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आपातकाल का नया दौर: कई पत्रकारों के घरों पर रेड

By Kolkata24x7 Desk | Published: October 3, 2023, 1:55 pm
Journalists' Residences Raided in New Round of Emergency Actions
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न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों और ढेर सारे दूसरे क्षेत्र से जुड़े लोगों के घर पर दिल्ली पुलिस की रेड पड़ रही है। इनमें न्यूज़क्लिक के एडिटर इन चीफ और मालिक प्रवीर पुरकायस्थ, वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा, न्यूज़क्लिक हिंदी के संपादक मुकुल सरल, अभिसार शर्मा, अनिंद्यो चक्रवर्ती साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर सोहेल हाशमी शामिल हैं।

इनमें से कुछ के डिटेन भी किए जाने की खबर है।बताया जा रहा है कि सुबह तड़के ही ईडी की टीम इनके घर पहुंच गयी और उसने कार्रवाई शुरू कर दी। इसके तहत उनके लैपटाप, फोन और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक सामानों की जांच शुरू कर दी गयी। मुकुल सरल के लैपटाप और मोबाइल फोन को टीम ने जब्त कर लिया है।बताया जा रहा है यह सारी कवायद न्यूजक्लिक के खिलाफ साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए किया जा रहा है। दरअसल इसी महीने की 8,9 और 10 तारीख को न्यूजक्लिक मामले की सुनवाई है।

पुलिस की इस कार्रवाई को इसी के तहत देखा जा रहा है।तीस्ता सीतलवाड़ और परंजयगुहा ठाकुरता के घरों पर भी रेड पड़ रही है। और दिल्ली पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है। दिल्ली साइंस फोरम के डी रघुनंदन को पुलिस ने डिटेन कर लिया है। न्यूजक्लिक के पत्रकार उबैद को भी पुलिस ने डिटेन कर लिया है।द वायर के मुताबिक यह केस आतंकवाद से जुड़े एक मामले को लेकर बताया जा रहा है। 224/2023 के एक एफआईआर से जुड़ा है। यह केस 17 अगस्त, 2023 को फाइल हुआ था। इसमें यूएपीए से जुड़ी कई धाराएं लगायी गयी थीं। साथ ही इंडियन पैनल कोड की 153 (a) औऱ 120 (b) धाराएं भी लगायी गयी थीं।प्रेस क्लब ने इस पूरी रेड की निंदा की है।

उसने पुलिस की इस कार्रवाई पर चिंता जाहिर की है।न्यूज़क्लिक के संस्थापक और संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को पुलिस डिटेन कर दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल कार्यालय ले गयी है। दिल्ली पुलिस यूएपीए और अन्य धाराओं के तहत न्यूज़क्लिक से जुड़े विभिन्न परिसरों पर छापेमारी कर रही है। वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश को भी पुलिस ने डिटेन कर लिया है।दिल्ली पुलिस की टीम वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश को गाजियाबाद के वसुंधरा स्थित वार्तालोक सोसाइटी के उनके घर से उठाकर स्पेशल सेल के दफ्तर ले गई। असहमति को कुचलना /रौंदना ही आपातकाल होता है। हम एक नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं जहां लोकतंत्र को तानाशाही में तब्दील होते हुए देख रहे हैं।

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