वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट जुलाई के अंत में संसद में पेश किए जाने की उम्मीद है। इस साल चुनावी साल होने से फरवरी में अंतरिम बजट ही पेश किया गया था। वित्त मंत्रालय के मुताबिक, इन सुझावों में शुल्क संरचना, कर दरों में परिवर्तन और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों पर कर आधार को व्यापक बनाने के विचार शामिल हो सकते हैं, ताकि इसके लिए आर्थिक औचित्य दिया जा सके। सीमा शुल्क एवं उत्पाद शुल्क में परिवर्तन के लिए व्यापार और उद्योग जगत को उत्पादन, कीमतों और सुझाए गए बदलावों के राजस्व निहितार्थ के बारे में प्रासंगिक सांख्यिकीय जानकारी के साथ अपनी मांगों को उचित ठहराना होगा।
इसके साथ ही, उलटे शुल्क ढांचे में सुधार के अनुरोध को उत्पाद के विनिर्माण के प्रत्येक चरण में मूल्य संवर्धन से समर्थित करना होगा। उलटे शुल्क ढांचे में तैयार वस्तु पर लगने वाले शुल्क से अधिक शुल्क कच्चे माल पर लगता है। प्रत्यक्ष करों के संबंध में मंत्रालय ने कहा कि सुझाव अनुपालन कम करने, कर निश्चितता प्रदान करने और मुकदमेबाजी कम करने पर भी हो सकते हैं। इसमें कहा गया कि मध्यम अवधि में सरकार की नीति कर प्रोत्साहन, कटौतियों तथा छूटों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने तथा साथ ही कर दरों को युक्तिसंगत बनाने की है।
]]>कहा कि मोदी जी केवल वाहवाही बटोरने के लिए, सफ़ेद रंग दी गई ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने के पीआर स्टंट में व्यस्त हैं! पर आम जनता की सुरक्षा, सुविधा, सहूलियत और राहत पर रत्ती भर भी ध्यान नहीं दे रहें हैं।खड़गे ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि मोदी सरकार ने रेलवे को तहस-नहस करने में कोई कसर नहीं छोड़ी! उन्होंने दावा किया कि इस साल 10% से ज़्यादा ट्रेनें लेट हुई हैं। उन्होंने कहा कि रेल बजट ख़त्म कर के मोदी सरकार ने जवाबदेही से छुटकारा पा लिया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेल यात्रियों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है और चालू वित्त वर्ष के अंत तक भारतीय रेलवे कोविड से पहले के दौर की यात्री संख्या 650 से 700 करोड़ के स्तर को छू लेगा। मंत्री ने कुछ खबरों और सोशल मीडिया पर आई टिप्पणियों का जोरदार खंडन किया कि रेल यात्रियों की संख्या 2010 की तुलना में आधी हो गई है।
]]>गृह मंत्री अमित शाह ने ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने केंद्र की सत्ता में आने के बाद से पिछले नौ वर्षों में भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमाओं के लगभग 560 किलोमीटर हिस्से में बाड़ लगाई है और अंतरालों को पाट दिया है। गृह मंत्री ने कहा, ‘‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि यदि किसी देश की सीमाएं सुरक्षित नहीं हैं तो वह कभी विकसित और समृद्ध नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने देश को चंद्रमा पर पहुंचाया है, जी20 सम्मेलन के साथ पूरे विश्व में देश की ध्वजा फहराई है और अर्थव्यवस्था को 11वें स्थान से दुनिया में पांचवें स्थान पर पहुंचाया है। यह सब सीमाओं की सुरक्षा में तैनात हमारे बीएसएफ जैसे बलों के कारण संभव हो पाया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगीं भारत की दो प्रमुख सीमाओं को अगले दो साल में पूरी तरह सुरक्षित बनाया जाएगा और इन दोनों ही मोर्चों पर करीब 60 किलोमीटर क्षेत्र में खुली जगहों को पाटने का काम जारी है।
]]>प्रधानमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश के निवासियों का एक वोट राज्य में भाजपा सरकार को वापस सत्ता में ला सकता है। साथ ही उस मतदान केंद्र पर मोदी सरकार का हाथ मजबूत होगा. और, यह भ्रष्ट कांग्रेस को भी सत्ता से बाहर रखेगी। तो ये तीन काम एक वोट से हो सकते हैं. मोदी ने कहा कि ये तीन अद्भुत काम त्रिशक्ति की तरह हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान किसी को पता नहीं था कि पैसा कहां जा रहा है. 2जी घोटाला, कोयला घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला, हेलीकॉप्टर घोटाला में लाखों करोड़ रुपये गायब हो गये. मोदी ने ये सारे घोटाले बंद कर दिये. कांग्रेस काल में बिचौलियों की मौज थी। लेकिन, मोदी ने उनकी दुकानों पर ताला लगा दिया. और लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे पैसा वितरित करना शुरू कर दिया।
]]>अनुराग ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में बैठक हुई, जिसमें निर्णय हुआ फर्टिलाइजर यानी कि खाद की कीमतों का असर नहीं होने दिया जाएगा. एनबीएस के तहत किसानों को खाद रिहायती दामों पर मिलते रहेंगे और यूरिया का एक भी पैसा नहीं बढ़ेगा.
एक बार फिर किसान हितैषी सरकार ने निर्णय लिया है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बढ़ती हुई कीमत का असर देश में किसानों पर नहीं पड़ने देंगे. रबी सत्र के लिए न्यूट्रिएंट बेस्ड सब्सिडी प्रदान की जाएगी.
