Read Bengali: প্যারেড গ্রাউন্ড রক্ষায় পরিবেশ আদালতে স্বেচ্ছাসেবী সংগঠন যাচ্ছে
पिछले 29 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलीपुरद्वार के पैरेड ग्राउंड में एक जनसभा को संबोधित किया था। इस जनसभा के बाद एक सप्ताह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन मैदान की स्थिति अब भी खराब है। लगातार बारिश के कारण मैदान के कई हिस्सों में पानी जमा हो गया है। इसके अलावा, जनसभा के लिए बनाए गए पेवर ब्लॉक की सड़कें, कंक्रीट के ढांचे और अन्य अस्थायी निर्माण अब तक हटाए नहीं गए हैं। इन परिस्थितियों ने मैदान की हरियाली पर गंभीर प्रभाव डाला है। स्थानीय निवासी और स्वयंसेवी संगठन इस नुकसान के लिए प्रशासन पर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
अलीपुरद्वार के विधायक सुमन कांजिलाल ने इस मुद्दे पर कहा, “पैरेड ग्राउंड हमारे लिए एक भावनात्मक स्थान है। यह मैदान सिर्फ एक खुली जगह नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति और विरासत का हिस्सा है। हम चाहते हैं कि यह मैदान अपनी पुरानी हरियाली वापस पाए। भविष्य में इस मैदान को और नुकसान न हो, इसके लिए विभिन्न स्वयंसेवी संगठन और आम लोग पर्यावरण न्यायालय का रुख कर सकते हैं।” उन्होंने आगे बताया कि मैदान की हरियाली को बहाल करने के लिए पुनर्वनीकरण की पहल की जाएगी और इस संबंध में प्रशासन के साथ चर्चा चल रही है।
वहीं, बीजेपी नेतृत्व का दावा है कि टीएमसी इस मुद्दे को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है। एक बीजेपी नेता ने कहा, “तृणमूल कांग्रेस पैरेड ग्राउंड के मुद्दे पर गंदी राजनीति कर रही है, सिर्फ अपनी राजनीतिक मौजूदगी दिखाने के लिए। कोई भी इस मैदान को नुकसान नहीं चाहता, लेकिन इसे राजनीतिक लाभ के लिए हथियार बनाना गलत है।” उन्होंने यह भी बताया कि प्रशासन मैदान को बहाल करने के लिए काम शुरू कर चुका है और जल्द ही इसे पुरानी स्थिति में लाया जाएगा।
स्थानीय स्वयंसेवी संगठन, जो लंबे समय से पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं, ने बताया कि पैरेड ग्राउंड की हरियाली को हुए नुकसान का स्थानीय पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। एक संगठन के प्रतिनिधि ने कहा, “यह मैदान सिर्फ खेलकूद या जनसभाओं के लिए नहीं है, बल्कि यह स्थानीय जैव विविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जनसभा के लिए किए गए निर्माण कार्यों ने मैदान की मिट्टी और पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाया है। हम इस मुद्दे को पर्यावरण न्यायालय में ले जाने की सोच रहे हैं।”
अलीपुरद्वार जिला, जो 2014 में जलपाईगुड़ी से अलग होकर बना था, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और वन संपदा के लिए जाना जाता है। पैरेड ग्राउंड इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण स्थल है, जो न केवल स्थानीय लोगों बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। हालांकि, जनसभा के बाद मैदान की मौजूदा स्थिति ने स्थानीय लोगों में रोष पैदा किया है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “यह मैदान हमारा गर्व है। इसे इस हालत में देखकर हम दुखी हैं। प्रशासन को तुरंत कदम उठाकर मैदान को बहाल करना चाहिए।”
पर्यावरण न्यायालय की भूमिका इस मामले में महत्वपूर्ण हो सकती है। हाल ही में, पर्यावरण संरक्षण कानून में संशोधन की मांग करते हुए कई संगठनों और विशेषज्ञों ने नागरिकों को सीधे मुकदमा दायर करने का अधिकार देने की वकालत की है। इस संदर्भ में, पैरेड ग्राउंड के नुकसान का मुद्दा यदि पर्यावरण न्यायालय में पहुंचता है, तो यह एक मिसाल कायम कर सकता है।
पैरेड ग्राउंड की मौजूदा स्थिति ने अलीपुरद्वार के स्थानीय निवासियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं में गहरी चिंता पैदा की है। स्वयंसेवी संगठनों का पर्यावरण न्यायालय का रुख करने का फैसला और राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है। आने वाले दिनों में प्रशासन इस स्थिति को कैसे संभालता है और मैदान की हरियाली को बहाल करने के लिए क्या कदम उठाता है, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं।
