यह खदान ईरान की राजधानी तेहरान से क़रीब 540 किलोमीटर दूर दक्षिणपूर्व में तबास में है। स्थानीय समयानुसार यह धमाका शनिवार रात 9 बजे (भारतीय समयानुसार रात 11 बजे) हुआ। दक्षिण खुरासान के गवर्नर जवाद घेनात्ज़ादेह ने कहा है कि विस्फोट के समय ब्लॉक में 69 लोग मौजूद थे।
जानकारी के मुताबिक़ जवाद घेनात्ज़ादेह ने कहा, “मदनज़ू खदान में एक विस्फोट हुआ है, दुर्भाग्य से उस वक्त ब्लॉक बी और सी में 69 लोग काम कर रहे थे।” “ब्लॉक सी में 22 लोग मौजूद थे, जबकि ब्लॉक सी में 47 लोग थे।” यह अभी भी स्पष्ट नहीं हो सका है कि कितने लोग अभी जीवित हैं और कितने खदान के अंदर फंसे हुए हैं।
हालांकि सरकारी मीडिया ने मृतकों के आंकड़ों में संशोधन किया है। पहले बताया गया था कि इस हादसे में 30 मजदूरों की मौत हुई है। जानकारी के अनुसार, “हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 51 पहुंच गई है, जबकि घायलों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है।”
ईरान के रेड क्रिसेंट के प्रमुख का हवाला देते हुए, सरकारी टीवी ने रविवार को कहा था कि 24 लोग लापता हैं।
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की है। पेज़ेशकियान ने टीवी पर प्रसारित एक वीडियो में कहा, “मैंने मंत्रियों से बात की है और हम इस मामले पर नज़र रखेंगे।”
अल ज़ज़ीरा के मुताबिक़, राष्ट्रपति पेज़ेशकियान संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में शामिल होने के लिए न्यूयॉर्क जाने की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने कहा है कि खदान में फंसे सभी लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए हरसंभव प्रयास करने और पीड़ित परिवारों की मदद करने के आदेश दिए गए हैं। उन्होंये साथ ही ये भी कहा कि इस घटना की जांच करने के आदेश दिए गए हैं।
तबास खदान 30 हज़ार वर्ग किलोमीटर (लगभग 11,600 वर्ग मील) से अधिक क्षेत्र में फैली है। “इसे ईरान की सबसे बड़ी और सबसे समृद्ध खदान माना जाता है।” सरकारी मीडिया ने स्थानीय सरकारी वकील अली नेसाई के हवाले से कहा, “खदान में गैस जमा होने के कारण राहत बचाव कार्य में मुश्किल पेश आ रही है।”
नेसाई ने कहा, “अभी हमारी प्राथमिकता है कि घायलों का इलाज कराया जाए और मलबे में दबे लोगों को बाहर निकाला जाए।” उन्होंने कहा, “इस हादसे से संबंधित लोगों की ग़लती और लापरवाही पर बाद में कार्रवाई की जाएगी.”
इससे पहले भी हुए हैं हादसे ईरान की खदानों में इससे पहले भी ऐसे हादसे हुए हैं।
पिछले साल दामगन के उत्तरी शहर में स्थित कोयला खदान में हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी। स्थानीय मीडिया के मुताबिक़ हो सकता है कि यह हादसा मीथेन गैस के रिसाव की वजह से हुआ था।
मई 2021 में इसी खदान में दो लोगों की मौत हो गई थी। स्थानीय मीडिया के मुताबिक़ खदान के ढहने से ऐसा हुआ था। साल 2017 में उत्तरी ईरान के आज़ाद शहर में स्थित एक कोयला खदान में विस्फोट हुआ था। इस हादसे में 43 लोगों की जान चली गई थी, जिसकी वजह से ईरानी अधिकारियों के प्रति लोगों में गुस्सा था।
अल ज़ज़ीरा के मुताबिक साल 2013 में दो अलग-अलग खदानों में हादसे हुए थे जिनमें 11 मज़दूरों की जान गई थी। वहीं 2009 में इस तरह की कई घटनाएं हुई थीं, जिनमें कम से कम 20 कामग़ार मारे गए थे।
]]>अल हदाथ टीवी ने बताया है कि हमले में हिजबुल्लाह के 500 से ज्यादा सदस्यों ने अपनी आंख गंवाई है। हमले में घायल ईरान के राजदूत मोजतबा अमानी की भी एक आंख चली गई है। विस्फोट दोपहर लगभग 3:30 बजे बेरूत के दक्षिणी इलाके दहियाह और पूर्वी बेका घाटी में शुरू हुए। इसे हिजबुल्लाह का गढ़ माना जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन पेजर में विस्फोट हुए हैं, हिजबुल्लाह ने उन्हें हाल ही में मंगवाया था।
रिपोर्ट में बताया है कि एक नष्ट हुए पेजर की तस्वीर में ऐसा स्टिकर दिखाई दिया है जो गोल्ड अपोलो के पेजर के अनुरूप था। लेबनान के वरिष्ठ सुरक्षा सूत्र ने रॉयटर्स को बताया कि हिजबुल्लाह ने ताइवान स्थित गोल्ड अपोलो से 5000 पेजर मंगवाए थे। हिजबुल्लाह को भरोसा था कि सेलफोन के मुकाबले पुरानी तकनीक वाले ये पेजर संचार के दौरान इजरायली ट्रैकिंग सिस्टम की पकड़ में नहीं आएंगे। लेकिन इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के जासूस हिजबुल्लाह की सप्लाई चेन में घुस चुके थे।
