ISKCON – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Mon, 23 Jun 2025 05:09:00 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png ISKCON – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 मध्य पूर्व में महायुद्ध: कोलकाता के ISKCON नेता राधारामण दास मोल्ला-मार्क्सवादी-मिशनरी के निशाने पर https://ekolkata24.com/top-story/radharaman-das-links-ramayana-to-modern-warfare-targets-critics-in-iskcon-row Mon, 23 Jun 2025 05:09:00 +0000 https://ekolkata24.com/?p=52032 मध्य पूर्व के उथल-पुथल भरे माहौल में कोलकाता के ISKCON (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस) के सह-अध्यक्ष और प्रवक्ता राधारामण दास का नाम एक बार फिर से हालिया घटनाक्रम में उभर कर सामने आया है। बांग्लादेश में इस्कॉन के संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के संदर्भ में उन्होंने तीव्र आपत्ति जताई थी, और इसके बाद ईरान-इजरायल युद्ध के परिप्रेक्ष्य में उनकी सोशल मीडिया पोस्ट्स फिर से चर्चा का विषय बनी हैं। उनकी पोस्ट्स में रामायण और महाभारत का उल्लेख है, जहां वे प्राचीन भारतीय ग्रंथों को आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जोड़ते हैं। ये पोस्ट्स मोल्ला-मार्क्सवादी-मिशनरी गठबंधन के निशाने पर आ गई हैं, जो लंबे समय से भारतीय संस्कृति और धार्मिक मूल्यों को हेय समझने का प्रयास कर रहे हैं।

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बांग्लादेश में इस्कॉन संन्यासी की गिरफ्तारी और राधारामण दास की प्रतिक्रिया
बांग्लादेश में इस्कॉन के संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी इस्कॉन कोलकाता शाखा के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गई है। चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के संदर्भ में राधारामण दास ने तीव्र विरोध दर्ज कराया। उन्होंने इस घटना को बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय पर जारी हमलों का एक हिस्सा माना। इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता के रूप में उन्होंने केंद्रीय सरकार से संपर्क किया, ताकि बांग्लादेश में इस्कॉन के सदस्यों और अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

दिघा के जगन्नाथ मंदिर के उद्घाटन और मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात
राधारामण दास हाल ही में दिघा के जगन्नाथ मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे, जो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रयास से बनाया गया था। इस समारोह में वे मुख्यमंत्री से भी मिले। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने मध्य पूर्व के युद्ध परिस्थिति और बांग्लादेश में इस्कॉन संन्यासी की गिरफ्तारी के मुद्दे पर चर्चा की। यह मुलाकात मीडिया में व्यापक रूप से चर्चित हुई, क्योंकि यह राधारामण दास के धार्मिक और राजनीतिक दायित्वों के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध स्थापित करती है।

ईरान-इजरायल युद्ध और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
मध्य पूर्व में ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध के परिप्रेक्ष्य में राधारामण दास सोशल मीडिया पर सक्रिय रहे हैं। उनकी पोस्ट्स में रामायण और महाभारत का उल्लेख है, जहां वे प्राचीन भारतीय ग्रंथों को आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जोड़ते हैं। उन्होंने दावा किया कि रामायण में वर्णित ब्रह्मास्त्र और महाभारत में वर्णित अग्नेयास्त्र आज के गाइडेड मिसाइल और इंटरसेप्टर से मिलते-जुलते हैं। यह दावा मोल्ला-मार्क्सवादी-मिशनरी गठबंधन के निशाने पर आ गया है, जो ऐसे बयानों को हेय समझने का प्रयास कर रहे हैं।

मोल्ला-मार्क्सवादी-मिशनरी की आलोचना
राधारामण दास की पोस्ट्स मोल्ला-मार्क्सवादी-मिशनरी गठबंधन की तीव्र आलोचना के शिकार हो गई हैं। इस गठबंधन के अनुयायी लंबे समय से भारतीय संस्कृति और धार्मिक मूल्यों को हेय समझने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने राधारामण दास के बयानों को अवैज्ञानिक और कल्पना पर आधारित बताया है। हालांकि, राधारामण दास का दावा है कि प्राचीन भारतीय ग्रंथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के एक उन्नत मंच थे, जिसे आज के वैज्ञानिक भी मान्यता दे रहे हैं।

