলে।
]]>ভারতে এখনো ব্যবহার করা হয় সোভিয়েত আমলের টি-৭২ ট্যাঙ্ক। সেগুলোকেই বদল করতে উদ্যত হয়েছে কেন্দ্র সরকার। সেই মতো আন্তর্জাতিক ক্ষেত্রে ইতিমধ্যে দেওয়া হয়েছে বার্তা। প্রোজেক্টের নাম দেওয়া হয়েছে ‘ফিউচার রেডি কম্ব্যাট ভেহিক্যালস’ (FRCV)। উদ্যোগটি বাস্তবায়িত হলে ভারত সরকারকে খরচ করতে হতে পারে ৫ বিলিয়ন মার্কিন মুদ্রা। যা ভারতীয় অর্থে প্রায় ৫০০ কোটি টাকা। এই সুযোগকে কাজে লাগাতে চাইছে ফ্রান্স। যুদ্ধ বিমানের পর ভারতকে তারা বিক্রি করতে চাইছে ট্যাঙ্ক।
সংবাদমাধ্যমে প্রকাশিত খবর অনুযায়ী, যৌথভাবে ট্যাংক তৈরি করার ভাবনা রয়েছে ভারত সরকারের। ফ্রান্সের নিম্নতর পার্লামেন্টেও এ বিষয়ে আলোচনা হয়েছে বলে জানা গিয়েছে। আপাতত শোনা যাচ্ছে ‘লেকরাক মেইন ব্যাটল’ ট্যাঙ্কের (Leclerc Main Battle Tank) ব্যাপারে প্রস্তাব পাঠানো হবে দিল্লিতে। ফরাসি সরকারের কাছে আর্জি রেখেছে ‘নেক্সটার’ নামক সংস্থা। ফ্রান্সের রাজনৈতিক মহলে আলোচনা শুরু হয়েছে ইতিমধ্যে।
ফরাসি সেনার হাতে লেকরাক মেইন ব্যাটল ট্যাঙ্ক এসেছিল ২০০০ সালের মাঝামাঝি সময়ে। ৪০৬ টি ট্যাঙ্ক ছিল তখন। পরবর্তীকালে সংযুক্ত আরব আমীরশাহি এবং জর্ডনেও এই যুদ্ধাস্ত্র পাঠানো হয়েছিল। স্থল থেকে আকাশ পথে আক্রমণ শানাতে পারদর্শী এই যান। ভারতের সঙ্গে ফ্রান্সের আলোচনা এবং চুক্তি চূড়ান্ত হওয়ার পরেই শুরু হবে কাজ। সেক্ষেত্রে ২০৩০-এর আগে আধুনিক লেকরাক ট্যাঙ্ক তৈরি হওয়ার সম্ভাবনা কম। ভারত সরকার চাইছে ১ হাজার ৭৭০ টি নতুন ট্যাঙ্ক সামরিকবাহিনীতে যুক্ত করতে। তথ্য চেয়ে আবেদন করা হয়েছে রাশিয়া, ইসরায়েল, ফ্রান্স, মার্কিন যুক্তরাষ্ট্র, তুর্কি-সহ ইউরোপের ১২ টি কোম্পানিকে।
]]>ভারতীয় সেনার তরফ থেকে অফিশিয়াল ওয়েবসাইট www.indianarmy.nic.in এ বিজ্ঞপ্তি প্রকাশ করা হয়েছে। পাঞ্জাব রেজিমেন্টাল সেন্টার, রামগড় কেন্দ্রে গ্রুপ সি পদে বিভিন্ন পদে নিয়োগের জন্য বিজ্ঞপ্তি প্রকাশ করা হয়েছে। দশম পাশ বা সমতুল্য যোগ্যতা এবং উচ্চমাধ্যমিক পাশ করা থাকলেই আবেদন করতে পারেন। কার্পেন্টার, কুক, ধোপা ও দর্জির পদে লোক নিয়োগ করা হবে। ইচ্ছুক আবেদনকারীরা ৮ জানুয়ারি, ২০২২ পর্যন্ত আবেদন করতে পারবেন। আবেদনকারীকে অবশ্যই ১৮-২৫ বছর বয়সের মধ্যে হতে হবে।
লিখিত পরীক্ষা, প্র্যাক্টিক্যাল বা ট্রেড টেস্টের মাধ্যমে আবেদনকারীদের নির্বাচিত করা হবে। পাঞ্জাব রেজিমেন্টাল সেন্টার গ্রুপ সি নিয়োগ ২০২১ এর জন্য পূরণ করা ফরম এবং অন্যান্য নথিপত্র কমান্ড্যান্ট পাঞ্জাব রেজিমেন্টাল সেন্টার, রামগড় কেন্দ্র, ঝাড়খন্ড পিন কোড: ৮২৯১৩০ এই ঠিকানায় শেষ তারিখের মধ্যে রেজিস্ট্রার্ড পোস্টের মাধ্যমে পাঠাতে হবে আবেদনকারীদের।
প্রকাশিত বিজ্ঞপ্তি অনুযায়ী অনুযায়ী বেতন পরিকাঠামো ঠিক করা হয়েছে। ভারতীয় স্থল সেনার বেতন কাঠামো অনুযায়ী, কার্পেন্টার পদের মাসিক বেতন ১৯,৯০০ টাকা থেকে ৬৩,২০০ টাকা। কুক,ধোপা, দর্জি পদের মাসিক বেতন ১৮,০০০ টাকা থেকে ৫৬,৯০০ টাকা।