हिजबुल्लाह तक सप्लाई से पहले ये पेजर मोसाद के हाथों में पहुंच गए। लेबनान में हिजबुल्लाह के पास भेजे जाने से पहले इजरायली जासूसों ने इन पेजर के अंदर छोटे विस्फोटक प्लांट कर दिए। मंगलवार को बाहर से कमांड भेजकर एक साथ पेजरों में ब्लास्ट कर दिया गया। ऐसा मालूम होता है कि हिजबुल्लाह ने हाल ही में मंगाए पेजर को देश से बाहर भी अपने लड़ाकों को पहुंचाए थे। सीरिया से भी पेजर के विस्फोट की खबरें आई हैं। सीरिया में हिजबुल्लाह के लड़ाके मौजूद हैं।
इस बीच ताइवान की गोल्ड अपोलो ने 17 सितम्बर को लेबनान में विस्फोट लेकर बयान दिया है। गोल्ड अपोलो के संस्थापक सू चिंग-कुआंग ने 18 सितम्बर को संवाददाताओं को बताया कि कंपनी ने वो पेजर नहीं बनाए हैं, जिनका विस्फोटों में इस्तेमाल किया गया है। कुआंग ने बुधवार को न्यू ताइपे में संवाददाताओं से कहा, ‘यह उत्पाद हमारा नहीं था। इसमें सिर्फ हमारा ब्रांड था।’ कंपनी ने एक बयान में कहा कि AR-924 मॉडल का उत्पादन और बिक्री BAC द्वारा की गई थी। बयान में कहा गया, टहम सिर्फ़ ब्रांड ट्रेडमार्क प्राधिकरण प्रदान करते हैं और इस उत्पाद के डिज़ाइन या निर्माण में हमारी कोई भागीदारी नहीं है।
]]>ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के एक सलाहकार ने देश की परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर चिंताएं फिर से जगा दी हैं, खासकर इजरायल के साथ बढ़ते तनाव के मद्देनजर। सलाहकार कमल खर्राज़ी ने ईरान के परमाणु सिद्धांत में बदलाव का संकेत दिया (Iran’s Nuclear Bomb Warning) , यदि ईरान का अस्तित्व इज़राइल द्वारा खतरे में माना जाता है।
खर्राज़ी ने कहा, “परमाणु बम बनाने का हमारा कोई निर्णय नहीं है, लेकिन अगर ईरान के अस्तित्व को खतरा होता है, तो हमारे सैन्य सिद्धांत को बदलने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।”
अप्रैल की शुरुआत में सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरान के दूतावास पर बमबारी के जवाब में, ईरान और इज़राइल के बीच तनाव उस समय चरम बिंदु पर पहुंच गया जब इजरायल ने सीधे इजरायली क्षेत्र को निशाना बनाते हुए विस्फोटक ड्रोन और मिसाइलों की बौछार शुरू कर दी।
परमाणु हथियार विकास के खिलाफ अयातुल्ला खामेनेई के पिछले फतवे के बावजूद, ईरान के तत्कालीन खुफिया मंत्री ने 2021 में संकेत दिया था कि बाहरी दबाव, विशेष रूप से पश्चिमी देशों से, ईरान के परमाणु रुख के पुनर्मूल्यांकन के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
खर्राज़ी ने कहा, “ज़ायोनी शासन (इज़राइल) द्वारा हमारी परमाणु सुविधाओं पर हमले की स्थिति में, हमारी प्रतिरोधक क्षमता बदल जाएगी।”
इस पृष्ठभूमि के बीच, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के साथ जुड़ने के प्रयासों के मिश्रित परिणाम मिले हैं। हालाँकि ईरान के परमाणु अधिकारियों और IAEA प्रतिनिधियों के बीच चर्चा को सकारात्मक और उत्पादक बताया गया है, लेकिन ठोस प्रगति मायावी बनी हुई है। आईएईए के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने ईरान की कथित सहयोग की कमी पर निराशा व्यक्त की और ईरान की परमाणु गतिविधियों के संबंध में बकाया चिंताओं को दूर करने के लिए ठोस उपायों की तात्कालिकता पर प्रकाश डाला।
पिछले साल, ईरान ने अघोषित स्थलों पर पाए गए यूरेनियम कणों की जांच में सहायता करने और निगरानी उपकरणों को फिर से स्थापित करने की प्रतिबद्धता जताई थी। हालाँकि, IAEA रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि इन आश्वासनों के परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई है।
समाचार एजेंसी एएफपी के हवाले से ग्रॉसी ने कहा, “मौजूदा स्थिति मेरे लिए पूरी तरह से असंतोषजनक है। हम लगभग गतिरोध में हैं और इसे बदलने की जरूरत है।”
ग्रॉसी और ईरानी अधिकारियों के बीच चर्चा के दौरान, दोनों पक्षों ने सहयोग के लिए संभावित ढांचे के रूप में 2023 समझौते को स्वीकार किया, लेकिन कार्यान्वयन धीमा रहा है। इसके अतिरिक्त, बाहरी हस्तक्षेप, विशेष रूप से इज़राइल से, के बारे में चिंताएँ व्यक्त की गईं, जिसे ईरान एक शत्रुतापूर्ण अभिनेता के रूप में देखता है।
