स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए इम्फाल वेस्ट जिला प्रशासन ने अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया है। इसके अलावा, इम्फाल वेस्ट, इम्फाल ईस्ट, बिष्णुपुर, थोउबल, काकचिंग, कांगपोकपी और चुराचांदपुर जिलों में इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाएं दो दिनों के लिए बंद कर दी गई हैं।
विरोध प्रदर्शन की घटनाएं:
पहली घटना स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री सापम रंजन के लामफेल सानाकेइथेल स्थित आवास पर हुई। वहां प्रदर्शनकारियों ने जमकर नारेबाजी की।
सागोलबंद क्षेत्र में भाजपा विधायक आरके इमो के घर के सामने प्रदर्शनकारियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। आरके इमो, जो मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के दामाद हैं, के खिलाफ नाराजगी जताई गई। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की कि हत्या के दोषियों को 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार किया जाए और इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाए।
केइशामथोंग क्षेत्र के निर्दलीय विधायक सापम निशिकांत सिंह के निवास पर प्रदर्शनकारी पहुंचे, लेकिन उनके राज्य से बाहर होने की जानकारी मिलने के बाद प्रदर्शनकारियों ने उनके स्वामित्व वाले एक स्थानीय अखबार के कार्यालय पर हमला किया।
अपराध और हत्या की घटना:
सूत्रों के मुताबिक, पांच दिन पहले जिरिबाम जिले के बोकाबेरा इलाके से मीतई समुदाय की तीन महिलाएं और तीन बच्चे, जिनमें एक आठ महीने का शिशु भी शामिल था, कूकी उग्रवादियों द्वारा बंधक बना लिए गए।
जब एक उग्रवादी समूह सीआरपीएफ के साथ मुठभेड़ में उलझा हुआ था, तो दूसरा समूह महिलाओं और बच्चों को बंधक बनाकर ले गया। बाद में उन छह लोगों के शव बरामद किए गए।
मणिपुर में जारी संघर्ष:
पिछले एक साल से मणिपुर में मीतई और कूकी समुदायों के बीच हिंसा जारी है। हिंदू मीतई बहुसंख्यक और ईसाई कूकी अल्पसंख्यक समुदाय के बीच यह संघर्ष राज्य के सामाजिक ताने-बाने को खंडित कर रहा है।
बीजेपी के आईटी सेल अमित मालवीय ने इस घटना से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर ट्वीट किया। इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने संज्ञान लिया है। आयोग की ओर से बंगाल पुलिस को तीन दिन के अंदर कार्रवाई कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। घटना से स्थानीय निवासी सन्न हो गए हैं।
जिला पुलिस की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया गया है। पुलिस के मुताबिक, घास काटने को लेकर कुछ लोगों के बीच विवाद हुआ था और यहीं से मामले की शुरुआत हुई। पुलिस के मुताबिक पीड़िता का तीन महिलाओं से पहले भी विवाद हुआ था। इसके बाद आरोप है कि उसे निर्वस्त्र कर पीटा गया। पुलिस का दावा है कि इसमें कोई राजनीतिक कारण नहीं है।
इस मामले में पीड़ित महिला का बयान भी सामने आया है उसने कहा कि वह बीजेपी करतीहै। उन पर तृणमूल पार्टी के कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया। इसके बाद उन्हें जख्मी हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। महिला ने आगे कहा कि घटना के बाद स्थानीय BJP नेताओं ने महिला को शरण दी। वह डर के कारण घर नहीं जा पा रही हैं।
इस मामले में BJP नेता विराज बसु का बयान सामने आया है। उन्होंने आरोप लगाया, ”चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद से पीड़ित महिला एक तरह से घर में नजरबंद है। आरोपियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए। आरोपियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए।” उधर, स्थानीय TMC नेता ने कहा, यह पूरी तरह से पारिवारिक विवाद है। BJP यहां राजनीति करने की कोशिश कर रही है। जैसा कि संदेशखाली में करने की कोशिश की।
]]>मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह हिंसाग्रस्त इलाकों के दौरे पर जाने वाले थे। उससे पहले मुख्यमंत्री का सुरक्षा काफिला जिरिबाम पहुंचा था लेकिन यहां उग्रवादियों ने घात लगाकर काफिले पर हमला कर दिया। इस हमले में कम से कम दो जवान बुरी तरह घायल हो गए। जानकारी के मुताबिक सुरक्षा काफिले पर गोलीबारी की गई। यह हमला नेशनल हाइवे 53 पर कोटलेन गांव के पास हुआ।
