Supreem Court – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Thu, 26 Sep 2024 11:50:51 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png Supreem Court – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 HC के जज की माफ़ी स्वीकारते हुए SC ने कहा- भारत के किसी हिस्से को पाकिस्तान नहीं कह सकते https://ekolkata24.com/top-story/accepting-the-apology-of-the-hc-judge-sc-said-no-part-of-india-can-be-called-pakistan Thu, 26 Sep 2024 11:50:51 +0000 https://ekolkata24.com/?p=49780 नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि भारत के किसी भी हिस्से को ‘पाकिस्तान’ कहना देश की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ है। अदालत इस महीने की शुरुआत में कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा था।

पांच न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने यह बात उस मामले की सुनवाई के दौरान कही, जिसमें उन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणियों के वीडियो क्लिप का स्वतः संज्ञान लिया था।

कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस वेदव्यसचार श्रीशनंदा ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए बेंगलुरु के एक मुसलमान बहुल इलाके को ‘पाकिस्तान’ कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट मांगी थी।

बुधवार को पीठ ने रिपोर्ट का अवलोकन किया जिसमें कहा गया था कि न्यायाधीश ने 21 सितंबर को सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, ’21 सितंबर, 2024 को खुली अदालत की कार्यवाही के दौरान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा मांगी गई माफी को ध्यान में रखते हुए हम न्याय और संस्था की गरिमा के हित में इन कार्यवाहियों को आगे नहीं बढ़ाएंगे।’

पीठ ने कहा, ‘रजिस्ट्रार जनरल द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट इस बात का पर्याप्त संकेत है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही के दौरान जो टिप्पणियां की गईं, वे कार्यवाही के दौरान की गई टिप्पणियों से संबंधित नहीं थीं और उन्हें टाला जाना चाहिए था। समाज के हर वर्ग के लिए न्याय की धारणा उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी कि न्याय को एक वस्तुनिष्ठ तथ्य के रूप में प्रस्तुत करना।’

ज्ञात हो कि हाल ही में सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस वेदव्यासचार श्रीशनंदा को सुनवाई के दौरान आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए दिख रहे थे। एक क्लिप में न्यायाधीश को बेंगलुरु के मुस्लिम बहुल इलाके गोरी पाल्या को ‘पाकिस्तान’ कहते हुए सुना जा सकता है, जबकि दूसरे में वह एक महिला वकील पर अनुचित टिप्पणी करते हैं।

अदालत ने कहा, ‘वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और कार्यवाही की लाइव स्ट्रीम न्याय तक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए अदालतों की एक महत्वपूर्ण आउटरीच सुविधा के रूप में उभरी है। साथ ही, न्यायिक प्रणाली में सभी हितधारकों, जिनमें न्यायाधीश, वकील और वादी, विशेष रूप से व्यक्तिगत रूप से पक्षकार शामिल हैं, को इस तथ्य के प्रति सचेत रहना होगा कि अदालत में होने वाली कार्यवाही की पहुंच केवल उन लोगों तक ही सीमित नहीं है जो शारीरिक रूप से मौजूद हैं, बल्कि अदालत के परिसर से कहीं आगे के दर्शकों तक भी इसकी महत्वपूर्ण पहुंच है।’

पीठ ने आगे कहा, ‘न्यायाधीशों के रूप में हम इस तथ्य के प्रति सचेत हैं कि प्रत्येक व्यक्ति के पास जीवन के अनुभवों के आधार पर एक निश्चित मात्रा में पूर्वाग्रह होते हैं… यह महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक न्यायाधीश को अपने स्वयं के पूर्वाग्रहों के बारे में पता होना चाहिए। न्याय करने का मूल तत्व निष्पक्ष और न्यायसंगत होना है. इस प्रक्रिया में प्रत्येक न्यायाधीश के लिए अपनी स्वयं की प्रवृत्तियों के बारे में जागरूक होना आवश्यक है, क्योंकि केवल ऐसी जागरूकता के आधार पर ही हम न्यायाधीश के उद्देश्यपूर्ण और निष्पक्ष न्याय प्रदान करने के मौलिक दायित्व के प्रति वास्तव में वफादार हो सकते हैं।’

