Lucknow – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Sun, 04 Aug 2024 03:54:42 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png Lucknow – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर कार व बस की भीषण टक्कर, 7 की मौत https://ekolkata24.com/top-story/agra-lucknow-expressway-accident Sun, 04 Aug 2024 03:54:42 +0000 https://ekolkata24.com/?p=49228 लखनऊ : उत्तर प्रदेश में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर एक कार बस से टकरा गई। बताया जा रहा है कि कार के चालक को नींद आ गई जिसकी वजह से कार अनियंत्रित होकर अपनी लेन बदलकर दूसरी लेन में चली गई। इसके बाद लखनऊ से आ रही बस से वह टकरा गई।

इस हादसे में 7 लोगों की मौत हो गई जबकि 46 यात्री घायल हुए हैं। घायलों को नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मृतकों में तीन कार सवार जबकि बस के 4 यात्री शामिल हैं।

एसएसपी इटावा संजय कुमार वर्मा ने दुर्घटना को लेकर बताया कि रायबरेली से दिल्ली जा रही डबल डेकर बस की रात करीब 12:30 बजे एक कार से टक्कर हो गई। बस में 60 लोग सवार थे, जिनमें से 4 लोगों की मौत हो गई। इस में सवार करीब 20-25 लोग घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कार में सवार 3 लोगों की भी मौत हो गई। 

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Fathers Day पर  ICU में बीमार पिता के सामने बेटियों ने किया निकाह, डॉक्टर-नर्स बने बाराती https://ekolkata24.com/top-story/on-fathers-day-daughters-got-married-in-front-of-their-sick-father-in-icu Sun, 16 Jun 2024 09:42:52 +0000 https://ekolkata24.com/?p=48319 लखनऊ :  फादर्स डे की पूर्व संध्या पर शनिवार को आईसीयू में भर्ती बीमार पिता की आखों के सामने दो बेटियों का निकाह कराया गया। पिता अपने जीते जी बेटियों के हाथ में मेंहदी लगी देखना चाहता था। बीमार पिता की इच्छा के मुताबिक एरा मेडिकल कॉलेज का आईसीयू दो सगी बहनों की शादी का गवाह बना। आईसीयू में भर्ती गंभीर मरीजों की ख्वाहिश पर उसकी दो बेटियों का निकाह आईसीयू में ही पढ़ा गया। माला पहने दूल्हे आईसीयू में निकाह की रस्म पूरी करते नजर आए। डाक्टर नर्स बाराती की भूमिका में नजर आए।

दुबग्गा स्थित एरा मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में सैयद जुनैद इकबाल (51) गुजरे 15 दिनों से भर्ती हैं। संक्रमण की वजह से उन्हें सांस लेने में दिक्कत है। इससे पहले चार बार तबीयत बिगड़ने पर अलग- अलग दिनों में भर्ती कराया गया है। भाई डॉ. तारिक साबरी ने बताया कि सैयद जुनैद इकबाल उन्नाव के मुसंडी शरीफ मजार के सज्जादा नशीन हैं। इनकी दो बेटिया हैं। पहली तन्वीला व दरख्शां।

दोनों का निकाह पहले से तय था। 22 जून को मुंबई में निकाह व रिसेप्शन मुकर्रर था। अप्रैल में भाई की तबीयत खराब हो गई। 15 दिन पहले एरा के आईसीयू में भर्ती कराया गया। इलाज के बावजूद तबीयत में सुधार नहीं हुआ। लिहाजा पिता ने अपने सामने बेटियों की शादी की ख्वाहिश जाहिर की।

पिता चलने-फिरने में लाचार हैं। इसके लिए एरा मेडिकल कॉलेज प्रशासन से अनुमति मांगी। एरा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए आईसीयू में निकाह की अनुमति दी। लिहाजा अस्पताल प्रशासन ने आईसीयू में पिता के सामने दूल्हे और मौलवी को बुलाकर दोनों बेटियों का निकाह कराया। 13 को तन्वीला का निकाह हुआ। 14 जून को दरख्शां का निकाह पढ़ाया गया।

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बेटे की चिता के लिए लकड़ी लेने गए पिता और दामाद को पुलिस ने लात-घूंसों से पीटा https://ekolkata24.com/uncategorized/police-beat-up-father-and-son-in-law Thu, 23 May 2024 12:49:07 +0000 https://ekolkata24.com/?p=47499 लखनऊ : उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में मृत बेटे की चिता के लिए लकड़ी लेने गए पिता और दामाद को दारोगा ने लात घुसों से जम कर पीट दिया। जिससे नाराज ग्रामीणों ने देर रात तक जैदपुर थाने में पुलिस के खिलाफ जमकर हंगामा किया। मामले में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हस्ताक्षेप हंगामा शांत हुआ और परिजनों ने गुरुवार को मृतक बेटे का दाह संस्कार किया है।

इस घटना के बाद बाराबंकी में पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया। जहां जैदपुर कोतवाली क्षेत्र के मुख्तीपुर गांव निवासी हनुमान के 30 वर्षीय बेटे राकेश की खेत में सिंचाई के दौरान बुधवार हार्ट अटैक से मौत हो गई थी।

अर्थी पर पड़े बेटे की चिता के लिए पिता को लकड़ी की जरूरत थी। वहीं जंगल से लकड़ी काटने गए पिता दमाद और भतीजों की दारोगा ने लात घूंसों से जम कर पिटाई की। लकड़ी के लिए पिता हनुमान ने क्षेत्रीय वन रेंजर सचिन पटेल से मौखिक परमिशन ले रखी थी।

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UP: পিসি-ভাইপো-যোগী কার দখলে লখনউ গদি https://ekolkata24.com/uncategorized/who-will-get-the-lucknow-seat-mayawati-or-akhilesh-yadav Sat, 08 Jan 2022 13:17:49 +0000 https://ekolkata24.com/?p=18454 পশ্চিমবঙ্গের মতো উত্তর প্রদেশেও (UP) ‘পিসি-ভাইপো’ আছেন। এরা দুজনেই লখনউয়ের মসনদে বসেছেন। সেক্ষেত্রে বুয়াজি অর্থাৎ পিসির কেরিয়ার ঝলমলে। বুয়াজির রাজনৈতিক পোশাকি নাম ‘বহেনজি’। প্রাক্তন মুখ্যমন্ত্রী ও বিএসপি নেত্রী মায়াবতী বয়সজনিত কারণে অপর প্রাক্তন মুখ্যমন্ত্রী অখিলেশ যাদবের ‘বুয়াজি’। অখিলেশ হলেন এই নজরে ‘বাবুয়া’-ভাইপো!

সমাজবাদী পার্টির সঙ্গে বহুজন সমাজ পার্টির আদায় কাঁচকলা সম্পর্ক। তবে ভোটের স্বার্থে একও হয়েছেন। পশ্চিমবঙ্গে যেমন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়কে হটাতে একসময়ের ‘কামড়া-কামড়ি’ করা সিপিআইএম ও কংগ্রেস এক হয়েছে। তবে গত ভোটগুলিতে দুই রাজ্যেই এমন জোট কাজে আসেনি। আসন্ন উত্তর প্রদেশ ভোটে আবার যুযুধান বুয়া-বাবুয়া।

রাজ্যে ক্ষমতাসীন বিজেপি বনাম সমাজবাদী পার্টির মূল লড়াই হিসেবে বিবেচ্য। বিএসপি ও কংগ্রেসও আছে লড়াইতে। কিছু পকেট এলাকা বাদ দিলে মূলত চতুর্মুখী ভোট হবে এই রাজ্যে।

নির্বাচন কমিশন ৫ রাজ্যে মোট ৭ দফায় হবে ভোট নির্ঘণ্ট ঘোষণা করেছে। গোয়া, উত্তরাখণ্ড, মণিপুর, পাঞ্জাবের থেকেও সর্বাধিক গুরুত্বপূর্ণ উত্তরপ্রদেশের ভোট। ৪০৩টি আসনের বিধানসভায় যার সরকার তার হাতেই ভারত শাসনের চাবিকাঠি থাকে। এখন যেমন বিজেপি।

