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RBI ने ब्रिटेन के सेंट्रल बैंक से अपने खाते में डलवाया सालों से जमा किया हुआ 100 टन सोना

By Entertainment Desk | Published: May 31, 2024, 5:09 pm
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नई दिल्‍ली : भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ब्रिटेन से 100 टन से अधिक सोना देश में लाया गया है। यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है। देश की अर्थव्‍यवस्‍था पर भी इसका प्रभाव देखने को मिलेगा। एक समय था, जब देश का सोना बाहर रखने की खबरें सुनने को मिलती थी, लेकिन अब हिंदुस्‍तान अपना सोना वापस ला रहा है। खबर के मुताबिक, आरबीआई अधिकाारियों का कहना है कि लगभग 100 टन सोना और आने वाले दिनों में भारत लाया जाएगा। ऐसा बताया जा रहा है कि भविष्‍य में वित्‍तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए आरबीआई देश की तिजोरी में सोने की मात्रा को बढ़ा रहा है।

बता दें कि यह साल 1991 की शुरुआत के बाद से पहली बार है, जब इतनी बड़ी मात्रा में गोल्‍ड को लोकल लेवल पर रखे गए स्टॉक में शामिल किया गया है। आने वाले महीनों में इतनी ही मात्रा में सोना फिर से देश में भेजा जा सकता है, आधिकारिक सूत्रों की माने तो ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मार्च के अंत में आरबीआई के पास 822.1 टन सोना था, जिसमें से 413.8 टन सोना विदेशों में रखा हुआ था।

अब इस सोने को धीरे-धीरे भारत लाया जा रहा है। वैश्विक आंकड़ों के मुताबिक, हाल के वर्षों में सोना खरीदने वाले केंद्रीय बैंकों में आरबीआई प्रमुख है, जिसने पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 27.5 टन सोना अपने भंडार में शामिल किया है।

विश्‍व भर के केंद्रीय बैंकों के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड काफी समय से बड़ा भंडारगृह रहा है। भारत भी आजादी से पहले से लंदन के बैंक में अपना सोना रखता रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया, “आरबीआई ने कुछ साल पहले सोना खरीदना शुरू किया था। यह समीक्षा करने का फैसला किया था कि वह कहां-कहां से भारत का सोना वापस ला सकता है। चूंकि विदेशों में स्टॉक बढ़ रहा था, इसलिए कुछ सोना भारत लाने का निर्णय लिया गया। साथ ही भविष्‍य की परिस्थितियों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है.”

भारतीयों के लिए हर घर में सोना होता है और उसे बेचना सही नहीं माना जाता है। लेकिन 1991 में भारत की अर्थव्‍यवस्‍था को संभालने के लिए चंद्र शेखर सरकार द्वारा कीमती धातु को गिरवी रखा गया था। हालांकि, आरबीआई ने लगभग 15 साल पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 200 टन सोना खरीदा था। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के बदलते हालात आत्मविश्वास को दर्शाता है, जो 1991 की स्थिति के बिल्कुल अलग है.”

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