भारत के बाद अब चीन जा रहीं शेख़ हसीना

ढाका : बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना इस महीने की चीन के आधिकारिक दौरे पर रहेंगी। लगातार चौथी बार सरकार के प्रमुख के रूप में…

ढाका : बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना इस महीने की चीन के आधिकारिक दौरे पर रहेंगी। लगातार चौथी बार सरकार के प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने के बाद ये उनकी दूसरी विदेश यात्रा है.इससे पहले शेख़ हसीना द्विपक्षीय दौरे पर बीते महीने यानी जून 21-22 को भारत आई थीं।

भारत सरकार के साथ उन्होंने रेल यातायात समेत कई अलग-अलग मुद्दों पर क़रीब 10 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। भारत के दौरे के दो सप्ताह बाद शेख़ हसीना का चीन दौरा, बांग्लादेश के लिए कूटनीतिक और आर्थिक मायनों में काफ़ी अहम माना जा रहा है।

कहा जा रहा है कि इस यात्रा के ज़रिए अलग-अलग परियोजनाओं को पूरा करने के लिए देश को चीन से बड़ा कर्ज़ मिल सकता है. साथ ही इससे सरकार को नया बजट घाटा पूरा करने में भी चीन से मदद मिल सकती है। पिछले 15 सालों में चीन ने बांग्लादेश में कई मेगा-प्रोजेक्ट्स के लिए क़र्ज़ देने के साथ-साथ परियोजनाओं में भी अहम भूमिका निभाई है।

बहुचर्चित पद्मा ब्रिज के बुनियादी ढांचे के निर्माण और कर्णफुली सुरंग के निर्माण के बाद, चीन अब तीस्ता परियोजना में भी शामिल होना चाहता है. लेकिन सवाल यह है कि चीन, बांग्लादेश की विभिन्न विकास परियोजनाओं में इतनी दिलचस्पी क्यों दिखा रहा है? इनमें उसका क्या हित है?

बांग्लादेश के पूर्व विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने बताया, “इस पूरे मामले में बांग्लादेश का जितना हित है, चीन का हित उससे कम नहीं है। इसके अलावा, भू-राजनीतिक रणनीति के नज़रिए से देखा जाए तो चीन के लिए बांग्लादेश ख़ासी अहमियत रखता है।”

लेकिन असल में बांग्लादेश में चीन के कौन-से हित छिपे हैं और यहां अपनी मौजूदगी बढ़ाकर वो क्या हासिल करना चाहता है? बीते 15 सालों में बांग्लादेश ने एक दर्जन से अधिक बड़ी परियोजनाओं पर काम करना शुरू किया है। इनमें पद्मा ब्रिज पर रेलवे लाइन, कर्णफुली नदी के नीचे से गुज़रने वाली बंगबंधु शेख़ मुजीबुर्रहमान टनल, ढाका में बस रैपिड ट्रांज़िट परियोजना सहित कई बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए चीन ने क़र्ज़ देकर बांग्लादेश की आर्थिक मदद की है. दरअसल, चीन अब उन मुल्कों में शुमार हो गया है जिन्होंने बांग्लादेश को सबसे अधिक क़र्ज़ दिया है।

बांग्लादेश के वित्त मंत्रालय के आर्थिक संबंध विभाग (ईआरडी) के आंकड़ों के अनुसार बीते चार सालों में अकेले चीन ने बांग्लादेश को लगभग तीन अरब अमेरिकी डॉलर का क़र्ज़ दिया है. वहीं वॉशिंगटन में मौजूद शोध संस्थान ‘अमेरिकन एंटरप्राइज़ इंस्टीट्यूट’ (एआई) के अनुसार, 2023 तक बांग्लादेश में चीन का निवेश सात अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है।