जानकारी के मुताबिक हमले में सीआईडी राज्य पुलिस का एक जवान और सीआईएसएफ का एक जवान घायल हुआ है। घायलों को तुरंत इलाज के लिए इंफाल भेज दिया गया। दरअसल जिरिबाम में 6 जून को अज्ञात लोगों ने एक शख्स का सिर कलम कर दिया था। इसके बाद जिरिबाम का माहौल बिगड़ गया। घटना के बाद कई घरों, वाहनों और सरकारी कार्यालयों को आग लगा दी गई। सैकड़ो लोग इलाका छोड़कर चले गए। मुख्यमंत्री इसी इलाके के हालात का जायजा लेने जाने वाले थे।
जिरिबाम इंफाल से 220 किलोमीटर दूर है और यह असम की सीमा से छुआ हुआ है। यहां पहाड़ियों में कुकियों की आबादी ज्यादा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा काफिला जिरिबाम की ओर जा रहा था। तभी अचानक झाड़ियों से गोलीबारी होने लगी। सुरक्षाबलों ने हमलावरों को जवाब भी दिया। वहीं दो सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। पुलिस कमांडो और असम राइफल्स इलाके में तलाशी अभियान चला रही है।
मणिपुर में हिंसा भड़के एक साल से ज्यादा वक्त हो चुका है। बीते साल 3 मई को यहां मैतेई समुदाय की अुसूचित जाति दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी कुकी समुदाय ने मार्च निकालला था। इसके बाद हिंसा शुरू हो गई और पूरे प्रदेश में सैकड़ों लोगों की जान चली गई। बता दें कि राज्य में मैतेई समुदाय की संख्या करीब 53 फीसदी है। वहीं कुकी समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत के करीब है।
]]>उल्लेखनीय है कि गुरुवार को सोइबाम शरत कुमार सिंह (59) नामक एक व्यक्ति की अज्ञात हमलावरों द्वारा की गई हत्या के बाद जिरिबाम में हिंसा भड़क गई थी। वहां आसपास के गांवों में खाली पड़े घरों को जला दिया गया। हालांकि, इन घरों में रहने वाले लोग पहले से ही शरणार्थी शिविरों में विस्थापित थे।
इधर, मणिपुर में आत्मरक्षा के लिए लाइसेंसी हथियार रखने वाले लोगों ने हथियार वापस दिए जाने के लिए प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इनका कहना है कि चुनाव के मौके पर जमा कराये गये हथियार वापस दिए जाने में विलंब किया जा रहा है। इसके कारण उनकी जान-माल को खतरा उत्पन्न हो गया है।
उल्लेखनीय है कि जिरिबाम मणिपुर का एक ऐसा स्थान है, जहां नगा, कूकी, गैर-मणिपुरी, मणिपुरी, मैतेई और मुस्लिम आदि सभी समुदाय के लोग रहते हैं। बीते एक वर्ष से चल रही हिंसा का असर जिरिबाम में नहीं देखा गया था। हालांकि, सरकार द्वारा स्थिति को नियंत्रित करने की हर संभव कोशिश की जा रही है।
]]>सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में बीजेपी का खेल बिगड़ता दिख रहा है। वहीं, हरियाणा और बंगाल में भी बीजेपी उम्मीदवार पीछे चल रहे हैं। उत्तर प्रदेश की वीआईपी सीट अमेठी पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भारी वोटों के अंतर से पीछे चल रही हैं। यहां कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा बढ़त बनाए हुए हैं। उत्तर प्रदेश में 34 सीटों पर बीजेपी, जबकि समाजवादी पार्टी 35 सीटों पर आगे चल रही है।
इसके अलावा सात सीटों पर कांग्रेस आगे है। इस तरह हिसाब से INDIA गठबंधन राज्य की 80 में से 44 सीटों पर आगे चल रही है. वहीं, एनडीए 35 सीटों पर आगे चल रहा है।
बिहार की बात करें तो राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से एनडीए 34 सीटों पर आगे है, जबकि 4 पर INDIA गठबंधन आगे चल रहा है और दो पर अन्य दल आगे हैं। 2019 के चुनाव में बीजेपी ने 17 सीटें जीती थीं और 16 पर जनता दल (यूनाइटेड) के पास गई थीं।
हरियाणा में बीजेपी को 5 सीटों पर का नुकसान हो सकता है। 10 लोकसभा सीटों में से पांच पर बीजेपी और पांच पर कांग्रेस आगे चल रही है। पिछले चुनाव के नतीजे देखें तो बीजेपी को राज्य की 10 की 10 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
पश्चिम बंगाल में एक बार फिर ममता बनर्जी का जादू चलता दिख रहा है। एक बार फिर से सत्तारूढ़ कांग्रेस 30 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि बीजेपी सिर्फ 11 सीटों पर ही लीड करती दिख रही है।
मणिपुर की दोनों लोकसभा सीटों पर भी कांग्रेस बढ़त बनाए हुए है।
गुजरात की 26 लोकसभा सीटों में से एक पर कांग्रेस आगे चल रही है।
राजस्थान में भी बीजेपी को 10 सीटों पर नुकसान हो सकता है।
कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों पर जो रुझान सामने आए हैं, उनमें बीजेपी 16 सीटों पर आगे चल रही है।
पंजाब में 2019 में बीजेपी को दो सीटें मिली थीं। इसके अलावा तेलंगाना और ओडिशा में बीजेपी को राहत है।
ओडिशा की 21 में से 18 पर और तेलंगाना की 17 में से 8 पर बीजेपी आगे है।
