NASA – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Sun, 07 Jul 2024 10:01:14 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png NASA – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 मंगल ग्रह पर इंसानों को बसाने की योजना शुरू, NASA के बने घर में 378 दिन रहकर लौटे चार वैज्ञानिक https://ekolkata24.com/technology/four-scientists-returned-after-spending-378-days-in-a-house-built-by-nasa Sun, 07 Jul 2024 10:01:14 +0000 https://ekolkata24.com/?p=48783 नई दिल्ली : इंसानों को चांद पर पहुंचाने के बाद उनको अब मंगल ग्रह पर बसाने की योजना पर काम शुरू हो गया है। अगर सब कुछ सही रहा तो अगले सात साल यानि 2030 तक लाल ग्रह पर इंसानों को भेजना शुरू हो जाएगा। मंगल ग्रह पर इंसान कैसे रह पाएंगे, इसी को लेकर एक ट्रायल किया गया जिसके लिए NASA ने चार लोगों को चुना जिनमें कनाडाई जीवविज्ञानी केली हेस्टन भी शामिल थीं। अब एक साल बाद नासा के अंतरिक्ष यात्री एक अनोखा अनुभव करके वापस आ चुके हैं। नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर के उप निदेशक स्टीव कोर्नर ने कहा, ‘हम लोगों को मंगल ग्रह पर भेजने की तैयारी कर रहे हैं।’

नासा के एक अंतरिक्ष यात्री ने एक दरवाजे के पीछे से तीन बार जोर से पूछा कि क्या आप बाहर आने के लिए तैयार हैं? उनका उत्तर तब साफ सुनाई देता है, जब दरवाजा खुलता है। दरअसल, नासा के चार वैज्ञानिक एक साल तक इंसानी संपर्क से दूर रहकर वापस लौट आए हैं। उनके आते ही तालियों की गड़गड़ाहट से माहौल गूंज उठता है। बता दें, नासा मंगल ग्रह पर मानव अन्वेषण की तैयारी कर रहा है। इसी के लिए एक खास कमरा बनाया गया था। ह्यूस्टन के जॉनसन स्पेस सेंटर में एक घर तैयार किया गया था। इसमें चार लोगों के रहने की व्यवस्था है। इस घर को मंगल ग्रह के हालात जैसा बनाया गया था। एंका सेलारियू, रॉस ब्रॉकवेल, नाथन जोन्स और टीम लीडर केली हेस्टन ने इस घर में करीब 378 दिन बिताए। इस दौरान इन लोगों ने सब्जियां उगाईं। वहीं मार्सवॉक भी किया।

इस एक साल में सबसे ज्यादा इन लोगों के लिए कठिन था अपने परिवार से इतने दिन दूर रहना। यह एक तरह से ऐसा अनुभव था, जब महामारी के तरह लॉकडाउन लगा था। चारों लोग जब शनिवार को इस घर से बाहर निकले तो उनके चेहरे पर मुस्कान थी। उनके बाल थोड़े अधिक बिखरे हुए थे। मगर उनकी खुशी साफ देखी जा सकती थी। केली हेस्टन ने हंसते हुए कहा, ‘हेलो, आप लोगों से फिर हेलो करना वाकई शानदार है।’

डॉक्टर जोन्स ने कहा, ‘मैं आशा करता हूं कि आप सभी के सामने यहां खड़े होकर रोऊंगा नहीं।’ उन्होंने भीड़ में अपनी पत्नी को देखा और वैसे ही उनको रोना आ गया। क्रू हेल्थ एंड परफॉर्मेंस एक्सप्लोरेशन एनालॉग  का मार्स ड्यून अल्फा ह्यूस्टन एक 3डी प्रिंटेड 1,700 वर्ग फुट का कक्ष है। इसका उद्देश्य मंगल ग्रह की सतह पर उनके आवास का अनुकरण करना है।इसमें चार बेडरूम हैं। इसके अलावा जिम, किचन, रिसर्च सेंटर बनाया गया है। इस घर को एयरलॉक द्वारा अलग किया गया। यहां पर चारों ने मार्स वॉक की भी प्रैक्टिस की।