रामायण-महाभारत का संदर्भ
राधारामण दास की पोस्ट्स में रामायण और महाभारत में वर्णित दिव्यास्त्रों का उल्लेख है। उन्होंने कहा कि रामायण में वर्णित ब्रह्मास्त्र और महाभारत में वर्णित अग्नेयास्त्र आज के परमाणु और प्रिसिजन-गाइडेड मिसाइल से मिलते-जुलते हैं। यह दावा विभिन्न वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि प्राचीन भारतीय ग्रंथों में वर्णित प्रौद्योगिकी और विज्ञान आज के विज्ञान से मेल खाते हैं।

हालिया घटनाक्रम का प्रभाव
राधारामण दास की पोस्ट्स ने हालिया घटनाक्रम पर गहरा प्रभाव डाला है। उन्होंने मध्य पूर्व के युद्ध परिस्थिति और बांग्लादेश में इस्कॉन संन्यासी की गिरफ्तारी के बीच एक संबंध स्थापित किया है, और भारतीय संस्कृति और धार्मिक मूल्यों के प्रति जागरूकता का आह्वान किया है। उनकी बातें मोल्ला-मार्क्सवादी-मिशनरी गठबंधन की आलोचना के शिकार हुईं, लेकिन इसे भारतीय संस्कृति के पुनरुद्धार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना गया है।राधारामण दास की सोशल मीडिया पोस्ट्स ने मध्य पूर्व के युद्ध परिस्थिति, बांग्लादेश में इस्कॉन संन्यासी की गिरफ्तारी और भारतीय संस्कृति के पुनरुद्धार के बीच एक संबंध स्थापित किया है। उनकी बातें मोल्ला-मार्क्सवादी-मिशनरी गठबंधन की आलोचना के शिकार हुईं, लेकिन इसे भारतीय संस्कृति के प्रति जागरूकता का एक महत्वपूर्ण आह्वान माना गया है। रामायण और महाभारत के संदर्भ में उनका दावा आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जोड़ता है, जो भारतीय संस्कृति के गौरव को पुनरुद्धार करने में मदद कर सकता है।

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पाकिस्तान के समय में इस्कॉन ने पूर्व बंगाल में शाखा खोली थी, अब बांगलादेश में होगा निषिद्ध? https://ekolkata24.com/uncategorized/iskcon-controversy-in-bangladesh-religious-tensions-rise-amid-allegations Tue, 26 Nov 2024 17:30:18 +0000 https://ekolkata24.com/?p=50277 बांगलादेश में हाल ही में एक गंभीर घटना ने देश के धार्मिक माहौल को और भी तनावपूर्ण बना दिया है। 26 नवंबर 2024 को चटगांव में हुए एक भयंकर विवाद में अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (ISKCON) के अनुयायियों पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी अभियोजक को मौत के घाट उतार दिया। यह घटना तब घटी जब चिन्नमय कृष्ण प्रभु के खिलाफ राज्यद्रोह मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। इसके बाद, इस्कॉन के अनुयायी उग्र हो गए और सरकारी अभियोजक सैफुल इस्लाम अलीफ को मार डाला। इस घटना के बाद, बांगलादेश में इस्कॉन को प्रतिबंधित करने की मांग तेज हो गई है, और चटगांव में साम्प्रदायिक संघर्ष का खतरा पैदा हो गया है।

इस्कॉन के अनुयायी, विशेष रूप से चिन्नमय कृष्ण प्रभु के समर्थक, उनके खिलाफ लगे आरोपों को गलत मानते हैं और उनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं। इस बीच, सोशल मीडिया पर इस्कॉन के सशस्त्र सदस्यों की तस्वीरें भी वायरल हो रही हैं, जिससे स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो गई है। इस घटना के बाद, बांगलादेश में धार्मिक हिंसा के बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

बांगलादेश में इस्कॉन के इतिहास और भूमिका:
इस्कॉन (International Society for Krishna Consciousness) की स्थापना 1966 में अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में आचार्य अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद द्वारा की गई थी। यह एक वैष्णव संगठन है, जिसका मुख्य उद्देश्य श्री कृष्ण के ज्ञान और भक्ति का प्रचार करना है। इस्कॉन का कार्यक्षेत्र वैश्विक स्तर पर फैला हुआ है, और यह धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए प्रसिद्ध है। खासतौर पर “फूड फॉर लाइफ” (Food for Life) कार्यक्रम के तहत इस्कॉन ने गरीब और जरूरतमंदों को मुफ्त भोजन प्रदान करने के कार्य में बहुत योगदान दिया है, जो दुनियाभर में सराहा जाता है।