বিধানসভা ভোট ঘোষণা হওয়ার পর মনিপুরে ক্রমে উত্তপ্ত হয়ে উঠছে। রাজ্যে শাসকল বিজেপির গোষ্ঠীদ্বন্দ্ব আরও বড় হচ্ছে। বিশেষ করে শরিকদলগুলির সঙ্গে বিজেপির দূরত্ব বাড়তে থাকায় একাধিক আসনে হবে প্রতিদ্বন্দ্ব্বিতা।
রাজনৈতিক গোষ্ঠী সংঘর্ষে শনিবার রাত থেকেই উত্তপ্ত পূর্ব ইম্ফল জেলা। এখানে রাজ্যের কৃষিমন্ত্রী ও লুকো়ইয়ের গোষ্ঠীর দুই ব্যক্তিকে প্রকাশ্যে গুলি করা হয়। ঘটনাস্থলেই মৃত্যু হয় একজনের। জখম আর একজনের মৃত্যু হয় হাসপাতালে।
দুই সহচরের মৃত্যুর সংবাদ পেয়ে তাদের আত্মীয়দের সমবেদনা জানাম কৃষিমন্ত্রী। একইসঙ্গে মুখ্যমন্ত্রী এন বীরেন সিং শোক জানিয়েছেন।
রবিবার সকাল থেকে পরিস্থিতি আরও উত্তপ্ত হতে শুরু করেছে। খুনিদের গ্রেফতারের দাবিতে বিক্ষোভকারীরা সড়ক অবরোধ করেন। উত্তেজিতরা আগুন ধরান। পরে পুলিশ গিয়ে তাদের শান্ত করে।
উত্তরপূর্বাঞ্চলে মনিপুর ভোট পূর্ববর্তী সংঘর্ষে আরও মৃত্যুর আশঙ্কা করা হচ্ছে। তেমলই জঙ্গি হামলার আশঙ্কায় প্রবল। রাজ্যে জারি থাকা সশস্ত্র বাহিনীর বিশেষ নিরাপত্তা আইন বা আফস্পা প্রত্যাহারের দাবি জানাচ্ছেন জনগণের বড় অংশ। নাগাল্যান্ডের মন জেলায় অসম রাইফেলসের গুলিতে ১৪ জনের মৃত্যু হয়েছে গত ডিসেম্বর মাসে। এর পরেই আফস্পা বাতিলের দাবিতে সরব বিভিন্ন রাজ্যের সরকার।
]]>প্রধানমন্ত্রীর অফিস থেকে জারি করা বিবৃতি অনুযায়ী, পরিকাঠামো উন্নয়ন, পানীয় জল সরবরাহ, হাউজিং, স্কিল ডেভেলপমেন্ট, নগরোন্নয়ন এবং স্বাস্থ্য সংক্রান্ত বিভিন্ন প্রকল্প রয়েছে। প্রধানমন্ত্রী ৩৭ নম্বর জাতীয় সড়কের ওপরে থাকা বরাক নদীর ওপরে স্টিলের ব্রিজেরও উদ্বোধন করবেন। ৭৫ কোটি টাকা খরচ করে এই ব্রিজটি তৈরি করা হয়েছে। এই ব্রিজটি অসমের শিলচর থেকে ইম্ফলের যোগাযোগ ব্যবস্থাকে আরও উন্নত করবে। ১১১০ কোটি টাকা ব্যয়ে তৈরি হওয়া ২৩৮৭ টি মোবাইল টাওয়ার তৈরি করা হয়েছে, সেগুলিরও উদ্বোধন করবেন তিনি। ইম্ফল, তামেলং এবং সেনাপতি জেলায় পানীয় জল সরবরাহের উন্নতিতে একাধিক প্রকল্পের উদ্বোধন করবেন। এর জন্য খরচ হয়েছে ৩৯৬ কোটি টাকা। প্রধানমন্ত্রী মোদী মনিপুরে একটি কোভিড হাসপাতালেরও উদ্বোধন করবেন। কিয়ামগেইতে ৩৭ কোটি টাকা ব্যয়ে ২০০ আসনের কোভিড হাসপাতালটি তৈরি করা হয়েছে। এই হাসপাতাল তৈরিতে সাহায্য করেছে ডিআরডিও। ১৭০ কোটি টাকা ব্যয়ে তৈরি ইম্ফল স্মার্টসিটি প্রজেক্টেরও উদ্বোধন করবেন তিনি।
পাশাপাশি মোদী এদিন যেসব প্রকল্পের শিলান্যাস করবেন, তার মধ্যে রয়েছে ইম্ফলে স্টেট অফ আর্ট ক্যানসার হাসপাতাল। যেটি তৈরি করতে খরচ ধরা হয়েছে ১৬০ কোটি টাকা। পাবলিক-প্রাইভেট পার্টনার শিপে এই হাসপাতালটি তৈরি করা হবে। প্রধানমন্ত্রী অফিসের তরফে বিবৃতিতে বলা হয়েছে, এই ক্যানসার হাসপাতাল তৈরি হলে রাজ্যে মানুষের অনেকটাই সুবিধা হবে। কারণ এখন ক্যানসারের চিকিৎসার জন্য রাজ্যের মানুষকে বাইরের রাজ্যে যেতে হয়। এছাড়াও হস্তশিল্পের জন্য মৈরাং-এ মেগা হ্যান্ডলুম ক্লাস্টার তৈরির প্রকল্পেরও শিলান্যাস করবেন। যার খরচ ধরা হয়েছে ৩৬ কোটি টাকা। রাজ্যের বাইরে হরিয়ানার গুরুগ্রামে মনিপুর ইনস্টিটিউট অফ পারফরমিং আর্টসের শিলান্যাস করবেন। মনিপুর-সহ উত্তর-পূর্বের রাজ্যগুলির শিল্প-সংস্কৃতিকে গুরুত্ব দিতেই এই কেন্দ্র গড়ে তোলা হবে। যার জন্য খরচ ধরা হয়েছে ২৪০ কোটি টাকা।
মনিপুরের কর্মসূচি শেষ করে প্রধানমন্ত্রী এদিন যাবেন ত্রিপুরায়। সেখানে ৩০ হাজার বর্গ মিটার এলাকা জুড়ে বিস্তৃত মহারাজা বীর বিক্রম বিমানবন্দরের নতুন টার্মিনাল বিল্ডিং-এর উদ্বোধন করবেন। এছাড়াও ত্রিপুরায় প্রধানমন্ত্রী বিদ্যাজ্যোতি স্কুলে প্রোজেক্ট মিশন ১০০-এর সূচনা করবেন।
]]>এনপিএফের তরফে ঘোষণা করা হয়েছে রাজ্যের ১৫টি বিধানসভা আসনে তারা লড়াই করবে। তাৎপর্যপূর্ণ, এই আলাদা লড়াই করার কথা জোটে আলোচনা না করেই একতরফা ঘোষণা করা হয়েছে।
শরিক দলের অবস্থানে চিন্তিত বিজেপি। কারণ, রাজ্যের নাগা জাতি অধ্যুষিত এলাকায় এনপিএফ শক্তি দেখাতে মরিয়া। ১৫ টি আসনে তাদের একলা লড়াইয়ে বিজেপির ভোটে প্রভাব ফেলতে চলেছে বলেই মনে করা হচ্ছে।
একনজরে মনিপুর বিধানসভার অঙ্ক
মোট আসন ৬০
সরকারপক্ষের দখলে ৩৭টি
বিজেপি ২৮
এনপিপি ৪
এনপিএফ ৪
নির্দল ১
বিরোধীপক্ষ কংগ্রেসের দখলে ১৫
তৃণমূল কংগ্রেস ১
আসন খালি আছে ৭টি
সম্প্রতি মুখ্যমন্ত্রী এন বীরেন সিং বিস্ফোরক মন্তব্য করেছেন। তিনি বলেছেন, রাজ্যে এমনও অনেক নেতা আছেন যারা বিচ্ছিন্নতাবাদী গোষ্ঠীগুলির সঙ্গে যোগাযোগ রাখেন। এদের নজরে রাখা হচ্ছে। জনসভা থেকেই পুলিশকে সতর্ক থাকার নির্দেশ দেন মুখ্যমন্ত্রী।
মু়খ্যমন্ত্রীর এমন মন্তব্যের পরেই মনিপুর সহ উত্তর পূর্বাঞ্চলের রাজ্যগুলিতে আলোড়ন ছড়ায়। এন বীরেন সিংয়ের মন্তব্যে ঝুলি থেকে বিড়াল বেরিয়েছে বলেই রাজনৈতিক মহলের আলোচনা।