]]>এবার ডাক বিভাগে বা ইন্ডিয়া পোস্ট পেমেন্ট ব্যাংকে (payment Bank) টাকা রাখতে গেলেও গুনতে হবে চার্জ। নতুন নিয়মে পেমেন্ট ব্যাঙ্কে মাসে ১০ হাজার টাকার বেশি জমা করলেই ০.৫ শতাংশ বা ন্যূনতম ২৫ টাকা বাড়তি খরচ বহন করতে হবে। এখানেই শেষ নয়। বিনামূল্যে টাকা তোলার সীমাও বেঁধে দেওয়া হচ্ছে। মাসে ২৫ হাজারের বেশি টাকা তুললেও অতিরিক্ত ০.৫ শতাংশ কর দিতে হবে।
২০২২-এর ১ জানুয়ারি থেকে পোস্ট অফিসের সেভিংস ও কারেন্ট অ্যাকাউন্টে এই নতুন পকেট কাটা নিয়ম চালু হয়ে গিয়েছে। স্বাভাবিকভাবেই মোদী সরকারের এই সিদ্ধান্তে প্রবল ক্ষোভ জানিয়েছেন সাধারণ মানুষ। বিশেষ করে গ্রামীণ এলাকার সাধারণ ও দরিদ্র মানুষ। তাঁরা বলেছেন, মোদী সরকার যদি এভাবে সবক্ষেত্রেই তাঁদের কাছ থেকে টাকা কেড়ে নেয় তবে তাঁরা কীভাবে সংসার চালাবেন! অনেকেই আশঙ্কা করছেন, আগামী দিনে সমস্ত ব্যাংকেই এই নিয়ম কার্যকর হতে পারে। তাই অবিলম্বে বিষয়টির প্রতিবাদ জানানো দরকার।
উল্লেখ্য, শনিবার বা ১ জানুয়ারি থেকেই এটিএমে লেনদেনের ক্ষেত্রেও মানুষকে বাড়তি চার্জ দিতে হচ্ছে। ৩০ ডিসেম্বর ইন্ডিয়া পোস্ট পেমেন্ট ব্যাংকের তরফে লেনদেনের ক্ষেত্রে বাড়তি চার্জ কাটার কথা জানিয়ে বিজ্ঞপ্তি জারি করা হয়েছিল। বিজ্ঞপ্তি অনুযায়ী শনিবার ২০২২০-এর প্রথম দিন থেকেই এই বাড়তি চার্জ আদায় করছে কেন্দ্র। ইন্ডিয়া পোস্ট পেমেন্ট ব্যাংকের বিজ্ঞপ্তিতে বলা হয়েছিল, মাসে চার বারের বেশি টাকা তুললে ০.৫ শতাংশ বাড়তি কর দিতে হবে। পাশাপাশি মাসে ১০ হাজার টাকার বেশি জমা করলেই ০.৫ শতাংশ বাড়তি খরচ বহন করতে হবে।
]]>কংগ্রেস শাসিত ছত্তিসগড়ের ১৫ টি পুরসভা এবং ১৫ টি ওয়ার্ডের উপনির্বাচনে কার্যত মুখ থুবড়ে পড়েছে বিজেপি। ওই রাজ্যের নির্বাচন কমিশনের পেশ করা তথ্য অনুযায়ী, প্রায় ৬০ শতাংশ আসনে জয়ী কংগ্রেস। ছত্তিশগড়ের ৬ টি মিউনিসিপ্যাল কাউন্সিল, ৫ টি নগর পঞ্চায়েত এবং ৪ টি মিউনিসিপ্যাল কর্পোরেশনের মোট ৩৭০ টি ওয়ার্ডে নির্বাচন হয়েছিল। ৩০০ টি ওয়ার্ডের ফলাফল ঘোষিত হয়েছে। গণনা চলছে ৭০ টি ওয়ার্ডের। তথ্য বলছে, ৩০০ টির মধ্যে ১৭৪ টি আসনে জয়ী হয়েছে কংগ্রেস। গেরুয়া শিবির জয় পেয়েছে ৮৯ টি আসনে এবং বাকি ৩১ টি আসনে জয়ী নির্দল প্রার্থী।
বাকি ৭০ টি আসনের গণনা শেষ না হলেও ট্রেন্ডের ভিত্তিতে জানা যাচ্ছে, ৩৭ আসনে এগিয়ে বিজেপি এবং কংগ্রেস এগিয়ে ২৪ আসনে।
২০২৩-এ ছত্তিসগড়ে নির্বাচন রয়েছে। এই পুরভোট সেমিফাইনালের মর্যাদা পেয়েছিল। বলা চলে, খেলায় জিতল কংগ্রেস, হারের মুখ দেখল বিজেপি।
উল্লেখ্য, রাজস্থানে গত নির্বাচনেও বিজেপিকে পরাজিত করেছে কংগ্রেস। পাঁচ রাজ্যের নির্বাচনের আগেই গোটা দেশজুড়েই ধাক্কা খাচ্ছে গেরুয়া শিবির। স্বাভাবিকভাবেই কেন্দ্রীয় নেতৃত্ব যে একটু উদ্বিগ্ন হবেই সে কথা বলাই বাহুল্য।
]]>চলতি বছর বিধানসভা নির্বাচনের আগে তৃণমূল ছেড়ে বিজেপিতে যোগ দিতে চার্টার্ড ফ্লাইটে দিল্লি উড়ে গিয়েছিলেন রাজীব বন্দ্যোপাধ্যায় সহ আরও কয়েকজন। গত ২১ জানুয়ারি তৃণমূল ছাড়েন এবং ২২ জানুয়ারি বিধায়ক পদ থেকে ইস্তফা দেন রাজীব। দিল্লিতে অমিত শাহের বাসভবনে বিজেপিতে যোগদান করেন তিনি। এরপর ৩১ জানুয়ারি ডোমজুড়ের প্রাক্তন বিধায়ককে জেড ক্যাটাগরির নিরাপত্তা দেয় মোদী সরকার।
গত বিধানসভা নির্বাচনে ডোমজুড় কেন্দ্রেই রাজীব ব্যানার্জীকে প্রার্থী করে বিজেপি। তবে নিজের ঘাঁটিতেই পরাজিত হন তিনি। বিধানসভা নির্বাচনের ফলাফল প্রকাশ হওয়ার পর থেকে একাধিকবার বিজেপির বিরুদ্ধে অসন্তোষ প্রকাশ করেন রাজীব। অবশেষে গত ৩১ অক্টোবর ত্রিপুরায় অভিষেক বন্দ্যোপাধ্যায়ের উপস্থিতিতে তৃণমূলে প্রত্যাবর্তন হয় রাজীবের।
]]>উল্লেখ্য, চলতি বছরের বাদল অধিবেশনেও সংসদে বিনা আলোচনায় সংখ্যা গরিষ্ঠতার জেরে একাধিক বিল পাশ করেছে কেন্দ্রীয় সরকার। শীতকালীন অধিবেশনেও ইতিমধ্যেই বেশ কয়েকটি বিল পাশ করিয়েছে মোদী সরকার।
]]>সোমবার কেন্দ্রীয় অর্থমন্ত্রকের কাছে তৃণমূল কংগ্রেস সাংসদ মালা রায় জানতে চান, পরবর্তী তিন বছরে সরকার কোন কোন ব্যাংক, আর্থিক প্রতিষ্ঠান এবং রাষ্ট্রায়ত্ত সংস্থা বেসরকারিকরণ (Privatization) বা বিলগ্নিকরণের সিদ্ধান্ত নিয়েছে? এই বিলগ্নিকরণ থেকে সরকারের কোষাগারে কী পরিমাণ টাকা আসবে?