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CDS ENTRY
ইউনিয়ন পাবলিক সার্ভিস কমিশন (UPSC) দ্বারা বছরে দুবার কম্বাইন্ড ডিফেন্স সার্ভিসেস এক্সামিনেশন (CDSE) পরীক্ষা অনুষ্ঠিত হয়।
আবেদন করার যোগ্যতা:
যে কোন শাখার স্নাতক অবিবাহিত পুরুষ ও মহিলা, ডিভোর্সি মহিলারা এই পরীক্ষার জন্য আবেদন করতে পারেন। ফাইনাল ইয়ার বা চূড়ান্ত সেমিস্টারের পড়ুয়ারাও আবেদন করতে পারেন।
বয়স সীমা:
আবেদনকারী প্রার্থীকে অবশ্যই ১৯-২৫ বছরের মধ্যে হতে হবে।
আবেদনের সময়সীমা:
ইউনিয়ন পাবলিক সার্ভিস কমিশনের ২০২২ সালের কম্বাইন ডিফেন্স সার্ভিস (l) পরীক্ষা হবে আগামি বছর এপ্রিল মাসের ১০ তারিখ। ইতিমধ্যেই আবেদন শুরু হয়েছে। অনলাইনে দরখাস্ত করার শেষ তারিখ ১১ জানুয়ারি।
আবেদন পদ্ধতি :
প্রথম পর্যায়, ১)প্রথমে ইউপিএসসির অফিশিয়াল ওয়েবসাইট www.upsconline.nic.in এ যেতে হবে।
২)তারপর “part ll Registration” এ ক্লিক করতে হবে।
৩)তারপর বিভিন্ন তথ্য দেওয়া থাকবে, একদম নিচে গিয়ে affirmative option ক্লিক করতে হবে।
৪)তারপর একটি নতুন পেজে “personal details” দিতে হবে এবং “continue” তে ক্লিক করতে হবে।
৫)এরপর নিজেদের প্রেফারেন্স অনুযায়ী অপশন সিলেক্ট করে “submit” করতে হবে।
দ্বিতীয় পর্যায়,
১)রেজিস্ট্রেশন প্রক্রিয়া সম্পন্ন হলে আবার অনলাইন অ্যাপ্লিকেশন পেজে ফিরে গিয়ে “phase ll Registration” এ ক্লিক করতে হবে।
২)তারপর রেজিস্ট্রেশন আইডি(Reg I’d) এবং জন্ম তারিখ(date of birth) দিয়ে লগইন করতে হবে।
৩)এরপর পেমেন্ট(examination fees) করে পরবর্তী পেজে যেতে হবে।
৪)পরবর্তী পেজে বিভিন্ন পার্সোনাল ডকুমেন্টস আপলোড করতে হবে।
৫)সব ডকুমেন্টস আপলোড করার পরবর্তী পেজে নিজের ইচ্ছেমতো পরীক্ষার সেন্টার সিলেক্ট করে, সম্মতি (agreeing declaration) প্রদান করে ফর্মটা সাবমিট করতে হবে।
৬) অনলাইন অ্যাপ্লিকেশন ফর্মের পিডিএফ ডাউনলোড করে ভবিষ্যতের জন্য সেটি প্রিন্ট করে নিজের কাছে রেখে দিতে হবে।
]]>নাগাল্যান্ডের ডিমাপুরেই হেলিকপ্টার দুর্ঘটনার কবলে পড়েছিলেন তৎকালীন লেফটেন্যান্ট জেনারেল বিপিন রাওয়াত। ডিমাপুর থেকে উড়ানের কয়েক সেকেন্ডের মধ্যে চিতা হেলিকপ্টার দুর্ঘটনার কবলে পড়েছিল।
২০১৫ সালের ৩ ফেব্রুয়ারি ডিমাপুরের সেই দুর্ঘটনায় চিতা হেলিকপ্টারটি মাটি থেকে উঠেই যান্ত্রিক গোলযোগের কারণে পড়ে গিয়েছিল। ভিতরে ছিলেন বিপিন রাওয়াত ও অন্যান্যরা। অল্পের জন্য সবাই বেঁচে যান। পরে তদন্তে জানা যায় কোনও ষড়যন্ত্র নয় আসলেই ছিল দুর্ঘটনা।
২০১৫ সালে বিপিন রাওয়াতের নেতৃত্বে ভারতীয় সেনা প্রতিবেশি মায়ানমারের ঢুকে সেখানে থাকা নাগা বিচ্ছিন্নতাবাদী ঘাঁটি গুঁড়িয়ে দিয়েছিল। সেই বছরেই মনিপুরে সেনা কনভয়ে নাগা সশস্ত্র গোষ্ঠী এনএসসিএন (খাপলাং) হামলা চালায়। এই হামলায় ১৮ জওয়ানের মৃত্যু হয়। এর প্রত্যাঘাত করতেই নাগা বিচ্ছিন্নতাবাদীদের উপর হামলা চালিয়েছিল সেনা বাহিনী।