]]>অসম পুলিশ জানাচ্ছে, রাজ্যের কাছাড় জেলার সঙ্গে মনিপুরের সীমানাবর্তী এলাকা জিরিঘাট। এখানকার শামটিলায় এক ব্যক্তি গুলিবিদ্ধ হয়েছেন। জখম ব্যক্তির চিকিৎসা চলছে।
অসমের কাছাড় জেলার সঙ্গে মনিপুরের আন্ত:রাজ্য সীমানা। হামলার খবর পেয়েই ঘটনাস্থলে যান কাছাড় জেলা পুলিশ সুপার রমনদীপ কাউর সহ পুলিশের উচ্চপদস্থ কর্তারা। এলাকায় আতঙ্ক ছড়িয়েছে।

রমনদীপ কাউর, পুলিশ সুপার, কাছাড় জেলা
প্রাথমিক তদন্তে উঠে আসছে মনিপুরের দিক থেকে হামলা চালানো হয়। এতে জড়িত নাগা বিচ্ছিন্নতাবাদী সংগঠন এনঅসসিএন (আই-এম) গোষ্ঠী। কাছাড়ের পুলিশ সুপার বলেছেন, মনিপুর সীমামায় শামটিলা গ্রামে কিছু নাগা বিচ্ছিন্নতাবাদী প্রবেশ করে। এই গ্রামে থাকা নাগা জাতির কয়েকজনের সঙ্গে বচসা হয়। এর পরেই গুলি চালায় নাগা বিচ্ছিন্নতাবাদী সংগঠন এনএসসিএন (আই-এম) জঙ্গিরা।
এই বিচ্ছিন্নতাবাদী সংগঠনটি কেন্দ্র সরকারের সঙ্গে শান্তি আলোচনা চালাচ্ছে। কী করে তারা গুলি চালাতে পারে তাও প্রশ্নের। কাছাড় জেলা পুলিশ জানিয়েছে প্রাথমিক অনুসন্ধান চলছে। পরবর্তীতে আরও জানানো হবে।
অসমের কাছাড় জেলার সঙ্গে মনিপুর, নাগাল্যান্ড ও মিজোরামের আন্ত:রাজ্য সীমানা। এই এলাকাগুলিতে বারবার হামলার ঘটনা ঘটে। সম্প্রতি অসম ও মিজোরাম আন্ত:রাজ্য সীমানায় দুই রাজ্যের পুলিশের মধ্যে গুলির লড়াই হয়েছিল। এতে অসম পুলিশের একাধিক সদস্যের মৃত্যু হয়।
অসম, নাগাল্যান্ড, মনিপুর ও মিজোরামের এই আন্ত:রাজ্য সীমানা এলাকায় বিচ্ছিন্নতাবাদী সংগঠনগুলি সক্রিয়। উত্তর পূর্বাঞ্চলের অন্যতম বিচ্ছন্নতাবাদী নাগা গোষ্ঠী এনএসসিএন এখন কয়েকটি ভাগে বিভক্ত। মূল দুই গোষ্ঠী হলো এনএসসিএন (আইএম) ও এনএসসিএন খাপলাং। দ্বিতীয় গোষ্ঠীটি নাশকতা ঘটানো ও সেনা বাহিনীর উপর বিভিন্ন সময় হামলা করেছে।
]]>সোমবার মনিপুরে পালিত হয় ঐতিহাসিক নুপি লান (Nupi Lan) আন্দোলনের দিন। মনিপুরি মহিলারা ব্রিটিশ পুলিশ ও রক্ষীদের অত্যাচারের বিরুদ্ধে যুদ্ধে নেমেছিলেন। ১৯০৪ ও ১৯৩৯ সালে দু’দফায় মণিপুরি মহিলাদের এই রণমূর্তি প্রবল আকার নিয়েছিল। আন্দোলনের অন্যতম নেতা ছিলেন মনিপুরের কমিউনিস্ট নেতা ইরাবত সিং (Hijam Irabot Singh)। সেই আন্দোলনের দিনটি রাজ্য সরকার পালন করছে।
নুপি লান দিবস উপলক্ষে এক অনুষ্ঠানে মুখ্যমন্ত্রী এন বীরেন সিং যেভাবে রাজনৈতিক নেতাদের সঙ্গে বিচ্ছিন্নতাবাদীদের সংযোগের বিষয়টি প্রকাশ্যে এনেছেন তাতে আলোড়িত উত্তর পূর্বের রাজনৈতিক মহল।
উত্তর পূর্বাঞ্চলের বিচ্ছিন্নতাবাদী জঙ্গি সংগঠনগুলির যোগাযোগ রাজনৈতিক মহলে রয়েছে এমন অভিযোগ দীর্ঘদিনের। মনিপুরের মুখ্যমন্ত্রীর মন্তব্যে যেন ঝুলি থেকে বিড়াল বেরিয়ে এসেছে।
উত্তর পূর্বাঞ্চলের বিজেপির অন্যতম নেতা এন বীরেন সিং। তাঁর নেতৃত্বে মনিপুরে বিজেপি জোট সরকার চলছে।
মনিপুরের মুখ্যমন্ত্রী এন বীরেন সিং বলেছেন, যে যে নেতার সঙ্গে সশস্ত্র বিচ্ছিন্নতাবাদীদের সংযোগ আছে তারা নিজেদের সংযত করুন। প্রশাসন ও পুলিশকে সতর্ক থাকতে বলেছেন মুখ্যমন্ত্রী।
তিনি কোনও নেতার নাম করেননি। তবে জনসভা থেকে পুলিশকে সতর্ক থাকতে বলায় বিতর্ক তুঙ্গে। প্রশ্ন উঠছে মুখ্যমন্ত্রী কোন নেতাদের কথা বলছেন।মনিপুর থেকে এই বিতর্ক অন্যান্য রাজ্যগুলিতেও ছড়াচ্ছে।
]]>দলের তরফে রাজ্যসভার সাংসদ ও তৃণমূলের সর্বভারতীয় মুখপাত্র ডেরেক ও’ব্রায়েন বিবৃতি দিয়ে এই ঘোষণা করেছেন। প্রতিনিধি দলে থাকছেন তৃণমূলের চার সাংসদ প্রসূন বন্দ্যোপাধ্যায়, অপরূপা পোদ্দার, সুস্মিতা দেব, শান্তনু সেন ও মিজোরামের প্রাক্তন অ্যাডভোকেট জেনারেল বিশ্বজিত্ দেব।
উল্লেখ্য, শনিবার রাতে জঙ্গি দমন অভিযান চলাকালীন সেনাবাহিনীর গুলিতে ১৩ জন নিরাপরাধ গ্রামবাসীর মৃত্যু হয়েছে। সংঘর্ষে নিহত হন এক জাওয়ানও। এই ঘটনায় পরিস্থিতি ক্রমশ উত্তপ্ত হয়। উত্তেজনা নিরসনে ইন্টারনেট পরিষেবা বন্ধ করা হয়।
কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী অমিত শাহ নাগাল্যান্ডের এই ঘটনায় ইতিমধ্যেই তদন্তের আশ্বাস দিয়েছেন। ঘটনাকে দুর্ভাগ্যজনক আখ্যা দিয়ে বিবৃতি প্রকাশ করেছে ভারতীয় সেনাবাহিনী। উচ্চ পর্যায়ের তদন্তের আশ্বাস দেওয়া হয়েছে। ভয়াবহ এই ঘটনায় উদ্বেগ প্রকাশ করেছেন বাংলার মুখ্যমন্ত্রীও। নিরীহ গ্রামবাসীদের মৃত্যুর সঠিক বিচারের দাবি জানিয়েছেন তিনি টুইট করেছেন, ‘নাগাল্যান্ডের খবর অত্যন্ত উদ্বেগজনক। শোকাহত পরিবারের প্রতি আমার আন্তরিক সমবেদনা। আহতদের দ্রুত আরোগ্য কামনা করছি। আমাদের অবশ্যই ঘটনার পুঙ্খানুপুঙ্খ তদন্ত নিশ্চিত করতে হবে এবং নিশ্চিত করতে হবে যে সকল ভুক্তভোগী যেন ন্যায়বিচার পান!’