]]>गुरुवार को बर्दवान के संस्कृति लोकमंच में राज्य के दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और पूर्व सीपीआईएम महासचिव सीताराम येचुरी की स्मृति सभा में सूर्यकांत मिश्रा उपस्थित थे। सभा के बाद पत्रकारों से बातचीत में मिश्रा ने कहा, “बीजेपी धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह कर रही है। उनका असली उद्देश्य समाज को विभाजित करना है। अगर हम आंदोलन करेंगे, तो यह शांति के लिए होगा। हमारा लक्ष्य राज्य और पड़ोसी देश में शांति बनाए रखना है।”
टीएमसी पर निशाना
बांग्लादेश के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस नेता अभिषेक बनर्जी की टिप्पणी को लेकर भी सूर्यकांत ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “तृणमूल का कोई सिद्धांत नहीं है। सत्ता में बने रहने के लिए वे आरएसएस का साथ देते हैं। जब आरएसएस प्रमुख बंगाल आते हैं, तो टीएमसी उन्हें खुश करने में लग जाती है। तृणमूल की यह दोहरी नीति जनता के सामने लानी चाहिए।”
बीजेपी पर गंभीर आरोप
सूर्यकांत मिश्रा ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा, “राजनीतिक फायदे के लिए बीजेपी बांग्लादेश की समस्याओं को पश्चिम बंगाल में लाने की कोशिश कर रही है। ये एक सोची-समझी साजिश है, लेकिन सीपीआईएम इसे सफल नहीं होने देगी।”
शांति और एकता का संदेश
स्मृति सभा में बोलते हुए सूर्यकांत ने कहा, “बुद्धदेव भट्टाचार्य और सीताराम येचुरी के आदर्शों पर चलते हुए हमें समाज में एकता और शांति को बढ़ावा देना होगा।”
सीपीआईएम नेताओं का मानना है कि साम्प्रदायिकता और समाज में विभाजन के खिलाफ सभी राजनीतिक दलों को जिम्मेदारी से काम करना चाहिए। हालांकि, बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस की राजनीति इस दिशा में सकारात्मक नहीं दिख रही है।
]]>उत्तर बंगाल के रायगंज से लौटने के बाद गुरुवार की सुबह सीबीआई (एजेंसी) के कार्यालय पहुंचीं। मीनाक्षी मुखर्जी ने कहा, मैं हर तरह से सीबीआई अधिकारियों के साथ सहयोग करुंगी। महिला चिकित्सक का शव अस्पताल के सेमिनार हॉल से बरामद होने के कुछ घंटे बाद मुखर्जी ने नौ अगस्त को पीड़िता के माता-पिता से मुलाकात की थी।
माकपा कई बार यह दावा कर चुकी है कि वामपंथी युवा नेता के प्रयासों के चलते ही चिकित्सक के शव के शीघ्र अंतिम संस्कार का विरोध किया गया। उसी रात मीनाक्षी मुखर्जी को आर.जी.कर अस्पताल से पीड़ित महिला चिकित्सक का शव ले जा रहे पुलिस के शव वाहन का रास्ता रोकते हुए देखा गया था।
]]>ई-मेल में कहा गया है है कि,9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि जूनियर डॉक्टर 10 सितंबर से शाम 5 बजे तक काम पर लौट आएं। नागरिक होने के नाते सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करना हमारा कर्तव्य है। ऐसे में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से आप लोगों की मुलाकात कराने का यह हमारा पांचवां और आखिरी प्रयास है। आपके पहले दिन के बयान के अनुसार, इस बैठक की कोई वीडियोग्राफी या सीधा प्रसारण नहीं होगा, क्योंकि मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है। बैठक के विस्तृत विवरण पर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर होंगे।
आरजी कर मामले को लेकर आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों एवं मुख्यमंत्री के बीच शनिवार को होनेवाली वार्ता रद्द हो गयी थी। जूनियर डॉक्टरों ने पहले बैठक का लाइव प्रसारण करने की शर्त रखी थी, जिसे सरकार ने मानने से इंकार कर दिया। बाद में वे बिना लाइव प्रसारण व वीडियो रिकॉर्डिंग के भी बैठक के लिए तैयार हो गये। लेकिन आखिर में स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने उन्हें यह कह कर लौटा दिया है कि अब रात अधिक हो गयी है, बैठक नहीं हो सकती। सरकार के इस रवैये पर जूनियर डॉक्टरों ने अपना गुस्सा भी जाहिर किया था।