]]>न्यूयॉर्क टाइम्स और बीबीसी ने उस क्षेत्र की उपग्रह छवियों का विश्लेषण किया है जहां ड्रोन और एक मिसाइल से हमला किया गया था, जिसे कथित तौर पर एक युद्धक विमान से लॉन्च किया गया था। उपग्रह चित्रों में रूसी मूल की एस-300 सतह-वायु एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली की बैटरी को इसाफान अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के उत्तर-पूर्व में स्थित दिखाया गया है।
बीबीसी द्वारा एक्सेस की गई सैटेलाइट तस्वीरें 15 अप्रैल को गुप्त सुविधा में स्थित एस-300 रक्षा प्रणाली को दिखाती हैं। Google Earth पर नवीनतम छवि उस स्थान को खाली दिखाती है, जिसमें एस-300 मिसाइल रक्षा प्रणाली का कोई निशान मौजूद नहीं है। नटान्ज़ परमाणु सुविधा हमले की जगह के उत्तर में स्थित है।
बीबीसी ने अपने विश्लेषण के आधार पर बताया कि इस प्रणाली में रडार, विशिष्ट मिसाइल लांचर और अन्य उपकरणों से लैस कई वाहन शामिल हैं। कथित तौर पर ड्रोन और मिसाइलों ने सिस्टम पर हमला किया, जिसका अर्थ है कि इजरायली हथियार ईरानी वायु रक्षा प्रणाली से बचने में कामयाब रहे और बिना पहचाने चले गए और एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली से लैस क्षेत्र पर हमला कर दिया।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों ईरानी अधिकारियों ने कहा कि ईरान की सेना ने शुक्रवार को ड्रोन, मिसाइलों और विमानों सहित ईरान के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने वाली किसी भी चीज़ का पता नहीं लगाया है। यह आकलन ईरान की राज्य मीडिया एजेंसी आईआरएनए द्वारा समर्थित है, जिसने कहा, कोई मिसाइल हमला नहीं हुआ था और ईरान की वायु रक्षा प्रणाली सक्रिय नहीं हुई थी। बीबीसी और न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा मूल्यांकन की गई उपग्रह छवियां सुविधा को नुकसान दिखाती हैं।
बीबीसी ने कहा कि एस-300 रक्षा प्रणाली का रडार क्षतिग्रस्त हो गया था लेकिन मिसाइल लांचर बरकरार थे। अग्नि नियंत्रण रडार मिसाइल को लक्ष्य की ओर निर्देशित करता है और प्रणाली में एक महत्वपूर्ण तत्व है। शासन की आलोचना करने वाली समाचार एजेंसी ईरान इंटरनेशनल ने कहा, “छवि स्पष्ट रूप से दिखाती है कि सिस्टम का रडार, जो सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का मार्गदर्शन करता है, नष्ट हो गया है,” वाशिंगटन इंस्टीट्यूट के एक वरिष्ठ फेलो फरज़िन नादिमी ने कहा। एजेंसी को बताया.
Umbra synthetic aperture radar imagery acquired 0648Z 19APR2024 showed evidence of damage to the Iranian S-300PMU2 strategic surface-to-air missile battery in Isfahan since 15APR2024. A probable damaged 30N6E target engagement radar was visible in imagery still on the radar… pic.twitter.com/eqMFTanPOH
— Chris Biggers (@CSBiggers) April 19, 2024
क्षति की सीमा अभी भी अज्ञात है और कथित तौर पर इज़राइल द्वारा किन हथियारों का इस्तेमाल किया गया था यह अभी भी स्पष्ट नहीं है क्योंकि दोनों पक्षों ने दावों का खंडन किया है। हालाँकि, न्यूयॉर्क टाइम्स ने पश्चिमी अधिकारियों के हवाले से बताया कि इज़राइल का हमला ईरान को एक संदेश देने के लिए किया गया था कि वह उसकी रक्षा प्रणालियों को बिना पहचाने ही दरकिनार कर सकता है, साथ ही यह भी कहा कि न तो मिसाइल और न ही उसे दागने वाला विमान जॉर्डन के हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया, पश्चिमी अधिकारियों ने कहा.
اختصاصی: تصاویر دقیق ماهوارهای پیش و پس از حمله منتسب به اسرائیل به سامانههای پدافندی در پایگاه هشتم شکاری اصفهان pic.twitter.com/Ta8LwskLpl
— Fardad Farahzad | فرداد فرحزاد (@FardadFarahzad) April 21, 2024
रूस ने वर्षों की बातचीत के बाद 2016 में ईरान को S-300 वायु रक्षा प्रणाली की डिलीवरी पूरी की। सबसे दुर्जेय वायु रक्षा प्रणालियों में से एक की आपूर्ति ने इज़राइल के भीतर चिंता पैदा कर दी। 2010 में पश्चिम के दबाव के बाद रूस को ईरान के साथ समझौते को रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
]]>‘2019 की तरह अटैक कर सकता है ईरान’
इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद की पूर्व अधिकारी सिमा शाइन ने कहा कि इजराइल पर ईरान 2019 की तरह मिसाइल और ड्रोन अटैक कर सकता है. वो सेना और अन्य प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाना चाहेंगे. इससे काफी नुकसान भी होगा. बता दें कि सऊदी अरब पर मिसाइल अटैक हुआ था. सऊदी ने इसका आरोप ईरान पर लगाया था.
