Suprem court – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com Stay updated with Ekolkata24 for the latest Hindi news, headlines, and Khabar from Kolkata, West Bengal, India, and the world. Trusted source for comprehensive updates Tue, 17 Sep 2024 09:30:56 +0000 en-US hourly 1 https://ekolkata24.com/wp-content/uploads/2024/03/cropped-ekolkata24-32x32.png Suprem court – Ekolkata24: Latest Hindi News Updates from Kolkata – Breaking Stories and More https://ekolkata24.com 32 32 SC कोलकाता डाॅक्टर हत्याकांड मामले में अगले सप्ताह करेगा सुनवाई https://ekolkata24.com/top-story/sc-to-hear-kolkata-doctor-murder-case-next-week Tue, 17 Sep 2024 09:30:56 +0000 https://ekolkata24.com/?p=49656 नई दिल्ली:  उच्चतम न्यायालय ने कोलकाता दुष्कर्म-हत्या मामले में सुनवाई स्थगित करते हुए कहा कि वह एक सप्ताह बाद मामले पर सुनवाई करेगा।

गौरतलब है कि शीर्ष न्यायालय ने दुष्कर्म तथा हत्या की घटना के संबंध में सीबीआई द्वारा दाखिल वस्तु स्थिति रिपोर्ट पर भी गौर किया।

अदालत ने आगे कहा कि स्थिति का खुलासा करने से आगे की जांच खतरे में पड़ जाएगी। घटना से संबंधित स्वत: सज्ञान मामले में सुनवाई के सीधे प्रसारण पर रोक लगाने से इनकार करते हुए न्यायालय ने कहा कि यह जनहित का मामला है और जनता को पता होना चाहिए कि अदालत कक्ष में क्या हो रहा है।

 

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‘केजरीवाल ने ईडी मामले में जमानत के बाद CBI की कार्रवाई को ‘इंश्योरेंस गिरफ्तारी’ बताया, कोर्ट में दी दलील https://ekolkata24.com/uncategorized/%e0%a4%95%e0%a5%87%e0%a4%9c%e0%a4%b0%e0%a5%80%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b2-%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%88%e0%a4%a1%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a4%b2%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82 Thu, 05 Sep 2024 08:50:50 +0000 https://ekolkata24.com/?p=49508 नई दिल्ली :  दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। दिल्ली शराब नीति घोटाले में जेल में बंद केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ दिल्ली सीएम की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है। वहीं वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी, केजरीवाल का पक्ष रख रहे हैं।

जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि ‘सीबीआई ने आबकारी नीति मामले में जो एफआईआर दर्ज की है, उसमें केजरीवाल का नाम नहीं है। साथ ही केजरीवाल को बीते दिनों अंतरिम जमानत देते हुए भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सीएम समाज के लिए खतरा नहीं हैं।’ सिंघवी ने ये भी कहा कि दो बार सुप्रीम कोर्ट और एक बार ट्रायल कोर्ट केजरीवाल को जमानत पर रिहा करने का आदेश दे चुका है।

सिंघवी के अनुसार, एक बार सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए जमानत पर रिहा किया था और एक बार ईडी के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी केजरीवाल को जमानत मिल चुकी है। सिंघवी ने दलील दी कि केजरीवाल एक संवैधानिक पद पर हैं और समाज के लिए खतरा नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ‘सीबीआई ने दो वर्षों में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई थी, लेकिन फिर बीती 26 जून को केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया गया। केजरीवाल की गिरफ्तारी एक तरह से इंश्योरेंस गिरफ्तारी थी।’ सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की जमानत पर 23 अगस्त को सीबीआई से हलफनामा देने को कहा था। साथ ही केजरीवाल को दो दिनों के भीतर सीबीआई के हलफनामे पर जवाब देने का निर्देश दिया था।

सिंघवी की दलीलों पर सीबीआई का पक्ष रख रहे एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने केजरीवाल की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि पहली आपत्ति तो ये है कि केजरीवाल को जमानत के लिए पहले ट्रायल कोर्ट जाना चाहिए न कि सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपील करनी चाहिए। राजू ने कहा कि ऐसा लगता है कि केजरीवाल कोई खास व्यक्ति हैं, जिनके लिए अलग तरीका अपनाया जा रहा है।

अरविंद केजरीवाल ने दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं, जिन पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। एक याचिका में केजरीवाल ने सीबीआई द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है। वहीं दूसरी याचिका में केजरीवाल ने जमानत देने की अपील की है। इससे पहले 5 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल की जमानत याचिका खारिज कर दी थी और उन्हें ट्रायल कोर्ट जाने को कहा था। हाईकोर्ट ने केजरीवाल की जमानत का विरोध करते हुए सीबीआई ने दलील दी थी कि दिल्ली सीएम जमानत पर बाहर आने के बाद गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।