]]>सुकन्या के मामा के मुताबिक यदि केष्टो होते, तो ऐसा नहीं होता। हालांकि पशु तस्करी के मामले में अनुब्रत की बेटी सुकन्या को मंगलवार को सशर्त जमानत मिल गयी। बुधवार को जेल से सुकन्या रिहा हो सकती है. जेल से रिहाई के बावजूद सुकन्या का जीवन सामान्य नहीं होगा। उसे अदालत की कई शर्तें माननी होंगी।
ध्यान रहे कि अप्रैल 2023 में प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने पशु तस्करी के धनशोधन पहलू की जांच के तहत सुकन्या मंडल को गिरफ्तार किया था। करीब डेढ़ साल की गिरफ्तारी के बाद आखिर सुकन्या को दिल्ली हाइकोर्ट की जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने सशर्त जमानत मंजूर कर ली। कई शर्तें लगायी गयी हैं। किसी भी शर्त की अनदेखी पर कड़ी सजा का प्रावधान है। कोर्ट ने सुकन्या को 10 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी।
शर्तों में है कि जब भी मामले की सुनवाई हो, तो सुकन्या को अदालत में पेश होना पड़ेगा। वह जो मोबाइल फोन इस्तेमाल करती हैं, वो जांच अधिकारियों को दिया जाये। मोबाइल फोन कभी बंद नहीं रह सकता। कॉल करके सुनिश्चित करें कि वह उपलब्ध हैं। सुकन्या को विदेश जाने के लिए अदालत की अनुमति लेनी जरूरी होगी। निचली अदालत की सहमति के बिना वह देश से बाहर नहीं जा सकतीं। वह दिल्ली में जहां रह रही हैं, उसका पता जांच अधिकारियों को दिया जाये, ताकि किसी भी वक्त उन्हें ढूंढा जा सके। सुकन्या मामले में किसी भी गवाह से संपर्क या ऐसा करने का प्रयास नहीं कर सकतीं।
मालूम रहे कि अनुब्रत मंडल की गिरफ्तारी के बाद सीबीआइ ने दावा किया था कि उनकी बेटी सुकन्या के पास अकूत संपत्ति का पूरा ब्योरा मिला है। इसलिए सुकन्या से भी पूछताछ जरूरी है। पर सुकन्या को सीबीआइ ने नहीं, बल्कि इडी ने गिरफ्तार किया है। तब से वह तिहाड़ जेल में थीं।
सुकन्या शुरू से ही दावा करती रही है कि जो जानकारी उससे मांगी गयी थी, वो उसके पास नहीं थी। आरोपी पिता-पुत्री को आमने-सामने बैठा कर पूछताछ की गयी थी। मगर जांच अधिकारियों को कोई बड़ी जानकारी नहीं मिली। इस बीच, सुकन्या की तिहाड़ जेल से रिहाई की खबर से बोलपुर में तृणमूल नेताओं और मंडल परिवार व करीबियों में उत्साह देखा जा रहा है।
]]>मार्च के दौरान कोलकाता के विभिन्न क्षेत्रों में कुछ अवांछित घटनाएं भी सामने आईं, जिसमें पुलिस ने महिलाओं से दुर्व्यवहार के आरोप में दो लोगों को हिरासत में लिया। इस रैली में समाज के हर वर्ग की महिलाएं, अभिनेता, छात्र, पेशेवर और गृहणियां शामिल हुईं। रैली में राजनीतिक झंडे नहीं दिखे, बल्कि प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय ध्वज लहराते हुए न्याय की मांग की।
कोलकाता के सियालदह स्टेशन पर रैली के दौरान कुछ महिलाओं द्वारा किए गए शंखनाद ने प्रदर्शन को एक नया जोश दिया। पैदल यात्री भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए, जिससे स्टेशन पर अनोखा और भावुक दृश्य उत्पन्न हुआ।
यह आंदोलन बरहामपुर, चिनसुराह, शांतिनिकेतन, कृष्णानगर, बर्धमान, सिलीगुड़ी, बारासात, बैरकपुर, राजारहाट-न्यूटाउन, कूचबिहार, माथाभांगा और जलपाईगुड़ी जैसे शहरों में भी देखने को मिला, जहाँ लोग एकजुट होकर पीड़िता के लिए न्याय की मांग कर रहे थे।
कोलकाता के यादवपुर में 8बी बस स्टैंड पर एक महिला से छेड़छाड़ के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया , जो शराब के नशे में था। वहीं, गरिया में एक अन्य घटना के दौरान महिलाओं से दुर्व्यवहार के आरोप में एक युवक को पकड़ा गया।
कूचबिहार जिले के माथाभंगा शहर में माकपा के शाखा सचिव प्रद्युत साहा पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सदस्यों द्वारा कथित तौर पर हमला किया गया। माकपा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जबकि टीएमसी ने किसी भी संलिप्तता से इनकार किया है।
श्यामबाजार में प्रदर्शन स्थल पर पहुंचने के बाद अभिनेत्री ऋतुपर्णा सेनगुप्ता को प्रदर्शनकारियों के एक समूह के विरोध का सामना करना पड़ा। स्थिति बिगड़ने पर उन्हें पुलिस सुरक्षा के तहत वहां से ले जाया गया। इस प्रदर्शन ने न केवल न्याय की मांग को और बल दिया बल्कि राज्यभर में महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाने का नया संदेश दिया।