তৃণমূল সাংসদের এই প্রশ্নের উত্তরে অর্থ মন্ত্রকের প্রতিমন্ত্রী ভগৎ কৃষ্ণরাও কারাড বলেন, ২০১৬ সাল থেকে এখনও পর্যন্ত ৩৬ টি রাষ্ট্রায়ত্ত বা তাদের অধীনস্থ সংস্থায় কৌশলগত বিলগ্নীকরণের সিদ্ধান্ত নেওয়া হয়েছে। এই সমস্ত সমস্ত সংস্থা বিলগ্নিকরণ করে সরকারের ঘরে কী পরিমাণ অর্থ আসবে সেটা বাজার এবং নিলামে অংশ গ্রহণকারীদের দেওয়া দরের উপর নির্ভর করছে।
সরকার যে সমস্ত ব্যাংক বা রাষ্ট্রায়ত্ত সংস্থা বিলগ্নিকরণের সিদ্ধান্ত নিয়েছে তার নামগুলিও জানিয়ে দিয়েছেন অর্থ মন্ত্রকের প্রতিমন্ত্রী কারাড।
মন্ত্রীর দেওয়া তথ্য অনুযায়ী যে সমস্ত সংস্থার বিলগ্নিকরণের প্রক্রিয়া চলছে তার মধ্যে উল্লেখযোগ্য কয়েকটি সংস্থা হল ব্রিজ অ্যান্ড রুফ কোম্পানি লিমিটেড, সেন্ট্রাল ইলেকট্রনিক্স লিমিটেড, শিপিং কর্পোরেশন অফ ইন্ডিয়া, কন্টেইনার কর্পোরেশন অফ ইন্ডিয়া, নীলাচল ইস্পাত নিগম লিমিটেড, রাষ্ট্রীয় ইস্পাত নিগম লিমিটেড, পবন হংস লিমিটেড, এয়ার ইন্ডিয়া এবং তার পাঁচটি অধীনস্থ সংস্থা, আইডিবিআই ব্যাঙ্ক প্রভৃতি। যার মধ্যে এয়ার ইন্ডিয়ার বিলগ্নিকরণের প্রক্রিয়া ইতিমধ্যে শেষ হয়েছে।
কয়েকটি সংস্থার বিলগ্নিকরণ নিয়ে বিভিন্ন মন্ত্রকে আলোচনা শেষ পর্যায়ে রয়েছে। যার মধ্যে রয়েছে ট্যুরিজম ডেভলপমেন্ট কর্পোরেশন লিমিটেড, হিন্দুস্তান অ্যান্টিবায়োটিক লিমিটেড, বেঙ্গল কেমিক্যালস অ্যান্ড ফার্মাকিউটিক্যালস লিমিটেড। দুটি ক্ষেত্রে মামলার জন্য বিলগ্নিকরণের প্রক্রিয়া আটকে আছে। এই দুটি সংস্থা হল হিন্দুস্থান নিউজপ্রিন্ট লিমিটেড এবং কর্নাটক অ্যান্টিবায়োটিক ফার্মাসিউটিক্যালস লিমিটেড।
নানাবিধ কারণে কয়েকটি সংস্থার বিলগ্নিকরণের বিষয়টি আটকে রয়েছে। এই সংস্থাগুলির মধ্যে রয়েছে স্কুটার ইন্ডিয়া লিমিটেড, ভারত পাম্প অ্যান্ড কম্প্রেসর লিমিটেড, সিমেন্ট কর্পোরেশন অফ ইন্ডিয়া প্রভৃতি।
পাশাপাশি যে সমস্ত সংস্থার বিলগ্নিকরণ প্রায় চূড়ান্ত হয়ে গিয়েছে সেগুলিও নামও জানিয়েছেন মন্ত্রী। যার মধ্যে রয়েছে হিন্দুস্থান পেট্রোলিয়াম কর্পোরেশন লিমিটেড, রুরাল ইলেকট্রনিক্স কর্পোরেশন লিমিটেড, এইচএসসিসি লিমিটেড, কামরাঝাড় পোর্ট লিমিটেড প্রভৃতি।
]]>জানা গেছে, সংযুক্ত কিষাণ মোর্চার ৫ সদস্যের একটি প্যানেল আন্দোলন প্রত্যাহারের সিদ্ধান্ত নিয়েছে। কেন্দ্রীয় সরকারের দ্বিতীয় খসড়া প্রস্তাব প্যানেল গ্রহণ করেছে। এরপরই আন্দোলন প্রত্যাহারের সিদ্ধান্ত নেওয়া হয়। কেন্দ্রের দ্বিতীয় খসড়া প্রস্তাবের মধ্যে রয়েছে ফসলের ন্যূনতম সহায়ক মূল্য (এমএসপি) সংক্রান্ত আশ্বাস। সেইসঙ্গে রয়েছে বিভিন্ন রাজ্যে আন্দোলনরত কৃষকদের বিরুদ্ধে দায়ের মামলা প্রত্যাহারের আশ্বাস।
কমিটির অশোক ধাওয়ালে এ ব্যাপারে সরকারের সঙ্গে কথা বলেছেন। তিনি জানান, ‘আমরা সরকারের কাছ থেকে একটি সংশোধিত খসড়া প্রস্তাব পেয়েছি, যাতে আন্দোলনকারীদের প্রস্তাব মেনে নেওয়ার আশ্বাস দেওয়া হয়েছে। আমরা প্রস্তাবের চূড়ান্ত প্রতিলিপি বৃহস্পতিবার বেলা ১২ টা নাগাদ পাব। এরপর সিঙ্ঘুতে সংযুক্ত কিষাণ মোর্চার নেতাদের বৈঠকের পর আমরা আন্দোলনের তীব্রতা কমানোর ব্যাপারে সিদ্ধান্ত নেব। কেন্দ্র ফসলের অবশেষ পোড়ানোর ঘটনায় কৃষকদের বিরুদ্ধে দায়ের করা মামলাও প্রত্যাহারের আশ্বাস কেন্দ্র দিয়েছে। সেইসঙ্গে বিদ্যুৎ সংশোধিত বিল ও আন্দোলনের সময় নিহত কৃষকদের আত্মীয়দের ৫ লক্ষ টাকা ও চাকরি দেওয়ার ব্যাপারেও রাজি হয়েছে কেন্দ্র। কৃষক আন্দোলনের সময় ও ফসলের অবশেষ পোড়ানোর ঘটনায় সরকার সমস্ত মামলা প্রত্যাহারের ব্যাপারে রাজি হওয়ার পর সহমতে পৌঁছনো যায়।’