নাগাল্যান্ড ফের রক্তাক্ত। গত শনিবার রাজ্যের মন জেলায় অসম রাইফেলসের গুলিতে ১৫ জন কয়লা খনির শ্রমিক মারা গেছে। ক্ষোভের মুখে পড়ে এক জওয়ান মৃত। মোট মৃত ১৬ জন। অসম রাইফেলস ঠান্ডা মাথায় গ্রামবাসীদের খুন করেছে বলে অভিযোগ মৃতদের আত্মীয় ও নাগা সংগঠনগুলির।এর জেরে নাগা বিচ্ছিন্নতাবাদী এনএসসিএন (আই-এম) গোষ্ঠীর সশস্ত্র শাখা নাগা আর্মি প্রত্যাঘাতের হুমকি দিয়েছে।
নাগাল্যান্ডের বিতর্কিত পরিস্থিতির মধ্যে তামিলনাডুতে বায়ু সেনার কপ্টার দুর্ঘটনায় মারা গেলেন জেনারেল রাওয়াত। তিনি ছিলেন দেশের সর্বাধিক আগ্রাসী বিচ্ছিন্নতাবাদী সশস্ত্র নাগা সংগঠনের কাছে আতঙ্ক।
]]>তামিলনাডুতে হেলিকপ্টার দুর্ঘটনায় জেনারেল বিপিন রাওয়াত মৃত। বায়ু সেনা জানিয়েছে, চিফ অফ ডিফেন্স স্টাফ জেনারেল বিপিন রাওয়াত ও তাঁর স্ত্রী সহ মোট ১৪ জন মারা গেছেন কপ্টার দুর্ঘটনায়।
প্রয়াত জেনারেল বিপিন রাওয়াতের নামের সঙ্গেও সার্জিক্যাল স্ট্রা়ইক শব্দটি জুড়ে গেছিল। সেই ঘটনা তেমন আলোচিত নয়। প্রতিবেশি দেশ মায়ানমারের সীমান্ত পেরিয়ে সেদেশে নাগা বিচ্ছিন্নতাবাদীদ্র ঘাঁটি গুঁড়িয়ে দিয়েছিল ভারতীয় সেনা। সেই ঘটনার নেতৃত্বে ছিলেন তৎকালীন লেফটেনেন্ট জেনারেল বিপিন রাওয়াত।
২০১৫ সালের সেই সার্জিক্যাল স্ট্রাইক ছিল ভয়ঙ্কর নাগা বিচ্ছিন্নতাবাদী সংগঠন এনএসসিএন (খাপলাং) এর দম্ভে আঘাত। অভিযানের মূল পরিকল্পনাকারী ছিলেন বিপিন রাওয়াত।
নাগা সশস্ত্র বিচ্ছিন্নতাবাদী সংগঠন এনএসসিএন (খাপলাং) গোষ্ঠী ভারত সরকারের সঙ্গে শান্তি আলোচনায় রাজি হয়নি। সংগঠনের প্রধান নাগা বিচ্ছিন্নতাবাদ আন্দোলনের পুরোধা এস এস খাপলাং। ‘নাগালিম’ (বৃহত্তর স্বশাসিত নাগাল্যান্ড) গঠনের জন্য সশস্ত্র পথ বেছে নেওয়া খাপলাং এর বাহিনী বারবার নাশকতা ও হামলা চালিয়েছে উত্তর পূর্বাঞ্চলে। তবে খাপলাং প্রয়াত হওয়ার পর সংগঠনটিতে ভাঙন ধরেছে।
প্রয়াত জেনারেল বিপিন রাওয়াত উত্তর পূর্ব ভারতের বিচ্ছিন্নতাবাদী গোষ্ঠীগুলির বিরুদ্ধে অভিযানে বিশেষ দক্ষতা দেখিয়েছিলেন। যার অন্যতম মায়ানমারে ঢুকে খাপলাংপন্থী নাগা বিচ্ছিন্নতাবাদীদের ঘাঁটি ধংসের নীল নকশা তৈরি।
২০১৫ সালে মনিপুরের চান্দেল জেলায় সেনা কনভয়ে হামলা হয়। সেই হামলায় ১৮ জওয়ানের মৃত্যু হয়। এর পরেই ভারতীয় সেনা প্রত্যাঘাত করে। তৎকালীন লেফটেনেন্ট জেনারেল বিপিন রাওয়াতের পরিকল্পনা অনুসারে সেনার প্রায় ৭০ জন কমান্ডো অভিযানে অংশ নেয়। মায়ানমার সীমান্ত পেরিয়ে সেদেশের জমিতে নাগা বিচ্ছিন্নতাবাদীদের ঘিরে নিয়ে প্রায় আধঘণ্টার বেশি সময় ধরে হামলা চালিয়েছিল সেনাবাহিনী। সেই অভিযানে ৩৮ জন নাগা বিচ্ছিন্নতাবাদীর মৃত্যু হয়।
সীমান্ত পেরিয়ে ভারতীয় সেনার প্রবেশে ক্ষোভ জানায় ততকালীন মায়নমার সরকার। কূটনৈতিক প্রক্রিয়ায় পরিস্থিতি সামাল দেয় ভারত সরকার।