বিজেপিরও চিন্তা সেই বুয়া-বাবুয়াকে নিয়েই। এদের পারস্পরিক ভোট কাটাকাটি, কংগ্রেসের ভোট সবমিলে জটিল অংক কষতে শুরু করেছেন বিজেপির ভোট কুশলীরা। সমাজবাদী পার্টির জনসমর্থন বাড়ছে ফের তা সমীক্ষা থেকে স্পষ্ট। বহুজন সমাজপার্টির সমর্থন কম নয়। একসঙ্গে মিশেছে কৃষক বিক্ষোভ। বিজেপির পক্ষে গতবারের মতো তরতর করে জয় সম্ভব নয় তা দলীয় নেতাদের ভাষণেই স্পষ্ট।

মায়াবতীর নিজস্ব জনপ্রিয়তা যেমন, তেমনই অখিলেশ সিং যাদবেরও। মুখ্যমন্ত্রী যোগী আদিত্যনাথের সূচক নিম্নমুখী। এই প্রেক্ষিতে দলিত ও সংখ্যালঘু ভোটের থেকে বিজেপির নজর উচ্চবর্ণ ও সাধারণ হিন্দু ভোট। অন্যদিকে লখিমপুর খেরিতে কৃষকদের পিষে দেওয়ার ঘটনা ভোটে প্রভাব ফেলবে। সমীক্ষাগুলি দেখাচ্ছে, বুয়ার থেকে বাবুয়া বেশি এগিয়ে ইস্যুভিত্তিক রাজনীতিতে।

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IPL: লক্ষৌ ফ্র্যাঞ্চাইজির প্রধান কোচ নিযুক্ত হয়েছেন অ্যান্ডি ফ্লাওয়ার https://ekolkata24.com/sports-news/andy-flower-appointed-head-coach-of-ipl-lucknow-franchise Fri, 17 Dec 2021 14:34:49 +0000 https://ekolkata24.com/?p=15261 Sports desk: ইন্ডিয়ান প্রিমিয়ার লিগে (IPL) ২০২২ সংস্করণে নতুন ফ্রাঞ্চাইজি হিসেবে আত্মপ্রকাশ করবে সঞ্জীব গোয়েঙ্কার মালিকানাধীন ফ্র্যাঞ্চাইজি টিম লক্ষৌ। শুক্রবার প্রাক্তন জিম্বাবোয়ের অধিনায়ক অ্যান্ডি ফ্লাওয়ারকে লক্ষৌ ফ্র্যাঞ্চাইজির প্রধান কোচ হিসাবে নিযুক্ত করা হয়েছে। 

গত দুই মরসুম ধরে পাঞ্জাব কিংসের সহকারী কোচ হিসেবে কাজ করছিলেন ফ্লাওয়ার। কেএল রাহুল গত দুই মরসুমে পাঞ্জাবের অধিনায়ক ছিলেন, তিনিও নতুন এই ফ্র্যাঞ্চাইজি টিমে পাড়ি জমাতে চলে যাবেন বলে মনে করা হচ্ছে।

এই প্রসঙ্গে ফ্লাওয়ার এক বিবৃতিতে বলেন, “নতুন লক্ষৌ ফ্র্যাঞ্চাইজিতে যোগ দিতে পেরে আমি অবিশ্বাস্যভাবে উত্তেজিত এবং আমি সুযোগের জন্য খুব কৃতজ্ঞ। ১৯৯৩ সালে আমার প্রথম ভারত সফরের পর থেকে, আমি সবসময় ভারতে সফর, খেলা এবং কোচিং পছন্দ করি”।

ফ্লাওয়ার নিজের বিবৃতিতে আরও বলেন,”ভারতে ক্রিকেটের প্রতি অনুরাগ অপ্রতিদ্বন্দ্বী এবং একটি আইপিএল ফ্র্যাঞ্চাইজির নেতৃত্ব দেওয়া একটি সত্যিকারের বিশেষত্ব এবং আমি মিস্টার গোয়েঙ্কা এবং লক্ষৌ দলের সাথে ঘনিষ্ঠভাবে কাজ করার জন্য উন্মুখ”।

অ্যান্ডি ফ্লাওয়ার ওই বিবৃতিতে বলেন,”আমি লক্ষৌ ফ্র্যাঞ্চাইজির সাথে অর্থপূর্ণ এবং সফল কিছু তৈরি করার চ্যালেঞ্জটি উপভোগ করব, আমি যখন নতুন বছরে উত্তর প্রদেশে যাব তখন আমি ব্যবস্থাপনা এবং কর্মীদের সাথে দেখা করার অপেক্ষায় আছি।”

এই প্রসঙ্গে সঞ্জীব গোয়েঙ্কার বিবৃতি, “একজন খেলোয়াড় এবং একজন কোচ হিসেবে অ্যান্ডি ক্রিকেটের ইতিহাসে একটি অমোঘ চিহ্ন রেখে গিয়েছেন। আমরা তার পেশাদারিত্বকে সম্মান করি এবং আশা করি সে আমাদের দৃষ্টিভঙ্গি নিয়ে কাজ করবে এবং আমাদের দলে মূল্য যোগ করবে।”

জিম্বাবোয়ের কিংবদন্তী ব্যাটসম্যান অ্যান্ডি ফ্লাওয়ার, ২০১০ সালে ইংল্যান্ডকে টি-টোয়েন্টি বিশ্বকাপ টাইটেল জিতে কোচিং করান এবং টেস্ট র‌্যাঙ্কিংয়ে এক নম্বর স্থান অর্জন করেন ক্যারিবিয়ান প্রিমিয়ার লিগে পাঞ্জাব কিংসের মালিকানাধীন ফ্র্যাঞ্চাইজি – সেন্ট লুসিয়া কিংসের নেতৃত্বে রয়েছেন।

প্রসঙ্গত, লক্ষৌ ফ্র্যাঞ্চাইজির মালিকানার জন্য সঞ্জীব গোয়েঙ্কার নেতৃত্বাধীন RP-SG গ্রুপ ৭০৯০ কোটি টাকা খরচ করেছিল সকলকে তাক লাগিয়ে দিয়েছিল।

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Uttar Pradesh: হবু শিক্ষকদের বিক্ষোভ দমন করতে লাঠি চালাল যোগীর পুলিশ https://ekolkata24.com/uncategorized/uttar-pradesh-lucknow-protest-over-jobs-irregularities-faces-crackdown-with-lathis Sun, 05 Dec 2021 15:15:15 +0000 https://ekolkata24.com/?p=13687 News Desk: কৃষকদের বিক্ষোভ মিটতে না মিটতেই এবার হবু শিক্ষকদের (teachers agitation) বিক্ষোভে উত্তপ্ত হল উত্তরপ্রদেশ (Uttar Pradesh)। জানা গিয়েছে, চাকরির দাবিতে শনিবার বিকেলে প্রায় ৭০ হাজার হবু শিক্ষক মোমবাতি মিছিল করে রাজ্যের মুখ্যমন্ত্রী যোগী আদিত্যনাথের (yogi adityanath) বাস ভবনের দিকে যাওয়ার কর্মসূচি নিয়েছিলেন।

হবু শিক্ষকরা মুখ্যমন্ত্রীর বাড়ির দিকে এগোনোর চেষ্টা করতেই পুলিশ ব্যাপক লাঠিচার্জ (lathi charge) করে। পুলিশের লাঠির ঘায়ে বেশ কয়েকজন আহত হয়েছেন। যে কারণে কয়েকজনকে হাসপাতালে ভর্তি করা হয়। জানা গিয়েছে, ২০১৯ সালে সহকারি শিক্ষক নিয়োগের একটি পরীক্ষা নিয়েছিল যোগী সরকার। ৬৯ হাজার শূন্যপদ রয়েছে। কিন্তু ওই নিয়োগের পরীক্ষায় ব্যাপক দুর্নীতির অভিযোগ তুলেছেন হবু শিক্ষকরা। তাঁদের দাবি, অবিলম্বে যথাযথ নিয়ম মেনে উপযুক্ত প্রার্থীদের নিয়োগ করতে হবে। ৬৯ হাজার শূন্যপদের সঙ্গে রাজ্যে নতুন করে তৈরি হওয়া আরও ২২ হাজার শূন্য পদে দ্রুত শিক্ষক নিয়োগ করতে হবে।