अदालत ने कहा, ‘हम इस बात पर जोर देते हैं क्योंकि संस्था में प्रत्येक हितधारक के लिए यह समझना आवश्यक है कि न्यायिक निर्णय लेने में केवल वही मूल्य शामिल होने चाहिए जो भारत के संविधान में निहित हैं. आकस्मिक अवलोकन व्यक्तिगत पूर्वाग्रह की एक निश्चित सीमा को दर्शा सकते हैं, खासकर तब जब उन्हें किसी विशेष लिंग या समुदाय के लिए निर्देशित माना जाता है। इसलिए, न्यायालयों को न्यायिक कार्यवाही के दौरान ऐसी टिप्पणियां न करने के लिए सावधान रहना चाहिए, जिन्हें महिलाओं के प्रति द्वेषपूर्ण या हमारे समाज के किसी भी वर्ग के लिए पूर्वाग्रहपूर्ण माना जा सकता है।’

अदालत ने कहा, ‘ऐसी टिप्पणियों को नकारात्मक रूप में समझा जा सकता है, जिससे न केवल न्यायालय या उन्हें व्यक्त करने वाले न्यायाधीश पर प्रभाव पड़ता है, बल्कि व्यापक न्यायिक प्रणाली पर भी प्रभाव पड़ता है।’ पटना हाईकोर्ट की ‘विधवा को मेकअप की जरूरत नहीं’ टिप्पणी को सुप्रीम कोर्ट ने बेहद आपत्तिजनक कहा इसी दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (25 सितंबर) को कहा कि पटना हाईकोर्ट द्वारा की गई यह टिप्पणी कि विधवा को मेकअप करने की जरूरत नहीं है, ‘बेहद आपत्तिजनक’ है।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, यह टिप्पणी उस समय आई जब सुप्रीम कोर्ट संपत्ति विवाद को लेकर एक महिला के अपहरण और हत्या के मामले की सुनवाई कर रहा था। मृतक से जुड़े गवाहों ने बताया था कि घटना के समय वह एक घर में रह रही थी और बाद में पुलिस को वहां से मेकअप का सामान मिला था. हालांकि बाद में पता चला कि वह सामान घर में रहने वाली एक अन्य महिला का था।

उस समय पटना हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी कि मेकअप का सामान दूसरी महिला का नहीं हो सकता, क्योंकि वह विधवा है और उसे मेकअप करने की कोई जरूरत नहीं है। जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने पटना हाईकोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए कहा, ‘हमारे विचार में उच्च न्यायालय की टिप्पणी न केवल कानूनी रूप से अपुष्ट है, बल्कि अत्यधिक आपत्तिजनक भी है. इस तरह की व्यापक टिप्पणी कानून की अदालत से अपेक्षित संवेदनशीलता और तटस्थता के अनुरूप नहीं है, खासकर तब जब रिकॉर्ड पर मौजूद किसी भी साक्ष्य से ऐसा साबित न हो।’

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चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना या देखना अपराध- SC https://ekolkata24.com/top-story/child-pornography-is-an-offence Mon, 23 Sep 2024 06:36:21 +0000 https://ekolkata24.com/?p=49746 नई दिल्ली :  सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी को डाउनलोड करना, स्टोर करना और देखना POCSO और IT एक्ट के तहत अपराध है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पादरीवाला की बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए फैसला सुनाया।

मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कोई चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करता और देखता है, तो यह अपराध नहीं, जब तक कि नीयत इसे प्रसारित करने की न हो। जस्टिस जेबी पादरीवाला ने संसद को भी सुझाव दिया, और कहा-

चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जगह ‘चाइल्ड सेक्शुअल एक्सप्लॉइटेटिव एंड एब्यूसिव मटेरियल’ शब्द का इस्तेमाल किया जाए। केंद्र सरकार अध्यादेश लाकर बदलाव करें। अदालतें भी चाइल्ड पोर्नोग्राफी शब्द का इस्तेमाल न करें।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केरल हाईकोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट का फैसला खारिज कर दिया है। केरल हाईकोर्ट ने 13 सितंबर 2023 को कहा था कि अगर कोई व्यक्ति अश्लील फोटो या वीडियो देख रहा है तो यह अपराध नहीं है, लेकिन अगर दूसरे को दिखा रहा है तो यह गैरकानूनी होगा।

केरल हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर मद्रास हाईकोर्ट ने 11 जनवरी को चाइल्ड पोर्नोग्राफी के केस में एक आरोपी को दोषमुक्त कर दिया था। इसके बाद NGO जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस और नई दिल्ली के NGO बचपन बचाओ आंदोलन ने सुप्रीम कोर्ट में फैसलों के खिलाफ याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

केरल हाईकोर्ट के जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन की बेंच ने यह फैसला दिया था। जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने कहा था, पोर्नोग्रॉफी सदियों से प्रचलित है। आज डिजिटल युग में इस तक आसानी से पहुंच हो गई। बच्चों और बड़ों की उंगलियों पर ये मौजूद है।