]]>रिपुन बोरा ने अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी को दो पन्नों का पत्र लिखकर इस्तीफा दिया। बोरा ने अपने त्यागपत्र में कहा कि असम टीएमसी में काफी संभावनाएं हैं, लेकिन कई बार-बार आने वाले मुद्दों ने हमारी प्रगति में बाधा डाली है, जिसमें टीएमसी को पश्चिम बंगाल की क्षेत्रीय पार्टी के रूप में माना जाना भी शामिल है।
पूर्व राज्यसभा सदस्य बोरा ने कहा कि उन्होंने पार्टी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को असम में टीएमसी को स्वीकार्य बनाने के लिए कई सुझाव दिए थे, लेकिन उन पर कार्यान्वयन नहीं किया गया।
उन्होंने दावा किया कि उन्होंने टीएमसी के राष्ट्रीय स्तर पर एक असमिया नेता की आवश्यकता, कोलकाता के टॉलीगंज में भारत रत्न डॉ. भूपेन हजारिका के आवास को एक विरासत स्थल घोषित करने और कूचबिहार में मधुपुर सत्र को एक सांस्कृतिक केंद्र में परिवर्तित करने का सुझाव दिया था, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ।
पूर्व असम मंत्री बोरा ने कहा कि पिछले डेढ़ साल में इन चिंताओं को दूर करने के लिए आपसे और हमारी प्रमुख ममता दीदी के साथ एक बैठक करने के मेरे बार-बार प्रयासों के बावजूद, मैं असफल रहा हूं।
बोरा ने कहा कि उन्होंने दो साल से अधिक समय तक असम टीएमसी के राज्य अध्यक्ष के रूप में काम किया है और इस अवधि के दौरान, उन्होंने राज्य भर के लोगों के साथ व्यापक रूप से बातचीत की।
]]>उन्होंने मांग रखी कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस पर चर्चा करें. लेकिन मुख्यमंत्री उस दिन विधानसभा में नहीं थी ऐसे में इस विषय पर राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने जवाब दिया।
हालांकि चंद्रिमा भट्टाचार्य के जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर बीजेपी विधायक वॉकआउट कर गये। इसके बाद वे विधानसभा के हॉल में ही वे धरना देने लगे।
]]>दरअसल भाजपा ने 2021 विधानसभा चुनाव में राणाघाट दक्षिण, बगदाह और रायगंज सीट जीती थी। भाजपा के इन तीनों सीटों को जीतने के बावजूद विधायक बाद में तृणमूल में शामिल हो गए थे। रायगंज से कृष्णा कल्याणी, बगदाह से बिस्वजीत दास और राणाघाट दक्षिण से मुकुट मणि अधिकारी ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी-अपनी सीट छोड़ दी थी।
जिसके बाद इन सीट पर उपचुनाव आवश्यक हो गया था। वहीं तृणमूल ने 2021 में मानिकतला सीट जीती थी। लेकिन राज्य के पूर्व मंत्री सादन पांडे का फरवरी 2022 में निधन होने के बाद यह सीट रिक्त हो गई थी। बुधवार को हुए उपचुनाव में रायगंज में सबसे अधिक 67.12 फीसदी मतदान हुए हैं। इसके बाद रानाघाट दक्षिण में 65.37 प्रतिशत, बगदाह में 65.15 प्रतिशत और मानिकतला में 51.39 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।
]]>तृणमूल कांग्रेस ने मतुआ बहुल बागदा विधानसभा क्षेत्र से मतुआ ठाकुरबाड़ी की सदस्य मधुपर्णा ठाकुर को मैदान में उतारा है। कोलकाता के मानिकतला विधानसभा क्षेत्र से पार्टी ने दिवंगत तृणमूल विधायक व मंत्री साधन पांडे की पत्नी सुप्ति पांडे को मैदान में उतारा है।
भाजपा ने मानिकतला विधानसभा क्षेत्र से अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के अध्यक्ष कल्याण चौबे, रायगंज से मानस कुमार घोष, राणाघाट दक्षिण से मनोज कुमार विश्वास और बागदा से बिनय कुमार विश्वास को मैदान में उतारा है। वहीं, रायगंज सीट से कृष्ण कल्याणी तृणमूल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. मुकुट मणि अधिकारी को तृणमूल ने राणाघाट से उम्मीदवार बनाया है।
बता दें कि इस उप चुनाव में राज्य की चार विधानसभा सीटों में से दो- उत्तर 24 परगना की बागदा और नदिया जिले की राणाघाट दक्षिण में सुरक्षित तरीके से चुनाव कराये जाने के लिए चुनाव आयोग विशेष रूप से नजर रख रहा है। राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के अनुसार, इन इलाकों में सबसे अधिक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती पर जोर दिया जा रहा है. सीइओ कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि इस बार क्यूआरटी का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया जायेगा.
