Neuralink monkey test – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Sat, 14 Jun 2025 17:24:16 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png Neuralink monkey test – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 Neuralink मस्तिष्क में लाएगा ‘सुपरपावर’! मास्क की कंपनी ने बंदर के दिमाग में किया सफल प्रयोग https://ekolkata24.com/technology/neuralink-claims-success-in-monkey-brain-test-human-trials-to-unlock-superpowers-soon Sat, 14 Jun 2025 17:24:16 +0000 https://ekolkata24.com/?p=51614 विश्व प्रसिद्ध प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ और अरबपति एलन मस्क (Elon Musk) की कंपनी Neuralink एक बार फिर चर्चा में है। हाल ही में कंपनी ने ‘ब्लाइंडसाइट’ (Blindsight) नामक एक ब्रेन इम्प्लांट डिवाइस के सफल परीक्षण का दावा किया है, जिसे एक बंदर के मस्तिष्क में स्थापित कर उसे ऐसी चीजें देखने की क्षमता प्रदान करने की कोशिश की गई, जो वास्तव में मौजूद नहीं थीं। कंपनी का दावा है कि इस तकनीक के जरिए भविष्य में नेत्रहीन लोगों को दृष्टि वापस दी जा सकती है और ऐसी चीजें भी देखी जा सकती हैं, जो वास्तव में सामने नहीं हैं। यह तकनीक मानवजाति को ‘सुपरपावर’ के एक नए स्तर तक ले जा सकती है।

Neuralink का ‘ब्लाइंडसाइट’ बनाता है दृष्टि का भ्रम

Neuralink के इंजीनियर जोसेफ ओ’डोहर्टी ने हाल ही में एक कॉन्फ्रेंस में बताया कि ब्लाइंडसाइट नामक यह ब्रेन चिप बंदर के मस्तिष्क में दृष्टि से जुड़े हिस्सों को उत्तेजित करता है। शोधकर्ता मस्तिष्क में ऐसे सिग्नल भेजते हैं, जिससे वास्तव में कोई वस्तु मौजूद न होने पर भी बंदर उसे देखने का अनुभव करता है और उसका प्रतिक्रिया देता है। प्रयोगों में पाया गया कि कम से कम दो-तिहाई समय में बंदर ऐसी चीज की ओर देखता था, जो वास्तव में मौजूद नहीं थी, लेकिन मस्तिष्क में भेजे गए सिग्नलों के जरिए उसने उसका अस्तित्व ‘देखा’।

ब्रेन चिप तकनीक कैसे काम करेगी?

ब्लाइंडसाइट एक अत्याधुनिक ब्रेन इम्प्लांट डिवाइस है, जो आंखों के कार्य की नकल करता है। यह मस्तिष्क में सीधे विजुअल जानकारी भेजकर दृष्टि वापस लाने की कोशिश करता है। एलन मस्क ने इस साल की शुरुआत में स्वीकार किया था कि इस डिवाइस का कई वर्षों से बंदरों पर परीक्षण किया जा रहा है और अब मानव परीक्षण शुरू करने की तैयारी चल रही है। हालांकि, यह तकनीक अभी तक संयुक्त राज्य में मानव उपयोग के लिए स्वीकृत नहीं है। इसलिए यह अभी निश्चित नहीं है कि जानवरों पर मिले परिणाम मानव शरीर में भी उतने ही प्रभावी होंगे या नहीं।

न्यूरालिंक ने बताया कि वे भविष्य में इस चिप को एक विशेष चश्मे के साथ जोड़ने की योजना बना रहे हैं, ताकि अधिक उन्नत विजुअल डेटा प्रदर्शित करने की सुविधा मिल सके। बंदरों के मस्तिष्क में विजुअल कॉर्टेक्स मस्तिष्क की सतह के पास होने के कारण उन पर प्रयोग करना अपेक्षाकृत आसान है। लेकिन मनुष्यों में यह बहुत गहराई में होता है, इसलिए वहां चिप लगाने के लिए विशेष सर्जिकल रोबोट की आवश्यकता होगी। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह तकनीक न केवल अंधेपन की समस्या को हल कर सकती है, बल्कि भविष्य में कई जटिल न्यूरोलॉजिकल स्थितियों के इलाज में भी मदद कर सकती है।

Neuralink का ब्लाइंडसाइट चिप एक ओर जहां आश्चर्यजनक संभावनाओं के द्वार खोल रहा है, वहीं यह चिकित्सा विज्ञान में एक क्रांतिकारी बदलाव की संभावना भी पैदा कर रहा है। हालांकि यह अभी विकास के चरण में है और क्लिनिकल ट्रायल्स के दौर से गुजर रहा है, लेकिन अगर भविष्य में यह तकनीक सफल होती है, तो यह नेत्रहीन लोगों के जीवन में वास्तव में रोशनी ला सकती है – प्रौद्योगिकी के माध्यम से कल्पना की दृष्टि को वास्तविकता में बदल दिया जा सकता है।

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