जो हमें नुकसान पहुंचाएगा…- इजराइली पीएम
उधर, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एयरबेस का दौरा भी किया है. हर बात की तरह उन्होंने अपने दुश्मनों से कहा है कि जो उन्हें नुकसान पहुंचाएगा, उसे वो नुकसान पहुंचाएंगे. हम रक्षात्मक और आक्रामक दोनों तरह से तैयार हैं. वहीं, तेहरान ने खुले मंच से अभी ये नहीं कहा है कि वो कब और कैसे हमले करेगा. मगर, इजराइल पर डायरेक्ट अटैक होता है तो डर है कि ईरानी समर्थक हमास के खिलाफ चल रहे इजराइल के युद्ध को विध्वसंक रूप दे सकते हैं.
ईरान ने समुद्र में उतार दिए अपने दो जहाज
ईरान दो टूक कह चुका है कि वो इजराइल को सबक सिखाएगा. उसने फारस की खाड़ी (पर्शियन गल्फ) और लाल सागर में अपने दो जहाजों को भी उतार दिया है. इन जहाजों की क्षमता को जानते हुए अमेरिकी और इजराइली एजेंसियां अलर्ट पर हैं. ये जहाज क्रूज मिसाइलों और यूएवी को लॉन्च करने की क्षमता रखते हैं.
उधर, इजराइल को ये जानकारी भी मिली है कि इन जहाजों के जरिए ईरान समुद्र से हमले का आगाज कर सकता है. साथ ही सैन्य अड्डों पर ड्रोन अटैक भी कर सकता है. इसको देखते हुए इजराइल के कोस्टल एरिया हाई अलर्ट पर हैं. इसके साथ ही ईरान ने अमेरिका के साथ ही मिडिल ईस्ट के देशों के लिए चेतावनी जारी की है. कहा है कि ईरान के खिलाफ जाने वालों को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
‘ये तो तय है कि ईरान हमला करेगा, लेकिन…’
ईरानी सेना में कमांडर (नॉर्दन एयर डिंफेंस रीजन) ने कहा कि हम किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं. अगर, एयरस्पेस में घुसपैठ की किसी भी कोशिश और साजिश का ऐसा जवाब देंगे, जो दुश्मनों के होश उड़ा देगा. अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि ईरान हमला करेगा, ये तो तय है. मगर हम इससे जुड़ी जानकारियों सार्वजनिक नहीं कर सकते. इन सबके बीच भारत और अमेरिका के बाद फ्रांस, रूस और यूके ने भी अपने नागरिकों के लिए ट्रेवल एडवाइजरी जारी की है.
अमेरिका ने नागरिकों के लिए जारी की एडवाइजरी
उधर, ईरानी के हमले की आशंका को देखते हुए अमेरिका ने इजराइल में अपने नागरिकों को यात्रा न करने की चेतावनी दी है. कहा है कि उन्हीं शहरों में रहें जो आयरन डोम सिस्टम से रॉकेट हमलों को बचा सकते हैं. इतना ही नहीं, इजराइल में अमेरिकी सरकारी कर्मचारियों की यात्रा पर पाबंदी भी लगाई जा सकती है.
ईरान-इजराइल में रह रहे नागरिकों से भारत की अपील
विदेश मंत्रालय ने ईरान और इजराइल में रह रहे अपने नागरिकों से कहा है कि अपनी सुरक्षा को लेकर विशेष सावधानी बरतें. भारतीय दूतावासों से संपर्क करें. अपना रजिस्ट्रेशन कराएं. इसके साथ ही देश के लोगों को सलाह है कि वो अगली सूचना तक ईरान या इजराइल की यात्रा न करें.
दमिश्क में हमले के बाद भारत ने कही थी ये बात
सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी राजनयिक परिसर पर हुए हमले पर भारत ने चिंता व्यक्त की थी. कहा था कि वो पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव को लेकर चिंतित है. बताते चलें कि 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमला किया था. इसमें 1,200 लोगों की हत्या की थी. साथ ही 220 से ज्यादा लोगों को बंधक बनाया था. हालांकि, इसमें से कुछ को सीजफायर के बाद रिहा किया था. उधर, हमास के हमले के बाद जंग का ऐलान करते हुए इजराइल ने हमले शुरू किए. इन हमलों में 30 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.
कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री के जरिए फिलिस्तीन को झटका
एक रिपोर्ट में कहा गया था कि कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री के जरिए भी इजराइल फिलिस्तीन को बड़ा झटका देने की तैयारी कर रहा है. वो 90 हजार फिलिस्तीनियों को हटाकर उनकी जगह 1 लाख भारतीय श्रमिकों की भर्ती पर विचार कर रहा है. इस प्लान के तहत भारत से 6 हजार से ज्यादा श्रमिकों को अप्रैल और मई में इजराइल ले जाना था. अब ईरान के संभावित हमले को देखते हुए इजराइल ने बड़ा फैसला लिया है. अब तय किया है कि ‘एयर शटल’ के जरिए भारतीय श्रमिकों को ले जाने की व्यवस्था करेगा.