যথারীতি মুখ্যমন্ত্রী আদিত্যনাথের পুলিশের ভূমিকার কড়া সমালোচনা করেছে কংগ্রেস। পাশাপাশি সমালোচনা করেছে রাজ্যের অন্যতম দুই বিরোধী দল সমাজবাদী পার্টি ও বহুজন সমাজ পার্টি। শিক্ষকদের মিছিলে লাঠি চালানোর ঘটনার সমালোচনা করে রাহুল রবিবার ট্যুইট করেন, চাকরির দাবিতে হবু শিক্ষকরা পথে নেমে ছিলেন। যোগী সরকার চাকরি দেওয়ার পরিবর্তে তাঁদের লাঠিপেটা করেছে। যাঁরা দেশ গড়ার কারিগর তাঁদের উপরে এভাবে লাঠি চালানোর ঘটনা অত্যন্ত লজ্জাজনক। মুখ্যমন্ত্রী যোগী দলিত ও অন্যান্য অনগ্রসর শ্রেণির প্রতি বৈষম্যমূলক আচরণ করছেন। হবু শিক্ষকরা তো সামান্য একটা চাকরি চেয়েছিলেন। কিন্তু শিক্ষকদের সেই দাবিতে কর্ণপাত না করে যোগী আদিত্যনাথ পুলিশ দিয়ে তাঁদের পিটিয়েছেন। এই অমানবিক ঘটনার নিন্দা করার মত কোনও ভাষা নেই।

সমাজবাদী পার্টির নেতা অখিলেশ যাদবও এই ঘটনার নিন্দা করেছেন। তিনি বলেছেন, যোগী সরকার মানুষকে একমুঠো ভাত দিতে পারে না, কিন্তু অকারণে লাঠিপেটা করতে পারে। হবু শিক্ষকরা ন্যায্য দাবিতেই পথে নেমেছেন। তাঁদের সঙ্গে কথা বলে সমস্যার সমাধান করা উচিত ছিল সরকারের। কিন্তু সেটা না করে মুখ্যমন্ত্রী যোগী ব্রিটিশ শাসকদের মতো আচরণ করেছেন।

উল্লেখ্য, শূন্য পদে নিয়োগের দাবি জানিয়ে প্রায় ছয় মাস ধরে আন্দোলন করে আসছেন হবু শিক্ষকরা। তাঁদের অভিযোগ, তাঁরা শিক্ষামন্ত্রীকে বিষয়টি জানাতে চেয়েছিলেন। কিন্তু গত ৫ মাসে শিক্ষামন্ত্রী তাঁদের সঙ্গে দেখা করার সময় পেলেন না। সে কারণেই তাঁরা মুখ্যমন্ত্রীর বসসভবনের উদ্দেশ্যে মোমবাতি মিছিল করে যাওয়ার পরিকল্পনা করেছিলেন। তাঁদের এই মিছিল ছিল সম্পূর্ণ শান্তিপূর্ণ। কিন্তু পুলিশ তাঁদের অকারণে লাঠিপেটা করেছে।

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Farm Law: লখনউতে মহাপঞ্চায়েত, অগনিত কৃষকদের চিৎকারে BJP শঙ্কিত https://ekolkata24.com/uncategorized/farmers-are-demanding-for-law-guaranteeing-msp-in-lucknow-mahapanchayat Mon, 22 Nov 2021 08:42:28 +0000 https://ekolkata24.com/?p=12006 News Desk: প্রধানমন্ত্রী মুখে বলেছেন কৃষি আইন বাতিল হবে। আগে সরকার এই আইন সংসদে বাতিল করুক তবে বিশ্বাস করব। মহাপঞ্চায়েত থেকে এমনই দাবি করলেন ভারতীয় কিষান ইউনিয়নের নেতা রাকেশ টিকায়েত। পূর্বঘোষিত কর্মসূচি অনুসারে সোমবার উত্তর প্রদেশের রাজধানী লখনউতে অগনিত কৃষক ঢল নেমেছে।

কৃষি আইন বাতিলের কথা প্রধানমন্ত্রী মোদী ঘোষণার পর এটাই প্রথম মহাপঞ্চায়েত। লখনউ জুড়ে উত্তর প্রদেশের বিভিন্ন জেলার কৃষকদের সমাগম হয়েছে।

সম্মেলনে অংশ নিয়েছেন কৃষক আন্দোলনের অন্যতম নেতা সারা ভারত কৃষক সভার সাধারণ সম্পাদক হান্নান মোল্লা। আছেন ৫০০টি কৃষক সংগঠনের নেতারা।

mahapanchayet

কৃষকসভার সাধারণ সম্পাদক হান্নান মোল্লা আগেই জানান, প্রধানমন্ত্রী ঘোষণা মানে আ়ইন বাতিল নয়। যতক্ষণ না আইন বাতিল হচ্ছে ততক্ষণ কৃষকরা আন্দোলন চালাবেন।

লখনউ মহাপঞ্চায়েত থেকে হান্নান মোল্লার নির্দেশিত পথ ধরেই অন্যান্য কৃষক নেতারা জানিয়েছেন, দিল্লি অভিযান জারি থাকবে যতক্ষণ না পুরো আইন বাতিল করছে কেন্দ্র।

Farm Laws Withdrawn

বিজেপি সাংসদ ও বারবার বিতর্কিত উত্তেজক মন্তব্য দেওয়া সাক্ষী মহারাজের দাবি, ভোট মিটুক তারপর আইনটি ফের চালু করবে কেন্দ্র। তিনি আন্দোলনকারী কৃষকদের কটাক্ষ করেছেন।

লখনউতে কৃষক মহাপঞ্চায়েত থেকে ঘনঘন চিৎকার উছছে বিজেপি সরকার ‘কালা কানুন’ বাপস লো। সূত্রের খবর, রাজ্যে ও পাঞ্জাবে আসন্ন বিধানসভা ভোটে কৃষক বিক্ষোভের আঁচ টের পেয়েই প্রধানমন্ত্রী আইনটি প্রত্যাহারের কথা বলেছেন।

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UP: বারাণসী, হরিদ্বার সহ ৪৬ স্টেশনে লস্কর জঙ্গি নাশকতার হুমকি https://ekolkata24.com/uncategorized/militant-threat-to-blow-up-46-railway-stations-of-up Sun, 31 Oct 2021 15:04:20 +0000 https://www.ekolkata24.com/?p=9845 News Desk: প্রধানমন্ত্রী মোদীর সংসদীয় আসনের অন্তর্গত বারাণসী সহ উত্তর প্রদেশের ৪৬টি স্টেশনে নাশকতার হুমকি দিল জঙ্গি সংগঠন লস্কর ই তৈবা। হুমকির পরেই পুরো রাজ্য জুড়ে জারি হয়েছে সতর্কতা।

যে সব স্টেশন জঙ্গিদের লক্ষ্যবস্তু বলে চিহ্নিত সেখানে চলছে বিশেষ সতর্কতা। দীপাবলি উৎসবের আগেই লস্কর জঙ্গিদের হুঁশিয়ারিতে চিন্তিত উত্তর প্রদেশ সরকার ও রেল মন্ত্রক।

জানা গিয়েছে, লস্কর জঙ্গিদের নিশানায় আছে রাজধানী লখনউ, বারাণসী, কানপুর, প্রয়াগরাজ (এলাহাবাদ), কানপুর, হরিদ্বার, মুরাদাবাদ, অযোধ্যা সহ উত্তর প্রদেশের ৪৬টি স্টেশন বা জংশন।

সতর্কতা হিসেবে জিআরপি, আরপিএফকে বিশেষ নজরদারি চালানোর নির্দেশ দিয়েছে রেল মন্ত্রক। সেই মতো বিভিন্ন স্টেশনে চলছে তল্লাশি ও নজরদারি।

গোয়েন্দা বিভাগের জারি করা সতর্কতা মেনে সিসিটিভি নজরদারিতে বিশেষ জোর দেওয়া হচ্ছে। এছাড়াও কমান্ডো বাহিনী প্রস্তুত। যে কোনওরকম হামলা পরিস্থিতি রুখতে জঙ্গি দমন বিভাগ (এটিএস) তৈরি। উত্তর প্রদেশ রাজ্য পুলিশকে বিশেষ নজরদারি চালানোর নির্দেশ দেওয়া হয়েছে।

উত্তর প্রদেশে জঙ্গি হামলা হতে পারে এমন সতর্কতা আগেই দিয়েছে গোয়েন্দা বিভাগ। উৎসবের ভিড় বা বড় জমায়েতে থাকছে কড়া নজর।