]]>আমরা সবাই জানি, আইআইটি কানপুর সবসময়ই নতুন কিছু করার, ভিন্ন কিছু এবং অনন্য কিছু করার ক্ষেত্রে এগিয়ে আছে রয়েছে। সেখানকার ছাত্ররা দেশের অন্য পড়ুয়াদের থেকে সব সময়েই এক ধাপ এগিয়ে থাকে। জানা গিয়েছে, আইআইএটি কানপুরের ছাত্ররা সম্প্রতি আরও একটি নতুন জিনিস তৈরি করেছেন যা তাক লাগিয়ে দিয়েছে।
তারা এমন একটি হেলিকপ্টার তৈরি করেছে, যার সাহায্যে সেনাবাহিনীর যেকোনো কঠিন মিশন সহজেই সম্পন্ন করা যায়। বিশেষ বিষয় হল এই হেলিকপ্টারটি ভারতীয় সেনাবাহিনীর কথা মাথায় রেখেই তৈরি করা হয়েছে।
দাবি করা হয়েছে যে, লুকানো শত্রুদের খুঁজে বের করার পাশাপাশি, এই হেলিকপ্টারটি আরও অনেক উপায়ে ব্যবহার করা যেতে পারে, যেমন এটি মেডিকেল কিট এবং কঠিন সময়ে প্রয়োজনে উদ্ধারের জন্যও ব্যবহার করা যেতে পারে।
এই হেলিকপ্টারটির সবচেয়ে বড় এবং বিশেষ বিষয় হল এর ওজন মাত্র ৪ কেজি। তথ্য অনুসারে, এটি আইআইটি-এর অ্যারোস্পেস ইঞ্জিনিয়ারিং বিভাগের সিনিয়র বিজ্ঞানী অধ্যাপক অভিষেকের তত্ত্বাবধানে তৈরি করা হয়েছে।
এ
টি লক্ষণীয় যে আইআইটি কানপুরের স্টার্টআপ ইন্ডোরএয়ার হেলিকপ্টারটি বেঙ্গালুরুতে অনুষ্ঠিত হতে যাওয়া এশিয়ার বৃহত্তম শো অ্যারো ইন্ডিয়া ২০২১-এ আকর্ষণের কেন্দ্রবিন্দু হবে। আইআইটি কানপুর নিজেই টুইটারে জানিয়েছে এই তথ্য।
]]>তবু, কতটুকুই বা দাম দেওয়া যায় তাদের বীরত্ব ও আত্মত্যাগের সামান্য পুরস্কারের বিনিময়ে? তাদের বীরত্বের কাহিনী শুনে আমাদের দেশের অনেক যুবক স্বপ্ন দেখে দেশ রক্ষার কর্মকাণ্ডে শামিল হওয়ার। তবে তাদের কীর্তির প্রতি সন্মান জানানোর বেশ কিছু উপায় আছে সাধারণ নাগরিকদের কাছে, যা হয়তো অনেকেই জানেনা বা কখনো খেয়াল করেননি। নজর দেওয়া যাক এমন কয়েকটি উপায় দিকে যার সাহায্যে কুর্নিশ জানানো যায় দেশের বীর জওয়ানদের আত্মত্যাগের প্রতি:

১. আমাদের শহীদ সার্ভিসম্যানদের স্মৃতি রক্ষা করুন
সম্প্রতি, ক্যাপ্টেন বিক্রম বাত্রার বাবা জিএল বাত্রার একটি ছবি ভাইরাল হয় যেখানে দেখা যাচ্ছে, কর্তৃপক্ষের দ্বারা অবহেলিত তার ছেলের স্মৃতিসৌধ পরিষ্কার করছেন তিনি। আমাদের শহীদ জওয়ানদের জাতীয় স্মৃতিসৌধ এবং মূর্তিগুলিকে পরিষ্কার রাখা আমাদের শহীদ জওয়ানদের প্রতি সম্মান দেখানোর একটি উপায়।
২. প্রাক্তন জওয়ানদের কাহিনী শুনুন
যুদ্ধের নায়কদের জীবন মোটেই সহজ হয়না। কেউ কেউ তাদের সাথে ভারী মানসিক বোঝা বহন করে, অন্যরা পোস্ট ট্রমাটিক স্ট্রেস ডিসঅর্ডার (PTSD) এ ভোগে। প্রবীণ জওয়ানদের মুখ থেকে তাদের জীবন কাহিনীর গল্প শোনা যেতে পারে যাতে তাদেরও সময় কাটবে। এটি তাদের অতীত গৌরব পুনরুজ্জীবিত করার সুযোগ দিতে পারে। তদুপরি, আপনি তাদের কাছ থেকে যে অন্তর্দৃষ্টি পাবেন, আপনি তা অন্য কোথাও পাবেন না
৩. এনসিসির সশস্ত্র বাহিনীর জন্য সাইন আপ করুন
ভারতীয় সেনাবাহিনীতে যোগদানের মাধ্যমে, আপনি সামরিক বাহিনীর একটি অংশ হতে শারীরিক এবং মানসিক উভয় দিকের সম্পর্কেই জানতে পারবেন। তাদের জীবনদর্শনের প্রতি একটি বিশেষ অন্তর্দৃষ্টি লাভের সুযোগ পেতে পারেন আপনি এর মাধ্যমে।