ইরাকের রাজধানী বাগদাদের (bagdad) গ্রিনজোনে প্রধানমন্ত্রী মুস্তফা আল কাধিমির (mustafa al kadgimi) বাসভবন। এলাকাটি কড়া নিরাপত্তাবেষ্টিত। কারণ এই এলাকায় একাধিক কূটনীতিক-সহ সরকারের বিভিন্ন মন্ত্রী ও আধিকারিকদের বাস। সেই কঠোর নিরাপত্তা বলয়ের ভিতরেই রবিবার ড্রোন হামলা হল।
ইরাকের সেনাবাহিনীর পক্ষ থেকে জানানো হয়েছে, রবিবার প্রধানমন্ত্রীকে (prame minister)হত্যার চেষ্টা করা হয়েছিল। প্রধানমন্ত্রীকে মারতে তাঁর বাসভবনে পাঠানো হয়েছিল বিস্ফোরক বোঝাই ড্রোন। তবে প্রধানমন্ত্রী কাধিমির কোনও ক্ষতি হয়নি। তিনি সুরক্ষিত ও নিরাপদ আছেন।
সংবাদসংস্থা রয়টার্স জানিয়েছে, রবিবার ইরাকের প্রধানমন্ত্রীর বাসভবনে ড্রোন দিয়ে বিস্ফোরণ ঘটানোর চেষ্টা হয়। এই বিস্ফোরণে দুই পদস্থ সরকারি আধিকারিক জখম হয়েছেন। এই হামলার পিছনে কোনও জঙ্গিগোষ্ঠী আছে কিনা তা জানা যায়নি। প্রধানমন্ত্রী কাধিমির অফিস থেকেও টুইট করে এই হামলার কথা স্বীকার করে নেওয়া হয়েছে। একই সঙ্গে জানানো হয়েছে, প্রধানমন্ত্রী নিরাপদেই আছেন।
উল্লেখ্য, গত সপ্তাহে কড়া সুরক্ষা বেষ্টিত গ্রিনজোনের বাইরে বিক্ষোভ দেখিয়েছিল ইরানের (iran) মদতপুষ্ট বেশকিছু সশস্ত্র দুষ্কৃতী। অক্টোবর মাসে ইরাকের সাধারণ নির্বাচনে তেহরানের মদতপুষ্ট দুষ্কৃতী গোষ্ঠী মুখ থুবড়ে পড়ে। এরপর প্রধানমন্ত্রীর বাসভবনে হামলা হল। কড়া নিরাপত্তা বলয় ভেদ করে কীভাবে কাধিমির বাসভবনে হামলা হল তা জানতে তদন্ত শুরু হয়েছে।
উল্লেখ্য, তালিবান আফগানিস্তানের দখল নেওয়ার পরে ফের সক্রিয় হয়ে উঠেছে বিভিন্ন জঙ্গি গোষ্ঠী। সম্প্রতি ইরাকের বিভিন্ন জায়গায় সেনা ও পুলিশের উপর জঙ্গিরা একাধিকবার হামলা চালিয়েছে। কিন্তু সকলকে অবাক করে দিয়ে রবিবার যেভাবে দেশের প্রধানমন্ত্রীর বাড়িতে হামলা ড্রোন হামলা হয়েছে তাতে বিস্ময় প্রকাশ করেছে আন্তর্জাতিক মহল।
]]>বুধবার টিম হোটেলে ড্র লাইভ দেখার জন্য খেলোয়াড়রা সবাই একত্রিত হয়েছিল, পরের বছর ভারতে আয়োজিত AFC মহিলা এশিয়ান কাপে তারা কার মুখোমুখি হবে তা দেখার জন্য অধীর আগ্রহে অপেক্ষা করছিল।
এই নিয়ে ভারতীয় মহিলা দলের অধিনায়ক আশালতা দেবী বলেন,”আমাদের সম্মিলিত স্বপ্ন আছে, আর তা হলো এশিয়ান কাপে ভালো করার। আমাদের এখন আর মাত্র কয়েক মাস বাকি আছে, এবং ড্র লাইভ দেখা আমাদের সকলের জন্য একটি বিশাল অনুপ্রেরণাদায়ক ফ্যাক্টর ছিল।” মহিলা দলের অধিনায়ক এও বলেন,”আমরা সবাই হলটিতে জড়ো হয়েছিলাম যেখানে সাধারণত আমরা টিম মিটিং করি এবং ভিডিও সেশন করি, তবে পার্থক্যটা ছিল আমাদের ভবিষ্যতের প্রতিপক্ষরা আমাদের চোখের সামনে ভেসে উঠেছিল। হলের ভিতরে পরিবেশ একেবারে গমগম করছিল।”
দলের মিডফিল্ডার সঞ্জু যাদব হেসে বলেন, “ড্র হওয়ার সময় এটা আমাদের জন্য বেশ উত্তেজনাপূর্ণ ছিল। যে মুহুর্তে তারা গ্রুপ ‘এ’র জন্য দল বাছাই করছিল, আমাদের মধ্যে কেউ কেউ চোখ বন্ধ করে একে অপরের হাত ধরেছিল।” গ্রুপ ‘এ’তে ভারত আটবারের চ্যাম্পিয়ন চীন, দুইবারের চ্যাম্পিয়ন চাইনিজ তাইপে এবং পশ্চিম এশিয়ার হেভিওয়েট শক্তি ইরানের সঙ্গে একই গ্রুপে।
আশালতা হেসে বলে ওঠেন,”আমাদের প্রত্যেকের নিজস্ব ভবিষ্যদ্বাণী ছিল।” তিনি বলেন, “আমি ইরানের ভবিষ্যদ্বাণীও করেছিলাম, কারণ তাদের প্রতি আমার অনেক শ্রদ্ধা আছে, এবং আমরা শুরুতেই তাদের আমাদের গ্রুপে পেয়েছি।” আশালতা বলতে থাকেন, “তাদের প্রতি আমার অনেক শ্রদ্ধা আছে। তারা শুধু খুব ভালো দল তাই’ই নয়, তাদের দলের সব মহিলারা সেখানে যাওয়ার এবং সমস্ত প্রতিকূলতার বিরুদ্ধে ফুটবল খেলার দৃঢ় সংকল্পই এখনও আমাকে আনন্দ দেয়।”
সম্প্রতি ভারত বাহারিনে একটি ফ্রেন্ডলি ম্যাচে চাইনিজ তাইপেইকে ১-০ ব্যবধানে হারিয়েছে এবং ২০১৯ ভুবনেশ্বরে গোল্ড কাপে ইরানকে একই ব্যবধানে হারিয়েছিল, কিন্তু সঞ্জু অতীতের ফলাফলের ওপর নির্ভর করতে রাজী নয়। .