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सुनीता विलियम्स की वापसी पर बोले इसरो चीफ, स्पेस स्टेश लंबे सयम तक रहन के लिए सुरक्षित https://ekolkata24.com/technology/isro-chief-said-on-sunita-williams-return-space-station-is-safe-for-long-stay Sun, 30 Jun 2024 07:13:48 +0000 https://ekolkata24.com/?p=48687 नई दिल्ली : नासा यात्री सुनीता और बुच विलमोर 5 जून को स्पेस पर गए थे। उन्हें 13 जून को धरती पर लौटना था, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में खराबी के चलते अब तक चार बार उनकी वापसी टाली गई है। 

इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (ISRO) चीफ डॉ. एस सोमनाथ ने कहा है कि स्पेस स्टेशन से भारतवंशी सुनीता विलियम्स की वापसी में देरी चिंता की बात नहीं है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) लंबे समय तक लोगों के रहने के लिए एक सुरक्षित जगह है।

इसरो चीफ ने निजी चैनेल को एक इंटरव्यू में कहा कि यह सिर्फ सुनीता विलियम्स या किसी अन्य अंतरिक्ष यात्री का मामला नहीं है। स्पेस स्टेशन में फंसना या अटक जाना कोई मुद्दा नहीं है, जिस पर चर्चा होनी चाहिए। अभी वहां नौ अंतरिक्ष यात्री हैं। उनमें से सभी फंसे हुए नहीं हैं।

एस सोमनाथ ने कहा- सभी अंतरिक्ष यात्री को किसी न किसी दिन वापस आना है। पूरा मामला बोइंग स्टारलाइनर नाम के नए क्रू मॉड्यूल की टेस्टिंग, उसके स्पेस तक ​​जाने और फिर सुरक्षित वापस आने की क्षमता से जुड़ा है। ग्राउंड लॉन्च प्रोवाइडर्स के पास उन्हें धरती पर लाने के लिए पर्याप्त क्षमता हैं।

डॉ सोमनाथ ने कहा- हम सभी को सुनीता पर गर्व है। उनके नाम कई मिशन हैं। किसी नए स्पेस व्हीकल की पहली फ्लाइट में यात्रा करना साहस की बात है। वह खुद इसके डिजाइन टीम का हिस्सा रही हैं। उन्होंने अपने एक्सपिरिएंस के इनपुट का इस्तेमाल किया है।

इसरो चीफ ने कहा- हम भी एक क्रू मॉड्यूल बना रहे हैं और इसलिए मैं समझ सकता हूं कि उनके साथ किस तरह की बातचीत हुई होगी। हमारे पास अनुभव है, लेकिन सुनीता के पास हमसे कहीं अधिक अनुभव है।

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स 17 दिन से अंतरिक्ष में फंस गई हैं। सुनीता 5 जून 2024 को बोइंग स्टारलाइनर नाम के स्पेसक्राफ्ट में सवार होकर स्पेस मिशन पर गई थीं। ये अमेरिकी एयरक्राफ्ट कंपनी बोइंग और नासा का संयुक्त ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन’ है।

इसमें सुनीता, स्पेसक्राफ्ट की पायलट हैं। उनके साथ गए बुश विलमोर इस मिशन के कमांडर हैं। दोनों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में 8 दिन रुकने के बाद 13 जून को वापस पृथ्वी पर आना था, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी दिक्कतों और हीलियम गैस के रिसाव के चलते अब तक ऐसा नहीं हो पाया है।

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि असली दिक्कत का पता नहीं चल पा रहा है। अगर यही स्पेसक्राफ्ट वापसी आता है तो इसमें आग लगने की आशंका है। नासा पर भी दिक्कतों की अनदेखी का आरोप लग रहा है।