৪. সেনাবাহিনীকে প্রভাবিত করে এমন কারণের জন্য লড়াই করার জন্য আপনার সোশ্যাল মিডিয়াকে উৎসর্গ করুন
ভারতীয় সেনাবাহিনীকে প্রায়শই রাজনৈতিক দলগুলোর হাতিয়ার হিসেবে ব্যবহার করা হয়। তাদের আস্থা অর্জনের জন্য এবং এমনকি ভোট পাওয়ার জন্য তাদের সমস্যাগুলিকে রাজনীতিবিদরা রাজনীতিতে পরিণত করেছেন। এই সমস্ত সমস্যা গুলির বিরুদ্ধে এর জোরালো মতবাদ গড়ে তোলার জন্য আপনি আপনার সোশ্যাল মিডিয়া অ্যাকাউন্টটি ব্যবহার করতে পারেন।
৫. তাদের পরিবারকে সমর্থন করে আমাদের শহীদদের সাহায্য করুন
আপনার ভালবাসা দেখানো সর্বদা এমন লোকদের কাছে প্রসারিত হতে পারে যারা তাদের জীবন হারিয়েছে। অনেকের কাছে শ্রদ্ধা দেখানো মানে একজন শহীদের জানাজায় যোগদান করা। যাইহোক, এটি করার আরেকটি উপায় হল সেই পরিবারগুলিকে সাহায্য করা যারা পরিষেবাতে একজন সদস্যকে হারিয়েছে।
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p style=”text-align: justify;”>৬. শান্তির জন্য সংগ্রাম করুন, যাতে শোক করার জন্য আরও মৃত সৈন্য না থাকে
জম্মু কাশ্মীর এবং উত্তর-পূর্বে বিদ্রোহে হাজার হাজার সৈনিক মারা গেছে। ২০০০-এর দশকের গোড়ার দিকে ভারত-পাকিস্তান সীমান্তে সংঘবদ্ধকরণের মহড়ার সময় শতাধিক সৈনিক মারা যায়। চাকরির কঠোর প্রকৃতি এবং তারা যে ভূখণ্ডে কাজ করে তার কারণে প্রতি বছর অনেকেই মারা যায়। নাগরিক হিসাবে, আমরা অ-সংঘাতমূলক এক সমাজ গঠন ও বিভেদের সমাধানের লক্ষ্যে শান্তির পরিবেশের প্রচার করতে পারি যাতে আর কোনো জওয়ানদের মৃত্যু না ঘটে।
আফগানিস্তান তালিবানের দখলে যাওয়ার পর থেকেই জম্মু ও কাশ্মীরে (Kashmir) জঙ্গিদের সক্রিয়তা বেশ বেড়েছে। ইতিমধ্যেই দেশের গোয়েন্দা দফতর এক সতর্কবার্তায় জানিয়েছে, পাক মদতপুষ্ট লস্কর-ই-তৈবা জঙ্গিগোষ্ঠী ভারতে নতুন করে নাশকতার ছক কষছে। জঙ্গিদের সেই ছক বানচাল করে দিতেই মঙ্গলবার ভোরে সোপিয়ানের বেশ কয়েকটি জায়গায় শুরু হয় চিরুনি তল্লাশি। এই তল্লাশি অভিযান ৩ লস্কর জঙ্গি খতম হয়েছে বলে সেনাবাহিনী জানিয়েছে।

উল্লেখ্য, সোমবার রাতে অনন্তনাগ ও বান্দিপোরায় সেনাবাহিনী গুলি করে দুই জঙ্গিকে খতম করেছিল। দুই জঙ্গির মধ্যে ইমতিয়াজ আহমেদ আর লস্কর-ই-তৈবা জঙ্গি সংগঠনের সদস্য। ইমতিয়াজ পাক নাগরিক বলে অনুমান।
সম্প্রতি কাশ্মীরে একদিকে যেমন জঙ্গিদের সক্রিয়তা বেড়েছে, তেমনই সীমান্তে চিন ও পাকিস্তান দুই দেশের সেনাবাহিনীও মাঝেমধ্যেই আগ্রাসী হয়ে উঠছে। স্বাভাবিকভাবেই কাশ্মীর ও সংলগ্ন এলাকায় ভারতীয় নিরাপত্তা বাহিনীকে এখন একাধিক সমস্যার মোকাবিলা করতে হচ্ছে। একদিকে চিনের আগ্রাসন রুখতে সীমান্তে নজরদারি বাড়ানো হয়েছে। অন্যদিকে আবার প্রকৃত নিয়ন্ত্রণরেখা সংলগ্ন এলাকায় পাক মদতপুষ্ট জঙ্গিদের অনুপ্রবেশ ঠেকাতে নেওয়া হয়েছে বিশেষ ব্যবস্থা।
