SC – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Mon, 30 Sep 2024 08:04:12 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png SC – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 कोलकाता केस में आज सुप्रीम कोर्ट में बड़ी सुनवाई https://ekolkata24.com/top-story/big-hearing-in-supreme-court-today-in-kolkata-case Mon, 30 Sep 2024 08:03:52 +0000 https://ekolkata24.com/?p=49847 कोलकाता :  पश्चिम बंगाल के कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या को लेकर जूनियर डॉक्टरों ने फिर से 10 दिन बाद काम बंद करने का ऐलान कर दिया है। इस बीच कोलकाता में जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट ने आरजी कर और सागर दत्ता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल घटना के लिए न्याय की मांग को लेकर आरजी कर अस्पताल से श्यामबाजार तक मशाल रैली भी निकाली। डॉक्टरों का कहना है कि उनकी मांगों के अनुसार मुख्य सचिव की ओर से दिए गए निर्देशों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं, आज आरजीकर मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी होगी।

पश्चिम बंगाल के जूनियर डॉक्टरों ने आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद एक बार फिर काम बंद करने का ऐलान किया है. डॉक्टर्स के मुताबिक, उन्होंने काम बंद करने का फैसला कोलकाता के कॉलेज ऑफ मेडिसिन और सागर दत्ता अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद तीन डॉक्टरों पर चिकित्सकों और तीन नर्स पर हुए हमले के विरोध में किया है. ड़ाक्टरों का ये भी कहना है कि राज्य सरकार वादे के बावजूद उन्हें सुरक्षा देने में विफल रही है।

आरजी कर मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर अनिकेत महतो ने कहा, ‘हमारा आंदोलन अब तक सिर्फ एक एजेंडे पर केंद्रित रहा है और वह है रेप की पीड़िता के लिए। अस्पतालों में हमारी सुरक्षा और संरक्षा के बारे में मुख्य सचिव से मिले हुए 10 दिन हो चुके हैं, लेकिन हमारी मांगों के अनुसार मुख्य सचिव की ओर से दिए गए निर्देशों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। हमें सागर दत्ता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भी ऐसी ही एक और घटना देखने को मिली। अगर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में हमें कुछ सकारात्मक मिलता है, तो हम इस पर पुनर्विचार करेंगे, अन्यथा हम पूरी तरह से बंद की अपील करेंगे। हमने 2 अक्टूबर को एक सामूहिक रैली का आयोजन किया है।’

आरजी कर कॉलेज की डॉक्टर ने कहा, ‘विरोध प्रदर्शन की शुरुआत से ही हमारी मांगें एक जैसी हैं। पांच मांगें हैं जो अब तक पूरी नहीं हुई हैं। हमने यह सोचकर अपनी ड्यूटी जॉइन की कि हमारे मरीजों को हमारी जरूरत है, लेकिन इस दौरान सागर दत्ता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भी ऐसी ही एक और घटना घट गई। सीएम और सरकार के साथ हमारी सभी बैठकें बेकार गईं। हम बस इतना कहना चाहते हैं कि सुरक्षा नहीं तो ड्यूटी नहीं। हमारी नजर सुप्रीम कोर्ट की हर सुनवाई पर है और हमें दबाव बनाए रखना है। हमें भरोसा है कि सीजेआई ऐसा फैसला सुनाएंगे जिससे हमें न्याय मिलेगा। हम जल्द से जल्द न्याय चाहते हैं क्योंकि न्याय में देरी न्याय से वंचित होने के बराबर है।’

दरअसल, कोलकाता के आरजी कर मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा मामले की सुनवाई करेंगे. इससे पहले 17 सितंबर को मामले की सुनवाई हुई थी।

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SC में CBI ने कहा- केस की लीपापोती की कोशिश की गई https://ekolkata24.com/top-story/cbi-told-sc-an-attempt-was-made-to-cover-up-the-case Thu, 22 Aug 2024 08:12:46 +0000 https://ekolkata24.com/?p=49351 कोलकाता :  कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के डॉक्टर के साथ कथित दुष्कर्म और फिर उसकी हत्या की घटना के मामले में आज फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी।

उन्हें काम पर लौटना चाहिए। पिछली सुनवाई में शीर्ष कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार और कोलकाता पुलिस को फटकार लगाई थी। जांच एजेंसी सीबीआई और बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को स्टेटस रिपोर्ट सौंप दी है। सीबीआई ने कहा- केस की लीपापोती को कोशिश की गई।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि डॉक्टरों को काम पर लौटना पड़ेगा। डॉक्टरों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जाएगी। हम समझते हैं कि वे अपसेट हैं लेकिन आपको काम पर लौटने की जरूरत है। चीफ जस्टिस ने कहा कि डॉक्टरों को काम पर लौटना होगा। लोग उनका इंतजार कर रहे हैं। डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से स्वास्थ्य क्षेत्र प्रभावित हो रहा है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सीबीआई ने 5वें दिन जांच शुरू की, सब कुछ बदल दिया गया और जांच एजेंसी को नहीं पता था कि ऐसी कोई रिपोर्ट है। वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने एसजी की दलील का खंडन किया और कहा कि सब कुछ वीडियोग्राफी है, न कि बदला गया।