नासा ने स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी के कारण लगातार चार बार सुनीता की वापसी टाली है। पहली घोषणा 9 जून को की गई थी, जिसमें बताया गया था कि लैंडिंग को 18 जून तक आगे बढ़ाया जा रहा है। इसके बाद वापसी को बढ़ाकर 22 जून किया गया।

फिर, वापसी की तारीख 26 जून कर दी गई। 24 जून को नासा ने कहा कि दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर लौटने में और समय लग सकता है। हालांकि, इनके वापस लौटने की कोई नई तारीख नहीं बताई गई है।

NASA ने बताया कि दोनों यात्री किसी खतरे में नहीं है। जिस स्पेसक्राफ्ट में उन्हें वापस आना था उसमें हीलियम लीकेज हो रहा है। खामी दूर करने के प्रयास चल रहे हैं।

बोइंग का स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट सिर्फ 45 दिन तक स्पेस स्टेशन में रुक सकता है। स्पेसक्राफ्ट को स्टेशन में डॉक करने के बाद करीब 22 दिन हो चुके हैं। स्टारलाइनर, स्पेस स्टेशन के हार्मनी नाम के जिस मॉड्यूल से जुड़ा है उसकी फ्यूल कैपेसिटी सीमित होती है। अब स्पेसक्राफ्ट के पास सिर्फ 24 दिन का ईंधन बाकी है।

इसलिए 45 दिन के बाद स्पेसक्राफ्ट को सुरक्षित तरीके से अन-डॉक नहीं किया जा सकता। इस समय-सीमा के पूरा होने के बाद सुनीता और विलमोर को दूसरे एयरक्राफ्ट से वापस लाने की व्यवस्था करनी होगी। ऐसे में स्पेसएक्स का क्रू-ड्रैगन और रूसी स्पेसक्राफ्ट सोयूज, दोनों एस्ट्रोनॉट्स को वापस धरती पर ला सकते हैं। इन्हें इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये तय समय पर लॉन्च किए जा सकें।

सुनीता विलियम्स को अभी स्पेस स्टेशन पर और समय बिताना पड़ सकता है। नासा के अनुसार बोइंग स्टारलाइनर का मिशन अब 45 दिन से 90 दिन के लिए बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।

ऐसे में संभावना है कि सुनीता की वापसी का इंतजार और बढ़ सकता है। नासा ने फिलहाल स्टारलाइनर की वापसी की तारीख बताने से इनकार किया है।

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Delhi Pollution:পাঞ্জাব-হরিয়ানা থেকে দৈত্যের মতো এগিয়ে আসছে ধোঁয়ার কুণ্ডলী https://ekolkata24.com/uncategorized/delhi-pollution-nasa-satellite-data-shows-most-active-fire-season-in-punjab-haryana Fri, 19 Nov 2021 15:55:30 +0000 https://ekolkata24.com/?p=11776 নিউজ ডেস্ক, নয়াদিল্লি:  দিল্লির ভয়াবহ দূষণ (pollution) কমাতে গত কয়েকদিন ধরেই নানা কথাবার্তা চলছে। বিষয়টি গড়িয়েছে সুপ্রিম কোর্ট পর্যন্ত। শীর্ষ আদালতে দিল্লি (Delhi) ও কেন্দ্রীয় সরকার জানিয়েছিল মাত্রাতিরিক্ত দূষণের মূল কারণ ফসলের গোড়া পোড়ানো বা নাড়া পোড়ানো।

যদিও সুপ্রিম কোর্টের (supreme court) বেঞ্চ সহকারের ওই বক্তব্য খারিজ করে দেয়। কিন্তু শুক্রবার নাসার (NASA) উপগ্রহ চিত্রে যে ছবি দেখা গিয়েছে তা দিল্লি ও কেন্দ্রীয় সরকারের বক্তব্যকেই মান্যতা দিচ্ছে।

নাসার উপগ্রহ চিত্রে দেখা গিয়েছে, পাঞ্জাব (Punjab) ও হরিয়ানা (Haryana) থেকে নাড়া পোড়ানো বা ফসলের অবশিষ্টাংশ পোড়ানোর কালো ধোঁয়া নদীর স্রোতের মতো দিল্লির দিকে এগিয়ে আসছে। চলতি মাসের ১১ তারিখে এই ছবি ধরা পড়েছে নাসার ক্যামেরায়।