ভারতীয় মিডিও সঞ্জু বলেন, “আমরা সব দলের কাছে সমান সম্মান পেয়েছি। হ্যাঁ, আমরা ইরান এবং চাইনিজ তাইপেকে হারিয়েছি, কিন্তু সে সবই অতীত। এশিয়ান কাপে কেউই এক ইঞ্চিও জায়গা ছেড়ে দেবে না, এবং আমরা যা পাব তার জন্য আমাদের লড়াই করতে হবে।”
অন্যদিকে,ভারতীয় মহিলা দলের কিছু খেলোয়াড় আগামী মাসে জর্ডনে AFC মহিলা ক্লাব চ্যাম্পিয়নশিপের প্রস্তুতি নেওয়ার লক্ষ্যে গোকুলাম কেরালা এফসি’তে যোগ দিয়েছেন। উইঙ্গার ড্যাংমেই গ্রেসের সাফ কথা, “আমরা সবাই ড্র নিয়ে উত্তেজিত ছিলাম, এবং এখন সময় সামনের কাজের দিকে মনোনিবেশ করার।”
AFC মহিলা এশিয়ান কাপে ভারতের প্রথম ম্যাচ ২০ জানুয়ারী ইরানের বিরুদ্ধে নবি মুম্বই’এর ডিওয়াই পাটিল স্টেডিয়ামে। তারপরে চাইনিজ তাইপে’র বিরুদ্ধে ডিওয়াই পাতিল স্টেডিয়াম নবি মুম্বইতে,২৩ জানুয়ারি এবং তৃতীয় ম্যাচ চীনের বিরুদ্ধে, ফুটবল এরিনা মুম্বইতে, ২৬ জানুয়ারি।
]]>তুরস্কের জাতীয় সংবাদ সংস্থা আনাদোলু এজেন্সি জানাচ্ছে, সন্দেহভাজন এই ব্যক্তিরা ইসরায়েলের গোয়েন্দা সংস্থার কাছে গুরুত্বপূর্ণ তথ্য এবং দলিল পাচার করত। ধৃতদের মধ্যে ফিলিস্তিন এবং সিরিয়ার নাগরিক রয়েছে। কুরিয়ার সার্ভিসের মাধ্যমে তথ্য পাচার করত এবং এর জন্য মোটা অঙ্কের অর্থ পেত তারা।
মোসাদের নজর ছিল যে ফাইলে :
সম্প্রতি তুরস্ক ও ইরান সরকার দুই দেশের নিরাপত্তা ইস্যুতে সহযোগিতা করার লক্ষ্যে চুক্তি সই করেছে। এই চুক্তিতে দুপক্ষ কৌশলগত সম্পর্ক বিস্তার, যৌথভাবে সন্ত্রাসবাদের বিরুদ্ধে লড়াই ও চোরাচালান মোকাবিলায় পরস্পর সহমত হয়।
ইরানের স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী আহমাদ ওয়াহিদি এবং তুরস্কের স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী সোলায়মান সইলু তেহরানে বৈঠক করেন। সেখানেই সমঝোতা হয়। এই ফাইলটির তথ্য সংগ্রহ করতে ইজরায়েলের গুপ্তচর সংস্থা মোসাদ নেমেছিল। তাদের এজেন্টদের খবর পায় তুরস্কের গুপ্তচর বিভাগ। শুরু হয় নজরদারি। সন্দেহ মিটতেই তাদের গ্রেফতার করা হয়।
আটকের পর এসব মোসাদ গুপ্তচরদের আদালতে হাজির করা হয়। তাদেরকে ইস্তাম্বুলের মালতেপে কারাগারে পাঠানোর নির্দেশ দেন বিচারক।
]]>আলজাজিরা জানাচ্ছে, এই নাশকতায় তিন ১০ জন জখম হয়েছেন। শুক্রবার রাতে এবং শনিবার ভোরে দুটি ড্রোন হামলার ঘটনা ঘটেছে।
সৌদি প্রেস এজেন্সি (SPA) জানিয়েছে, বিস্ফোরক বোঝাই ড্রোন হামলায় জখমদের তালিকায় আছেন তিন বাংলাদেশি। তারা ওই বিমানবন্দরের কর্মী। বাকিদের মধ্যে ছয় জন সৌদি আরবের নাগরিক।এক জন সুদানি। তবে বিমানবন্দর থেকে উড়ান অব্যাহত।

বিবিসির খবর, কোনও গোষ্ঠী বিমানবন্দরে হামলার দায় স্বীকার করেনি। তবে, সৌদি আরবের সন্দেহ ইরানের মদতপুষ্ট ইয়েমেনে ক্ষমতা দখলকারী হুতি গোষ্ঠী প্রায়ই সৌদি আরবের উপর ড্রোন হামলা চালিয়ে থাকে। সন্দেহের আরও কারণ, জিজান শহরের কিং আব্দুল্লাহ বিমানবন্দটি ইয়েমেন সীমান্তবর্তী।