एसजी मेहता ने कहा कि शव के अंतिम संस्कार के बाद 11:45 बजे एफआईआर दर्ज की गई और पीड़िता के वरिष्ठ डॉक्टरों और सहकर्मियों के आग्रह के बाद वीडियोग्राफी की गई और इसका मतलब है कि उन्हें भी कुछ संदेह था सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सबसे अधिक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि मृत पीड़िता के अंतिम संस्कार के बाद रात पौने 12 बजे प्राथमिकी दर्ज की गई।

सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि राज्य पुलिस ने पीड़िता के माता-पिता से पहले कहा कि यह आत्महत्या का मामला है, फिर उसने कहा कि यह हत्या है।

सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पीड़िता के दोस्त ने मामले में तथ्य छुपाए जाने का संदेह जताया और वीडियोग्राफी पर जोर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने अप्राकृतिक मौत को अपने रिकॉर्ड में दर्ज करने में कोलकाता पुलिस द्वारा की गई देरी को ‘‘बेहद व्यथित करने वाली बात’’ बताया।

सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म-हत्या की घटना के बारे में पहली प्रविष्टि दर्ज करने वाले, कोलकाता पुलिस के अधिकारी को, अगली सुनवाई पर पेश होकर यह बताने का निर्देश दिया कि प्रविष्टि किस समय दर्ज की गई।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह बहुत आश्चर्यजनक है कि अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज होने से पहले मृतक का पोस्टमार्टम कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस द्वारा अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने और पोस्टमार्टम कराने में की गई कानूनी औपचारिकताओं के क्रम और समय पर सवाल उठाए।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में सीआईएसएफ के लगभग  दो  कंपनी  तैनात किया गया है।

कोर्ट के आदेश के एक दिन बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कोलकाता के सरकारी अस्पताल में सीआईएसएफ की तैनाती के लिए पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को पत्र लिखा थाष इसके बाद सीआईएसएफ की तैनाती का निर्णय लिया गया।

आईटी मंत्रालय ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से कहा कि वे जूनियर डॉक्टर का नाम, फोटो और वीडियो हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का तत्काल पालन करें, जिसकी दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी।  मंत्रालय ने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से मृतक डॉक्टर के पहचान योग्य चीजों को तुरंत हटाने के लिए कहा है।  कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई करने की बात भी मंत्रालय की ओर से कही गई है।

डॉक्टरों के एक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित नेशनल टास्क फोर्स (एनटीएफ) की सिफारिशों के लागू होने तक डॉक्टरों के लिए अंतरिम सुरक्षा की मांग को लेकर शीर्ष अदालत का रुख किया है। ‘फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन’ (एफएआईएमए) की ओर से याचिका दायर की गई है। इसमें शीर्ष अदालत के समक्ष चल रही कार्यवाही में हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया है। संगठन ने अपनी याचिका में दलील दी है कि डॉक्टरों को अक्सर हिंसा और उनकी सुरक्षा के लिए खतरे की कथित घटनाओं का सामना करना पड़ता है।

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पीरियड लीव की याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार https://ekolkata24.com/top-story/sc-refuses-to-hear-petition-on-period-leave Mon, 08 Jul 2024 08:49:42 +0000 https://ekolkata24.com/?p=48799  नई दिल्ली :  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह याचिकाकर्ता को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सचिव और एएसजी ऐश्वर्या भाटी के सामने अपनी बात रखने की छूट देते हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने सचिव से निवेदन करते हुए कहा कि वह नीतिगत स्तर पर इस मामले को देखें और सभी पक्षों से बात करके फैसला लेकर तय करें कि क्या इस मामले में एक आदर्श नीति बनाई जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को पीरियड लीव देने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। यह याचिका केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पीरियड लीव देने के लिए नीति बनाने के लिए निर्देश देने के लिए दायर की गई थी। जिस पर विचार करने से कोर्ट ने मना कर दिया है। हालांकि इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस संबंध में एक मॉडल नीति तय करने के लिए सभी हितधारकों और राज्यों के साथ बातचीत करने को कहा है।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पीरियड लीव को लेकर कहा कि यह छुट्टी महिलाओं को वर्कफोर्स का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित करती है। ऐसे में इस लीव को जरूरी बनाने से महिलाएं वर्कफोर्स से दूर हो जाएंगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि सरकारों को इस पर नीति बनाने की और बढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह मामला सरकार की नीति का पहलू है जिस पर कोर्ट को गौर नहीं करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह याचिकाकर्ता को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सचिव और एएसजी ऐश्वर्या भाटी के सामने अपनी बात रखने की छूट देते हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने सचिव से निवेदन करते हुए कहा कि वह नीतिगत स्तर पर इस मामले को देखें और सभी पक्षों से बात करके फैसला लेकर तय करें कि क्या इस मामले में एक आदर्श नीति बनाई जा सकती है।

दरअसल याचिकाकर्ता वकील शैलेंद्रमणि त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट से महिलाओं के लिए पीरियड लीव के दौरान होने वाली समस्या के चलते राज्य सरकारों को छुट्टी के लिए नियम बनाने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की थी। याचिका में मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 14 को लागू करने के निर्देश देने की गई थी. जिसके तहत छात्राओं और महिला कर्मचारियों को पीरियड लीव दिए जाने की मांग की गई थी।

याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में बताया है मातृत्व लाभ अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए निरीक्षकों की नियुक्ति भी सुनिश्चित की जाए. उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में बिहार ही एक अकेला ऐसा राज्य है जो 1992 की नीति के तहत विशेष मासिक धर्म दर्द अवकाश देता है।

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