NASA satellite data shows

উপগ্রহ চিত্রে দেখা গিয়েছে, রাজধানী ও তার সংলগ্ন এলাকাগুলি ধোঁয়ায় ঢেকে রয়েছে। ওই ছবিতে যে সমস্ত জায়গায় বড় মাপের আগুন জ্বলছে সেই জায়গাগুলিকে লাল কালি দিয়ে চিহ্নিত করা হয়েছে। সেখানেই দেখা গিয়েছে, পাঞ্জাব, হরিয়ানা, এমনকী, পাকিস্তানের বেশ কিছু জায়গায় মাইলের পর মাইল জমিতে চাষিরা ফসলের গোড়া পোড়াচ্ছেন। ফসলের গোড়া পোড়ানোর কালো ধোঁয়া আগ্নেয়গিরির লাভা মতো এগিয়ে আসছে দিল্লির দিকে।

নাসার এক বিজ্ঞানী জানিয়েছেন, ফসলের গোড়া পোড়ানোর কারণে যে ভয়ঙ্কর দূষণের সৃষ্টি হয়েছে তাতে ওই একদিনই দু’কোটির বেশি মানুষ কমবেশি শারীরিক ক্ষতির মুখে পড়েছেন। ওই বিজ্ঞানীর দাবি, উপগ্রহ চিত্রে যেভাবে কালো ধোঁয়ার কুণ্ডলীকে দিল্লির দিকে এগিয়ে আসতে দেখা গিয়েছে তা অত্যন্ত উদ্বেগের বিষয়। অবিলম্বে ফসলের গোড়া পোড়ানো বন্ধ করা না গেলে দিল্লির দূষণ রোধ করা যাবে না।

উল্লেখ্য, প্রতি বছরই দেওয়ালির পর দিল্লির দূষণ মাত্রা ছাড়ায়। বাজি ফাটানোর সঙ্গে সঙ্গে নভেম্বরের শুরু থেকেই কৃষকরা ফসলের গোড়া পোড়াতে থাকেন। এই দুইয়ের যোগফলেই দিল্লির বাতাস শ্বাস নেওয়ার অযোগ্য হয়ে পড়ে। এই মুহূর্তে দিল্লির বাতাস ‘অতি খারাপ’ পর্যায়ে রয়েছে।

ভয়াবহ দূষণের হাত থেকে মানুষকে রক্ষা করতে ইতিমধ্যেই দিল্লিতে স্কুল-কলেজ বন্ধ রাখা হয়েছে। সমস্ত সরকারি-বেসরকারি অফিসে চালু করা হয়েছে ওয়ার্ক ফ্রম হোম। বন্ধ রাখা হয়েছে সব ধরনের নির্মাণকাজ ও তাপ বিদ্যুৎ উৎপাদন কেন্দ্র। সুপ্রিম কোর্ট অবশ্য এটা মেনে নিয়েছে যে, এই দূষণের অন্যতম কারণ ফসলের গোড়া পোড়ানো হলেও সেটাই একমাত্র কারণ নয়। তাছাড়া কৃষকরা যাতে এই কাজ না করেন তার জন্য সরকারকেই উদ্যোগী হতে হবে। কৃষকদের বিকল্প পথের সন্ধান দিতে হবে সরকারকেই। কিন্তু সরকার সেটা করছে না।

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Nambi Narayan: দেশের অন্যতম সেরা মহাকাশ বিজ্ঞানীর বিরুদ্ধেই উঠেছিল দেশদ্রোহিতার অভিযোগ https://ekolkata24.com/offbeat-news/nambi-narayan-the-great-scientist-faced-a-claim-of-anti-nationalist Sun, 10 Oct 2021 05:47:12 +0000 https://www.ekolkata24.com/?p=7096 বিশেষ প্রতিবেদন: দেশের অন্যতম প্রতিভাশালী বিজ্ঞানীর গবেষণায় তখন দেশ মুগ্ধ। সেই তাঁরই নামের পাশে লেগে গিয়েছিল ‘দেশদ্রোহী’ তকমা। তছনছ হয়ে গিয়েছিল কেরিয়ার।