Worrisome news from #Nagaland.
Heartfelt condolences to the bereaved families. I pray for the speedy recovery of those who were injured.
We must ensure a thorough probe into the incident and ensure that all victims get justice!
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) December 5, 2021
প্রসঙ্গত, এই প্রথন নয়, এর আগেও দেশের নানাপ্রান্তে বিভিন্ন ঘটনার জেরে প্রতিনিধি দল পাঠিয়েছে তৃণমূল। এনআরসির সময় অসমে প্রতিনিধি দল পাঠিয়েছিল তৃণমূল কংগ্রেস। তবে তাঁদের বিমানবন্দরের বাইরে বেরোতে দেওয়া হয়নি। পরে তিনসুখিয়ায় পাঁচ বাঙালির হত্যার ঘটনার পরও অসমে যায় তৃণমূলের প্রতিনিধি দল। দিল্লি সীমানায় কৃষি আইন বাতিলের দাবিতে আন্দোলনকারীদের সঙ্গে গিয়েও দেখা করেছিলেন ডেরেক ও’ব্রায়েন সহ তৃণমূলের সাংসদ ও নেতারা। উত্তরপ্রদেশের লখিমপুর খেরিতে কৃষকদের পিষে দেওয়ার ঘটনার পরও সেখানে পৌঁছে গিয়েছিল তৃণমূলের সাংসদের প্রতিনিধি দল। তবে সেখানে প্রিয়াঙ্কা-রাহুল সহ কংগ্রেস দল আটকে যান। এবার নাগাল্যান্ডে যাচ্ছে তৃণমূল নেতৃত্ব।
]]>পড়ুন: Nagaland: বড়দিনের আগেই রক্তাক্ত নাগাভূমি, নাগা পাহাড়ে ভয়ের মেঘ
জঙ্গি সন্দেহে গ্রামবাসী শ্রমিকদের উপর শনিবার গুলি চালায় অসম রাইফেলস। রক্তাক্ত পরিস্থিতির পর নাগাল্যান্ড সহ উত্তর পূর্বাঞ্চল জুড়েই ধিক্কার শুরু হয়েছে। রাজ্য ও কেন্দ্রের তরফে বলা হয়েছে অসম রাইফেলস ‘ভুল’ করে গুলি চালিয়েছিল। এতে ক্ষোভ সামলানো যায়নি।

গ্রামবাসীদের গুলি করে মারার প্রতিবাদে রবিবার দুপুর থেকে নাগাল্যান্ডের মন জেলা তীব্র উত্তেজনাপূর্ণ। স্থানীয় অসম রাইফেলস ক্যাম্পে ভাঙচুর ও আউট পোষ্ট জ্বালিয়ে দেওয়া হয়েছে। এতে স্পষ্ট সামগ্রিক পরিস্থিতি নাগাল্যান্ড রাজ্য প্রশাসনের হাতের বাইরে।
গুয়াহাটির সংবাদ মাধ্যম জানাচ্ছে, আউট পোস্টে হামলা, আগুন ধরানো রুখতে শূন্যে গুলি চালায় অসম রাইফেলস। অভিযোগ এবারেও গুলি লেগে আরও দুই ব্যক্তি মারা গেছেন।

নাগাল্যান্ডের মন জেলার তুরি-ওটিং সড়কের পাশে ওটিং গ্রামে রক্তাক্ত পরিস্থিতির প্রতিবাদে ক্ষোভ ছড়িয়েছে অসম, মেঘাল়য, মনিপুর, মিজোরামে। বিক্ষোভের আক্রোষে উত্তপ্ত পুরো উত্তর পূর্বাঞ্চল।
দিল্লি সফর কাটছাঁট করে তড়িঘড়ি কোহিমা ফিরছেন নাগাল্যান্ডের মুখ্যমন্ত্রী নেইফিউ রিও। তিনি ডিমাপুর হয়েই আসবেন। এদিকে ক্ষোভের আঁচে উত্তপ্ত ডিমাপুর। বিভিম্ন সংগঠনের তরফে মুখ্যমন্ত্রীকে ঘেরাও করার প্রস্তুতি চলছে। রাজধানী কোহিমা শহরেও তীব্র ক্ষোভ দেখাচ্ছেন স্থানীয় বাসিন্দারা।
]]>সূত্রের খবর, তৃণমূল কংগ্রেস নেত্রীর নজর পড়েছে বিজেপি শাসিত রাজ্য মনিপুরে (Manipur)। এই রাজ্যে বিরোধী আসন দখলে জন্য মেঘালয়ের মতো ঝড়ের বেগে অপারেশন শুরু করছে তৃণমূল কংগ্রেস। দলের তরফে ভোটকুশলীরা পরিকল্পনা তৈরি করেছেন।
মনিপুরে বিজেপি সরকারে। বিরোধী দল কংগ্রেস। আর তৃণমূল কংগ্রেস নেত্রীর লক্ষ্য তারাই। এই বিপদের আঁচ করেছে কংগ্রেস। কীভাবে সম্ভব ভাঙন রোখা তার সূত্র খুঁজছেন কংগ্রেসের ক্রাইসিস ম্যানেজাররা। মনিপুরে বিরোধী আসনে থাকা কংগ্রেস বিধায়করা ‘উড়ু-উড়ু’। তাঁদের কাছে টাটকা উদাহরণ মেঘালয়।
এক নজরে মনিপুর বিধানসভার অঙ্ক
বিধানসভার মোট আসন ৬০
সরকারপক্ষে রয়েছেন ৩৫ জন বিধায়ক।
বিজেপি ২৪
এনপিপি ৪
এনপিএফ ৪
নির্দল ৩
বিরোধী আসনে মোট ১৮ জন বিধায়ক
প্রধান বিরোধীদল কংগ্রেসের ১৭ জন
তৃণমূল কংগ্রেস ১
৭টি আসন খালি।
