🚨 Breaking: Welcome to Kolkata24x7 — fast, modern news theme…
Leaderboard Ad (728x90)

25 साल बाद चुनाव हारते ही Adhir Ranjan हुए ‘अधीर’ कहा ,मेरा राजनीतिक भविष्य कैसा होगा, नहीं जानता

By Entertainment Desk | Published: June 6, 2024, 1:21 pm
Ad Slot Below Image (728x90)

कोलकाता :  पश्चिम बंगाल के बहरमपुर संसदीय क्षेत्र से हार के एक दिन बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पांच बार के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह नहीं जानते कि उनका राजनीतिक भविष्य कैसा होगा। पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख अधीर चौधरी को तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार और पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान ने 85,000 से अधिक मतों के अंतर से हरा दिया। चौधरी की पराजय के साथ ही कांग्रेस ने बहरमपुर पर अपनी राजनीतिक पकड़ खो दी, जो राज्य में कांग्रेस का अंतिम गढ़ था। पार्टी को केवल एक सीट मालदा दक्षिण पर जीत मिली है।अपने बहरमपुर आवास पर एक निजी चैनल से बात करते हुए श्री चौधरी ने कहा कि उन्हें आशंका है कि आने वाला समय उनके लिए कठिन होगा।

अधीर ने कहा कि इस सरकार से लड़ने के प्रयास में मैंने अपनी आय के स्रोतों की अनदेखी की है। मैं खुद को बीपीएल सांसद कहता हूं। राजनीति के अलावा मेरे पास कोई और कौशल नहीं है। इसलिए आने वाले दिनों में मेरे लिए मुश्किलें खड़ी होंगी और मुझे नहीं पता कि उनसे कैसे पार पाया जाये। चौधरी ने पुष्टि की कि वह अपना सांसद आवास खाली करने के लिए जल्द ही राजधानी जायेंगे। उन्होंने कहा कि मेरी बेटी एक छात्रा है और कभी-कभी अपनी पढ़ाई के लिए इस जगह का इस्तेमाल करती है। मुझे वहां एक नया घर ढूंढना होगा, क्योंकि मेरे पास कोई घर नहीं है।

चुनाव के बाद ममता बनर्जी की ‘I.N.D.I‌.A’ गठबंधन के साथ निकटता पर बात करते हुए श्री चौधरी ने कहा कि उन्होंने गठबंधन में तृणमूल की मौजूदगी पर कभी आपत्ति नहीं जतायी. हालांकि श्री चौधरी ने इस बात से सहमति जतायी कि उन्होंने ममता बनर्जी के साथ गठबंधन का विरोध करते हुए पार्टी हाईकमान के समक्ष अपनी बात रखी है, क्योंकि उनका मानना है कि यह राजनीतिक आत्महत्या के समान होगा। यह पूछे जाने पर कि क्या वह प्रदेश कांग्रेस प्रमुख के पद पर बने रहेंगे तो उन्होंने कहा, ‘मैंने चुनाव में अपनी हार स्वीकार कर ली है और पहले अपने नेताओं से इस पद के लिए मुझसे ज्यादा योग्य व्यक्ति को खोजने का आग्रह करते हुए अपना पद छोड़ना चाहता था। मैं सोनिया गांधी के अनुरोध पर रुका रहा, मुझे अभी तक अपने नेताओं की ओर से कोई फोन नहीं आया है। फोन आने पर मैं एक बार फिर पार्टी को अपनी इच्छा से अवगत कराऊंगा।

चौधरी ने कहा कि बहरमपुर में प्रचार के लिए किसी नेता को न भेजना पार्टी का विवेकाधिकार है और इस बारे में वह कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा, ‘जब राहुल गांधी की ‘पूरब-पश्चिम भारत जोड़ो यात्रा’ मुर्शिदाबाद पहुंची, तो हमने उसमें हिस्सा लिया। हमारे पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक बार मालदा में प्रचार किया, लेकिन बहरमपुर कभी नहीं आये। यह हमारे केंद्रीय नेतृत्व का फैसला था, जिसके बारे में मुझे कुछ नहीं कहना है.’ साल 1999 से बहरमपुर से सांसद चौधरी के लिए यह शायद सबसे कठिन चुनावी मुकाबला था, जिसमें उन्हें गुजरात के रहने वाले तृणमूल उम्मीदवार पठान से शिकस्त का सामना करना पड़ा।

[custom_poll]
In-Article Ad (Responsive)
Ad Slot End of Article (728x90)

Related Articles