দেশের বিরুদ্ধে চরবৃত্তির অভিযোগ উঠেছিল ইসরোর তৎকালীন বিজ্ঞানী নাম্বি নারায়ণের (Nambi Narayan) বিরুদ্ধে। জেলেও যেতে হয় তাঁকে। তাঁর বিরুদ্ধে উঠেছিল গুরুতর অভিযোগ। কী ছিল সেই অভিযোগ? ১৯৯৪ সালে মলদ্বীপের দুই অভিযুক্ত গোয়েন্দা কর্মকর্তাকে তিনি গুরুত্বপূর্ণ প্রতিরক্ষা সংক্রান্ত গোপন তথ্য পাচার করেছেন। চরবৃত্তির অভিযোগে ১৯৯৪ সালে বিজ্ঞানী নাম্বি নারায়ণকে গ্রেফতার করে কেরল পুলিশ।

the great scientist Nambi Narayan

বলা হয় নাম্বি নারায়ণ ও ইসরোর অন্য এক বিজ্ঞানী ক্রায়োজেনিক রকেট টেকনোলজির নথি শত্রু দেশের হাতে তুলে দিয়েছেন। সে সময় নাম্বি দাবি করেছিলেন রকেটের তরল জ্বালানীর প্রযুক্তি পিছিয়ে দেওয়ার জন্য চরকাণ্ড আসলে একটি আন্তর্জাতিক চক্রান্ত। কিন্তু পুলিশ তাঁর কথা শোনেনি। এর জন্যই টানা ৪৮ দিন জেলে বন্দি ছিলেন তিনি। মামলার দায়িত্ব সিবিআই নেওয়ার পর ১৯৯৬ সালে তিনি অভিযোগ থেকে মুক্ত হন। ১৯৯৮ সালে আদালত তাঁকে বেকসুর খালাস করে। কিন্ত চরবৃত্তির দাগ মেটেনি।

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শুরু হয় তাঁর আইনি লড়াই। টানা ২৪ বছর পর ২০১৮ সালে সুপ্রিম কোর্ট জানায়, নাম্বির বিরুদ্ধে চরবৃত্তির অভিযোগের কোনও ভিত্তি নেই। তাঁকে ফাঁসানো হয়েছে। পাশাপাশি সুপ্রিম কোর্ট নির্দেশ দেয় ক্ষতিপূরণ বাবদ নাম্বিকে ৫০ লাখ টাকা দিতে হবে।

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সুপ্রিম কোর্ট এও জানায়, নাম্বিকে যে ক্ষতিপূরণ দেওয়ার কথা বলা হয়েছে তা অনেক কম। তিনি নিম্ন আদালতে আবেদন করতে পারেন। সেইমতো নিম্ন আদালতে যান নাম্বি। মামলা চলার পাশপাশি কেরল সরকার নাম্বির সঙ্গে সমঝোতায় আসতে চায়। শেষপর্যন্ত সরকার তাঁর সঙ্গে আলোচনায় বসে ঠিক করে কেরল পুলিসের ওই নক্কারজনক কাজের জন্য বিজ্ঞানী নাম্বি নারায়ণকে ১.৩০ কোটি টাকা ক্ষতিপূরণ দেওয়া হবে। ক্ষতিপূরণের সেই চেক নাম্বির হাতে তুলে দেয় রাজ্য সরকার।

সেই ঘটনা নিয়ে তৈরি হচ্ছে সিনেমা। নাম রকেট্রি। মূল চরিত্রে অভিনয় করছেন আর মাধবন। গুরুত্বপূর্ণ চরিত্রে অভিনয় করছেন শাহরুখ খান।

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