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अरविंद केजरीवाल को मिली अंतरिम जमानत, रहेंगे सीबीआई की कस्टडी में https://ekolkata24.com/top-story/arvind-kejriwal-gets-interim-bail Fri, 12 Jul 2024 06:14:19 +0000 https://ekolkata24.com/?p=48898 नई दिल्ली :  दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बेंच को भेज दिया है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाया। 17 मई को केजरीवाल की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।

ईडी मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल ने 90 दिनों से ज्यादा वक्त जेल में गुजारा है। कोर्ट ने अंतरिम जमानत देते हुए कहा कि केजरीवाल निर्वाचित नेता हैं और यह उन्हें तय करना है कि क्या वह दिल्ली के मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं।

अरविंद केजरीवाल फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे। फिलहाल वह सीबीआई की कस्टडी में हैं। उनको जमानत ईडी केस में मिली है। ऐसे में अभी वह जेल में ही रहेंगे। दिल्ली सीएम के वकील विवेक जैन ने जानकारी दी कि सीबीआई मामले में 18 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई है। मामले में फैसला आने के बाद ही पता चल सकेगा कि केजरीवाल जेल से बाहर आएंगे या नहीं?

सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर ईडी से जवाब मांगा था। आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक ने दिल्ली हाई कोर्ट के नौ अप्रैल के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए कहा था कि इसमें कोई अवैधता नहीं है। जांच में उनके शामिल होने से बार-बार इनकार करने के बाद ईडी के पास कोई विकल्प नहीं बचा था. उनको ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था।

ॉएक निचली अदालत ने एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर मामले में अरविंद केजरीवाल को 20 जून को जमानत दी थी। इसके बाद ईडी ने अगले दिन दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था। दलील दी गई थी कि केजरीवाल को जमानत देने का निचली अदालत का आदेश एकतरफा और गलत था। केजरीवाल को कथित शराब नीति घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में 26 जून को सीबीआई ने भी गिरफ्तार किया था।

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NEET-UG 2024 मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली, 18 जुलाई को सुनवाई https://ekolkata24.com/top-story/hearing-in-neet-ug-2024-case-deferred-in-supreme-court Thu, 11 Jul 2024 09:17:43 +0000 https://ekolkata24.com/?p=48884 नई दिल्ली :  नीट-यूजी मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई टल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह गुरुवार 18 जुलाई को NEET-UG मामले की सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मामले के कुछ पक्षकारों को केंद्र और एनटीए द्वारा दायर हलफनामे नहीं मिले हैं और उन्हें बहस से पहले अपने जवाब तैयार करने की जरूरत है।

केंद्र सरकार, सीबीआई और एनटीए ने नीट-यूजी मामले में हलफनामा दााखिल कर दिया है। केंद्र सरकार की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया कि नीट-यूजी 2024 के नतीजों का डेटा एनालिसिस भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान  मद्रास ने किया और विशेषज्ञों के निष्कर्षों के अनुसार अंक वितरण में अनियमितता के संकेत नहीं मिले।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अतिरिक्त हलफनामे में कहा कि 2024-25 के लिए स्नातक सीटों के वास्ते काउंसिलिंग की प्रक्रिया जुलाई के तीसरे सप्ताह से शुरू हो रहे चार चरणों में की जाएगी। जबकि एनटीए ने अपने हलफनामे में बड़े पैमाने पर कदाचार से इनकार कर दिया है. एनटीए ने कोर्ट को प्रश्न पत्रों की गोपनीय छपाई, उसे लाने-ले जाने और वितरण के लिए स्थापित व्यवस्था की भी जानकारियां दी।

सुप्रीम कोर्ट ने 8 जुलाई को नीट-यूजी मामले में सुनवाई की थी। जिसमें कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि यदि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 की शुचिता ‘नष्ट’ हो गई है तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा. कोर्ट ने एनटीए और केंद्र सरकार से कई सवाल पूछे और उसकी जानकारी मांगी।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि यदि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 की शुचिता ‘नष्ट’ हो गई है और यदि इसके लीक प्रश्नपत्र को सोशल मीडिया के जरिये प्रसारित किया गया है तो दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देना होगा. कोर्ट ने कहा था कि यदि प्रश्नपत्र लीक टेलीग्राम, व्हाट्सऐप और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से हो रहा है, तो यह जंगल में आग की तरह फैलेगा. पीठ ने कहा था कि यदि परीक्षा की शुचिता नष्ट हो जाती है, तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा. यदि हम दोषियों की पहचान करने में असमर्थ हैं, तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा. पीठ ने कहा, जो हुआ, हमें उसे नकारना नहीं चाहिए.