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আইপিএলের নিলামে ম্যানচেস্টার ইউনাইটেডের হার, বাজিমাত কলকাতার https://ekolkata24.com/sports-news/ahmedabad-lucknow-to-be-new-ipl-teams-as-cvc-capital-rpsg-group-win-bid-for-latest-franchises-for-rs-12690-crore Mon, 25 Oct 2021 16:30:18 +0000 https://www.ekolkata24.com/?p=9128 Sports Desk: ম্যানচেস্টার ইউনাইটেড ক্লাব দলের মালিকরা সম্প্রতি নতুন আইপিএল ফ্র্যাঞ্চাইজি কেনার বিষয়ে আগ্রহ প্রকাশ করেছিল, তারা দরপত্র তুলেছিল। কিন্তু সঞ্জীব গোয়েঙ্কার কোম্পানি আরপিজিএস শেষ মুহুর্তে সকলকে তাক লাগিয়ে দিয়ে বাজিমাত করে বেরিয়ে গেল।

২০২২ আইপিএলের আসন্ন মরসুমের জন্য দুটি নতুন দল ঘোষণা করা হয়েছে। আহমেদাবাদ এবং লখনউকে নতুন দল হিসেবে অন্তর্ভুক্ত করা হয়েছে এবং নিলামের পরিমাণও তাক লাগিয়ে দেওয়ার মতো। সঞ্জীব গোয়েঙ্কার কোম্পানি আরপিএসজি লখনউ ফ্র্যাঞ্চাইজি কিনেছে এবং ইসিভিসি ক্যাপিটাল আহমেদাবাদ ফ্র্যাঞ্চাইজি কিনেছে।

রিপোর্ট অনুসারে, সঞ্জীব গোয়েঙ্কার কোম্পানি আরপিজিএস লখনউ দল কিনতে মোট ৭০৯০ কোটি টাকার বিড করেছে, যা সর্বোচ্চ এবং তিনি জিতেছেন। এরপরে একটি আন্তর্জাতিক বিনিয়োগ সংস্থা সিভিসি ক্যাপিটাল ৫২০০ কোটি টাকায় বিড করে দ্বিতীয় দলের অধিকার অর্জন করেছে। এই দুটি বিডিং কোম্পানি আইপিএলের নতুন দুটি দল কিনেছে অন্য সব বড় নামকে পিছনে ফেলে দিয়ে।

বিসিসিআই দুবাইতেই এই নিলাম ও বিডিংয়ের ব্যবস্থা করেছিল এবং দরপত্র দাতারাও দুবাইতে ছিলেন। এর পরে সমস্ত নিলাম করা হয় এবং নিলামের এই প্রক্রিয়া শেষ হওয়ার পরে, নিলামের জন্য একযোগে অর্থ ঘোষণা করা হয়েছিল। কেউ ভাবেননি যে কোনও দলের জন্য ৭০০০ কোটি টাকার বিডও করা হবে। প্রতি দলে ৪০০০ কোটি টাকা বা আরও কিছু বেশি অর্থ বিনিয়োগ আশা করা হয়েছিল, কিন্তু এত বিশাল পরিমাণ বিনিয়োগ সামনে আসতেই সকলের চোখ ছানাবড়া হয়ে যায়।

দলগুলির নিলাম প্রক্রিয়ার আগে, বিসিসিআই পুরানো দলগুলিতে ধরে রাখার নিয়ম (রিটেন নিয়ম) সম্পর্কে জানিয়ে দিয়েছে। রিটেন নিয়মে বলা হয়েছে, একটি দলে চারজন খেলোয়াড় ধরে রাখা যাবে। নতুন দলগুলিকে মেগা নিলামের বাইরে থেকে ২ জন খেলোয়াড় কেনার অধিকার দেওয়া হয়েছে। আগামী বছর আইপিএলের জন্য একটি মেগা নিলামও রয়েছে।

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Atul prasad: লখনউয়ের মুকুটহীন বাঙালি নবাব https://ekolkata24.com/offbeat-news/atul-prasad-uncrowned-bengali-nawab-of-lucknow Fri, 22 Oct 2021 17:02:17 +0000 https://www.ekolkata24.com/?p=8731 Special Report: অক্লান্তকণ্ঠ এক সংগীত-সন্ন্যাসী তিনি। তাঁর মুখে হাসি, গলায় গান, দু’হাতে কাজ, দান-ধ্যান। লখনউয়ের মুকুটহীন সম্রাট, ব্যারিস্টার অতুলপ্রসাদ সেনের (Atul prasad) জীবন পূর্ণ ছিল কর্মে, প্রার্থনায়।

বাংলা ভাষা সাহিত্যে ও সংগীতের এক অতি পরিচিত নাম অতুলপ্রসাদ সেন। তিনি ছিলেন একাধারে কবি, গীতিকার ও গায়ক। বাংলাভাষীদের নিকট অতুলপ্রসাদ সেন প্রধানত একজন সঙ্গীতজ্ঞ ও সুরকার হিসেবেই পরিচিত। তাঁর গানগুলি মূলত স্বদেশি সংগীত, ভক্তিগীতি ও প্রেমের গান; এই তিন ধারায় বিভক্ত। তবে তাঁর ব্যক্তি জীবনের বেদনা সকল ধরনের গানেই কম-বেশি প্রভাব ফেলেছে। এ জন্য তাঁর অধিকাংশ গানই হয়ে উঠেছে করুণ-রস প্রধান।

সে সব কী দিনই না ছিল! ভাবুকের সঙ্গে মনের যোগ ছিল কর্মীর। গায়কের সঙ্গে বিজ্ঞানীর। দেশনেতার সঙ্গে চিত্রশিল্পীর। কবির সঙ্গে ব্যারিস্টারের। দুরন্ত প্রযুক্তি ছিল না, চিঠিপত্রের গতায়াতে সময় লাগত বিস্তর। দেশ জুড়ে কত ওঠানামা, ঘটনার বুড়বুড়ি অন্য প্রান্তে পৌঁছনোও সময়ের ব্যাপার। তবু মনের যোগ ছিল বলেই দূর এসে যেত কাছে। আর সৌভাগ্যের কথা, সব যুগেই থাকেন কিছু মানুষ – গোটা দেশকে একসূত্র রাখেন প্রজ্ঞা, প্রতিভা আর হৃদয়বত্তায়। অতুলপ্রসাদ সেন যেমন। ঊনবিংশ-বিংশ শতকের ভারতে এক বিস্তীর্ণ সেতুবন্ধ।

কারও কাছে ‘অতুলদা’, কারও ‘ভাইদাদা’। ‌আরও অনেকের কাছে ‘এ পি সেন’, ‘সেনসাহেব’, লখনউয়ের শ্রেষ্ঠ ব্যারিস্টার। কারও ‘প্রিয়বরেষু’, ‘কবিবন্ধু’। সব সম্বোধনের পিছনে সদাশিবের মতো মানুষটি, মুখে হাসি, গলায় গান, দু’হাতে কাজ, দান-ধ্যান। সেই মানুষটি, যিনি কাগজে বিবেকানন্দের শিকাগো-জয়ের খবরে উচ্ছ্বসিত হয়ে সেলিব্রেট করেন, রবীন্দ্রনাথের জন্মবার্ষিকী পালনে উঠেপড়ে লাগেন, মহাত্মা গাঁধীর ডাকে ছুটে গিয়ে গান শোনান, তিনি অতুলপ্রসাদ। তিনি অওধ বার অ্যাসোসিয়েশনের প্রেসিডেন্ট, আবার প্রবাসী বঙ্গ সাহিত্য সম্মেলনের কান্ডারি। তাঁকে ছাড়া লখনউয়ের মুশায়েরা, ঠুমরি-গজলের মজলিশ পূর্ণ হয় না। তিনি দীনের সহায়, লখনউয়ের রাস্তায় যেতে যেতে ঘুমন্ত দরিদ্রের বালিশের তলায় টাকা গুঁজে দিয়ে বেরিয়ে আসেন নিঃশব্দে। অন্তরের গহনতম প্রদেশে সেই মানুষটাই নীরব কান্নাকে সমর্পণ করেন প্রার্থনায়। সব যন্ত্রণার শেষ ঘটান নির্মাণে – গান রচনায়, সুর-সাধনায়।