सवाल यह है कि अगर कोई अपने निजी समय में दूसरों को दिखाए बगैर पोर्न देख रहा है तो यह अपराध है या नहीं? जहां तक कोर्ट की बात है, इसे अपराध की कैटेगरी में नहीं लाया जा सकता क्योंकि यह व्यक्ति की निजी पंसद हो सकती है। इसमें दखल उसकी निजता में घुसपैठ के बराबर होगा।

केरल हाईकोर्ट की इस टिप्पणी को आधार बताते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने 11 जनवरी 2024 को पॉक्सो एक्ट के एक आरोपी के खिलाफ केस को रद्द कर दिया था। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि अपनी डिवाइस पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना या डाउनलोड करना अपराध के दायरे में नहीं आता है।

कोर्ट ने 28 साल के एक व्यक्ति के खिलाफ चल रहे केस पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की थी। उस व्यक्ति के खिलाफ चाइल्ड पोर्नोग्राफी के आरोप में POCSO (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) कानून और IT कानून के तहत केस दर्ज हुआ था। कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ चल रहे केस को रद्द कर दिया था।

  • भारत में ऑनलाइन पोर्न देखना गैर-कानूनी नहीं है, लेकिन इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 में पोर्न वीडियो बनाने, पब्लिश करने और सर्कुलेट करने पर बैन है।
  • इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के सेक्शन 67 और 67A में इस तरह के अपराध करने वालों को 3 साल की जेल के साथ 5 लाख तक जुर्माना देने का भी प्रावधान है।
  • इसके अलावा IPC के सेक्शन-292, 293, 500, 506 में भी इससे जुड़े अपराध को रोकने के लिए कानूनी प्रावधान बनाए गए हैं। चाइल्ड पोर्नोग्राफी में POCSO कानून के तहत कार्रवाई होती है।
  • भारत में तेजी से बढ़ रहा है पोर्न वीडियो का बाजार 2026 तक मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वालों की संख्या 120 करोड़ होने की उम्मीद है। यही नहीं दुनिया की टॉप वेबसाइट ‘पोर्न हब’ ने बताया है कि भारतीय औसतन एक बार में पोर्न वेबसाइट पर 8 मिनट 39 सेकेंड समय गुजारता है। यही नहीं पोर्न देखने वाले 44% यूजर्स की उम्र 18 से 24 साल है, जबकि 41% यूजर्स 25 से 34 साल उम्र के हैं।

गूगल ने 2021 में रिपोर्ट जारी कर बताया है कि दुनिया में सबसे ज्यादा पोर्न देखने के मामले में भारत छठे स्थान पर है। वहीं, पोर्न हब वेबसाइट के मुताबिक इस वेबसाइट को यूज करने वालों में भारतीय तीसरे नंबर पर आते हैं।

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सर्वोच्च न्यायालय का यूट्यूब चैनल हैक, नजर आया अमेरिकी क्रिप्टोकरेंसी का ऐड https://ekolkata24.com/top-story/scs-youtube-channel-hacked-us-cryptocurrency-ad-seen Fri, 20 Sep 2024 08:08:31 +0000 https://ekolkata24.com/?p=49701 नई दिल्ली : भारत के सर्वोच्च न्यायालय यानी सुप्रीम कोर्ट के YouTube चैनल को हैक कर लिया गया और उस पर XRP को बढ़ावा देने वाले वीडियो दिखाए जाने लगे। यह अमेरिका स्थित कंपनी रिपल लैब्स द्वारा विकसित एक क्रिप्टोकरेंसी है। शीर्ष न्यायालय इस चैनल का उपयोग संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध मामलों और जनहित से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए करता है। शीर्ष अदालत ने 2018 में संविधान पीठ के समक्ष सभी मामलों की सुनवाई का सीधा प्रसारण करने का निर्णय लिया था।

जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के यूट्यूब चैनल पर अपलोड पिछली सुनवाई के वीडियो को हैकर्स ने प्राइवेट कर दिया। इसके बाद ‘ब्रैड गारलिंगहाउस: रिपल रिस्पॉन्ड्स टू द एसईसी $2 बिलियन फाइन! एक्सआरपी प्राइस प्रीडिक्शन’ शीर्षक वाला एक ब्लैंक वीडियो वर्तमान में हैक किए गए चैनल पर लाइव किया गया।

यूट्यूब चैनल शुक्रवार को ‘हैक’ हो गया और उसपर अमेरिकी कंपनी ‘रिपल लैब्स’ निर्मित ‘क्रिप्टोकरंसी’ के प्रचार वाला एक वीडियो दिखाई देने लगा। हालांकि वीडियो को खोलने पर उसपर कुछ दिखाई नहीं दिया।

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