नीट-यूजी 2024 में कुल 67 छात्रों ने 720 अंक प्राप्त किए, जो राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) के इतिहास में पहली बार हुआ. इस सूची में हरियाणा के एक केंद्र के छह छात्र शामिल हैं, जहां परीक्षा में अनियमितताओं को लेकर संदेह उत्पन्न हुआ. यह आरोप लगाया गया है कि ग्रेस मार्क्स के चलते 67 छात्रों को टॉप रैंक प्राप्त करने में मदद मिली.

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पीरियड लीव की याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार https://ekolkata24.com/top-story/sc-refuses-to-hear-petition-on-period-leave Mon, 08 Jul 2024 08:49:42 +0000 https://ekolkata24.com/?p=48799  नई दिल्ली :  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह याचिकाकर्ता को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सचिव और एएसजी ऐश्वर्या भाटी के सामने अपनी बात रखने की छूट देते हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने सचिव से निवेदन करते हुए कहा कि वह नीतिगत स्तर पर इस मामले को देखें और सभी पक्षों से बात करके फैसला लेकर तय करें कि क्या इस मामले में एक आदर्श नीति बनाई जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को पीरियड लीव देने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। यह याचिका केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पीरियड लीव देने के लिए नीति बनाने के लिए निर्देश देने के लिए दायर की गई थी। जिस पर विचार करने से कोर्ट ने मना कर दिया है। हालांकि इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस संबंध में एक मॉडल नीति तय करने के लिए सभी हितधारकों और राज्यों के साथ बातचीत करने को कहा है।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पीरियड लीव को लेकर कहा कि यह छुट्टी महिलाओं को वर्कफोर्स का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित करती है। ऐसे में इस लीव को जरूरी बनाने से महिलाएं वर्कफोर्स से दूर हो जाएंगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि सरकारों को इस पर नीति बनाने की और बढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह मामला सरकार की नीति का पहलू है जिस पर कोर्ट को गौर नहीं करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह याचिकाकर्ता को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सचिव और एएसजी ऐश्वर्या भाटी के सामने अपनी बात रखने की छूट देते हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने सचिव से निवेदन करते हुए कहा कि वह नीतिगत स्तर पर इस मामले को देखें और सभी पक्षों से बात करके फैसला लेकर तय करें कि क्या इस मामले में एक आदर्श नीति बनाई जा सकती है।

दरअसल याचिकाकर्ता वकील शैलेंद्रमणि त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट से महिलाओं के लिए पीरियड लीव के दौरान होने वाली समस्या के चलते राज्य सरकारों को छुट्टी के लिए नियम बनाने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की थी। याचिका में मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 14 को लागू करने के निर्देश देने की गई थी. जिसके तहत छात्राओं और महिला कर्मचारियों को पीरियड लीव दिए जाने की मांग की गई थी।

याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में बताया है मातृत्व लाभ अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए निरीक्षकों की नियुक्ति भी सुनिश्चित की जाए. उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में बिहार ही एक अकेला ऐसा राज्य है जो 1992 की नीति के तहत विशेष मासिक धर्म दर्द अवकाश देता है।

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दिल्ली को मिलेगी राहत https://ekolkata24.com/uncategorized/delhi-will-get-relief-from-the-decision-of-the-supreme-court Thu, 06 Jun 2024 07:32:49 +0000 https://ekolkata24.com/?p=48003 नई दिल्ली :  दिल्ली जल संकट पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश को 137 क्यूसेक अतिरिक्त जल छोड़ने का निर्देश दिया और कहा कि हिमाचल प्रदेश द्वारा छोड़े गए अतिरिक्त पानी के प्रवाह को हरियाणा सुगम बनाने का काम करे।

दिल्ली जल संकट पर सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार को पानी की बर्बादी नहीं करनी चाहिए। कोर्ट की ओर से हिमाचल प्रदेश को सात जून को अतिरिक्त जल छोड़ने का निर्देश दिया गया है, साथ ही उसे हरियाणा को पहले इसकी जानकारी देनी होगी।

न्यायमूर्ति पी के मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की अवकाशकालीन पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार को कोई आपत्ति नहीं है और वह उसके पास उपलब्ध अतिरिक्त जल छोड़ने को तैयार है।
पीठ की ओर से निर्देश दिया गया कि हिमाचल प्रदेश द्वारा छोड़े गए अतिरिक्त जल के प्रवाह को हरियाणा सुगम बनाए रखने में मदद करे ताकि जल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक पहुंच सके।

पीठ की ओर से निर्देश दिया गया कि हिमाचल प्रदेश द्वारा छोड़े गए अतिरिक्त जल के प्रवाह को हरियाणा सुगम बनाए रखने में मदद करे ताकि जल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक पहुंच सके। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 जून की तारीख तय की है।