১৮৭১-এ ঢাকায় জন্ম, বাবা রামপ্রসাদ সেন ছিলেন দেবেন্দ্রনাথ ঠাকুরের স্নেহভাজন, মহর্ষিই তাঁকে কলকাতা মেডিক্যাল কলেজে ভর্তি হতে সাহায্য করেন। ঢাকার বিখ্যাত ব্যক্তিত্ব, ঋষি কালীনারায়ণ গুপ্তের মেয়ে হেমন্তশশীর সঙ্গে বিয়ে হয় উদার, বুদ্ধিমান তরুণটির। জন্মাবধি অতুলপ্রসাদ দেখেছেন উনিশ শতকীয় সংস্কারমুক্ত খোলা একটা আকাশ। বাবা রামপ্রসাদ নববিধানের, দাদু কালীনারায়ণ ভারতীয় ব্রাহ্মসমাজের সদস্য ছিলেন। শ্বশুর-জামাতার মতান্তর মনান্তরে রূপ নেয়নি কখনও। শিশু অতুল দেখেছেন রবিবারের প্রার্থনায় দু’জনেরই প্রণত যোগদান। কালীনারায়ণের কাছে আসতেন বহু দীনজন। দানসামগ্রী যা কিছু শিশু অতুলের হাত দিয়ে দেওয়াতেন মাতামহ। অতুলপ্রসাদ বড় হতে হতে দেখেছেন, দাদু একটা কালো পাথরের থালায় ভাত খান, নিজের হাতে থালা ধুয়ে তাতেই ভাত বেড়ে দেন লক্ষ্মীবাজারের বাড়ির বহু দিনের পুরনো মেথরকে, সে খেয়ে উঠলে নিজে সেই থালা ধুয়ে রাখেন ফের। উচ্চবর্ণের, সচ্ছলতার গুমোর ভেঙেছিল রোজকার সহজ শিক্ষায়, আমৃত্যু সেই শিক্ষা ভোলেননি।

রামপ্রসাদের মৃত্যুর পর অতুলপ্রসাদের মা হেমন্তশশীর দ্বিতীয় বার বিয়ে হয় – চিত্তরঞ্জন দাশের জ্যাঠামশাই, ব্রাহ্ম নেতা দুর্গামোহন দাশের সঙ্গে। তরুণ অতুলপ্রসাদ বাড়ির বড় ছেলে, ছোট তিনটি বোন ঘরে। কলকাতায় বড়মামা কৃষ্ণগোবিন্দ গুপ্তের বাড়িতে থাকেন তখন, অভিমানে মায়ের কাছেই ঘেঁষেন না। অভিমান থেকে এসেছে জেদ, প্রেসিডেন্সি কলেজে পড়ে, পরে বিলেত গিয়ে হতে হবে ব্যারিস্টার। একা নিজের ঘরে মায়ের জন্য কাঁদেন, তখন কাছটিতে এসে বসে মামার মেয়ে হেমকুসুম। সান্ত্বনা দেয়, প্রেরণা জোগায়। বড় হতে হবে জীবনে, অনেক বড়। হেমকুসুমের সঙ্গ অতুলপ্রসাদকে তিরতির কাঁপায়।

সম্পর্কে সৎবাবা, তাতে তো স্নেহ আটকায় না। দুর্গামোহনই ব্যবস্থা করে দিলেন অতুলপ্রসাদের বিলেত যাওয়ার প্যাসেজ মানি, ভারী শীতপোশাকের। ১৮৯০ সালে ব্যারিস্টারি পড়তে ইংল্যান্ডে পাড়ি দিলেন বছর কুড়ির অতুল। জাহাজে ভেনিস হয়ে আসার পথে গন্ডোলা-চালকরা একটা গান গাইছিল, কী মিষ্টি! সেই সুরই অতুলপ্রসাদকে দিয়ে লিখিয়ে নিল একটা গান। ‘উঠ গো ভারতলক্ষ্মী, উঠ আদি জগৎজনপূজ্যা/ দুঃখ-দৈন্য সব নাশি, কর দূরিত ভারতলজ্জা…’ যে গান পরে বিংশ শতাব্দীর ভারতে জাতীয়তাবাদের আবহে মানুষের মুখে মুখে ঘুরবে। লন্ডনে মিডল টেম্পল-এ পড়েন, ব্রিটিশ মিউজিয়াম দেখেন অবাক চোখে। সেখানেই তখন চিত্তরঞ্জন দাশ, দ্বিজেন্দ্রলাল রায়, অরবিন্দ ঘোষ, সরোজিনী নাইডু – অতুলপ্রসাদ এঁদের সবার বন্ধু। পড়ার সমান্তরালে চলে অপেরা, পাশ্চাত্য সংগীত, বিশ্বসাহিত্যের পাঠ। কলকাতায় ফিরে হাইকোর্টে নাম লেখালেন, লর্ড সত্যেন্দ্রপ্রসন্ন সিংহের ‘জুনিয়র’ হিসেবে শুরু হল কর্মজীবন।

কঠিন ব্যারিস্টারি পরীক্ষা পাশ করে ছেলে দেশে ফিরেছে, হেমন্তশশী-দুর্গামোহন খুব খুশি। মায়ের কাছে যেতে তবু পা সরে না, মাঝে কী এক দুর্লঙ্ঘ্য বাধা। পরিস্থিতি জটিলতর হল, যখন অতুলপ্রসাদ-হেমকুসুম ঠিক করলেন, বিয়ে করবেন। আত্মীয়রা শিউরে উঠল। মামাতো-পিসতুতো ভাইবোন, বিয়ে হবে কী! ব্রিটিশ বা হিন্দু, কোনও আইনেই এ বিয়ে সিদ্ধ নয়। সত্যেন্দ্রপ্রসন্ন সিংহ পরামর্শ দিলেন, বিয়ে করতে হলে বিদেশে গিয়ে করো। স্কটল্যান্ডে গ্রেটনাগ্রিন গ্রামের গির্জায়, সেখানকার নিয়মে বিয়ে করলেন হেমকুসুম-অতুলপ্রসাদ। বিংশ শতাব্দীর শুরুর বছরটি তখন চোখ মেলেছে সবে।

এই সময়ে কলকাতার সাংস্কৃতিক সংস্থা ‘খামখেয়ালি সভা’য় তিনি জড়িয়ে পড়েন এবং সেখানে রবীন্দ্রনাথ ও দ্বিজেন্দ্রলালের ব্যক্তিগত ও সাংগীতিক সান্নিধ্য পান। গান শোনেন সরলা দেবী চৌধুরানী ও রাধিকাপ্রসাদ গোস্বামীর। কলকাতা ও রংপুরে অল্পকাল আইন ব্যবসায় যুক্ত থেকে তিনি বরাবরের জন্য চলে যান লক্ষ্ণৌ শহরে। সেখানেই তার জীবন কাটে সফল আইনবিদ রূপে, গান গেয়ে ও রচনা করে, সমাজ ও দেশের নানা হিতকর কাজে।

বিয়ে হল, কিন্তু দেশে ফেরা? কিছু দিন চেষ্টা করেছিলেন, বিলেতেই যদি থাকা যায়। রোজগার বড় বালাই। দুই পুত্র দিলীপকুমার-নিলীপকুমার জন্মেছে, সংসার চালাতে হবে। সাত মাসের মাথায় জ্বরে নিলীপকুমার মারাও গেল। কাজ জুটছে না, হেমকুসুম গয়না বিক্রি করতে বাধ্য হয়েছেন। কলকাতায় ফিরলেন, কিন্তু প্র্যাকটিস জমানো মুখের কথা নয়। মুখ ফিরিয়ে-থাকা পরিজন-বন্ধুর মাঝে বাঁচাও মুশকিল। ব্যারিস্টার বন্ধু মমতাজ হোসেন বুদ্ধি দিলেন, লখনউ চলুন। উত্তরপ্রদেশের নবাবি নগর, ঠুমরি-টপ্পা-শায়েরির লখনউয়ে বহু বাঙালির বাস; গোমতীর তীর আলো করছেন শিক্ষা-সাহিত্য-শিল্পে। গুণীর কদর করে লখনউ, মানীর মান রাখে। অতুলপ্রসাদ লখনউ এলেন, ক’জন বন্ধুও এগিয়ে এলেন সাহায্যে। লখনউ বার অ্যাসোসিয়েশনের সদস্য হলেন, প্র্যাকটিস শুরু করলেন লখনউ কোর্টে।