সূত্র মারফত kolkata24x7.in জানতে পেরেছে মেঘালয়ের বিরোধী নেতা মুকুল সাংমার সঙ্গে যোগাযোগ রেখেই মনিপুরের বিরোধী দল কংগ্রেসকে ভাঙাতে মরিয়া মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। মনিপুরে তৃণমূল কংগ্রেসের যিনি বিধায়ক সেই থংব্রাম রবীন্দ্র সিং তৈরি বাকিদের বোঝাতে।
উত্তরপূর্বাঞ্চলের দীর্ঘদিনের পরিচিত রাজনীতিক মেঘালয়ের প্রাক্তন মুখ্যমন্ত্রী মুকুল সাংমা। তাঁর হাতেই মনিপুরে ঘাঁটি তৈরির ভার ছেড়েছেন মমতা। সেই লক্ষ্যে মুকুল সাংমা পরবর্তী পদক্ষেপ হিসেবে মনিপুরকেই বেছে নিয়েছেন।
উত্তর পূর্বাঞ্চলের রাজনীতিতে আচমকা তৃণমূল কংগ্রেস বিশেষ আলোচনায়। পশ্চিমবঙ্গের তিনবারের শাসকদল এখন মেঘালয়ে বিরোধী আসনে। আবার ত্রিপুরায় পুর নির্বাচনে ভোটের হার ০.৩ শতাংশ থেকে ১৬.৩৯ শতাংশে পৌঁছে গেছে তৃণমূল কংগ্রেস। উত্তর পূর্বের এই বাংলাভাষী প্রধান রাজ্য দখলে আগামী বিধানসভা ভোটে সর্বশক্তি নিয়ে নামছেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়।
]]>উত্তর পূর্বাঞ্চলের সশস্ত্র বিচ্ছিন্নতাবাদী সংগঠনগুলির হামলায় বারবার উঠে এসেছে চিনের মদতে মায়ানমারের কাচিন ও চিন প্রদেশে জঙ্গি প্রশিক্ষণ শিবির চলছে। গত ১৩ নভেম্বর হামলার পরেই এই দাবি আরও জোরালো হয়েছে।

পড়ুন: Manipur: সেনা কনভয়ে হামলায় বিশেষ প্রশিক্ষণ হয় উত্তর মায়ানমারে
মায়ানমার সীমান্তে মণিপুরের চূড়াচন্দ্রপুরে অসম রাইফেলসের কনভয়ের উপর জঙ্গি হামলায় এক কর্নেল-সহ ৭ জনের মৃত্যু হয়। হামলার দায় স্বীকার করেছে মণিপুর পিপলস লিবারেশন আর্মি (manipur peoples libaration army) ও নাগা পিপলস ফন্ট নামে আরও একটি বিচ্ছিন্নতাবাদী সংগঠন।
গোয়েন্দা রিপোর্টে বলা হয়েছে, মণিপুর সহ উত্তর পূর্বাঞ্চলেরের বিভিন্ন সশস্ত্র বিচ্ছিন্নতাবাদী সংগঠনের মূল ডেরা মায়ানমারের অভ্যন্তরে। এবারে হামলা চালানো পিপলস লিবারেশন আর্মিকে প্রশিক্ষণ দিয়েছে চিনে সেনা। মায়ানমারের ঘন জঙ্গল এলাকার গোপন শিবিরে হয়েছিল ট্রেনিং।

গোয়েন্দা রিপোর্টে বলা হয়েছে, হামলাকারীদের অত্যাধুনিক অস্ত্রও তুলে দিয়েছে চিন। এই দাবির স্বপক্ষে ইতিমধ্যেই গোয়েন্দা বিভাগ মণিপুর সীমানার কাছে অবস্থিত ওই সমস্ত জঙ্গি শিবিরের ছবি ড্রোনের মাধ্যমে সংগ্রহ করছে। সেই ফুটেজই স্পষ্ট শিবিরে চিনের সেনাবাহিনীর একাধিক সদস্য ছিল।
মনে করা হচ্ছে,আন্তর্জাতিক সীমান্ত প্রকৃত নিয়ন্ত্রণরেখা এলাকা নিয়ে বিরোধের জেরে চিন ভারতের উপ ক্ষুব্ধ। একইসঙ্গে তাইওয়ান (tiwan) ও তিব্বতের (tibet) প্রশ্নে ভারতের অবস্থানে চিনের ক্ষোভ আরও বেড়েছে।
গোয়েন্দা রিপোর্টে বলা হয়েছে, শুধু চিন নয় দীর্ঘ সময় ধরে মায়ানমারের সেনাবাহিনীর মদতে চলছে বিচ্ছিন্নতাবাদী সংগঠনগুলিকে উস্কানি দেওয়ার কাদের। বর্তমানে মায়ানমারে সেনা শাসন। আর ভারত সংলগ্ন এলাকায় বর্মী সেনা সবথেকে বেশি সশস্ত্র হামলার মুখে পড়েছে।
<
p style=”text-align: justify;”>ভারতের পক্ষ থেকে মায়ানমারের সেনা সরকারকে সাফ জানানো হয়, সে দেশের উরতাগা অঞ্চলে বেশকিছু জঙ্গি লুকিয়ে রয়েছে। তাদের বিরুদ্ধে যেন অবিলম্বে কড়া ব্যবস্থা নেওয়া হয়।
]]>জানা গিয়েছে, শুক্রবার মণিপুর-মায়ানমার লাগোয়া বেহাঙ্গ ফরোয়ার্ড পোস্টে গিয়েছিলেন কম্যান্ডিং অফিসার কর্নেল বিপ্লব ত্রিপাঠী (Commanding Officer Col Biplav Tripathi)। প্রথমে সেনা কনভয়ের গতিবিধি ট্র্যাক করে জঙ্গিরা। চূড়াচন্দ্রপুরের কাছে প্রথমে গাড়ির সামনে আইইডি বিস্ফোরণ ঘটানো হয়। এরপর কনভয়ের সামনের গাড়িতে আচমকা হামলা চালায় জঙ্গিরা। সেই গাড়িতে ছিলেন কিউআরটি (QRT) টিমের জওয়ানরা।