ইয়েমেনের গৃহযুদ্ধে সৌদি আরব নেতৃত্বে আরব জোট সেই ২০১৫ সাল থেকে সেনা অভিযান করছে। ইয়েমেনের অপসারিত প্রেসিডেন্ট মনসুর হাদিকে পুনরায় ক্ষমতায় বসাতে মরিয়া আরব জোট ও মার্কিন যুক্তরাষ্ট্র। আর ইয়েমেনের ক্ষমতা দখলকালী হুতি গোষ্ঠীর পক্ষ নিয়েছে ইরান সরকার।
দু’তরফের সংঘর্ষ চললেও ইয়েমেনে তেমন কিছু করতে পারছেনা সৌদি আরব নেতৃত্বে চলা জোট সেনা। সংঘর্ষের জেরে মুসলিম বিশ্ব একেবারে বিভক্ত। সৌদি আরব নেতৃত্বে সুন্নিপন্থী দেশগুলির প্রতিপক্ষ শিয়া গোষ্ঠীর ইরান।
]]>মার্কিন বিদেশ মন্ত্রকের তথ্য নিয়ে সংবাদ সংস্থা এপি জানাচ্ছে, ওয়াশিংটনের হাতে আছে মাত্র ৭৫০টি পরমাণু বোমা। এত কম! এই তথ্য অবিশ্বাস্য লাগছে ওয়াশিংটনের প্রতিদ্বন্দ্বী রাশিয়া, চিন, ইরান ও উত্তর কোরিয়ার শাসকের কাছে।
মার্কিন যুক্তরাষ্ট্রের বিদেশ মন্ত্রকের ওয়েবসাইটে দেওয়া তথ্য অনুযায়ী, ২০০৩ সালে পরমাণু বোমার সংখ্যা ছিল ১০ হাজারের বেশি। প্রশ্ন এখানেই। কোথায় গেল বাকি সব পরমাণু বোমা ? এই বিশাল অস্ত্রভাণ্ডার যে ওয়াশিংটন নিষ্ক্রিয় করেছে তা মানতে নারাজ প্রতিদ্বন্দ্বী দেশগুলি।
এপি জানাচ্ছে, মার্কিন যুক্তরাষ্ট্রর সংগ্রহে সবচেয়ে বেশি পারমানবিক বোমা ছিল১৯৬৭ সালে তৎকালীন সোভিয়েত ইউনিয়নের সঙ্গে শীতল যুদ্ধের সময়। ওই বছর মোট পরমাণু বোমার সংখ্যা ছিল ৩১ হাজার ২৫৫টি। ১৯৮৯ সালে ২২ হাজার ২১৭টি পরমাণু অস্ত্র ছিল বলে মার্কিন যুক্তরাষ্ট্র জানায়।
মার্কিন যুক্তরাষ্ট্র পরমাণু বোমার সংখ্যা কমিয়ে আনছে বলে বার্তা দেওয়া হয়েছে। তাতে অবস্য চিঁড়ে ভেজেনি এতটুকু। ওয়াশিংটন দাবি করছে স্বচ্ছ তথ্য। প্রতিদ্বন্দ্বীরা বলছে মানা কঠিন।
]]>কাবুলে সাংবাদিক সম্মেলনে তালিবান সরকারের মুখপাত্র জাবিউল্লাহ মুজাহিদ জানায়, ইরান ও রাশিয়ার সঙ্গে আফগানিস্তানের দ্বিপাক্ষিক সম্পর্ক দৃঢ় করা হবে। তালিবান মুখপাত্রের বার্তা, ইরানের সঙ্গে তালিবানের নেতৃত্বাধীন আফগানিস্তানের অন্তর্বর্তী সরকারের মতবিরোধ নেই। তেহরানের সঙ্গে সম্পর্ক আরও দৃঢ় করতে চায় কাবুল।
রাশিয়ার প্রতি বার্তায় তালিবান জানায়, বর্তমান আফগান সরকার রাশিয়ার সঙ্গে সর্বোচ্চ পর্যায়ের সম্পর্ক প্রতিষ্ঠা করতে চায়। রুশ সরকার যেন রাষ্ট্রসংঘে তাদের প্রভাব খাটিয়ে তালিবানের উপর আরোপ করা আন্তর্জাতিক বিধিনিষেধ কাটানোর ভূমিকা নেয় তারও অনুরোধ জানানো হয়েছে।
টানা দু দশক বাদে আফগানিস্তানে দ্বিতীয়বার সরকার গড়েছে তালিবান জঙ্গিরা। এই সরকারের সঙ্গে প্রথম থেকেই রাশিয়া, ইরান, চিন, পাকিস্তান, তুরস্কের ঘনিষ্ঠ সম্পর্ক। রুশ প্রেসিডেন্ট ভ্লাদিমির পুতিন আগেই জানান আফগানিস্তানে এখন তালিবান শাসন চলছে। এটাই বাস্তব। সেই বাস্তবকে মানতে হবে।
