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बानारहाट में विशालकाय अजगर की मौजूदगी से हड़कंप, स्थानीय लोगों ने किया रेस्क्यू

By North Bengal Desk | Published: June 12, 2025, 5:09 pm
Banarhat in Shock: Huge Python Captured Near Berubag River by Locals
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स्नेहा घोष, जलपाईगुड़ी: बुधवार की देर रात जलपाईगुड़ी जिले के बानारहाट (Banarhat) ब्लॉक के मध्य शालबाड़ी इलाके में बेरुबाग नदी के किनारे स्थानीय लोगों ने एक विशालकाय रॉक पायथन को देखा, जिससे पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। स्थानीय लोगों ने मिलकर लगभग 12 फीट लंबे इस अजगर को पकड़ा और उसे प्राथमिक स्कूल के मैदान में बांधकर रखा। इसकी खबर फैलते ही आसपास के लोग भारी संख्या में वहां जमा हो गए। बाद में मरारघाट रेंज के खट्टिमारी बीट के वन कर्मियों को सूचना दी गई। वन कर्मी मौके पर पहुंचे और पायथन को अपने कब्जे में ले लिया। वन विभाग के सूत्रों के अनुसार, इस अजगर को जांच के बाद मरारघाट रेंज के जंगल में छोड़ दिया जाएगा।

इस घटना ने इलाके में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। स्थानीय लोगों का दावा है कि इससे पहले भी मध्य शालबाड़ी इलाके में कई बार पायथन देखे गए हैं। ये सांप मवेशियों, मुर्गियों और अन्य छोटे जानवरों का शिकार कर रहे हैं, जिससे ग्रामीणों में डर का माहौल है। उनकी आशंका है कि गांव के पास ही स्थित खट्टिमारी जंगल से भोजन की तलाश में ये पायथन बस्तियों में घुस रहे हैं। खासकर बारिश के मौसम में नदी और जंगल से सटे इलाकों में ऐसी घटनाएं बढ़ जाती हैं।

एक स्थानीय निवासी ने कहा, “ये पायथन हमारे मवेशियों और मुर्गियों के लिए खतरा बन गए हैं। रात में बच्चों को बाहर निकालने में डर लगता है। वन विभाग को जंगल की सीमा पर निगरानी बढ़ानी चाहिए।” एक अन्य ग्रामीण ने बताया, “बेरुबाग नदी के किनारे अक्सर सांप दिखाई देते हैं। बारिश में पानी बढ़ने पर ये सांप गांव में घुस आते हैं।”

मरारघाट रेंज के एक वन कर्मी ने बताया, “रॉक पायथन आमतौर पर इंसानों पर हमला नहीं करते, लेकिन भोजन की तलाश में बस्तियों में आ सकते हैं। बारिश के मौसम में जंगल के जानवर नदी और गांवों के पास आ जाते हैं। हम इस पायथन को सुरक्षित जंगल में छोड़ देंगे।” उन्होंने आगे कहा, “ग्रामीणों को सतर्क रहना होगा। अनजाने में सांप के पास जाना खतरनाक हो सकता है।”

वन विभाग ने बताया कि उत्तर बंगाल के जंगलों में रॉक पायथन की मौजूदगी सामान्य है। हालांकि, बारिश के मौसम में ये सांप अधिक सक्रिय हो जाते हैं। डुआर्स और तराई के चाय बागान क्षेत्रों में भी इस प्रजाति के पायथन अक्सर पकड़े जाते हैं। वन विभाग ने जंगल से सटे इलाकों में रहने वाले लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है।

इस घटना ने इलाके में खासी चर्चा पैदा कर दी है। स्थानीय लोग वन विभाग से जंगल की सीमा पर नियमित गश्त और जागरूकता कार्यक्रम चलाने की मांग कर रहे हैं। पायथन के हमले में मवेशी खोने वाले किसानों के लिए मुआवजे की व्यवस्था की भी मांग उठ रही है। यह घटना न केवल बानारहाट के लोगों में डर पैदा कर रही है, बल्कि जंगल और बस्तियों के सह-अस्तित्व पर भी सवाल उठा रही है। वन विभाग की तत्परता से इलाके में शांति बनी हुई है, लेकिन दीर्घकालिक समाधान के लिए और कदम उठाने की जरूरत है।

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