গাড়িতে থাকা জওয়ানরা ঘটনাস্থলেই প্রাণ হারান। জঙ্গিদের সঙ্গে জওয়ানদের লড়াই করতে দেখে গাড়ি থেকে নেমে আসেন কম্যান্ডিং অফিসার কর্নেল বিপ্লব ত্রিপাঠী (biplab tripathi)। তিনিও জঙ্গিদের লক্ষ্য করে গুলি চালাতে শুরু করেন। তবে শেষরক্ষা হয়নি। জঙ্গিদের গুলিতে ঘটনাস্থলেই মৃত্যু হয় কর্নেল ত্রিপাঠীর স্ত্রী এবং নাবালক ছেলের। তবে শেষ রক্তবিন্দু দিয়ে জঙ্গিদের খতম করার চেষ্টা করেন তিনি। কিন্তু আচমকাই জঙ্গিদের গুলিতে লুটিয়ে পড়েন কর্নেল।

শনিবারের এই মর্মান্তিক ঘটনায় দুখপ্রকাশ করেছেন প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদি-সহ (narendra modi) আরও অনেকে। কর্নেল ত্রিপাঠী-সহ আরও ৮ সেনার মৃত্যুতে তাঁদের পরিবারের প্রতি গভীর সমবেদনা প্রকাশ করেছেন প্রধানমন্ত্রী। কংগ্রেস নেতা রাহুল গান্ধীও (rahul Gandhi) মৃতদের পরিবারের শোক জ্ঞাপন করেছেন। কর্নেল বিপ্লব ত্রিপাঠীর আত্মত্যাগ বিফলে যাবে না বলে হুঁশিয়ারিও দিয়েছেন মোদি। ঘটনার নিন্দা করে শোক প্রকাশ করেছেন বাংলার মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ও।
<
p style=”text-align: justify;”>গতও কয়েক দশকের হিংসা এবং বিচ্ছিন্নতাবাদের আগুন নিভিয়ে অনেকটাই শান্ত হয়েছে মণিপুর। কিন্তু গতকালের ঘটনায় ফের একবার চাঞ্চল্যকর পরিস্থিতি তৈরি হল গোটা মণিপুরে (manipur)। শনিবারের ঘটনায় রাজ্যজুড়ে ছড়িয়েছে চাপা আতঙ্ক। পাশাপাশি জঙ্গিদের সন্ধানে চলছে জোরদার তল্লাশি।
]]>এবারের হামলাকারী কারা ? সন্দেহের আঙুল অবশ্যই নাগা বিচ্ছিন্নতাবাদী সংগঠন এনএসসিএন (খাপলাং) গোষ্ঠীর দিকে। তবে সন্দেহের তালিকায় থাকছে পিপলস লিবারেশন আর্মি মনিপুর গোষ্ঠী (পিএলএ মনিপুর) তবে যে বিচ্ছিন্নতাবাদী গোষ্ঠী হামলা চালাক, তাদের প্রাথমিক লক্ষ্য ভারতের সেনাবাহিনী। উত্তর পূর্বের বিচ্ছিন্নতাবাদী সংগঠনগুলি পৃথক স্বশাসিত এলাকার দাবিতে হামলা চালায়। এবারের হামলার কারণও সেই রোষ। এই হামলার পরিকল্পনা সংগঠিত হয় মায়ানমারের উত্তর অংশের কাচিন প্রদেশে। এখানেই ভারত বিরোধী বিচ্ছিন্নতাবাদী গোষ্ঠীগুলির ঘাঁটি।

গত ফেব্রুয়ারি মাস থেকে মায়ানমারে সেনা শাসন চলছে। এই দুটি প্রদেশের সরকার সেনা শাসনের বিরোধী। তাদের গণ মিলিশিয়া বনাম বর্মী সেনার সংঘর্ষের রক্তাক্ত পরিস্থিতির মাঝে গোয়েন্দা বিভাগ আশা করেছিল আপাতত হামলা বন্ধ হবে। তবে সেটি হলনা।
সূত্রের খবর, অসমের মুখ্যমন্ত্রী হিমন্ত বিশ্বশর্মা দিল্লিতে গিয়ে উত্তর পূর্ব ভারতের বিচ্ছিন্নতাবাদী সংগঠনগুলিকে সরকারের সঙ্গে আলোচনায় বসানোর চেষ্টা করছেন। তাঁর লক্ষ্য দুটি প্রধান বিচ্ছিন্নতাবাদী গোষ্ঠী অসমের আলফা (স্বাধীনতা) ও নাগাল্যান্ডের এনসিএন (খাপলাং) কে আলোচনায় টেনে আনা।
এই দুটি সংগঠনের পর বোড়ো ও বাকি সংগঠনগুলির নাম আসে। তবে নাশকতার নিরিখে বাকিরাও কম যায় না। যেমন পিএলএ মনিপুর। ১৯৭৮ সাল থেকে এরা পৃথক সরকারের জন্য সংঘর্ষের পথ নিয়েছে।
উত্তর পূর্বের বিচ্ছিন্নতাবাদী সংগঠনগুলির বৈশিষ্ট বিশ্লেষণ করলে দেখা যায়, নিজেদের অস্তিত্ব জাহির করতে তারা আগ্রাসী ভূমিকা নেয়। পিএলএ সেই কারণেই রক্তাক্ত করল মনিপুরকে বলে মনে করা হচ্ছে।
মায়ানমারের বেস ক্যাম্প থেকে ভারত সীমান্ত পার করা স্থানীয় বিচ্ছিন্নতাবাদী গোষ্ঠীগুলির কাছে ‘জলভাত’। বারবার হামলার পরে এমনটা প্রমানিত। অভিযোগ, সীমান্ত সুরক্ষার নামে বহু গালভরা শব্দ শোনানো হচ্ছে সরকারের তরফে। তবে বাস্তবে, ভৌগোলিক কারণ, দুর্গমতা সবমিলে মায়ানমারের সঙ্গে ভারত সীমান্তের সব এলাকা সুরক্ষিত নয় তা স্পষ্ট।
<
p style=”text-align: justify;”>সেই কারণেই মায়ানমার থেকে অরুণাচল প্রদেশ নাগাল্যান্ড, মনিপুর বা মিজেরামে ঢুকে পড়ে সেদেশে ট্রেনিং নেওয়া ভারত সরকার বিরোধী বিচ্ছিন্নতাবাদী গোষ্ঠীগুলি।