শুরু হল নতুন জীবন। অতুলপ্রসাদ উর্দু শিখলেন, বন্ধুতা হল শহরের গণ্যমান্য বিদ্বজ্জনদের সঙ্গে। প্রিয়দর্শন, সহাস্য মানুষটি অচিরেই প্রিয় হয়ে উঠলেন সবার। কোর্টে তালুকদারি শরিকি ঝগড়া মেটান পেশাদারি দক্ষতায়, সারস্বত সমাজেও তাঁর সক্রিয় উপস্থিতি। কলকাতায় যে জীবন চেয়েছিলেন, তা পেলেন লখনউতে। কত যে কাজ করার আছে! হরিজন মানুষের মধ্যে কাজ, অতুলপ্রসাদ হাজির। কাশীতে বিধবা আশ্রম প্রতিষ্ঠা, অতুলপ্রসাদ আছেন। গোমতীর বন্যায় দুর্গতদের জন্য পথে পথে ঘুরে গান গেয়ে অর্থসংগ্রহ, অতুলপ্রসাদকে দেখে লোকে এগিয়ে আসেন। হিন্দু-মুসলমানের দাঙ্গা লাগল এক বার শহরে, ছুটে গেলেন। উন্মত্ত মানুষ একে অন্যকে আঘাত করছে রাজপথে, আর তাঁদের মধ্যে ছুটে গিয়ে অতুলপ্রসাদ বোঝাচ্ছেন, ভুল হচ্ছে কোথাও, এ ঠিক নয়। রাতে ঘরে ফিরে কলম তুলে নিয়েছিলেন হাতে: ‘পরের শিকল ভাঙিস পরে, নিজের নিগড় ভাঙ রে ভাই… সার ত্যজিয়ে খোসার বড়াই! তাই মন্দির মসজিদে লড়াই। / প্রবেশ করে দেখ রে দু’ভাই – অন্দরে যে একজনাই।’

গান ছিল তাঁর প্রাণ। কর্মমুখর জীবনে নিজের জন্য সময় রাখেননি, গানের জন্য রেখেছেন। দিলীপকুমার রায় লিখেছেন, ‘‘আমাদের আগেকার যুগে ভক্তির গানে ফুলের মতন ফুটে উঠছিলেন চারজন কবি: দ্বিজেন্দ্রলাল, রবীন্দ্রনাথ, রজনীকান্ত ও অতুলপ্রসাদ। এঁদের মধ্যে অতুলপ্রসাদ সর্বকনিষ্ঠ তথা অনলংকৃত কবি… তাঁর গান শুনতে শুনতে মনে হয়, দৈনন্দিন ঘরকন্নার মধ্য দিয়ে যেন একটি সরল উচ্ছ্বাসী কবি-হৃদয় নিজের মনের কথা বলে চলেছে তার আনন্দ বেদনা আশা-নিরাশার পসরা নিয়ে।’’

কত শত উপলক্ষেই যে গান লিখেছেন অতুলপ্রসাদ! একুশ শতকের উৎসবসর্বস্বতার ভিড়ে দেশবন্দনার গানগুলি পিছু হটতে হটতে এখন ১৫ অগস্ট, ২৩ কি ২৬ জানুয়ারির দেওয়ালে এসে ঠেকেছে, তবু ‘জনগণমন অধিনায়ক’ বা ‘আমার সোনার বাংলা’-র পরেই এখনও যে গানগুলি শুনলে পরাধীন এক দেশে মানুষের চকচকে চোখ আর দৃঢ়বদ্ধ মুষ্টির কথা মনে পড়ে, তার অনেকগুলিরই রচয়িতার নাম অতুলপ্রসাদ সেন। ‘উঠ গো ভারতলক্ষ্মী’, ‘মোদের গরব মোদের আশা, আ মরি বাংলা ভাষা’, ‘হও ধরমেতে ধীর, হও করমেতে বীর’, ‘বলো বলো বলো সবে, শত-বীণা-বেণু-রবে’ – অতুলপ্রসাদের গান কোন বাঙালি গায়নি?

গান-বাঁধার উপলক্ষগুলিও মনে রাখার মতো। বিলেতে ইংরেজ গায়িকার গান শুনে লিখেছিলেন ‘প্রবাসী চল রে, দেশে চল’। লোকমান্য তিলক কারারুদ্ধ হয়েছেন, দেশ জুড়ে প্রতিবাদ। অতুলপ্রসাদের বাড়িতে সে দিন অতিথি বিপিনচন্দ্র পাল ও শিবনাথ শাস্ত্রী। তাঁদের সামনেই গাইলেন ‘কঠিন শাসনে করো মা শাসিত’। ১৯১৩ সালে রবীন্দ্রনাথের নোবেলজয়ের পর অতুলপ্রসাদের নিজস্ব গুরুবন্দনা ছিল ‘মোদের গরব মোদের আশা’-র দু’টি কলি: ‘বাজিয়ে রবি তোমার বীণে/ আনল মালা জগৎ জিনে…’ শান্তিনিকেতনে স্বয়ং রবীন্দ্রনাথ তাঁকে শোনাচ্ছেন ‘মোর সন্ধ্যায় তুমি সুন্দরবেশে এসেছ, তোমায় করি গো নমস্কার…’ আর প্রত্যুত্তরে অতুলপ্রসাদ গাইছেন, ‘ওগো আমার নবীন সাথী, ছিলে তুমি কোন বিমানে?’ দার্জিলিংয়ে টয়ট্রেনে গান বেঁধেছেন, আপনমনে গেয়েছেন মধুপুরে, শিমুলতলায়, সুন্দরবনে স্টিমারে। মামলার কাগজের ফাঁক থেকেও উদ্ধার হয়েছে অতুলপ্রসাদের গান।

তার জনপ্রিয়তা ও প্রতিষ্ঠা সেখানে এতটাই ছিল যে জীবিতকালেই তার বাসস্থান সন্নিহিত সরণি তার নামাঙ্কিত হয়। বাংলা গানে অতুলপ্রসাদ এক নতুন রীতির জনয়িত। উত্তরভারতীয় ঠুংরির চালে এবং সেখানকার দেশজ গান, যেমন কাজরি, চৈতি, সাওয়ন, হোরী, লাউনি-র ধারায় তিনি এমন সব বাংলা গান বাঁধেন যা বাঙালী সংগীতরসিকদের রসরুচিকে অভিনব সুষমায় আকৃষ্ট করে। সেইসঙ্গে তার জন্মার্জিত সংস্কার বাউলকীর্তন-ভাটিয়ালির ত্রিধারা মিশে অতুলপ্রসাদের গান হয়ে ওঠে বাঙালীর সংগীত ঐতিহ্যের এক নবীন প্রসারণ। কখনও কখনও তার গানে ঝলকে ওঠে বিদেশী সুরের বিভাময় বৈচিত্র্য। মাত্র দুইশত আটখানি গান লিখে তিনি যেচিরন্তনতার আসন পেয়েছেন দেশের সৃজনক্ষেত্রে তা উদাহরণ হিসাবে অনন্য।

রবীন্দ্রনাথ ওঁকে ভালবাসতেন খুব। ১৮৯৬ সালে রবীন্দ্রনাথ গড়েছিলেন ‘খামখেয়ালী সভা’, সদস্য ছিলেন দ্বিজেন্দ্রলাল, মহারাজা জগদীন্দ্রনারায়ণ রায়, অবনীন্দ্রনাথ ঠাকুর, লোকেন্দ্রনাথ পালিত… আরও অনেকে। অতুলপ্রসাদ সর্বকনিষ্ঠ সভ্য। নিয়ম আর সময়ের ঘুড়ি ভোকাট্টা সেখানে; গানবাজনা, সাহিত্য – সবই হত মজার ঢঙে। অতুলপ্রসাদ নিজেই দিয়েছেন সেই আনন্দসভার বিবরণী: ‘খামখেয়ালীর মজলিসকে মজগুল রাখিতেন পরম হাস্যরসিক দ্বিজেন্দ্রলাল রায়… আমরা সকলে তাঁর হাসির গানের কোরাসে যোগ দিতাম, রবীন্দ্রনাথ ছিলেন কোরাসের নেতা। দ্বিজেন্দ্রলাল গাহিতেন – ‘হোতে পাত্তেম আমি একজন মস্ত বড় বীর’ আর রবীন্দ্রনাথ মাথা নাড়িয়া কোরাস ধরিতেন – ‘তা বটেইত, তা বটেইত’… অধিবেশন এক একজন সদস্যের বাড়ীতে হইত। যেদিন আমার বাড়ীতে অধিবেশন হয় সেদিন কবি বাড়ি গেলেন রাত্রি বারোটার পরে, মহারাজ নাটোর বাড়ি গেলেন একটা-দু’টার সময় আর দ্বিজেন্দ্রলাল ও আমরা কয়েকজন সারারাত কীর্তন শুনিয়া ও তাঁর হাসির গান শুনিয়া কাটাইলাম। তারপর দিন প্রাতে হাস্যরাজকে আমি বাড়ি পৌঁছাইয়া আসি। মনে আছে, তাঁর স্ত্রী বড়ই চিন্তিত হইয়া পড়িয়াছিলেন…’