তিনি আরও জানান, ‘সরকার আমাদের সংশোধিত বিদ্যুৎ বিল পেশের ব্যাপারেও আশ্বস্ত করেছে। কৃষি বিশেষজ্ঞ, কেন্দ্র ও রাজ্যের আধিকারিকদের পাশাপাশি এমএসপি কমিটিতে সংযুক্ত কিষাণ মোর্চার নেতাদের সামিল করার ব্যাপারেও সরকার রাজি হয়েছে।’
]]>উল্লেখ্য, এতদিন পর্যন্ত সিবিআইয়ের শীর্ষ কর্তাদের কার্যকালের মেয়াদ ছিল দুই বছর। সেই মেয়াদ তিন বছর বাড়িয়েছে নরেন্দ্র মোদী সরকার। কেন্দ্র এক অর্ডিন্যান্স জারি করে জানিয়েছে, প্রথম দুই বছরের মেয়াদ শেষ হওয়ার পর পরবর্তী ক্ষেত্রে এক বছর করে আরও তিন বছর মেয়াদ বাড়ানো যাবে। প্রথম থেকেই সরকারের এই অর্ডিন্যান্সের বিরোধিতা করেছিল প্রায় সবকটি বিরোধী দল।
এদিন ওই বিল আনার পর তৃণমূল কংগ্রেস সাংসদ সৌগত রায় বলেন, সুপ্রিম কোর্ট স্পষ্ট বলেছে সিবিআই হল খাঁচায় বন্দি তোতা। মোদী সরকারের এই অধ্যাদেশ সিবিআইকে আরও বেশি করে বন্দি করারই পরিকল্পনা। তাঁর দাবি, এই বিল গণতন্ত্র বিরোধী। নিজের লোককে সিবিআইয়ের মাথায় রেখে বিরোধীদের হেনস্থা করাই এই বিলের একমাত্র উদ্দেশ্য।
অন্যদিকে কংগ্রেস সাংসদ অধীর চৌধুরী বলেন, এই বিল থেকে এটা স্পষ্ট যে, এই মুহূর্তে সিবিআই ও ইডির ডিরেক্টর হওয়ার মতো কোনও উপযুক্ত আধিকারিককে এই দেশে খুঁজে পাচ্ছে না মোদী সরকার। কারও সঙ্গে কোনও রকম আলোচনা না করে সরকার নিজেদের ইচ্ছামত সবকিছু করছে। আসলে মোদী সরকার চায়, তাদের কথায় উঠব বসবে এমন এক ‘ইয়েস বস’কে সিবিআই, ইডির মতো গুরুত্বপূর্ণ বিভাগের মাথায় রাখতে।
তবে বিরোধীদের অভিযোগ উড়িয়ে দিয়েছে সরকার। সরকারের পাল্টা দাবি, ২০১৪ সালে তৎকালীন প্রধানমন্ত্রী মনমোহন সিংয়ের আমলেই সিবিআইকে খাঁচায় বন্দি তোতা বলা হয়েছিল। কিন্তু এখন আর সেই পরিস্থিতি নেই। সিবিআই ও অন্যান্য কেন্দ্রীয় সংস্থাগুলি স্বাধীনভাবে তাদের কাজ করে থাকে। তাই কংগ্রেস ও তৃণমূল কংগ্রেসের এই দাবি ঠিক নয়। তাছাড়া সিবিআই বা ইডির ডিরেক্টরের মেয়াদ সর্বোচ্চ পাঁচ বছর করা হয়েছে, তার বেশি নয়।
]]>করোনা প্রতিরোধ করতে ইতিমধ্যেই আমেরিকা (America) ও ইউরোপের (Europe) কয়েকটি দেশে বুস্টার ডোজ দেওয়া শুরু হয়ে গিয়েছে। অন্যদিকে, ভারত সরকার চাইছে চলতি বছরের মধ্যেই দেশের প্রতিটি প্রাপ্তবয়স্ক মানুষকে টিকার দু’টি ডোজ দিতে। যদিও সরকার নিজের ঠিক করা সেই লক্ষ্যমাত্রা পূরণ করতে পারবে কিনা তা নিয়েও প্রশ্ন রয়েছে। চলতি পরিস্থিতিতে বুস্টার ডোজ নিয়ে মোদী সরকারকে নিজেদের বক্তব্য স্পষ্টভাবে জানাতে বলল দিল্লি হাইকোর্ট।
এদিন হাইকোর্টের বিচারপতি বিপিন সিংঘি এবং বিচারপতি জসমীত সিংয়ের ডিভিশন বেঞ্চে করোনা সংক্রান্ত একটি মামলার শুনানি হয়। এই মামলায় দুই বিচারপতির ডিভিশন বেঞ্চ বুস্টার ডোজ নিয়ে বিভিন্ন দেশের বিশেষজ্ঞদের মতামত খতিয়ে দেখেন। বেঞ্চ এদিন বলে, বুস্টার ডোজের বিষয়ে ভারতীয় বিশেষজ্ঞরা কোনও জোরদার সওয়াল করেননি। তবে পরিস্থিতি বিবেচনা করে দেখা যাচ্ছে রোগ প্রতিরোধ করতে হলে বুস্টার ডোজ আবশ্যিক।