चुनाव वाले दिन मतदान केंद्रों के बाहर व भीतर हिंसा को रोकने के लिए 70 कंपनी केंद्रीय पुलिस बल को तैनात किये जाने का निर्णय चुनाव आयोग ने लिया है। इससे पहले, 55 कंपनी तैनात किये जाने का निर्णय चुनाव आयोग ने लिया था। पर केंद्रीय पुलिस बल की संख्या बढ़ा दी गयी है। आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, रायगंज में 16 कंपनी, राणाघाट में 19, बागदा में 20 और मानिकतला में 15 कंपनी केंद्रीय पुलिस बल उतारे जायेंगे। वहीं, इस उपचुनाव के लिए चार जनरल ऑब्जर्वर और चार पुलिस ऑब्जर्वर भी तैनात रहेंगे।
राज्य में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव में चार सीट के लिए वोट डाले जायेंगे। इनमें उत्तर कोलकाता की मानिकतला, उत्तर दिनाजपुर की रायगंज, नदिया जिले की राणाघाट दक्षिण और उत्तर 24 परगना की बागदा विधानसभा सीट शामिल हैं। इस चुनाव में आयोग की नजर विशेष रूप से मानिकतला विधानसभा क्षेत्र पर है।
मानिकतला में तृणमूल कांग्रेस की अंदरूनी कलह से चुनाव आयोग भी वाकिफ है। इसलिए मतदान के दिन कानून व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए मानिकतला क्षेत्र पर अतिरिक्त बलों की तैनाती की जा जायेगी। इस विधानसभा केंद्र में बूथों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मानिकतला केंद्र में कुल 15 कंपनियां तैनात की जायेंगी।
चार विधाननसभा क्विक रिस्पांस टीम की 144 टीमें तैनात रहेंगी। वहीं, आयोग सूत्रों के मुताबिक यह पहली बार है कि उपचुनाव में 100 फीसदी वेब कास्टिंग की जा रही है। मतदान केंद्र के 200 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू रहेगी।
उपचुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराये जाने के लिए सोमवार राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय के साथ संबंधित जिलों के डीएम एसपी के साथ बैठक हुई। बैठक में वेब कास्टिंग, इवीएम और केंद्रीय पुलिस बल की तैनाती और सक्रियता समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई।
]]>This is the ugly face of Mamata Banerjee’s rule in West Bengal.
The guy in the video, who is beating up a woman mercilessly, is Tajemul (popular as JCB in the area). He is famous for giving quick justice through his ‘insaf’ sabha and is a close associate of Chopra MLA Hamidur… pic.twitter.com/fuQ8dVO5Mr
— Amit Malviya (@amitmalviya) June 30, 2024
पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था को लेकर अब सवाल उठने लगा है। राज्य में गुंडे-उपद्रवियों की हिम्मत इस कदर बढ़ गई है कि पुलिस का कोई डर नहीं रह गया है। लोकसभा चुनाव का रिजल्ट जारी होने के बाद से बंगाल के अधिकांश जिलों में हिंसा की कई खबरें आई। अब ताजा मामला उत्तर दिनाजपुर का बताया जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में एक महिला और एक पुरुष को एक व्यक्ति बेरहमी से लाठियों से पीट रहा है। आस-पास भीड़ मौजूद है लेकिन कोई लोग देख रहे हैं। इस तालिबानी सजा को इलाके में ‘इंसाफ सभा’ कहा जाता है।
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने इस घटना का वीडियो शेयर कर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट किया है। मालवीय के मुताबिक आरोपी का संबंध लक्ष्मीकांतपुर चोपड़ा विधायक हमीदुर रहमान से है। हमीदुर TMC से विधायक हैं। आरोपी व्यक्ति हमीदुर का करीबी बताया जा रहा है। आरोपी का नाम तजमुल (इलाके में जेसीबी के नाम से मशहूर) है। लक्ष्मीकांतपुर के चोपड़ा इलाके में तजमुल तालिबानियों की तरह इंसाफ सभा चलाता है और लोगों को लाठियों से बेरहमी से पीटता है।
अपने ट्वीट में अमित मालवीय ने आगे लिखा कि देश को TMC द्वारा संचालित पश्चिम बंगाल में शरिया अदालतों की वास्तविकता से अवगत होना चाहिए। हर गांव में एक संदेशखाली है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी महिलाओं के लिए अभिशाप हैं। उन्होंने आगे लिखा कि बंगाल में कानून-व्यवस्था का नामोनिशान नहीं है। क्या ममता बनर्जी इस गुडे के खिलाफ कार्रवाई करेंगी या शेख शाहजहां की तरह उसका बचाव करेंगी?