এভাবে নিয়ন্ত্রণ রেখার ওপার থেকে বহিঃশত্রুর আক্রমণ রোধ করা গেলেও ঘরের শত্রুদের নিয়ে উদ্বেগে পড়েছে দেশ। কারণ জঙ্গিরাও তাদের পরিকল্পনা বদলেছে। এই মুহূর্তে পাক জঙ্গিরা চেষ্টা করছে, কাশ্মীরের যুবকদের নিজেদের দলে টানতে এবং প্রশিক্ষণ দিতে। সেই প্রশিক্ষিত জঙ্গিরা কাশ্মীর-সহ গোটা ভারতে নাশকতার পরিকল্পনা করছে।
কাশ্মীরের যুবকদের সামান্য অর্থের বিনিময়ে পাক মদতপুষ্ট জঙ্গিরা কার্যত কিনে নিতে চাইছে। এই এই স্থানীয় যুবকদের জঙ্গি সংগঠনে যোগদানই সবচেয়ে বড় সমস্যা হয়ে দাঁড়িয়েছে নিরাপত্তা বাহিনীর কাছে। তাই নিরাপত্তা বাহিনী কাশ্মীরের যুবকদের যতটা সম্ভব বোঝানোর চেষ্টা করছে। তাদের অনুরোধ করা হয়েছে, তারা যেন জঙ্গিদের পাতা ফাঁদে পা না দেয়।
]]>সোমবার সকালে জম্মু-কাশ্মীরের পুঞ্চ এলাকায় তল্লাশি অভিযানে নেমেছিল সেনা। তখনই লুকিয়ে থাকা জঙ্গিরা সেনাবাহিনীকে লক্ষ্য করে এলোপাথাড়ি গুলি চালাতে শুরু করে। পাল্টা জবাব দেয় বাহিনী। উভয়পক্ষের এইগুলির লড়াইয়ে ৫ জওয়ান শহিদ হয়েছেন। শহিদ জওয়ানদের মধ্যে একজন জুনিয়র কমিশন্ড অফিসার। তবে বাকিদের পরিচয় এখনও জানা যায়নি।
শেষ খবর পাওয়া পর্যন্ত চলছে গুলির লড়াই। গোটা এলাকা ঘিরে ফেলেছে সেনাবাহিনী। বাড়ানো হয়েছে নিরাপত্তা কর্মীর সংখ্যা। জঙ্গিরা যাতে কোনওভাবেই পালাতে না পারে সেদিকে সতর্ক নজর রাখা হয়েছে। এদিনই সেনা বাহিনীর গুলিতে বান্দিপোরায় এক লস্কর-ই-তৈবা জঙ্গির মৃত্যু হয়েছে। সম্প্রতি কাশ্মীরে জঙ্গিদের সক্রিয়তা অনেক বেড়েছে। বিশেষ করে কাবুল তালিবানের হাতে যাওয়ার পর জঙ্গিরা আরো সক্রিয় হয়ে উঠেছে। কাশ্মীর-সহ গোটা দেশে তারা নাশকতার চেষ্টা চালাচ্ছে। জঙ্গিদের প্রতিরোধ করতে সোমবার উপত্যকার ১৬টি জায়গায় তল্লাশি অভিযান চালায় নিরাপত্তা বাহিনী। সে সময়ই এই সংঘর্ষ ঘটে।
সম্প্রতি ভূস্বর্গে নতুন করে জঙ্গিদের সক্রিয়তা বেড়েছে বিশেষ করে কাশ্মীরি সংখ্যালঘু পরিবারকে নিশানা করছে জঙ্গিরা। ইতিমধ্যেই জঙ্গি আতঙ্কে বহু পরিবার। জম্মু ছেড়ে চলে যেতে শুরু করেছে। গত সপ্তাহেই কাশ্মীরে একজন হিন্দু ও একজন শিখ শিক্ষককে গুলি চালিয়ে খুন করে জঙ্গিরা। জম্মু-কাশ্মীর পুলিশের ডিজি দিলবাগ সিং জানিয়েছেন, জঙ্গিরা কাশ্মীরে বিভেদ তৈরি করতে চাইছে। তাই তারা একটি নির্দিষ্ট ধর্মের মানুষকেই নিশানা করেছে।
সম্প্রতি সাধারণ মানুষের ওপর হামলার ঘটনায় জড়িত থাকার অভিযোগে জম্মু ও কাশ্মীর পুলিশ ৭০০-রও বেশি মানুষকে আটক করেছে। তাদের মধ্যে বেশিরভাগই যুবক। জিজ্ঞাসাবাদ করে জানা গিয়েছে, ওই সমস্ত যুবসম্প্রদায়কে টাকার টোপ ও অন্যান্য প্রলোভন দেখিয়ে জঙ্গিরা নিজেদের দলে টানার চেষ্টা করছে। পুলিশ মনে করছে, জঙ্গিদের পাতা ফাঁদে যুবকরা পা দিলে তা অত্যন্ত ভয়ঙ্কর হতে পারে। জঙ্গিদের লক্ষ্য হল, জম্মু-কাশ্মীরের যুব সম্প্রদায়কে সেখানকার মানুষ, সরকার ও প্রশাসনের বিরুদ্ধে ক্ষেপিয়ে তোলা। এটা করা সম্ভব হলে জঙ্গিরা খুব সহজেই নিজেদের স্বার্থসিদ্ধি করতে পারবে ভূস্বর্গে।