সলমন বিন আব্দুল আজিজ আল সৌদ সরাসরি ইরানের পরমাণু কর্মসূচির বিরোধিতা করতে আহ্বান জানালেন।
সৌদি বাদশাহের আহ্বান, ইরানকে পারমাণবিক শক্তিধর দেশ হয়ে ওঠা থেকে বিরত রাখার আন্তর্জাতিক প্রচেষ্টা দরকার। ভিডিও ভাষণে সৌদির বাদশাহ বলেছেন সৌদি আরব মধ্যপ্রাচ্যকে গণবিধ্বংসী অস্ত্র থেকে মু্ক্ত রাখার উপর জোর দেয়। এই ভিত্তিতে আমরা ইরানকে পরমাণু শক্তিধর দেশ হিসেবে ঠেকানোর আন্তর্জাতিক প্রচেষ্টাকে সমর্থন করি।

প্রতিক্রিয়া দেবে তেহরান। ইরানের তরফে কী প্রতিক্রিয়া আসে সেটিও গুরুত্বপূর্ণ। ইরানের পরমাণু কর্মসূচি বরাবর বিশ্বে আলোড়ন ফেলে। সৌদি আরব সেই ক্ষমতা অর্জন করতে পারেনি। ফলে রিয়াধ চিন্তিত হয়।
ইরান ও সৌদি আরব বহু বছর ধরে পরস্পরের প্রতিদ্বন্দ্বী। তাদের কূটনৈতিক অবস্থানে মুসলিম বিশ্ব বিভক্ত। দুটি দেশ ইয়েমেন, সিরিয়া সহ কিছু অঞ্চলের অভ্যন্তরীণ ইস্যুতে বিপক্ষ অবস্থান নিয়ে রেখেছে। বিবিসি জানাচ্ছে, তেহরান ও রিয়াধ ২০১৬ সালে কূটনৈতিক সম্পর্ক ছিন্ন করলেও চলতি বছর নিজেদের মধ্যে আলোচনা শুরু করেছে।
তবে ইরানের প্রেসিডেন্ট ইব্রাহিম রায়িসি সাধারণ পরিষদের অধিবেশনে দেওয়া ভাষণে মার্কিন যুক্তরাষ্ট্রের আরোপিত নিষেধাজ্ঞা সরিয়ে নেওয়ার পথ খুলতে পারমাণবিক আলোচনা ফের শুরু করার জন্য বিশ্ব নেতাদের আহ্বান জানান।
]]>শুক্রবারই কাবুল থেকে ফিরে এসেছেন পাক গোয়েন্দা প্রধান। এর পর পাকিস্তানের রাজধানী ইসলামাবাদে শুরু হয়েছে আন্তর্জাতিক গোয়েন্দা বৈঠক। আনুষ্ঠানিকভাবে পাকিস্তান সরকার গোয়েন্দা প্রধানদের এই বৈঠকের কথা স্বীকার করেছি। তবে পাকিস্তানের জাতীয় দৈনিকপত্র বলে বিশ্বে সুপরিচিত ‘ডন’ জানিয়েছে, ৫টি দেশের গোয়েন্দা প্রধানদের বৈঠকে আফগানিস্তানের পরিস্থিতি নিয়ে আলোচনা হয়েছে।
চিন, রাশিয়া, ইরান, কাজাখস্তান, তাজিকিস্তান, তুর্কমেনিস্তান ও উজবেকিস্তানের গোয়েন্দা সংস্থার প্রধানরা যোগ দেন বৈঠকে। এই বৈঠকে পাকিস্তান-আফগানিস্তান নিরাপত্তা, তালিবান নেতৃত্বের সঙ্গে অর্থনৈতিক ও বাণিজ্যিক সম্পর্ক কেমন হবে, তা নিয়ে বিস্তর আলোচনা হয়েছে।
এর আগে পাকিস্তানের নেতৃত্বে আফগানিস্তানের প্রতিবেশী দেশগুলোর বিদেশমন্ত্রীদের বৈঠক অনুষ্ঠিত হয়। বৈঠকে চিন, পাকিস্তান, ইরান, তাজিকিস্তান, উজবেকিস্তান, ও তুর্কেমিস্তান অংশ নিলেও রাশিয়া অংশগ্রহণ করেনি।
পাকিস্তানের বিদেশমন্ত্রী শাহ মাহমুদ কুরেশির সভাপতিত্বে অনুষ্ঠিত বৈঠকে অংশ নেন ইরানের বিদেশমন্ত্রী হোসাই আমির আবদুল্লাহিয়ান, তাজিক পররাষ্ট্রমন্ত্রী সিরাজুদ্দিন মোহরিদ্দিন, উজবেকিস্তানের পররাষ্ট্রমন্ত্রী আবদুল আজিজ কামিলভ এবং তুর্কেমিস্তানের ডেপুটি পররাষ্ট্রমন্ত্রী ভেপা খাদজীয়েব ইনদিটেম।
পরিস্থিতি স্পষ্ট। আমেরিকা সরে যেতেই তাদের ও চিন উভয়ের ঘনিষ্ঠ পাকিস্তান সরকার এখন আফগান তালিবান সরকারের হর্তাকর্তার বিধাতা।