আমরা জানি, বুস্টার ডোজ দেওয়া যথেষ্টই ব্যয়বহুল। তবে দেশের মানুষের পরিস্থিতির কথা বিবেচনা করে সকলকেই একেবারে বিনামূল্যেই বুস্টার ডোজ দিতে হবে। দেশের খুব কম মানুষই আছেন যারা এই বুস্টার ডোজ কিনবেন। সরকারের উচিত নয়, মানুষের আর্থিক অবস্থা খতিয়ে দেখে বুস্টার ডোজ দেওয়ার বিষয়ে সিদ্ধান্ত নেওয়া। যেহেতু বুস্টার ডোজ দেওয়ার খরচ অনেকটা বেশি সম্ভবত সে কারণেই সরকার এখনই বিষয়টি নিয়ে ভাবনাচিন্তা করছে না। যদিও এটা একেবারেই ঠিক নয়।
কারণ আমরা করোনার দ্বিতীয় ঢেউয়ের ভয়াবহতা দেখেছি। নতুন করে আমরা ফের এ ধরনের পরিস্থিতির মুখোমুখি হতে চাই না। সে কারণেই বুস্টার ডোজ দেওয়া আবশ্যিক। তাই সরকার জানাক, বুস্টার ডোজ দেওয়ার বিষয়ে তারা কী ভাবনাচিন্তা করছে।
একইসঙ্গে বেঞ্চ এদিন বলে, ভ্যাকসিনের বহু ডোজ অব্যবহৃত অবস্থায় পড়ে আছে। সেই সমস্ত ভ্যাকসিনের মেয়াদও দ্রুত শেষ হয়ে যাবে। তাই আরও জোর গতিতে টিকাকরণ করতে হবে।
শিশুদের টিকাকরণ নিয়েও দুই বিচারপতির বেঞ্চ এদিন মুখ খুলেছে। বিচারপতিরা বলেন, বিশ্বের বহু দেশে ইতিমধ্যেই শিশুদের টিকাকরণ চলছে। আমাদের দেশেও স্কুল-কলেজ খুলে গিয়েছে। তাই শিশুদের টিকাকরণও দ্রুত শুরু হওয়া দরকার। এ বিষয়ে সরকার কী ভাবছে তা আমাদের জানা দরকার।
]]>কারণ আগামী বছর পাঁচ রাজ্যের বিধানসভা নির্বাচনের আগে সংসদের শীতকালীন অধিবেশনে বিভিন্ন বিরোধী দলগুলির রণকৌশল নির্ধারণে মমতা আলোচনায় বসবেন। কথা বলবেন প্রায় সমস্ত বিরোধী রাজনৈতিক দলের নেতা-নেত্রীদের সঙ্গে। একই সঙ্গে এই সফরে রাজ্যের মুখ্যমন্ত্রী হিসেবে প্রধানমন্ত্রীর নরেন্দ্র মোদীর (Narendra Modi) সামনে তুলে ধরবেন বিভিন্ন দাবিদাওয়া।

দিল্লির রাজনৈতিক মহলে এরই মধ্যে মমতার সফরকে ঘিরে এক তীব্র রাজনৈতিক কৌতুহল তৈরি হয়েছে। কারণ দিল্লির বাতাসে একটা গুজব ছড়িয়েছে এই যে, তরুণ বিজেপি সাংসদ বরুণ গান্ধী (Varun Gandhi) তৃণমূল কংগ্রেসে যোগ দিতে পারেন। যদিও তৃণমূলে যোগ দেওয়া নিয়ে তৃণমূল এবং গান্ধী পরিবারের এই সদস্য কেউই কোনও মন্তব্য করেননি।
উল্লেখ্য, ২৯ নভেম্বর থেকে শুরু হচ্ছে সংসদের শীতকালীন অধিবেশন। এর আগে সংসদের বর্ষাকালীন অধিবেশন পেগাসাস ইস্যুতে কার্যত অচল হয়ে গিয়েছিল। বিরোধীদের ঐক্যবদ্ধ বিক্ষোভের জেরে সংসদে কোনও কাজই হয়নি। তাই শীতকালীন অধিবেশনে সরকার ও বিরোধী পক্ষ উভয়ই সক্রিয় হয়ে উঠেছে। মোদী সরকার যেমন এই অধিবেশনে একাধিক গুরুত্বপূর্ণ বিল পাস করাতে চাইছে তেমনি বিরোধীরা বুঝে নিতে চাইছে নিজেদের অধিকার।
এরই মধ্যে প্রধানমন্ত্রী কৃষি আইন বাতিলের কথা ঘোষণা করেছেন। কৃষি আইন বাতিলের সাংবিধানিক প্রক্রিয়া শীতকালীন অধিবেশনে সংসদ সম্পন্ন হওয়ার কথা। সে দিকেও নজর থাকছে। সাধারণত মমতা সংসদের অধিবেশন শুরুর আগে বা চলাকালীন একবার হলেও দিল্লিতে আসেন। বর্ষাকালীন অধিবেশনেও মমতা দিল্লি এসে জানিয়েছিলেন, বিরোধীদের একজোট হয়ে মোদী সরকারের বিরুদ্ধে লড়াই করেতে হবে। কে নেতা হবে সে বিষয়টি ভেবে লাভ নেই। তাঁর কোনও ইগো নেই। তাই তিনি শুধু লড়াই করতে চান, নেত্রী হতে চান না।