]]>ভারতীয় সেনাবাহিনী ৯ অক্টোবর ২০২১ তারিখের নিয়োগ পত্রিকায় বিজ্ঞপ্তি প্রকাশ করেছিল। আবেদন করতে ইচ্ছুক প্রার্থীদের পদার্থবিজ্ঞান, রসায়ন এবং গণিতে দ্বাদশ শ্রেণী পাস হতে হবে। এছাড়াও, JEE মেইন TES-46 কোর্স থেকে TES এন্ট্রির জন্য বাধ্যতামূলক।
কোর্সের জন্য ৯০ টি শূন্যপদ রয়েছে। কোর্সের ৪ বছর সফলভাবে শেষ হলে ক্যাডেটদের সেনাবাহিনীতে লেফটেন্যান্ট পদমর্যাদায় স্থায়ী কমিশন দেওয়া হবে। তবে আবেদন জমা দেওয়ার দিন ঘোষণা হলেও এখনও পরীক্ষা সংক্রান্ত কোনো তথ্য জানানো হয়নি কর্তপক্ষের তরফ থেকে। ১৬ থেকে ১৯ বছর বয়সী প্রার্থীরা আবেদন জানাতে পারবেন এই কোর্সের জন্য। প্রার্থীকে বাধ্যতামূকভাবে JEE মেইনস এ উত্তীর্ণ হতে হবে, পাশাপাশি বিজ্ঞান মাধ্যমে উচ্চমধ্যমিকে কমপক্ষে শতকরা ৬০ শতাংশ নম্বর থাকতে হবে।
সংক্ষিপ্ত তালিকাভুক্ত আবেদনকারীদের 2021 সালের ডিসেম্বর থেকে এসএসবি ইন্টারভিউয়ের জন্য ডাকা হবে। প্রার্থীদের দুটি পর্যায় নির্বাচন পদ্ধতির মাধ্যমে রাখা হবে। যারা প্রথম পর্যায় অতিক্রম করতে পারবে তারা দ্বিতীয় পর্যায়ে যাবে। যারা দ্বিতীয় পর্যায় সফলভাবে অতিক্রম করবে তাদের জন্য মেডিকেল পরীক্ষা করা হবে।
এসএসবি কর্তৃক সুপারিশকৃত এবং মেডিক্যালি ফিট ঘোষিত প্রার্থীদের যোগ্যতার ক্রমে প্রশিক্ষণের জন্য জয়েনিং লেটার জারি করা হবে, যা সমস্ত যোগ্যতার মানদণ্ড পূরণ সাপেক্ষে, প্রাপ্ত শূন্যপদের সংখ্যার উপর নির্ভর করবে। প্রার্থীকে নিয়োগের প্রধানপরিচালক ওয়েবসাইট www.joinindianarmy.nic.in- এ ‘অনলাইন’ আবেদন করতে হবে। নিয়োগের প্রধানপরিচালক, ইন্টিগ্রেটেড হেডকোয়ার্টার্স, প্রতিরক্ষা মন্ত্রণালয় (সেনাবাহিনী) এ আবেদনটি স্ক্রিন করা হবে এবং তারপরে প্রার্থীকে এসএসবির জন্য বিস্তারিত বলা হবে।
]]>অরুণাচল প্রদেশে সীমান্ত টপকে আসা চিনা সেনাদের কাছে নতুন কিছু না। বিস্তীর্ণ বরফ ও জঙ্গলের এলাকা জুড়ে চিনের সঙ্গে রয়েছে আন্তর্জাতিক সীমান্ত। আর আছে মায়ানমারের সীমান্ত।
PTI জানাচ্ছে তাওয়াং সেক্টরের ইয়াংগতসে এলাকায় গত সপ্তাহে চিনা সেনা ঢুকেছিল ভারতীয় জমিতে। তাদের জোর করে ফেরত পাঠানো হয়। সে সময় দুই তরফের কমান্ডাররা মুখোমুখি হয়। আরও জানানো হয়েছে বিষয়টি পরে আলোচনা করে মিটমাট হয়েছে।
ভারত ও চিনের মধ্যে সুদীর্ঘ সীমান্ত পশ্চিমে কেন্দ্রশাসিত এলাকা লাদাখ থেকে পূর্বে অরুণাচল প্রদেশ পর্যন্ত। লাদাখের কাছে সীমান্ত নিয়ে যেমন বিরোধ তেমনই হিমাচল প্রদেশ, সিকিম ও অরুণাচলের বিভিন্ন সেক্টরেও বিরোধ রয়েছে।
অরুণাচল প্রদেশকে চিন নিজেদের অংশ বলে বারবার দাবি করে। বিভিন্ন সময় বিতর্কিত মানচিত্র প্রকাশ করা হয়। নয়াদিল্লি কড়া অবস্থান নেয়।
]]>জঙ্গিরা ফের বড় ধরনের কোন নাশকতা করতে পারে, এই শঙ্কায় অতিরিক্ত নিরাপত্তা বাহিনীকে ডেকে আনা হয়েছে৷ পাশাপাশি বিশাল এলাকা ঘিরে রাখা হয়েছে। সেনাবাহিনীর জানাচ্ছে, চলতি বছরে এটি দ্বিতীয় বড়সড় অনুপ্রবেশের চেষ্টা।