]]>ঘটনাস্থল কাঙ্গোপাকির বি গামনোম গ্রাম। ANI জানাচ্ছে, দু দিন আগে এখানেই দুই জঙ্গিকে খতম করে নিরাপত্তারক্ষীরা। তাদের দেহ নিয়ে শোকপালন চলছিল। মঙ্গলবার যখন গ্রামবাসীরা জড়ো হয়েছিলেন, তখন ফের হামলা চালায় কুকি জঙ্গিরা।
গ্রামবাসীদের উপর এলোপাথাড়ি গুলি চালিয়েছে জঙ্গিরা। ANI জানাচ্ছে, গুলিতে অন্তত ৫ জনের মৃত্যু হয়েছে। দেহ উদ্ধার ও জঙ্গিদের বিরুদ্ধে তল্লাশি অভিযান চালাচ্ছে নিরাপত্তা বাহিনী।
মনিপুর সহ উত্তর পূর্বাঞ্চলের বিভিন্ন রাজ্যে কুকি জনগোষ্ঠী ছড়িয়ে। এদের নিজস্ব কিছু চাহিদার কারণে সশস্ত্র বিচ্ছিন্নতাবাদী কুকি ন্যাশনাল লিবারেশন আর্মি (KNLA) হামলা চালায়। সম্প্রতি তাদের সক্রিয়তা বেড়েছে। মনিপুর রাজ্য পুলিশ কর্তারা ঘটনাস্থল বি গামনোম গ্রামে গিয়েছেন। এলাকা ঘিরে তল্লাশি চলছে।
]]>লিখিত ইতিহাস কম করেও দু’হাজার বছরের। তার থেকেও প্রাচীন বহুশ্রুত কথা। এই বর্নিল অধ্যায়ে জড়িয়ে আছে মৈতৈ উপজাতিদের জীবন। এদের ব্যাপ্তি মায়ানমার থেকে পুরো উত্তর পূর্ব ভারত জুড়ে, কিছুটা বাংলাদেশের পাহাড়ি জনজীবনে।
মীরাবাঈ। তিনি রাজস্থানের রাজপুতানি ঐতিহাসিক চরিত্র। তাঁর কৃষ্ণ অনুরাগে রাধা পর্যন্ত বেসামাল হন। যুগ যুগ ধরে মীরা নামটি শ্রীকৃষ্ণ অনুরক্তদের মধ্যে ছড়িয়ে। উত্তর পূর্বাঞ্চলের মনিপুর নরম কৃষ্ণপ্রেমে মগ্ন। তবে ভয়ঙ্কর হতেও দেরি করেনা। বৈষ্ণব ধর্মাবলম্বীদের সংখ্যাগুরু জনসংখ্যার মনিপুরিদের সবথেকে বড় অংশ মৈতৈ জাতি। প্রাচীন ব্রহ্মদেশ বর্তমান মায়ানমার থেকে সমগ্র উত্তর পূর্বাঞ্চল দুনিয়ায় মৈতৈ জাতির প্রভাব কম নয়।

একাধারে কৃষ্ণপ্রেমে কাতর মৈতৈরা। রসকলি আর পান টুসটুসে মুখ, কীর্তন-খোলের ঝংকার তাদের মন শান্ত করে। সময় বুঝে তলোয়ার ঝলসে ওঠে হাতে। ছোটে ঘোড়া বাহিনি। শত্রুর মাথা কেটে নিতে হাত কাঁপেনা এতটুকু। পৌরাণিক আখ্যানে শ্রীকৃষ্ণের কূটনৈতিক ছলাকলার যে বিস্তর উদাহরণ রয়েছে তাতেও পটু মৈতৈ বা সংখ্যাগুরু মনিপুরি।
মৈতৈ সংস্কৃতি, ভাষা, সামাজিক কাঠামো মনিপুরি জাতির মূল আধার মেনে নিয়েছেন গবেষকরা। যুদ্ধের ঝনঝনানি মনিপুর কম দেখেনি। যুদ্ধ কম করেনি। মহাভারতের বর্ণনায় অর্জুনকে পরাজিত হতে হয়েছিল এই মনিপুরেই। জয়ী হন রাজকুমারী কৃষ্ণপ্রেমিক চিত্রাঙ্গদা। তিনিও অর্জুনের স্ত্রী।
পুরাণ যদি বিশ্বাস না হয়, তাহলে অন্তত দু হাজার বছর আগের ইতিহাস ঘেঁটে গবেষকদের বের করা তথ্যগুলো চরম বিশ্বাসযোগ্য। তারা বলছেন, রাজার হয়ে যুদ্ধ, রাজতন্ত্রের বিরুদ্ধে লডাই, ষড়যন্ত্র সবেতেই সমান ভূমিকা নিয়েছে মৈতৈরা। সময়ের সঙ্গে পাল্লা দিয়ে এই ভূমিকা ধরে রেখেছে মৈতৈ জাতি। তলোয়ার, তীর বারবার শত্রুর রক্তে সুখানুভূতি লাভ করেছে।
একেবারে বিংশ শতাব্দী থেকে হাল আমলের ইতিহাসে দ্বিতীয় বিশ্বযুদ্ধ হোক বা ১৯৭১ সালের ভারত পাকিস্তানের মধ্যে সংঘর্ষ, বাংলাদেশের স্বাধীনতার লড়াই, বিচ্ছিন্নতাবাদী সশস্ত্র পথ নেওয়া তলোয়ার ছেড়ে রাইফেল, এ কে ৪৭ নিতেও খামতি নেই মৈতৈদের। উত্তরপূর্ব ভারতে যতগুলি ভয়াবহ নাশকতা ঘটনো হয়েছে তার মধ্যে মনিপুরের মাটিতে সেনা কনভয়ে হামলায় দেশ নড়ে গিয়েছে বারবার।
রক্তের নেশা ও কৃষ্ণপ্রেম মৈতৈ জাতির সঙ্গে জড়িয়ে। কখনও তলোয়ার তো কখনও আগ্নেয়াস্ত্র এই জাতির দুরন্ত ভয়াল মাপকাঠি। বিচ্ছিন্নতাবাদী সন্ত্রাসে বারবার রক্তাক্ত মনিপুরি তথা মৈতৈ জাতির মীরাবাঈ চানু জন্মের পর থেকেই সেনা ও বিচ্ছিন্নতাবাদী সংঘর্ষের সাক্ষী। তেমনই সাক্ষী বিতর্কিত আফস্পা আইনেরও।
]]>