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भारतीय क्रिकेट में बॉलिंग संकट का अंदेशा, सीनियर खिलाड़ियों के विकल्प पर प्रश्न

By Sports Desk | Published: October 27, 2024, 11:51 pm
Report Warns of Major 'Bowling' Crisis for India in the Near Future
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Bowling’ Crisis for India: भारतीय क्रिकेट के लिए अगले कुछ साल चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। २०२५ के विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) के अगले चक्र में टीम की बॉलिंग लाइनअप की स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है। कई सीनियर खिलाड़ी जैसे रोहित शर्मा, अश्विन, जडेजा और कोहली इस चक्र के अंत तक ३९ से ४१ वर्ष के बीच पहुंच जाएंगे। इस उम्र में फिटनेस और परफॉर्मेंस का टेस्ट क्रिकेट में निरंतर बने रहना मुश्किल हो सकता है।

सीनियर प्लेयर्स और बॉलिंग विकल्प का संकट
अश्विन और शमी जैसे खिलाड़ियों का बढ़ती उम्र के कारण योगदान कम होने की संभावना है। हालांकि, मोहम्मद शमी का प्रदर्शन भारत के लिए बेहतरीन रहा है, लेकिन उनकी जगह लेने वाला कोई और खिलाड़ी तैयार नहीं दिख रहा है। आवेश खान और खलील अहमद के पास रफ्तार है, लेकिन उनकी फिटनेस और कंसिस्टेंसी एक बड़ा सवाल है।

इस संकट के कारण भारतीय टीम के सामने चुनौती है कि वे ऐसे तेज गेंदबाज को खोजें जो शमी और बुमराह की जगह ले सके। नवदीप सैनी और उमरान मलिक जैसे खिलाड़ियों का प्रदर्शन भी घटता दिख रहा है। ऐसे में टीम के पास एक स्थिर और अनुभवी बॉलिंग लाइनअप की कमी है।

बैटिंग में नई संभावनाएं
वहीं बैटिंग में टीम के पास कुछ अच्छे विकल्प उपलब्ध हैं। यशस्वी जायसवाल ने एक ओपनिंग स्लॉट को कब्जा किया है और रोहित शर्मा के बाद टीम के पास कुछ खिलाड़ी हैं। अभिमन्यु ईश्वरन और साई सुदर्शन जैसे खिलाड़ी भी ओपनिंग के विकल्प हो सकते हैं। लेकिन टीम के लिए कोहली का विकल्प खोज पाना कठिन है। देवदत्त पडिक्कल जैसे नए खिलाड़ी उपलब्ध हैं, पर अनुभव की कमी को पूरा करना मुश्किल हो सकता है।

भविष्य के लिए प्लानिंग और उपाय
बॉलिंग संकट को दूर करने के लिए, भारतीय क्रिकेट बोर्ड को नई प्रतिभाओं को विकसित करने और उन्हें तैयार करने की आवश्यकता है। टेस्ट क्रिकेट में सफलता प्राप्त करने के लिए एक मजबूत, स्थिर बॉलिंग लाइनअप होना आवश्यक है। इंडियन प्रीमियर लीग जैसे मंच के बावजूद, टेस्ट क्रिकेट की मांगों को पूरा करने के लिए खिलाड़ियों का विकास जरूरी है।

इन सब प्रयासों के माध्यम से, भारत को एक ऐसी टीम तैयार करनी होगी जो टेस्ट क्रिकेट के दबाव में अपनी पहचान बनाए रख सके और सीनियर खिलाड़ियों के जाने के बाद भी विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सके।

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