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दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने Honey Trap गैंग का पर्दाफाश किया

By Kolkata24x7 Desk | Published: December 25, 2024, 11:10 pm
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दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने बुधवार को एक हनी ट्रैप गैंग (Honey Trap Gang) का पर्दाफाश किया है, जो पुलिसकर्मियों का रूप धारण करके आम लोगों से पैसे वसूलते थे। इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनके नाम नीरज त्यागी, दीपक और आशीष हैं। इनमें से दो आरोपी पहले से ही एक हनी ट्रैप मामले में वांछित थे, जो अगस्त 2024 में बिंदापुर पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था।

यह सफलता 24 दिसंबर को मिली, जब क्राइम ब्रांच को गैंग की गतिविधियों के बारे में गुप्त जानकारी मिली। इसके बाद एक टीम का गठन किया गया और एक जाल बिछाया गया। पुलिस की टीम बुढ़ विहार नाला, कंझावला रोड के पास एक स्थान पर जाल बिछाने के लिए पहुँची। उसी दौरान एक कार वहां आई, जिसमें एक व्यक्ति दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल की वर्दी में था। आरोपियों ने फर्जी पुलिस पहचान पत्र भी पेश किए। उनकी हरकतों को देखकर क्राइम ब्रांच की टीम ने उन्हें अपनी ऑफिस में लाने के लिए कहा। आरोपी भागने की कोशिश करते हैं, लेकिन थोड़ी देर बाद उन्हें पकड़ लिया गया।

तफ्तीश के दौरान आरोपी पहले तो जांचकर्ताओं को गुमराह करने की कोशिश करते हैं, लेकिन बाद में उन्होंने अपने अपराधों को स्वीकार कर लिया। आगे की पूछताछ में यह पता चला कि नीरज त्यागी और दीपक पहले से ही एक हनी ट्रैप मामले में वांछित थे, जो बिंदापुर पुलिस स्टेशन में अगस्त 2024 में दर्ज हुआ था। उस मामले में 60 वर्षीय डॉक्टर इन ठगों का शिकार बने थे। डॉक्टर को पहले एक अज्ञात महिला ने फोन किया था। कुछ समय बाद, उस महिला ने डॉक्टर को अपने घर बुलाया और कहा कि उसकी माँ बीमार है, उसे इलाज की जरूरत है।

डॉक्टर जब वहां पहुंचे, तो महिला ने उन्हें खाना पेश किया और बातचीत में व्यस्त हो गई। लेकिन कुछ ही समय बाद, महिला ने डॉक्टर पर अनुचित व्यवहार का आरोप लगाते हुए झूठा मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दी। तभी दो पुलिसकर्मी वर्दी में और दो अन्य लोग सादे कपड़ों में कमरे में घुसते हैं और डॉक्टर को गिरफ्तार करने का दावा करते हैं। इसके बाद आरोपियों ने डॉक्टर से 9 लाख रुपये की मांग की ताकि मामला सुलझ सके। घटना के बाद डॉक्टर ने बिंदापुर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, और मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। हालांकि, नीरज त्यागी और दीपक फरार हो गए थे, जिन्हें अब पकड़ा गया है।

ऑपरेशन के दौरान क्राइम ब्रांच ने कई महत्वपूर्ण साक्ष्य बरामद किए, जिनमें तीन फर्जी दिल्ली पुलिस पहचान पत्र, एक पुलिस हेड कांस्टेबल की वर्दी, एक कार और तीन मोबाइल फोन शामिल हैं। जांच अभी भी जारी है, और अधिकारियों का ध्यान गैंग के अन्य सदस्यों और उनके अभियानों की जानकारी जुटाने पर है।

यह घटना यह दर्शाती है कि किसी भी व्यक्ति को ठगने के लिए पुलिस की पहचान का इस्तेमाल करना कितना खतरनाक हो सकता है। क्राइम ब्रांच की यह सफल कार्रवाई इस प्रकार के अपराधों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

अभी तक इस गैंग के सदस्य विभिन्न अपराधों में शामिल हो सकते हैं। इसलिए क्राइम ब्रांच उनकी गहन जांच कर रही है और अन्य अपराधों की जानकारी निकालने की कोशिश कर रही है। इस घटना से पुलिस ने यह सबक लिया है कि उन्हें और अधिक सतर्क रहना होगा और लोगों को इस प्रकार के अपराधों से जागरूक करने के लिए काम करना होगा।

इस सफल ऑपरेशन में दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की तत्परता और समय पर कदम उठाने की क्षमता फिर से साबित हुई है। पुलिस की तेज और प्रभावी कार्रवाई के कारण, और भी कई लोग इस प्रकार के धोखाधड़ी से बच पाए हैं।

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