কুমায়ুনের রামগড়ে আছেন রবীন্দ্রনাথ, লখনউ থেকে ডেকে পাঠালেন অতুলপ্রসাদকে। পাহাড়ে প্রবল বর্ষা, দিন-রাত অঝোর বৃষ্টি। একদিন বর্ষার আসর বসল, বিকেল থেকে শুরু করে রাত দশটা পর্যন্ত চলছে কবির বর্ষার কবিতা পাঠ, বর্ষার গান। প্রতিমা দেবী খেতে ডাকছেন, ভ্রুক্ষেপ নেই কারও। রবীন্দ্রনাথের গান-রচনারও সাক্ষী অতুলপ্রসাদ। ভোরে সূর্যোদয়ের আগে রবীন্দ্রনাথ বেরিয়ে পড়েছেন, অতুলপ্রসাদ লুকিয়ে পিছু নিলেন। দেখলেন, কবি গিয়ে বসেছেন একটি পাথরের উপরে, সামনে ভোরের আকাশ, অনন্ত হিমালয়। গুনগুন করে গান রচনা করছেন রবীন্দ্রনাথ, ‘এই লভিনু সঙ্গ তব সুন্দর হে সুন্দর’। অতুলপ্রসাদ এই গানের জন্মক্ষণের গোপন প্রত্যক্ষদর্শী, আড়াল থেকে শুনে পালিয়ে এলেন ঘরে। দু’তিন দিন পরে কবি যখন ‘এই লভিনু’ গেয়ে শোনাচ্ছেন প্রকাশ্যে, অতুলপ্রসাদ বললেন, এই গান আমি আগেও শুনেছি। কবি তো অবাক! অতুলপ্রসাদ রহস্য ভাঙলে রবীন্দ্রনাথের প্রশ্রয়ী মন্তব্য, ‘তুমি ত ভারি দুষ্টু, এইরকম করে রোজ শুনতে বুঝি?’ রবীন্দ্রনাথ লখনউয়ে এসেছেন, তাঁর জন্মবার্ষিকীর সংবর্ধনা সভায় অতুলপ্রসাদ নিজে গান লিখে, তরুণ পাহাড়ী সান্যালকে সেই গান তুলিয়ে, গাইয়েছেন – ‘এসো হে এসো হে ভারতভূষণ…’ রবীন্দ্রনাথ তাঁর ‘পরিশোধ’ গ্রন্থটি উৎসর্গ করেছিলেন অতুলপ্রসাদকে।

সেই যুগে ৩৩ হাজার টাকা দিয়ে লখনউয়ের কেশরবাগে বিরাট বাড়ি করেছিলেন অতুলপ্রসাদ। গাইয়ে-বাজিয়েদের আসর বসত সেখানে। বড় ভালবাসতেন ঠুমরি, নিজের গানে ঠুমরির চলন-ঠাট এনেছিলেন অনায়াস দক্ষতায়। দিলীপকুমার রায়, পাহাড়ী সান্যাল, সাহানা দেবীকে সেই গীতিসম্পদ শিখিয়ে, বিলিয়ে গিয়েছেন নিজে হাতে ধরে। কলকাতা তো বটেই, রামপুর, গোয়ালিয়র, মথুরা, ইন্দোর, কাশী, হায়দরাবাদ, সব শহরের তাবড় শিল্পীর ঠিকানা ছিল লখনউয়ে সেনসাহেবের বাড়ি। এসেছেন স্বয়ং বিষ্ণুনারায়ণ ভাতখণ্ডেজি ও তাঁর সুযোগ্য শিষ্য শ্রীকৃষ্ণরতনজানকার। শ্রীকৃষ্ণরতনজানকারের গলায় ‘ভবানী দয়ানী মহাবাক্‌বাণী’ শুনে অতুলপ্রসাদ ভৈরবীতে বেঁধেছিলেন ‘কে ডাকে আমারে/ বিনা সে সখারে রহিতে মন নারে!’ যেখানে ভাল গান, সুকণ্ঠের সন্ধান পেতেন, সেখানেই ছুটে যেতেন এই সংগীত-সন্ন্যাসী। সাহানা দেবী লিখেছেন, ‘গান শুনে অত খুশি হয়ে উঠতে (অন্য কাউকে) আমি কমই দেখেছি। কি যে করবেন ভেবে পেতেন না।’ অমল হোম তাঁকে বলেছেন ‘অক্লান্তকণ্ঠ’।

উনিশ শতকের শেষ থেকে বিশ শতকের মাঝামাঝি সময় পর্যন্ত রবীন্দ্র প্রতিভার প্রভাববলয়ের মধ্যে বিচরণ করেও যাঁরা বাংলা কাব্যগীতি রচনায় নিজেদের বিশেষত্ব প্রকাশ করতে সক্ষম হন, অতুলপ্রসাদ ছিলেন তাঁদের অন্যতম। সমকালীন গীতিকারদের তুলনায় তাঁর সংগীত সংখ্যা সীমিত হলেও অতুলপ্রসাদের অনেক গানে সাঙ্গীতিক মৌলিকত্ব পরিলক্ষিত হয়; আর সে কারণেই তিনি বাংলা সংগীত জগতে এক স্বতন্ত্র আসন লাভ করেছেন। তাঁর গানগুলি অতুলপ্রসাদের গান নামে বিশেষ ভাবে প্রতিষ্ঠিত।

অতুলপ্রসাদ বাংলা গানে ঠুংরি ধারার প্রবর্তক। তিনিই প্রথম বাংলায় গজল রচনা করেন। তাঁর রচিত বাংলা গজলের সংখ্যা ৬-৭টি। গীতিগুঞ্জ (১৯৩১) গ্রন্থে তাঁর সমুদয় গান সংকলিত হয়। এই গ্রন্থের সর্বশেষ সংস্করণে (১৯৫৭) অনেকগুলি অপ্রকাশিত গান প্রকাশিত হয়। অতুলপ্রসাদের গানের সংখ্যা ২০৮। অতুলপ্রসাদ সেনের কয়েকটি বিখ্যাত গান হল ‘মিছে তুই ভাবিস মন’, ‘সবারে বাস রে ভালো’, ‘বঁধুয়া, নিঁদ নাহি আঁখিপাতে’, ‘একা মোর গানের তরী’, ‘কে আবার বাজায় বাঁশি’, ‘ক্রন্দসী পথচারিণী’ ইত্যাদি। তাঁর রচিত দেশাত্মবোধক গানগুলির মধ্যে প্রসিদ্ধ ‘উঠ গো ভারত-লক্ষ্মী’, ‘বলো বলো বলো সবে’, ‘হও ধরমেতে ধীর’। তাঁর ‘মোদের গরব, মোদের আশা’ গানটি বাংলাদেশ মুক্তিযুদ্ধে বিশেষ অনুপ্রেরণা জুগিয়েছিল। অতুলপ্রসাদের গানগুলি ‘দেবতা’, ‘প্রকৃতি’, ‘স্বদেশ’, ‘মানব’ ও ‘বিবিধ’ নামে পাঁচটি পর্যায়ে বিভক্ত। রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর এই গানের বিশেষ গুণগ্রাহী ছিলেন। “অতুলপ্রসাদী গান” নামে পরিচিত এই ধারার এক জন বিশিষ্ট সংগীতশিল্পী হলেন কৃষ্ণা চট্টোপাধ্যায়।