ওই সফরে মমতা এটা বুঝিয়ে দিয়েছিলেন যে, ২০২৪ সালে মোদীকে যদি গদি থেকে সরাতে হয় তাহলে বিরোধীরা জোটবদ্ধ না হলে সেটা সম্ভব হবে না। মমতা বিরোধীদের ঐক্যবদ্ধ হওয়ার কথা বললেও দিল্লি থেকে ফিরে গিয়েই তিনি এবং তৃণমূল কংগ্রেসের সর্বভারতীয় সাধারণ সম্পাদক অভিষেক বন্দ্যোপাধ্যায় কংগ্রেসকে তীব্র ভাষায় আক্রমণ করেন। তৃণমূলের এই অবস্থান দেখে অবশ্য বিরোধীরাই ধন্দে পড়েছেন। তারা অনেকেই মনে করছেন, কংগ্রেসকে বাদ দিয়ে বিরোধী ঐক্য কখনওই সম্ভব নয় কিন্তু তৃণমূল যদি এভাবে কংগ্রেসের বিরুদ্ধে মুখ খোলে তাহলে কংগ্রেস বিরোধী জোটে আসবে কিনা তা নিয়ে যথেষ্ট সন্দেহ রয়েছে।
]]>দেড় ছরেরও বেশি সময় দেশ তীব্র করোনার আতঙ্কে ভুগছে। করোনা জনিত কারণে বহু মানুষ কাজ হারিয়েছেন। অনেকের রোজকার কমে অর্ধেক হয়েছে। মানুষের আয় কমলেও লাফিয়ে বেড়েছে সংসার প্রতি পালনের খরচ। কারণ প্রতিটি জিনিসের মূল্য আকাশছোঁয়া। এই পরিস্থিতির জন্যই দেশে অপুষ্টিতে ভোগা শিশুদের সংখ্যা অনেকটাই বেড়েছে বলে কেন্দ্র জানিয়েছে। তথ্য জানার অধিকার আইনে কেন্দ্রীয় নারী ও শিশু কল্যাণ ( women and child development ministry) মন্ত্রকের কাছে এ বিষয়ে জানতে চাওয়া হয়েছিল।
ওই প্রশ্নের উত্তরে মন্ত্রক জানিয়েছে দেশের ৩৪ টি রাজ্য ও কেন্দ্রশাসিত অঞ্চল মিলে ৩৩ লক্ষ ২৩ হাজার ৩৬২টি শিশু অপুষ্টিতে ভুগছে। এই শিশুদের মধ্যে ১৭ লক্ষ ৭৬ হাজার ৯০২টি শিশু গুরুতর অপুষ্টির শিকার। অন্যদিকে ১৫ লক্ষ ৪৬ হাজার ৪২০ টি শিশু মাঝরি মানের অপুষ্টিতে ভুগছে। করোনাজনিত এই সঙ্কটকালে শিশুদের মধ্যে অপুষ্টি আরও বাড়তে পারে বলেই কেন্দ্রের আশঙ্কা।
দেশের স্বাস্থ্য বিশেষজ্ঞরা মনে করছেন, এই পরিসংখ্যান যথেষ্টই উদ্বেগজনক। ২০২০ সালের নভেম্বর মাসের তুলনায় চলতি বছরের ১৪ অক্টোবর পর্যন্ত গুরুতর অপুষ্টির শিকার হওয়া শিশুদের সংখ্যা প্রায় ৯১ শতাংশ বেড়েছে। ২০২০-র নভেম্বর পর্যন্ত দেশে গুরুতর অপুষ্টিতে ভোগা শিশুর সংখ্যা ছিল ৯ লক্ষ ২৭ হাজার ৬০৬ জন। কিন্তু চলতি বছরের অক্টোবরের মধ্যেই সেটা ১৭ লাখ ছাড়িয়ে গিয়েছে।
‘চাইল্ড রাইটস অ্যান্ড ইউ’ নামে এক স্বেচ্ছাসেবী সংগঠনের সিইও পূজা মারওয়াহা (Puja Marwaha) বলেছেন, করোনাজনিত মহামারী আর্থ-সামাজিক দিক থেকে প্রবল আঘাত হেনেছে। যে কারণে পরিস্থিতি খারাপ থেকে খারাপতর হয়েছে। গত দেড় বছরে দেশে অপুষ্টিতে ভোগা শিশুর সংখ্যা দ্বিগুণেরও বেশি বেড়েছে। গত এক দশকে আমরা যতটা উন্নতি করতে পেরেছিলাম দেড় বছরে তার চূড়ান্ত অবনতি হয়েছে। স্কুলগুলি বন্ধ থাকায় মিড ডে মিলও পাচ্ছে না দরিদ্র শিশুরা। মিড ডে মিল বন্ধ হয়ে যাওয়ায় বহু শিশুর আরও কষ্টে পড়েছে। অশোক জৈন (Ashok Jain) নামে দিল্লির এক চিকিৎসক বলেন, অপুষ্টিজনিত কারণে শিশুদের রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতা আরও কমবে। ফলে এই সমস্ত শিশুদের মধ্যে করোনায় আক্রান্ত হওয়ার প্রবণতা আরও বাড়বে। কারণ অপুষ্টিজনিত কারণে শিশুদের মধ্যে রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতা অনেকটাই কমে যাবে।
উল্লেখ্য, গত মাসেই বিশ্ব ক্ষুধা সূচকে ভারত অনেকটাই পিছনের দিকে চলে গিয়েছে। এমনকী, ভারতের চেয়ে নেপাল, বাংলাদেশ, পাকিস্তানও অনেক উপরের দিকে ঠাঁই পেয়েছে। সে সময় অবশ্য কেন্দ্র ওই তালিকা তৈরির পদ্ধতি নিয়ে প্রশ্ন তুলেছিল। কিন্তু বিশ্ব ক্ষুধা সূচকের ওই তালিকাক্রম যে ভুল নয়, কেন্দ্রের কথায় সেটাই প্রমাণ হল। কারণ এবার কেন্দ্রীয় সরকারের এক মন্ত্রকই জানাল, দেশে অপুষ্টিজনিত শিশুর সংখ্যা বেড়েছে।