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इसके बाद फुटपाथ को खाली करने के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आदेश के बाद चले पुलिस के अभियान की वजह से नाराजगी पहले से ही बढ़ रही थी। हालांकि न्यू मार्केट में पुलिस के अभियान को ममता बनर्जी ने रोक दिया था और हॉकर्स को एक महीने का समय दिया था।
इस बीच शनिवार को अचानक न्यू मार्केट में फुटपाथ पर कब्जा कर दुकानदारी करने वाले हॉकर्स ने स्थानीय दुकानदारों पर हमला कर दिया है। इसके खिलाफ जब दुकानदारों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया तो फुटपाथ पर कब्जा करने वाले हॉकर्स ने सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस का झंडा लेकर उन दुकानदारों पर दोबारा हमला कर दिया।
उसके बाद दोनों तरफ से धर्मतल्ला के दो हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। सूचना मिलने के बाद पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। शाम होते होते मामला कुछ हद तक शांत हो गया
]]>बीजेपी के आईटी सेल अमित मालवीय ने इस घटना से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर ट्वीट किया। इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने संज्ञान लिया है। आयोग की ओर से बंगाल पुलिस को तीन दिन के अंदर कार्रवाई कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। घटना से स्थानीय निवासी सन्न हो गए हैं।
जिला पुलिस की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया गया है। पुलिस के मुताबिक, घास काटने को लेकर कुछ लोगों के बीच विवाद हुआ था और यहीं से मामले की शुरुआत हुई। पुलिस के मुताबिक पीड़िता का तीन महिलाओं से पहले भी विवाद हुआ था। इसके बाद आरोप है कि उसे निर्वस्त्र कर पीटा गया। पुलिस का दावा है कि इसमें कोई राजनीतिक कारण नहीं है।
इस मामले में पीड़ित महिला का बयान भी सामने आया है उसने कहा कि वह बीजेपी करतीहै। उन पर तृणमूल पार्टी के कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया। इसके बाद उन्हें जख्मी हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। महिला ने आगे कहा कि घटना के बाद स्थानीय BJP नेताओं ने महिला को शरण दी। वह डर के कारण घर नहीं जा पा रही हैं।
इस मामले में BJP नेता विराज बसु का बयान सामने आया है। उन्होंने आरोप लगाया, ”चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद से पीड़ित महिला एक तरह से घर में नजरबंद है। आरोपियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए। आरोपियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए।” उधर, स्थानीय TMC नेता ने कहा, यह पूरी तरह से पारिवारिक विवाद है। BJP यहां राजनीति करने की कोशिश कर रही है। जैसा कि संदेशखाली में करने की कोशिश की।
]]>शपथ पढ़ने के बाद ज्यादातर TMC सांसदों ने जय बांग्ला के नारे लगाये। इसके बाद सांसद गंगोपाध्याय ने TMC पर निशाना साधा। इस संदर्भ में अभिजीत ने कहा, ‘जय बांग्ला एक बीमारी का नाम है। जब हम छोटे थे तो आंखों की एक खास तरह की बीमारी होती थी, जिसे जय बांग्ला कहा जाता था। नेत्रों को निम्फल से स्थिर करना चाहिए। तभी जॉय बांग्ला नाम बनाया गया।
संसद में TMC सांसदों के जय बांग्ला के नारे सुनकर अभिजीत ने कटाक्ष किया ‘शायद उनकी आंखों से पानी गिरने का समय आ गया है इसलिए वे लोग जय बांग्ला, जय बांग्ला कह रहे हैं।’ साल 2021 में विधानसभा चुनाव के बाद से बंगाल में जय बांग्ला नारा लोकप्रिय हो गया। बीजेपी के जय श्रीराम नारे के खिलाफ TMC नेता जय बांग्ला के नारे लगाते दिखे।
पूर्वी मेदिनीपुर का तामलुक बंगाल के राजनीतिक क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक है। इस बार तामलुक में बीजेपी सांसद की जीत हुई। तामलुक शुरू से ही कांग्रेस का गढ़ था। पूर्वी मेदिनीपुर जिले के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक यहां पर कभी कांग्रेस का वर्चस्व था।