बता दें कि शीर्ष अदालत दिल्ली सरकार द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में हरियाणा को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह हिमाचल प्रदेश द्वारा राष्ट्रीय राजधानी को उपलब्ध कराया जाने वाला अतिरिक्त जल छोड़े ताकि राजधानी में जारी जल संकट को कम किया जा सके।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में केंद्र, बीजेपी शासित हरियाणा और कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश को पक्षकार बनाने का काम किया गया था, साथ ही कहा गया है कि जीवित रहने के लिए पानी जरूरी है और यह बुनियादी मानवाधिकारों में से एक है।

 

 

 

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Delhi Liquor Policy Case: 18 दिन और हाई कोर्ट के झटके के बाद अरविंद केजरीवाल फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे https://ekolkata24.com/uncategorized/delhi-liquor-policy-case-arvind-kejriwal-moves-supreme-court-against-his-arrest-in-liquor-policy-case-after-high-court-setback Wed, 10 Apr 2024 05:04:17 +0000 https://ekolkata24.com/?p=47187 दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा शराब नीति मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करने के एक दिन बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। आम आदमी पार्टी (आप) नेता के वकील ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष मामला उठाया और तत्काल सुनवाई की मांग की। मुख्य न्यायाधीश ने यह बताने से इनकार कर दिया कि क्या आज सुनवाई की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने कहा, ”हम देखेंगे, हम इस पर गौर करेंगे।”
उच्च न्यायालय ने कल प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा 21 मार्च को की गई गिरफ्तारी के खिलाफ श्री केजरीवाल की चुनौती को खारिज कर दिया। अदालत ने माना कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में AAP नेता द्वारा कई समन जारी नहीं किए जाने के बाद केंद्रीय एजेंसी के पास “बहुत कम विकल्प” बचे थे। इसने ईडी के इस आरोप की ओर भी इशारा किया कि श्री केजरीवाल अपराध की कथित आय के उपयोग और छिपाने में सक्रिय रूप से शामिल थे।

अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि एक जांच एजेंसी के लिए एक आम आदमी और एक मुख्यमंत्री से पूछताछ के लिए कोई अलग प्रोटोकॉल नहीं है।
“इसके अलावा, इस न्यायालय का मानना है कि यह न्यायालय कानूनों की दो अलग-अलग श्रेणियां नहीं बनाएगा, एक आम नागरिकों के लिए, और दूसरा जांच एजेंसी द्वारा मुख्यमंत्री या सत्ता में किसी अन्य व्यक्ति को केवल आधार पर विशेष विशेषाधिकार प्रदान करना। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने अपने बयान में कहा, चूंकि उस सार्वजनिक पद का आनंद जनता के जनादेश के कारण उस सार्वजनिक व्यक्ति द्वारा उठाया जाता है।

उच्च न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए आप नेता और दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ईडी और सीबीआई को दिल्ली शराब नीति मामले में अपनी तलाशी के दौरान एक रुपया भी नहीं मिला। उन्होंने कहा, “वे करोड़ों की बात कर रहे हैं। लेकिन ईडी और सीबीआई को एक रुपया भी अवैध धन नहीं मिला है। गवाहों पर अपने बयान बदलने और वही कहने के लिए दबाव डाला गया है जो ईडी उनसे कहना चाहती है।” उन्होंने कहा, “यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग का नहीं है। यह भारत के इतिहास की सबसे बड़ी राजनीतिक साजिश है।”

श्री भारद्वाज ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय ने इसी आधार पर आप सांसद संजय सिंह को राहत देने से इनकार कर दिया था, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी। उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि अरविंद केजरीवाल को भी सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलेगा।”
इससे पहले, श्री केजरीवाल ने गिरफ्तार होने के एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन बाद में इस मामले को ट्रायल कोर्ट में उठाने की अपनी याचिका वापस ले ली थी। यह वही दिन था जिस दिन सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने शराब नीति मामले में आरोपी भारत राष्ट्र समिति नेता के कविता को राहत देने से इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने तब कहा था कि वह प्रोटोकॉल को दरकिनार नहीं कर सकती और सुश्री कविता को ट्रायल कोर्ट से संपर्क करने के लिए कहा था।

अठारह दिन और अदालती झटके के बाद, श्री केजरीवाल राहत के लिए उच्चतम न्यायालय में वापस आये हैं।

आरोप है कि दिल्ली सरकार की शराब नीति, 2021 में पेश की गई और अगले साल वापस ले ली गई, जिसमें शराब लाइसेंसधारियों को लाभ दिया गया। उपराज्यपाल वीके सक्सेना की सिफारिश के बाद, सीबीआई ने अनियमितताओं के आरोपों की जांच शुरू की। ईडी इस मामले में मनी ट्रेल की जांच कर रही है। इस मामले में श्री केजरीवाल के अलावा पूर्व उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ आप नेता मनीष सिसौदिया भी जेल में हैं। इसी मामले में गिरफ्तार किये गये आप सांसद संजय सिंह जमानत पर बाहर हैं.

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