]]>পরিসংখ্যান থেকে জানা গিয়েছে, ২০১৯ সাল পর্যন্ত ১০০ দিনের কাজের একরকম চাহিদা ছিল। কিন্তু ২০২০ সালে করোনাজনিত কারণে সেই চাহিদা অনেকটাই বেড়েছে।
সাধারণত গ্রামের বহু মানুষ বিভিন্ন কলকারখানায় বা নির্মাণ ক্ষেত্রে শ্রমিকের কাজ করতেন। কিন্তু লকডাউনের ফলে লক্ষ লক্ষ পরিযায়ী শ্রমিক কাজ হারিয়ে নিজেদের গ্রামে ফিরে এসেছেন। স্বাভাবিকভাবেই গ্রামে ফিরে তাঁরা চাইছেন ১০০ দিনের কাজ।
মোদি সরকার মনে করেছিল, ২০২০-২১ অর্থবর্ষে ১০০ দিনের কাজের চাহিদা বেশি থাকলেও ২০২১-২২ অর্থবর্ষে তা কমে আসবে। সেই মতই বাজেটে অর্থ বরাদ্দ করা হয়েছিল। ২০২০-২১ অর্থবর্ষে ১০০ দিনের কাজের প্রকল্পে মোদি সরকার বরাদ্দ করেছিল এক লাখ ১১ হাজার ৫০০ কোটি টাকা। কিন্তু ২০২১-২২ অর্থবর্ষে বরাদ্দ কমিয়ে করা হয় ৭৩ হাজার কোটি টাকা। বিশেষজ্ঞরা মনে করছেন, অর্থ সঙ্কটে ভোগার কারণেই মোদি সরকার ১০০ দিনের কাজে বরাদ্দ কমিয়েছিল।
কিন্তু বাস্তব ছবিটা একেবারেই ভিন্ন। ২০২১-২২ অর্থবর্ষে ১০০ দিনের কাজের চাহিদা সামান্য কমলেও প্রত্যাশামতো কমেনি। কিন্তু সরকারের হাতে অর্থ নেই। ফলে এইসব শ্রমিকদের মজুরি মেটাতে গিয়ে প্রবল সঙ্কটে পড়েছে মোদি সরকার। ইতিমধ্যেই কেন্দ্রকে বাজেট বরাদ্দের তুলনায় আরও বেশি অর্থ দেওয়ার আশ্বাস দিতে হয়েছে।
আর্থিক বিশেষজ্ঞরা মনে করছেন, ১০০ দিনের কাজের প্রকল্প দেশের অর্থনীতিকে চাঙ্গা করে। সে কারণেই মোদি সরকার বাধ্য হয়ে ১০০ দিনের কাজের প্রকল্পে বরাদ্দ বাড়ানোর আশ্বাস দিয়েছে। এই মুহূর্তে করোনাজনিত পরিস্থিতিতে শ্রমিকরা যে চরম সঙ্কটে পড়েছেন তা থেকে বেরিয়ে আসার অন্যতম হাতিয়ার ১০০ দিনের কাজ।
]]>বাংলাদেশে সাম্প্রদায়িক হিংসা তথা অসংখ্য হিন্দু পরিবারের আক্রান্ত হওয়ার ঘটনার পর প্রায় এক সপ্তাহ কেটে গিয়েছে। এখনও বাংলাদেশের বিভিন্ন প্রান্ত থেকে ছোটখাট হিংসার ঘটনা সামনে আসছে। বিশ্বের বিভিন্ন প্রান্তে এই হিংসার প্রতিবাদ জানানো হয়েছে। বুদ্ধিজীবীরাও সরব হয়েছেন। রাষ্ট্রসংঘও এক বিবৃতিতে বাংলাদেশের ঘটনার নিন্দা করেছে। কিন্তু এই হিংসা নিয়ে কেন্দ্রের নরেন্দ্র মোদি সরকার একটি শব্দও খরচ করেনি। এমনকী, তথাকথিত হিন্দুত্ববাদী দল হিসাবে পরিচিত বিজেপির শীর্ষ নেতৃত্ব বাংলাদেশের ঘটনায় নীরব দর্শক।
পশ্চিমবঙ্গের বিজেপির নেতারা বাংলাদেশের ঘটনা নিয়ে অল্প-বিস্তর প্রতিবাদ জানালেও দলের সর্বভারতীয় স্তরের কোনও শীর্ষ নেতাকেই এ ঘটনায় মুখ খুলতে দেখা যায়নি। যা নিয়ে এবার দলের অন্দরেই কটাক্ষের শিকার হতে হল কেন্দ্রের মোদি সরকারকে। বিজেপির রাজ্যসভা সাংসদ সুব্রহ্মণ্যম স্বামী এদিন বলছেন,”বাংলাদেশে হিন্দুদের হত্যা হচ্ছে। ভেঙে দেওয়া মন্দির ও দেবতার মূর্তি। এ নিয়ে বিজেপি কেন প্রতিবাদ করছে না? মোদি সরকার কি এখন বাংলাদেশকেও ভয় পাচ্ছে? লাদাখে সীমান্ত পেরিয়ে চিন আমাদের দেশে ঢুকে পড়ছে। আফগানিস্তানে তালিবান আমাদের ভয় দেখাচ্ছে। ওদের ভয়ে আমরা জঙ্গিগোষ্ঠীর সঙ্গে আলোচনায় বসতে বাধ্য হচ্ছি। এরপর কি আমরা নেপাল, ভুটান মালদ্বীপকেও ভয় পাব?”
