🚨 Breaking: Welcome to Kolkata24x7 — fast, modern news theme…
Leaderboard Ad (728x90)

अजीत डोभाल तीसरी बार NSA नियुक्त, पीके मिश्रा बने रहेंगे पीएम के प्रधान सचिव

By Entertainment Desk | Published: June 13, 2024, 6:30 pm
Ad Slot Below Image (728x90)

नई दिल्ली : अजीत डोभाल को लगातार तीसरी बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया. डोभाल पीएम मोदी के कार्यकाल के अंत तक एनएसए के पोस्ट पर बने रहेंगे. जबकि डॉ पीके मिश्रा को भी फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रधान सचीव नियुक्त कर लिया गया है।

कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने 10.06.2024 से प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के रूप में डॉ पीके मिश्रा, आईएएस (सेवानिवृत्त) की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है. उनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री के कार्यकाल के साथ या अगले आदेश तक जो भी पहले हो, तक रहेगी। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्हें वरीयता तालिका में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाएगा।

अमित खरे और तरुण कपूर को प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है, उन्हें भारत सरकार के सचिव के पद और वेतनमान में 10.06.2024 से दो वर्ष की अवधि के लिए या अगले आदेशों तक, जो भी पहले हो, नियुक्त किया गया है।

अजीत कुमार डोभाल आईपीएस अधिकारी रहे हैं। 30 मई 2014 से वो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर हैं। डोभाल भारत के पांचवे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। इससे पहले शिवशंकर मेनन भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे। अजित डोभाल का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 1945 में हुआ था। उनका जन्म एक गढ़वाली परिवार में हुआ। उन्होंने अजमेर के मिलिट्री स्कूल से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ली। उसके बाद आगरा से इकोनॉमिक्स में एमए की डिग्री हासिल की। पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने आईपीएस की तैयारी की और 1968 में केरल कैडर से आईपीएस बने। उसके बाद 2005 में आईबी के चीफ पद से रिटायर हुए। वो मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में उग्रवाद विरोधी अभियान में लगे रहे। डोभाल ने 1972 में अरुणी डोभाल के साथ शादी की। उनके दो बेटे हैं, शौर्य डोभाल और विवेक डोभाल।

ऑपरेशन ब्लैक थंडर से अजीत डोभाल की पहचान और बढ़ गई। बताया जाता है कि जब चरमपंथी स्वर्ण मंदिर के अंदर घुसे हुए थे, तब डोभाल भी वहां घुस गए थे। 1988 में स्वर्ण मंदिर के आस-पास रहने वाले लोगों और खालिस्तानियों ने एक रिक्शावाले को देखा था। उस रिक्शावाले ने सभी को विश्वास दिलाया कि वह आईएसआई का सदस्य है और उसे उनकी मदद के लिए भेजा गया है। बाद में रिक्शावाला स्वर्ण मंदिर के अंदर गया और पूरी जानकारी लेकर बाहर निकला। बाद में पता चला की रिक्शा वाला कोई और नहीं अजीत डोभाल ही थे।

[custom_poll]
In-Article Ad (Responsive)
Ad Slot End of Article (728x90)

Related Articles