সেনাবাহিনীর এক কমান্ডার সংবাদমাধ্যমকে বলেছেন, এই বছর সীমান্তে কোন যুদ্ধবিরতি লঙ্ঘন হয়নি৷ সীমান্তের ওপার থেকে কোন প্রকার উস্কানি দেওয়া হয়নি।

১৫ কোরের জেনারেল অফিসার কমান্ডিং লেফটেন্যান্ট জেনারেল ডিপি পান্ডে সংবাদমাধ্যমকে বলেন, ‘এই বছর যুদ্ধবিরতি লঙ্ঘন হয়নি৷’ তিনি বলেন, “অনুপ্রবেশের কিছু প্রচেষ্টা হয়েছে৷ তবে আগের বছরগুলোর মত নয়। খুব কমই কোন সফল প্রচেষ্টা ছিল। আমি যতদুর জানি, এখনও পর্যন্ত অনুপ্রবেশের মাত্র দুটি প্রচেষ্টা সামনে এসেছে৷
তিনি আরও জানান, গত ৪ ঘণ্টা ধরে উরিতে অভিযান চলছে৷ সেনাবাহিনী জানতে পেরেছ অনুপ্রবেশের চেষ্টা হয়েছে। অনুপ্রবেশকারীদের খোঁজা হচ্ছে। তারা কি এই দিকে আছে, নাকি তারা ফিরে যাওয়ার চেষ্টা করেছে তা এখনও স্পষ্ট নয়৷
আরও পড়ুন মিলিটারি জুন্টার বিরুদ্ধে বিদ্রোহ, গৃহযুদ্ধের আশঙ্কা মায়ানমারে
যদিও মাসুদুর রহমান বা অরুনিমারাই নন, টাটকা উদাহরন তো টোকিও প্যারাঅলিম্পিক ২০২০। সোনা-রুপো-ব্রোঞ্জে মেডেলের জয়জয়কার ভারতের। বিশেষভাবে সক্ষমেরা বহুদিন ধরেই বহু ক্ষেত্রে বিশেষ সন্মান এনে দিয়েছে ভারতকে। এবার তাতেই যুক্ত হল আরও আটটি নাম। যারা হিমালয়ের সিয়াচেন হিমবাহের ১৫৬৩২ ফুট উচ্চতার কুমার পোস্টে পৌঁছে নতুন বিশ্বরেকর্ড গড়েছেন।
A world record was created today when 8 specially-abled people reached Kumar Post at 15632 feet on the Siachen glacier. Indian Army special forces veterans made Operation Blue Freedom a grand success: Northern Command, Indian Army pic.twitter.com/x2vAVXdJE4
— ANI (@ANI) September 12, 2021
প্রোজেক্টটির নাম দেওয়া হয়েছিল ‘অপারেশন ব্লু ফ্রিডম’ (Operation Blue Freedom)। সাহায্য করেছেন ভারতীয় সেনাবাহিনীর স্পেশাল ফোর্সের সদস্যরাও। যদিও তাঁরাও জানাচ্ছে, পরিশ্রম ও অধ্যবসায় ছাড়া কারো পক্ষে এই উচ্চতা ছোঁয়া সম্ভব হয় না৷ এই আটজনকে ভারতীয় সেনাবাহিনীর বিশেষ দল CLAW দ্বারা প্রশিক্ষণ দেওয়া হয়েছিল। ভারতীয় সেনাবাহিনীর উত্তরাঞ্চলীয় কমান্ড এই মুহূর্তে ভারতীয় সেনাবাহিনীর বিশেষ বাহিনীর প্রবীণদের দ্বারা ব্যক্তিদের প্রশিক্ষণের জন্য এবং প্রতিকূলতার বিরুদ্ধে এই অভিযানকে সাফল্য এনে দিয়েছে।
আরও পড়ুন ভারতীয় নৌসেনার শক্তি বাড়াতে মহাসাগরে ভাসছে INS Dhruv
CLAW জানিয়েছে, দলটি হিমবাহ স্কেল করার সময় ধীরে ধীরে ৪০০০ ফুট উপরে উঠেছিল। গোটা রুটটি বেশ কয়েকটি গভীর খাত, হিমবাহের জলের স্রোত, পাথুরে মোরাইনে ভরতি। তাদের কথা অনুযায়ী, “গোটা প্রক্রিয়াটি কেবল শারীরিক ধৈর্য এবং মানসিক স্থিতিশীলতা পরীক্ষা করে না, বরং অংশগ্রহণকারীদের পাহাড়ে চড়ার-নৈপুণ্য দক্ষতাকেও চ্যালেঞ্জ করে।” অপারেশন ব্লু ফ্রিডম নামের অভিযানটি দুর্দান্ত সাফল্য পাওয়ার পর থেকেই প্রশংসা শুরু হয়েছে বিভিন্ন মহলে।
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