बांगलादेश में इस्कॉन की शाखा 1970 के आसपास पाकिस्तान के समय में खोली गई थी, जब यह क्षेत्र पूर्व पाकिस्तान था। इसके बाद, बांगलादेश के स्वतंत्रता संग्राम के बाद देश में इस्कॉन ने अपनी शाखाएं स्थापित करना शुरू कर दिया। बांगलादेश के प्रमुख शहरों जैसे ढाका और चटगांव में इस्कॉन की शाखाएं बहुत प्रसिद्ध हैं। यहां तक कि मुस्लिम बहुल देश में भी इस्कॉन की लोकप्रियता में वृद्धि हुई है, और बांगलादेश में हिंदू समुदाय के बीच इसने तेजी से अपना पैर पसार लिया है।

इस्कॉन पर आरोप और विवाद:
हालांकि, इस्कॉन ने बांगलादेश में अपनी धर्मनिरपेक्ष गतिविधियों के चलते कई सराहनाएँ प्राप्त की हैं, लेकिन इस संगठन पर समय-समय पर कई आरोप भी लगे हैं। इसके अनुयायी अक्सर इस्कॉन के खिलाफ राजनीतिक आरोपों के निशाने पर रहते हैं। इस्कॉन पर कई बार अपने विदेशी शाखाओं के साथ गुप्त रूप से संबंध बनाने और बांगलादेश में साम्प्रदायिक हिंसा फैलाने के आरोप भी लगाए गए हैं, हालांकि इस संगठन ने इन आरोपों का हमेशा खंडन किया है।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस्कॉन के खिलाफ आरोप है कि यह संगठन भारत और अमेरिका में अपने अनौपचारिक नेटवर्क का इस्तेमाल करके बांगलादेश में धार्मिक तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इस संगठन की गतिविधियों को लेकर विवाद तब और बढ़ गया जब कुछ इस्कॉन अनुयायियों ने सोशल मीडिया पर साम्प्रदायिक रूप से उत्तेजक सामग्री साझा की, जो धार्मिक हिंसा को भड़काने का कारण बन सकती थी।

बांगलादेश में इस्कॉन की स्थिति:
बांगलादेश में इस्कॉन की स्थिति में लगातार उतार-चढ़ाव आया है। मुस्लिम बहुल इस देश में हिंदू धर्म के अनुयायी न केवल धार्मिक रूप से कमजोर हैं, बल्कि उन्हें अक्सर राजनीतिक और सामाजिक उत्पीड़न का सामना भी करना पड़ता है। पिछले कुछ वर्षों में बांगलादेश में हिंदू-मुस्लिम तनाव में वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप कई साम्प्रदायिक झड़पें भी हुई हैं। इन घटनाओं ने बांगलादेश के हिंदू समुदाय के खिलाफ घृणा और असहमति को बढ़ावा दिया है। ऐसे माहौल में, इस्कॉन पर किए गए आरोप और इस संगठन की गतिविधियों पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

इस्कॉन पर कई बार आर्थिक अनियमितताओं और नेतृत्व से जुड़े विवादों के आरोप भी लगे हैं। इसके बावजूद, यह संगठन बांगलादेश में अपनी धार्मिक और सामाजिक सेवाओं के लिए कई स्थानों पर लोकप्रिय बना हुआ है। हालाँकि, अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या बांगलादेश सरकार इस संगठन पर प्रतिबंध लगाएगी और इसे निषिद्ध कर देगी?

बांगलादेश में इस्कॉन की शाखाओं पर बढ़ते आरोप और विवाद के बावजूद, इस संगठन ने हमेशा अपनी धार्मिक कार्यों में निष्कलंक रहने का दावा किया है। हालांकि, हाल की घटनाओं ने बांगलादेश में इस्कॉन की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बांगलादेश में बढ़ते साम्प्रदायिक तनाव और धार्मिक विवादों के बीच इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर स्थिति और भी जटिल हो सकती है। यह देखना होगा कि बांगलादेश सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और क्या इस्कॉन को निषिद्ध किया जाएगा या नहीं।

इस्कॉन पर बढ़ती निगरानी और बांगलादेश में इसकी भविष्यवाणी इस बात पर निर्भर करेगी कि सरकार क्या निर्णय लेती है, और देश के अंदर साम्प्रदायिक तनाव के बीच इसे कैसे संभालती है।

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