TMबाद में तामलुक पर पूरी तरह से वामपंथियों का वर्चस्व हो गया। 2009 में आज़ादी की लड़ाई से जुड़े तामलुक में वामपंथियों के खिलाफ आंदोलन से बड़ा बदलाव आया। उस साल लोकसभा चुनाव में पहली बार वहां टीएमसी को जीत मिली। शुभेंदु अधिकारी सांसद बने। अधिकारी परिवार की राजनीति की शुरुआत हुई।
]]>पार्टी ने सोमवार को एक बयान में कहा, “दीदी (टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी) का संदेश उन्हें देंगे कि हम आपके साथ हैं और केंद्र में मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को उनकी मांगें पूरी करनी चाहिए।”
टीएमसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन, मोहम्मद नदीमुल हक, डोला सेन, सागरिका घोष और साकेत गोखले की पांच सदस्यीय टीम हरियाणा और पंजाब की सीमा पर खनौरी के पास आंदोलनकारी किसानों से मिलने की संभावना है।
सुरक्षा बलों ने 13 फरवरी को खनौरी में किसानों को उनके आंदोलन के तहत दिल्ली की ओर मार्च करने से रोक दिया था। उसके बाद यहां फिर से नए सारा से प्रदर्शन शुरू हुए हैं।
टीएमसी सांसद और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक ने पोस्ट में कहा, “जीत मिलने पर विनम्रता और शालीन व्यवहार करना चाहिए। मैं टीएमसी के सभी नेताओं और सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि वे पश्चिम बंगाल के लोगों द्वारा हम पर जताए गए भरोसे का सम्मान करने का प्रयास करें।”
बनर्जी ने किसी निर्वाचित प्रतिनिधि का नाम नहीं लिया और न ही किसी घटना का जिक्र किया। हालांकि उन्होंने यह संदेश दो दिन पहले कोलकाता के निकटन्यू टाउन में अभिनेता और तृणमूल कांग्रेस के विधायक सोहम चक्रवर्ती द्वारा एक रेस्तरां मालिक पर कथित तौर पर हमला किए जाने के बाद दिया है।
]]>ईडी के एक अधिकारी ने दावा किया कि जांचकर्ताओं को राशन भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार एक आरोपी के साथ रितुपर्णा के वित्तीय लेनदेन की जानकारी मिली है। हालांकि ईडी ने आधिकारिक तौर पर इस बारे में कुछ नहीं कहा है। इस पर रिएक्ट करते हुए रितुपर्णा ने पहले ही कहा था, ”मैं यह सुनकर बहुत हैरान हूं, मैं सचमुच इस बारे में कुछ नहीं जानता. राशन भ्रष्टाचार क्या है? मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
इसके बाद रितुपर्णा ने फिर कहा, मेरी कई फिल्में रिलीज होनी हैं। ऐसी खबरें मेरे लिए बिल्कुल भी अच्छी नहीं हैं। मैं जीवन भर काम करती रही हूं, मेरे नाम पर अचानक ऐसा कहना बहुत अनुचित है। उन्होंने कहा कि वह वकील से सलाह लेने के बाद फैसला लेंगे कि उन्हें ईडी के समक्ष पेश होना है या नहीं। गौरतलब है कि इससे पहले जुलाई 2019 में अभिनेत्री रितुपर्णा सेनगुप्ता से जांच एजेंसी ईडी ने रोज वैली मामले में पूछताछ की थी. अब राशन भ्रष्टाचार मामले में उनका नाम सामने आने लगा है।
]]>कीर्ति आजाद ने मिडिया को कहा की हिंदू मुस्लिम के नाम से देश के लोगों को बांटने वाली भाजपा को बंगाल ही नही समूचे देश की जनता के आईना दिखा दिया है। राज्य में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोगों के हित में काम किया है। जिसका नतीजा है यह भारी जीत. मुंह फट लोगों को यहां की जनता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है. कीर्ति आजाद ने कहा की आगे वे क्षेत्र की जनता के विकास को लेकर उनके सुख दुख को लेकर काम करेंगे। कीर्ति आजाद ने कहा की बर्दवान दुर्गापुर की जनता के लिए अब काम करना ही उनका लक्ष्य है।
इसके साथ देश हित में खेलने वाले विश्व विजेता टीम के खिलाड़ी को अपने बीच पाकर क्षेत्र की जनता काफी प्रभावित हुई. बिना किसी भड़काऊ भाषण और बिना किसी तरह के विवाद से बचते हुए कीर्ति आजाद जमीनी स्तर पर अपना प्रचार करते रहे। जिसका नतीजा आज मतगणना के दिन देखने को मिल रहा है। कीर्ति आजाद की इस बढ़त के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों में निराशा आ गई है। भाजपा प्रार्थी दिलीप घोष को लेकर एक फुसफुसाहट शुरू हो गई है की उन्हे मेदिनीपुर से बर्दवान दुर्गापुर सीट पर लड़ाई के लिए जानबूझकर भेजा गया।