স্বামী এর আগেও একাধিক বিষয়ে কেন্দ্রের বিজেপি সরকারের বিরুদ্ধে মুখ খুলেছেন। মোদির আর্থিক নীতির তীব্র বিরোধী হিসাবেই চিহ্নিত স্বামী। রাজনৈতিক মহল মনে করছে, বাংলাদেশের হিংসার মতো জ্বলন্ত ইস্যুতে স্বামীর এই আক্রমণ মোদি সরকারকে নিশ্চিতভাবেই অস্বস্তিতে ফেলবে। দল হিসাবে বিজেপি যেমন বাংলাদেশের ঘটনা নিয়ে চুপ করে আছে, তেমনই মোদি সরকারও এ বিষয়ে তার অবস্থান স্পষ্ট করেনি। ভারত সরকারের কোনও শীর্ষ কর্তাকেও সেভাবে বাংলাদেশের ঘটনার নিন্দা করতে দেখা যায়নি ।
গত সপ্তাহে এক বিবৃতিতে বিদেশমন্ত্রক জানিয়েছে, “সম্প্রতি বাংলাদেশের কিছু ধর্মীয় অনুষ্ঠানে অপ্রত্যাশিত কিছু ঘটনার খবর আমরা পেয়েছি। তবে আমরা এটাও লক্ষ্য করেছি যে, বাংলাদেশ সরকার ওই ঘটনায় দ্রুত যথাযথ ব্যবস্থা নিয়ে পরিস্থিতি নিয়ন্ত্রণে এনেছে।” রাজনৈতিক মহল মনে করছে, বাংলাদেশের ঘটনা নিয়ে মোদি সরকার ধরি মাছ না ছুঁই পানি অবস্থান নিয়েছে। সে কারণেই সরকার বাংলাদেশের ঘটনায় কোনও কড়া প্রতিক্রিয়া জানায়নি।
]]>আরও পড়ুন সোমবার মাঝরাতে কৃষকদের অ্যাকাউন্টে টাকা দেবেন প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদী
রবিবার প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদী ও উত্তরপ্রদেশের মুখ্যমন্ত্রী যোগী আদিত্যনাথকে কৃষকদের শক্তি দেখাতে আয়োজন করা হয়েছিল মহাপঞ্চায়েতের। কৃষক নেতা রাকেশ তিকাইত জানান, ‘‘যদি সরকার আমাদের সমস্যা বোঝে তা হলে ভাল। না হলে দেশ জুড়ে এই ধরনের বৈঠক হবে। দেশ যাতে বিক্রি না হয়ে যায়, সে দিকে আমাদের নজর রাখতে হবে।’’
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আরও পড়ুন দিল্লির কৃষক আন্দোলন ভুয়ো, বিরোধীদের মদতপুষ্ট: দিলীপ ঘোষ
কৃষকরা সিদ্ধান্ত নিয়েছেন উত্তরপ্রদেশের বিভিন্ন জায়গায় সরকারের বিরুদ্ধে প্রতিবাদ করবেন। আগামী বছর উত্তরপ্রদেশে নির্বাচনের আগে যোগী আদিত্যনাথ ও তাঁর সরকারের বিরুদ্ধে প্রচার চালানো হবে। শুধু উত্তরপ্রদেশ নয়, গোটা দেশ জুড়ে এই রকমের প্রতিবাদের পরিকল্পনা করা হয়েছে। যেহেতু বিজেপি শুধু প্রধানমন্ত্রীর নামেই প্রচার চালায়, তাই আন্দোলনরত কৃষকরাও এ বার থেকে ওনার নামেই প্রচার চালাবে। এছাড়াও জানানো হয়েছে, আগামী ৮ সেপ্টেম্বরের মধ্যে যদি আন্দোলনকারী কৃষকদের বিরুদ্ধে দায়ের করা অভিযোগগুলি প্রত্যাহার না করা হয়, তবে বৃহত্তর আন্দোলনের পথে হাঁটবেন তাঁরা।
Lakhs of farmers have gathered in protest today, in Muzaffarnagar. They are our own flesh and blood. We need to start re-engaging with them in a respectful manner: understand their pain, their point of view and work with them in reaching common ground. pic.twitter.com/ZIgg1CGZLn
— Varun Gandhi (@varungandhi80) September 5, 2021
অন্যদিকে গত বছর থেকেই কৃষক আন্দোলনের বিরোধীতা করে আসছেন বিজেপি নেতারা। দিনকয়েক আগেই কৃষক আন্দোলন নিয়ে সরব হয়েছিলেন বিজেপির পশ্চিমবঙ্গ রাজ্য সভাপতি দিলীপ ঘোষ। তিনি বলেন কেন্দ্রের বিরুদ্ধে দিল্লির রাজপথে চলা কৃষক আন্দোলন ভুয়ো। সরাসরি অভিযোগ করলেন, এই আন্দোলন সংগঠিত নয়।, টাকা দিয়ে ভাড়া করে লোককে আনা হয়েছে। এদের শুধু মোদি বিরোধিতা করাই লক্ষ্য।
]]>নতুন খসড়া নিয়ম অনুযায়ী, মূল বেতন মোট বেতনের ৫০% বা তার বেশি হওয়া উচিত। এটি বেশিরভাগ কর্মীদের বেতন কাঠামো পরিবর্তন করবে। বেসিক বেতন বৃদ্ধির সঙ্গে সঙ্গে পিএফ এবং গ্র্যাচুয়টির জন্য কেটে নেওয়া পরিমাণ বৃদ্ধি পাবে৷
যদি এটি হয়, তাহলে কর্মীদের হাতে আসা বেতন কমে যাবে৷ তবে, অবসর নেওয়ার সময় পিএফ এবং গ্র্যাচুইটির টাকা বাড়বে। শ্রমিক ইউনিয়নের দাবি ছিল ন্যূনতম বেসিক বেতন ২১,০০০ টাকা করা উচিত৷ যাতে পিএফ এবং গ্র্যাচুয়িটিতে অর্থ কেটে নেওয়ার পরেও বেতন কমবে না।
গ্র্যাচুয়িটি এবং পিএফ-তে অবদান বৃদ্ধির সঙ্গে সঙ্গে অবসর গ্রহণের পরে প্রাপ্ত পরিমাণ বাড়বে। পিএফ এবং গ্র্যাচুয়িটি বৃদ্ধির সঙ্গে সঙ্গে সংস্থাগুলির ব্যয়ও বাড়বে। কারণ, তাদেরও কর্মচারীদের জন্য পিএফ-এ আরও অবদান রাখতে হবে। এই বিষয়গুলি কোম্পানির ব্যালেন্স শিটকেও প্রভাবিত করবে।
কেন্দ্রীয় সরকার ২০২১ সালের ১ এপ্রিল থেকে নতুন শ্রম বিধি বাস্তবায়ন করতে চেয়েছিল৷ তবে রাজ্যগুলির প্রস্তুতি না থাকায় এবং এইচআর নীতি পরিবর্তনের জন্য সংস্থাগুলিকে আরও সময় দেওয়ার কারণে তা স্থগিত করা হয়েছিল। শ্রম মন্ত্রকের মতে, সরকার ১ জুলাই থেকে শ্রমবিধির নিয়মগুলি অবহিত করতে চেয়েছিল, কিন্তু রাজ্যগুলি এই নিয়মগুলি বাস্তবায়নের জন্য আরও সময় চেয়েছিল, যার কারণে তা ১ অক্টোবর পর্যন্ত স্থগিত করা হয়েছে৷ আশাকরা হচ্ছে, উৎসব মরসুমে কেন্দ্রীয় সরকার নতুন বেতন কাঠামো চালু করতে পারবে৷
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