তাঁর সর্বমোট গানের সংখ্যা মাত্র ২০৬টি এবং সে সবের মধ্যে মাত্র ৫০-৬০টি গান গীত হিসেবে প্রাধান্য পায়। অতুলপ্রসাদের মামাতো বোন সাহানা দেবীর সম্পাদনায় ৭১টি গান স্বরলিপিসহ ‘কাকলি’ (১৯৩০) নামে দুই খণ্ডে প্রকাশিত হয়। তাঁর অপর গানগুলিও ‘গীতিপুঞ্জ’ এবং ‘কয়েকটি গান’ নামে দু’টি পৃথক গ্রন্থে প্রকাশিত হয়। ১৯২২-২৩ সালের দিকে কলকাতা থেকে প্রথম অতুলপ্রসাদের গানের রেকর্ড বের হয় সাহানা দেবী ও হরেন চট্রোপাধ্যায়ের কন্ঠে।

তিনি লিখেছিলেন, “মনোদুখ চাপি মনে হেসে নে সবার সনে, যখন ব্যথার ব্যথীর পাবি দেখা জানাস প্রাণের বেদন।” একরাশ কান্নাকে অতুলপ্রসাদের মতো মানুষেরাই খুশি চেহারা দিয়ে আড়াল করে রাখতে পারেন। তাঁর গানের একনিষ্ঠ ভক্ত ছিলেন বিশ্বকবি রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর।

গানের সঙ্গে ঘর-করা মানুষ নরমসরম হয়, কর্মী হয় না, এমন ভাবনার চল আছে বাঙালির মনে। অতুলপ্রসাদ ছিলেন এই ধারণার মূর্তিমান ব্যতিক্রম। পেশায় তিনি ব্যবহারজীবী, অওধ বার অ্যাসোসিয়েশনের প্রেসিডেন্ট হয়েছিলেন। তিনিই এই পদে প্রথম ভারতীয়। বিচারপতি আর আইনজীবীদের মন-কষাকষি সে যুগেও ছিল, তার জেরে লখনউ কোর্টের বদনামও হচ্ছিল। নিজের হাতে সামলে, আদালতের হৃত সম্মান ফিরিয়ে এনেছিলেন ব্যারিস্টার অতুলপ্রসাদ সেন।

লখনউয়ে প্রবাসী বাঙালিদের মধ্যে বাংলা ভাষা ও সাহিত্যের ধারাটি ফলবতী রাখতে শুরু হয়েছিল প্রবাসী বঙ্গ সাহিত্য সম্মেলন (এখন নাম নিখিল ভারত বঙ্গ সাহিত্য সম্মেলন)। লখনউ, ইলাহাবাদ, কাশী, নানা শহরে হত প্রবাসী বাঙালিদের সভা। বাংলা থেকে এসেছেন রবীন্দ্রনাথ সহ বহু সারস্বত। অতুলপ্রসাদ ছিলেন এই সাহিত্যযজ্ঞের ঋত্বিক। গুণিজনসংবর্ধনার আয়োজন করেছেন, সভামুখ্য হয়েছেন। সাহিত্য সম্মেলনের পত্রিকা ‘উত্তরা’ প্রকাশের ব্যবস্থা করেছেন নিজের অর্থ দিয়ে। লখনউ বিশ্ববিদ্যালয়ের তিনি ছিলেন অন্যতম প্রতিষ্ঠাতা-সদস্য, উপাচার্য থেকে অধ্যাপক সকলেই তাঁর গুণমুগ্ধ।

লখনউয়ের রামকৃষ্ণ সেবাশ্রমের সঙ্গে যোগ ছিল গভীর। সেবাশ্রমে বাবা-মায়ের নামাঙ্কিত ‘রামপ্রসাদ হল’, ‘হেমন্তশশী শুশ্রূশালয়’ তৈরি করে দিয়েছিলেন নিজ ব্যয়ে, উদ্বোধনের দিন নিজে কীর্তন গেয়েছিলেন। রোগীদের জন্য বেঙ্গল কেমিক্যাল থেকে কয়েকশো টাকার ওষুধ আনিয়ে দিয়েছিলেন আচার্য প্রফুল্লচন্দ্র রায়ের আনুকূল্যে। মৃত্যুর আগে নিজের ইচ্ছাপত্রে মাসিক ২৫ টাকা বরাদ্দ করে গিয়েছেন সেবাশ্রমের ওষুধের জন্য! কলকাতায় মা সারদার কাছে এসেছিলেন, জানিয়ে গিয়েছিলেন অন্তরের প্রার্থনা, যন্ত্রণা।

তাঁর দাম্পত্যজীবন দীর্ণ ছিল যন্ত্রণায়। স্ত্রী হেমকুসুম লখনউতেই দীর্ঘকাল আলাদা বাড়ি ভাড়া করে থাকতেন। অতুলপ্রসাদ তাঁর মা হেমন্তশশীকে নিজের কাছে এনে রাখতে চান, রেখেওছেন, তাতে হেমকুসুমের রাগ। অতুলপ্রসাদ সবার এত কাছে, কাজে থাকেন, তাঁর কাছে থাকেন না, তাই অভিমান। অথচ দু’জনের মধ্যেই ভালবাসার পূর্ণপাত্র। এমনও হয়েছে, রবীন্দ্রনাথের সংবর্ধনা, হেমকুসুম এসে সমস্ত আয়োজন করেছেন হাসিমুখে নিজে হাতে, অনুষ্ঠান-শেষে ফিরে গিয়েছেন অভিমানী ভাড়াবাড়িতেই, অতুলপ্রসাদের ঘরে নয়। সুশিক্ষিতা হেমকুসুমের গলায় বিচ্ছেদকালে ঠাঁই পেত অতুলপ্রসাদেরই গান। অতুলপ্রসাদও বহু বিনিদ্র রাত কাটিয়েছেন চোখের জলে, গান লিখে-গেয়ে। গ্যেটেকে উদ্ধৃত করে দিলীপকুমার রায় লিখেছেন, ‘গভীর দুঃখ পাওয়াও সার্থক যদি সে-দুঃখে একটি গানও ফুটে ওঠে আঁধারে তারার মতো।’ অতুল-আকাশ ভরা ছিল অগণিত গীতি-নক্ষত্রে।

তবু হাসতেন, হা-হা করে। প্রিয় বন্ধুকে বলেছিলেন, ‘‘আমি কি প্রার্থনা করি ভগবানের কাছে জান? শ্মশানে যেদিন আমাকে নিয়ে যাবে সেদিন চিতায় শুয়ে হঠাৎ যেন সকলের দিকে চেয়ে একবার হেসে তবে চোখ মুদি।’’ ২৫ অগস্ট ১৯৩৪-এর গভীর রাতে মৃত্যু এল। সকালে গোটা লখনউ ভেঙে পড়েছিল শোকে। শ্রাদ্ধবাসরে আচার্য ছিলেন ক্ষিতিমোহন সেন। শোকসভায় শরৎচন্দ্র চট্টোপাধ্যায় বলেছিলেন আসল কথাটি, ‘‘তাঁর দয়া, দান, দাক্ষিণ্য জানাবার লোক এ-সভায় নেই – তাঁরা অত্যন্ত গরীব – অখ্যাত অজ্ঞাত অজানা লোক। তাঁরা যদি আসতে পারতেন, তাহলে বলতেন কত বিপদের মধ্য দিয়ে নিঃশব্দে অতুলপ্রসাদ দিয়েছেন।’’ অলক্ষ্যে তখন বুঝি বাজছিল: সবারে বাস্‌ রে ভালো, নইলে মনের কালো ঘুচবে না রে…

তিনি বাংলা গানে ঠুংরি ধারার প্রবর্তক। শুধু তাই নয়, বাঙালি কোনদিন অতুলপ্রসাদের অতুলনীয় কীর্তিকে ভুলতে পারবে না। তিনিই প্রথম বাংলায় গজল রচনা করেছিলেন। অতুলপ্রসাদী গান বললেই বাঙালির হৃদয় কেঁপে ওঠে। আবেগঘন হয়ে পড়ে মন। তাঁর গানের মূল উপজীব্য বিষয় ছিল দেশপ্রেম, ভক্তি এবং প্রেম। জীবনের যন্ত্রণাগুলো তিনি হাসিঠাট্টায় মজে থেকে উড়িয়ে দিতেন ঠিকই, কিন্তু ‘সাহিত্য তো মনের দর্পণ’। তাই সেখানে ধরা পড়ে যেত জীবনের বেদনাগুলো।

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