यह अक्सर विपक्षी दल के नेता शुभेंदु अधिकारी और उनके अनुयायियों के खिलाफ सुना जा रहा था। यहां तक कि बर्दवान दुर्गापुर सीट से तृणमूल उम्मीदवार कीर्ति आजाद ने खुद प्रचार के दौरान कहा था कि शुभेंदु अधिकारी ही दिलीप को हरवायेंगे। मंगलवार को जैसे ही गिनती शुरू हुई तो देखा गया कि कीर्ति का अंतर लगातार बढ़ता जा रहा था। बारह राउंड की समाप्ति पर, बर्दवान दुर्गापुर निर्वाचन क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार कीर्ति आजाद अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के दिलीप घोष से 115948 वोटों से आगे चल रहे है। यानी दिलीप की हार पक्की होती दिखने लगी थी। हालांकि दिलीप घोष की इस पर कोई टिप्पणी नहीं मिल पाई है।
]]>सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में बीजेपी का खेल बिगड़ता दिख रहा है। वहीं, हरियाणा और बंगाल में भी बीजेपी उम्मीदवार पीछे चल रहे हैं। उत्तर प्रदेश की वीआईपी सीट अमेठी पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भारी वोटों के अंतर से पीछे चल रही हैं। यहां कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा बढ़त बनाए हुए हैं। उत्तर प्रदेश में 34 सीटों पर बीजेपी, जबकि समाजवादी पार्टी 35 सीटों पर आगे चल रही है।
इसके अलावा सात सीटों पर कांग्रेस आगे है। इस तरह हिसाब से INDIA गठबंधन राज्य की 80 में से 44 सीटों पर आगे चल रही है. वहीं, एनडीए 35 सीटों पर आगे चल रहा है।
बिहार की बात करें तो राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से एनडीए 34 सीटों पर आगे है, जबकि 4 पर INDIA गठबंधन आगे चल रहा है और दो पर अन्य दल आगे हैं। 2019 के चुनाव में बीजेपी ने 17 सीटें जीती थीं और 16 पर जनता दल (यूनाइटेड) के पास गई थीं।
हरियाणा में बीजेपी को 5 सीटों पर का नुकसान हो सकता है। 10 लोकसभा सीटों में से पांच पर बीजेपी और पांच पर कांग्रेस आगे चल रही है। पिछले चुनाव के नतीजे देखें तो बीजेपी को राज्य की 10 की 10 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
पश्चिम बंगाल में एक बार फिर ममता बनर्जी का जादू चलता दिख रहा है। एक बार फिर से सत्तारूढ़ कांग्रेस 30 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि बीजेपी सिर्फ 11 सीटों पर ही लीड करती दिख रही है।
मणिपुर की दोनों लोकसभा सीटों पर भी कांग्रेस बढ़त बनाए हुए है।
गुजरात की 26 लोकसभा सीटों में से एक पर कांग्रेस आगे चल रही है।
राजस्थान में भी बीजेपी को 10 सीटों पर नुकसान हो सकता है।
कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों पर जो रुझान सामने आए हैं, उनमें बीजेपी 16 सीटों पर आगे चल रही है।
पंजाब में 2019 में बीजेपी को दो सीटें मिली थीं। इसके अलावा तेलंगाना और ओडिशा में बीजेपी को राहत है।
ओडिशा की 21 में से 18 पर और तेलंगाना की 17 में से 8 पर बीजेपी आगे है।
दिल्ली की सातों सीटों पर भाजपा और इंडी गठबंधन का सीधा मुकाबला है। ताजा आंकड़ों के अनुसार पूर्वी दिल्ली से हर्ष मल्होत्रा, नई दिल्ली से बांसुरी स्वराज, उत्तर पूर्व दिल्ली से मनोज तिवारी, उत्तर पश्चिम से योगेंद्र चंदोलिया, दक्षिणी दिल्ली से रामवीर सिंह बिधूड़ी, पश्चिम दिल्ली से कमलजीत सहरावत और चांदनी चौक सीट से प्रवीण खंडेलवाल आगे चल रहे हैं।
एक घंटे पहले सात सीटों में से तीन सीटों पर बढ़त का फासला बेहद कम था। चांदनी चौक सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी जेपी अग्रवाल आगे चल रहे थे। उल्लेखनीय है कि पिछले दो लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सात सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी।
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